वैनगंगा क्षेत्र में बसे क्षत्रिय पंवार(पोवार) की गौरवगाथा
पोवार समाज को जागरण
1. पोवार समाज को जागरण
पोवार समाज को जागरण
सम्मानीय पोवार भाउ बहिनी हिनलक हनवेदन से हक वर्तमान मा पोवार
समाज का ढेर सारा संिठन िााँव लक धरकर अंर्रातष्ट्रीय स्र्र र्क अन
व्िाटसाफ ग्रुप बन ियी सेर्। िर संिठन अन ग्रुप अपरी मंशा को अनुसार
काम कर रिी सेर्। सबका अपरा अपरा मानदण्ड अन अपरी अपरी
िहर्हवहध सेर्ीन।
समाज को जािरण लाई अनेक हबन्दू अन काम िोय सकसेर्ीन पर मी
प्रमुख रूप लक समाज जािरण लाई चार हबन्दु पर सब संिठन अन ग्रुप
को ध्यान आकृष्ट करनो चाि रिी सेव।
(1) स्वाहभमान
(2) संस्कार
(3) पहिचान
(4) शहि
(1) स्वाभिमान ---- पोवार समाज को स्वाहभमान --स्वाहभमान जो शुप्त
िोय ियी से वोला जाग्रर् करन लाई पोवार समाज को इहर्िास की
जानकारी पुरो पोवार समाज ला देन की शि जरुरर् से
यो काम लेख कहवर्ा िीर् िाना नाटक ड्रामा डंढ्यार रंिमंच अन अपरी
हवरासर् को माधयम् लक काम कयो जाय सक से अन सांियो जाय सक
2. पोवार समाज को जागरण
से हक र्ुम्िी राज करन वाला राजपूर् क्षहिय आव। र्ुम्िी राजा की संर्ान
आव। जसो हक िजारो िजारो साल लक िमारी माय बहिन िीर् िाना को
माध्यम लक सांिर् िोहर्न को र्ुम्िी राजा मिाराजा की संर्ान राज करन
वाला राजकुाँवर आव। जसो की फलदान अन हबजोरा को िाना मा िावर्
िोहर्न ।
(1)-- कोन िााँव की आई बरार्
अयोध्या िााँव की आई बरार्
झलमा पदात की आई िुडुर
लोखंड की असकुड़ माय हकस धूर।
बैल जुपीसेर् धवल पवन
धुरकोरी बसी सेर् राजकुाँवर
अपरी माय का आर्ीन बार
िाथ मा धरी सेर् ढाल र्लवार।
(2) िााँव को आखर पर आमा की अमराई।
विााँ उर्रयो राजा को रनवास।
राजा को रनवास खेल से िोटी।
हपर्ा सोप अपरी बेटी।
(3) -- सोहनया ची आढ़नी भौर ठाट।
चल ओ बाई जेवन ला दूध का भार्।
3. पोवार समाज को जागरण
बटकी को दूध भार् बटकी मा रह्यो।
राजकुाँवर परनू आयो हपर्ा बेटी सोपन लियो।
(4) --राजा जनक बोलर्ो भयो बुलाओ िााँव को भाली।
आईन िमरा सजन समधी करो पाय पानी।
असा िमारा हबह्या िोली छटी बारसा परिा अन दरन कुटन का िाना
हिनमा लिर् सा उदािरण हमल जािेर् की िमी राज करन वाला राजा
मिाराजा की संर्ान आजन।
(2) -- संस्कार -- संस्कार पररवार की प्रमुख जरूर आय। संस्काररर्
पररवार अन समाज िी सभ्य अन शाहलन किलायो जासे।
संस्कार कोई वस्र्ु नोिोय जो हक पररवार की जरुरर् को अनुसार बजार
लक लेयकर आन लेबो।
संस्कार हमल सेर्ीन रीहर् ररवाज नेि दस्र्ूर परम्परा मानहबन्दू आदशत र्ीज
त्यौिार िीर् िाना कथा किानी अन िमारा धाहमतक ग्रंथ लक।
जसो हक िमारा हबह्या को िीर् मा नवरदेव सार िोसे र्ब िाव सेर्।
(1) --नवरदेव भाऊ सार िोसे
माय आड़वी िोसे।
देजो बार देजो बार
मोरो दूध को दाम।
जोड़ी जीर्कर आिाँ माय
4. पोवार समाज को जागरण
देिाँ र्ोरो दूध को दाम।
िमारा पारंपररक िीर् िाना मा िी स्वाहभमान संस्कार पहिचान अन
इहर्िास छुपी से।
हफर लक हवरासर् ला अमल ला आनन की जरुरर् से अन िमारा रीहर्
ररवाज नेि दस्र्ूर र्ीज त्यौिार परम्परा पर शोधकर हफरलक चलन मा
आनन की जरुरर् से र्ब जाय के पररवार अन समाज संस्काररर् िोये।
(3)-- पभिचान --कोई भी जाहर् समाज वित सम्प्रदाय की पहिचान
एकमाि वोकी बोली िोसे।
पोवार समाज ला अपरी बोली ला हफर लक चलन मा आनन को भािीरथ
प्रयास करन की जरूरर् से। यि बार् िमला इजराइली यिहदयों लक
सीखन की जरूरर् से जो हक िजारो साल परर्ंि अन दुहनया मा हर्र्र
हबर्र रविन को बाद भी अपरी हिब्रू भाषा ला निी भूलीन अन िजारो
साल बाद भी अपरी मार्ृभूहम इज़राइल ला
पायकर दुहनया मा अपरो परचम लिराय रिी सेर्ीन।
(4) -शभि -- दुहनया मा शहिशाली की िी पूजा िोसे। कमजोर केर्रो च
अच्छो रह्व वोहक पूजा निी िोय।
चािे कोई व्यहि समाज वित या राष्ट्र िोय। शहिशाली की पूजा िोसे।
येको लाई आज पोवार समाजला शहिशाली बनावन की जरूरर् से
।कलयुि मा संिठन ला शहि कह्यो िई से। संघै शहि कलयुिे।
5. पोवार समाज को जागरण
आज पोवार समाज ला भी पारा टोला मोिल्ला िााँव निर र्ालुका
हजला प्रांर् राष्ट्र अन अन्र्रातष्ट्रीय स्र्र र्क संिठन एक बैनर या झंडा
खाल्या करन की शि जरुरर् से।
हसवनी हजला मा िााँव र्ालुका लक हजला स्र्र र्क वररष्ठ महिला युवा
कायतकाररणी िहठर् कर उपरोि चारी (4) हबन्दू पर काम चल रिी से।
िमरो हवश्वास से हक येन हबन्दुओं को आधार पर पोवार समाज परम
वैभव ला प्रार् कर भारर्मार्ा ला परमवैभव को पद पर आसीन करबो।
धन्यवाद।
जय राजा भोज जय भारर् मार्ा।
कोमलप्रसाद रािँगडाले कल्याणपुर धारनाकलाँ तिसील
बरघाट भजला भसवनी म प्र।