2. उद्देश्य
1. विद्यार्थी अक्षर ों ि इविहास
लेखन क
े महत्व क जानेंगे।
2.विद्यावर्थिय ों क वलवप का
ज्ञान ह गा।
3.मानि विकास में अक्षर ों
की भूवमका क विद्यार्थी
समझने की क विि करेंगे।
4.विद्यार्थी अक्षर विविधिा क
समझेंगे।
5.विद्यार्थी पृथ्वी की उत्पवि
एिों जीि जोंिुओों क
े उत्पवि
क
े सोंबोंध में जानेंगे।
3. पाठ का साराोंि
लेखक गुणाकर मुले ने इस वनबोंध क
े माध्यम से हमेंअक्षर ों क
े
इविहास और उनकी हमारे जीिन में उपय वगिा क
े विषय में बिाया है। इस
सोंसार में अब िक कर ड ों पुस्तक
ें छप चुकी हैं और हजार ों पुस्तक
ें और पत्र
पवत्रकाएों प्रविविन छपिी हैं ।इन सबक
े मूल में अक्षर है। यवि यह अक्षर नहीों ह िे
ि आज इस सोंसार का क्या हाल ह िा इसका अोंिाजा लगाना भी मुश्किल है।
प्रागैविहावसक काल िह समय है जब मनुष्य ने सबसे पहले वचत्र ों क
े माध्यम से
अपने भाि ों क व्यक्त वकया वचत्र सोंक
े ि ों क
े बाि भाि सोंक
े ि अश्कस्तत्व में आए
मनुष्य ने सबसे पहले िृि और वकरण ों क
े माध्यम से अपने भाि ों क व्यक्त
करना आरोंभ वकया धीरे-धीरे उसने इन वचत्र और भाि सोंक
े ि ों का विकास करिे
करिे अक्षर ों की ख ज की अक्षर ों की ख ज क अभी मुश्किल से 6000 साल।
हुए हैं।
अक्षर की ख ज मनुष्य की। सबसे बडी ख ज है इसी क
े माध्यम से एक पीढी का
ज्ञान िू सरी पीढी िक पहुोंचिा है। अक्षरा और उन से बनी वलवपय ों का हमारे
जीिन में बहुि महत्व है। इसवलए हम सभी क अक्षर ों की कहानी का ज्ञान ह ना
आिश्यक है
4. िब्दक ि
िािाि - सोंख्या
मूल - आधार
अनावि काल - वजसका आरम्भ न ह
प्रागैविहावसक - इविहास से पहले का समय
िृि - ग ला
ध्य िक - बिाने िाली
वनरोंिरिा- वनरोंिरिा
कौम - जावि, राष्ट्र
वलवप - अक्षर ों का वलश्कखि रूप
पीढी - िोंिज
सभ्य - उन्नि
युग - काल , समय
व्यक्त - प्रकट
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24. गृहकायि
1. पाठ क
े आधार पर बिाइए वक मनुष्य में अक्षर ों की ख ज
क
ै से की ह गी?
2.अक्षर ों की ख ज ह ने से नए युग की िुरुआि क
ै से हुई?
3.यवि अक्षर ों की ख ज ना हुई ह िी ि आज की िुवनया का
स्वरूप क
ै सा ह िा है?
4.अक्षर ों की ख ज से पहले प्रागैविहावसक काल क
े मनुष्य क
े
सामने क्या क्या कवठनाइयाों आिी रही ह ोंगी?
5.अक्षर ों की ख ज क
े विषय में पुरानी ल ग ों का क्या मानना
र्था?