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CLASS :- VII
Subject: Hindi
CHAPTER :-1
हम पंछी उन्मुक्त गगन क
े
हम पंछी उन्मुक्त गगन क
े
पपंजरबद्ध न गा पाएँ गें,
कनक-तीपिय ं से टकराकर
पुिपकत पंख टू ट जाएँ गें।
हम बहता जि पीनेवािे
मर जाएँ गें भूखे-प्यासे,
कहीं भिी है कटुक पनबौरी
कनक-कट री की मैदा से।
स्वर्ण- शंखिा क
े बंधन में
अपनी गपत, उड़ान सब भूिे,
बस सपन ं में देख रहे हैं
तरु की फ
ु नगी पर क
े झूिे।
ऐसे थे अरमान पक उड़ते
नीिे नभ की सीमा पाने,
िाि पकरर्-सी च ंच ख ि
चुगते तारक-अनार क
े दाने।
ह ती सीमाहीन पिपतज से
इन पंख ं की ह ड़ा-ह ड़ी,
या त पिपतज पमिन बन जाता
या तनती साँस ं की ड री।
नीड़ न द , चाहे टहनी का
आश्रय पछन्न-पभन्न कर डाि ,
िेपकन पंख पदए हैं त
आक
ु ि उड़ान में पवघ्न न डाि ।
LEARNING OUTCOMES & GOALS
 स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारर् क
े साथ पठन िमता का पवकास|
 कपवता में प्रयुक्त ियबद्ध शब् ं का ज्ञान |
 स्वतंत्रता का महत्व|
 अपधकार ं एवं कतणव् ं क
े मध्य समझ पवकपसत करना|
 पपिय ं क
े प्रपत प्रेम जागृत करना|
प्रश्न अभ्यास
कपवता से
1.हर तरह की सुख सुपवधाएँ पाकर भी पिी पपंजरे में बंद
क् ं नहीं रहना चाहते?
2.पिी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी
करना चाहते हैं?
3.भाव स्पष्ट कीपजए-
या त पिपतज पमिन बन जाता / या तनती साँस ं की ड री।
कपवता से आगे
1.बहुत से ि ग पिी पािते हैं-
(क) पपिय ं क पािना उपचत है अथवा नहीं? अपने पवचार
पिखखए।
(ख) क्ा आपने या आपकी जानकारी में पकसी ने कभी क ई
पिी पािा है? उसकी देखरेख पकस प्रकार की जाती ह गी,
पिखखए।
2.पपिय ं क पपंजरे में बंद करने से क
े वि उनकी आजादी का
हनन ही नहीं ह ता, अपपतु पयाणवरर् भी प्रभापवत ह ता है। इस
पवषय पर दस पंखक्तय ं में अपने पवचार पिखखए।अनुमान और
कल्पना
1.क्ा आपक िगता है पक मानव की वतणमान जीवन-
शैिी और शहरीकरर् से जुड़ी य जनाएँ पपिय ं क
े पिए
घातक हैं? पपिय ं से रपहत वातावरर् में अनेक समस्याएँ
उत्पन्न ह सकती हैं। इन समस्याओं से बचने क
े पिए हमें
क्ा करना चापहए? उक्त पवषय पर वाद-पववाद
प्रपतय पगता का आय जन कीपजए।
2.यपद आपक
े घर क
े पकसी स्थान पर पकसी पिी ने
अपना आवास बनाया है और पकसी कारर्वश आपक
अपना घर बदिना पड़ रहा है त आप उस पिी क
े पिए
पकस तरह क
े प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे? पिखखए।
भाषा की बात
1.स्वर्ण-श्रृंखिा और िाि पकरर्-सी में रेखांपकत शब्
गुर्वाचक पवशेषर् हैं। कपवता से ढूँढ़कर इस प्रकार क
े
तीन और उदाहरर् पिखखए।
2.‘भूखे-प्यासे’ में द्वंद्व समास है। इन द न ं शब् ं क
े बीच
िगे पचह्न क सामापसक पचह्न (-) कहते हैं। इस पचह्न से
‘और’ का संक
े त पमिता है, जैसे- भूखे-प्यासे=भूखे और
प्यासे।
इस प्रकार क
े दस अन्य उदाहरर् ख जकर पिखखए।
उत्तर
 1. हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी वपिंजरे में बिंद
क्यिं नहीिं रहना चाहते?
 उत्तर:- पिी क
े पास पपंजरे क
े अंदर वे सारी सुख सुपवधाएँ है
ज एक सुखी जीवन जीने क
े पिए आवश्यक ह ती हैं, परन्तु हर
तरह की सुख-सुपवधाएँ पाकर भी पिी पपंजरे में बंद नहीं रहना
चाहते क् ंपक उन्हें बंधन नहीं अपपतु स्वतंत्रता पसंद है। वे त
खुिे आकाश में ऊ
ँ ची उड़ान भरना, बहता जि पीना, कड़वी
पनबौररयाँ खाना ही पसंद करते हैं। .
 2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना
चाहते हैं?
 उत्तर:- पिी उन्मुक्त ह कर वन ं की कड़वी पनब ररयाँ खाना, खुिे
और पवस्तृत आकाश में उड़ना, नपदय ं का शीति जि पीना, पेड़
की सबसे ऊ
ँ ची टहनी पर झूिना और पिपतज से पमिन करने की
इच्छाओं क पूरी करना चाहते हैं।
 4.1 बहुत से लयग पक्षी पालते हैं –
पवक्षययिं कय पालना उवचत है अथिा नहीिं? अपना विचार
वलखखए।
 उत्तर:- मेरे अनुसार पपिय ं क पािना पबल्क
ु ि भी उपचत नहीं है
क् ंपक ईश्वर ने उन्हें उड़ने क
े पिए पंख पदए हैं, त हमें उन्हें बंधन में
रखना सवणथा अनुपचत है। अपनी इच्छा से ऊ
ँ ची-से-ऊ
ँ ची उड़ान
भरना, पेड़ ं पर घ ंसिे बनाकर रहना, नदी-झरन ं का जि पीना,
फि-फ
ू ि खाना ही उनकी स्वाभापवक पशु प्रवृपि है। आप पकसी क
भी पकतना ही सुखी रखने का प्रयास करें परंतु उसक
े स्वाभापवक
पररवेश से अिग करना अनुपचत ही माना जाएगा।
 4.2 क्ा आपने या आपकी जानकारी में वकसी ने कभी
कयई पक्षी पाला? उसकी देखरेख वकस प्रकार की जाती
हयगी, वलखखए।
 उत्तर:- एक बार एक घायि कबूतर हमारे घर आ गया।
पजसकी हमने देखभाि की और उसक
े ठीक ह ने क
े बाद वह
हमारे साथ ही रहने िगा। सब घरवाि ं क
े पिए वह कौतूहि
का पवषय बन गया था। हम सब घरवािे एक नन्हें बच्चे की
तरह उसकी देखभाि करते थे। उसे र ज नहिाया जाता।
उसक
े खाने-पीने का बराबर ख्याि रखा जाता। इस प्रकार से
हम अपने पिी का पूरा ख्याि रखते थे।
 5. पवक्षययिं कय वपिंजरे में बिंद करने से क
े िल उनकी आज़ादी का हनन ही
नहीिं हयता, अवपतु पयाािरण भी प्रभावित हयता है। इस विषय पर दस
पिंखक्तययिं में अपने विचार वलखखए।
 उत्तर:- पपिय ं क पपंजर ं में बंद करने से सबसे बड़ी समस्या पयाणवरर् में
आहार श्रृंखिा असंतुपित ह जाएगी। जैसे घास क छ टे कीट खाते हैं त उन
कीट ं क पिी। यपद पिी न रहे त इन कीट ं की संख्या में वृखद्ध ह जाएगी ज
हमारी फसि ं क
े पिए उपचत नहीं है। इस कारर् पयाणवरर् असंतुपित ह
जाएगा। पिी जब फि ं का सेवन करते हैं तब बीज ं क यहाँ वहाँ पगरा देते हैं
पजसक
े फिस्वरूप नए-नए पौध ं पनपते हैं। क
ु छ पिी हमारी फ
ै िाई गंदगी
क खाते हैं पजससे पयाणवरर् साफ़ रहता है यपद ये पिी नहीं रहेंगे त
पयाणवरर् दू पषत ह जाएगा और मानव कई बीमाररय ं से ग्रस्त ह जाएगा अत:
पजस प्रकार पयाणवरर् जरुरी है, उसी प्रकार पिी भी जरुरी हैं।
 • भाषा की बात
6. स्वणा-श्रिंखला और लाल वकरण-सी में रेखािंवकत शब्द
गुणिाचक विशेषण हैं।
कविता से ढूिंढ़कर इस प्रकार क
े तीन और उदाहरण
वलखखए
 उत्तर:- पुिपकत-पंख, कटुक-पनबौरी, कनक-कट री।

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  • 2.
  • 3. CHAPTER :-1 हम पंछी उन्मुक्त गगन क े
  • 4. हम पंछी उन्मुक्त गगन क े पपंजरबद्ध न गा पाएँ गें, कनक-तीपिय ं से टकराकर पुिपकत पंख टू ट जाएँ गें। हम बहता जि पीनेवािे मर जाएँ गें भूखे-प्यासे, कहीं भिी है कटुक पनबौरी कनक-कट री की मैदा से।
  • 5.
  • 6. स्वर्ण- शंखिा क े बंधन में अपनी गपत, उड़ान सब भूिे, बस सपन ं में देख रहे हैं तरु की फ ु नगी पर क े झूिे। ऐसे थे अरमान पक उड़ते नीिे नभ की सीमा पाने, िाि पकरर्-सी च ंच ख ि चुगते तारक-अनार क े दाने।
  • 7.
  • 8. ह ती सीमाहीन पिपतज से इन पंख ं की ह ड़ा-ह ड़ी, या त पिपतज पमिन बन जाता या तनती साँस ं की ड री। नीड़ न द , चाहे टहनी का आश्रय पछन्न-पभन्न कर डाि , िेपकन पंख पदए हैं त आक ु ि उड़ान में पवघ्न न डाि ।
  • 9.
  • 10. LEARNING OUTCOMES & GOALS  स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारर् क े साथ पठन िमता का पवकास|  कपवता में प्रयुक्त ियबद्ध शब् ं का ज्ञान |  स्वतंत्रता का महत्व|  अपधकार ं एवं कतणव् ं क े मध्य समझ पवकपसत करना|  पपिय ं क े प्रपत प्रेम जागृत करना|
  • 11. प्रश्न अभ्यास कपवता से 1.हर तरह की सुख सुपवधाएँ पाकर भी पिी पपंजरे में बंद क् ं नहीं रहना चाहते? 2.पिी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं? 3.भाव स्पष्ट कीपजए- या त पिपतज पमिन बन जाता / या तनती साँस ं की ड री।
  • 12. कपवता से आगे 1.बहुत से ि ग पिी पािते हैं- (क) पपिय ं क पािना उपचत है अथवा नहीं? अपने पवचार पिखखए। (ख) क्ा आपने या आपकी जानकारी में पकसी ने कभी क ई पिी पािा है? उसकी देखरेख पकस प्रकार की जाती ह गी, पिखखए। 2.पपिय ं क पपंजरे में बंद करने से क े वि उनकी आजादी का हनन ही नहीं ह ता, अपपतु पयाणवरर् भी प्रभापवत ह ता है। इस पवषय पर दस पंखक्तय ं में अपने पवचार पिखखए।अनुमान और कल्पना
  • 13. 1.क्ा आपक िगता है पक मानव की वतणमान जीवन- शैिी और शहरीकरर् से जुड़ी य जनाएँ पपिय ं क े पिए घातक हैं? पपिय ं से रपहत वातावरर् में अनेक समस्याएँ उत्पन्न ह सकती हैं। इन समस्याओं से बचने क े पिए हमें क्ा करना चापहए? उक्त पवषय पर वाद-पववाद प्रपतय पगता का आय जन कीपजए। 2.यपद आपक े घर क े पकसी स्थान पर पकसी पिी ने अपना आवास बनाया है और पकसी कारर्वश आपक अपना घर बदिना पड़ रहा है त आप उस पिी क े पिए पकस तरह क े प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे? पिखखए।
  • 14. भाषा की बात 1.स्वर्ण-श्रृंखिा और िाि पकरर्-सी में रेखांपकत शब् गुर्वाचक पवशेषर् हैं। कपवता से ढूँढ़कर इस प्रकार क े तीन और उदाहरर् पिखखए। 2.‘भूखे-प्यासे’ में द्वंद्व समास है। इन द न ं शब् ं क े बीच िगे पचह्न क सामापसक पचह्न (-) कहते हैं। इस पचह्न से ‘और’ का संक े त पमिता है, जैसे- भूखे-प्यासे=भूखे और प्यासे। इस प्रकार क े दस अन्य उदाहरर् ख जकर पिखखए।
  • 15. उत्तर  1. हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी वपिंजरे में बिंद क्यिं नहीिं रहना चाहते?  उत्तर:- पिी क े पास पपंजरे क े अंदर वे सारी सुख सुपवधाएँ है ज एक सुखी जीवन जीने क े पिए आवश्यक ह ती हैं, परन्तु हर तरह की सुख-सुपवधाएँ पाकर भी पिी पपंजरे में बंद नहीं रहना चाहते क् ंपक उन्हें बंधन नहीं अपपतु स्वतंत्रता पसंद है। वे त खुिे आकाश में ऊ ँ ची उड़ान भरना, बहता जि पीना, कड़वी पनबौररयाँ खाना ही पसंद करते हैं। .
  • 16.  2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?  उत्तर:- पिी उन्मुक्त ह कर वन ं की कड़वी पनब ररयाँ खाना, खुिे और पवस्तृत आकाश में उड़ना, नपदय ं का शीति जि पीना, पेड़ की सबसे ऊ ँ ची टहनी पर झूिना और पिपतज से पमिन करने की इच्छाओं क पूरी करना चाहते हैं।  4.1 बहुत से लयग पक्षी पालते हैं – पवक्षययिं कय पालना उवचत है अथिा नहीिं? अपना विचार वलखखए।  उत्तर:- मेरे अनुसार पपिय ं क पािना पबल्क ु ि भी उपचत नहीं है क् ंपक ईश्वर ने उन्हें उड़ने क े पिए पंख पदए हैं, त हमें उन्हें बंधन में रखना सवणथा अनुपचत है। अपनी इच्छा से ऊ ँ ची-से-ऊ ँ ची उड़ान भरना, पेड़ ं पर घ ंसिे बनाकर रहना, नदी-झरन ं का जि पीना, फि-फ ू ि खाना ही उनकी स्वाभापवक पशु प्रवृपि है। आप पकसी क भी पकतना ही सुखी रखने का प्रयास करें परंतु उसक े स्वाभापवक पररवेश से अिग करना अनुपचत ही माना जाएगा।
  • 17.  4.2 क्ा आपने या आपकी जानकारी में वकसी ने कभी कयई पक्षी पाला? उसकी देखरेख वकस प्रकार की जाती हयगी, वलखखए।  उत्तर:- एक बार एक घायि कबूतर हमारे घर आ गया। पजसकी हमने देखभाि की और उसक े ठीक ह ने क े बाद वह हमारे साथ ही रहने िगा। सब घरवाि ं क े पिए वह कौतूहि का पवषय बन गया था। हम सब घरवािे एक नन्हें बच्चे की तरह उसकी देखभाि करते थे। उसे र ज नहिाया जाता। उसक े खाने-पीने का बराबर ख्याि रखा जाता। इस प्रकार से हम अपने पिी का पूरा ख्याि रखते थे।
  • 18.  5. पवक्षययिं कय वपिंजरे में बिंद करने से क े िल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीिं हयता, अवपतु पयाािरण भी प्रभावित हयता है। इस विषय पर दस पिंखक्तययिं में अपने विचार वलखखए।  उत्तर:- पपिय ं क पपंजर ं में बंद करने से सबसे बड़ी समस्या पयाणवरर् में आहार श्रृंखिा असंतुपित ह जाएगी। जैसे घास क छ टे कीट खाते हैं त उन कीट ं क पिी। यपद पिी न रहे त इन कीट ं की संख्या में वृखद्ध ह जाएगी ज हमारी फसि ं क े पिए उपचत नहीं है। इस कारर् पयाणवरर् असंतुपित ह जाएगा। पिी जब फि ं का सेवन करते हैं तब बीज ं क यहाँ वहाँ पगरा देते हैं पजसक े फिस्वरूप नए-नए पौध ं पनपते हैं। क ु छ पिी हमारी फ ै िाई गंदगी क खाते हैं पजससे पयाणवरर् साफ़ रहता है यपद ये पिी नहीं रहेंगे त पयाणवरर् दू पषत ह जाएगा और मानव कई बीमाररय ं से ग्रस्त ह जाएगा अत: पजस प्रकार पयाणवरर् जरुरी है, उसी प्रकार पिी भी जरुरी हैं।
  • 19.  • भाषा की बात 6. स्वणा-श्रिंखला और लाल वकरण-सी में रेखािंवकत शब्द गुणिाचक विशेषण हैं। कविता से ढूिंढ़कर इस प्रकार क े तीन और उदाहरण वलखखए  उत्तर:- पुिपकत-पंख, कटुक-पनबौरी, कनक-कट री।