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पापा खो गए (नाटक)
विजय तेंदुलकर (नाटककार)
पापा खो गए
पात्र – विजली का खंभा, नाचनेिाली लड़की,
पेड़, लैटरिक्स, आदमी, कौआ
सजीि पात्र – कौआ |
वनजीि पात्र – विजली का खंभा, पेड़, लैटरिक्स,
नाचनेिाली लड़की |
विधा – नाटक
‘पापा खो गए’ विजय तेंदुलकर द्वारा रवचत नाटक है |
इसमें एक िच्ची को चोर उठाकर एक स्थान पर
विपा देता है| िहााँ पर उपस्स्थत लैटरिक्स, खंभा,
पेड़, कौआ आवद वमलकर अपनी सुझिुझ से उस
लड़की को िचा लेते हैं| पाठ यह संदेश देता है वक
वमत्रता ि एकता ऐसे भाि हैं, वजनसे असंभि कायय
को भी संभि िनाया जा सकता है |
प्रस्तुवत – िी. एस. चौहान
धन्यिाद!

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  • 1. पापा खो गए (नाटक) विजय तेंदुलकर (नाटककार)
  • 2. पापा खो गए पात्र – विजली का खंभा, नाचनेिाली लड़की, पेड़, लैटरिक्स, आदमी, कौआ सजीि पात्र – कौआ | वनजीि पात्र – विजली का खंभा, पेड़, लैटरिक्स, नाचनेिाली लड़की | विधा – नाटक
  • 3. ‘पापा खो गए’ विजय तेंदुलकर द्वारा रवचत नाटक है | इसमें एक िच्ची को चोर उठाकर एक स्थान पर विपा देता है| िहााँ पर उपस्स्थत लैटरिक्स, खंभा, पेड़, कौआ आवद वमलकर अपनी सुझिुझ से उस लड़की को िचा लेते हैं| पाठ यह संदेश देता है वक वमत्रता ि एकता ऐसे भाि हैं, वजनसे असंभि कायय को भी संभि िनाया जा सकता है |
  • 4. प्रस्तुवत – िी. एस. चौहान धन्यिाद!