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कृ तिका- माटी वाली
द्वारा लेखक ‘ववद्यासागर नौटटयाल ‘
*
* ववद्यासागर नौटटयाल
समसामतयक कथा-लेखक का जन्म माली
देवल गााँव (टटहरी गढ़वाल, उत्तराांचल) में
हुआ और उच्च शिक्षा वाराणसी से।
पहाडी जीवन वविेषकर टटहरी गढ़वाल के
जीवन-य़थाथथ के कु िल चचिेरे नौटटय़ाल जी
की कथा-भाषा में शमट्टी की सौधीां गांध रची
बसी है।
प्रमुख कृ तिय़ााँ - टटहरी की कहातनय़ााँ, सुच्ची
डोर, उलझे ररश्िे सूरज सबका है, उत्तर बाय़ााँ
है, मोहन गािा जाएगा।
पाठ - माटी वाली
फिर अपनी रसोई में घुस गई ।
*
1. 'िहर वासी शसिथ माटी वाली को नहीां, उसके कां टर को भी अच्छी िरह
पहचानिे हैं।' आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जजनके रहिे 'माटी
वाली' को सब पहचानिे थे?
उत्तर- शहर वासी माटी वाली तथा उसके कं टर को इसललए जानते होंगे क्योंकक पूरे
टटहरी शहर में के वल वही अके ली माटी वाली थी | उसका कोई प्रततयोगी नहीं था
| वही सबके घरों में लीपने वाली लाल लमट्टी टिया करती थी | लाल लमट्टी की
सबको ज़रूरत थी | इसललए सभी उसे जानते थे तथा उसके ग्राहक थे | वह
पपछले अनेक वर्षों से शहर की सेवा कर रही थी | इस कारण स्वाभापवक रूप से
सभी लोग उसे जानते थे | माटी वाली की गरीबी, फटेहाली और बेचारगी भी
उसकी पहचान का एक कारण रही होगी |
3. 'भूख मीठी फक भोजन मीठा' से क्या अशभप्राय है?
उत्तर- इस बात का आशय है जब मनुष्य भूखा होता है तो उस भूख के कारण उसे बासी
रोटी भी मीठी लगती है। यटि मनुष्य को भूख न हो तो उसे कु छ भी स्वाटिष्ट भोजन या
खाने की वस्तु िे िी जाए तो वह उसमें नुक्स तनकाल ही िेता है। परन्तु भूख लगने पर
साधारण खाना या बासी खाना भी उसे स्वाटिष्ट व मीठा लगेगा। इसललए बुज़ुगों ने कहा
है - भूख मीठी की भोजन मीठा। अथाात् भूख स्वयं में ही लमठास होती है जो भोजन में
भी लमठास उत्पन्न कर िेती है।
4. 'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हाशसल की गयी चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा
टदल गवाही नहीां देिा।' - मालफकन के इस कथन के आलोक में ववरासि के बारे में
अपने ववचार व्यक्ि कीजजए।
उत्तर- पीटियों से चली आ रही धरोहर ही हमारी पवरासत है। यह अमूल्य है। इसका
मूल्य रुपये-पैसों में नहीं आँका जा सकता। इसे संभालकर रखना चाटहए। कु छ लोग
स्वाथा वश इसे औने-पौने िामों में बेच िेते हैं, जो कभी भी उचचत नहीं है। हमें इनके
पीछे तछपी भावना को समझना चाटहए। यह हमारे पूवाजों की धरोहर है जजसे संभालकर
रखना हमारा कताव्य है। यहीं धरोहर ककसी टिन हमारे ललए गवा का पवर्षय बन जाता
है।
5. माटी वाली का रोटटयों का इस िरह टहसाब लगाना उसकी फकस मजबूरी को प्रकट
करिा है?
उत्तर- माटी वाली का रोटटयों का टहसाब लगाना उसकी गरीबी और आवश्यकता की
मजबूरी को प्रकट करता है| वह इस प्रकार की मजिूरी करती है कक उससे उसका
जीवन-तनवााह होना तक कटठन हो जाता है| इससे यह भी पता चलता है कक उन रोटटयों
से उसे के वल अपना ही नहीं, बजल्क अपने बूिे पतत का भी पेट भरना पड़ता है|
6. 'आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटटयााँ नहीां देगी।' - इस कथन के आधार पर माटी
वाली के ह्रदय के भावों को अपने िब्दों में शलखखए।
उत्तर- माटी वाली का उसके पतत के अलावा अन्य कोई नहीं है। िूसरे उसका पतत
अत्यचधक वृद्ध होने के कारण बीमाररयों से ग्रस्त है, उसका लीवर खराब होने के कारण
उसका पाचन तंत्र भी भली-भाँतत से काम नहीं करता है। इसललए वह तनणाय लेती है कक
वह बाज़ार से प्याज लेकर जायेगा व रोटी को रुखा िेने के बजाय उसको प्याज की सब्जी
बनाकर रोटी के साथ िेगी इससे उसका असीम प्रेम झलकता है कक वह उसका इतना
ध्यान रखती है कक उसे रुखी रोटटयाँ नहीं िेना चाहती।
7. गरीब आदमी का श्मिान नहीां उजडना चाटहए। इस कथन का आिय स्पष्ट कीजजए।
उत्तर- गरीब आिमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाटहए - इस कथन का आशय यह है कक
ग़रीबों के रहने का आसरा नहीं तछनना चाटहए। माटी वाली जब एक टिन मजिूरी करके
घर पहुँचती है तो उसके पतत की मृत्यु हो चुकी होती है। अब उसके सामने पवस्थापन से
ज्यािा पतत के अंततम संस्कार की चचंता होती है, बाँध के कारण सारे श्मशान पानी में डूब
चुके होते हैं। उसके ललए घर और श्मशान में कोई अंतर नहीं रह जाता है। इसी िुुःख के
आवेश में वह यह वाक्य कहती है।
8. 'ववस्थापन की समस्या' पर एक अनुच्छेद शलखखए।
उत्तर - भारत जजस रफ्तार से 'पवकास' और आचथाक लाभ की िौड़ में भाग ले रहा है उसी
भागमभाग में शहरों और गाँवों में हालशए पर रह रहे लोगों को पवस्थापन नाम की समस्या
को झेलना पड़ रहा है और जो भी थोड़ा बहुत सामान या अन्य वस्तु उनके पास हैं वो सब
उनसे तछन जाता है। बबजली व पानी आटि अन्य समस्याओं से जूझने के ललए नटियों पर
बनाए गए बाँध द्वारा उत्पन्न पवस्थापन सबसे बड़ी समस्या आई है। सरकार उनकी ज़मीन
और रोजी रोटी को तो छीन लेती है पर उन्हें पवस्थापपत करने के नाम पर अपने कताव्यों से
ततलांजलल िे िेते हैं। कु छ करते भी हैं तो वह लोगों के घावों पर तछड़के नमक से ज़्यािा
कु छ नहीं होता। भारत की िोनों अिालतों ने भी इस पर चचंता जताई है। इसके कारण जनता
में आक्रोश की भावना ने जन्म ललया है। टटहरी बाँध इस बात का ज्वलंत उिाहरण है। लोग
पुराने टटहरी को नहीं छोड़ना चाहते थे। इसके ललए ककतने ही पवरोध हुए, जूलूस तनकाले गए
पर सरकार के िबाव के कारण उन्हें नए टटहरी में पवस्थापपत होना पड़ा। अपने पूवाजों की
उस पवरासत को छोड़कर जाने में उन्हें ककस िूुःख से गुजरना पड़ा होगा उस वेिना को वही
जानते हैं। सरकार को चाटहए कक इस पवर्षय में गंभीरता से सोचे व पवस्थापन की जस्थतत न
आए ऐसे काया करने चाटहए।
*

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हिंदी परियोजना कार्य

  • 1. कृ तिका- माटी वाली द्वारा लेखक ‘ववद्यासागर नौटटयाल ‘ *
  • 2. * ववद्यासागर नौटटयाल समसामतयक कथा-लेखक का जन्म माली देवल गााँव (टटहरी गढ़वाल, उत्तराांचल) में हुआ और उच्च शिक्षा वाराणसी से। पहाडी जीवन वविेषकर टटहरी गढ़वाल के जीवन-य़थाथथ के कु िल चचिेरे नौटटय़ाल जी की कथा-भाषा में शमट्टी की सौधीां गांध रची बसी है। प्रमुख कृ तिय़ााँ - टटहरी की कहातनय़ााँ, सुच्ची डोर, उलझे ररश्िे सूरज सबका है, उत्तर बाय़ााँ है, मोहन गािा जाएगा।
  • 4. फिर अपनी रसोई में घुस गई ।
  • 5.
  • 6.
  • 7.
  • 8.
  • 9. * 1. 'िहर वासी शसिथ माटी वाली को नहीां, उसके कां टर को भी अच्छी िरह पहचानिे हैं।' आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जजनके रहिे 'माटी वाली' को सब पहचानिे थे? उत्तर- शहर वासी माटी वाली तथा उसके कं टर को इसललए जानते होंगे क्योंकक पूरे टटहरी शहर में के वल वही अके ली माटी वाली थी | उसका कोई प्रततयोगी नहीं था | वही सबके घरों में लीपने वाली लाल लमट्टी टिया करती थी | लाल लमट्टी की सबको ज़रूरत थी | इसललए सभी उसे जानते थे तथा उसके ग्राहक थे | वह पपछले अनेक वर्षों से शहर की सेवा कर रही थी | इस कारण स्वाभापवक रूप से सभी लोग उसे जानते थे | माटी वाली की गरीबी, फटेहाली और बेचारगी भी उसकी पहचान का एक कारण रही होगी |
  • 10. 3. 'भूख मीठी फक भोजन मीठा' से क्या अशभप्राय है? उत्तर- इस बात का आशय है जब मनुष्य भूखा होता है तो उस भूख के कारण उसे बासी रोटी भी मीठी लगती है। यटि मनुष्य को भूख न हो तो उसे कु छ भी स्वाटिष्ट भोजन या खाने की वस्तु िे िी जाए तो वह उसमें नुक्स तनकाल ही िेता है। परन्तु भूख लगने पर साधारण खाना या बासी खाना भी उसे स्वाटिष्ट व मीठा लगेगा। इसललए बुज़ुगों ने कहा है - भूख मीठी की भोजन मीठा। अथाात् भूख स्वयं में ही लमठास होती है जो भोजन में भी लमठास उत्पन्न कर िेती है।
  • 11. 4. 'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हाशसल की गयी चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा टदल गवाही नहीां देिा।' - मालफकन के इस कथन के आलोक में ववरासि के बारे में अपने ववचार व्यक्ि कीजजए। उत्तर- पीटियों से चली आ रही धरोहर ही हमारी पवरासत है। यह अमूल्य है। इसका मूल्य रुपये-पैसों में नहीं आँका जा सकता। इसे संभालकर रखना चाटहए। कु छ लोग स्वाथा वश इसे औने-पौने िामों में बेच िेते हैं, जो कभी भी उचचत नहीं है। हमें इनके पीछे तछपी भावना को समझना चाटहए। यह हमारे पूवाजों की धरोहर है जजसे संभालकर रखना हमारा कताव्य है। यहीं धरोहर ककसी टिन हमारे ललए गवा का पवर्षय बन जाता है। 5. माटी वाली का रोटटयों का इस िरह टहसाब लगाना उसकी फकस मजबूरी को प्रकट करिा है? उत्तर- माटी वाली का रोटटयों का टहसाब लगाना उसकी गरीबी और आवश्यकता की मजबूरी को प्रकट करता है| वह इस प्रकार की मजिूरी करती है कक उससे उसका जीवन-तनवााह होना तक कटठन हो जाता है| इससे यह भी पता चलता है कक उन रोटटयों से उसे के वल अपना ही नहीं, बजल्क अपने बूिे पतत का भी पेट भरना पड़ता है|
  • 12. 6. 'आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटटयााँ नहीां देगी।' - इस कथन के आधार पर माटी वाली के ह्रदय के भावों को अपने िब्दों में शलखखए। उत्तर- माटी वाली का उसके पतत के अलावा अन्य कोई नहीं है। िूसरे उसका पतत अत्यचधक वृद्ध होने के कारण बीमाररयों से ग्रस्त है, उसका लीवर खराब होने के कारण उसका पाचन तंत्र भी भली-भाँतत से काम नहीं करता है। इसललए वह तनणाय लेती है कक वह बाज़ार से प्याज लेकर जायेगा व रोटी को रुखा िेने के बजाय उसको प्याज की सब्जी बनाकर रोटी के साथ िेगी इससे उसका असीम प्रेम झलकता है कक वह उसका इतना ध्यान रखती है कक उसे रुखी रोटटयाँ नहीं िेना चाहती। 7. गरीब आदमी का श्मिान नहीां उजडना चाटहए। इस कथन का आिय स्पष्ट कीजजए। उत्तर- गरीब आिमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाटहए - इस कथन का आशय यह है कक ग़रीबों के रहने का आसरा नहीं तछनना चाटहए। माटी वाली जब एक टिन मजिूरी करके घर पहुँचती है तो उसके पतत की मृत्यु हो चुकी होती है। अब उसके सामने पवस्थापन से ज्यािा पतत के अंततम संस्कार की चचंता होती है, बाँध के कारण सारे श्मशान पानी में डूब चुके होते हैं। उसके ललए घर और श्मशान में कोई अंतर नहीं रह जाता है। इसी िुुःख के आवेश में वह यह वाक्य कहती है।
  • 13. 8. 'ववस्थापन की समस्या' पर एक अनुच्छेद शलखखए। उत्तर - भारत जजस रफ्तार से 'पवकास' और आचथाक लाभ की िौड़ में भाग ले रहा है उसी भागमभाग में शहरों और गाँवों में हालशए पर रह रहे लोगों को पवस्थापन नाम की समस्या को झेलना पड़ रहा है और जो भी थोड़ा बहुत सामान या अन्य वस्तु उनके पास हैं वो सब उनसे तछन जाता है। बबजली व पानी आटि अन्य समस्याओं से जूझने के ललए नटियों पर बनाए गए बाँध द्वारा उत्पन्न पवस्थापन सबसे बड़ी समस्या आई है। सरकार उनकी ज़मीन और रोजी रोटी को तो छीन लेती है पर उन्हें पवस्थापपत करने के नाम पर अपने कताव्यों से ततलांजलल िे िेते हैं। कु छ करते भी हैं तो वह लोगों के घावों पर तछड़के नमक से ज़्यािा कु छ नहीं होता। भारत की िोनों अिालतों ने भी इस पर चचंता जताई है। इसके कारण जनता में आक्रोश की भावना ने जन्म ललया है। टटहरी बाँध इस बात का ज्वलंत उिाहरण है। लोग पुराने टटहरी को नहीं छोड़ना चाहते थे। इसके ललए ककतने ही पवरोध हुए, जूलूस तनकाले गए पर सरकार के िबाव के कारण उन्हें नए टटहरी में पवस्थापपत होना पड़ा। अपने पूवाजों की उस पवरासत को छोड़कर जाने में उन्हें ककस िूुःख से गुजरना पड़ा होगा उस वेिना को वही जानते हैं। सरकार को चाटहए कक इस पवर्षय में गंभीरता से सोचे व पवस्थापन की जस्थतत न आए ऐसे काया करने चाटहए।
  • 14. *