गुरूदेव ब्रह्मानन्द सरस्वती आश्रम, भोपाल में वैदिक यज्ञाचार्यों से चर्चा के दौरान परमपूज्य महर्षि महेश योगी जी के प्रिय तपोनिष्ठ शिष्य ब्रह्मचारी गिरीश जी ने यज्ञों में शुद्धता पर बहुत जोर डाला। उन्होंने बताया कि ‘‘वैदिक ग्रन्थों में वर्णित वैदिक विधानों और प्रक्रियाओं के अनुसार ही यज्ञों का संपादन किया जाना चाहिए। विधान के उल्लंघन और जरा सी असावधानी, अशुद्धता या त्रुटि यजमान और यज्ञाचार्य के लिये विनाशकारी सिद्ध हो सकती है।’’
Prakritik aapadao ka karan prakriti ke niyamo ka ullanghan
Yagya ki Prakriya Atyanta Suddha Aur Vidhaan Nishchit hai
1. यज्ञ की प्रक्रिया अत्यन्त शुद्ध और क्रिधान क्रनक्रित हैं
यज्ञ क्रिधान में अशुद्धद्ध और प्रक्रिया में त्रुक्रियााँ क्रिनाशकारक हैं
गुरूदेि ब्रह्मानन्द सरस्वती आश्रम, भोपाल में िैक्रदक यज्ञाचायों से चचाा के दौरान
परमपूज्य महक्रषा महेश योगी जी के क्रप्रय तपोक्रनष्ठ क्रशष्य ब्रह्मचारी क्रगरीश जी ने यज्ञोों
में शुद्धता पर बहुत जोर डाला। उन्ोोंने बताया क्रक ‘‘िैक्रदक ग्रन्ोों में िक्रणात िैक्रदक
क्रिधानोों और प्रक्रियाओों के अनुसार ही यज्ञोों का सोंपादन क्रकया जाना चाक्रहए। क्रिधान
के उल्लोंघन और जरा सी असािधानी, अशुद्धता या त्रुक्रि यजमान और यज्ञाचाया के
क्रलये क्रिनाशकारी क्रसद्ध हो सकती है।’’
उन्ोोंने क्रचन्ता व्यक्त करते हुए कहा क्रक ‘‘हमने अनेक यज्ञोों में स्थाक्रपत यज्ञ मण्डपोों
का भ्रमण करके देखा क्रक कु छ यज्ञ मण्डप क्रिधान पूिाक नहीों बनते हैं, हिन कु ण्डोों
का आकार शास्त्रोक्त नहीों होता, सड़क चलता कोई भी व्यद्धक्त बैठकर हिन करने
लग जाता है क्रजसे क्रिधान की कोई जानकारी नहीों है, शुद्धद्ध के ऊपर ध्यान नहीों
क्रदया जाता। यज्ञ कराने िाले पोंक्रडत या आचायों का िेदोच्चारण अशुद्ध होता है,
स्वर ठीक नहीों होता है, सामग्री अशुद्ध होती है, सामग्री सड़क पर पड़ी होती है
क्रजस पर पशु बैठे होते हैं। हम क्रकसी को भोज के क्रलये आमोंक्रत्रत करें और शुद्ध
2. स्वाक्रदष्ट भोजन पकिान के स्थान पर अशुद्ध या सड़ा हुआ दुगान्धयुक्त भोजन परोसें
तो एक साधारण व्यद्धक्त भी अपशब्द कहता हुआ भोजन छोड़कर चला जायेगा।
इसी तरह हम देिताओों को आमोंक्रत्रत करें और उन्ें सक्रमधा में यूररया और अन्य
क्रिशैले उिारकोों या कीिनाशक युक्त शका रा, जौ, क्रतल, घृत आक्रद सामग्री से हिन
करें तो असीक्रमत शद्धक्त के धनी देिता क्रनक्रित रूप से कु क्रपत होकर यज्ञकताा को
दद्धण्डत करेंगे और चले जायेंगे। यज्ञ का नकारात्मक हाक्रनकारक फल होगा।’’
ब्रह्मचारी क्रगरीश ने यज्ञ आयोजकोों से करबद्ध क्रिनम्र अनुरोध क्रकया क्रक िे के िल
क्रसद्धहस्त, योग्य यज्ञ क्रिशेषज्ञोों द्वारा ही यज्ञ का सोंपादन करायें। यक्रद उनके पास
क्रिशेषज्ञ न होों तो पहले उन्ें योग्य आचायों से प्रक्रशक्रित करा लें। यक्रद सहायता की
आिश्यकता हो तो महक्रषा िेद क्रिज्ञान क्रिश्व क्रिद्यापीठम् प्रक्रशिण कराने को तैयार
है।
ब्रह्मचारी क्रगरीश ने यह भी बताया क्रक महक्रषा क्रिद्यापीठ के ब्रह्मस्थान, करौोंदी,
क्रसहोरा पररसर में 1331 िैक्रदक पोंक्रडतोों द्वारा एक पाठात्मक अक्रतरुद्र महायज्ञ क्रनत्य
सोंपाक्रदत हो रहा है। साथ ही भोपाल पररसर में अब तक 5 लिचण्डी महायज्ञ पूणा
हो चुके हैं और छठिााँ चल रहा है। महक्रषा महेश योगी जी ने अनेक िषों तक भारत
के श्रेष्ठतम और योग्य यज्ञाचायों और िैक्रदक क्रिद्वानोों के साथ सलाह करके लगभग
300 लुप्तप्राय यज्ञ क्रिधानोों को पुनःजाग्रत क्रकया और िैक्रदक पोंक्रडतोों का प्रक्रशिण
क्रकया। गौरतलब है क्रक महक्रषा िेद क्रिज्ञान क्रिद्यापीठम् िर स्ट अब तक लगभग
60,000 िैक्रदक क्रिद्वानोों, कमाकाड क्रिशेषज्ञोों, याक्रज्ञकोों का प्रक्रशिण करा चुका है
जो सम्पूणा क्रिश्व में फै ले हुए हैं और क्रिशुद्ध िैक्रदक तरीके से यज्ञानुष्ठान आक्रद
सम्पाक्रदत करते ि कराते हैं।
क्रिजय रत्न खरे
क्रनदेशक - सोंचार एिों जनसम्पका
महक्रषा क्रशिा सोंस्थान