3. चं गु मौय
लगभग 2,500 वष पूव भारत छोट-छोट गणरा य और जनपद म बँटा आ था। आंत रक कलह और पर पर
दु मनी क कारण पूरा देश िबखरता जा रहा था। शासक ऐयाशी करने और धन लुटाने म िनम न थे, अपनी सारी
िज मेदा रयाँ भूल चुक थे। कछ मह वाकां ी राजा सीमा-िव तार क अिभयान म इतने जुट थे िक जा म असंतोष
पनप रहा था। नैितकता क नाम पर राजा का अहकार िवकास क सीि़ढय को दीमक क तरह चाट रहा था। देश
का अ त व खतर म था। आिथक, सामािजक, राजनीितक, सां कितक, कला आिद े अ थरता क िशकार थे।
ऐसे म चाण य जैसे महा दाशिनक, िव ा , राजनीित , अथशा ी और रा -िहतैषी क प म महा गु और
चं गु * जैसे महा स ा का उदय आ। उ ह िदन िवदेशी श याँ भारत क ओर लगातार कदम बढ़ा रही थ ।
लेिकन इन िवषम प र थितय म चाण य क दूरदिशता काम आई और चं गु मौय ने संपूण भारत को एकता क
सू म बाँधकर नवीन भारत िक थापना िक चं गु क िपता, वंश, ज म- थान आिद को लेकर इितहासकार और
िव ान म मतभेद ह। िफर भी, माना जाता ह िक चं गु क िपता िप पिलवन गणरा य क मुख थे। वे मो रय
वंश क थे। मो रय वंश से संबंध होने क कारण चं गु क नाम क साथ ‘मौय’ जुड़ा।
जैन ंथ क अनुसार, ‘मो रय’ शा य क एक शाखा थी। जब कौसल क राजकमार िव धक ने शा य पर
आ मण िकया था, मो रय अपना मूल थान छोड़कर िप पिलवन म बस गए थे। िकवदंती ह िक इस थान पर
चुर सं या म मोर (प ी) पाए जाने क कारण उस वंश का नाम ‘मो रय’ पड़ा था। िप पिलवन मगध का सीमावत
गणरा य था। मगध उन िदन सबसे श शाली रा य था। वहाँ नंद वंश क राजा महाप नंद का शासन था।
महाप नंद मह वाकां ी राजा था। वह सीमावत गणरा य को अपने रा य म िमलाकर मगध का िव तार कर रहा
था। उ ह िदन महाप नंद ने िप पिलवन गणरा य क मुख क ह या कर िप पिलवन को अपने रा य (मगध) म
िमला िलया था। जब महाप ने िप पिलवन पर आ मण िकया था, उस समय चं गु अपनी माँ मूरा देवी क गभ
म था। मूरा िकसी तरह वहाँ से जान बचाकर भाग िनकली और अपने िपता क घर पाटिलपु आ गई। मूरा क िपता
मोर-पालक थे। जैन और बौ गं रथ से माण िमलता ह िक पाटिलपु म चं गु का ज म आ था। चं गु
क ज मकाल तक मो रय वंश का अ त व समा हो चुका था, यानी चं गु क िपता मो रय वंश क अंितम
उ रािधकारी थे।
मूरा को बालक चं गु क पालन-पोषण म किठनाइय का सामना करना पड़ा। आिथक थित डाँवाँ डोल होने से
ब े क लालन-पालन म कई तरह क मुसीबत आड़ आई। िफर अपने ब े का मनोबल न िगर, इसक िलए मूरा
उसे साहिसक कहािनयाँ सुनाया करती थी। बात -बात म अहसास कराती थी िक वह कोई साधारण बालक नह ह।
वह राजकमार ह। उसक िपता िप पिलवन क राजा थे। वह ब े म नंद वंश से ितशोध लेने क भावना े रत करती
थी। वह चं गु को अहसास िदलाती थी िक उसक िपता का ह यारा नंद वंश का राजा महाप नंद ह।
चं गु का बचपन
चं गु बचपन से ही प र मी, कशा बु और धैयवान थे। िवरासत क घु ी म माँ ने चं गु को राजकमार
होने का जो अहसास कराया था, वह उसक दय म घर कर चुका था। उधर, माँ अकसर परशान रहती थी िक ब े
का िवकास कसे हो। यथोिचत िश ा-दी ा कसे संभव हो। िकसी क सलाह पर मूरा ने चं गु को एक िशकारी
क सुपुद कर िदया। िशकारी ने चं गु को मवेशी चराने क िज मेदारी स पी।
कछ इितहासकार और िव ान का मत ह िक चं गु का बचपन मगध े म ही बीता। िकवदंती ह िक वह
4. नंद क दरबार म राज-कमचारी थे। जब उनक साथ वहाँ अभ यवहार आ तब दरबार छोड़कर भाग गए।
हालाँिक वे बचपन से ही ती बु क थे। नंद क दरबार म चं गु क होने क संदभ म इस घटना का उ ेख
िमलता ह—
िसंहल-नरश ने नंद क दरबार म िपंजर म बंद मोम का िसंह भेजा। देखने म वह -ब- जीिवत िसंह लगता था।
साथ म एक संदेश भी था, िजसम कहा गया था िक िपंजर म बंद इस शेर (िसंह) को िपंजरा खोले बगैर जो गायब
कर देगा, वह सबसे यादा बु मान और ती बु का कहलाएगा। नंद क दरबार म त धता छा गई।
चं गु ने इस काम को करने का बीड़ा उठाया। उ ह ने लोह क एक शलाका (छड़) तपाई। जब शलाका तपकर
लाल हो गई, तब उसे मोम क शेर पर रख िदया। थोड़ी ही देर म बंद िपंजर से शेर गायब हो गया।
वैसे नंद क दरबार म चं गु क होने का ठोस माण कह नह िमलता। मा कहािनय म कह -कह इसका
उ ेख ह।
चं गु गाँव क अ य वाल-बाल क साथ मवेशी चराने लगे। वे सब मवेिशय सिहत गाँव क बाहर एक चरागाह
म जाते थे। बालक चं गु अपने सािथय म सबसे होिशयार और ती बु क थे। उनक समझदारी और सभी
क साथ समान यवहार करने क कारण उ ह सभी स मान देते थे। सभी सािथय ने चं गु को अपना मुिखया मान
िलया था। वे उनक आदेश का पालन करते थे।
चाण य से मुलाकात
एक िदन क बात ह। चं गु सािथय क साथ राजा-राजा का खेल खेल रह थे। इसम वे राजा बने थे। जा बने
उनक साथी बार-बार अपनी सम या बताते थे और वे उनका समाधान करते थे। वे जमीन पर नह बैठ थे, ब क
उनक साथी ही िसंहासन बने ए थे। उनक पीठ पर बैठकर वे याय कर रह थे। संयोगवश त िशला िव ापीठ क
आचाय चाण य उधर से गुजर रह थे। ब का खेल देखकर वे क गए। वे चं गु को देखकर भािवत ए।
चं गु को देखकर उ ह लगा िक यह बालक होनहार ह। उ ह िकसी ऐसे पु ष क तलाश थी, जो नंद से बदला
लेने म उनक मदद कर सक। वे चं गु क गुण- वभाव देखकर हरान थे। एक राजा क प म चं गु अपनी
जा को अभय दान दे रह थे।
उ ह ने चं गु क परी ा लेनी चाही। पास आकर उ ह ने कहा, ‘‘ह राजन! मुझे भी कोई उपहार िमलना चािहए।’’
चं गु ने उ र िदया, ‘‘ह ा ण! आप अपनी पसंद से गाँव क कोई भी गाय ले सकते ह। मेरा वचन भंग करने
का साहस िकसी म नह ह।’’
चाण य ने मुसकराकर कहा, ‘‘म इनम से कोई गाय कसे ले सकता । मुझे उसका मािलक बेरहमी से पीट सकता
ह।’’
चं गु ने कहा, ‘‘मत ड रए। ये गाय म आपको भट करता । जो वीर ह वह पूरी दुिनया पर राज कर सकता
ह।’’
चं गु क बात से चाण य हरान थे। उ ह ने साथ म खेल रह ब से उनका प रचय पूछा। उन ब ने कहा िक
जब यह माँ क गभ म था, तभी इसक माँ ने इसे िकसी सं यासी को स प देने का संक प िकया था। चाण य ने भी
गाँव म आने का उ े य बताया। उनक बात से चं गु भी स हो गए। चाण य ने वचन िदया िक वे उसे
सचमुच का राजा बनाएँगे। चं गु उनक साथ जाने क िलए तैयार हो गए और चाण य चं गु को लेकर चल
िदए।
दूसरी तरफ कहा जाता ह िक मगध क राजा महाप नंद ने जब िप पिलवन पर आ मण कर चं गु क िपता क
5. ह या कर वहाँ अपना क जा जमा िलया था, तभी उनक माँ ने नंद वंश को न करने का संक प िलया था। जब
चं गु का ज म आ तो उ ह लगा था िक उनका संक प पूरा आ। बात -बात म वह चं गु को नंद राजा से
बदला लेने क िलए े रत करती थी। जब भी बालक चं गु अपने िपता का िज करता, वह कहती, ‘‘पु ,
तु हार िपता क ह या मगध क राजा महाप नंद ने कराई ह। तुम इसका बदला ज र लेना।’’ इस तरह चं गु क
मन म भी नंद वंश को पद-दिलत करने का िवचार आता रहता था।
त िशला और चं गु क िश ा-दी ा
आचाय चाण य क सा य म चं गु ने त िशला िव ापीठ म अ ययन आरभ िकया। त िशला पूव गंधार
रा य म थी। गंधार दो े —पूव और प मी म िवभािजत था। त िशला पूव गंधार म थी, िजसका उ रािधकारी
आंिभ था। प मी गंधार क राजधानी पु कलावती थी। वहाँ क राजा ह ती थे। ह ती वीर और वािभमानी राजा थे।
गंधार क सीमावत रा य ककय क राजा पु मह वाकां ी और बहादुर थे। उन िदन वे रा य-िव तार का
अिभयान चला रह थे। ककयराज पु ने पूव गंधार पर आ मण िकया। गंधार-नरश ने पु से संिध कर उनक
अधीनता वीकार कर ली। गंधार-नरश क पु आंिभ को यह पसंद नह था। उसक मन म ककयराज पु से बदला
लेने क भावना पनपने लगी।
उधर, प म क ओर से यवनराज िसकदर िविभ रा य पर अपना आिधप य जमाते ए आगे बढ़ रहा था।
चूँिक आंिभ क मन म ककय-नरश से ितशोध लेने क भावना बल थी, उसने ष यं रचने और िसकदर से संिध
करने का मन बनाया। वह पु को परा त करने क िलए िकसी भी हद तक जाने क ठान चुका था। इसक सूचना
जब गंधार-नरश यानी आंिभ क िपता को िमली तो वे हत भ रह गए। इसी शोक म उनका ाणांत हो गया।
चं गु क िश ा
त िशला िव ापीठ म चं गु को शा क साथ-साथ यु और शासन क िश ा दी गई। वयं चाण य वहाँ
राजनीित क आचाय थे। उनका संर ण पाकर चं गु का पूरा य व बदल गया। वे ितभाशाली और कशा
बु क तो थे ही, अतः चाण य क चहते बन गए। िव ापीठ म इस ितभाशाली िव ाथ क तूती बोलती थी।
कम ही समय म चं गु ने श -संचालन, यूह रचना, राजनीितक, सै य संचालन, राज- यव था आिद म महारत
हािसल कर ली। अपने अ ययन काल म चं गु ने राजनीितक थितय और पूर भारत क प र थितय का गहन
अ ययन िकया। उ ह ने अपने अ ययन म पाया िक भारत छोट-छोट रा य म बँटा आ ह। श शाली राजा अपने
पड़ोसी रा य पर नजर गड़ाए बैठ ह। बड़ राजा पड़ोसी छोट राजा पर हमलावर हो जाते ह। छोटी-बड़ी लड़ाइयाँ
होती रहती ह। इससे भारत क आंत रक श ीण पड़ती जा रही ह। सै य श याँ भी छटती जा रही ह। वैर-भाव
व वैमन यता भारत क जड़ कमजोर कर रह ह। ऐसे म िवदेशी हमलावर रा य-दर-रा य जीतने म सफल हो रह
ह। चं गु को िव ापीठ म भारत क इस व तु थित का गहराई से अ ययन करने का अवसर िमला था। जब
चं गु क िश ा लगभग पूरी होने को आई, उ ह िदन िवदेशी आ ांता ने िफर से भारत पर आ मण शु
कर िदया। मकदूिनया क राजा िफिलप का पु िसकदर लगातार आगे बढ़ रहा था। वह भारत को जीतकर यहाँ से
धन-संपदा लूटकर अपने देश ले जाना चाहता था। िव ापीठ क सभी िव ाथ इससे उ न थे, ऐसे म चं गु
और आचाय चाण य क न द उड़ना वाभािवक ही था।
गंधार म िसकदर का वेश
प म से उठा िसकदर नाम का तूफान िवजय ा करता आ प मी गंधार क राजधानी पु कलावती प च
6. गया। िसकदर क सेना ने पु कलावती को अपने घेर म ले िलया, लेिकन राजा ह ती ने हार नह मानी। उ ह ने
वीरता क साथ िसकदर का मुकाबला िकया; पर उनक सैिनक यादा देर तक िटक नह सक। अंत म राजा ह ती
भी अद य साहस, शौय और श का प रचय देते ए यु भूिम म ही वीरगित को ा ए।
उधर, पूव गंधार क राजा आंिभ ने िसकदर क सामने पराजय वीकार कर ली। आंिभ ने सुना था िक िसकदर
शरणागत क र ा करता ह। उसने देशिहत को ितलांजिल दे कायरता का प रचय देते ए अधीनता का वरण कर
िलया। इस कार संपूण गंधार िसकदर क मु ी म चला गया। उधर स ालोलुप आंिभ सम त वािहक ांत का
राजा बनने का सपना देख रहा था। उसक नजर ककय पर थी। वह ककयराज पु को झुका देखना चाहता था।
िसकदर ने ई.पू. 326 म िसंधु नदी को पार कर भारत म वेश िकया था। त िशला को भारत का वेश ार माना
जाता था। आंिभ क रा य पर क जा करने क बाद िसकदर ने िसंधु से िवत ता यानी झेलम नदी तक इस रा य क
सीमा को िव तार दे डाला।
पु क हार
झेलम क तटवत देश ककय क राजा पु को िसकदर ने मुलाकात करने क िलए बुलाया। पु िसकदर क चाल
समझ गया। उसने कहा िक वह यु क मैदान म िसकदर से िमलेगा, वह भी सेना क साथ। उसक बाद िसकदर
ककय रा य क तरफ आगे बढ़ा। झेलम नदी क तट पर यु आ। पु और उसक सैिनक ने िसकदर क सेना
क साथ बहादुरी से लड़ाई क । इसम िसकदर क जीत ई।
इस यु म पु क हार क पीछ कई कारण थे। पहला कारण तो यह था िक पु ने िसकदर क आ मण से
पहले सुर ा मक चाल चली। इससे िसकदर को आ मण करने का मौका पहले िमला। दूसरा, मौसम ने साथ नह
िदया। भारी बा रश क वजह से यु का मैदान क चड़ से भर गया। ऐसे म रथ क पिहये जमीन म धँसने लगे।
सैिनक क हाथ से बा रश क वजह से धनुष िफसलने लगे। तीसरा, पु क घुड़सवार सैिनक क मुकाबले िसकदर
क सैिनक यादा उपयोगी सािबत ए। साथ ही िसकदर क सेना म हाथी भी थे। चौथा, पु ने पूरी सेना को मैदान
म उतार िदया। इस मामले म िसकदर क रणनीित यादा कामयाब रही। िसकदर ने अपनी सेना को कई टकि़डय
म बाँटकर झेलम क तट पर फ ला िदया। इससे यु क दौरान सैिनक क श ीण नह ई। सेना क एक
टकड़ी थक जाती थी तो दूसरी टकड़ी उसक थान पर प च जाती थी।
पु क गु चर यह पता नह लगा पाए िक गंधार-नरश आंिभ भी यवनराज िसकदर क मदद कर रहा था।
इसिलए जब पु क वीर सेना िसकदर क अनुभवी सेना को पीछ धकल रही थी, यु िनणायक मोड़ पर प चने
वाला था, तभी गंधार नरश आंिभ क सेना वहाँ प च गई और यवन क तरफ से लड़ाई लड़ने लगी। ककयराज
क सेना पहले ही लड़ते-लड़ते थक चुक थी। आंिभ क सेना तो अभी लड़ने आई ही थी। अचानक ककयराज पु
का हाथी क चड़ म धँस गया। वह मार डाला गया।
पु को बंदी बनाकर िसकदर क सामने पेश िकया गया। ककयराज पु हथकड़ी और बेि़डय म जकड़ ए थे।
गंधार-नरश आंिभ भी वहाँ उप थत था। वह अपने संक प को याद कर मन-ही-मन स हो रहा था। एक साथ
ही भारत क स ा क ग ी पर बैठने का व न देख रहा था। वह मन-ही-मन सोच रहा था, यवनराज िसकदर
भारत पर िवजय ा कर लौट जाएँगे और संपूण भारत पर उसका शासन होगा।
इसी बीच अचानक एक आवाज गूँजी, ‘‘ककयराज पु ! कल तक तुम इसी रा य क वामी थे, मगर आज तु हारी
हालत कछ और ह। आज तुम बंदी क प म खड़ हो।’’
यवनराज िसकदर क बात से पु जरा भी सहमे नह , ब क उ ह ने िनभ क होकर कहा, ‘‘यह तो समय का फर
7. ह। िसकदर, यु म आप भी परािजत होते तो जो थित मेरी ह, वह आपक होती।’’
यवनराज िसकदर ककयराज पु क बात सुनकर हरान रह गया। उधर, गंधार-नरश आंिभ पु क बात सुनकर
उबल पड़ा। उसने आव देखा न ताव, अपनी तलवार ख च ली। वह पु क ओर अभी बढ़ा ही था िक यवनराज
िसकदर ने उसे रोक िलया। आंिभ ने कहा, ‘‘यवनराज! इसने अपनी बात से आपका अपमान िकया ह। यह कायर
ह और इसे जीने का कोई अिधकार नह ह। इसे मृ युदंड िदया जाना चािहए।’’
इस पर िसकदर ने कहा, ‘‘ककयराज पु कायर नह , वीर ह। यु म हार जाना कायरता नह ह। जो यु म
हारता ह, वह वीर कहलाता ह। कायर तो वह ह जो यु िकए िबना ही पराजय वीकार कर ले।’’
यवनराज क यह बात आंिभ को तीर क तरह लगी। मार शम क वह कछ बोलने लायक नह रह गया था।
दरअसल, जब िसकदर ने गंधार क ओर कच िकया था, आंिभ ने िबना यु िकए अपनी पराजय वीकार कर ली
थी। वह िसकदर क शरण म चला गया था। यही बात आंिभ को सता रही थी।
अब िसकदर ककयराज पु से मुखाितब आ। िसकदर ने पु से पूछा, ‘‘राजन! आपक साथ कसा बरताव िकया
जाना चािहए?’’
इस पर पु ने उ र िदया, ‘‘जैसा एक राजा दूसर राजा क साथ करता ह।’’
पु क बात म अनुनय-िवनय का भाव नह ब क वािभमान झलक रहा था।
िसकदर को पु का उ र ब त अ छा लगा। उ ह ने कहा, ‘‘पु , तुम वीर तो हो ही, धीर व गंभीर भी हो। तु हारी
वीरता से स होकर हम तु ह ककय सिहत आसपास क रा य क शासन यव था का भार स पते ह।’’
इसक साथ ही िचनाव नदी क प मी े क 37 शहर, िजनक आबादी 5,000 से 10,000 थी, पु को स प
िदए गए। िसकदर ने ककयराज पु को इन े को उनक रा य म िमला लेने को कहा।
आचाय चाण य क िचंता
उधर िसकदर क भारत क ओर लगातार बढ़ते कदम से आचाय चाण य िचंितत थे। उनक िचंता इस बात से और
बढ़ रही थी िक कह भारत पर िसकदर अपना एक छ रा य थािपत न कर ले।
आचाय चाण य ने त िशला म अपने ि य िश य चं गु से अपनी िचंता साझा क । आचाय ने चं गु को
समझाया, ‘‘व स, अगर यवनराज िसकदर ने भारत पर क जा कर िलया तो भारत क एकता, अखंडता और
सं कित समा हो जाएँगी। भारत क स यता और सं कित ही यहाँ क पहचान ह। भारत म िवदेशी सं कित कायम
हो जाएगी और हजार वष क तप या से ऋिष-मुिनय ने िजस भारत को सँवारा ह, वह सदा क िलए जड़-मूल से
न हो जाएगा। भारतवष का अ त व धूल म िमल जाएगा।’’
आचाय क बात से चं गु भी िचंितत हो गए। अब वे अ छी तरह समझ चुक थे िक सं कित का अ त व
िकतना मू यवान ह। उ ह लगा िक इसी बहाने आचाय ने रा धम का एक पाठ भी उ ह पढ़ा िदया। हालाँिक
चं गु और िव ापीठ क अ य िश य को यह जानकारी पहले से थी िक यवनराज िसकदर ने भारत पर आ मण
कर िदया ह; लेिकन उ ह य प से िकसी तरह क ित ि गोचर नह हो रही थी। वे समझ रह थे िक यह
भारत क राजा क िलए िचंता का िवषय ह। आचाय क बात से वे अ छी तरह समझ चुक थे िक िसकदर भारत
क िलए िकस कार घातक ह।
आचाय ने चं गु सिहत िव ापीठ क सभी िव ािथय को बताया िक भारत क रा य क श िछ -िभ हो
चुक ह। उ ह एक सू म बाँधकर संगिठत करना होगा। इसक िलए ज री ह िक भारत म एक संघ क थापना
क जाए और यह काम आसान नह ह। छोट-छोट गणरा य को िमलाकर संघ क थापना करना मसा य काय
8. ह। परािजत रा य या गणरा य बदले क भावना से ओत- ोत हो जाते ह; पराजय का ितकार करने क िलए
िवजेता का िवनाश करने पर उतर आते ह। अगर बेहतर तरीक से इस काय को अंजाम नह िदया गया तो पूर भारत
म गृह-यु िछड़ सकता ह। संघ म कई रा य िमलाए जाएँगे। इसम बड़ रा य को मह व िदया जाएगा। ऐसे म
छोट-छोट रा य संघ को िवखंिडत करने का यास कर सकते ह।
चं गु को िव ापीठ क िज मेदारी स पकर आचाय चाण य भारत क िविभ रा य -गणरा य म जाकर
एक करण का अलख जगाना चाहते थे। उ ह ने कहा िक वे ककय, कढ, ु क, मालव आिद गणरा य से होते
ए मगध क तरफ जाएँगे। उ ह ने िव ापीठ क अ य छा को भी िविभ रा य -गणरा य म जाकर िसकदर से
सचेत रहने का अिभयान चलाने को कहा।
आचाय चाण य का योगदान
भारतीय इितहास म जब भी चं गु क चचा होती ह, आचाय चाण य का नाम वहाँ आना वाभािवक ह। उनक
पहचान भारत क थम अथशा ी क प भी ह। चं गु मौय क शासनकाल म वे धानमं ी और मु य
सलाहकार थे। दूसर श द म कह तो वे चं गु क भिव य-िनमाता थे। वे त िशला िव ापीठ क आचाय थे और
छा िक वािण य, यु -कौशल, ‘अथशा ’ आिद क िश ा देते थे। वे छा को नीितशा भी पढ़ाते थे।
चाण य को कौिट य और िव णुगु क नाम से भी जाना जाता ह। उनक ारा रिचत ‘अथशा ’ म राजकाज
और राजनीित पर िवशेष काश डाला गया ह। यही वजह ह िक आज भी भारत सिहत यूरोपीय देश म चाण य क
‘अथशा ’ का मह व ह और पा य म म उसक झलक िमलती ह। उनक अथशा म राजनीित को इस कार
समझाया गया ह िक िकसी शासक क िलए वह बेहतर पथ- दशक बन सकता ह। यानी रा य को सहज प से
चलाना हो तो िकसी भी राजा/नेता को चाण य क ‘अथशा ’ को पढ़ना चािहए। वे िव ा और महा
कटनीित होने क साथ-साथ महा रा भ भी थे। जब िसकदर ने भारत क दमन क िलए कदम बढ़ाया तो वे
बौखला उठ और उ ह ने हर हाल म भारत क र ा करने क ठानी। भारत क एक करण क राह म उनक पास
चं गु जैसा महा यो ा और सवगुण-संप य व था।
चं गु क उपल धयाँ
चं गु क जीवन क शु आत संघषपूण रह और उ ह िवरासत क घु ी म िव ोह क भावना िपलाई गई।
इसिलए िव ोह क साथ ही उनक भिव य क शु आत ई। वे त कालीन भारत क प र थितय को िव ोह क
मा यम से बदलना चाहते थे। माना जाता ह िक उनक पहली उपल ध शायद ई.पू. 317 म पंजाब से यूनानी
सेना को खदेड़ना था। यहाँ से उनका िवजय अिभयान शु आ और पाँच साल क अंतराल म वे भारत क एक
बड़ िह से क स ा बन गए। उस समय भारत भौगोिलक ि से एक महा ीप था और इतने बड़ भूभाग म
िकसी ने चं गु िजतनी उपल ध हािसल नह क थी। आयन ने उ ेिखत िकया ह िक उस जमाने म जब राजा
को यक न होता था िक उसक श सबसे अिधक ह तो वह वयं को िद वजयी क उपािध देता था। खासकर
िवदेशी राजा ऐसा करते थे। इस आधार पर चं गु एक सफल िद वजयी थे, य िक उ ह ने सबसे श शाली
िवदेशी से यूकस िनकटर (िवजेता) को हराया था। से यूकस ने पूर प मी एिशया पर क जा कर िलया था। इस
आधार पर बेशक कहा जा सकता ह िक चं गु एक महा िवजेता थे। चं गु मौय का नाम इितहास क िगने-चुने
नायक म शािमल होता, िज ह ने अपने दम पर देश क दशा और िदशा म आमूल-चूल प रवतन क साथ उसे
िवकास क पथ पर ला खड़ा िकया था। भारत क कई राजा ने जब िसकदर क उ रािधका रय क सामने हिथयार
डाल िदए थे, ऐसी प र थित म उ ह ने भारत को िवदेशी ताकत क िशकजे से मु कराया था।
9. चं गु िसफ एक यो ा ही नह ब क अ य मामल म भी महा थे। वे भारत क राजनीित म जो प रवतन
लाए, वह अ थायी नह था। वे एक िवशाल सा ा य क सं थापक और िवजेता थे। अपने सा ा य म उ ह ने जो
सुशासन थािपत िकया, उनक पु और पौ भी उसे अ ु ण बनाए रखने म सफल रह। भारत को समृ शाली
और गौरवपूण बनाने म चं गु मौय क योगदान क शंसा भारत सिहत िवदेशी इितहासकार भी करते ह।
‘मु ारा स’ क रचियता िवशाखद ने चं गु क बार म कहा ह—बबर और र शासक से भारत क जनता को
मु िदलाकर चं गु ने देवतु य स मान पाया था। िवदेशी लेखक म एकमा रोम क इितहासकार ज टन ने
चं गु को अ याचारी बताया ह। यह मेग थनीज क िवचार से मेल नह खाता। मेग थनीज ने कहा ह िक चं गु
मौय भारत क नायक थे। भारतवािसय को उ ह ने समृ िदलाई। यही कारण ह िक चं गु भारत क िनमाता कह
जाते ह।
चं गु ने िविभ ि क ◌ोण से वयं को महा सािबत िकया था। उ ह ने िविभ राजा पर िवजय ा
क थी। उ ह ने अपनी जा को शांितपूण और सुखमय जीवन दान िकया। वे महा सा ा य क महा शासक
बने। भारत क थम स ा बने। वे अपने समय क सव े शासक थे। उनक िकसी से तुलना नह क जा सकती
और यह आसान भी नह ह। िफर भी, एक सामा य य क तौर पर भी तुलना क जाए तो िसकदर, अकबर और
नेपोिलयन बोनापाट क मुकाबले चं गु मौय महा स ा थे।
बेशक िसकदर को महा कहा जाता ह। स ाई भी ह िक वह महा िवजेता था। उसने कई सफलताएँ हािसल क
थ , लेिकन स ाई यह भी ह िक िसकदर ने उन योजना पर काम िकया था, िजनक आधारिशला उसक िपता
िफिलप ने रखी थी। इितहासकार एच.जी. वे स क श द म कह तो, ‘‘इितहास िसकदर को नायक मानता ह,
लेिकन वह अपने िपता िफिलप क समान महा नह था।’’ वह अपनी योजना म कह -न-कह िपछड़ रहा था।
यही वजह ह िक तनाव क चलते कम उ म उसक मौत हो गई। वह िव िवजेता बनना चाहता था।
लेिकन चं गु म अलग बात थी। वे अलग िक म क पु ष थे। वे िसकदर क समान बहादुर और साहसी तो थे
ही, उनम भारत क जा को आजादी िदलाने क ललक थी। हालाँिक वे िकसी राजपु क समान सोने का च मच
मुँह म लेकर पैदा नह ए थे, लेिकन अपने बूते उ ह ने अपने भिव य का िनमाण िकया था। यही वजह ह िक 18
साल क उ से ही सफलताएँ उनक इद-िगद मँडराने लगी थ । हालाँिक उ ह पराजय का भी सामना करना पड़ा
था, लेिकन कोई भी पराजय अिधक समय तक उनका रा ता नह रोक पाती थी। वे न िसफ िवजेता बने ब क एक
सफल राजा क प म उ ह ने अपनी जा को सार सुख-साधन सुलभ करवाए। इस तरह मु कठ से कहा जा
सकता ह िक चं गु मौय िसकदर क तुलना म कह अिधक महा थे।
मुगल बादशाह अकबर कई मामल म चं गु क समान थे। हालाँिक कला व सं कित क ित झान और
स मान क ि से अकबर क तुलना स ा अशोक से क जाती ह। िफर भी अशोक क मुकाबले चं गु से
उनक छिव अिधक मेल खाती ह। चं गु क तरह ही वे यो ा कित क थे। उनक समान ही वे िवजेता और
राजा भी थे। अकबर को िवरासत म सारी सुिवधाएँ और सा ा य िमला था। चं गु ने गरीबी और सम या से
जूझते ए वयं को थािपत िकया था। उ ह िनवािसत जीवन यतीत करना पड़ा था। डॉ. िव सट मथ का कहना
ह िक अकबर से लगभग 1,900 वष पूव चं गु ने बेहतर शासन यव था थािपत क थी।
इितहास म नेपोिलयन क भी महा छिव ह। उनक तुलना चं गु से क जाती ह, य िक उ ह ने िकसी दूसर क
मा यम से नह ब क वयं क उ म से अपनी मंिजल हािसल क थी। इस कार चं गु असामा य ितभा क
धनी थे। किवय और लेखक ने चं गु क िस क बार म काफ कछ िलखा ह। सही मायने म वे युग-पु ष
10. थे और इितहास म उनका नाम सदा अमर रहगा।
चं गु मौय का वंश
चं गु मौय क वंश क बार म इितहासकार म मतभेद ह। िव ान ने सािह यक एवं पुराता वक सामि य क
आधार पर अपने िवचार कट िकए ह। िविभ ंथ म मौय क उ पि क बार म वणन िमलता ह। कछ िव ान
का मत ह िक मौय ि य थे, जबिक कछ उ ह शू और पारसी मानते ह; लेिकन अिधकतर माण से प होता
ह िक चं गु ि य थे।
बौ सािह य :मौय ि य थे
यादातर इितहासकार मानते ह िक मौय ि य थे। बौ सािह य क िविभ ंथ से इसक पुि होती ह िक मौय
ि य थे। महावंश क अनुसार, चं गु ‘मो रय’ नामक ि य जाित क थे। मो रय शा य क उस उ जाित क
शाखा थी, िजसम महा मा बु का ज म आ था। महावंश क अनुसार, महा मा बु क समय अ याचारी
कोसल-नरश क आ मण क बाद शा य ने वहाँ से िहमालय क एक सुरि त थान पर शरण ली। िकवदंती ह िक
उ ह ने अपने िलए िजन भवन का िनमाण कराया था, उनका आकार मोर क ीवा क समान था। इसिलए उस
नगर का नाम मो रय नगर पड़ा और वहाँ रहनेवाल को मौय कहा गया। ‘महावंश’ म वणन ह िक नंद से नाराज
होकर चाण य ने नौव नंद राजा घननंद का िवनाश कर चं गु , जो यश वी एवं अिभजात मो रय वंश का था, उसे
सम त जंबू ीप का शासक बनाया। ‘िद यावदान’ म भी चं गु क पु तथा मौय शासक िबंदुसार को ि य
कहा गया। इससे मौय का ि य होना मािणत होता ह। ‘महाप रिन वान सु ’ नामक एक अ य बौ ंथ म
मौय क ि य होने क पुि होती ह। ‘महाबोिधवंश’ से भी ात होता ह िक मौय ि य थे।
जैन गं:रथ से पता चलता ह िक मौय ि य थे। हमचंद रिचत ‘प रिश पवण’ क अनुसार, चं गु मयूर
पालक क सरदार क पु ी का पु था। ‘पु या व कथाकोश’ क रचियता रामचं थे। इसम मौय को ि य कहा
गया। संपूण जैन सािह य म कह भी मौय को शू नह कहा गया,जबिक नंद को शू बताया गया।
लूटाक ने िलखा ह िक ऐं ोकोटस (चं गु ) वयं, जो उस समय नवयुवक था, िसकदर से िमला था। पुराता वक
ोत से बौ एवं जैन धम ंथ म विणत कथन क पुि होती ह िक मौय ि य थे। नंदगढ़ म थत अशोक क
तंभ क िनचले भाग म एक मोर का िच अंिकत ह।
मौय शू थे
कछ इितहासकार का मत ह िक मौय शू थे। ा ण सािह य क अनुसार, मौय क िलए ऐसे श द का इ तेमाल
िकया गया, िजससे उसक शू होने का माण िमलता ह। पुराण म बताया गया ह िक िशशुनाग वंश क िवनाश क
प ा उस वंश क अंितम राजा महानंद क शू प नी से उ प महाप नंद परशुराम क समान ि य का नाश
करनेवाला होगा। 18व सदी म र नगभ नामक िव ा ने ‘िव णु पुराण’ क टीका िलखी थी। उसम उ ह ने बताया
िक चं गु का ज म नंद राजा क प नी मूरा से आ था, इसिलए उसे ‘मौय’ कहा गया। इस आधार पर मौय को
शू कहा गया। हालाँिक मौय को शू कहना यु संगत नह ह। पुराण म कह भी चं गु क जाित का उ ेख
नह ह। इसिलए टीकाकार का चं गु को नंदवंशीय बताना असंगत ह। उ ेखनीय ह िक कवल ा ण सािह य
म ही मौय को शू िदखाया गया। इसका कारण यह हो सकता ह िक मौय शासक ा ण धमावलंबी नह थे। इसी
कारण उ ह ‘वृषल’ कहा गया। एक अ य कारण से यूकस क पु ी से चं गु मौय का िववाह करना भी था।
दरअसल ा ण धमानुयाियय ने इस िववाह को पसंद नह िकया था। यिद चं गु शू होते तो चाण य उ ह राजा
नह बनाते। ‘अथशा ’ म एक थान पर चाण य ने िलखा ह िक जनता उ जातीय (अिभजात) दुबल शासक
11. को भी स मान दे सकती ह, लेिकन नीच कलीन (अनिभजात) श शाली राजा को भी वीकार नह कर सकती।
मौय पारसी थे
पाटिलपु म उ खनन करानेवाले डॉ. डी.बी. पूनर का िवचार ह िक मौय पारसी थे। उ ह ने अपने मत क समथन
म कहा ह िक चं गु मौय क समय म भारत एवं फारस क सामािजक, धािमक और राजनीितक था म
समानता थी। इस आधार पर माना जा सकता ह िक मौय पारसी रह ह गे। हालाँिक अनेक िव ान ने डॉ. पूनर क
िवचार से अपनी असहमित जताई ह। उनका तक ह िक फारस म ऐसी ब त सी थाएँ थ , जो भारत म नह थ ।
साथ ही भारत म काफ ऐसी थाएँ थ , जो फारस म चिलत नह थ । इससे प होता ह िक चं गु मौय
पारसी नह थे।
िन कष
मौय िन संदेह ि य थे। बौ , जैन और िहदू धम ंथ क आधार पर कहा जा सकता ह िक मौय ि य थे, िज ह
राजपूत भी कहा जाता ह। ‘महाप रिन वान सु ’ से माण िमलता ह िक मौय ि य थे और चं गु क िपता
िप पिलवन क शासक थे। एक ाचीन तोप म पािल भाषा म यह उ ेख िकया गया ह िक चं गु क पु िबंदुसार
और उनक पौ अशोक ि य थे। जैन ंथ ‘क पसू ’ म उ ेख िमलता ह िक मौय क यप गो क थे और वे
समाज म उ वग से संबंध रखते थे। यहाँ उ वग और शासक से प होता ह िक वे ि य थे। पुराण क
आधार पर कहा जा सकता ह िक मौय एक नया वंश था, िजसका नंद वंश से कोई संबंध नह था। शू का रा य
नंद से शु आ और चं गु मौय नंद क क र िवरोधी थे। इस आधार पर कहा जा सकता ह िक मौय ि य
थे। दूसरी तरफ, म यकालीन सािह य म उ ेख िमलता ह िक मौय सूय क उपासक थे और ि य सूय क
उपासना करते थे। इस आधार पर कहा जा सकता ह िक मौय ि य थे।
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12. चं गु का यु अिभयान
चं गु मौय और चाण य का उ े य िकसी तरह नंद वंश का िवनाश करना और एकता क सू म संपूण भारत
को िपरोकर नए भारत का िनमाण करना था। हालाँिक नंद राजा से लोहा लेना उनक िलए आसान काम नह था।
चं गु और चाण य क यु अिभयान को लेकर इितहासकार क मत म िभ ता ह। कछ इितहासकार का मत
ह िक उ ह ने पहले मगध पर, िफर पंजाब पर आ मण िकया था। कछ का मानना ह िक चाण य और चं गु ने
पहले पंजाब पर आ मण िकया था। कछ इितहासकार का कहना ह िक उ ह ने पहले मगध पर आ मण िकया
था, लेिकन जब सफलता नह िमली तो चं गु ने िसकदर से िमलकर उसे नंद राजा क िखलाफ भड़काने क
रणनीित तैयार क । लेिकन चं गु क अहकार भरी बात से िसकदर इतना नाराज हो गया था िक उसने चं गु
क ह या करने क आ ा दे दी। चं गु िकसी तरह से वहाँ से भाग िनकले।
ंथ ‘महावंश’ क अनुसार, चाण य ने एक िवशाल सेना तैयार कर चं गु को िवजय या ा पर िनकल जाने क
आ ा दी। चं गु ने मगध क नगर और ाम को जीतना शु िकया; लेिकन थानीय लोग ने चं गु क सेना
को घेर िलया और उसे तबाह कर डाला। िकसी कार चं गु और चाण य वहाँ से भागने म सफल रह। उसक
बाद वे दोन अपनी पहचान िछपाने क िलए छ वेश म रहने लगे। जब दोन वेश बदलकर घूमते िफर रह थे तो
एक रात वे एक घर म ठहर थे। वहाँ एक मिहला अपने ब को खाना िखला रही थी। एक ब ा रोटी क
बीचवाले िह से को खा रहा था। रोटी गरम थी और इससे ब े का मुँह झुलस गया। यह देख उस मिहला ने ब े
से कहा िक तु हारा भी काम चं गु जैसा ह। ब े क पूछने पर मिहला ने कहा, ‘तुमने गरम रोटी को िकनार से
खाने क बजाय बीच से खाया। इससे तु हारा मुँह झुलस गया। चं गु ने भी सीमांत देश पर िवजय ा करने
क बजाय मगध क म य भाग पर आ मण िकया। इससे जनता भड़क उठी और उसे मुँह क खानी पड़ी।’ कहा
जाता ह िक इस वा ालाप से े रत होकर चं गु ने अपनी योजना म प रवतन कर पंजाब पर आ मण करने क
योजना बनाई।
पंजाब पर आ मण क तैयारी
पंजाब पर अिधकार करने से पहले चं गु और चाण य को धन, सेना, जनमत और अ य रा य से संबंध बनाना
ज री था। उधर, पंजाब पर अिधकार करने क िलए यूनािनय को खदेड़ना ज री था। िसकदर क जीत क वजह
से पंजाब क एक बड़ भूभाग पर यूनािनय का अिधकार हो गया था। इसक िलए चं गु और चाण य को िवशेष
तैयारी करनी थी।
ाचीन ंथ से पता चलता ह िक चाण य ने यु अिभयान को आगे बढ़ाने क िलए िवं याचल क वन म
जाकर धन इक ा िकया। सेना गिठत करने क िलए चाण य और चं गु दोन िनकल पड़। कहा जाता ह िक
चाण य ने थानीय िनवािसय को सेना म शािमल िकया। इितहासकार ज टन क अनुसार, इन थानीय िनवािसय ,
िज ह चं गु ने अपनी सेना म शािमल िकया था, उ ह लुटरा कहा गया। कछ इितहासकार का कहना ह िक वे
थानीय िनवासी पंजाब क उन गणतांि क जाितय म से थे, िज ह आर अथवा ‘अरा क’ कहा जाता था। उन
पर राजा का िनयं ण नह था। उनक पास ब मू य अ -श और यु सामि याँ थ । उनक मता और
यु -कौशल को चाण य व चं गु ने खूब भुनाया। उन थानीय िनवािसय क ितरोध क भावना और सुसंगिठत
श क बदौलत चं गु क िवशाल सेना तैयार हो गई।
चं गु ने थानीय िनवािसय को सेना म भरती करने क साथ पड़ोसी रा य क राजा से मै ी थािपत क ।
13. इस तरह अपनी श म वृ क । िवशाखद रिचत नाटक ‘मु ारा स’ से पता चलता ह िक चाण य ने
िहमालय े क एक रा य क राजा पवतक से मै ी क थी। इसक अित र िजन रा य को िसकदर ने जीतकर
अपने अधीन िकया था, वहाँ से जनमत-सं ह करना शु िकया। दरअसल वहाँ क राजा और जा िवदेशी अधीनता
मन से वीकार नह कर पा रह थे। चं गु और चाण य ने इसका फायदा उठाया और उ ह यूनािनय क िखलाफ
भड़काना शु िकया। इस तरह पूरी तैयारी करने क बाद चं गु ने यूनािनय पर आ मण िकया। इसक बाद
चं गु ने पंजाब और उ र-प मी सीमांत ांत को यूनािनय से मु कराया था।
मगध पर आ मण
पंजाब पर िवजय ा करने क बाद चं गु और चाण य ने मगध क ओर कच िकया। इितहासकार का कहना
ह िक चं गु और चाण य जहाँ-जहाँ िवजय ा करते जाते थे वहाँ-वहाँ सैिनक क िनयु करते जाते थे। इस
कार रणनीित बनाकर उ ह ने मगध पर आ मण िकया।
इितहासकार रीज डिव स क अनुसार—‘िजस सेना क बल पर चं गु ने घननंद को परा त िकया था, उसका मूल
आधार पंजाब से भरती िकए गए सैिनक पर था।’
चं गु और मगध क राजा घननंद क सेना क बीच भीषण यु आ। घननंद क सेना म दो लाख पदाित,
बीस हजार अ ारोही, दो हजार रथ और तीन हजार हाथी थे। इतनी िवशाल सेना क बीच घमासान यु आ।
‘िमिलंदप ह ’ क अनुसार, इस यु म चं गु और नंद राजा घननंद क हजार हाथी, अ ारोही और लाख
पदाित मार गए थे। हालाँिक इसे अितशयो पूण माना गया, लेिकन िफर भी रण े म भारी तबाही मची थी। इससे
सहज ही पता लगता ह िक घननंद और चं गु क बीच अ यंत भीषण यु आ था। ‘िमिलंदप ह ’ से ही ात
होता ह िक नंद राजा क सेनापित का नाम भ साल था। इस यु म िहमालय े क राजा पवतक ने चं गु का
साथ िदया था। इस यु म चं गु ने घननंद को परा त िकया। चाण य ने नंद वंश का नामोिनशान तक िमटा
िदया। यहाँ तक िक नंदवंश का राजिच भी ख म कर िदया गया। नंदवंश क िवनाश क बाद चं गु का
आिधप य कायम आ। चं गु ने जनिहत म काम करना शु िकया। यवन से भारत को मु िकया और अपने
वंश क अ त व क उपयोिगता िस क ।
सा ा य का िव तार
नंद वंश क उ मूलन और मगध क ग ी पर आसीन होने क बाद चं गु एक िवशाल सा ा य का स ा बन
गया। मगध क अित र उन सभी देश को, िज ह िसकदर ने अपने अधीन िकया था, चाण य क कटनीित से
चं गु ने अपने सा ा य म िमला िलया। चं गु का सा ा य िहमालय से दि णापथ और बंगाल क खाड़ी से
यमुना नदी तक िव तार पा गया।
से यूकस से मुकाबला
चं गु मौय िजस समय अपने सा ा य का िव तार कर रह थे, उसी समय िसकदर का सेनापित से यूकस भी
एिशयाई-यूनानी सा ा य क िव तार म लगा आ था। िसकदर क मृ यु क बाद उसक दो सेनापितय से यूकस
और एंटीगोनस म सा ा य िवभाजन क मामले म संघष आ। ारभ म एंटीगोनस को सफलता िमली; लेिकन
उसक लगभग 12 साल बाद से यूकस ने बेिबलोन क ◌ो जीत िलया। बाद म से यूकस ने एंटीगोनस को भी हरा
िदया और उसे िम म शरण लेने को मजबूर कर िदया। िसकदर क मृ यु क लगभग 17 साल बाद से यूकस ने
अपना रा यािभषेक िकया और ‘िनकटर’ (िवजेता) क उपािध धारण क ।
से यूकस िसकदर क समान ही वीर एवं मह वाकां ी था। उसने िसकदर ारा जीते ए भारत क देश को िफर
14. से अपने अधीन करने का यास िकया। उ ेखनीय ह िक िसकदर क मृ यु क प ा ये देश वतं हो गए थे।
इसी उ े य से से यूकस ने पहले बै या पर आ मण िक या, िजसम सफलता िमली। इससे ो सािहत होकर
से यूकस ने भारत पर आ मण िकया। इस बीच भारत क थित बदल चुक थी। जब िसकदर ने भारत पर
आ मण िकया था, उस समय भारत छोट-छोट रा य और प म बँटा आ था। लेिकन अब स ा चं गु ने
भारत को एकता क सू म बाँधकर श शाली बना िदया था। से यूकस का मुकाबला सुगिठत भारत से आ।
नतीजतन उसे अपने ही रा य क कई देश चं गु को स पने पड़। से यूकस ने चं गु से संिध कर ली और
भारत िवजय क अपने अिभयान को िवराम देकर वह एंटीगोनस क िव यु म जुट गया।
इितहासकार लूटाक क अनुसार, से यूकस और चं गु क म य ई संिध म िन निलिखत बात शािमल थ —
● से यूकस ने ए रयाना देश का िव तृत भूभाग चं गु को दे िदया। इस कार चं गु को आ रया, परोपिनसदी,
आक िशया, जे ोिसया आिद देश ा ए थे। आ रया आधुिनक हरात, परोपिनसदी अफगािन तान क उस
पवतीय े को कहा जाता था, जो िहदूकश पवतमाला क नजदीक थत ह। आक िशया आधुिनक कधार और
जै ोिनया बलूिच तान देश को कहा जाता था।
● चं गु ने से यूकस को 500 हाथी िदए थे। इस आधार पर कछ इितहासकार का कहना ह िक यह उपहार
देकर चं गु ने से यूकस से मै ी संबंध थािपत िकया था।
से यूकस और चं गु क बीच संबंध
यवन सेनापित से यूकस ने िसंधु तट पर ई लड़ाई क बाद चं गु को ब त से अमू य उपहार िदए, िजसम धन
और अ य साम ी शािमल थी। िविभ िव ान का कहना ह िक से यूकस ने चं गु को जो सबसे बेशक मती
चीज दी थी, वह थी उसक अितसुंदरी पु ी हलेना। मगध क िव प रष म यह िनणय िलया गया िक यिद
से यूकस क पु ी हलेना से चं गु का िववाह हो जाए तो प मी सीमा यवन क आ मण से सुरि त हो
जाएगी। अतः चं गु ने हलेना से िववाह कर िलया। इससे दोन क बीच मै ी संबंध और भी सु ढ़ हो गए। इसक
पुि उस समय क एक घटना से भी होती ह। कहा जाता ह िक से यूकस को चं गु ने कछ भारतीय औषिधयाँ
भी भेजी थ । से यूकस ने मेग थनीज को चं गु क दरबार म भेजा था। इन संबंध क वजह से भारत कछ समय
क िलए यूनािनय क आ मण क भय से मु हो गया था। अपने रा य क उ र-प मी सीमा को सुरि त करने
क बाद चं गु ने प मी और दि णी भारत क ओर यान िदया। हालाँिक से यूकस को हराने क बाद चं गु
ने अपने सा ा य का िव तार ईरान क सीमा तक कर िलया था, य िक काबुल, हरात, कधार, बलूिच तान आिद
रा य से यूकस क अिधकार म थे।
चं गु ने अपने शासन क अंितम िदन म िद वजय का अिभयान शु िकया। दि ण म उसने अपने रा य क
सीमा का िव तार मैसूर क िशकारपुर ता ुका तक िकया था। दि ण भारत म चं गु ने क कण देश क रा ते
वेश िकया था। िपछले दो हजार वष म िजतने िव तृत सा ा य पर रा य करने का सौभा य चं गु को मा 18
साल क उ म िमला, वह सौभा य न तो िकसी मुगल शासक और न ही अं ेज को ा आ था। उनक इस
असाधारण िवजय क कारण ही उ ह भारत ही नह , संसार क तापी राजा म े माना जाता ह।
चं गु ने प मी भारत पर िवजय ा क थी, इसम कोई संशय नह । दमन क िशलालेख से पता चलता
ह िक चं गु ने उजयत पवत क तराई से बहनेवाली सुवणिस ा और पलीिशनी आिद निदय पर बाँध बनाकर
सौरा म िस सुदशन झील का िनमाण कराया था। बुंबई क थाणे िजला क सोपारा नामक थान से ा
अशोक क िशलालेख से ात होता ह िक सोपारा भी चं गु क अधीन रहा था।
15. चं गु मौय का रा य-िव तार
चं गु मौय का सा ा य-िव तार दूर-दूर तक था। उ र म िहमालय से दि ण म मैसूर तक और प म म िहदूक
श से पूव म बंगाल तक। अफगािन तान और बलूिच तान, संपूण पंजाब, िसंधु देश, क मीर, नेपाल, गंगा-यमुना
का दोआब, मगध, बंगाल, किलंग, सौरा , मालवा आिद चं गु क सा ा य क अंग थे। इस आधार पर कहा जा
सकता ह िक चं गु मौय संपूण भारत का स ा था।
िसकदर क िवदाई पर नंद वंश क िवनाश क गाथा
िसकदर का अिभयान ारभ से ही िनिव न प से आगे नह बढ़ रहा था। हालाँिक कछ इितहासकार अनुमान लगाते
ह िक िसकदर का अिभयान देखने से िनिव न तीत होता था, लेिकन उसक किठनाइयाँ गहराइय म िछपी थ ।
िसकदर क सेना क भारत से िवदा होते ही सीमावत देश म िव ोह क अ न िलत हो उठी। िसकदर ारा
िनयु प और सेनापितय म इतनी मता नह थी िक वे अपने अधीन थ देश को अपने िनयं ण म रख
सक। चं गु और चाण य क िलए वही उपयु समय था, जब नंद वंश क उ मूलन क आकां ा लेकर वे इस
सीमांत देश म आए। इसिलए भी कहा जाता ह िक िसकदर क िवदाई पर नंद वंश क िवनाश क गाथा िलखी
गई।
िसकदर क मृ यु क बाद यूनािनय क थित
िजस समय िसकदर भारत म था, उसी समय अ कायन ने पु कलावती क प िककनोर क ह या कर दी थी।
अ कायन रा य क शासन म िककनोर क सहायता क िलए एक भारतीय भी िनयु िकया गया था। यूनानी
लेखक ने उसे िसिसको स कहा ह। माना जाता ह िक िसिसको स संभवतः शिशगु होगा। अ कायन
शिशगु क भी ह या कर देना चाहते थे। इसक जानकारी िमलने पर िसकदर ने उसक सहायता क िलए सेना
भेजी थी। इससे उसक र ा ई। िककनोर क ह या क बाद िफिलप पु कलावती का प िनयु िकया गया था।
िफिलप भारत म सबसे अनुभवी यूनानी शासक था। िफिलप क ह या क बाद िसकदर बौखला गया। उसने
त काल आदेश िदया िक त िशला का राजा आंिभ िफिलप का थान हण कर और यूनानी िशिवर का सेनापित
यूडमस उसक सहायता कर; िकतु सेना क अभाव म िव ोिहय क िनरतर बढ़ती श क कारण यूडमस इस काय
म सफल नह हो सका।
िसकदर क मृ यु क बाद भारत म यूनािनय क थित और खराब हो गई। िसकदर क कोई संतान नह थी। बल
उ रािधकारी क अभाव म उसका सा ा य िछ -िभ होने लगा। िसकदर क मृ यु क बाद उसक सेनापितय म
संघष होने लगा। इसने चं गु और चाण य को अपने अिभयान को आगे बढ़ाने का अवसर िदया।
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16. शासिनक यव था
चं गु ने मगध को जीतने क बाद अपने सा ा य का िव तार शु िकया। सबसे पहले उ ह ने भारत क दि णी
रा य को अपने सा ा य म शािमल िकया। माना जाता ह िक चं गु ही पहला राजा था, िजसने उ र और दि ण
भारत क रा य को एकता क सू म बाँधने का यास िकया। इससे न िसफ चं गु क सा ा य का िव तार आ,
ब क उनक श म भी वृ ई। िपछले दो हजार वष म मुगल और अं ेज ने भारत म अपने सा ा य का
िजतना िव तार नह िकया, उससे कह यादा चं गु मौय ने 18 वष क उ म िकया। उनक असाधारण
उपल धय क कारण संसार क िगने-चुने तापी राजा म उनक िगनती होती ह।
इितहासकार और ाचीन लेख से माण िमलता ह िक चं गु मौय ने उ र-प म म पिशया क सीमा तक
अपने सा ा य का िव तार िकया। दूसरी तरफ गंगा क मैदानी भाग तक सा ा य का िव तार िकया, जो संभवतः
क मीर और नेपाल से लगे िहमालय का तराई े था। दमन क लेख से माण िमलता ह िक प म म
कािठयावाड़ और पूव म बंगाल तक चं गु ने अपने सा ा य का िव तार िकया था। मेग थनीज ने उ ेिखत
िकया ह िक चं गु क समय म आं सबसे श शाली और वतं रा य था। चं गु और उनक
उ रािधका रय ने सुदूर दि ण क पां य, कोल और कर (करल) को वतं छोड़ िदया था। इस कार चं गु
मौय का किलंग, आं और तिमल भूिम को छोड़कर संपूण भारतीय उप-महा ीप म शासन था। अफगािन तान
और बलूिच तान भी चं गु क सा ा य का ही िह सा थे। हालाँिक प प से कहा जा सकता ह िक य
प से चं गु इस िवशाल सा ा य क शासक नह थे। कौिट य यानी चाण य ने उ ेख िकया ह िक िवजेता
राजा अपने उ रािधका रय क प म पु , पौ व अ य सगे-संबंिधय को िविजत रा य क िज मेदारी स प देते
थे। आलेख और सािह य से माण िमलता ह िक दो राजकमार को सामंती स पी गई थी। ‘मु ारा स’ से माण
िमलता ह िक पवतक क पु मलयकतु को चं गु क सामंत क प म उनक रा य म शासन करने क िज मेदारी
स पी गई थी। दमन क जूनागढ़ अिभलेख म अशोक क नाम यवन क जम दारी थी।
चाण य ने कछ िन त संघ —िल छिव, व , म , म , ककर, क और पंचाल—का उ ेख िकया था,
िजनक मुख राजा या नरश कहलाते थे। म को छोड़कर सभी संघ नंद राजा क सा ा य म थे और ये
वाय शासी थे। चं गु क समय भी यहाँ पर वाय शासन था। इसक अलावा चाण य क ‘अथशा ’ से
चं गु क शासनकाल म शासिनक यव था क जानकारी िमलती ह।
चं गु क शासिनक काल म राजा ही शासिनक मुिखया होता था। राजा क पास ही सेना, याय, कानूनी और
अिधशासी श होती थी। समय-समय पर इन संगठन को मजबूत बनाने का काम राजा ही करता था। ाचीन
भारत म राजा क श कभी िनयं ण से बाहर नह रही थी। चाण य ने प िकया ह िक ाचीन भारत म वे
अ छ राजा नह समझे जाते थे, जो अपने आपको संतु करते थे यानी अपने चलाए िनयम को मनवाते थे, ब क
जो िनयम का पालन भी करते थे, वे अ छ राजा समझे जाते थे।
चाण य ने अपने ‘अथशा ’ म 18 कार क अमा य अथवा उ पदािधका रय का उ ेख िकया ह। ये
शासन क िविभ शाखा का संचालन करते थे। मौयकाल क शासिनक यव था म ये शािमल थे। माना
जाता ह िक अशोक क शासनकाल म िजन ‘महामंत ’ का उ ेख िमलता ह वे इ ह से संबंिधत थे। इन
अिधका रय का चयन राजा क देखरख म उनक च र और समाज म स मान क आधार पर िकया जाता था।
शासिनक णािलय क आधार पर चं गु ारा उठाए गए कदम क बार म पता चलता ह। वे अपने रा य म
17. क याण और समृ थािपत करने क िलए त पर रहते थे। वे िवदेशी दासता झेल रह लोग को मु िदलाने म
यासरत रहते थे।
चं गु क शासनकाल म कौिट य ारा विणत 18 अमा य म मंि ण (कलपित), पुरोिहत (पूजा-पाठ
करानेवाले), सेनापित (मु य सेनािधकारी) और युवराज (राजकमार) होते थे। इनम से येक को 48,000 पण
सालाना वेतन िदया जाता था। इनको िमलाकर आंत रक मंि मंडल का िनमाण िकया गया था। चाण य क अनुसार,
राजा क गु सलाहकार क सं या 3 से कम और 4 से अिधक नह होती थी।
उ अिधका रय क तीय ेणी म दौवा रक या राजा क मु य वागत अिधकारी, अंतवमिशक या राजक य
अंतःपुर का मु य भारी, श या मु य सूचना अिधकारी, स ध या शाही गुमा ता (राजमहल का मु य
कमचारी) तथा समाह या कले टर-जनरल होते थे। उ ह सालाना 24,000 पण का वेतन िदया जाता था। दौवा रक
का काम राजा क साथ जा क मुलाकात कराना और उसक समय का िनधारण करना था। अंतवमिशक का काय
राजक य अंतःपुर क सद य क ज रत और सुिवधा क यव था करना था। श राजा क आदेश को
िलखता था और उ ह सावजिनक करता था। स ध राजमहल क कामकाज को देखता था तथा वही खजांची भी
होता था। खजाना और गोदाम भरने क िज मेदारी भी उसक ही होती थी। जहाँ इसक ज रत होती थी, स ध
ही उपल ध कराने का काम करता था। श ागार व याय क िलए कोट बनाने और मंि य तथा सिचव क िलए
कायालय का िनमाण कराना भी उसी क िज मेदारी होती थी। समाह पूर रा य से राज व क वसूली करता था।
उनक सहायता क िलए गोप होते थे, िजन पर पाँच से दस गाँव क िज मेदारी होती थी। थानीक गोप से बड़ा पद
होता था और उसक अधीन एक पूरा िजला आता था।
चं गु मौय क शासनकाल म उनक मंि प रष म उ पदािधका रय क तीसरी ेणी म पौर यावहा रक या
िसटी मैिज ट, रा पाल या रा य क गवनर, अंतपाल या सीमा क भारी, कमाितक या कारखान क भारी
और नायक या पुिलस मुख होते थे। इनका सालाना वेतन 12,000 पण था।
डॉ. बी.आर. भंडारकर क अनुसार, आधुिनक सिचवालय से मौय सा ा य क मंि प रष क तुलना क जा
सकती ह। मंि प रष क मा यम से राजा और उ पदािधका रय का संपक रहता था। इसका काम िक सी भी
योजना पर काम शु कराना, शु काम को समय पर पूरा कराना और जो काम पूरा हो चुका हो, उसे समय पर
िविधव लागू करना और उसक िवकास एवं रख-रखाव का बंध कराना था।
ऐसा माना जाता ह िक अशोक क िशलालेख और मु ालेख म िजस नगर यावहा रक का उ ेख िमलता ह वही
पौर यावहा रक था। नगर याय शासन क उनक िज मेदारी थी। िविभ मंडल क सा ा य को ांत म बाँटा
गया था। उनम से येक ांत क सरकार क मुिखया को रा पाल (गवनर) कहा जाता था। अंतपाल सीमा क
िज मेदारी सँभालनेवाल का मुिखया था। अशोक क िशलालेख क अनुसार, उनक िज मेदा रय म से एक सीमा
े म व य जनजाितय क क याण और िवकास क िज मेदारी स पी जाती थी। उनक िलए व य सीमा े म
घर बनाने क भी यव था करनी होती थी। रा य क तरफ से ह तिश पकार को रोजगार िदया जाता था।
सामा यतया अनुमान लगाया जाता ह कमाितक इनक भारी होते थे। संभवतः ांत क िलए नायक क िनयु क
जाती थी और वह पुिलस बल का मुख होता था।
चौथी ेणी क अिधका रय म देशतर या िजला अिधकारी, ेणी मुिखया या सहकारी यवसाय क मुख और
मुिखया या सेना क चार समूह क मुख होते थे। इनम से सभी को सालाना 8,000 पण वेतन िदया जाता था।
देशतर क िज मेदारी राज व वसूली क िलए समाह और थानीक क बीच संबंध थािपत करना था। इसक
18. अलावा उसक िज मेदारी आपरािधक याय (कटकशोधन) क तरह होती थी। ेणीमुख संभवतः ह तिश प तथा
यापा रय क सहकारी सिमितय क मुख होते थे। वे संभवतः सेना क िविभ अंग क बटािलयन या रिजमट क
क टन होते थे। इन अिधका रय क अित र वनपाल या वन अिधकारी और अ य या िविभ अिधका रय क
मुख होते थे। इसक अलावा अिधका रय क आचरण और उनक कामकाज को देखने क िलए और उसक जाँच
क िलए गु चर का नेटवक होता था।
चाण य ने तीन कार क दूत का उ ेख िकया ह। इनम से िवदेश म भेजे जानेवाले दूत को िनःस ाथ यानी
एंबेसडर कहा जाता था। राजा क तरफ से उसे पूर अिधकार देकर भेजा जाता था। िजन दूत को सीिमत अिधकार
देकर भेजा जाता था, वे प रिमताथ या यापार मामल क भारी होते थे। तीसर दज क दूत िसफ राजक य प को
ले जाते थे और उ ह ‘शासनाहर’ कहा जाता था।
इससे यह प होता ह िक मौयकाल म अफसरशाही और यव थत शासन यव था का सार आ था। हालाँिक
यह माना जाता ह िक मौय सा ा य क थापना क पहले ही कौिट य ने ‘अथशा ’ क रचना कर ली थी। लेिकन
चं गु क समय म धानमं ी बनने क बाद उ ह ने इस पु तक क िवचार लागू िकए ह गे।
छह मुख शासिनक िवभाग
चं गु क शासनकाल म सा ा य क शासिनक यव था मु यतया छह मुख िवभाग क देखरख म थी—
1.सैिनक शासन
2.नगरपािलका शासन
3. ामीण शासन
4. ांत यव था
5.िव
6.कानून और याय
सैिनक शासन
मौय सा ा य म सैिनक शासन सु यव थत तथा प रपूण था। मौयकाल म िवशाल थायी सेना थी और उसे
यव थत रखने क िलए सैिनक को िनयिमत प से वेतन िदया जाता था। साथ ही राजा क तरफ से उ ह
हिथयार और यु सामि याँ मुहया कराई जाती थ । मेग थनीज क ‘ लनी’ क अनुसार, चं गु क सेना म 6
लाख पैदल सैिनक, 30 हजार घुड़सवार और 9 हजार हाथी शािमल थे। इसक अलावा उनक सेना म 8 हजार रथ
थे। येक महारथी क रथ म दो या चार घोड़ जुते रहते थे और उस पर सारिथ क अित र दो सश सैिनक
चलते थे। हाथी पर महावत क अित र 4 िनशानची रहते थे। इस कार हािथय क साथ लगभग 36,000 और
रथ क साथ लगभग 24,000 सैिनक चलते थे। इस कार चं गु क कल सैिनक क सं या 6,90,000 थी। इस
तरह पूर सा ा य म सैिनक क छावनी होती थी। कहा जाता ह िक इतनी बड़ी सेना मुगल क पास भी नह थी।
सेना क सव पदािधकारी को सेनापित (कमांडर-इन-चीफ) कहा जाता था और वह िकसी भी िव ोह का दमन
करने क िलए सेना का नेतृ व करता था। यु क समय वह राजमहल से बाहर िनकलकर सेना का नेतृ व करता
था। मेग थनीज क अनुसार, सेना क शासन क िलए एक थायी यु -कायालय था। वहाँ 30 सद य का आयोग
था, िजसे 6 बोड म बाँटा गया था और येक बोड म 5 सद य होते थे। चाण य क अथशा क अनुसार, इन
बोड पर सेना क चार िवभाग क ज रत को पूरा करना और उनक देखभाल करने का दािय व था।
पहला बोड नौ-सेना का संचालन करता था। वह नावा य क प म जाना जाता था। उस पदािधकारी का काम