4. 1. शरीर की वृद्धि रुकना।
2. पीले रंग की त्वचा।
3. शीघ्र थकान आना।
4. धचड़धचड़ापन तथा घबराहट ।
5. रुखे और चमक रहहत बाल ।
5. 6. िँसी हुई आँखें तथा उनके चारों ओर काला वृत्त।
7. कमजोरी तथा शरीर का वजन कम होना ।
8. नींद तथा पाचन क्रिया का गड़बड़ होना।
9. हाथ पैर पतले और पेट बढा होना
10. शरीर में सूजन आना (अक्सर बच्चों में)।
11. कु पोषण के कारण
1. खाने में पोषक तत्वों की कमी-
आप पेटभर खाना खा रहे हैं क्रिर भी अगर कु पोषण का शशकार होते जा रहे हैं तो
मेन्यू पर ध्यान देने की जरूरत है। बहुत संभव है क्रक आपके खाने में पोषक तत्वों
की कमी हो। कई खाद्य पदाथथ स्वाहदष्ट होते हैं लेक्रकन हमारे शरीर में पोषक
तत्वों की कमी को पूरा नहीं कर पाते।
2. असंतुभित खाना-
हमारे शरीर को उम्र और आयु के हहसाब से पोषण की अलग-अलग मात्रा की
जरूरत होती है। मान शलया आप आिा ग्लास दूि पीते हैं और आपके शरीर को
एक ग्लास दूि की जरूरत है तो पोषण अिूरा रह जाएगा।
12. कु पोषण के कारण
3. अनुपयुक्त िोजन -
जरूरत के हहसाब से शरीर को अलग-अलग मात्रा में पोषण की
जरूरत होती है।
4. आर्थिक कारण और जागरूकता की कमी-
कु छ लोगों की आधथथक स्स्थतत इतनी अच्छी नहीं होती क्रक वे
पोषक खाना खा सकें । वहीं कु छ लोग शसिथ पेट और स्वाद के
शलए खाना खाते हैं और पोषक तत्वों की जरूरत को दरक्रकनार
कर देते हैं।
13. कु पोषण के कारण
5. पयािप्त नींद न िेना-
रोजाना आठ घंटे की नींद जरूरी होती है। नींद की
कमी होने से पोषक खाना खाने के बावजूद शरीर पोषण
को अवशोषषत नहीं कर पाता और िीरे-िीरे कु पोषण
का शशकार बन जाता है।
6. बुखार, दस्त, ख ंसी आहद बीमाररयों से
16. उपचार
• बीमारी की शीघ्रततशीघ्र पहचान कर इलाज।
• छ: माह तक बच्चे को के वल स्तनपान।
• बच्चे के स्तनपान व खाना खखलाने हेतु मां को वक्त और मदद
दे।
• हर २-३ घंटों में कु छ खखलाये ।
• छठे माह के बाद अंडे या मछली का टुकडा खखलाये।
• शाकाहारी हो तो मूंगिली दाना, सोयाबबन, दालों को खखलाये।
17. उपचार
• बच्चों को भरपूर तेल-घी खाने दे।
• भरपूर शक्कर और गुड खाने दे।
• शक्कर और गुड से कृ मी होने की क्रिि ना करे।
उसका शक्कर गुड से कोई संबंि नही है।
• िल, हरी सस्जजय ंकरके खखलाएँ।बच्चे का समय-
समय पर ज ंच करवाएँ।
18. उपचार
• बच्चे को खखलाने के पूवथ हाथ साि कर ले।
• हमेशा संडास का प्रयोग करे।
• बाहर संडास करने से रोगजंतू िै लते है। जो बच्चों के पोषण
के शलये खतरा है।
• गभथवती मां का खयाल रखे। इससे बच्चे का वजन बढेगा।
• मां को अच्छे से भोजन, नींद और आराम शमलना चाहहये।
19. उपचार
• लडकी की शादी सही उम्र में ही करे। कम उम्र
माताओं के बच्चे कम वजन के होते है।
• बालसंगोपन मे माँ के साथ षपता भी सहभागी हो।
यह सब पूरे पररवार को करना चाहहये।
• बच्चा स्जतना चाहे खाने दे। खाने-षपने की वस्तुएँ
उन्हे सहजता से शमले ऐसे रखे।
• बच्चों को तले-मसालेदार पदाथों की आदत ना डाले।