SlideShare a Scribd company logo
1 of 7
Download to read offline
Downloaded from: justpaste.it/5h2vh
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
सरदार वल्लभ भाई पटेल - [Sardar Vallabhbhai Patel ki
Jivani]
gurukul99.com 
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
श्री वल्लभ भाई झावेरभाई पटेल जी हिंदुस्तान में सरदार पटेल के नाम से जाने जाते हैं। सरदार का अर्थ होता है नेतृत्व
करने वाला व्यक्ति और देश को एकजुट करने में और आज़ादी के बाद देश की राजनीति में सरदार पटेल ने बहुत मुख्य
किरदार निभाया था। इनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 में नादियाड में हुआ जो इस समय गुजरात का हिस्सा है। इनके
पिता जी का नाम श्री झावेरभाई पटेल और माता जी लाड बाई थीं।


बचपन – Sardar Vallabhbhai Patel Childhood
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani
इनकी परवरिश इनके जन्म स्थल में ही हुई और शुरूआत की पढ़ाई के लिए नादियाड और बोर्साद के विद्यालों तक यात्रा
किया करते थे। 22 वर्ष की उम्र में दसवी कक्षा की पढ़ाई पूरी करने में इनके बड़े बुज़ुर्ग इन्हें लापरवाह मानते थे। परन्तु
पटेल जी की खुद की नज़रों में वकील बनने के बड़े सपने थे । उन्होंने खुद पैसा जमा कर के इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई
की और इसे सिलसिले में घर से बहुत साल दूर रहे।


विवाहित जीवन और व्यवसाय की शुरूआत
इंग्लैंड से पढ़ाई ख़तम होने के बाद पटेल जी ने अपने देश लौट कर झवेरबेन से विवाह कर लिया और गोधरा में उनके साथ
घर बसा के रहने लगे। वही से उन्होंने वकालत का अभ्यास करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उन्हें दौलत और शौहरत
मिलने लगी। कु छ समय बाद उनकी एक बेटी मनीबेन और बेटा दह्याभाई पैदा हो गए।
वकालत का अभ्यास करते करते सरदार पटेल ने एडवर्ड मेमोरियल हाई स्कू ल की स्थापना की। दुभग्यवश इस दौरान
उनकी पत्नी को कैं सर हो गया और एक सर्जरी के दौरान उनका हस्पताल में ही देहांत हो गया। पटेल जी दूसरी शादी के
हक में नहीं थे इसलिए उन्होंने अपनी परिवार के सहायता से दोनों बच्चों की परवरिश की। 36 वर्ष की आयु में को फिर
इंग्लैंड चले गए और मिडिल स्कू ल से डिग्री ले कर 30 महीने बाद लौट आए।


राजनीति और आज़ादी की लड़ाई में शामिल होना
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani


Image Source
1917 में पटेल जी ने पहली बार राजनीति के मैदान में कदम रखा जब उनके दोस्तों ने ज़ोर दे कर उन्हें अहमदाबाद के एक
कमिश्नर कि उपाधि में खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया और वो जीत भी गए। इस दौरान जब वो अंग्रेजी अफसरों से
रोज़ाना भिड़ते थे तो उनको देश की आज़ादी नामुमकिन से लगने लगी।


उस समय वो गांधी जी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का मखौल करने लगे की आज़ादी लेना बिलकु ल आसान कार्य नहीं है।
परंतु गांधी के से एक विस्तार मुलाकात होने के बाद वो भी पूरी देश भक्ति की भावना से आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो
गए।
गांधी जी के कहने पर पटेल जी गुजरात सभा के रूप में कांग्रेस से भी जुड़ गए। उन्होंने वहां के छोटे छोटे जिलों में स्वयं
जा कर गांव वालों को अंग्रेजों को किसी भी प्रकार का कर देने से मना किया। परिणाम स्वरूप अंग्रेजों ने गांव की संपत्ति
पर क़ब्ज़ा करना शुरू कर दिया।


परन्तु पटेल जी ने विभिन्न सेनानियों साथ मिल के उन्हें और उनकी सम्पत्ति को सुरक्षित किया और अंत में अंग्रेजों को
पटेल जी की बात मान कर उस वर्ष के लिए टैक्स माफ़ करना पड़ा। यह घटना गुजरात के सत्याग्रह के नाम से जानी जाती
है।


आज़ादी की लड़ाई
इसके बाद सरदार पटेल गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रेसिडेंट बन गए और गुजरात की छोटी छोटी समस्याओं का
समाधान जैसे जाती भेद भाव, अस्पृश्यता, नशे, महिलाओं का उत्थान करने में जुट गए। इसके पश्चात उन्होंने स्वदेशी
मूवमेंट में भी बढ़ चड़ कर हिस्सा लिया और अंग्रेज़ी वस्तुओं को चौंक में जला कर खादी पहनने का उपदेश दिया।
उन्होंने गांधी जी के असहयोग आन्दोलन का साथ देते हुए बहुत धन राशि इकट्ठी की ओर उनके बच्चे भी के वल खादी
पहनने लग गए। चौरी चौरा में हिंसा के बाद उन्होंने गांधी जी के अहस्योग आंदोलन को हटाने में भी साथ दिया।


इस दौरान उन्होंने गुजरात में आधारिक संरचना का सुधार किया। विद्यालयों और अध्यापकों का सहयोग करते हुए शिक्षा
व्यवस्था में सुधार किया। उन्होंने अच्छे रिफ्यूजी सेंटर बना कर उनके लिए खाना, कपड़े, दवाईयां और बाकी ज़रूरी
वस्तुओं का इंतज़ाम करवाया। और तो और जब गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया, तब सरदार पटेल ने ही नागपुर के
सत्याग्रह का नेतृत्व किया।
जब गांधी जी दांडी मार्च में जुटे थे, सरदार पटेल जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें कोई वकील भी नहीं दिया
गया। एक बार बेल पर छूटने के बाद उन्होंने फिर से बंबई में एक जलूस निकला, जिसके परिणामस्वरूप वो फिर से
गिरफ्तार हो गए। इस घटना से पहले सरदार पटेल को देश भर के कांग्रेस का मुख्य बना दिया गया था। गांधी जी और
सरदार पटेल दोनों के गिरफ्तार होने के रोष में हिन्दुस्तानी और जोश से बागी होने लगे।
जेल में एक साथ रह कर सरदार पटेल और गांधी जी के सम्बन्ध और गहरे हो गए। सरदार पटेल को नासिक जेल में भेज
दिया गया और वो अपने भाई के अंतिम संस्कार में भी शामिल ना हो सके । 1934 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और
उन्होंने कांग्रेस के मुख्य की कु र्सी का लाभ ले कर देश को इकजुठ करना आरंभ कर दिया। कांग्रेस की बैठकों दौरान उनकी
नेहरू जी से अन बन होने लगी और नेता सुभाष चन्द्र बोस से भी अदालत में लड़ाई हुई।


राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान
सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व के बारे में मौलाना शौकत अली कहा करते थे कि “पटेल जी सिर्फ बाहर से बर्फ के
समान शांत थे। किंतु उग्र स्वभाव और योद्धा प्रकृ ति उनके वास्तविक रूप का परिचायक थी। जो उन्हें अपने पिता से
विरासत के रूप में मिली थी”
लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के बाद लगभग 500 से अधिक देशी रियासतों का भारत में विलय
कराकर देश की एकता और अखंडता में विशेष योगदान दिया था। इसलिए उन्हें भारत की राष्ट्रीय एकता का सूत्रधार माना
जाता है।
यह बात उस समय की है जब देश की आजादी के बाद सरदार पटेल जी को सर्वसम्मति से गृह मंत्री चुना गया था। उस
दौरान उनके कं धों पर देशी रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने की जिम्मेदारी थी। जिसके चलते सरदार पटेल ने सबसे
पहले उन देशी रियासतों को भारतीय संघ का हिस्सा बनाया। जोकि भारत देश में अपनी अलग व्यवस्था के अंतर्गत शासन
कर रहे थे।


हालांकि सरदार पटेल के साथ वी पी मेमन जोकि एक सिविल अधिकारी थे, इन दोनों ने मिलकर ही देशी रियासतों के
भारत में विलय का कठिन कार्य सम्पूर्ण किया। उस दौरान काफी सारे देशी शासक भारतीय संघ का हिस्सा नहीं बनना
चाहते थे। वह अपना अलग शासन ही चलाना चाहते थे।


लेकिन सरदार पटेल के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप करीब 500 से अधिक देशी रियासतों के शासकों ने विलय के
दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए। इसमें हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ रियासतों के शासक शामिल नहीं थे। यहां तक कि
भारतीय संघ में विलय के प्रस्ताव को लेकर वी पी मेमन पर जोधपुर के तत्कालीन शासक ने बंदूक तान दी थी।
लेकिन यह दोनों ना डरें और ना ही पीछे हटे। यही कारण था कि आगे चलकर बाकी तीनों रियासतों (हैदराबाद, कश्मीर,
जूनागढ़) के शासकों ने भी विलय प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं था। क्योंकि जहां एक
ओर जूनागढ़ के शासक ने विलय प्रस्ताव को पहले अस्वीकार करके प्रजा को अपना शत्रु बना लिया था। और भागकर
पाकिस्तान चला गया था।


तो वहीं हैदराबाद के निजाम के खिलाफ सरदार पटेल ने विद्रोह का एलान कर दिया था। जिसके बाद निजाम ने सरदार
पटेल के आगे आत्मसमर्पण कर विलय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। साथ ही लक्ष्यद्वीप को भी भारत का हिस्सा बनाने में
पटेल जी ने अपना काफी योगदान दिया था।


कहा जाता है कि अगर सरदार पटेल की बात मानकर जवाहर लाल नेहरू तिब्बत पर चीन का प्रभुत्व स्थापित नहीं होने
देते तो हम चीन से कभी नहीं पिछड़ते। इन्हें गुजरात में मौजूद सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण का भी श्रेय दिया जाता है।
और आज अगर सरदार पटेल जी जिंदा होते तो सम्पूर्ण देश से नौकरशाही व्यवस्था समाप्त हो जाती।


क्योंकि अंग्रेजों की गुलामी करके हताश हो चुके सिविल अधिकारियों में देशभक्ति का जज्बा सरदार पटेल ने जगाया। इस
प्रकार, सरदार वल्लभभाई पटेल ना के वल एक राजनीतिज्ञ थे बल्कि वह एक महान देशभक्त और उच्च विचारों वाले
व्यक्ति थे।


जिन्होंने देश की आजादी से पहले और बाद में भी राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। यही कारण
है कि महात्मा गांधी ने भी सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में कहा था कि देशी रियासतों की समस्या इतनी जटिल है, कि
इसका हल के वल पटेल ही कर सकते हैं। इसलिए आज सम्पूर्ण भारत वर्ष में सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष के
नाम से जाना जाता है।


अन्तिम समय एवम् स्वर्गवास – Sardar Vallabhbhai Patel Death
आज़ादी के बाद सरदार पटेल को गृह मंत्री बनाया गया और उन्होंने नए आज़ाद हुए देश का बहुत कल्याण किया। 1950
में उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और उनकी बेटी मनी ने उनका ध्यान रखना और मेडिकल टीम को घर पर ही रहने को
कहा। उनको स्वयं अपनी मृत्यु आती दिख रही थी और अंत में को पूर्णतः बिस्तर पर ही थे और धीरे धीरे होश खोते जा रहे
थे। 15 दिसंबर, 1950 में उन्हें बहुत गंभीर दिल का दौरा पड़ा जिस कारण वो स्वर्गवस हो गए। इस गम में नेहरू जी के
कहने पर देश भर में एक हफ़्ते का शोक मनाया गया।


Sardar Vallabhbhai Patel Statue
सरदार वल्लभ भाई पटेल के देश की आजादी में योगदान को स्मरण रखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
उनकी सबसे बड़ी मूर्ति की स्थापना की है। जोकि वर्तमान में उनके स्मारक के तौर पर जानी जाती है। उनकी यह मूर्ति
एकता की मिसाल (statue of unity) है।
Sardar Vallabhbhai Patel
Information in Hindi
जिसे साल 2013 में गुजरात राज्य के नर्मदा जिले में स्थापित किया गया है। इसका निर्माण साल 2013 में शुरू हुआ था।
जिसे बनने में करीब 7 साल का समय लगा। और सरदार पटेल जी की मूर्ति का उदघाटन 31 अक्टूबर 2018 को एकता
दिवस वाले दिन किया गया। जिसको बनाने का श्रेय मशहूर मूर्तिकार राम सुतार को दिया जाता है।
यह विश्व की सबसे ऊं ची मूर्ति है, जिसकी लंबाई 597 फीट है। और इसकी लागत कु ल 2,063 करोड़ रुपए है। आपकी
जानकारी के लिए बता दें कि पटेल जी की मूर्ति के निर्माण में सम्पूर्ण देश के करीब 6 लाख ग्रामवासियों ने लोहा दान
किया था। इस दौरान स्टेच्यू ऑफ यूनिटी नाम से एक अभियान भी चलाया गया था। जिसमें देश के अलग अलग राज्यों से
लोगों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज करवाई थी। इसी दौरान सुराज नाम से एक हस्ताक्षर अभियान और रन फॉर यूनिटी जैसी
मैराथन को भी संचालित किया गया था।
पटेल जी की मूर्ति को साधु बेट नामक नदी के द्वीप पर बनाया गया है। जोकि मुख्य रूप से इस्पात सांचे, प्रबलित कं क्रीट
और कांस्य लेपन से तैयार की गई है।
पर्यटकों की सुविधा की दृष्टि से, मूर्ति के आस पास खाने पीने और अन्य सामानों की दुकानों को खोला गया है। साथ ही
मूर्ति को तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें छत, छज्जा और समतल भूमि मौजूद है। मूर्ति की छत तक पहुंचने के लिए
आप लिफ्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।


स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए एक समय पर 200 लोगों को प्रवेश की अनुमति दी गई है। और यह पर्यटकों के लिए
सोमवार के दिन बंद रहता है। इस प्रकार, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को सदा आजाद भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई
पटेल की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता है।
Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani – एक दृष्टि में
पूरा नामसरदार वल्लभ भाई पटेलजन्म वर्ष31 अक्टूबर 1875जन्म स्थाननादियाड, गुजरातमृत्यु वर्ष15 दिसंबर
1950मृत्यु का कारणदिल का दौरापिता का नामश्री झावर भाई पटेलमाता का नामलाड भाईशिक्षाबैरिस्टर की
पढ़ाईधर्महिन्दूजातिकु र्मीजीवनसाथीझवेरबाईसंतानदह्याभाई और मणिबेनभाई और बहनसोम भाई, बिट्ठल भाई,
नरसीभाई, दहिबापार्टीकांग्रेसउपाधिलौह पुरुषस्मृतिस्टेच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरातशिक्षावकालतलोकप्रियतासमाज सुधारक,
राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की कोशिशपदआज़ाद भारत के प्रथम गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्रीसम्मानभारत रत्न
Sardar Vallabhbhai Patel Information in Hindi – महत्वपूर्ण वर्ष
1875जन्म1917खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व1917बोरसाद में दिया ओजस्वी भाषण1920कांग्रेस में सम्मिलित हुए1922-
1927नगर निगम अध्यक्ष का चुनाव जीता1923सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व1928सरदार पटेल की ख्याति
मिली1932राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया1945कांग्रेस अध्यक्ष बने1947560 रियासतों का भारत में
विलय1950मृत्यु1991भारत रत्न मिला2013स्टैचू ऑफ यूनिटी गुजरात में बना|
 
 

More Related Content

Featured

How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental HealthHow Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
ThinkNow
 
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie InsightsSocial Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Kurio // The Social Media Age(ncy)
 

Featured (20)

2024 State of Marketing Report – by Hubspot
2024 State of Marketing Report – by Hubspot2024 State of Marketing Report – by Hubspot
2024 State of Marketing Report – by Hubspot
 
Everything You Need To Know About ChatGPT
Everything You Need To Know About ChatGPTEverything You Need To Know About ChatGPT
Everything You Need To Know About ChatGPT
 
Product Design Trends in 2024 | Teenage Engineerings
Product Design Trends in 2024 | Teenage EngineeringsProduct Design Trends in 2024 | Teenage Engineerings
Product Design Trends in 2024 | Teenage Engineerings
 
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental HealthHow Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
How Race, Age and Gender Shape Attitudes Towards Mental Health
 
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdfAI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
AI Trends in Creative Operations 2024 by Artwork Flow.pdf
 
Skeleton Culture Code
Skeleton Culture CodeSkeleton Culture Code
Skeleton Culture Code
 
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
PEPSICO Presentation to CAGNY Conference Feb 2024
 
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
Content Methodology: A Best Practices Report (Webinar)
 
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
How to Prepare For a Successful Job Search for 2024
 
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie InsightsSocial Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
Social Media Marketing Trends 2024 // The Global Indie Insights
 
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
Trends In Paid Search: Navigating The Digital Landscape In 2024
 
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
5 Public speaking tips from TED - Visualized summary
 
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
ChatGPT and the Future of Work - Clark Boyd
 
Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next Getting into the tech field. what next
Getting into the tech field. what next
 
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search IntentGoogle's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
Google's Just Not That Into You: Understanding Core Updates & Search Intent
 
How to have difficult conversations
How to have difficult conversations How to have difficult conversations
How to have difficult conversations
 
Introduction to Data Science
Introduction to Data ScienceIntroduction to Data Science
Introduction to Data Science
 
Time Management & Productivity - Best Practices
Time Management & Productivity -  Best PracticesTime Management & Productivity -  Best Practices
Time Management & Productivity - Best Practices
 
The six step guide to practical project management
The six step guide to practical project managementThe six step guide to practical project management
The six step guide to practical project management
 
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
Beginners Guide to TikTok for Search - Rachel Pearson - We are Tilt __ Bright...
 

Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani

  • 1. Downloaded from: justpaste.it/5h2vh Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani सरदार वल्लभ भाई पटेल - [Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani] gurukul99.com  Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani श्री वल्लभ भाई झावेरभाई पटेल जी हिंदुस्तान में सरदार पटेल के नाम से जाने जाते हैं। सरदार का अर्थ होता है नेतृत्व करने वाला व्यक्ति और देश को एकजुट करने में और आज़ादी के बाद देश की राजनीति में सरदार पटेल ने बहुत मुख्य किरदार निभाया था। इनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 में नादियाड में हुआ जो इस समय गुजरात का हिस्सा है। इनके पिता जी का नाम श्री झावेरभाई पटेल और माता जी लाड बाई थीं। बचपन – Sardar Vallabhbhai Patel Childhood
  • 2. Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani इनकी परवरिश इनके जन्म स्थल में ही हुई और शुरूआत की पढ़ाई के लिए नादियाड और बोर्साद के विद्यालों तक यात्रा किया करते थे। 22 वर्ष की उम्र में दसवी कक्षा की पढ़ाई पूरी करने में इनके बड़े बुज़ुर्ग इन्हें लापरवाह मानते थे। परन्तु पटेल जी की खुद की नज़रों में वकील बनने के बड़े सपने थे । उन्होंने खुद पैसा जमा कर के इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई की और इसे सिलसिले में घर से बहुत साल दूर रहे। विवाहित जीवन और व्यवसाय की शुरूआत इंग्लैंड से पढ़ाई ख़तम होने के बाद पटेल जी ने अपने देश लौट कर झवेरबेन से विवाह कर लिया और गोधरा में उनके साथ घर बसा के रहने लगे। वही से उन्होंने वकालत का अभ्यास करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उन्हें दौलत और शौहरत मिलने लगी। कु छ समय बाद उनकी एक बेटी मनीबेन और बेटा दह्याभाई पैदा हो गए। वकालत का अभ्यास करते करते सरदार पटेल ने एडवर्ड मेमोरियल हाई स्कू ल की स्थापना की। दुभग्यवश इस दौरान उनकी पत्नी को कैं सर हो गया और एक सर्जरी के दौरान उनका हस्पताल में ही देहांत हो गया। पटेल जी दूसरी शादी के हक में नहीं थे इसलिए उन्होंने अपनी परिवार के सहायता से दोनों बच्चों की परवरिश की। 36 वर्ष की आयु में को फिर इंग्लैंड चले गए और मिडिल स्कू ल से डिग्री ले कर 30 महीने बाद लौट आए। राजनीति और आज़ादी की लड़ाई में शामिल होना
  • 3. Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani Image Source 1917 में पटेल जी ने पहली बार राजनीति के मैदान में कदम रखा जब उनके दोस्तों ने ज़ोर दे कर उन्हें अहमदाबाद के एक कमिश्नर कि उपाधि में खड़े होने के लिए प्रोत्साहित किया और वो जीत भी गए। इस दौरान जब वो अंग्रेजी अफसरों से रोज़ाना भिड़ते थे तो उनको देश की आज़ादी नामुमकिन से लगने लगी। उस समय वो गांधी जी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का मखौल करने लगे की आज़ादी लेना बिलकु ल आसान कार्य नहीं है। परंतु गांधी के से एक विस्तार मुलाकात होने के बाद वो भी पूरी देश भक्ति की भावना से आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो गए। गांधी जी के कहने पर पटेल जी गुजरात सभा के रूप में कांग्रेस से भी जुड़ गए। उन्होंने वहां के छोटे छोटे जिलों में स्वयं जा कर गांव वालों को अंग्रेजों को किसी भी प्रकार का कर देने से मना किया। परिणाम स्वरूप अंग्रेजों ने गांव की संपत्ति पर क़ब्ज़ा करना शुरू कर दिया। परन्तु पटेल जी ने विभिन्न सेनानियों साथ मिल के उन्हें और उनकी सम्पत्ति को सुरक्षित किया और अंत में अंग्रेजों को पटेल जी की बात मान कर उस वर्ष के लिए टैक्स माफ़ करना पड़ा। यह घटना गुजरात के सत्याग्रह के नाम से जानी जाती है। आज़ादी की लड़ाई इसके बाद सरदार पटेल गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रेसिडेंट बन गए और गुजरात की छोटी छोटी समस्याओं का समाधान जैसे जाती भेद भाव, अस्पृश्यता, नशे, महिलाओं का उत्थान करने में जुट गए। इसके पश्चात उन्होंने स्वदेशी मूवमेंट में भी बढ़ चड़ कर हिस्सा लिया और अंग्रेज़ी वस्तुओं को चौंक में जला कर खादी पहनने का उपदेश दिया।
  • 4. उन्होंने गांधी जी के असहयोग आन्दोलन का साथ देते हुए बहुत धन राशि इकट्ठी की ओर उनके बच्चे भी के वल खादी पहनने लग गए। चौरी चौरा में हिंसा के बाद उन्होंने गांधी जी के अहस्योग आंदोलन को हटाने में भी साथ दिया। इस दौरान उन्होंने गुजरात में आधारिक संरचना का सुधार किया। विद्यालयों और अध्यापकों का सहयोग करते हुए शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया। उन्होंने अच्छे रिफ्यूजी सेंटर बना कर उनके लिए खाना, कपड़े, दवाईयां और बाकी ज़रूरी वस्तुओं का इंतज़ाम करवाया। और तो और जब गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया, तब सरदार पटेल ने ही नागपुर के सत्याग्रह का नेतृत्व किया। जब गांधी जी दांडी मार्च में जुटे थे, सरदार पटेल जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें कोई वकील भी नहीं दिया गया। एक बार बेल पर छूटने के बाद उन्होंने फिर से बंबई में एक जलूस निकला, जिसके परिणामस्वरूप वो फिर से गिरफ्तार हो गए। इस घटना से पहले सरदार पटेल को देश भर के कांग्रेस का मुख्य बना दिया गया था। गांधी जी और सरदार पटेल दोनों के गिरफ्तार होने के रोष में हिन्दुस्तानी और जोश से बागी होने लगे। जेल में एक साथ रह कर सरदार पटेल और गांधी जी के सम्बन्ध और गहरे हो गए। सरदार पटेल को नासिक जेल में भेज दिया गया और वो अपने भाई के अंतिम संस्कार में भी शामिल ना हो सके । 1934 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया और उन्होंने कांग्रेस के मुख्य की कु र्सी का लाभ ले कर देश को इकजुठ करना आरंभ कर दिया। कांग्रेस की बैठकों दौरान उनकी नेहरू जी से अन बन होने लगी और नेता सुभाष चन्द्र बोस से भी अदालत में लड़ाई हुई। राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व के बारे में मौलाना शौकत अली कहा करते थे कि “पटेल जी सिर्फ बाहर से बर्फ के समान शांत थे। किंतु उग्र स्वभाव और योद्धा प्रकृ ति उनके वास्तविक रूप का परिचायक थी। जो उन्हें अपने पिता से विरासत के रूप में मिली थी” लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजादी के बाद लगभग 500 से अधिक देशी रियासतों का भारत में विलय कराकर देश की एकता और अखंडता में विशेष योगदान दिया था। इसलिए उन्हें भारत की राष्ट्रीय एकता का सूत्रधार माना जाता है। यह बात उस समय की है जब देश की आजादी के बाद सरदार पटेल जी को सर्वसम्मति से गृह मंत्री चुना गया था। उस दौरान उनके कं धों पर देशी रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने की जिम्मेदारी थी। जिसके चलते सरदार पटेल ने सबसे पहले उन देशी रियासतों को भारतीय संघ का हिस्सा बनाया। जोकि भारत देश में अपनी अलग व्यवस्था के अंतर्गत शासन कर रहे थे। हालांकि सरदार पटेल के साथ वी पी मेमन जोकि एक सिविल अधिकारी थे, इन दोनों ने मिलकर ही देशी रियासतों के भारत में विलय का कठिन कार्य सम्पूर्ण किया। उस दौरान काफी सारे देशी शासक भारतीय संघ का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। वह अपना अलग शासन ही चलाना चाहते थे। लेकिन सरदार पटेल के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप करीब 500 से अधिक देशी रियासतों के शासकों ने विलय के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए। इसमें हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ रियासतों के शासक शामिल नहीं थे। यहां तक कि भारतीय संघ में विलय के प्रस्ताव को लेकर वी पी मेमन पर जोधपुर के तत्कालीन शासक ने बंदूक तान दी थी।
  • 5. लेकिन यह दोनों ना डरें और ना ही पीछे हटे। यही कारण था कि आगे चलकर बाकी तीनों रियासतों (हैदराबाद, कश्मीर, जूनागढ़) के शासकों ने भी विलय प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं था। क्योंकि जहां एक ओर जूनागढ़ के शासक ने विलय प्रस्ताव को पहले अस्वीकार करके प्रजा को अपना शत्रु बना लिया था। और भागकर पाकिस्तान चला गया था। तो वहीं हैदराबाद के निजाम के खिलाफ सरदार पटेल ने विद्रोह का एलान कर दिया था। जिसके बाद निजाम ने सरदार पटेल के आगे आत्मसमर्पण कर विलय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। साथ ही लक्ष्यद्वीप को भी भारत का हिस्सा बनाने में पटेल जी ने अपना काफी योगदान दिया था। कहा जाता है कि अगर सरदार पटेल की बात मानकर जवाहर लाल नेहरू तिब्बत पर चीन का प्रभुत्व स्थापित नहीं होने देते तो हम चीन से कभी नहीं पिछड़ते। इन्हें गुजरात में मौजूद सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण का भी श्रेय दिया जाता है। और आज अगर सरदार पटेल जी जिंदा होते तो सम्पूर्ण देश से नौकरशाही व्यवस्था समाप्त हो जाती। क्योंकि अंग्रेजों की गुलामी करके हताश हो चुके सिविल अधिकारियों में देशभक्ति का जज्बा सरदार पटेल ने जगाया। इस प्रकार, सरदार वल्लभभाई पटेल ना के वल एक राजनीतिज्ञ थे बल्कि वह एक महान देशभक्त और उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे। जिन्होंने देश की आजादी से पहले और बाद में भी राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने भी सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में कहा था कि देशी रियासतों की समस्या इतनी जटिल है, कि इसका हल के वल पटेल ही कर सकते हैं। इसलिए आज सम्पूर्ण भारत वर्ष में सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है। अन्तिम समय एवम् स्वर्गवास – Sardar Vallabhbhai Patel Death आज़ादी के बाद सरदार पटेल को गृह मंत्री बनाया गया और उन्होंने नए आज़ाद हुए देश का बहुत कल्याण किया। 1950 में उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा और उनकी बेटी मनी ने उनका ध्यान रखना और मेडिकल टीम को घर पर ही रहने को कहा। उनको स्वयं अपनी मृत्यु आती दिख रही थी और अंत में को पूर्णतः बिस्तर पर ही थे और धीरे धीरे होश खोते जा रहे थे। 15 दिसंबर, 1950 में उन्हें बहुत गंभीर दिल का दौरा पड़ा जिस कारण वो स्वर्गवस हो गए। इस गम में नेहरू जी के कहने पर देश भर में एक हफ़्ते का शोक मनाया गया। Sardar Vallabhbhai Patel Statue सरदार वल्लभ भाई पटेल के देश की आजादी में योगदान को स्मरण रखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सबसे बड़ी मूर्ति की स्थापना की है। जोकि वर्तमान में उनके स्मारक के तौर पर जानी जाती है। उनकी यह मूर्ति एकता की मिसाल (statue of unity) है।
  • 6. Sardar Vallabhbhai Patel Information in Hindi जिसे साल 2013 में गुजरात राज्य के नर्मदा जिले में स्थापित किया गया है। इसका निर्माण साल 2013 में शुरू हुआ था। जिसे बनने में करीब 7 साल का समय लगा। और सरदार पटेल जी की मूर्ति का उदघाटन 31 अक्टूबर 2018 को एकता दिवस वाले दिन किया गया। जिसको बनाने का श्रेय मशहूर मूर्तिकार राम सुतार को दिया जाता है। यह विश्व की सबसे ऊं ची मूर्ति है, जिसकी लंबाई 597 फीट है। और इसकी लागत कु ल 2,063 करोड़ रुपए है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पटेल जी की मूर्ति के निर्माण में सम्पूर्ण देश के करीब 6 लाख ग्रामवासियों ने लोहा दान किया था। इस दौरान स्टेच्यू ऑफ यूनिटी नाम से एक अभियान भी चलाया गया था। जिसमें देश के अलग अलग राज्यों से लोगों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज करवाई थी। इसी दौरान सुराज नाम से एक हस्ताक्षर अभियान और रन फॉर यूनिटी जैसी मैराथन को भी संचालित किया गया था। पटेल जी की मूर्ति को साधु बेट नामक नदी के द्वीप पर बनाया गया है। जोकि मुख्य रूप से इस्पात सांचे, प्रबलित कं क्रीट और कांस्य लेपन से तैयार की गई है। पर्यटकों की सुविधा की दृष्टि से, मूर्ति के आस पास खाने पीने और अन्य सामानों की दुकानों को खोला गया है। साथ ही मूर्ति को तीन भागों में बांटा गया है। जिसमें छत, छज्जा और समतल भूमि मौजूद है। मूर्ति की छत तक पहुंचने के लिए आप लिफ्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए एक समय पर 200 लोगों को प्रवेश की अनुमति दी गई है। और यह पर्यटकों के लिए सोमवार के दिन बंद रहता है। इस प्रकार, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को सदा आजाद भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई
  • 7. पटेल की ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता है। Sardar Vallabhbhai Patel ki Jivani – एक दृष्टि में पूरा नामसरदार वल्लभ भाई पटेलजन्म वर्ष31 अक्टूबर 1875जन्म स्थाननादियाड, गुजरातमृत्यु वर्ष15 दिसंबर 1950मृत्यु का कारणदिल का दौरापिता का नामश्री झावर भाई पटेलमाता का नामलाड भाईशिक्षाबैरिस्टर की पढ़ाईधर्महिन्दूजातिकु र्मीजीवनसाथीझवेरबाईसंतानदह्याभाई और मणिबेनभाई और बहनसोम भाई, बिट्ठल भाई, नरसीभाई, दहिबापार्टीकांग्रेसउपाधिलौह पुरुषस्मृतिस्टेच्यू ऑफ यूनिटी, गुजरातशिक्षावकालतलोकप्रियतासमाज सुधारक, राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने की कोशिशपदआज़ाद भारत के प्रथम गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्रीसम्मानभारत रत्न Sardar Vallabhbhai Patel Information in Hindi – महत्वपूर्ण वर्ष 1875जन्म1917खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व1917बोरसाद में दिया ओजस्वी भाषण1920कांग्रेस में सम्मिलित हुए1922- 1927नगर निगम अध्यक्ष का चुनाव जीता1923सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व1928सरदार पटेल की ख्याति मिली1932राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया1945कांग्रेस अध्यक्ष बने1947560 रियासतों का भारत में विलय1950मृत्यु1991भारत रत्न मिला2013स्टैचू ऑफ यूनिटी गुजरात में बना|