अनुवाद के क्षेत्र कहाँ कहाँ है ......... अनुवाद की कहाँ कहाँ आवश्यकता है ।
आशुतोष कुमार विश्वकर्मा
एम.फिल( अनुवाद अध्ययन)
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय
वर्धा , महाराष्ट्र
1. महात्मा गाांधी अांतरराष्ट्रीय हहांदी हश्ववहश्ायय, शधाा
सांगोष्ठी - पत्र
सत्र – 2015-16
प्रश्न पत्र – C/102/ अनुवाद अनुशासन एवं शोध प्रवववध
ववषय : अनुवाद के क्षेत्र
प्रस्तुतकताा
आशुतोष कुमार हश्ववकमाा
एम. हिय. अनुशाद अध्ययन
(प्रथम छमाही)
मागादशाक
डॉ॰ अन्नपूर्ाा सी.
एसोहसएट प्रोिेसर
अनुशाद अध्ययन हशभाग
अनुशाद अध्ययन हशभाग
महात्मा गाांधी अांतरराष्ट्रीय हहांदी हश्ववहश्ायय, शधाा - 442005
2. अनुवाद का शावददक अर्थ
* अनुवाद शदद दो शददों ‘अनु’ उपसर्थ तर्ा ‘वाद’ प्रत्यय के संयोर् से बना है जो संस्कृ त के ‘वद’ धातु से
बना है | वजसका अर्थ ‘बोलना’ होता है |
अनु (पीछे या अनुर्मन करना) + वाद (बोलना या कहना)
इस प्रकार से अनुवाद का शावददक अर्थ होर्ा कहने या बोलने के बाद बोलना |
* अनुवाद को अँग्रेजी में TRANSLATION कहतें हैं |
अनुवाद में एक ‘स्रोत भाषा’ और एक ‘लक्ष्य भाषा’ होती है |
* अनुवाद वह प्रविया है वजसके द्वारा हम एक भाषा के ववचारों को दूसरी भाषा में व्यक्त करतें है | वजस भाषा
से अनुवाद वकया जाता है उसे ‘स्रोत भाषा’ तर्ा वजस भाषा में अनुवाद वकया जाता हैं उसे ‘लक्ष्य भाषा’
कहतें है |
3. अनुवाद की पररभाषा
कै टफोर्थ के अनुसार- “एक भाषा की पाठ्य सामग्री को दूसरी
भाषा की समानाथाक पाठ्य सामग्री से प्रहतस्थाहपत करना ही
अनुशाद है |”
न्यूमाकथ के अनुसार- “अनुशाद एक ऐसा हशल्प है हिसमें एक
भाषा में व्यक्त सांदेश के स्थान पर दूसरी भाषा के उसी सांदेश को
प्रस्तुत करने का प्रयास हकया िाता है |”
4. अनुवाद के क्षेत्र
अनुशाद के क्षेत्र को मुख्यतः दो भागों मे बााँटा िा
सकता है |
(1)- साहहहत्यक क्षेत्र |
(2)- गैर-साहहहत्यक क्षेत्र |
5. अनुवाद के सावहवत्यक क्षेत्र
अनुशाद के साहहहत्यक क्षेत्र के अांतगात अनुशाद को दो
भागों में बाांटा िा सकता है |
(1) पद्य क्षेत्र- कहशताओां, सानेट, दोहा, आहद का अनुशाद
हकया िाता है |
(2) र्द्य क्षेत्र - कहाहनयों, उपन्यासों, िीशनी, आत्मकथा,
नाटकों, आहद का अनुशाद हकया िाता है |
6. अनुवाद के र्ैर-सावहवत्यक क्षेत्र
• अनुवाद के र्ैर-सावहवत्यक क्षेत्र के अंतर्थत वनम्नवलवित क्षेत्र आते हैं |
• (1)- दैहनक िीशन व्यशहार |
• (2)- व्यापार और शाहर्ज्य |
• (3)- हशज्ञापन |
• (4)- हशक्षा |
• (5)- प्रशासन |
• (6)- पयाटन |
• (7)- साांस्कृहतक कायाकयाप |
• (8)- ज्ञान-हशज्ञान का क्षेत्र |
• (9)- िनसांचार माध्यम |
7. (1)-दैवनक जीवन व्यवहार- हमारे दैहनक िीशन में स्कूय और कॉयेि और दफ्तरों में
अनुशाद की िरूरत होती है | दैहनक िीशन व्यशहार में सहि अनुशाद होता है हिसके बारे में
व्यहक्त सचेत नहीं होता है|
(2)-व्यापार एवं वाविज्य- आयात-हनयाात, नोहटस, हनहशदा, येखा-िोखा आहद के हयए
अनुशाद की आशश्यकता होती है |
(3)-ववज्ञापन- हशज्ञापन हितनी अहधक भाषा में होगा तो उतने ही अहधक योगों तक पहाँच
सके गा | ये हशज्ञापन कई तरह के होते हैं, िैसे – रोिगारपरक, सामाहिक, प्रचारपरक,
प्रशासहनक कायों सांबांधी आहद|
ववज्ञापन दो तरह से वदये जाते हैं –
मुवित माध्यम- अखबार, होहडिंग, पोस्टर आहद |
इलेक्ट्रावनक माध्यम –रेहडयो, टेयीहशज़न आहद |
इन दोनों माध्यमों में अनुशाद की िरूरत पड़ती है |
8. (4)-वशक्षा- हशक्षा में अनुशाद की प्रधान भूहमका है | पाठ्य सामहग्रयों का
अनुशाद, शोधग्रन्थों और हशक्षर् आहद में अनुशाद की आशश्यकता पड़ती है|
(5)-प्रशासन- भारत एक बहभाषी देश है और यहााँ पर सांघात्मक शासन व्यशस्था
है | यहााँ राज्यों में भी अयग-अयग भाषाएाँ बोयी िाती है, अतः यहााँ पर प्रशासन
के कुशय सांचायन के हयए अनुशाद की आशश्यकता पड़ती है | िैसे – सांसद,
के न्रीय और राज्य प्रशासन के अांग |
(6)-पयथटन- हशदेशी पयाटकों के साथ शाताायाप करने के हयए होटयों, पयाटक
स्थयों, आहद िगहों पर अनुशाद की आशश्यकता पड़ती है |
9. (7)-सांस्कृ वतक कायथकलापों में - तीि-त्योहारों, धाहमाक उत्सशों,
मेयों, प्रशचनों आहद का अनुशाद करके उसके शास्तहशक अथा को
हभन्न-हभन्न भाषाई क्षेत्र के क्षेत्रीय भाषाओांमें पहांचाया िाता है |
(8)- ज्ञान-ववज्ञान का क्षेत्र – इसके अांतगात हचांतन-मनन, आहशष्ट्कार,
प्रौद्ध्योहगकी हशकास की िानकारी, दशान, अथाशास्त्र, समािशास्त्र,
इहतहास आहद के क्षेत्र में अनुशाद की आशश्यकता पड़ती है |
(9)-जनसंचार माध्यम- अखबार, समाचार, हिल्मों, रेहडयो,
टेयीहशज़न, पत्र–पहत्रकाओां आहद में अनुशाद की आशश्यकता पड़ती
है |
10. वनष्कषथ
शतामान समय शै्ववीकरर् का है और एक देश दूसरे देश से आहथाक, रािनीहतक,
शैहक्षक श तकनीकी रूप से िुड़ें हए हैं | इन समस्त माध्यमों को िोड़ने के हयए भाषा
एक आशश्यक इकाई है | हश्वव के अनेक देशों में हभन्न-2 भाषाएाँ बोयी िाती हैं, ये
हभन्नता अांतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय श क्षेत्रीय स्तर पर भी पायी िाती है और एक देश दूसरे
देशों से रािनीहतक, शैहक्षक, तकनीकी श आहथाक सूचनाओां का आदान-प्रदान अपने
राष्ट्र को सम्पन्न बनाने के हयए करतें हैं | िहााँ अनुशाद की आशश्यकता होती है |
अनुशाद के हबना हम हश्वव के समस्त देशों से आहत्मक, व्याशहाररक श
भाशनात्मक रूप से नहीं िुड़ पाएांगे | अतः इस िुड़ाश के हयए अनुशाद आशश्यक हो
िाता है, हिससे भाषाई हशहभन्नताएाँ समस्या नहीं बन पाये और हम शसुदैश कुटुांबकां के
आदशा को स्थाहपत कर सकते हैं |