8. पतंजर्ि का समय र्नर्ािरण
• पतंजर्ि क
े समय र्नर्ािरण क
े संबंर् में पुष्यर्मत्र कण्व वंि क
े संस्थापक ब्राह्मण राजा क
े अश्वमेर्
यज्ों की घटना को र्िया जा सकता है।
• यह घटना ई.पू. र्ितीय िताब्दी की है। इसक
े अनुसार महाभाष्य की रिना का काि ई.पू. र्ितीय
िताब्दी का मध्यकाि अथवा १५० ई.पूवि माना जा सकता है।
• पतंजर्ि की एकमात्र रिना महाभाष्य है जो उनकी कीर्ति को अमर बनाने क
े र्िये पयािप्त है।
• दििन िास्त्र में िंकरािायि को जो स्थान 'िारीररक भाष्य' क
े कारण प्राप्त है, वही स्थान पतंजर्ि
को महाभाष्य क
े कारण व्याकरण िास्त्र में प्राप्त है।
• पतंजर्ि ने इस ग्रंथ की रिना कर पार्णर्न क
े व्याकरण की प्रामार्णकता पर अंर्तम मुहर िगा दी
है।
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9. • पतंजर्ि क
े र्पतृत्व को र्नर्ािररत करने की कोर्िि में और समस्याएँ आती हैं। एक
पौरार्णक कथा क
े अनुसार
• वह अंर्गरस का पुत्र था, जो सृर्िकताि ब्रह्मा क
े दस पुत्रों में से एक थे;
• पतंजर्ि क
े समकािीन, र्सिर र्थरुमूिर क
े कायों क
े अनुसार, उनका जन्म दर्िण
क
ै िाि में अर्त्र (सप्त ऋर्षयों में से पहिा) और उनकी पत्नी अनुसूया से हुआ था, र्जसे
अब भारत क
े कोयम्बटू र से िगभग 100 र्किोमीटर दू र र्थरुमूर्ति पहाऱ्ियों क
े रूप में
जाना जाता है।
• वह 18 र्सिों में से सबसे महत्वपूणि या अिांग योग क
े स्वामी थे, र्जन्हें अन्यथा राज योग,
क
ुं डर्िनी योग या तांर्त्रक योग क
े रूप में जाना जाता है।
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10. • र्सिर र्थरुमूिर का मानना है र्क अनसूया को अपनी िुिता की क़िी परीिा से गुजरना प़िा जब र्त्रमूर्ति (ब्रह्मा,
र्वष्णु, र्िव) स्वयं उनक
े पास र्भिु (र्भिा माँगने वािे र्भिु) क
े रूप में आए और उनसे "र्नवािण र्भिा" माँगी।
• उन्हें अपनी सन्तान क
े रूप में ग्रहण करक
े उनकी सेवा करक
े उन्होंने उनकी परीिा उत्तीणि कर िी।
• एक पुरस्कार क
े रूप में, अर्त्र और अनुसूया ने तीनों मूर्तियों को अपने बच्ों, सोमस्कन्दन (पतंजर्ि), दत्तात्रेय और
दुवािसा क
े रूप में जन्म िेने का वरदान प्राप्त र्कया।
• उनकी एक बेटी भी थी र्जसका नाम अरु
ं र्र्त था र्जसका र्ववाह सप्त-ऋर्षयों में से एक वर्िष्ठ से हुआ था।
• र्थरुमूिर ने तर्मि में र्िखा, और दर्िण क
ै िाि में ज्ान (ज्ान) और रामेश्वरम में उनकी महासमार्र् (अमरता) प्राप्त
की। र्थरुमूिर ने र्थरुमंर्थरम क
े तंत्र 1 में बताया है र्क उन्होंने, पतंजर्ि और छह अन्य यौर्गक र्मत्रों ने अपने गुरु
नंदी देव से महान योग सीखा:
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11. • बोगर महर्षि क
े "भोगर 7000" में पतंजर्ि को एक र्सि (क
ुं डर्िनी योग क
े गुरु) क
े रूप में भी वर्णित र्कया गया है:
• यह मेरे दादाजी थे र्जन्होंने कहा था, "िढो और देखो।"
• िेर्कन किंगी नाथर ने मुझे जन्म र्दया।
• पतंजर्ि, व्यागीमार, और र्िवयोगी मुर्न ने ठीक ही कहा है,
• "देखो! यह रास्ता है!"
• उन्होंने समझाया र्क क
ै से िढना है और आगे जाना है।
• और यह महान माँ सवोच् थीं र्जन्होंने कहा था,
• "यह बात है!"
• िांत होने क
े बाद ... मुझे साथ क
े अनुभव का अनुभव हुआ।
• अनुभव करक
े ... मैंने 7000 की रिना की है।
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12. • रामनगरी अयोध्या से 22 र्कमी और गोंडा मुख्यािय से िगभग 40 र्किोमीटर दू र
कोडर गांव है।
• मान्यता है र्क, यह स्थान भगवान श्रीराम क
े गायों क
े िरने क
े कारण अद्धस्तत्व में आया
था।
• यहां मां गोंर्डका क
े गभि से महर्षि पतंजर्ि उत्पन्न हुए थे।
• यहीं पर रहकर उन्होंने िोगों को योग की र्ििा दी थी।
• यहां एक झीि भी है। र्जसे कोडर झीि कहा जाता है।
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