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प्रो. महेश कु मार दाधीच
एम.डी. पी.एचडी. (आयुर्वेद)
विभागाध्यक्ष, द्रव्यगुण, प्राचायय एम एस एम आयुिेद
संस्थान, भक्त फू लससंह महहला विश्िविद्यालय खानपुर
कलां
Stress
*भारत की बुननयादी स्िास््य देखभाल सेिाओं में
आयुिेद की भूसमका में मैंने उपरोक्त विषय का चयन
इससलए ककया है, क्योंकक आजकल शरीररक से ज्यादा
मानससक रोगी हो गए है, अमेररका जैसे भौनतकिादी
देशों में तो हर तीसरा नागररक मानससक व्याधियों से
पीड़ित है, िषय 2017 में विश्ि स्िास््य संघठन ने
अपनी थीम में भी अिसाद को रखा है, अिसाद का
ननराकरण आयुिेद जैसे पद्िनत से ही संभि है क्योंकक
आिुननक धचककत्सा शास्रों में के िल दिा दी जाती है
जो कक इस रोग की संप्राप्तत विघटन में सफल ससद्ि
नहीं हो पा रहा है
भूममका
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अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
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*जीर्वन क्या है/ What is
Life?
शरीर इत्रिय सत्र्व आत्मा संयोगो
धारर जीवर्वतम ्
Hardware Humam body
Networking Nerves system
Software Mind
Power Soul
3प्रो० महेश दाधीच
* Hardware-Humum body
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4प्रो० महेश दाधीच
* Networking Nerves system
tSlsadEI;qVjesadksbZfpi;kok;fjaxBhdughagksrks izksxzkeughapysxkAmlhizdkj
bfUn;vkW[k]ukd]dku]thHk] Ropkugharksmldsfo"k;dkxzg.kughaA
5प्रो० महेश दाधीच
* Software- Mind
tSlsafdlhlkW¶Vos;jdsfcukdksbZizksxzkeughapyldrk] ;Fkkikoj ikabZUVughagks
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6प्रो० महेश दाधीच
* Power - Soul
tSlsa ikoj ;kcSVjh cUnrks dEI;qVjdk dksbZ ikVZ dke ughadjsxk mlh
izdkj vkRek ugharks 'kjhj dk HkhdksbZ ikVZ dke ughadjsxkA
7प्रो० महेश दाधीच
*शाप्तत मंर
*ॐ द्यौ: शात्रतररतररक्षँ शात्रत:
पृचिर्वी शात्रतराप: शात्रतरोषधय: शात्रत: ।
र्वनस्पतय: शात्रत वर्विश्र्वे देर्वा: शात्रत र्ब्िह्म शात्रत:
सर्वँ शात्रत: शात्रतरेर्व शात्रत: सा मा शात्रतरेचध ॥
ॐ शात्रत: शात्रत: शात्रत: ॥
*यजुिेद के इस शांनत पाठ मंर के जररये सािक ईश्िर से शांनत बनाये
रखने की प्राथयना करता है। हे परमात्मा स्िरुप शांनत कीप्जये, िायु में
शांनत हो, अंतररक्ष में शांनत हो, पृ्िी पर शांनत हों, जल में शांनत हो,
औषि में शांनत हो, िनस्पनतयों में शांनत हो, विश्ि में शांनत हो, सभी
देितागणों में शांनत हो, ब्रह्म में शांनत हो, सब में शांनत हो, चारों और
शांनत हो, हे परमवपता परमेश्िर शांनत हो, शांनत हो, शांनत हो।
11/29/2019प्रो० महेश दाधीच 8
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अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
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What is the definition of stress?
*Stress: In a medical or
biological context stress is a
physical, mental, or emotional
factor that causes bodily or
mental tension. Stresses can be
external (from the environment,
psychological, or social
situations) or internal (illness,
or from a medical procedure)
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अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
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What are the causes of stress?
*The death of a loved one.
*Divorce.
*Loss of a job.
*Increase in financial obligations.
*Getting married.
*Moving to a new home.
*Chronic illness or injury.
*Emotional problems (depression,
anxiety, anger, grief, guilt, low self-
esteem)
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अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
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11 common signs and symptoms of stress
*1. Acne. Acne is one of the most visible ways
that stress often manifests itself. ...
*2. Headaches. ...
*3. Chronic Pain. ...
*4. Frequent Sickness. ...
*5. Decreased Energy and Insomnia. ...
*6. Changes in Libido. ...
*7. Digestive Issues. ...
*8. Appetite Changes...
*9. Depression...
*10. Rapid Heartbeat...
*11. Sweating...
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आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
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Emotional signs of stress
*Depression. ...
*Anxiety. ...
*Irritability. ...
*Low sex drive. ...
*Memory and concentration problems. ...
*Compulsive behavior. ...
*Mood swings.
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Behavioural signs
*No time for relaxation or pleasurable activities
*Prone to accidents, forgetfulness
*Increased reliance on alcohol, smoking, caffeine, recreational or
illegal drugs
*Becoming a workaholic
*Poor time management and/or poor standards of work
*Absenteeism
*Self neglect/change in appearance
*Social withdrawal
*Relationship problems
*Insomnia or waking tired
*Aggressive/anger
*Nervous
* lying
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अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
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What can stress do to a woman's
body?
*Stress can make IBS symptoms such
as gas and bloating worse. Obesity.
The link between stress and weight
gain is stronger for women than for
men. Stress increases the amount of
a hormone in your body called
cortisol, which can lead to
overeating and cause your body to
store fat
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अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
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इरसान और पशु में अरतर
*आहार ननिा भय मैिुनं च
सामारयमेतत् पशुमभनिराणाम् ।
धमो हह तेषामचधको वर्वशेष:
धमेण हीनााः पशुमभाः समानााः ॥
*आहार, ननद्रा, भय और मैथुन – ये तो इतसान और
पशु में समान है । इतसान में विशेष के िल िमय है,
अथायत् बबना िमय के लोग पशुतुल्य है ।
*हेतुमिँगौषधज्ञानं स्र्वस्िातुरपरायणम्।
*त्रिसूिं शाश्र्वतं पुण्यं बुबुधे यं वपतामहाः।।
*आयुिेद में धचककत्सा के तीन अंग – हेतु, मिंग, और औषध
माने जाते है। इन तीनो को त्रिसूि कहा जाता है। आयुिेद
अनुसार धचककत्सक को इन तीनों अंगों का ज्ञान होने चाहहए।
*आयुिेद के इन तीन भागों को सामूहहक रूप से बरसूर के रूप
में जाना जाता है।
*हेतु - रोगों के कारण – हेतुविज्ञान
*सलंग: - रोगों के लक्षण – संके त और लक्षण का ज्ञान
*औषि -दिाएँ ि धचककत्सा – औषधि और उपचार का ज्ञान
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त्रिसूि आयुिेद
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*अर्वसाद या डडप्रेशन का तात्पयय मनोविज्ञान के क्षेर में मनोभािों संबंिी
दुख से होता है। इसे रोग या ससंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुवियज्ञान
में कोई भी व्यप्क्त अिसाद की अिस्था में स्ियं को लाचार और
ननराश महसूस करता है।
* अिसाद: depression, decay, fading, faintness, facula, sadness
* धगराि: depression, tumble
* खखतनता: depression, fretfulness, poor or low spirits, sorrowfulness, glumness
* मतदी: depression, slack water, vacantly
* ननराशा: disappointment, frustration, hopelessness, discouragement, depression
* उदासी: sadness, flatness, melancholy, gloom, doldrums, depression
* विषाद: nostalgia, melancholia, depression, grief, gloom, dump
* गड्ढा: pit, delve, depression, dell, chamfer, hollow
* तयूनता: paucity, deficiency, decrease, subsidence, decrement, depression
* बेहदली: discouragement, dejection, depression, despondency, despond, dismals
* शप्क्तहीनता:
asthenia, powerlessness, impotence, impotency, debility, depression
पररभाषा:
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*तनार्व :तनाि के भािनात्मक कारक तथा दबाि कई सारे हैं और
अलग-अलग प्रकार के होते हैं। कु छ लोग जहां “स्रेस” को
मनोिैज्ञाननक तनाि से जोि कर देखते हैं, तो िहीं िैज्ञाननक और
डॉक्टर इस पद को ऐसे कारक के रूप में दशायने में इस्तेमाल
करते हैं, जो शारीररक कायों की प्स्थरता तथा संतुलन में
व्यििान पैदा करता है। जब लोग अपने आस-पास होने िाली
ककसी चीज़ से तनाि ग्रस्त महसूस करते हैं,
*हल्के मारा में दबाि तथा तनाि कभी कभी फायदेमंद भी होता है
जैसे परीक्षा के समय या कोई प्रोजेक्ट को पूरा करने के सलए
आहद
*तनाि दो प्रकार के होते हैं, Eustress (सकारात्मक तनाि) ि
Distress (नकारात्मक तनाि) प्जसका सामातय अथय चुनौती
तथा अधिक बोझ होता है। जब तनाि अधिक होता है या
अननयंबरत हो जाता है, तब यह नकारात्मक प्रभाि हदखाता है।
तनार्व
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*दबाि - pressure, pressing, stress, squeeze, straining, shrinkage
*बल - force, strength, power, stress, flexion, meanders
*थकान- fatigue, weariness, stress, languor, strain, lassitude
*बलाघात- stress, accent
*घोर श्रम- Stress
*बल देना - emphasize, stress, press, underline, underscore, show
off
*प्रभाि डालना - effect, stress, lay hold, impose, impose oneself
*ज़ोर देना- emphasize, intone, stress, stand
up, push, punctuate
*बलाघात करना- Stress
तनार्व
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*बाह्य कारण
*जीिन के बिे पररितयन
*आधथयक समस्याएँ
*बबल्कु ल कायय का न होना
*संबंिों में समस्याएँ
*अत्यधिक व्यस्त होना
*बच्चे और पररिार को लेकर धचंता
*स्ियं की शप्क्त से ज्यादा कायय का समलना
*आरतररक कारण
*अननप्श्चतता को स्िीकार ना कर पाना
*अिास्तविक उम्मीदें
*स्ियं से नकारात्मक बातें
हेतु (कारण)
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*१.िकान
*मन अच्छा तो तन चंगा, जब हदमाग ही
ठीक से काम नहीं कर रहा होगा, तो िह
शरीर को कै से संभालेगा .इससलए ड़डप्रेशन
से गुजर रहे लोग कई बार ज्यादा थका
हुआ महसूस करते हैं
*२. नींद में गड़बड़
*ड़डप्रेशन कई तरह के होते हैं, इससलए नींद
का कोई एक पैटनय नहीं होता, कु छ लोग
अिसाद के कारण रात रात भर नहीं सो
पाते, इसे अननद्रा (Insomnia) कहा जाता
है, तो कु छ जरूरत से ज्यादा सोने लगते
हैं
मिंग (िक्षण)
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*३. पीठ में या छाती में ददि
*हमारी रीढ़ की हड्डी गदयन से ले कर कू ल्हे
तक शरीर को संभालती है। ज्यादा तनाि
से यह प्रभावित होती है और पीठ का ददय
शुरू होता है। कई लोगों को लगातार सर
में ददय भी रहता है जो दिाओं से भी दूर
नहीं होता
*४. चचड़चचड़ापन:
*ककसी भी बात पर व्यप्क्त धचिधचिा हो
जाता है, ककसी के धचिधचिेपन का मजाक
उिाना बहुत आसान है .औरतों को "उन
हदनों "का ताना समल जाता है, लेककन यह
इससे कहीं ज्यादा हो सकता है
मिंग (िक्षण)
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*५. एकाग्रता की कमी
*अगर हदमाग को कं तयूटर मान सलया जाए,
तो समखझए कक ड़डप्रेशन में उसका प्रोसेसर
ठीक से काम नहीं कर पाता ,आप एक
काम पर हटक नहीं पाते, छोटी छोटी बातें
भूलने लगते हैं। असमंजस और अननणयय
की प्स्थनत, ि स्मरणशप्क्त कमजोर हो
जाती है
*६. गुस्सा
*गुस्से और धचिधचिेपन में फकय होता है।
ड़डप्रेशन के दौरान इंसान काफी तनाि से
गुजरता है। िह ससफय सामने िाले पर ही
नहीं, खुद पर भी गुस्सा हो जाता है।
झगिने की जगह उस व्यप्क्त को समझने,
उससे बात करने की कोसशश करें
मिंग (िक्षण)
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*७. डर
*ककसी के डर को ननकालने के सलए उसे
तकय समझाने लगेंगे तो कोई फायदा नहीं
होगा। अिसाद से गुजर रहा व्यप्क्त तकय
नहीं समझता उसे ककसी भी चीज से डर
लग सकता है, अंिेरे से, बंद कमरे से,
ऊं चाई से, अंजान लोगों आहद से डर लगने
लगता है
*८. खराब पाचनतंि
*आप सोच रहे होंगे कक भला हदमाग का
हाजमे से क्या लेना देना हो सकता है? याद
कीप्जए बचपन में परीक्षा के डर से कै से
पेट खराब हो जाया करता था .ड़डप्रेस्ड
इंसान हर िक्त उसी अनुभि से गुजरता है
मिंग (िक्षण)
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*९. मैिुन में अरुचच
*मदों में Erectile dysfunction या
ध्िजभंग आम होता है .परेशानी की बात
यह है कक यह ककसी दुष्चक्र जैसा है
क्योंकक अपने साथी की उम्मीदों पर खरा
ना उतरना भी ड़डप्रेशन की िजह बन
सकता है.
*१०. बुरे ख्याि
*ड़डप्रेशन से गुजर रहे लोग अक्सर अपनी
या दूसरों की जान लेने के बारे में सोचते
हैं हां तक कक नींद में उतहें बुरे ख्याल
आते हैं कई बार इन बुरे सपनों के डर से
उतहें बुरे ख्याल आते
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*११. धूम्रपान, महदरापान या मादक पदािो का
उपयोग बढ़ना
*१२. उपत्स्िनत में पररर्वतिन जैसे देर से आना
या छु ट्हियाँ अचधक िेना
*१३. स्र्वयं से ननराश होना
*१४. भार्वनात्मक प्रनतकियाओं का बढ़ जाना,
अचधक रोना या संर्वेदनशीि या आिामक होना
मिंग (िक्षण)
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*१५. अके िापन, मन उचिना
*१६. प्रेरणा, समपिण और आत्मवर्वश्र्वास का
अभार्व
*१७. अनतसार और कब्ज
*१८. ममतिी और चक्कर आना
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*भगर्वत गीता का प्रिम अध्याय त्जसका नाम अजुिनवर्वषादयोग है
उसमे अजुिन में क्या िक्षण उपत्स्ित हुए :
*अजुिन उर्वाच
युद्ि में अपने समर ि सम्बप्तियों को देखकर तब करुणा से
असभभूत होकर शोक करते हुए अजुयन ने कहा -हे कृ ष्ण
मिंग (िक्षण)
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*सीदत्रत मम गािाणण मुखं च पररशुटयनत ।
र्वेपिुश्च शरीरे में रोमहषिश्च जायते ॥ २९
*गाण्डीर्वं स्रंसते हस्तात्र्वक्चैर्व पररदह्यते ।
न च शक्नोम्यर्वस्िातुं भ्रमतीर्व च मे मनाः ॥ ३०
*भािाथय :मेरे शरीर के सभी अंग काँप रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है,
और मेरे शरीर के कम्पन से रोमांच उत्पतन हो रहा है।
:मेरे हाथ से गांडीि िनुष छू ट रहा है और त्िचा भी जल रही है, मेरा मन
भ्रसमत-सा हो रहा है, इससलए मैं खिा भी नही रह पा रहा हूँ।
मिंग (िक्षण)
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*उपरोक्त श्लोक में 8 मानससक बीमाररयों का उल्लेख प्रातत होता है
*१. सीदत्रत मम गािाणण : मानमसक भय (Mental fear)
*२. मुखं च पररशुटयनत : तनार्व का वर्वमशटि िक्षण (Typical
symptom of stress)
*३. र्वेपिु : िाचारी (Helplessness)
*४. रोमहषि : मानमसक आघात (Mental shock or
excitement)
*५. गाण्डीर्वं स्रंसते हस्तात: घबराहि (Sign of nervousness)
*६. त्र्वक्चैर्व पररदह्यते : चचरता (Tension)
*७. न च शक्नोम्यर्वस्िातुं: आत्मवर्वश्र्वास या धैयि खोना (Loss
of confidence or loss of patience)
*८. भ्रम : उिझन (Confusions)
मिंग (िक्षण)
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*औषध (चचककत्सा)
*आयुिेद में तीन प्रकार की धचककत्सा का िणयन समलता देर्वव्यपाश्रय,
युत्क्तव्यपाश्रय एिं सत्र्वार्वजय
*शरीरजनानाम दोषानाम िमेण परम औषधं
*बत्स्त वर्वरेको र्वमन तिा तेिं घृतं मधु
*धी धैयािहद आत्मवर्वज्ञानं मनोदोषहरं परम (अष्टांग ह्रदय)
*चुंकक यह एक मानससक बीमारी है इससलए इसमें युत्क्तव्यपाश्रय धचककत्सा से
लाभ नहीं होगा हमें मन को जीतने िाली धचककत्सा पर ध्यान देना होगा
औषध (चचककत्सा)
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१. सीदत्रत मम गािाणण :मानमसक भय (Mental fear)
1. भय हमेशा भविष्यकालीन होता है, सामने आने िाली
पररप्स्थनतमें अपने आपको अशक्य मानने से भय उत्पतन
होता है यह कई तरह का हो सकता है जैसे 1. बचने का
डर (Fear of survival) 2. सत्ता का डर (Fear of status)
3. लोग क्या कहेंगे का डर (Fear of public opinion) ४.
साियजननक मंच पर भाषण का डर (Fear of public
speech) आहद
* “सबसे बड़ा रोग क्या कहगें िोग” आप जरा सोच कर देखे कक आप अपने सलए ककतना
जीते है, आप जब भी ककसी पाटी या फं क्शन में जब जाने को होते हो, तब फै शनेबल
कपिे आप अपने सलए नहीं पहनते हो िो ससफय दूसरों को हदखाने के सलए पहनते हो, आप
अपने सलए तो िो पहनते हो जब राबर में िापस घर आते हो ि पुराना सा मैला सा या
फटा सा नाईट सूट, िो आपके सलए होता है
* िेदांत कहता है कक स्ियं के बारे में अज्ञान होने से भय होता है, जैसे शेर का छोटा बच्चा
यहद भेि के झुण्ड में समल जाये तो अपने आपको भूलकर भेि जैसा ही ितायि करने लगता
है, इस संसार में प्रत्येक प्राणी जतम से ही नक़ल करने का आदी होता है, जब िो अपने
आप को पहचान लेता है (अहं र्ब्ह्मात्स्म) तो भय समातत हो जाता है
औषध (चचककत्सा)
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*२. मुखं च पररशुटयनत :
तनार्व का वर्वमशटि िक्षण
(Typical symptom of stress)
तनार्व यहद कभी कभार हो या हल्का को तो
अच्छा भी होता है इसे यहद सकारात्मक माने
तो यह ईश्िर की दी गयी अनमोल देन है,
जैसे परीक्षा से पूिय या ककसी प्रोजेक्ट को
करने के सलए हल्का तनाि होता है तो हम
अच्छी तरह से उस काम को कर पाते है,
जैसे तबले या ढोलक पर थोिा तनाि देने
पर अच्छी िुन ननकलती है परततु ज्यादा
तनाि दे हदया तो िो फट जायेगा,
औषध (चचककत्सा)
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*इसी प्रकार हम एक प्रयोग करके भी
इसे समझ सकते है, पानी से भरी
एक बोतल अपना सीिा हाथ कर
पकिे तो, िजन प्जतना होगा उतना
ही लगेगा, परततु उसे यहद १५ समनट
तक लगातार पकिे रहे तो उसी बोतल
का िजन हमें दुगुना महसूस होगा,
ठीक उसी प्रकार यहद हम दुखद यादें
पकिकर रखेंगे तो िो हमें ज्यादा
दुखी करेगी, जबकक हम सुखद बाते
बहुत जल्दी भूलते है, ठीक उसी तरह
दुखद को भी भुला दे तो तनाि नहीं
रहेगा
औषध (चचककत्सा)
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*तनाि कम करने के कु छ उपाय
*i िीरे िीरे श्र्वास प्रश्र्वास ले, गहरी श्िास ले
*ii कोई भी एक मरि प्जसमे आपकी श्रध्दा हो
उसका जाप करे, आिुननक विज्ञानी कहंगे कक
के िल एक मतर को बार-बार दोहराते से कोई
फायदा नहीं ? (What is the meaning of
only one word repeating again and
again), मतर की ननरुप्क्त देखो मननात
िायते इनत मतरं, जैसे गायरी मंर आहद,
आिुननक अनुसतिान में भी यह पाया गया है
कक ५ समननट की सकारात्मक प्राििना आपके
हदन भर की नकारात्मकता को समातत कर
सकती है (The 5 minute positive thinking
may counter balance the whole day
negativity)
*नाप्स्तक कहेगा:
बरदे को तड़फाये र्वो बरदे का खुदा नहीं
*आप्स्तक कहेगा:
बरदे में खुदा तड़फता है र्वो बरदे से जुदा नहीं
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
37
*तनाि कम करने के कु छ उपाय
*iii संघषिशीि बनो और बदिार्व िाओ (Be a
fighter and bring the change):
पररप्स्थनतयों से झुझना सीखे, भागे मत
*iv र्वास्तवर्वकता को स्र्वीकार करना सीखे: जैसे
घर में ककसी की मृत्यु हो जाये तो उसके
पीछे मर तो नहीं सकते, अत: प्जतना जल्दी
हो सके िास्तविकता को स्िीकार करो
*v जो भी भाि मन में आये उसे डायरी में
मिखना प्रारम्भ करे, या ककसी अपने से
साझा करे ( इसमें एक नुकसान है आज तो
िो आपका समर है परततु आगे जाकर यहद
आपसे ककसी बात पर नाराज हो गया तो िो
कफर एक बिा तनाि का का कारण बन
सकता है ) जैसे प्रेसर कु कर में प्रेसर आये
तो ससटी बजनी चाहहए नहीं तो कु कर फट
जायेगा
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
38
*तनाि कम करने के कु छ उपाय
*vi ना कहना सीख जाये: यहद कोई कायय
शप्क्त से बहुत बिा है तो उसे मना करना
भी आना चाहहए, क्योंकक आप हर समय
सभी को प्रसतन नहीं कर सकते
*(You cannot pleased every person every
time)
*vii प्रनतहदन कम से कम 30 समननट तक
भ्रमण करे
*viii िािक करे: ककसी दीपक या एक बबतदु
पर लगातार देखे इससे एकाग्रता बढ़ेगी
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
39
*तनाि कम करने के कु छ उपाय
*ix भविष्य में कोई लक्ष्य रख कर उसकी
योजनाये बनाये
*x जीर्वन को व्यर्वत्स्ित करे: जैसे सभी
कॉलेज विद्याधथययों के सलए परीक्षा के सलए
समान समय समलता है परततु अव्यिप्स्थत
जीिन जीने िाला अंनतम समय में अपनी
पढाई करता है प्जससे तनाि बढ़ता है
*प्रात: जल्दी उठने का प्रयास करो, क्योंकक
प्जसके हदन का प्रारम्भ यहद अच्छा रहा तो
पूरा हदन अच्छा रहता है
*xi अपने जीिन से गलत प्रकार के लोगों ि
िस्तुओं को दूर रखे
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
40
*तनाि कम करने के कु छ उपाय
*पयायतत ननद्रा ले तथा हदन में भी हर एक
आि घंटे के पश्चात १० समननट का लघु
विश्राम ले
*iixv मादक पदाथो से दूर रहे ि साप्त्िक
आहार ले
*ixv ऐसा कोई कायय नहीं करे प्जसके कारण
आपको झूठ बोलना पिे, यहद कोई कायय
करने पर हमें गौरि महसूस हो, तो समझे
कक िो कायय सही है, यहद ककसी कायय को
करने पर हमें यह लगे कक कोई मुझे देख तो
नहीं लेगा, इसका मतलब िो कायय अनुधचत है
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
41
*३. र्वेपिु: िाचारी (Helplessness)
*3. धैयि रखना सीखे : जैसे कई बार हम
रेकफक में फं स जाते है, या कफर रेन लेट
हो जाती है तो हम तनाि में आ जाते है
या कं पकम्पी हो जाती है इस तरह की
प्स्थनत में िैयय नहीं खोना चाहहए बप्ल्क
उस समय का सदुपयोग करना आना
चाहहए जैसे कोई पुस्तक पढ़ना आहद,
जीिन को सरल बनाओ, जीतने सरल
बनोगे उतने ही शातत रहोगे, जीिन
प्जतना सरल रहेगा तनाि उतना ही
आिा रहेगा, तुलसीदास जी सलखा है
ननमिि मन जन सोही मोहह पार्वा, मोही
कपि छि नछि न भार्वा
(सुतदर कांड ४३-४४),
*दूसरों पर भरोसा करना सीखे, क्योंकक
सारे काम हम स्ियं नहीं कर सकते,
क्षमा करना सीखे
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
42
*४. रोमहषि: मानमसक आघात
(Mental shock or excitement)
*4. र्वास्तवर्वकता को स्र्वीकार करना
सीखे : जीिन की प्रत्येक पररप्स्थनत
न तो ख़राब होती है, न ही अच्छी
होती है बप्ल्क हमें कु छ न कु छ
सीखने का अिसर देती है
*५. गाण्डीर्वं स्रंसते हस्तात: घबराहि
(Sign of nervousness)
5. साहस रखना सीखे, ननडर बनने का
प्रयास करे
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
43
*६. त्र्वक्चैर्व पररदह्यते :
*चचरता (Tension)
*6. चचंता चचतासमा ह्युक्ता त्रबंदुमािम वर्वशेषत I
सजीर्वं दहते चचंता ननजीर्वं दहते चचता II
*क्योंकक धचंता करना ऐसा है जैसे ख़ुद ही अपनी
क़ब्र खोदना। कभी आपने ककसी जानिर को
धचंता करते देखा हैं? ईश्िर ने जानिर को कम
बुद्धि दी लेककन धचतता करने की अक़्ल नहीं
दी। इंसान को ज़्यादा विकससत बुद्धि दी
लेककन िह इस कल्पना शप्क्त, मन एिं बुद्धि
का प्रयोग अनािश्यक की धचंता में व्यथय कर
देता है। धचंता करना ऐसा ही है जैसे ऋण सलया
ही नहीं, लेककन ब्याज का भुगतान कर रहे हैं
* एक डायरी लेना उसके ऊपर सलखना
धचतता की डायरी: कफर प्जस बात की आपको
धचंता हो रही है उसको सलखना, आप कफर उस
डायरी में उस धचंता को १५ हदन बाद में पढ़ना,
हम पाएंगे कक मै तो उस बात की व्यथय ही
धचंता कर रहा था िो तो कु छ भी नहीं थी
*खाली नहीं बैठे क्योंकक खाली हदमाग शैतान का
घर होता है
औषध (चचककत्सा)
29-11-2019
अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए
आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच
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*७. न च शक्नोम्यर्वस्िातुं:आत्मवर्वश्र्वास या धैयि
खोना (Loss of confidence or loss of
patience)
*7. आत्मवर्वश्र्वास की कमी से हमें खिे रहने पर
भी डर लगता है जैसे ककसी व्यप्क्त को सभा में
पहली बार मंच पर बोलने का कहो तो िो खिा भी
होने में असमथय महसूस करेगा, अत: आत्मविश्िास
को नहीं खोये
*८. भ्रम : उिझन (Confusions)
*8. भ्रम (Confusion) अननणयय की प्स्थनत में भ्रम
का अनुभि होता है
औषध (चचककत्सा)
*Prayer प्राििना-
ॐ सर्वे भर्वरतु सुणखनाः
सर्वे सरतु ननरामयााः ।
सर्वे भिाणण पश्यरतु
मा- कत्श्चद्दुाः- खभाग्भर्वेत्- ।
ॐ शात्रताः शात्रताः शात्रताः ॥
ॐ सब सुखी हों सब स्िस्थ हों । सब शुभ को पहचान सकें , कोई प्राणी
दुुःखी ना हो ।।
ॐ शाप्ततुः शाप्ततुः शाप्ततुः ॥
Om, May All become Happy,
May All be Healthy (Free from Illness)
May All See what is Auspicious,
May no one Suffer in any way
Om Peace, Peace, Peace.
-Mantra from Upanishad
29-11-2019
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*Web Page For Social Activities and followers
* Ayurveda- https://www.facebook.com/Ayurvedainformation (Followers – 3,18,254)
* Dravyaguna- https://www.facebook.com/Dravyagunam (Followers – 39290)
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Spiritual approach to cure depression and stress

  • 1. प्रो. महेश कु मार दाधीच एम.डी. पी.एचडी. (आयुर्वेद) विभागाध्यक्ष, द्रव्यगुण, प्राचायय एम एस एम आयुिेद संस्थान, भक्त फू लससंह महहला विश्िविद्यालय खानपुर कलां Stress
  • 2. *भारत की बुननयादी स्िास््य देखभाल सेिाओं में आयुिेद की भूसमका में मैंने उपरोक्त विषय का चयन इससलए ककया है, क्योंकक आजकल शरीररक से ज्यादा मानससक रोगी हो गए है, अमेररका जैसे भौनतकिादी देशों में तो हर तीसरा नागररक मानससक व्याधियों से पीड़ित है, िषय 2017 में विश्ि स्िास््य संघठन ने अपनी थीम में भी अिसाद को रखा है, अिसाद का ननराकरण आयुिेद जैसे पद्िनत से ही संभि है क्योंकक आिुननक धचककत्सा शास्रों में के िल दिा दी जाती है जो कक इस रोग की संप्राप्तत विघटन में सफल ससद्ि नहीं हो पा रहा है भूममका 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 2
  • 3. *जीर्वन क्या है/ What is Life? शरीर इत्रिय सत्र्व आत्मा संयोगो धारर जीवर्वतम ् Hardware Humam body Networking Nerves system Software Mind Power Soul 3प्रो० महेश दाधीच
  • 4. * Hardware-Humum body vkdk'k ok;q vfXu ty i`Foh 4प्रो० महेश दाधीच
  • 5. * Networking Nerves system tSlsadEI;qVjesadksbZfpi;kok;fjaxBhdughagksrks izksxzkeughapysxkAmlhizdkj bfUn;vkW[k]ukd]dku]thHk] Ropkugharksmldsfo"k;dkxzg.kughaA 5प्रो० महेश दाधीच
  • 6. * Software- Mind tSlsafdlhlkW¶Vos;jdsfcukdksbZizksxzkeughapyldrk] ;Fkkikoj ikabZUVughagks rks ;gLykbZMughapysxh] mlhizdkjeu;fnughagksrks dksbZbfUnz;vFkZdksxzg.k ughadjldsxha 6प्रो० महेश दाधीच
  • 7. * Power - Soul tSlsa ikoj ;kcSVjh cUnrks dEI;qVjdk dksbZ ikVZ dke ughadjsxk mlh izdkj vkRek ugharks 'kjhj dk HkhdksbZ ikVZ dke ughadjsxkA 7प्रो० महेश दाधीच
  • 8. *शाप्तत मंर *ॐ द्यौ: शात्रतररतररक्षँ शात्रत: पृचिर्वी शात्रतराप: शात्रतरोषधय: शात्रत: । र्वनस्पतय: शात्रत वर्विश्र्वे देर्वा: शात्रत र्ब्िह्म शात्रत: सर्वँ शात्रत: शात्रतरेर्व शात्रत: सा मा शात्रतरेचध ॥ ॐ शात्रत: शात्रत: शात्रत: ॥ *यजुिेद के इस शांनत पाठ मंर के जररये सािक ईश्िर से शांनत बनाये रखने की प्राथयना करता है। हे परमात्मा स्िरुप शांनत कीप्जये, िायु में शांनत हो, अंतररक्ष में शांनत हो, पृ्िी पर शांनत हों, जल में शांनत हो, औषि में शांनत हो, िनस्पनतयों में शांनत हो, विश्ि में शांनत हो, सभी देितागणों में शांनत हो, ब्रह्म में शांनत हो, सब में शांनत हो, चारों और शांनत हो, हे परमवपता परमेश्िर शांनत हो, शांनत हो, शांनत हो। 11/29/2019प्रो० महेश दाधीच 8
  • 9. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 9 What is the definition of stress? *Stress: In a medical or biological context stress is a physical, mental, or emotional factor that causes bodily or mental tension. Stresses can be external (from the environment, psychological, or social situations) or internal (illness, or from a medical procedure)
  • 10. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 10 What are the causes of stress? *The death of a loved one. *Divorce. *Loss of a job. *Increase in financial obligations. *Getting married. *Moving to a new home. *Chronic illness or injury. *Emotional problems (depression, anxiety, anger, grief, guilt, low self- esteem)
  • 11. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 11 11 common signs and symptoms of stress *1. Acne. Acne is one of the most visible ways that stress often manifests itself. ... *2. Headaches. ... *3. Chronic Pain. ... *4. Frequent Sickness. ... *5. Decreased Energy and Insomnia. ... *6. Changes in Libido. ... *7. Digestive Issues. ... *8. Appetite Changes... *9. Depression... *10. Rapid Heartbeat... *11. Sweating...
  • 12. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 12 Emotional signs of stress *Depression. ... *Anxiety. ... *Irritability. ... *Low sex drive. ... *Memory and concentration problems. ... *Compulsive behavior. ... *Mood swings.
  • 13. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 13 Behavioural signs *No time for relaxation or pleasurable activities *Prone to accidents, forgetfulness *Increased reliance on alcohol, smoking, caffeine, recreational or illegal drugs *Becoming a workaholic *Poor time management and/or poor standards of work *Absenteeism *Self neglect/change in appearance *Social withdrawal *Relationship problems *Insomnia or waking tired *Aggressive/anger *Nervous * lying
  • 14. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 14 What can stress do to a woman's body? *Stress can make IBS symptoms such as gas and bloating worse. Obesity. The link between stress and weight gain is stronger for women than for men. Stress increases the amount of a hormone in your body called cortisol, which can lead to overeating and cause your body to store fat
  • 15. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 15
  • 16. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 16 इरसान और पशु में अरतर *आहार ननिा भय मैिुनं च सामारयमेतत् पशुमभनिराणाम् । धमो हह तेषामचधको वर्वशेष: धमेण हीनााः पशुमभाः समानााः ॥ *आहार, ननद्रा, भय और मैथुन – ये तो इतसान और पशु में समान है । इतसान में विशेष के िल िमय है, अथायत् बबना िमय के लोग पशुतुल्य है ।
  • 17. *हेतुमिँगौषधज्ञानं स्र्वस्िातुरपरायणम्। *त्रिसूिं शाश्र्वतं पुण्यं बुबुधे यं वपतामहाः।। *आयुिेद में धचककत्सा के तीन अंग – हेतु, मिंग, और औषध माने जाते है। इन तीनो को त्रिसूि कहा जाता है। आयुिेद अनुसार धचककत्सक को इन तीनों अंगों का ज्ञान होने चाहहए। *आयुिेद के इन तीन भागों को सामूहहक रूप से बरसूर के रूप में जाना जाता है। *हेतु - रोगों के कारण – हेतुविज्ञान *सलंग: - रोगों के लक्षण – संके त और लक्षण का ज्ञान *औषि -दिाएँ ि धचककत्सा – औषधि और उपचार का ज्ञान 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 17 त्रिसूि आयुिेद
  • 18. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 18 *अर्वसाद या डडप्रेशन का तात्पयय मनोविज्ञान के क्षेर में मनोभािों संबंिी दुख से होता है। इसे रोग या ससंड्रोम की संज्ञा दी जाती है। आयुवियज्ञान में कोई भी व्यप्क्त अिसाद की अिस्था में स्ियं को लाचार और ननराश महसूस करता है। * अिसाद: depression, decay, fading, faintness, facula, sadness * धगराि: depression, tumble * खखतनता: depression, fretfulness, poor or low spirits, sorrowfulness, glumness * मतदी: depression, slack water, vacantly * ननराशा: disappointment, frustration, hopelessness, discouragement, depression * उदासी: sadness, flatness, melancholy, gloom, doldrums, depression * विषाद: nostalgia, melancholia, depression, grief, gloom, dump * गड्ढा: pit, delve, depression, dell, chamfer, hollow * तयूनता: paucity, deficiency, decrease, subsidence, decrement, depression * बेहदली: discouragement, dejection, depression, despondency, despond, dismals * शप्क्तहीनता: asthenia, powerlessness, impotence, impotency, debility, depression पररभाषा:
  • 19. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 19 *तनार्व :तनाि के भािनात्मक कारक तथा दबाि कई सारे हैं और अलग-अलग प्रकार के होते हैं। कु छ लोग जहां “स्रेस” को मनोिैज्ञाननक तनाि से जोि कर देखते हैं, तो िहीं िैज्ञाननक और डॉक्टर इस पद को ऐसे कारक के रूप में दशायने में इस्तेमाल करते हैं, जो शारीररक कायों की प्स्थरता तथा संतुलन में व्यििान पैदा करता है। जब लोग अपने आस-पास होने िाली ककसी चीज़ से तनाि ग्रस्त महसूस करते हैं, *हल्के मारा में दबाि तथा तनाि कभी कभी फायदेमंद भी होता है जैसे परीक्षा के समय या कोई प्रोजेक्ट को पूरा करने के सलए आहद *तनाि दो प्रकार के होते हैं, Eustress (सकारात्मक तनाि) ि Distress (नकारात्मक तनाि) प्जसका सामातय अथय चुनौती तथा अधिक बोझ होता है। जब तनाि अधिक होता है या अननयंबरत हो जाता है, तब यह नकारात्मक प्रभाि हदखाता है। तनार्व
  • 20. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 20 *दबाि - pressure, pressing, stress, squeeze, straining, shrinkage *बल - force, strength, power, stress, flexion, meanders *थकान- fatigue, weariness, stress, languor, strain, lassitude *बलाघात- stress, accent *घोर श्रम- Stress *बल देना - emphasize, stress, press, underline, underscore, show off *प्रभाि डालना - effect, stress, lay hold, impose, impose oneself *ज़ोर देना- emphasize, intone, stress, stand up, push, punctuate *बलाघात करना- Stress तनार्व
  • 21. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 21 *बाह्य कारण *जीिन के बिे पररितयन *आधथयक समस्याएँ *बबल्कु ल कायय का न होना *संबंिों में समस्याएँ *अत्यधिक व्यस्त होना *बच्चे और पररिार को लेकर धचंता *स्ियं की शप्क्त से ज्यादा कायय का समलना *आरतररक कारण *अननप्श्चतता को स्िीकार ना कर पाना *अिास्तविक उम्मीदें *स्ियं से नकारात्मक बातें हेतु (कारण)
  • 22. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 22 *१.िकान *मन अच्छा तो तन चंगा, जब हदमाग ही ठीक से काम नहीं कर रहा होगा, तो िह शरीर को कै से संभालेगा .इससलए ड़डप्रेशन से गुजर रहे लोग कई बार ज्यादा थका हुआ महसूस करते हैं *२. नींद में गड़बड़ *ड़डप्रेशन कई तरह के होते हैं, इससलए नींद का कोई एक पैटनय नहीं होता, कु छ लोग अिसाद के कारण रात रात भर नहीं सो पाते, इसे अननद्रा (Insomnia) कहा जाता है, तो कु छ जरूरत से ज्यादा सोने लगते हैं मिंग (िक्षण)
  • 23. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 23 *३. पीठ में या छाती में ददि *हमारी रीढ़ की हड्डी गदयन से ले कर कू ल्हे तक शरीर को संभालती है। ज्यादा तनाि से यह प्रभावित होती है और पीठ का ददय शुरू होता है। कई लोगों को लगातार सर में ददय भी रहता है जो दिाओं से भी दूर नहीं होता *४. चचड़चचड़ापन: *ककसी भी बात पर व्यप्क्त धचिधचिा हो जाता है, ककसी के धचिधचिेपन का मजाक उिाना बहुत आसान है .औरतों को "उन हदनों "का ताना समल जाता है, लेककन यह इससे कहीं ज्यादा हो सकता है मिंग (िक्षण)
  • 24. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 24 *५. एकाग्रता की कमी *अगर हदमाग को कं तयूटर मान सलया जाए, तो समखझए कक ड़डप्रेशन में उसका प्रोसेसर ठीक से काम नहीं कर पाता ,आप एक काम पर हटक नहीं पाते, छोटी छोटी बातें भूलने लगते हैं। असमंजस और अननणयय की प्स्थनत, ि स्मरणशप्क्त कमजोर हो जाती है *६. गुस्सा *गुस्से और धचिधचिेपन में फकय होता है। ड़डप्रेशन के दौरान इंसान काफी तनाि से गुजरता है। िह ससफय सामने िाले पर ही नहीं, खुद पर भी गुस्सा हो जाता है। झगिने की जगह उस व्यप्क्त को समझने, उससे बात करने की कोसशश करें मिंग (िक्षण)
  • 25. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 25 *७. डर *ककसी के डर को ननकालने के सलए उसे तकय समझाने लगेंगे तो कोई फायदा नहीं होगा। अिसाद से गुजर रहा व्यप्क्त तकय नहीं समझता उसे ककसी भी चीज से डर लग सकता है, अंिेरे से, बंद कमरे से, ऊं चाई से, अंजान लोगों आहद से डर लगने लगता है *८. खराब पाचनतंि *आप सोच रहे होंगे कक भला हदमाग का हाजमे से क्या लेना देना हो सकता है? याद कीप्जए बचपन में परीक्षा के डर से कै से पेट खराब हो जाया करता था .ड़डप्रेस्ड इंसान हर िक्त उसी अनुभि से गुजरता है मिंग (िक्षण)
  • 26. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 26 *९. मैिुन में अरुचच *मदों में Erectile dysfunction या ध्िजभंग आम होता है .परेशानी की बात यह है कक यह ककसी दुष्चक्र जैसा है क्योंकक अपने साथी की उम्मीदों पर खरा ना उतरना भी ड़डप्रेशन की िजह बन सकता है. *१०. बुरे ख्याि *ड़डप्रेशन से गुजर रहे लोग अक्सर अपनी या दूसरों की जान लेने के बारे में सोचते हैं हां तक कक नींद में उतहें बुरे ख्याल आते हैं कई बार इन बुरे सपनों के डर से उतहें बुरे ख्याल आते मिंग (िक्षण)
  • 27. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 27 *११. धूम्रपान, महदरापान या मादक पदािो का उपयोग बढ़ना *१२. उपत्स्िनत में पररर्वतिन जैसे देर से आना या छु ट्हियाँ अचधक िेना *१३. स्र्वयं से ननराश होना *१४. भार्वनात्मक प्रनतकियाओं का बढ़ जाना, अचधक रोना या संर्वेदनशीि या आिामक होना मिंग (िक्षण)
  • 28. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 28 *१५. अके िापन, मन उचिना *१६. प्रेरणा, समपिण और आत्मवर्वश्र्वास का अभार्व *१७. अनतसार और कब्ज *१८. ममतिी और चक्कर आना मिंग (िक्षण)
  • 29. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 29 *भगर्वत गीता का प्रिम अध्याय त्जसका नाम अजुिनवर्वषादयोग है उसमे अजुिन में क्या िक्षण उपत्स्ित हुए : *अजुिन उर्वाच युद्ि में अपने समर ि सम्बप्तियों को देखकर तब करुणा से असभभूत होकर शोक करते हुए अजुयन ने कहा -हे कृ ष्ण मिंग (िक्षण)
  • 30. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 30 *सीदत्रत मम गािाणण मुखं च पररशुटयनत । र्वेपिुश्च शरीरे में रोमहषिश्च जायते ॥ २९ *गाण्डीर्वं स्रंसते हस्तात्र्वक्चैर्व पररदह्यते । न च शक्नोम्यर्वस्िातुं भ्रमतीर्व च मे मनाः ॥ ३० *भािाथय :मेरे शरीर के सभी अंग काँप रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है, और मेरे शरीर के कम्पन से रोमांच उत्पतन हो रहा है। :मेरे हाथ से गांडीि िनुष छू ट रहा है और त्िचा भी जल रही है, मेरा मन भ्रसमत-सा हो रहा है, इससलए मैं खिा भी नही रह पा रहा हूँ। मिंग (िक्षण)
  • 31. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 31 *उपरोक्त श्लोक में 8 मानससक बीमाररयों का उल्लेख प्रातत होता है *१. सीदत्रत मम गािाणण : मानमसक भय (Mental fear) *२. मुखं च पररशुटयनत : तनार्व का वर्वमशटि िक्षण (Typical symptom of stress) *३. र्वेपिु : िाचारी (Helplessness) *४. रोमहषि : मानमसक आघात (Mental shock or excitement) *५. गाण्डीर्वं स्रंसते हस्तात: घबराहि (Sign of nervousness) *६. त्र्वक्चैर्व पररदह्यते : चचरता (Tension) *७. न च शक्नोम्यर्वस्िातुं: आत्मवर्वश्र्वास या धैयि खोना (Loss of confidence or loss of patience) *८. भ्रम : उिझन (Confusions) मिंग (िक्षण)
  • 32. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 32 *औषध (चचककत्सा) *आयुिेद में तीन प्रकार की धचककत्सा का िणयन समलता देर्वव्यपाश्रय, युत्क्तव्यपाश्रय एिं सत्र्वार्वजय *शरीरजनानाम दोषानाम िमेण परम औषधं *बत्स्त वर्वरेको र्वमन तिा तेिं घृतं मधु *धी धैयािहद आत्मवर्वज्ञानं मनोदोषहरं परम (अष्टांग ह्रदय) *चुंकक यह एक मानससक बीमारी है इससलए इसमें युत्क्तव्यपाश्रय धचककत्सा से लाभ नहीं होगा हमें मन को जीतने िाली धचककत्सा पर ध्यान देना होगा औषध (चचककत्सा)
  • 33. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 33 १. सीदत्रत मम गािाणण :मानमसक भय (Mental fear) 1. भय हमेशा भविष्यकालीन होता है, सामने आने िाली पररप्स्थनतमें अपने आपको अशक्य मानने से भय उत्पतन होता है यह कई तरह का हो सकता है जैसे 1. बचने का डर (Fear of survival) 2. सत्ता का डर (Fear of status) 3. लोग क्या कहेंगे का डर (Fear of public opinion) ४. साियजननक मंच पर भाषण का डर (Fear of public speech) आहद * “सबसे बड़ा रोग क्या कहगें िोग” आप जरा सोच कर देखे कक आप अपने सलए ककतना जीते है, आप जब भी ककसी पाटी या फं क्शन में जब जाने को होते हो, तब फै शनेबल कपिे आप अपने सलए नहीं पहनते हो िो ससफय दूसरों को हदखाने के सलए पहनते हो, आप अपने सलए तो िो पहनते हो जब राबर में िापस घर आते हो ि पुराना सा मैला सा या फटा सा नाईट सूट, िो आपके सलए होता है * िेदांत कहता है कक स्ियं के बारे में अज्ञान होने से भय होता है, जैसे शेर का छोटा बच्चा यहद भेि के झुण्ड में समल जाये तो अपने आपको भूलकर भेि जैसा ही ितायि करने लगता है, इस संसार में प्रत्येक प्राणी जतम से ही नक़ल करने का आदी होता है, जब िो अपने आप को पहचान लेता है (अहं र्ब्ह्मात्स्म) तो भय समातत हो जाता है औषध (चचककत्सा)
  • 34. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 34 *२. मुखं च पररशुटयनत : तनार्व का वर्वमशटि िक्षण (Typical symptom of stress) तनार्व यहद कभी कभार हो या हल्का को तो अच्छा भी होता है इसे यहद सकारात्मक माने तो यह ईश्िर की दी गयी अनमोल देन है, जैसे परीक्षा से पूिय या ककसी प्रोजेक्ट को करने के सलए हल्का तनाि होता है तो हम अच्छी तरह से उस काम को कर पाते है, जैसे तबले या ढोलक पर थोिा तनाि देने पर अच्छी िुन ननकलती है परततु ज्यादा तनाि दे हदया तो िो फट जायेगा, औषध (चचककत्सा)
  • 35. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 35 *इसी प्रकार हम एक प्रयोग करके भी इसे समझ सकते है, पानी से भरी एक बोतल अपना सीिा हाथ कर पकिे तो, िजन प्जतना होगा उतना ही लगेगा, परततु उसे यहद १५ समनट तक लगातार पकिे रहे तो उसी बोतल का िजन हमें दुगुना महसूस होगा, ठीक उसी प्रकार यहद हम दुखद यादें पकिकर रखेंगे तो िो हमें ज्यादा दुखी करेगी, जबकक हम सुखद बाते बहुत जल्दी भूलते है, ठीक उसी तरह दुखद को भी भुला दे तो तनाि नहीं रहेगा औषध (चचककत्सा)
  • 36. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 36 *तनाि कम करने के कु छ उपाय *i िीरे िीरे श्र्वास प्रश्र्वास ले, गहरी श्िास ले *ii कोई भी एक मरि प्जसमे आपकी श्रध्दा हो उसका जाप करे, आिुननक विज्ञानी कहंगे कक के िल एक मतर को बार-बार दोहराते से कोई फायदा नहीं ? (What is the meaning of only one word repeating again and again), मतर की ननरुप्क्त देखो मननात िायते इनत मतरं, जैसे गायरी मंर आहद, आिुननक अनुसतिान में भी यह पाया गया है कक ५ समननट की सकारात्मक प्राििना आपके हदन भर की नकारात्मकता को समातत कर सकती है (The 5 minute positive thinking may counter balance the whole day negativity) *नाप्स्तक कहेगा: बरदे को तड़फाये र्वो बरदे का खुदा नहीं *आप्स्तक कहेगा: बरदे में खुदा तड़फता है र्वो बरदे से जुदा नहीं औषध (चचककत्सा)
  • 37. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 37 *तनाि कम करने के कु छ उपाय *iii संघषिशीि बनो और बदिार्व िाओ (Be a fighter and bring the change): पररप्स्थनतयों से झुझना सीखे, भागे मत *iv र्वास्तवर्वकता को स्र्वीकार करना सीखे: जैसे घर में ककसी की मृत्यु हो जाये तो उसके पीछे मर तो नहीं सकते, अत: प्जतना जल्दी हो सके िास्तविकता को स्िीकार करो *v जो भी भाि मन में आये उसे डायरी में मिखना प्रारम्भ करे, या ककसी अपने से साझा करे ( इसमें एक नुकसान है आज तो िो आपका समर है परततु आगे जाकर यहद आपसे ककसी बात पर नाराज हो गया तो िो कफर एक बिा तनाि का का कारण बन सकता है ) जैसे प्रेसर कु कर में प्रेसर आये तो ससटी बजनी चाहहए नहीं तो कु कर फट जायेगा औषध (चचककत्सा)
  • 38. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 38 *तनाि कम करने के कु छ उपाय *vi ना कहना सीख जाये: यहद कोई कायय शप्क्त से बहुत बिा है तो उसे मना करना भी आना चाहहए, क्योंकक आप हर समय सभी को प्रसतन नहीं कर सकते *(You cannot pleased every person every time) *vii प्रनतहदन कम से कम 30 समननट तक भ्रमण करे *viii िािक करे: ककसी दीपक या एक बबतदु पर लगातार देखे इससे एकाग्रता बढ़ेगी औषध (चचककत्सा)
  • 39. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 39 *तनाि कम करने के कु छ उपाय *ix भविष्य में कोई लक्ष्य रख कर उसकी योजनाये बनाये *x जीर्वन को व्यर्वत्स्ित करे: जैसे सभी कॉलेज विद्याधथययों के सलए परीक्षा के सलए समान समय समलता है परततु अव्यिप्स्थत जीिन जीने िाला अंनतम समय में अपनी पढाई करता है प्जससे तनाि बढ़ता है *प्रात: जल्दी उठने का प्रयास करो, क्योंकक प्जसके हदन का प्रारम्भ यहद अच्छा रहा तो पूरा हदन अच्छा रहता है *xi अपने जीिन से गलत प्रकार के लोगों ि िस्तुओं को दूर रखे औषध (चचककत्सा)
  • 40. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 40 *तनाि कम करने के कु छ उपाय *पयायतत ननद्रा ले तथा हदन में भी हर एक आि घंटे के पश्चात १० समननट का लघु विश्राम ले *iixv मादक पदाथो से दूर रहे ि साप्त्िक आहार ले *ixv ऐसा कोई कायय नहीं करे प्जसके कारण आपको झूठ बोलना पिे, यहद कोई कायय करने पर हमें गौरि महसूस हो, तो समझे कक िो कायय सही है, यहद ककसी कायय को करने पर हमें यह लगे कक कोई मुझे देख तो नहीं लेगा, इसका मतलब िो कायय अनुधचत है औषध (चचककत्सा)
  • 41. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 41 *३. र्वेपिु: िाचारी (Helplessness) *3. धैयि रखना सीखे : जैसे कई बार हम रेकफक में फं स जाते है, या कफर रेन लेट हो जाती है तो हम तनाि में आ जाते है या कं पकम्पी हो जाती है इस तरह की प्स्थनत में िैयय नहीं खोना चाहहए बप्ल्क उस समय का सदुपयोग करना आना चाहहए जैसे कोई पुस्तक पढ़ना आहद, जीिन को सरल बनाओ, जीतने सरल बनोगे उतने ही शातत रहोगे, जीिन प्जतना सरल रहेगा तनाि उतना ही आिा रहेगा, तुलसीदास जी सलखा है ननमिि मन जन सोही मोहह पार्वा, मोही कपि छि नछि न भार्वा (सुतदर कांड ४३-४४), *दूसरों पर भरोसा करना सीखे, क्योंकक सारे काम हम स्ियं नहीं कर सकते, क्षमा करना सीखे औषध (चचककत्सा)
  • 42. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 42 *४. रोमहषि: मानमसक आघात (Mental shock or excitement) *4. र्वास्तवर्वकता को स्र्वीकार करना सीखे : जीिन की प्रत्येक पररप्स्थनत न तो ख़राब होती है, न ही अच्छी होती है बप्ल्क हमें कु छ न कु छ सीखने का अिसर देती है *५. गाण्डीर्वं स्रंसते हस्तात: घबराहि (Sign of nervousness) 5. साहस रखना सीखे, ननडर बनने का प्रयास करे औषध (चचककत्सा)
  • 43. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 43 *६. त्र्वक्चैर्व पररदह्यते : *चचरता (Tension) *6. चचंता चचतासमा ह्युक्ता त्रबंदुमािम वर्वशेषत I सजीर्वं दहते चचंता ननजीर्वं दहते चचता II *क्योंकक धचंता करना ऐसा है जैसे ख़ुद ही अपनी क़ब्र खोदना। कभी आपने ककसी जानिर को धचंता करते देखा हैं? ईश्िर ने जानिर को कम बुद्धि दी लेककन धचतता करने की अक़्ल नहीं दी। इंसान को ज़्यादा विकससत बुद्धि दी लेककन िह इस कल्पना शप्क्त, मन एिं बुद्धि का प्रयोग अनािश्यक की धचंता में व्यथय कर देता है। धचंता करना ऐसा ही है जैसे ऋण सलया ही नहीं, लेककन ब्याज का भुगतान कर रहे हैं * एक डायरी लेना उसके ऊपर सलखना धचतता की डायरी: कफर प्जस बात की आपको धचंता हो रही है उसको सलखना, आप कफर उस डायरी में उस धचंता को १५ हदन बाद में पढ़ना, हम पाएंगे कक मै तो उस बात की व्यथय ही धचंता कर रहा था िो तो कु छ भी नहीं थी *खाली नहीं बैठे क्योंकक खाली हदमाग शैतान का घर होता है औषध (चचककत्सा)
  • 44. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 44 *७. न च शक्नोम्यर्वस्िातुं:आत्मवर्वश्र्वास या धैयि खोना (Loss of confidence or loss of patience) *7. आत्मवर्वश्र्वास की कमी से हमें खिे रहने पर भी डर लगता है जैसे ककसी व्यप्क्त को सभा में पहली बार मंच पर बोलने का कहो तो िो खिा भी होने में असमथय महसूस करेगा, अत: आत्मविश्िास को नहीं खोये *८. भ्रम : उिझन (Confusions) *8. भ्रम (Confusion) अननणयय की प्स्थनत में भ्रम का अनुभि होता है औषध (चचककत्सा)
  • 45. *Prayer प्राििना- ॐ सर्वे भर्वरतु सुणखनाः सर्वे सरतु ननरामयााः । सर्वे भिाणण पश्यरतु मा- कत्श्चद्दुाः- खभाग्भर्वेत्- । ॐ शात्रताः शात्रताः शात्रताः ॥ ॐ सब सुखी हों सब स्िस्थ हों । सब शुभ को पहचान सकें , कोई प्राणी दुुःखी ना हो ।। ॐ शाप्ततुः शाप्ततुः शाप्ततुः ॥ Om, May All become Happy, May All be Healthy (Free from Illness) May All See what is Auspicious, May no one Suffer in any way Om Peace, Peace, Peace. -Mantra from Upanishad
  • 46. 29-11-2019 अर्वसाद और तनार्व की चचककत्सा करने के मिए आध्यात्त्मक दृत्टिकोण- प्रो. महेश कु मार दाधीच 46 *Web Page For Social Activities and followers * Ayurveda- https://www.facebook.com/Ayurvedainformation (Followers – 3,18,254) * Dravyaguna- https://www.facebook.com/Dravyagunam (Followers – 39290) * MSM Insti. Ayu: https://www.facebook.com/msmbpsmv/ (Followers – 1127) * Personal:https://www.facebook.com/drmaheshdadhich (Followers – 5000) * Adhyatmik: https://www.facebook.com/rameshbhaioza (Followers – 100302) * DSW : https://www.facebook.com/dswbpsmv (Followers –5367) * BPSMV : https://www.facebook.com/bpsmvkhanpurkalan (Followers – 5344) * Twitter: twitter.com@mahesh_dadhich (Followers – 1,372) Total Followers: 4,76,056 as on 15th Nov 2019