http://spiritualworld.co.in सेवा का महत्व: एक दिन सत्संग दीवान की समाप्ति के पश्चात सिक्ख इकट्ठे होकर गुरु जी के पास आए| वे कहने लगे कि महाराज! हमारा जन्म किस प्रकार सफल हो सकता है, कोई उपदेश दें| गुरु जी ने कहा - यदि कोई अपनी अन्तिम समय गति चाहता है तो उसे अपने अहम भाव को त्याग करके तन-मन से संगत की सेवा करनी चाहिए| कलयुग में सत्य का संग व सेवा का अधिक महत्व है| जप करने, तप करने व अन्य किसी नेम धर्म का समय नहीं है| सबकी सेवा करना ही उत्तम कर्म है| सेवा के बिना भक्ति सम्भव नहीं| भक्ति के बिना ज्ञान हासिल नहीं हो सकता| इसलिए सेवा सभी शुभ कार्यों का मूल है| अपनी शक्ति अनुसार (यथाशक्ति) भोजन तैयार करके संगत को खिलाना, जल सेवा, पंखा फेरना, सिक्खी संगत के विश्राम के लिए सुन्दर मन्दिर बनाना व बिना किसी हंकए के सेवा करना ही सबसे उत्तम है| more on http://spiritualworld.co.in