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अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राज्येतर कर्ता
https://image.slidesharecdn.com/differencebetweenstateactorsandnon-stateactors-181214071210/95/difference-state-actor
s
द्वारा- डॉक्टर ममता उपाध्याय
एसोसिएट प्रोफ
े सर- राजनीति विज्ञान
क
ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय
बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश
उद्देश्य-
● अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभाने वाले गैर राज्य कर्ताओं की जानकारी
● गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका का विश्लेषण
● अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गैर राज्यकर्ता क
े सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव का विश्लेषण
● गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका से पारंपरिक राष्ट्र राज्य कर्ताओं की स्थिति मे परिवर्तन का विश्लेषण
● विश्व नागरिक क
े रूप में अंतरराष्ट्रीय राजनीति की व्यवहारिक क्रियाशीलता का ज्ञान एवं उसक
े विश्लेषण
की क्षमता का विकास
समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राज्य कर्ताओं की उपस्थिति एवं क्रियाशीलता नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की
परिचायक है। पारंपरिक रूप में अंतरराष्ट्रीय राजनीति संप्रभुता संपन्न राज्यों की भूमिका को केंद्रीय माना जाता रहा
है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति क
े यथार्थवादी सिद्धांत क
े द्वारा भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति क
े प्रमुख ‘पात्र’ राज्यों को
बताया गया। व्यावहारिक दृष्टि से यह राज्य राष्ट्रीय हितों को पूरा करने क
े उद्देश्य से शक्ति संघर्ष में संलग्न रहते
हैं। कि
ं तु अंतरराष्ट्रीय राजनीति का समकालीन बहुलता वादी दृष्टिकोण राज्यों क
े अतिरिक्त उन सभी अंतरराष्ट्रीय
संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति क
े कर्ता क
े रूप में स्वीकार करता है जो संगठित होकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त
करने क
े लिए किसी न किसी प्रकार क
े जनसमर्थन पर आधारित होते हैं। ऐसे संगठनों में कई गैर सरकारी संगठन,
बहुराष्ट्रीय निगम और अंतरराष्ट्रीय संगठन प्रमुख है जो समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका
निभाते हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अभी राज्य प्रधान पात्र हैं और अन्य संगठन गौण हैं। अंतरराष्ट्रीय
राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं को अंतर्राष्ट्रीय कर्ता , अंतरराष्ट्रीय संगठन, गैर सरकारी कर्ता ,अंतर सरकारी कर्ता
या बहुराष्ट्रीय कर्ता भी कहा जाता है। राज्येतर कर्ताओं की प्रमुख विशेषता यह है कि उनकी गतिविधियां विश्व क
े
विभिन्न राज्यों में लोगों और वस्तुओं को प्रभावित करती हैं, कि
ं तु वे सरकारों या राज्यों क
े साथ औपचारिक रूप
से जुड़े हुए नहीं होते। स्वयंसेवी संगठनों क
े रूप में गैर सरकारी संगठन विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कार्य कर रहे
हैं। जैसे- पर्यावरण सुरक्षा संगठन, मानवाधिकार संगठन, क्षेत्रीय संगठन, सांस्क
ृ तिक संगठन, शांति एवं सामूहिक सुरक्षा
संगठन आदि। अर्नाल्ड वॉलफर ने इन संगठनों की भूमिका पर बल देते हुए लिखा था कि ‘’ वेटिकन, अरब अमेरिका
तेल क
ं पनी तथा अनेक गैर राज्यीय इकाइयां कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं की दिशा को प्रभावित करते हैं।’’
समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति जो वैश्वीकरण और उदारीकरण की प्रक्रिया क
े अधीन है ,उनक
े इस कथन से
बहुत आगे निकल चुकी है और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बहुत सारे गैर राज्यकर्ता इतने अधिक शक्तिशाली और
प्रभावी दिखाई देते हैं कि उनकी भूमिका का विश्लेषण अंतरराष्ट्रीय राजनीति की वास्तविक प्रक
ृ ति की जानकारी क
े
लिए अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
गैर राज्य कर्ताओं की प्रक
ृ ति एवं प्रकार
बीसवीं शताब्दी क
े प्रारंभ से ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर सरकारी कर्ताओं की भूमिका बढ़ने लगी थी। 1975 में
इनकी संख्या लगभग 2500 थी। आज बहुराष्ट्रीय क
ं पनियों क
े अस्तित्व में आने क
े कारण इनकी संख्या अनगिनत
हो गई है और अंतरराष्ट्रीय क्रियाशीलता का लगभग 50% भाग इन्हीं संगठनों की भूमिका से संपन्न होता है।
प्रोफ़
े सर रियो ओसिबा गैर राज्य कर्ताओं की तीन प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करते हैं। यह है-
● इन कर्ताओं में अपने लक्ष्यों और हितों को निर्धारित करने की क्षमता होनी चाहिए।
● निर्धारित उद्देश्य और हितों को प्राप्त करने क
े लिए आवश्यक संसाधनों को समायोजित करने की क्षमता भी
होनी चाहिए।
● उनकी सक्रियता राज्यों क
े आपसी संबंधों और गैर राज्य कर्ताओं क
े संबंधों को महत्वपूर्ण ढंग से
प्रभावित करने वाली होनी चाहिए।
इन विशेषताओं से युक्त अंतरराष्ट्रीय संगठनों को ही गैर राज्य कर्ता की संज्ञा दी जा सकती है। सामान्यतः
आज निम्नांकित प्रकार क
े गैर राज्यकर्ता अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं-
1. गैर सरकारी संगठन-
विश्व राजनीति में उदारवाद क
े बढ़ते प्रभाव क
े साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों की भूमिका बड़ी है। यह संगठन
निस्वार्थ भाव से बिना किसी व्यावसायिक लाभ क
े उद्देश्य से सामाजिक हित क
े बहुत सारे कार्यों को संपन्न करते हैं।
जैसे- मानव अधिकारों की रक्षा, मानवीय सहायता, आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण आदि । संयुक्त राज्य
अमेरिका में कार्यरत फ
् रीडम हाउस इंग्लैंड में कार्यरत पापुलेशन करसन तथा वाटर एड,रेड क
् रॉस, ग्रीनपीस, एमनेस्टी
इंटरनेशनल, ऑक्सफ
ै म आदि प्रमुख गैर सरकारी संगठन है। 21वीं शताब्दी में दुनिया क
े बहुत से लोग गैर सरकारी
संगठनों क
े साथ इस उद्देश्य से जुड़ते हैं कि इन क
े माध्यम से वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं एवं सरकारों
को प्रभावित करने में सफल होंगे । यह गैर सरकारी संगठन अनेक वैश्विक समस्याओं को उठाते हैं और उनक
े
समाधान का सुझाव प्रस्तुत करते हैं। जैसे निरस्त्रीकरण, पर्यावरण संरक्षण , मानवाधिकार संरक्षण, एड्स पीड़ित
लोगों क
े अधिकारों का संरक्षण, महिलाओं और बच्चों क
े अधिकारों का संरक्षण,प्रेस की स्वतंत्रता आदि । संयुक्त
राष्ट्र संघ क
े द्वारा इन्हें राज्यों क
े साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति का वैध कर्ता स्वीकार किया गया है। सूचना
प्रौद्योगिकी क
े विस्तार क
े साथ साथ इन गैर सरकारी संगठनों का वैश्विक नेटवर्क सशक्त हुआ है।
2. हिंसक राजनीतिक संगठन/ आतंकवादी संगठन-
दुनिया में ऐसे हिंसक संघर्षों का तेजी से विस्तार हुआ है जो अपनी क
ु छ निश्चित से मांगों की पूर्ति क
े लिए क
ु छ विशेष
राज्यों एवं जनसंख्या पर हिंसक घटनाओं क
े माध्यम से दबाव डालने एवं डर का माहौल पैदा करने का प्रयास करते
हैं। अलकायदा ऐसे संगठनों में प्रमुख है, जिसने 11 सितंबर 2001 अमेरिका क
े वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी
हमला किया था। तकनीक क
े माध्यम से अपनी शक्ति को बढ़ाते हुए इन संगठनों ने स्वयं को गैर राज्यकर्ता क
े रूप में
प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। अफ
् रीकन नेशनल कांग्रेस, साउथ वेस्ट अफ
् रीकन पीपल ऑर्गेनाइजेशन,
पलेस्टाइन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन, हिज्बुल मुजाहिदीन, हमास, लश्कर-ए-तैयबा, जैश ए मोहम्मद आदि अन्य
आतंकवादी संगठन है जो हिंसा, हत्या ,मारकाट, विमान अपहरण, आत्मघाती हमला जैसे साधनों का प्रयोग करते हैं।
3. बहुराष्ट्रीय निगम-
बहुराष्ट्रीय निगम वे औद्योगिक संगठन है जो दो या दो से अधिक राष्ट्रों में उत्पादन और सेवाओं का प्रबंधन करते हैं.
पारंपरिक रूप में बहुराष्ट्रीय निगम एक निजी क
ं पनी क
े रूप में होते हैं जो एक वैश्विक रणनीति क
े तहत दुनिया क
े बाजार
पर अधिकार करने और उनसे मुनाफा कमाने का उद्देश्य रखते हैं। कई देशों में राज्य नियंत्रित बहुराष्ट्रीय निगमों का
प्रभाव भी बढ़ा है । जैसे रूस का शस्त्र बाजार में वर्चस्व या चीन की तेल क
ं पनी सीएन पीसी का बढ़ता प्रभाव।
आधुनिक विश्व में लगभग 40,000 बहुराष्ट्रीय निगम कार्यरत है। अमेरिका की जनरल मोटर्स, स्टैंडर्ड आयल और
फोर्ड जैसी क
ं पनियों की सालाना बिक
् री भारत क
े क
ु ल राष्ट्रीय उत्पादन क
े बराबर है। अमेरिका की बड़ी क
ं पनियां
वहां क
े क
ु ल उत्पादन का 60% पर नियंत्रण रखती है।
गैर राज्यकर्ता क
े रूप में यह निगम विश्व राजनीति में सक्रिय रहते हैं। मध्य पूर्व क
े तेल भंडार और अंगोला क
े सोने
लोहे और तेल भंडारों पर इन क
ं पनियों का नियंत्रण रहा है। जिस देश में भी इनका हित प्रभावित होता है, वहां वे
विभिन्न रणनीतियों क
े तहत राष्ट्रीय राजनीति में हस्तक्षेप करती हैं।
4. अंतर सरकारी संगठन-
अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठन भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। ऐसे संगठनों में प्रमुख हैं
संयुक्त राष्ट्र संघ यूनेस्को विश्व स्वास्थ्य संगठन अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन विश्व व्यापार संगठन राष्ट्रमंडल सीटू सेंटो
और नाटो जैसे क्षेत्रीय सैनिक संगठन। जी-8, जी-20 , जी -77 , सार्क ,आसियान, ओपेक, नाफ्टा , अंकटाड आदि
भी इसी श्रेणी में आते हैं।
5. शक्तिशाली व्यक्तिगत कर्ता -
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में क
ु छ ऐसे शक्तिशाली प्रभावी व्यक्तित्व भी सक्रिय हैं जिन्होंने हर तरह की कानूनी
पारंपरिक बाधाओं को पार कर दुनिया पर राजनीतिक आर्थिक बौद्धिक और सांस्क
ृ तिक प्रभाव डाला है। इनमें
उद्योगपति, अपराध जगत से जुड़े लोग, वित्त पोषक , मीडिया क
े लोग, सेलिब्रिटी, धार्मिक नेता और आतंकवादी
प्रमुख। अपने प्रभाव को स्थापित करने क
े लिए धन, नैतिक सत्ता और विशेषज्ञता का सहारा लेते हैं। कई बार यह
व्यक्तिगत करता गैर सरकारी संगठनों क
े साथ मिलकर कार्य करते हैं और कई बार यह बहुराष्ट्रीय निगमों या गैर
सरकारी संगठनों की अध्यक्षता भी करते हैं। जैसे- गेट्स फाउंडेशन।
गैर राज्य कर्ताओं का अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव
वाई. कियोहें , बरनेड तथा मूल्य जैसे विद्वानों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका का
विश्लेषण किया है । उनक
े विश्लेषण और समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति की नई प्रवृत्तियों को दृष्टिगत रखते
हुए गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका एवं प्रभाव को निम्नांकित रूपों में देखा जा सकता है-
1. कियोहें क
े अनुसार राज्येतर कर्ता संप्रेषण पेटी क
े रूप में कार्य करक
े राष्ट्र राज्य की विदेश नीति क
े निर्धारण को
प्रभावित करने में सहायक होते हैं। उनक
े प्रभाव स्वरूप एक राष्ट्र की विदेश नीति दूसरे राष्ट्र क
े प्रति संवेदनशील
होती है।
2. इन कर्ताओं ने विद्यमान राष्ट्र राज्य की व्यवस्था को प्रभावित किया है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में राष्ट्रीय
राज्यों की भूमिका में बदलाव लाया है। हालांकि ‘निक यूरेशिया ग्रुप’ द्वारा आयोजित संगोष्ठी[ 2006-7] में यह
विचार सामने आया कि राज्येतर कर्ताओं की भूमिका राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों से निर्धारित
होती है। इन कर्ताओं को आधुनिकता की तरफ अग्रसर राज्यों की तुलना में कमजोर और विकसित राष्ट्रों में कार्य
की स्वतंत्रता ज्यादा प्राप्त होती है।
3. ज्यादातर राज्य इन विदेशी गैर राज्य कर्ताओं को राष्ट्रीय संप्रभुता क
े समक्ष एक चुनौती क
े रूप में देखते हैं और
नाना कानूनी एवं अनौपचारिक तरीकों से उन्हें प्रतिबंधित करने का प्रयास करते हैं। हाल ही में भारत सरकार क
े
द्वारा कई अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों को प्रतिबंधित किया गया है, जिन पर आरोप है कि धार्मिक स्वतंत्रता
क
े नाम पर उनक
े द्वारा जबरदस्ती लोगों का धर्मांतरण किया जा रहा है।
4. बहुराष्ट्रीय क
ं पनियों क
े कारण अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई समस्याओं को जन्म मिला है। धनी राष्ट्रों क
े
लोगों क
े अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा लाभ प्राप्त करने वाले संगठनों क
े रूप में बहुराष्ट्रीय निगम तीसरी दुनिया क
े
देशों की अर्थव्यवस्थाओं तथा नीतियों पर उपनिवेश नियंत्रण का कारण बने है। वरनेड तथा मूलर क
े अनुसार’’यह
निगम निर्धन राष्ट्र को उपनिवेश बना रहे हैं सभी राष्ट्रों को धीरे-धीरे क्षीण तथा अ स्थिर बना रहे हैं जबकि स्वयं
विशालकाय बनते जा रहे हैं। ‘’
5. गोरिल्ला और आतंकवादी संगठनों की भूमिका क
े कारण अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सद्भाव को खतरा पहुंचा है ।
6. ज्यादातर बहुराष्ट्रीय निगम, गैर सरकारी संगठन एवं प्रभावी व्यक्तिगत कर्ता विकसित राष्ट्रों में जन्म लेते हैं,
अतः अपनी कार्य प्रक्रिया में विकसित देशों की संस्क
ृ ति ,विचारों और मूल्यों को प्रसारित करने का कार्य करते हैं
और इस प्रकार दुनिया में विकसित राष्ट्रों क
े सांस्क
ृ तिक वर्चस्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,
हालांकि अपने देश में अपनी सरकार क
े साथ उनक
े संबंध मधुर नहीं होते। सूचना प्रौद्योगिकी उनक
े इस कार्य में बहुत
हद तक सहायक होती है।
7. वैश्विक संचार माध्यमों क
े कारण मनोरंजन जगत से जुड़े कर्ताओं ने कलाकारों और बुद्धिजीवियों का स्थान ले
लिया है और वे अंतरराष्ट्रीय जनमत को प्रभावित कर रहे है। उदाहरण क
े तौर पर बोनों ने अफ
् रीका की दुर्दशा
की ओर अंतरराष्ट्रीय जन्नत का ध्यान आकर्षित किया तो वहीं मिया फ़रो ने चीन पर दबाव डालने में कामयाबी
हासिल की।
8. आज बहुराष्ट्रीय निगम उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तरफ रुख कर रहे हैं। चीन, भारत, रूस, ब्राजील,
मेक्सिको और तुर्की इसक
े उदाहरण है। इनकी गतिविधियों से आर्थिक विकास क
े साथ-साथ नव उपनिवेशवाद का
खतरा भी बड़ा है.
9. 2001 से यह प्रवृत्ति देखने को मिलती है की अंतरराष्ट्रीय जगत में अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों जैसे- पर्यावरण, जन
स्वास्थ्य, आव्रजन, विस्थापन, सामाजिक आर्थिक न्याय पर कार्य करने वाले कर्ताओं को प्रमुख रूप से मान्यता मिली
है, क्योंकि इन क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से कार्य करने की जन समुदाय की अपेक्षा बढ़ी है।
References and suggested readings
● D. Josselin,Non Staste Actors In World Politics,Palgrave,Macmilan
● core.ac.uk
● Muhittin Ataman,The Impact Of Non State Actors In International
Politics-,Alternatives, Turkish Journal Of International Relations,Vol.
2,2003,dergipark.org
● Wagner,Markus,NonState Actors,The Max Encyclopaedia of Public
International Law, Oxford , Oxford University Press,2010
प्रश्न-
निबंधात्मक
1. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्यकर्ता कौन है और उनका अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव है।
2. गैर राज्य कर्ताओं की मौजूदगी से क्या राष्ट्रों की संप्रभुता प्रभावित हुई है, विवेचना कीजिए।
3. गैर राज्यकर्ता क
े रूप में बहुराष्ट्रीय निगमों एवं गैर सरकारी संगठनों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
4. आतंकवादी एवं हिंसक राजनीतिक संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति क
े स्वरूप को परिवर्तित कर दिया है,
विवेचना कीजिए।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न-
1. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की उपस्थिति का अध्ययन किस दृष्टिकोण क
े अंतर्गत किया जाता
है।
[ अ ] बहुलतावादी [ ब ] यथार्थवादी [स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] आदर्शवादी
2.’ ग्रीनपीस’ नामक संगठन क
े द्वारा किस क्षेत्र में कार्य किया जाता है।
[ अ ] पर्यावरण एवं शांति [ ब ] मानवाधिकार [ स ] विस्थापन [ द ] सामाजिक न्याय
3. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की उपस्थिति का सर्वाधिक प्रभाव किस पर पड़ा है।
[ अ ] दुनिया क
े गरीब देशों पर [ ब ] राष्ट्र की संप्रभुता पर [ स ] दुनिया क
े संपन्न वर्ग पर[ द ] उपर्युक्त सभी
पर
4. बहुराष्ट्रीय निगमों की उपस्थिति से किस प्रवृत्ति का खतरा बढ़ा है।
[ अ ] आर्थिक उपनिवेशवाद [ ब ] राष्ट्रों क
े मध्य युद्ध [ स ] गरीब देशों का आर्थिक विकास अवरुद्ध होने का [ द
] मानवाधिकार उल्लंघन का
5. अंतर्राष्ट्रीय कर्ता क
े रूप में बिल गेट्स जैसे उद्योगपति को किस श्रेणी में रखा जा सकता है।
[ अ ] व्यक्तिगत प्रभाव वाले अंतरराष्ट्रीय करता [ ब ] राज्यकर्ता [ स ] उद्योगपतियों क
े प्रतिनिधि [ द ]
उपर्युक्त सभी
6. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका को प्रभावी बनाने में सर्वाधिक योगदान किसका है।
[ अ ] संगठन [ ब ] संपत्ति [ स ] सूचना प्रौद्योगिकी [ द ] राजनीतिज्ञों क
े साथ गठजोड़
7. निम्नलिखित में से कौन सा गैर राज्य कर्ता अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा क
े लिए एक चुनौती है।
[ अ ] एमनेस्टी इंटरनेशनल [ ब ] ग्रीन पीस [ स ] अल कायदा [ द ] ऑक्सफ
ै म
उत्तर- 1. स 2. अ 3.ब 4. अ 5.अ 6.स 7. स

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Non state actors in international politics

  • 1. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राज्येतर कर्ता https://image.slidesharecdn.com/differencebetweenstateactorsandnon-stateactors-181214071210/95/difference-state-actor s द्वारा- डॉक्टर ममता उपाध्याय एसोसिएट प्रोफ े सर- राजनीति विज्ञान क ु मारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बादलपुर, गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश उद्देश्य- ● अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभाने वाले गैर राज्य कर्ताओं की जानकारी ● गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका का विश्लेषण ● अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गैर राज्यकर्ता क े सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव का विश्लेषण ● गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका से पारंपरिक राष्ट्र राज्य कर्ताओं की स्थिति मे परिवर्तन का विश्लेषण ● विश्व नागरिक क े रूप में अंतरराष्ट्रीय राजनीति की व्यवहारिक क्रियाशीलता का ज्ञान एवं उसक े विश्लेषण की क्षमता का विकास समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राज्य कर्ताओं की उपस्थिति एवं क्रियाशीलता नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की परिचायक है। पारंपरिक रूप में अंतरराष्ट्रीय राजनीति संप्रभुता संपन्न राज्यों की भूमिका को केंद्रीय माना जाता रहा है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति क े यथार्थवादी सिद्धांत क े द्वारा भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति क े प्रमुख ‘पात्र’ राज्यों को
  • 2. बताया गया। व्यावहारिक दृष्टि से यह राज्य राष्ट्रीय हितों को पूरा करने क े उद्देश्य से शक्ति संघर्ष में संलग्न रहते हैं। कि ं तु अंतरराष्ट्रीय राजनीति का समकालीन बहुलता वादी दृष्टिकोण राज्यों क े अतिरिक्त उन सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति क े कर्ता क े रूप में स्वीकार करता है जो संगठित होकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने क े लिए किसी न किसी प्रकार क े जनसमर्थन पर आधारित होते हैं। ऐसे संगठनों में कई गैर सरकारी संगठन, बहुराष्ट्रीय निगम और अंतरराष्ट्रीय संगठन प्रमुख है जो समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अभी राज्य प्रधान पात्र हैं और अन्य संगठन गौण हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं को अंतर्राष्ट्रीय कर्ता , अंतरराष्ट्रीय संगठन, गैर सरकारी कर्ता ,अंतर सरकारी कर्ता या बहुराष्ट्रीय कर्ता भी कहा जाता है। राज्येतर कर्ताओं की प्रमुख विशेषता यह है कि उनकी गतिविधियां विश्व क े विभिन्न राज्यों में लोगों और वस्तुओं को प्रभावित करती हैं, कि ं तु वे सरकारों या राज्यों क े साथ औपचारिक रूप से जुड़े हुए नहीं होते। स्वयंसेवी संगठनों क े रूप में गैर सरकारी संगठन विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कार्य कर रहे हैं। जैसे- पर्यावरण सुरक्षा संगठन, मानवाधिकार संगठन, क्षेत्रीय संगठन, सांस्क ृ तिक संगठन, शांति एवं सामूहिक सुरक्षा संगठन आदि। अर्नाल्ड वॉलफर ने इन संगठनों की भूमिका पर बल देते हुए लिखा था कि ‘’ वेटिकन, अरब अमेरिका तेल क ं पनी तथा अनेक गैर राज्यीय इकाइयां कभी-कभी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं की दिशा को प्रभावित करते हैं।’’ समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति जो वैश्वीकरण और उदारीकरण की प्रक्रिया क े अधीन है ,उनक े इस कथन से बहुत आगे निकल चुकी है और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बहुत सारे गैर राज्यकर्ता इतने अधिक शक्तिशाली और प्रभावी दिखाई देते हैं कि उनकी भूमिका का विश्लेषण अंतरराष्ट्रीय राजनीति की वास्तविक प्रक ृ ति की जानकारी क े लिए अत्यंत आवश्यक हो जाता है। गैर राज्य कर्ताओं की प्रक ृ ति एवं प्रकार बीसवीं शताब्दी क े प्रारंभ से ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर सरकारी कर्ताओं की भूमिका बढ़ने लगी थी। 1975 में इनकी संख्या लगभग 2500 थी। आज बहुराष्ट्रीय क ं पनियों क े अस्तित्व में आने क े कारण इनकी संख्या अनगिनत हो गई है और अंतरराष्ट्रीय क्रियाशीलता का लगभग 50% भाग इन्हीं संगठनों की भूमिका से संपन्न होता है। प्रोफ़ े सर रियो ओसिबा गैर राज्य कर्ताओं की तीन प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करते हैं। यह है- ● इन कर्ताओं में अपने लक्ष्यों और हितों को निर्धारित करने की क्षमता होनी चाहिए। ● निर्धारित उद्देश्य और हितों को प्राप्त करने क े लिए आवश्यक संसाधनों को समायोजित करने की क्षमता भी होनी चाहिए। ● उनकी सक्रियता राज्यों क े आपसी संबंधों और गैर राज्य कर्ताओं क े संबंधों को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करने वाली होनी चाहिए। इन विशेषताओं से युक्त अंतरराष्ट्रीय संगठनों को ही गैर राज्य कर्ता की संज्ञा दी जा सकती है। सामान्यतः आज निम्नांकित प्रकार क े गैर राज्यकर्ता अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं-
  • 3. 1. गैर सरकारी संगठन- विश्व राजनीति में उदारवाद क े बढ़ते प्रभाव क े साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों की भूमिका बड़ी है। यह संगठन निस्वार्थ भाव से बिना किसी व्यावसायिक लाभ क े उद्देश्य से सामाजिक हित क े बहुत सारे कार्यों को संपन्न करते हैं। जैसे- मानव अधिकारों की रक्षा, मानवीय सहायता, आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण आदि । संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यरत फ ् रीडम हाउस इंग्लैंड में कार्यरत पापुलेशन करसन तथा वाटर एड,रेड क ् रॉस, ग्रीनपीस, एमनेस्टी इंटरनेशनल, ऑक्सफ ै म आदि प्रमुख गैर सरकारी संगठन है। 21वीं शताब्दी में दुनिया क े बहुत से लोग गैर सरकारी संगठनों क े साथ इस उद्देश्य से जुड़ते हैं कि इन क े माध्यम से वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं एवं सरकारों को प्रभावित करने में सफल होंगे । यह गैर सरकारी संगठन अनेक वैश्विक समस्याओं को उठाते हैं और उनक े समाधान का सुझाव प्रस्तुत करते हैं। जैसे निरस्त्रीकरण, पर्यावरण संरक्षण , मानवाधिकार संरक्षण, एड्स पीड़ित लोगों क े अधिकारों का संरक्षण, महिलाओं और बच्चों क े अधिकारों का संरक्षण,प्रेस की स्वतंत्रता आदि । संयुक्त राष्ट्र संघ क े द्वारा इन्हें राज्यों क े साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति का वैध कर्ता स्वीकार किया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी क े विस्तार क े साथ साथ इन गैर सरकारी संगठनों का वैश्विक नेटवर्क सशक्त हुआ है। 2. हिंसक राजनीतिक संगठन/ आतंकवादी संगठन- दुनिया में ऐसे हिंसक संघर्षों का तेजी से विस्तार हुआ है जो अपनी क ु छ निश्चित से मांगों की पूर्ति क े लिए क ु छ विशेष राज्यों एवं जनसंख्या पर हिंसक घटनाओं क े माध्यम से दबाव डालने एवं डर का माहौल पैदा करने का प्रयास करते हैं। अलकायदा ऐसे संगठनों में प्रमुख है, जिसने 11 सितंबर 2001 अमेरिका क े वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला किया था। तकनीक क े माध्यम से अपनी शक्ति को बढ़ाते हुए इन संगठनों ने स्वयं को गैर राज्यकर्ता क े रूप में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। अफ ् रीकन नेशनल कांग्रेस, साउथ वेस्ट अफ ् रीकन पीपल ऑर्गेनाइजेशन, पलेस्टाइन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन, हिज्बुल मुजाहिदीन, हमास, लश्कर-ए-तैयबा, जैश ए मोहम्मद आदि अन्य आतंकवादी संगठन है जो हिंसा, हत्या ,मारकाट, विमान अपहरण, आत्मघाती हमला जैसे साधनों का प्रयोग करते हैं। 3. बहुराष्ट्रीय निगम- बहुराष्ट्रीय निगम वे औद्योगिक संगठन है जो दो या दो से अधिक राष्ट्रों में उत्पादन और सेवाओं का प्रबंधन करते हैं. पारंपरिक रूप में बहुराष्ट्रीय निगम एक निजी क ं पनी क े रूप में होते हैं जो एक वैश्विक रणनीति क े तहत दुनिया क े बाजार पर अधिकार करने और उनसे मुनाफा कमाने का उद्देश्य रखते हैं। कई देशों में राज्य नियंत्रित बहुराष्ट्रीय निगमों का प्रभाव भी बढ़ा है । जैसे रूस का शस्त्र बाजार में वर्चस्व या चीन की तेल क ं पनी सीएन पीसी का बढ़ता प्रभाव। आधुनिक विश्व में लगभग 40,000 बहुराष्ट्रीय निगम कार्यरत है। अमेरिका की जनरल मोटर्स, स्टैंडर्ड आयल और फोर्ड जैसी क ं पनियों की सालाना बिक ् री भारत क े क ु ल राष्ट्रीय उत्पादन क े बराबर है। अमेरिका की बड़ी क ं पनियां वहां क े क ु ल उत्पादन का 60% पर नियंत्रण रखती है।
  • 4. गैर राज्यकर्ता क े रूप में यह निगम विश्व राजनीति में सक्रिय रहते हैं। मध्य पूर्व क े तेल भंडार और अंगोला क े सोने लोहे और तेल भंडारों पर इन क ं पनियों का नियंत्रण रहा है। जिस देश में भी इनका हित प्रभावित होता है, वहां वे विभिन्न रणनीतियों क े तहत राष्ट्रीय राजनीति में हस्तक्षेप करती हैं। 4. अंतर सरकारी संगठन- अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठन भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। ऐसे संगठनों में प्रमुख हैं संयुक्त राष्ट्र संघ यूनेस्को विश्व स्वास्थ्य संगठन अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन विश्व व्यापार संगठन राष्ट्रमंडल सीटू सेंटो और नाटो जैसे क्षेत्रीय सैनिक संगठन। जी-8, जी-20 , जी -77 , सार्क ,आसियान, ओपेक, नाफ्टा , अंकटाड आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं। 5. शक्तिशाली व्यक्तिगत कर्ता - अंतरराष्ट्रीय राजनीति में क ु छ ऐसे शक्तिशाली प्रभावी व्यक्तित्व भी सक्रिय हैं जिन्होंने हर तरह की कानूनी पारंपरिक बाधाओं को पार कर दुनिया पर राजनीतिक आर्थिक बौद्धिक और सांस्क ृ तिक प्रभाव डाला है। इनमें उद्योगपति, अपराध जगत से जुड़े लोग, वित्त पोषक , मीडिया क े लोग, सेलिब्रिटी, धार्मिक नेता और आतंकवादी प्रमुख। अपने प्रभाव को स्थापित करने क े लिए धन, नैतिक सत्ता और विशेषज्ञता का सहारा लेते हैं। कई बार यह व्यक्तिगत करता गैर सरकारी संगठनों क े साथ मिलकर कार्य करते हैं और कई बार यह बहुराष्ट्रीय निगमों या गैर सरकारी संगठनों की अध्यक्षता भी करते हैं। जैसे- गेट्स फाउंडेशन। गैर राज्य कर्ताओं का अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव वाई. कियोहें , बरनेड तथा मूल्य जैसे विद्वानों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका का विश्लेषण किया है । उनक े विश्लेषण और समसामयिक अंतरराष्ट्रीय राजनीति की नई प्रवृत्तियों को दृष्टिगत रखते हुए गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका एवं प्रभाव को निम्नांकित रूपों में देखा जा सकता है- 1. कियोहें क े अनुसार राज्येतर कर्ता संप्रेषण पेटी क े रूप में कार्य करक े राष्ट्र राज्य की विदेश नीति क े निर्धारण को प्रभावित करने में सहायक होते हैं। उनक े प्रभाव स्वरूप एक राष्ट्र की विदेश नीति दूसरे राष्ट्र क े प्रति संवेदनशील होती है। 2. इन कर्ताओं ने विद्यमान राष्ट्र राज्य की व्यवस्था को प्रभावित किया है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में राष्ट्रीय राज्यों की भूमिका में बदलाव लाया है। हालांकि ‘निक यूरेशिया ग्रुप’ द्वारा आयोजित संगोष्ठी[ 2006-7] में यह विचार सामने आया कि राज्येतर कर्ताओं की भूमिका राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों से निर्धारित
  • 5. होती है। इन कर्ताओं को आधुनिकता की तरफ अग्रसर राज्यों की तुलना में कमजोर और विकसित राष्ट्रों में कार्य की स्वतंत्रता ज्यादा प्राप्त होती है। 3. ज्यादातर राज्य इन विदेशी गैर राज्य कर्ताओं को राष्ट्रीय संप्रभुता क े समक्ष एक चुनौती क े रूप में देखते हैं और नाना कानूनी एवं अनौपचारिक तरीकों से उन्हें प्रतिबंधित करने का प्रयास करते हैं। हाल ही में भारत सरकार क े द्वारा कई अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों को प्रतिबंधित किया गया है, जिन पर आरोप है कि धार्मिक स्वतंत्रता क े नाम पर उनक े द्वारा जबरदस्ती लोगों का धर्मांतरण किया जा रहा है। 4. बहुराष्ट्रीय क ं पनियों क े कारण अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई समस्याओं को जन्म मिला है। धनी राष्ट्रों क े लोगों क े अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा लाभ प्राप्त करने वाले संगठनों क े रूप में बहुराष्ट्रीय निगम तीसरी दुनिया क े देशों की अर्थव्यवस्थाओं तथा नीतियों पर उपनिवेश नियंत्रण का कारण बने है। वरनेड तथा मूलर क े अनुसार’’यह निगम निर्धन राष्ट्र को उपनिवेश बना रहे हैं सभी राष्ट्रों को धीरे-धीरे क्षीण तथा अ स्थिर बना रहे हैं जबकि स्वयं विशालकाय बनते जा रहे हैं। ‘’ 5. गोरिल्ला और आतंकवादी संगठनों की भूमिका क े कारण अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सद्भाव को खतरा पहुंचा है । 6. ज्यादातर बहुराष्ट्रीय निगम, गैर सरकारी संगठन एवं प्रभावी व्यक्तिगत कर्ता विकसित राष्ट्रों में जन्म लेते हैं, अतः अपनी कार्य प्रक्रिया में विकसित देशों की संस्क ृ ति ,विचारों और मूल्यों को प्रसारित करने का कार्य करते हैं और इस प्रकार दुनिया में विकसित राष्ट्रों क े सांस्क ृ तिक वर्चस्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, हालांकि अपने देश में अपनी सरकार क े साथ उनक े संबंध मधुर नहीं होते। सूचना प्रौद्योगिकी उनक े इस कार्य में बहुत हद तक सहायक होती है। 7. वैश्विक संचार माध्यमों क े कारण मनोरंजन जगत से जुड़े कर्ताओं ने कलाकारों और बुद्धिजीवियों का स्थान ले लिया है और वे अंतरराष्ट्रीय जनमत को प्रभावित कर रहे है। उदाहरण क े तौर पर बोनों ने अफ ् रीका की दुर्दशा की ओर अंतरराष्ट्रीय जन्नत का ध्यान आकर्षित किया तो वहीं मिया फ़रो ने चीन पर दबाव डालने में कामयाबी हासिल की। 8. आज बहुराष्ट्रीय निगम उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तरफ रुख कर रहे हैं। चीन, भारत, रूस, ब्राजील, मेक्सिको और तुर्की इसक े उदाहरण है। इनकी गतिविधियों से आर्थिक विकास क े साथ-साथ नव उपनिवेशवाद का खतरा भी बड़ा है. 9. 2001 से यह प्रवृत्ति देखने को मिलती है की अंतरराष्ट्रीय जगत में अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों जैसे- पर्यावरण, जन स्वास्थ्य, आव्रजन, विस्थापन, सामाजिक आर्थिक न्याय पर कार्य करने वाले कर्ताओं को प्रमुख रूप से मान्यता मिली है, क्योंकि इन क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से कार्य करने की जन समुदाय की अपेक्षा बढ़ी है। References and suggested readings
  • 6. ● D. Josselin,Non Staste Actors In World Politics,Palgrave,Macmilan ● core.ac.uk ● Muhittin Ataman,The Impact Of Non State Actors In International Politics-,Alternatives, Turkish Journal Of International Relations,Vol. 2,2003,dergipark.org ● Wagner,Markus,NonState Actors,The Max Encyclopaedia of Public International Law, Oxford , Oxford University Press,2010 प्रश्न- निबंधात्मक 1. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्यकर्ता कौन है और उनका अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव है। 2. गैर राज्य कर्ताओं की मौजूदगी से क्या राष्ट्रों की संप्रभुता प्रभावित हुई है, विवेचना कीजिए। 3. गैर राज्यकर्ता क े रूप में बहुराष्ट्रीय निगमों एवं गैर सरकारी संगठनों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। 4. आतंकवादी एवं हिंसक राजनीतिक संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति क े स्वरूप को परिवर्तित कर दिया है, विवेचना कीजिए। वस्तुनिष्ठ प्रश्न- 1. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की उपस्थिति का अध्ययन किस दृष्टिकोण क े अंतर्गत किया जाता है। [ अ ] बहुलतावादी [ ब ] यथार्थवादी [स ] उपर्युक्त दोनों [ द ] आदर्शवादी 2.’ ग्रीनपीस’ नामक संगठन क े द्वारा किस क्षेत्र में कार्य किया जाता है। [ अ ] पर्यावरण एवं शांति [ ब ] मानवाधिकार [ स ] विस्थापन [ द ] सामाजिक न्याय 3. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की उपस्थिति का सर्वाधिक प्रभाव किस पर पड़ा है। [ अ ] दुनिया क े गरीब देशों पर [ ब ] राष्ट्र की संप्रभुता पर [ स ] दुनिया क े संपन्न वर्ग पर[ द ] उपर्युक्त सभी पर 4. बहुराष्ट्रीय निगमों की उपस्थिति से किस प्रवृत्ति का खतरा बढ़ा है। [ अ ] आर्थिक उपनिवेशवाद [ ब ] राष्ट्रों क े मध्य युद्ध [ स ] गरीब देशों का आर्थिक विकास अवरुद्ध होने का [ द ] मानवाधिकार उल्लंघन का 5. अंतर्राष्ट्रीय कर्ता क े रूप में बिल गेट्स जैसे उद्योगपति को किस श्रेणी में रखा जा सकता है। [ अ ] व्यक्तिगत प्रभाव वाले अंतरराष्ट्रीय करता [ ब ] राज्यकर्ता [ स ] उद्योगपतियों क े प्रतिनिधि [ द ] उपर्युक्त सभी 6. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में गैर राज्य कर्ताओं की भूमिका को प्रभावी बनाने में सर्वाधिक योगदान किसका है।
  • 7. [ अ ] संगठन [ ब ] संपत्ति [ स ] सूचना प्रौद्योगिकी [ द ] राजनीतिज्ञों क े साथ गठजोड़ 7. निम्नलिखित में से कौन सा गैर राज्य कर्ता अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा क े लिए एक चुनौती है। [ अ ] एमनेस्टी इंटरनेशनल [ ब ] ग्रीन पीस [ स ] अल कायदा [ द ] ऑक्सफ ै म उत्तर- 1. स 2. अ 3.ब 4. अ 5.अ 6.स 7. स