This Presentation Is about the 2 movements of Gandhi (Champaran, Kheeda satyagrah And Quit india Movement )
And this presentation is Made IN hindi Language .
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindiEasy Chineseez
शिव खेड़ा के अनमोल विचार – Shiv khera quotes in hindi
Tags: Shiv Khera hindi quotes, Shiv khera hindi thoughts, Motivational thoughts of Shiv Khera in hindi, inspirational thoughts of shiv khera in hindi, shiv khera thoughts,shiv khera thoughts,
Shri Guru Gobind Singh Sahib Ji Passing Away - 113asinfome.com
http://spiritualworld.co.in श्री गुरु गोबिंद सिंह जी - ज्योति ज्योत समाना:
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी दोनों समय दीवान लगाकर संगत को उपदेश देकर निहाल करते थे| इस समय दो युवक पठान भी दीवान में उपस्थित होकर श्रद्धा भाव से गुरु जी के वचन सुनते|
एक दिन शाम के समय जब गुरु जी अपने तम्बू में विश्राम कर रहे थे तो इनमें से एक पठान गुलखां ने समय ताड़ कर आप जी के पेट में कटार के दो वार कर दिए| गुरु जी ने शीघ्र ही अपने आप को सँभालते हुए उसका सिर एक वार से धड़ से अलग कर दिया| गुलखां का साथी रुस्तमखां जो तम्बू से बाहर खड़ा था उसे पहरेदारों ने मार दिया| इसके पश्चात सिंघो ने नादेड़ नगर से जराह को बुलाकर आपके जख्मों की मरहम पट्टी कराई| तथा रोज ही आप की आरोग्यता के लिए बाणी का पाठ व अरदास करने लगे|
more on http://spiritualworld.co.in
लेख़क – डॉ. शशिकान्त भगत, फ़ैकल्टी, नेशनल इंस्टीटूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म, अहमदाबाद.
पिता करमचंद गाँधी और पुतली बाई के पुत्र मोहनदास करमचंद गाँधी को जब अखंड भारत और सम्पूर्ण विश्व ‘बापू’ के नाम से पुकारता है तो सभी के जुबां पर कुछ ऐसे शब्द गूँज उठते है जिसमें सत्य और अहिंसा की बयार बहने लगती है| भारत के राष्ट्रपिता, भारत को आजादी दिलवाने में अहम योगदान, सत्य और अहिंसा के प्रेरणा श्रोत, यें सभी शब्द हमारे अंतरात्मा को हमेशा से जगायें रख़ते है|
Shirdi sai baba exposed.. he is 100% fake.....
more info at:
http://www.vedicbharat.com/2013/04/Shirdi-sai-baba-Exposed---must-read.html
http://vaidikdharma.wordpress.com/category/शिरडी-साईं-का-पर्दाफास/
http://hinduawaken.wordpress.com/2012/01/page/2/
http://www.voiceofaryas.com/author/mishra-preyasi/
http://hindurashtra.wordpress.com/expose-sai/
http://hindurashtra.wordpress.com/2012/08/13/374/
http://hindutavamedia.blogspot.in/2013/01/blog-post_27.html#.UWAmmulJNmM
http://krantikaribadlava.blogspot.in/2013/01/blog-post_7307.html
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राम राज्य Indica Today Shastraas Indic Knowledge Systems Indology.pptxIndicaToday
Indic academy initiative for publishing content on Shastraas, Indic Knowledge Systems & Indology and to showcase the activities of Indic Academy.
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Manoj kumar sr. no. 06, kabir kavy me samajik chintan
1. गु ज भे र िव ान एवं तकनीक िव िव ालय
िहसार
Faculty Induction Programme -2
November, 18, 2020 to December,23, 2020
Sr. No. 06
कबीर का म सामािजक चंतन
तुतक ा
मनोज कु मार
सहायक ा यापक, िह दी
राजक य महािव ालय बालसमंद
2. भूिमका :
कबीर का म सामािजकता क बात करते समय सबसे बड़ी धारणा यह होती क वे वभाव से ही समाज सुधारक, युगदृ ा
और स त किव थे । संत श द क प रभाषा य द हम ापक अथ म कर तो इसका अथ होता है :- पिव आ मा, परोपकारी,
सदाचारी । मुिन राम संह ने अपनी रचना पा ड़ दोहा म स त को िनरंजन बताया है, वासुदेव संह ने अपने हंदी सािह य
के समी ा मक इितहास म पृ सं या 74 पर िलखा क कबीर दास ने कहा -िजसका कोई श ु नह , जो िन काम है, ई र
से ेम करता है और िवषय से असंपृ रहता है, वही संत है।
परशुराम चतुवदी ने िलखा “संत श द उस ि क ओर संकेत करता है िजसने सत पी परमत व का अनुभव
कर िलया हो। कबीर ने ऐसे समय म ज म िलया था िजसम भारतवष क सां कृितक आ था का पतन हो रहा था । हम
देखते ह क रामानंद के बाद भि काल म कबीर का ही नाम िलया जाता है । कबीर िनगुण िनराकार के उपासक थे ।
वे चंतन के े म ानी थे। उनके रह यवाद म अ ात स ा के ित िज ासा भाव प रलि त होता है । उनका रह यवाद
िज ासा का फल है, उ ह संसार के येक कण म ि यतम का मधुर प ही दखाई देता है।
3. कबीर का भाव :
कबीर एक ि नह थे बि क एक ि व थे ।
कबीर हंदु के िलए वै णव भ ; मुसलमान के
िलए पीर; िसख के िलए भ ; कबीरपंिथय के िलए
अवतार थे; आधुिनक रा वा दय के िलए हंदू
मुि लम एकता के ित प और नए वेदांितय के िलए
िव धम व मानव धम के वतक; गितशील लोग
क दृि म समाज सुधारक, जाितगत े ता के
िवरोधी, ांितकारी और एकता के तीक थे।
ामािणक रचना :
कबीर क सबसे अिधक ामािणक समझी जाने वाली
रचना म डॉ० यामसुंदरदास ारा संपा दत
कबीर ंथावली, डॉ० रामकुमार वमा ारा संपा दत
संत कबीर, कबीरपंिथय के सं दाय के ंथ बीजक
का उ लेख कया जा सकता है ।
4. समाज म िनगुण ई र क उ ावना
िनगुण ई र म िव ास के प म कबीर ने राम को ही पूजा है । कबीर ने कहा क
उनके राम ने न तो दशरथ के घर ज म िलया है, उसने ना ही रावण को तािड़त
कया है, ना देवक क कोख से ज म िलया है, ना ही उसे यशोदा ने ज म दया
और ना ही वे अवतार थे । उ ह ने कहा क मेरे राम तो घट घट म िव मान ह ।
उसे कह खोजने क आव यकता नह है ।
5. कबीर
कबीर का उ े य एक ऐसे धम का
उपदेश देना था जो सभी जाितय म
एकता थािपत कर सके। कुरीितय ,
बा -आडंबर का िवरोध करते ए
जनमानस को जाग क करने का भरपूर
यास उ ह ने कया। कबीर हंदू होकर
भी हंदू नह थे, मुसलमान होकर
मुसलमान नह थे; वह तो उस ई र के
अन य भ थे जो हमारे अंदर ही ा
है और ेम ही उनका आदश था।
म यकालीन समाज म भेदभाव,
अनाचार, िभचार, ढ़वाद व
आचरण ता अपनी चरम सीमा पर
था। समाज अ त- त था, िविभ
धा मक सं दाय का बोलबाला था,
येक ि कसी न कसी धम म
पड़कर अपनी-अपनी डफली अपना-
अपना राग अलाप रहा था। आपसी ेम,
भाईचारा और सौहा का लेश मा भी
नह था । ऐसे समय म कबीरदास जी ने
आपसी स ाव को बढ़ावा दया।
मू त पूजा पर क र हार: आपसी स ाव:
6. वण- व था पर कड़ा हार
म य काल म वण व था के कारण हंदु के भीतर ा ण, ि य, वै य और
शु के अित र अनेक जाितयां उ प हो चुक थ िजनम ऊं च-नीच, कुलीन-
अकुलीन का भाव पनप चुका था । कबीर ने उस समय चिलत इस जाित और वण
व था का कड़ा िवरोध कया ।
उ ह ने कहा- जाित-पाित पूछे नह कोई,
ह र को भजै सो ह र का होई ।
7. कबीर
कबीर समाज म ा भोग-िवलास, धन- संचय क वृि के घोर िवरोधी थे ।
त कालीन समाज क आ थक ि थित से प रिचत थे। उ ह ने उस भेदभाव को
अपनी आंख से देखा था, भोगा था, अनुभव कया था, उसी को उ ह ने अपनी
वाणी के ारा अपने का म तुत कया।
उनका कहना था- सा इतना दीिजए जामे कुटुंब समाय ।
म भी भूखा ना र ं साधु न भूखा जाए ।।
धन-संचय िवरोध:
8. समाज म पुराण, शा संबंिधत अवधारणा:
कबीर दास जी पुराण, शा आ द के िवचार का गलत चार- सार करने वाल का भी िवरोध
करते दखाई देते ह । वे वतं वेता ि व के वामी थे। इसिलए वे दासता, हीनता, ूरता और शोषण
आ द को जड़ से उखाड़ फकने के िलए हमेशा ही त पर रहते थे ।
भि का प:
कबीरदास जी ने समाज के परंपरागत कमकांड, सां दाियक असिह णुता का बिह कार कया।
उ ह ने समाज म ा पूजा, छापा, माथे पर ितलक आ द सभी को नकार दया, उ ह ने भि का सीधा,
सरल एवं संपूण प िनगुण ई र के प म समाज के सामने रखा।
9. कबीर पढ़े-िलखे नह थे, उ ह ने वयं वीकार कया, कंतु ान शू य भी नह थे । वह अपने जीवन के मण, अनुभव एवं स संग ारा
जीवन के सार त व को ा कर चुके थे। उनका ान अनुभव ज य था इसी कारण वे समाज म अिधक लोकि य हो पाए । उ ह यह ान
ा करने के िलए कसी पवत या कसी जंगल म तप या करने के िलए नह जाना पड़ा यह ान उ ह अपने चार तरफ फैले समाज
और अपने अनुभव से ही ा आ और वह था मानवता क सेवा, मानवता का जागरण। यही ान येक मानव अपने वहार म
धारण कर ले तो उनका जीवन सफल हो जाए।
समाज म ि को समझाते ए उ ह ने कहा क मनु य को सबसे पहले अपने मन और तन क बुराई देखनी चािहए, उसे अपने अंदर
झांकना चािहए । अपना वभाव शांत रखने वाले अपने आप को हीन समझ सकते ह, परंतु अिभमानी ि दूसरे को बुरा और वयं
को अ छा समझते ह ।
उ ह ने कहा- बुरा जो देखन म चला, बुरा न िमिलया कोय ।
जो दल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोय । ।
ान ाि आधार:
आंत रक मन म झांकने क नसीहत :
10. मानव सेवा सव प र:
कबीर दास जी ने मानवता क सेवा को अपने जीवन का सबसे बड़ा धम बताया । उ ह ने
कहा समाज सेवा ही सव म सेवा है। समाज सेवा के िबना मनु य क गित संभव नह है ।
उ ह ने कहा-
सेवक सेवा म रहे अनंत क नह जाय,
दुख सुख िसर ऊपर सहै, कह कबीर समझाय।
11. िन कष :
कबीर दास जी ने ऐसे समाज क क पना क िजसम ना कोई हंदू, ना कोई मुसलमान, ना
ा ण, न कोई शू , न िनधन, न बलशाली, ना कोई कमजोर, ना मं दर, ना मि जद, त
माला,छापा, ितलक, रोजा, नमाज आ द का झंझट ना हो । जीवन िब कुल शांत, सरल वभाव
से जीया जाए, उसे ही समाज म कबीरदास जी ने मा यता दी है।
इस कार कबीरदास जी गौतम बु , गांधी और अंबेडकर जैसे ांितका रय क ेणी म रखे जा
सकते ह । एक समाज सुधारक क सबसे बड़ी पहचान यही होती है क वह अपने युग क
िवसंगितय को पहचानकर, एक मौिलक व समयानुकूल धारणा तुत करे, उ ह म से एक थे
कबीरदास ।
सुिखया सब संसार है, खावे अ सोए
दुिखया दास कबीर है, जागे अ रोए ।