Nepali autosuggestions to overcome negative thoughtsSSRF Inc.
नकारात्मक विचारहरू हटाउन धेरै गाह्रो हुनुको कारण हो, हामी समस्याहरूलाई केवल शारीरिक र मानसिक समाधानको साथ सम्बोधन गर्न खोजदछौं । प्राय धेरै जसो समयमा, समस्या आध्यात्मिक स्तरमा हुन्छ यस कारण कम प्रभावकारी हुन जान्छ ।
The President’s Speech in Cairo: A New Beginning - HindiObama White House
President Obama’s speech in Cairo on America’s relationship with Muslim communities around the world. June 4th, 2009. http://www.whitehouse.gov/blog/newbeginning/
President Obama extends his best wishes to Muslim communities in the United States and around the world during Ramadan.http://www.whitehouse.gov/blog/Ramadan-Kareem/
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नकारात्मक विचारहरू हटाउन धेरै गाह्रो हुनुको कारण हो, हामी समस्याहरूलाई केवल शारीरिक र मानसिक समाधानको साथ सम्बोधन गर्न खोजदछौं । प्राय धेरै जसो समयमा, समस्या आध्यात्मिक स्तरमा हुन्छ यस कारण कम प्रभावकारी हुन जान्छ ।
The President’s Speech in Cairo: A New Beginning - HindiObama White House
President Obama’s speech in Cairo on America’s relationship with Muslim communities around the world. June 4th, 2009. http://www.whitehouse.gov/blog/newbeginning/
President Obama extends his best wishes to Muslim communities in the United States and around the world during Ramadan.http://www.whitehouse.gov/blog/Ramadan-Kareem/
व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ इतिहास (Meaning and History of Applied Pschology)Dr Rajesh Verma
हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है”
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
छायावादी कवियों में सुमित्रानन्दन पन्त एक मात्र ऐसे कवि है, जिन्हें प्रकृति के सुकुमार कवि' के रुप में ख्याति प्राप्त है, प्रकृति पन्त जी के काव्य की मूल प्रेरक चेतना रही है, जैसा कि उसने स्वीकार किया है - “कविता करने की प्रेरणा मुझे सब से पहले प्रकृति निरीक्षण से मिली है, प्रकृति सौंन्दर्य में रमा कवि नारी सौंदर्य की भी उपेक्षा कर देता है -
"छोड द्रुमों की मृद छाया,
तोड प्रकृति की भी माया
बाले तेरे बालजाल में -
कैसे उलझा दूँ लोचन
भूल अभी से
इस जग को।"
पन्तजी के काव्य में प्रकृति परंपरागत सभी काव्य रूपों में विद्यमान है। आलम्बन के रुप में प्रकृति चित्रण में उनकी काव्य प्रतिभा प्रकृति के मानवीय रुप में लोचन चित्रण मिलती है। इस दृष्टि से "नौका विहार और परिवर्तन” कविताएँ उल्लेखनीय है -
शांत, स्निग्ध, ज्योत्सना उज्ज्वल।
अपलक, अनन्त, नीरव भूतल!
शैकत-शैया पर दुग्ध-धवल, तत्वंगी गंगा, ग्रीष्म विरल
लेटी है श्रान्त क्लान्त, निश्चल"|
पन्त जी ने गंगा नदी को मानवीय भाव, आकार, प्रकार, वेशभूषा, साज-सज्जा आदि ने सुसज्जित करके एक तापस-बाला के रूप में अत्यन्त सजीवता तथा सचेत के साथ अंकित किया है।
ग्रीष्म ऋतु की एक चाँदनी रात में कवि अपने मित्रों के साथ गंगा नदी के तट पर शार करने गये थे। कवि पन्त अपने मित्रों के साथ सैर करते समय कवि की भावनाएँ सहज ही फूट पड़ी। जिन्हें उन्होने थथाकत सुन्दर कविता के रूप में अंकित कर दिया है। जिस समय वे सैर कर रहे थे उस समय वातावरण बिलकुल शान्त एवं स्निग्ध था। राकेंदु की स्वच्छ किरणों की शीतलता वातावरण को आहलाद पूर्ण बना रही थी। अनंत आकाश निर्मल एवं स्वच्छ तथा मेघ रहित था। सारा भूतल निःशब्ध था। शौकत शैया पर धुंध-सी धवल, युवती-सी ग्रीष्म ताप से पीड़ित गंगा थककर निश्चिन्त होती है।
"अहेनिष्ठुर परिवर्तन?
तुम्हारा ही तांडव-नर्तन,
विश्व का करुण विवर्तन।
तुम्हारा ही नयनोन्मीलन,
निखिल उत्थान पतन"।
यह परिवर्तन बड़ा ही तिष्ठुर है। इसका तांडव सदैव होता रहता है और इसके नयनोन्मीलन से संसार में निरन्तर उत्थान एवं पतन होते रहते हैं। पन्त जी ने परिवर्तन कविता में संसार की अचरिता को देखकर पतन को निःश्वास भरते हुए दिखाया है, समुद्र की सिसकिया भरते और नक्षत्रों को सिहरते हुए बताया है –
“अचिरता देख जगती की आप,
शून्य भरता समीर निःश्वास,
डलता पातों पर चुपचाप,
ओस को आँसू नीलाकाश,
सिसक उठता समुद्र का मन,
सिहर उठते उडुगन”।
कविवर पन्त प्रकृति के सच्चे उपासक है। प्रकृति उसकी हास-रूदन की प्रेरक है, उद्धीपक है और उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम भी है।
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...KALPESH-JNV
THIS PPT IS BASED ON ASSAM. EVERY THING ABOUT IT. IT CULTURE , HERITAGED.
इस PPT को ASSAM पर आधारित है। इसके बारे में सब कुछ। आईटी संस्कृति, हेरिटेज। सम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है।नाम की उत्पत्ति कामाख्या मन्दिर (नीलाचल, गुवाहाटी) कारेंगघर, आहोम राजा का महल
देवी डोल (शिवसागर)
राजाओं के मैदाम
रंग घर
तलातल घर
कलिया भोमोरा सेतु
चन्द्रकान्ता हस्तकला भवन (जोरहट)
डिब्रूगढ़ की एक चाय बगान
असम चाय
चित्र:Krishnakshi Kashyap Sattriya Dancer.jpg
कृष्णाक्षी कश्यप, सत्रीया नृत्यांगना
एक सींग वाला गैंडा
विशेषज्ञों के अनुसार 'आसाम' नाम काफी परवर्ती है। पहले इस राज्य को 'असम' कहा जाता था।
सामान्य रूप से माना जाता है कि असम नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है, वो भूमि जो समतल नहीं है। कुछ लोगों की मान्यता है कि "आसाम" संस्कृत के शब्द "अस्म " अथवा "असमा", जिसका अर्थ असमान है का अपभ्रंश है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 'असम' शब्द संस्कृत के 'असोमा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियां प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहाँ की मिश्रित संस्कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध परंपरा रही है।
कुछ लोग इस नाम की व्युत्पत्ति 'अहोम' (सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति) से भी बताते हैं।
आसाम राज्य में पहले मणिपुर को छोड़कर बंगलादेश के पूर्व में स्थित भारत का संपूर्ण क्षेत्र सम्मिलित था तथा उक्त नाम विषम भौम्याकृति के संदर्भ में अधिक उपयुक्त प्रतीत होता था क्योंकि हिमालय की नवीन मोड़दार उच्च पर्वतश्रेणियों तथा पुराकैब्रियन युग के प्राचीन भूखंडों सहित नदी (ब्रह्मपुत्) निर्मित समतल उपजाऊ मैदान तक इसमें आते थे। परन्तु विभिन्न क्षेत्रों की अपनी संस्कृति आदि पर आधारित अलग अस्तित्व की माँगों के परिणामस्वरूप वर्तमान आसाम राज्य का लगभग ७२ प्रतिशत क्षेत्र ब्रहपुत्र की घाटी (असम की घाटी) तक सीमित रह गया है जो पहले लगभग ४० प्रतिशत मात्र ही था।
इतिहास
मुख्य लेख: असम का इतिहास
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस स्थान को प्रागज्योतिच्ह के नाम से जाना जाता था। महाभारत के अनुसार कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने यहाँ की उषा नाम की युवती पर मोहित होकर उसका अपहरण कर लिया था। श्रीमद् भागवत महापुराणके अनुसार उषाने अपनी सखी चित्रलेखाद्वारा अनिरुद्धको अपहरण करवाया | यह बात यहाँ की दन्तकथाओं में भी पाया जाता है कि अनिरुद्ध पर मोहित होकर उषा ने ही उसका अपहरण कर लिया था। इस घटना को यहाँ कुमार हरण के नाम से जाना जाता है।
Jane se phele niche vali video dekh lo (VERY IMP)
https://www.youtube.com/watch?v=V5qMCRAZTN8
व्यावहारिक मनोविज्ञान का अर्थ इतिहास (Meaning and History of Applied Pschology)Dr Rajesh Verma
हेनरी इलियट के अनुसार “यह मनोविज्ञान की ऐसी शाखा है जिसमें शुद्ध और विशेषकर प्रायोगिक मनोविज्ञान की विधियों एवं परिणामों को व्यहारिक समस्याओं और व्यवहारिक जीवन पर प्रयोग करने का प्रयास किया जाता है”
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पन्त
छायावादी कवियों में सुमित्रानन्दन पन्त एक मात्र ऐसे कवि है, जिन्हें प्रकृति के सुकुमार कवि' के रुप में ख्याति प्राप्त है, प्रकृति पन्त जी के काव्य की मूल प्रेरक चेतना रही है, जैसा कि उसने स्वीकार किया है - “कविता करने की प्रेरणा मुझे सब से पहले प्रकृति निरीक्षण से मिली है, प्रकृति सौंन्दर्य में रमा कवि नारी सौंदर्य की भी उपेक्षा कर देता है -
"छोड द्रुमों की मृद छाया,
तोड प्रकृति की भी माया
बाले तेरे बालजाल में -
कैसे उलझा दूँ लोचन
भूल अभी से
इस जग को।"
पन्तजी के काव्य में प्रकृति परंपरागत सभी काव्य रूपों में विद्यमान है। आलम्बन के रुप में प्रकृति चित्रण में उनकी काव्य प्रतिभा प्रकृति के मानवीय रुप में लोचन चित्रण मिलती है। इस दृष्टि से "नौका विहार और परिवर्तन” कविताएँ उल्लेखनीय है -
शांत, स्निग्ध, ज्योत्सना उज्ज्वल।
अपलक, अनन्त, नीरव भूतल!
शैकत-शैया पर दुग्ध-धवल, तत्वंगी गंगा, ग्रीष्म विरल
लेटी है श्रान्त क्लान्त, निश्चल"|
पन्त जी ने गंगा नदी को मानवीय भाव, आकार, प्रकार, वेशभूषा, साज-सज्जा आदि ने सुसज्जित करके एक तापस-बाला के रूप में अत्यन्त सजीवता तथा सचेत के साथ अंकित किया है।
ग्रीष्म ऋतु की एक चाँदनी रात में कवि अपने मित्रों के साथ गंगा नदी के तट पर शार करने गये थे। कवि पन्त अपने मित्रों के साथ सैर करते समय कवि की भावनाएँ सहज ही फूट पड़ी। जिन्हें उन्होने थथाकत सुन्दर कविता के रूप में अंकित कर दिया है। जिस समय वे सैर कर रहे थे उस समय वातावरण बिलकुल शान्त एवं स्निग्ध था। राकेंदु की स्वच्छ किरणों की शीतलता वातावरण को आहलाद पूर्ण बना रही थी। अनंत आकाश निर्मल एवं स्वच्छ तथा मेघ रहित था। सारा भूतल निःशब्ध था। शौकत शैया पर धुंध-सी धवल, युवती-सी ग्रीष्म ताप से पीड़ित गंगा थककर निश्चिन्त होती है।
"अहेनिष्ठुर परिवर्तन?
तुम्हारा ही तांडव-नर्तन,
विश्व का करुण विवर्तन।
तुम्हारा ही नयनोन्मीलन,
निखिल उत्थान पतन"।
यह परिवर्तन बड़ा ही तिष्ठुर है। इसका तांडव सदैव होता रहता है और इसके नयनोन्मीलन से संसार में निरन्तर उत्थान एवं पतन होते रहते हैं। पन्त जी ने परिवर्तन कविता में संसार की अचरिता को देखकर पतन को निःश्वास भरते हुए दिखाया है, समुद्र की सिसकिया भरते और नक्षत्रों को सिहरते हुए बताया है –
“अचिरता देख जगती की आप,
शून्य भरता समीर निःश्वास,
डलता पातों पर चुपचाप,
ओस को आँसू नीलाकाश,
सिसक उठता समुद्र का मन,
सिहर उठते उडुगन”।
कविवर पन्त प्रकृति के सच्चे उपासक है। प्रकृति उसकी हास-रूदन की प्रेरक है, उद्धीपक है और उसकी अभिव्यक्ति का माध्यम भी है।
Assamppt IN HINDI असम पीपीटी इन हिंदी {ART INTEGRATED PROJECT} description ...KALPESH-JNV
THIS PPT IS BASED ON ASSAM. EVERY THING ABOUT IT. IT CULTURE , HERITAGED.
इस PPT को ASSAM पर आधारित है। इसके बारे में सब कुछ। आईटी संस्कृति, हेरिटेज। सम या आसाम उत्तर पूर्वी भारत में एक राज्य है। असम अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। असम भारत का एक सीमांत राज्य है जो चतुर्दिक, सुरम्य पर्वतश्रेणियों से घिरा है। यह भारत की पूर्वोत्तर सीमा २४° १' उ॰अ॰-२७° ५५' उ॰अ॰ तथा ८९° ४४' पू॰दे॰-९६° २' पू॰दे॰) पर स्थित है। संपूर्ण राज्य का क्षेत्रफल ७८,४६६ वर्ग कि॰मी॰ है। भारत - भूटान तथा भारत - बांग्लादेश सीमा कुछ भागो में असम से जुडी है। इस राज्य के उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नागालैंड तथा मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम तथा मेघालय एवं पश्चिम में बंग्लादेश स्थित है।नाम की उत्पत्ति कामाख्या मन्दिर (नीलाचल, गुवाहाटी) कारेंगघर, आहोम राजा का महल
देवी डोल (शिवसागर)
राजाओं के मैदाम
रंग घर
तलातल घर
कलिया भोमोरा सेतु
चन्द्रकान्ता हस्तकला भवन (जोरहट)
डिब्रूगढ़ की एक चाय बगान
असम चाय
चित्र:Krishnakshi Kashyap Sattriya Dancer.jpg
कृष्णाक्षी कश्यप, सत्रीया नृत्यांगना
एक सींग वाला गैंडा
विशेषज्ञों के अनुसार 'आसाम' नाम काफी परवर्ती है। पहले इस राज्य को 'असम' कहा जाता था।
सामान्य रूप से माना जाता है कि असम नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ है, वो भूमि जो समतल नहीं है। कुछ लोगों की मान्यता है कि "आसाम" संस्कृत के शब्द "अस्म " अथवा "असमा", जिसका अर्थ असमान है का अपभ्रंश है। कुछ विद्वानों का मानना है कि 'असम' शब्द संस्कृत के 'असोमा' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है अनुपम अथवा अद्वितीय। आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य जैसी विभिन्न जातियां प्राचीन काल से इस प्रदेश की पहाड़ियों और घाटियों में समय-समय पर आकर बसीं और यहाँ की मिश्रित संस्कृति में अपना योगदान दिया। इस तरह असम में संस्कृति और सभ्यता की समृद्ध परंपरा रही है।
कुछ लोग इस नाम की व्युत्पत्ति 'अहोम' (सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति) से भी बताते हैं।
आसाम राज्य में पहले मणिपुर को छोड़कर बंगलादेश के पूर्व में स्थित भारत का संपूर्ण क्षेत्र सम्मिलित था तथा उक्त नाम विषम भौम्याकृति के संदर्भ में अधिक उपयुक्त प्रतीत होता था क्योंकि हिमालय की नवीन मोड़दार उच्च पर्वतश्रेणियों तथा पुराकैब्रियन युग के प्राचीन भूखंडों सहित नदी (ब्रह्मपुत्) निर्मित समतल उपजाऊ मैदान तक इसमें आते थे। परन्तु विभिन्न क्षेत्रों की अपनी संस्कृति आदि पर आधारित अलग अस्तित्व की माँगों के परिणामस्वरूप वर्तमान आसाम राज्य का लगभग ७२ प्रतिशत क्षेत्र ब्रहपुत्र की घाटी (असम की घाटी) तक सीमित रह गया है जो पहले लगभग ४० प्रतिशत मात्र ही था।
इतिहास
मुख्य लेख: असम का इतिहास
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस स्थान को प्रागज्योतिच्ह के नाम से जाना जाता था। महाभारत के अनुसार कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने यहाँ की उषा नाम की युवती पर मोहित होकर उसका अपहरण कर लिया था। श्रीमद् भागवत महापुराणके अनुसार उषाने अपनी सखी चित्रलेखाद्वारा अनिरुद्धको अपहरण करवाया | यह बात यहाँ की दन्तकथाओं में भी पाया जाता है कि अनिरुद्ध पर मोहित होकर उषा ने ही उसका अपहरण कर लिया था। इस घटना को यहाँ कुमार हरण के नाम से जाना जाता है।
Jane se phele niche vali video dekh lo (VERY IMP)
https://www.youtube.com/watch?v=V5qMCRAZTN8
Nanda Mohan Shenoy gave a presentation on cyber security at the CEPAR 9th Annual International Conference at K J Somaiya Institute of Management in India. The presentation highlighted that there are 578 ransomware attacks every minute and over 55,000 username and password attacks each day. Shenoy discussed cyber warfare by countries like Russia, China and North Korea. He also provided cyber crime statistics for India, noting that over 52,000 cyber crime incidents were reported in 2021. The presentation concluded by noting that many organizations believe they will not experience a cyber attack despite the frequent occurrence of attacks.
The Digital Personal Data Protection Bill 2022 has been released by the Government of India in November 2022 for public comments and feedback.
This is the feedback which has been submitted to the Government by Bestfit which is summarized in ppt form for easy comprehension
The document provides an overview and agenda for a presentation on data privacy assurance standard IS 17428. It discusses the global and Indian landscape of privacy, providing examples of key standards, frameworks, and laws. It then gives a detailed overview of some of the main clauses within IS 17428, including those relating to privacy principles, security requirements, data privacy management systems, and rights of data subjects. Finally, it examines annex B of the standard which provides considerations for security and privacy in cloud infrastructure.
4. Mr Nanda Mohan Shenoy
CDPSE, CISA ,CAIIB
<4>
3. In the
phrase "पुष्णणतु
िः " the
synonym for
the word 'िः'
A1: अस्मणि्
;A2: अस्मभ्यम्
;A3: अस्मणकम्;
A4: अस्मणसु
Poll-1.3
देदह ि: ति दणसेभ्यः
15. Mr Nanda Mohan Shenoy
CDPSE, CISA ,CAIIB
<15>
Betwixt a damsel and a damsel there is mAdhava;
betwixt mAdhava and mAdhava there is a damsel; thus a
ronde of dancers has been formed; and staying in the
centre of that circle that son of lady devaki,
namely mAdhava, sang well on his flute. [2-36]
Sloka-9
The benedictive mood is a grammatical mood found in Sanskrit, although rarely. It expresses a blessing or wish, such as found in the English expressions "long live the king" and "may the force be with you".
2-61. hare= oh, hari – oh, dear child; musalI= your brother balarAma; kAlindI pulina udareShu = in river kAlindi’s, sandunes, in their midst; yAvat khelitum gataH= up to which time, to play, he has gone; tAvat= in the meanwhile; kArparika payaH piba= in this cup, milk, you drink; by drinking milk; te shikhA vardhiShyate= your, coiffure, grows; ittham= in this way; bAlatayA pratAraNa parAH= by his being a boy, in order to outmanoeuvre him,she who is trying; yashodA giraH shrutvA = such yashoda’s, words, on listening; kShIre ardha pIte sati= milk, half of the cup, on drinking; sva shikhAm spR^ishan= his coiffure, on touching; hariH pramuditaH= that hari, is very much gladdened – feeling that his head hair grew immediately exactly as said by his mother; such a hari in cowboy’s form with babyish belief on his mother’s words; naH pAyAt = us, let protect.
“Oh, boy, your brother balarAma has gone to play in the sands of yamuna river… sooner he returns drink this milk in this cup…your brother comes at any moment, and you both will have to go to play… by drinking more milk your coiffure becomes big like that of your brother… come on, drink it…” so said yashoda to that boy eschewing a drink of milk. Listening to her outmanoeuvring talk to make him drink a cup of milk, that boy gulped half a cup and immediately checked his coiffure, which seemed to have grown instantaneously – according to the ‘always believable words’ of one's own mother; let that credulous boy protect us also trustfully. [2-61]
kAlindI pulina udareShu musalI yAvat gataH khelitum tAvat kArparika payaH piba hare vardhiShyate te shikhA ittham bAlatayA pratAraNa parAH shrutvA yashodA giraH pAyAt naH sva shikhAm spR^ishan pramuditaH kShIre ardha pIte hariH
--o)0(o--
I adore that bAlakriShNa who is blueblackish like a raincloud full with water, who has shown his playful acts as adventures, held a mountain on his fingertips, melodies of whose fluting are as good as sweet mango fruit, the saviour of cowmen and their community, one indulged in romance with flirtatious cowwomen, and him who is adorned with little garlands. [2-87]