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नगरीय भूगोल: अर्थ, प्रकृ ति
और संकल्पना
Dr. Meenakshi Prasad
Assistant Professor
P.G. Deptt. of Geography
M.U, Bodh Gaya
Source : google images
नगरीय भूगोल : अर्थ
• एक शास्त्र या अध्ययन के विषय के रूप में नगरीय
भूगोल का विकास बीसिीीं शताब्दी में हुआ है ।
• नगरीय भूगोल शब्द अींग्रेजी के 'अबथन 'जजयोग्राफी '
शब्द का हहींदी अनुिाद है।
• अबथन शब्द की उत्पवि लैहिन भाषा के शब्दों ‘urbs’
और ‘urbanus’ से हुई है। ‘Urb’ का अर्थ होता है नगर
तर्ा ‘urbanus’ का अर्थ है नगर से सम्बींधित , अतः
नगरीय भूगोल का शाजब्दक अर्थ है नगर भूगोल। यह
नगर अर्िा नगरीय क्षेरों का भौगोललक अध्ययन है।
• हम एक ऐसी दुननया में रह रहे हैं, जो अधिक से
अधिक नगरीय होती जा रही है
• नगरीय आबादी में िृद्धि और आधर्थक, सामाजजक
और राजनीनतक विकास के मैग्नेि के रूप में नगरीय
बजस्त्तयों के उद्भि के सार् - सार् सामाजजक विज्ञानों
में नगरीय भूगोल ने अधिक महत्ि प्राप्त ककया है।
• प्रारींलभक नगरीय भूगोलिेिा मुख्य रूप से शहरों के
भौनतक पहलुओीं और उनकी जस्त्र्नत पर कें हित र्े।
मुख्य जोर उस सींबींि पर र्ा जो कु छ विशेष शहरों और
उनके पररिेश के स्त्र्ान और सींरचना के बीच मौजूद
र्ा।
• समय के सार् नगरीय भूगोलिेिाओीं का दृजटिकोण बदला
और ितथमान में नगरीय भूगोल में अध्ययन के दो
सामान्य विषयों की पहचान की जा सकती है।
• पहले दृजटिकोण के तहत नगर को पृथ्िी की सतह पर
अिजस्त्र्त एक विलशटि फे नोमेनन या पररघिना माना
जाता है। भूगोलिेिा नगरीय बजस्त्तयों के वितरण,आकार,
कायथ एिीं िृद्धि दर के सार्-सार् विलभन्न नगरीय कें िों
के बीच की अींतकरथ या का अध्ययन करते हैं।
• दूसरा दृजटिकोण नगरों का विश्लेषण उनकी आकाररकी
(विन्यास एिीं ननलमथत क्षेर) तर्ा भूलम उपयोग की गहनता
के आिार पर करता है। इसी फ्रे मिकथ के अींतगथत कु छ
विद्िान नगरीय िृद्धि और विकास से सम्बींद्धित
समस्त्याओीं का विश्लेषण करने लगे हैं।
पररभाषाएँ
• Dudley Stamp के अनुसार नगरीय भूगोल िास्त्ति में नगरों
एिीं उनके विकास के सभी भौगोललक पेहलूओीं का गहन
अध्ययन है।
• Griffith Taylor (1946) के अनुसार नगरीय भूगोल के अींतगथत
नगरों की जस्त्र्नत , विकास, प्रनतरूप और उनका िगीकरण
शालमल है।
• Robert E. Dickinson नगरीय भूगोल को पडोसी क्षेर को
ननदेलशत करने िाले नगर के अध्ययन के रूप में पररभावषत
करते हैं । िह िणथन करते हैं कक यह नगर अपने भीतरी
इलाकों में एक राजा की तरह व्यिहार करता है। अपनी
पुस्त्तक ‘ City Region & Regionalism’ (1947) में उन्होंने ललखा
है कक ‘नगरीय सींशललटि के अींतगथत एिीं व्यापक क्षेरों में
पायी जाने िाली क्षेरीय विलभन्नताओीं का व्यापक पररक्षण
एिीं उनका स्त्पटिीकरण नगरीय भूगोल की महत्िपूणथ
समस्त्याएीं हैं’
• अमेररकी नगरीय भूगोलिेिा Murphy (1966) के अनुसार
नगरीय भूगोल नगरीय विकास के स्त्र्ाननक पक्षों से
सम्बन्ि रखता है।
• Harold M. Mayer (1967) नगरीय भूगोल में प्रादेलशक
अध्ययन को महत्िपूणथ बताते हुए उसे उन प्रनतरूपों एिीं
सींबींिों की व्याख्या से सम्बींधित मानते हैं जो एक तरफ
नगरीय क्षेरों के भीतर तर्ा दूसरी तरफ नगरीय क्षेरों
और उन गैर नगरीय क्षेरों के बीच पाए जाते हैं जजन्हें
नगरों की सेिाएीं लमलती हैं।
• ब्रिहिश भूगोलिेिा A.E. Smailes (1970) ने अपनी पुस्त्तक
‘The Geography of Towns’ में िर्णथत ककया है की
नगरीय भूगोल नगरीय भूदृश्य का अध्ययन है।
• Harold Carter (1972) का मानना है कक चूींकक
भूगोलिेिा का सम्बन्ि पृथ्िी की सतह के असमान
चररर के अध्ययन से है और आबादी का काफी
हहस्त्सा नगरीय बजस्त्तयों में रहता है, इसललए इसके
ननिालसयों और इमारतों के सार् ये बजस्त्तयाीं शहरी
भूगोलिेिा के ललए विशेष रुधच रखती हैं। इसके
अलािा नगरीय भूगोल का अध्ययन करते समय नगर
िालसयों को होने िाली समस्त्याओीं का अत्यधिक
महत्ि है।
• उपरोक्त पररभाषाओीं को ध्यान में रखते हुए नगरीय
भूगोल की एक सामान्य पररभाषा ननम्नानुसार हो
सकती है :
• ‘नगरीय भूगोल नगरीय बजस्त्तयों की िृद्धि और
विकास, नगरीय आकाररकी , उसके स्त्र्ाननक प्रनतरूप,
नगर और नगर प्रदेश तर्ा नगरीय कें िों की
समस्त्याओीं और नगर ननयोजन का अध्ययन है।’
Source : google images
ऐसे तत्ि जो शहरी भूगोल का आिार
बनाते हैं
शहरी भूगोल के विकास की प्रकरया काफी जहिल है।
Warf (2006) ने 6 ऐसे तत्िों की पहचान ने की है जो
शहरी भूगोल का आिार बनाते हैं। ये हैं –
(i) ननलमथत िातािरण
(ii) नगरीय सींदभथ में मानि पयाथिरण सींबींि
(iii) एक नगरीय सींदभथ में सामाजजक भूगोल और
सामाजजक पैिनथ
(iv) नगरीय तींर और कायथ : मैरो स्त्के ल पर
(v) नगरीय तींर और कायथ : माइरो स्त्के ल पर
(vi) नगर ननयोजन, नीनत और डिजाइन
Source : e-pgpathshala
R.M. Northam (1975) ने नगरीय भूगोल के प्रमुख क्षेरों
को एक रेखाधचर के माध्यम से दशाथया है। उनके
रेखाधचर के अनुसार नगरीय भूगोल –
• A - ककसी स्त्र्ान और िहाीं के ननिालसयों के बीच के
सींबींिों से जुडा है
• B- विलभन्न स्त्र्ानों के बीच के सींबींिों की चचाथ करता है
• C- विलभन्न स्त्र्ानों के ननिालसयों के बीच के सींबींिों की
चचाथ करता है
• D- ककसी एक स्त्र्ान के ननिालसयों के बीच के आपसी
सींबींिों की चचाथ करता है
नगरीय भूगोल के विषय क्षेर एिीं विषय िस्त्तु से सम्बींधित नगरीय
बजस्त्तयों की विशेषताओीं को हदए गए रेखाधचर में हदखाया गया है
Source : epgpathshala
नगरीय भूगोल की प्रकृ नत
• नगरीय भूगोल नगर कें हित भूगोल है।इसके अींतगथत नगरीय
बजस्त्तयों का अध्ययन उसकी सींपूणथता में उनके सभी लक्षणों,
विशेषताओीं तर्ा प्रकारों के सार् ककया जाता है .
• नगरीय भूगोल एक सामाजजक विज्ञानीं है क्योंकक इसके
अींतगथत नगरीय बजस्त्तयों का अध्ययन ककया जाता है जो की
मानि ननलमथत साींस्त्कृ नतक तर्ा सामाजजक पररघिना होती
है।
• नगरीय भूगोल एक स्त्र्ाननक विज्ञानीं (spatial science) है
क्योंकक यह पृथ्िी की सतह पर नगरीय बजस्त्तयों के वितरण
प्रनतरूप और व्यिस्त्र्ा का अध्ययन करता है।
• नगरीय भूगोल एक रमबद्ि विज्ञानीं (systematic science) है
जो नगरीय बजस्त्तयों का व्यिजस्त्र्त रूप से अध्यन करता है
.
सींकल्पना
नगरीय भूगोल की प्रकृ नत को समझने के ललए, जो
बीसिीीं शताब्दी के उिरािथ तक काफी जहिल और
सींकर बन गया र्ा, कु छ बुननयादी सींकल्पनाओीं को
तलाशने की जरूरत है। ये सींकल्पनाएँ इस प्रकार हैं :
• जस्त्र्नत और अिजस्त्र्नत की सींकल्पना (Site-situation
concept)
• पाररजस्त्र्नतकी की सींकल्पना (Concept of Ecology)
• व्यिहारिाद और नगरीय कें ि (Behaviouralism &
Urban Centres)
• Radicalism की सींकल्पना
• जस्त्र्नत और अिजस्त्र्नत की सींकल्पना (Site-situation
concept) – Dickinson का यह मानना र्ा की नगर का
विकास प्राकृ नतक रूप से अनुकू ल स्त्र्लों पर होता है
और बाद में समय के सार् िे अपनी अिजस्त्र्नत का
लाभ उठाकर उपलब्ि सींसािनों का उपयोग करते हैं
जजससे उनकी िृद्धि और विकास होता है। इस
सींकल्पना के अींतगथत नगरीय भूगोल के विकास की
सींभािना बहुत अधिक नहीीं र्ी और नगर के जहिल
आधर्थक कायों एिीं सामाजजक व्यिस्त्र्ा का िणथन भी
सींभि नहीीं र्ा। पुनः इसमें नगर की स्त्र्ापना एिीं
विकास के ऐनतहालसक कारकों को भी महत्ि नहीीं हदया
गया र्ा। उदहारण के ललए हदल्ली के विकास में
जस्त्र्नत और अिजस्त्र्नत की ऐनतहालसक कारकों का
अधिक महत्ि रहा र्ा। अतः समय के सार् यह
सींकल्पना कमजोर पडती गयी।
• पाररजस्त्र्नतकी की सींकल्पना (Concept of Ecology) - दोनों
विश्ि युद्िों के दौरान पादप पाररजस्त्र्नतकी (Plant
Ecology) की अििारणा अजस्त्तत्ि में आयी और
इसने भौगोललक घिनाओीं को भी प्रभावित ककया।
Robert Part (1925) ने अपनी पुस्त्तक ‘The City’ के
द्िारा इस बात पर बल हदया की नगरीय क्षेर में
जनसींख्या की िृद्धि के कारण नगर की पाररस्त्र्नतकी
प्रकरयाएीं बदल चुकी हैं। नगरीय पाररस्त्र्नतकी उसके
चारों ओर जस्त्र्त क्षेरों के सार् नगर के सींबींिों को
प्रभावित कर रही र्ी और इसका प्रभाि लोगों एिीं उनके
पयाथिरण पर पड रहा र्ा। कई अध्ययनों ने भौनतक
पयाथिरण द्िारा उत्पन्न अिसरों और बािाओीं पर जोर
हदया। सार् ही नगरीय पयाथिरण के बुननयादी ढाींचे के
उत्पादन में शालमल राजनीनतक और आधर्थक प्रकरयाएीं
भी नगरीय भूगोल का हहस्त्सा बन गईं। हाल के िषों
में नगरीय पाररजस्त्र्नतकी तींर की अििारणा नगरीय
भूगोल का एक महत्िपूणथ घिक बन गया है। इसके
सार् ही सतत विकास पर नगरीय समाजों के प्रभाि
को भी इसके अींतगथत शालमल कर ललया गया है। इन
धचींताओीं िजह से स्त्र्ानीय स्त्तर पर कई प्रकार की
पहल की गयी है।
• व्यिहारिाद और नगरीय कें ि (Behaviouralism &
Urban Centres) – नगर और उसके विकास के बारे में
Berry की दलील उसके उपभोक्ता के व्यिहार से
सींबींधित है जो भूलम के उपयोग से झलकता है।
उपभोक्ताओीं का व्यिहार तीन चरों पर ननभथर
करता है –
(i) आिासीय इकाई का मूल्य - रय लागत या
ककराया
(ii) ननिास की गुणििा
(iii) काम और पडोस के स्त्र्ान के सार् सींबींि
पररिार की आय शहर में साइि के चयन के ललए एक
महत्िपूणथ घिक है।
एक सामान्य प्रिृवि के रूप में यह देखा जाता है कक
लगभग एक समान आय िगथ िाले लोग एक जैसी
जगह के ललए अपनी पसींद बनाते हैं। भारत के सींदभथ
में सामाजजक सींबींि और व्यिहार मूल्यों और सींस्त्कृ नत
के उत्पाद हैं। इसने 'मुहल्ले' या समान व्यिहार के
समुदाय को जन्म हदया।
• Radicalism की सींकल्पना:
नगरीय दुननया का एक महत्िपूणथ पहलू नए बुननयादी
ढाींचे के विकास द्िारा लाया गया 'सम्पूणथ पररितथन' की
अििारणा है।जैसे की हदल्ली में मेट्रो की तरह - इसने
उपभोक्ताओीं के विचार को पूरी तरह से बदल हदया है।
ये प्रनतकरयाएँ नगरीय ननयोजन को भी प्रभावित करती
हैं और इन्होनें पूींजीिादी नगरों को लोगों के अधिकारों
के बारे में सोचने को बाध्य ककया।रेडिकल्स का यह
मानना है कक इस तरह के सींपूणथ पररितथन ‘सामाजजक
शहरों' की िैकजल्पक प्रणाली प्रदान करते हैं और नगर
ननयोजन की हदशा बदलकर उसे समानता के लसद्िाींत
पर अग्रसर करते है अर्ाथत ऐसी बुननयादी सुवििाओीं का
विकास करने को प्रेररत करते हैं जजससे सभी लोगों को
सामान लाभ हो।
ननटकषथ
• विगत िषों में नगरीय भूगोल एक अींतविथषयक विज्ञान
के रूप में उभरा है। आिारभूत रूप से यह अभी भी
एक स्त्र्ाननक विज्ञानीं और सामाजजक विज्ञान है।
• विश्ि में बढ़ते नगरीकरण के सार् ही इसका महत्ि
भी बढ़ता जा रहा है ।
सन्दभथ सूची
• Bansal, S.C : Nagariye Bhoogol, Meenakshi
Prakashan, Meerut, 1997
• Maurya, S.D: Urban Geography, Sharda Pustak
Bhawan, Allahabad,2017
• Mandal, R.B : Urban Geography – A Text Book,
Concept Publishing House, New Delhi, 2000
• https://epgp.inflibnet.ac.in
Source : google images

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नगरीय भूगोल : अर्थ, प्रकृति और संकल्पना

  • 1. नगरीय भूगोल: अर्थ, प्रकृ ति और संकल्पना Dr. Meenakshi Prasad Assistant Professor P.G. Deptt. of Geography M.U, Bodh Gaya Source : google images
  • 2. नगरीय भूगोल : अर्थ • एक शास्त्र या अध्ययन के विषय के रूप में नगरीय भूगोल का विकास बीसिीीं शताब्दी में हुआ है । • नगरीय भूगोल शब्द अींग्रेजी के 'अबथन 'जजयोग्राफी ' शब्द का हहींदी अनुिाद है। • अबथन शब्द की उत्पवि लैहिन भाषा के शब्दों ‘urbs’ और ‘urbanus’ से हुई है। ‘Urb’ का अर्थ होता है नगर तर्ा ‘urbanus’ का अर्थ है नगर से सम्बींधित , अतः नगरीय भूगोल का शाजब्दक अर्थ है नगर भूगोल। यह नगर अर्िा नगरीय क्षेरों का भौगोललक अध्ययन है।
  • 3. • हम एक ऐसी दुननया में रह रहे हैं, जो अधिक से अधिक नगरीय होती जा रही है • नगरीय आबादी में िृद्धि और आधर्थक, सामाजजक और राजनीनतक विकास के मैग्नेि के रूप में नगरीय बजस्त्तयों के उद्भि के सार् - सार् सामाजजक विज्ञानों में नगरीय भूगोल ने अधिक महत्ि प्राप्त ककया है। • प्रारींलभक नगरीय भूगोलिेिा मुख्य रूप से शहरों के भौनतक पहलुओीं और उनकी जस्त्र्नत पर कें हित र्े। मुख्य जोर उस सींबींि पर र्ा जो कु छ विशेष शहरों और उनके पररिेश के स्त्र्ान और सींरचना के बीच मौजूद र्ा।
  • 4. • समय के सार् नगरीय भूगोलिेिाओीं का दृजटिकोण बदला और ितथमान में नगरीय भूगोल में अध्ययन के दो सामान्य विषयों की पहचान की जा सकती है। • पहले दृजटिकोण के तहत नगर को पृथ्िी की सतह पर अिजस्त्र्त एक विलशटि फे नोमेनन या पररघिना माना जाता है। भूगोलिेिा नगरीय बजस्त्तयों के वितरण,आकार, कायथ एिीं िृद्धि दर के सार्-सार् विलभन्न नगरीय कें िों के बीच की अींतकरथ या का अध्ययन करते हैं। • दूसरा दृजटिकोण नगरों का विश्लेषण उनकी आकाररकी (विन्यास एिीं ननलमथत क्षेर) तर्ा भूलम उपयोग की गहनता के आिार पर करता है। इसी फ्रे मिकथ के अींतगथत कु छ विद्िान नगरीय िृद्धि और विकास से सम्बींद्धित समस्त्याओीं का विश्लेषण करने लगे हैं।
  • 5. पररभाषाएँ • Dudley Stamp के अनुसार नगरीय भूगोल िास्त्ति में नगरों एिीं उनके विकास के सभी भौगोललक पेहलूओीं का गहन अध्ययन है। • Griffith Taylor (1946) के अनुसार नगरीय भूगोल के अींतगथत नगरों की जस्त्र्नत , विकास, प्रनतरूप और उनका िगीकरण शालमल है। • Robert E. Dickinson नगरीय भूगोल को पडोसी क्षेर को ननदेलशत करने िाले नगर के अध्ययन के रूप में पररभावषत करते हैं । िह िणथन करते हैं कक यह नगर अपने भीतरी इलाकों में एक राजा की तरह व्यिहार करता है। अपनी पुस्त्तक ‘ City Region & Regionalism’ (1947) में उन्होंने ललखा है कक ‘नगरीय सींशललटि के अींतगथत एिीं व्यापक क्षेरों में पायी जाने िाली क्षेरीय विलभन्नताओीं का व्यापक पररक्षण एिीं उनका स्त्पटिीकरण नगरीय भूगोल की महत्िपूणथ समस्त्याएीं हैं’
  • 6. • अमेररकी नगरीय भूगोलिेिा Murphy (1966) के अनुसार नगरीय भूगोल नगरीय विकास के स्त्र्ाननक पक्षों से सम्बन्ि रखता है। • Harold M. Mayer (1967) नगरीय भूगोल में प्रादेलशक अध्ययन को महत्िपूणथ बताते हुए उसे उन प्रनतरूपों एिीं सींबींिों की व्याख्या से सम्बींधित मानते हैं जो एक तरफ नगरीय क्षेरों के भीतर तर्ा दूसरी तरफ नगरीय क्षेरों और उन गैर नगरीय क्षेरों के बीच पाए जाते हैं जजन्हें नगरों की सेिाएीं लमलती हैं। • ब्रिहिश भूगोलिेिा A.E. Smailes (1970) ने अपनी पुस्त्तक ‘The Geography of Towns’ में िर्णथत ककया है की नगरीय भूगोल नगरीय भूदृश्य का अध्ययन है।
  • 7. • Harold Carter (1972) का मानना है कक चूींकक भूगोलिेिा का सम्बन्ि पृथ्िी की सतह के असमान चररर के अध्ययन से है और आबादी का काफी हहस्त्सा नगरीय बजस्त्तयों में रहता है, इसललए इसके ननिालसयों और इमारतों के सार् ये बजस्त्तयाीं शहरी भूगोलिेिा के ललए विशेष रुधच रखती हैं। इसके अलािा नगरीय भूगोल का अध्ययन करते समय नगर िालसयों को होने िाली समस्त्याओीं का अत्यधिक महत्ि है। • उपरोक्त पररभाषाओीं को ध्यान में रखते हुए नगरीय भूगोल की एक सामान्य पररभाषा ननम्नानुसार हो सकती है :
  • 8. • ‘नगरीय भूगोल नगरीय बजस्त्तयों की िृद्धि और विकास, नगरीय आकाररकी , उसके स्त्र्ाननक प्रनतरूप, नगर और नगर प्रदेश तर्ा नगरीय कें िों की समस्त्याओीं और नगर ननयोजन का अध्ययन है।’ Source : google images
  • 9. ऐसे तत्ि जो शहरी भूगोल का आिार बनाते हैं शहरी भूगोल के विकास की प्रकरया काफी जहिल है। Warf (2006) ने 6 ऐसे तत्िों की पहचान ने की है जो शहरी भूगोल का आिार बनाते हैं। ये हैं – (i) ननलमथत िातािरण (ii) नगरीय सींदभथ में मानि पयाथिरण सींबींि (iii) एक नगरीय सींदभथ में सामाजजक भूगोल और सामाजजक पैिनथ (iv) नगरीय तींर और कायथ : मैरो स्त्के ल पर (v) नगरीय तींर और कायथ : माइरो स्त्के ल पर (vi) नगर ननयोजन, नीनत और डिजाइन
  • 11. R.M. Northam (1975) ने नगरीय भूगोल के प्रमुख क्षेरों को एक रेखाधचर के माध्यम से दशाथया है। उनके रेखाधचर के अनुसार नगरीय भूगोल – • A - ककसी स्त्र्ान और िहाीं के ननिालसयों के बीच के सींबींिों से जुडा है • B- विलभन्न स्त्र्ानों के बीच के सींबींिों की चचाथ करता है • C- विलभन्न स्त्र्ानों के ननिालसयों के बीच के सींबींिों की चचाथ करता है • D- ककसी एक स्त्र्ान के ननिालसयों के बीच के आपसी सींबींिों की चचाथ करता है
  • 12. नगरीय भूगोल के विषय क्षेर एिीं विषय िस्त्तु से सम्बींधित नगरीय बजस्त्तयों की विशेषताओीं को हदए गए रेखाधचर में हदखाया गया है Source : epgpathshala
  • 13. नगरीय भूगोल की प्रकृ नत • नगरीय भूगोल नगर कें हित भूगोल है।इसके अींतगथत नगरीय बजस्त्तयों का अध्ययन उसकी सींपूणथता में उनके सभी लक्षणों, विशेषताओीं तर्ा प्रकारों के सार् ककया जाता है . • नगरीय भूगोल एक सामाजजक विज्ञानीं है क्योंकक इसके अींतगथत नगरीय बजस्त्तयों का अध्ययन ककया जाता है जो की मानि ननलमथत साींस्त्कृ नतक तर्ा सामाजजक पररघिना होती है। • नगरीय भूगोल एक स्त्र्ाननक विज्ञानीं (spatial science) है क्योंकक यह पृथ्िी की सतह पर नगरीय बजस्त्तयों के वितरण प्रनतरूप और व्यिस्त्र्ा का अध्ययन करता है। • नगरीय भूगोल एक रमबद्ि विज्ञानीं (systematic science) है जो नगरीय बजस्त्तयों का व्यिजस्त्र्त रूप से अध्यन करता है .
  • 14. सींकल्पना नगरीय भूगोल की प्रकृ नत को समझने के ललए, जो बीसिीीं शताब्दी के उिरािथ तक काफी जहिल और सींकर बन गया र्ा, कु छ बुननयादी सींकल्पनाओीं को तलाशने की जरूरत है। ये सींकल्पनाएँ इस प्रकार हैं : • जस्त्र्नत और अिजस्त्र्नत की सींकल्पना (Site-situation concept) • पाररजस्त्र्नतकी की सींकल्पना (Concept of Ecology) • व्यिहारिाद और नगरीय कें ि (Behaviouralism & Urban Centres) • Radicalism की सींकल्पना
  • 15. • जस्त्र्नत और अिजस्त्र्नत की सींकल्पना (Site-situation concept) – Dickinson का यह मानना र्ा की नगर का विकास प्राकृ नतक रूप से अनुकू ल स्त्र्लों पर होता है और बाद में समय के सार् िे अपनी अिजस्त्र्नत का लाभ उठाकर उपलब्ि सींसािनों का उपयोग करते हैं जजससे उनकी िृद्धि और विकास होता है। इस सींकल्पना के अींतगथत नगरीय भूगोल के विकास की सींभािना बहुत अधिक नहीीं र्ी और नगर के जहिल आधर्थक कायों एिीं सामाजजक व्यिस्त्र्ा का िणथन भी सींभि नहीीं र्ा। पुनः इसमें नगर की स्त्र्ापना एिीं विकास के ऐनतहालसक कारकों को भी महत्ि नहीीं हदया गया र्ा। उदहारण के ललए हदल्ली के विकास में जस्त्र्नत और अिजस्त्र्नत की ऐनतहालसक कारकों का अधिक महत्ि रहा र्ा। अतः समय के सार् यह सींकल्पना कमजोर पडती गयी।
  • 16. • पाररजस्त्र्नतकी की सींकल्पना (Concept of Ecology) - दोनों विश्ि युद्िों के दौरान पादप पाररजस्त्र्नतकी (Plant Ecology) की अििारणा अजस्त्तत्ि में आयी और इसने भौगोललक घिनाओीं को भी प्रभावित ककया। Robert Part (1925) ने अपनी पुस्त्तक ‘The City’ के द्िारा इस बात पर बल हदया की नगरीय क्षेर में जनसींख्या की िृद्धि के कारण नगर की पाररस्त्र्नतकी प्रकरयाएीं बदल चुकी हैं। नगरीय पाररस्त्र्नतकी उसके चारों ओर जस्त्र्त क्षेरों के सार् नगर के सींबींिों को प्रभावित कर रही र्ी और इसका प्रभाि लोगों एिीं उनके पयाथिरण पर पड रहा र्ा। कई अध्ययनों ने भौनतक पयाथिरण द्िारा उत्पन्न अिसरों और बािाओीं पर जोर हदया। सार् ही नगरीय पयाथिरण के बुननयादी ढाींचे के उत्पादन में शालमल राजनीनतक और आधर्थक प्रकरयाएीं
  • 17. भी नगरीय भूगोल का हहस्त्सा बन गईं। हाल के िषों में नगरीय पाररजस्त्र्नतकी तींर की अििारणा नगरीय भूगोल का एक महत्िपूणथ घिक बन गया है। इसके सार् ही सतत विकास पर नगरीय समाजों के प्रभाि को भी इसके अींतगथत शालमल कर ललया गया है। इन धचींताओीं िजह से स्त्र्ानीय स्त्तर पर कई प्रकार की पहल की गयी है।
  • 18. • व्यिहारिाद और नगरीय कें ि (Behaviouralism & Urban Centres) – नगर और उसके विकास के बारे में Berry की दलील उसके उपभोक्ता के व्यिहार से सींबींधित है जो भूलम के उपयोग से झलकता है। उपभोक्ताओीं का व्यिहार तीन चरों पर ननभथर करता है – (i) आिासीय इकाई का मूल्य - रय लागत या ककराया (ii) ननिास की गुणििा (iii) काम और पडोस के स्त्र्ान के सार् सींबींि पररिार की आय शहर में साइि के चयन के ललए एक महत्िपूणथ घिक है।
  • 19. एक सामान्य प्रिृवि के रूप में यह देखा जाता है कक लगभग एक समान आय िगथ िाले लोग एक जैसी जगह के ललए अपनी पसींद बनाते हैं। भारत के सींदभथ में सामाजजक सींबींि और व्यिहार मूल्यों और सींस्त्कृ नत के उत्पाद हैं। इसने 'मुहल्ले' या समान व्यिहार के समुदाय को जन्म हदया।
  • 20. • Radicalism की सींकल्पना: नगरीय दुननया का एक महत्िपूणथ पहलू नए बुननयादी ढाींचे के विकास द्िारा लाया गया 'सम्पूणथ पररितथन' की अििारणा है।जैसे की हदल्ली में मेट्रो की तरह - इसने उपभोक्ताओीं के विचार को पूरी तरह से बदल हदया है। ये प्रनतकरयाएँ नगरीय ननयोजन को भी प्रभावित करती हैं और इन्होनें पूींजीिादी नगरों को लोगों के अधिकारों के बारे में सोचने को बाध्य ककया।रेडिकल्स का यह मानना है कक इस तरह के सींपूणथ पररितथन ‘सामाजजक शहरों' की िैकजल्पक प्रणाली प्रदान करते हैं और नगर ननयोजन की हदशा बदलकर उसे समानता के लसद्िाींत पर अग्रसर करते है अर्ाथत ऐसी बुननयादी सुवििाओीं का विकास करने को प्रेररत करते हैं जजससे सभी लोगों को सामान लाभ हो।
  • 21. ननटकषथ • विगत िषों में नगरीय भूगोल एक अींतविथषयक विज्ञान के रूप में उभरा है। आिारभूत रूप से यह अभी भी एक स्त्र्ाननक विज्ञानीं और सामाजजक विज्ञान है। • विश्ि में बढ़ते नगरीकरण के सार् ही इसका महत्ि भी बढ़ता जा रहा है ।
  • 22. सन्दभथ सूची • Bansal, S.C : Nagariye Bhoogol, Meenakshi Prakashan, Meerut, 1997 • Maurya, S.D: Urban Geography, Sharda Pustak Bhawan, Allahabad,2017 • Mandal, R.B : Urban Geography – A Text Book, Concept Publishing House, New Delhi, 2000 • https://epgp.inflibnet.ac.in
  • 23. Source : google images