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उठ किसान ओ
किलोचन
िक्षा: आठवीं
कवषय :क िंदी- ब- पाठ्यक्रम
कवि के बारे में
उठ किसान ओ
उठ किसान ओ, उठ किसान ओ
बादल किर आये हैं
तेरे हरे-भरे सावन िे
साथी ये आये हैं।
भावाथथ :इस िकवता में किसान से जग जाने िा आह्वान किया गया है। भारत जैसे िृ कि प्रधान देश में मानसून िा उसिी अथथव्यवस्था पर
बड़ा ही गहरा प्रभाव पड़ता है। हालाांकि खेती िे नए तरीिे हमारे देश में इस्तेमाल होने लगे हैं, किर भी बाररश िा महत्व पहले िी तरह ही
है।
िकव किसान से उठ जाने िो िहता है क्योंकि उसिे हरे-भरे सावन िे साथी बादल किर किर िर आये हैं। बादल अपने साथ विाथ लायेंगे
उठ ककसान ओ
आसमान भर गया देख तो
इधर देख तो, उधर देख तो
नाच रहे हैं उमड़-घुमड़ कर
काले बाल तननक देख तो
तेरे प्राणों में भरने को
नए राग लाए हैं
इधर उधर जहााँ भी देखो आसमान बादलों से किर गया है।
उमड़ते धुमड़ते िाले बादलों िी सुांदरता वािई देखने लायि है।
ये किसान िे जीवन में नये राग िा सांचार िरने आये हैं। जब
मानसून शुरु होता है तो किसान िे कलए एि िसल चक्र िी
उठ ककसान ओ
यह संदेशा लेकर आई ...सरस
मधुर, शीतल पूरवाई
तेरे ललए, अके ले तेरेललए, कहााँ से
चलकर आई फिर वे परदेसी पाहुन,
सुन,.....तेरे घर आए हैं...
ऐसा लगता है जैसे सरस, मधुर और शीतल पुरवैया
हवा उस बादल रूपी पाहुन का संदेश लेकर आयी
है। वो ये कह रही है कक देखो मैं कसर्फ तुम्हारे कलए
ककतनी दूर से चल कर आयी हूँ।
उठ ककसान ओ
उड़ने िाले काले जलधर
नाच-नाच कर गरज-गरज कर
ओढ़ फु हारों की सीत चादर
देख उतरे हैं धरती पर
निपे खेत में, आँख ममचौनी-सी करते हैं I
बादल खेतों में आांखकमचौली खेल रहे हैं। वे नाच-नाच िर और गरज-
गरज िर अपना खेल खेल रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे बादलों ने िु हारों िी
सिे द चादर ओढ़ रखी हो।
हरा खेत जब लहराएगा…..हरी पताका जब फहराएगा
निपा हुया बादल तब उसमें….रूप बदलकर मुसकाएगा
तेरे सपनों के ये मीठे….गीत आज िाए हैं
किसान अब अच्छी िसल िे सपने देख रहा है। वह देख रहा है कि िै से उसिे हरे
खेत लहराएांगे और अपनी हरी पतािाएां िहराएांगे। उस समय बादल किस तरह
मुस्िराता हुआ उन्हें देखेगा।
किसी किसान िे कलए अच्छी बाररश से बड़ा वरदान िु छ नहीं हो सिता है। अच्छी
िसल ही उसिे िर में खुशहाली लाती है।
उठ ककसान ओ
काव्यगत विशेषताएँ
कविता सरस ,सरल ,मधुर है।
कोमल तथा तत्सम शब्दों के प्रयोग से कविता में मधुरता िाई
हुई है ।
कविता संबोधन शैली में मलखी गयी है ,इसमलए रोचक बन पड़ी
है ।
तुकांत शब्दों के प्रयोग से सरसता और गेयता विद्यमान है
।नाच रहे हैं उमड़, िुमर िर , पुरवाई में मानवीिरण अलांिार है ।पूरी कविता
में बादल का मानिीकरण ककया गया है I
प्रश्नोत्तर
नीचे कलखी पांकियााँ पढ़ो। आपस में चचाथ िरिे इसिे नीचे कदए गए प्रश्नों िे उत्तर दो–
(ि) “तेरे हरे–भरे सावन िे साथी ये आए हैं“
बादल, सावन और किसान दोनों िे साथी हैं। सावन से मौसम अच्छा रहता है। किसान िे खेत लहलहाते हैं।
(ख) “तेरे प्राणों में भरने िो नया राग लाए हैं“..बादल ऐसा क्या लाए हैं कजससे किसान िे प्राणों में नया राग भर जाएगा?
बादल िे बरसने से भूकम िो जल कमलेगा। इससे किसानों द्वारा लगाए खेतों िो पानी कमलता है और उसिी मेहनत खेतों िे
रूप में लहलहा जाती है, कजसमें उसिे प्राण बसे होते हैं। इसकलए िकव ने बादल द्वारा लाए जल से किसान िे प्राणों में नया राग
भरने िी बात िही है।
(ग) “यह सांदेशा ले िर आई, सरस मधुर शीतल पुरवाई“
पुरवाई किसान िे कलए क्या सांदेशा लेिर आई होगी?
पुरवाई किसान िे कलए लहलहाते खेतों िी हरी पतािा िहराने िा सांदेशा लाई है।
(ि) जब हरा खेत लहराएगा तो क्या होगा?
जब हरा खेत लहराएगा तो वह हरी पतािा िहराएगा।
शब्दाथथ
राग-प्रेम ,
सन्देश-सूचना
पाहून –अततथि
जलधर –बादल
लसत-सिे द
परदेशी –ववदेशी
आाँख लमचौनी –
एक प्रकार बच्चों का खेल
1.वर्ाफ से जुडे या वर्ाफ के बारे में कुछ और मुहावरे खोजो। उनका प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य
बनाओ।
2.“काले बादल तकनक देख तो।”
तुम भी अपने ढंग से ‘तकनक’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए पाूँच वाक्य बनाओ।
3.बादलों के किर आने पर ककव ककसान को उठने के कलए क्यों कहता है?
4.रूप बदल कर बादल ककसान के कौन से सपनों को साकार करेगा?.
गृह कायथ
प्रस्तुनत
ददलीप कु मार बाड़त्या ,स्नातकोत्तर मशक्षक (दहंदी )
जिाहर निोदय विद्यालय, बौध ,ओडिशा

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  • 1. उठ किसान ओ किलोचन िक्षा: आठवीं कवषय :क िंदी- ब- पाठ्यक्रम
  • 3. उठ किसान ओ उठ किसान ओ, उठ किसान ओ बादल किर आये हैं तेरे हरे-भरे सावन िे साथी ये आये हैं। भावाथथ :इस िकवता में किसान से जग जाने िा आह्वान किया गया है। भारत जैसे िृ कि प्रधान देश में मानसून िा उसिी अथथव्यवस्था पर बड़ा ही गहरा प्रभाव पड़ता है। हालाांकि खेती िे नए तरीिे हमारे देश में इस्तेमाल होने लगे हैं, किर भी बाररश िा महत्व पहले िी तरह ही है। िकव किसान से उठ जाने िो िहता है क्योंकि उसिे हरे-भरे सावन िे साथी बादल किर किर िर आये हैं। बादल अपने साथ विाथ लायेंगे
  • 4. उठ ककसान ओ आसमान भर गया देख तो इधर देख तो, उधर देख तो नाच रहे हैं उमड़-घुमड़ कर काले बाल तननक देख तो तेरे प्राणों में भरने को नए राग लाए हैं इधर उधर जहााँ भी देखो आसमान बादलों से किर गया है। उमड़ते धुमड़ते िाले बादलों िी सुांदरता वािई देखने लायि है। ये किसान िे जीवन में नये राग िा सांचार िरने आये हैं। जब मानसून शुरु होता है तो किसान िे कलए एि िसल चक्र िी
  • 5. उठ ककसान ओ यह संदेशा लेकर आई ...सरस मधुर, शीतल पूरवाई तेरे ललए, अके ले तेरेललए, कहााँ से चलकर आई फिर वे परदेसी पाहुन, सुन,.....तेरे घर आए हैं... ऐसा लगता है जैसे सरस, मधुर और शीतल पुरवैया हवा उस बादल रूपी पाहुन का संदेश लेकर आयी है। वो ये कह रही है कक देखो मैं कसर्फ तुम्हारे कलए ककतनी दूर से चल कर आयी हूँ।
  • 6. उठ ककसान ओ उड़ने िाले काले जलधर नाच-नाच कर गरज-गरज कर ओढ़ फु हारों की सीत चादर देख उतरे हैं धरती पर निपे खेत में, आँख ममचौनी-सी करते हैं I बादल खेतों में आांखकमचौली खेल रहे हैं। वे नाच-नाच िर और गरज- गरज िर अपना खेल खेल रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे बादलों ने िु हारों िी सिे द चादर ओढ़ रखी हो।
  • 7. हरा खेत जब लहराएगा…..हरी पताका जब फहराएगा निपा हुया बादल तब उसमें….रूप बदलकर मुसकाएगा तेरे सपनों के ये मीठे….गीत आज िाए हैं किसान अब अच्छी िसल िे सपने देख रहा है। वह देख रहा है कि िै से उसिे हरे खेत लहराएांगे और अपनी हरी पतािाएां िहराएांगे। उस समय बादल किस तरह मुस्िराता हुआ उन्हें देखेगा। किसी किसान िे कलए अच्छी बाररश से बड़ा वरदान िु छ नहीं हो सिता है। अच्छी िसल ही उसिे िर में खुशहाली लाती है। उठ ककसान ओ
  • 8. काव्यगत विशेषताएँ कविता सरस ,सरल ,मधुर है। कोमल तथा तत्सम शब्दों के प्रयोग से कविता में मधुरता िाई हुई है । कविता संबोधन शैली में मलखी गयी है ,इसमलए रोचक बन पड़ी है । तुकांत शब्दों के प्रयोग से सरसता और गेयता विद्यमान है ।नाच रहे हैं उमड़, िुमर िर , पुरवाई में मानवीिरण अलांिार है ।पूरी कविता में बादल का मानिीकरण ककया गया है I
  • 9. प्रश्नोत्तर नीचे कलखी पांकियााँ पढ़ो। आपस में चचाथ िरिे इसिे नीचे कदए गए प्रश्नों िे उत्तर दो– (ि) “तेरे हरे–भरे सावन िे साथी ये आए हैं“ बादल, सावन और किसान दोनों िे साथी हैं। सावन से मौसम अच्छा रहता है। किसान िे खेत लहलहाते हैं। (ख) “तेरे प्राणों में भरने िो नया राग लाए हैं“..बादल ऐसा क्या लाए हैं कजससे किसान िे प्राणों में नया राग भर जाएगा? बादल िे बरसने से भूकम िो जल कमलेगा। इससे किसानों द्वारा लगाए खेतों िो पानी कमलता है और उसिी मेहनत खेतों िे रूप में लहलहा जाती है, कजसमें उसिे प्राण बसे होते हैं। इसकलए िकव ने बादल द्वारा लाए जल से किसान िे प्राणों में नया राग भरने िी बात िही है। (ग) “यह सांदेशा ले िर आई, सरस मधुर शीतल पुरवाई“ पुरवाई किसान िे कलए क्या सांदेशा लेिर आई होगी? पुरवाई किसान िे कलए लहलहाते खेतों िी हरी पतािा िहराने िा सांदेशा लाई है। (ि) जब हरा खेत लहराएगा तो क्या होगा? जब हरा खेत लहराएगा तो वह हरी पतािा िहराएगा।
  • 10. शब्दाथथ राग-प्रेम , सन्देश-सूचना पाहून –अततथि जलधर –बादल लसत-सिे द परदेशी –ववदेशी आाँख लमचौनी – एक प्रकार बच्चों का खेल
  • 11. 1.वर्ाफ से जुडे या वर्ाफ के बारे में कुछ और मुहावरे खोजो। उनका प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाओ। 2.“काले बादल तकनक देख तो।” तुम भी अपने ढंग से ‘तकनक’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए पाूँच वाक्य बनाओ। 3.बादलों के किर आने पर ककव ककसान को उठने के कलए क्यों कहता है? 4.रूप बदल कर बादल ककसान के कौन से सपनों को साकार करेगा?. गृह कायथ
  • 12. प्रस्तुनत ददलीप कु मार बाड़त्या ,स्नातकोत्तर मशक्षक (दहंदी ) जिाहर निोदय विद्यालय, बौध ,ओडिशा