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Written by/Contact : Santosh Kumar Tripathi , email sktripathinhpc@gmail.com
हिर वापक सवरत समाना , पेम ते पकट होिह मै जाना
मै िववेकानंद का पुनजरन्म और इस जन्म मे किल्क अवतार हूँ। नोस्त्रेदामस की भविवष्यवािणियो का चंद्रमा नामक
भवारतीय और एंटी क्राइस्ट भवी मै हूँ। अमेिरकन मिहला भविवष्यवक्ता जीन िडिक्सन द्वारा बोला गया गांधी जन्म भवी
मै हूँ। यह बात मै वष र 1997 से ही , जब मै आईआईटी िदल्ली से यम टेक कर रहा था तभवी से कहता आ रहा हूँ। मैने
ये बात पुनः ज़ोर देकर एनएचपीसी िलिमटेडि फ़रीदाबाद मे वष र 1999-2000 के दौरान कही जब मुझे कुछ और
रहस्य पकट हुये। मेरा िवश्वास तब और दृड़ हो गया जब वष र 2003 मे एक टीवी न्यूज़ ( िजसमे सत्य साई बाबा की
िविडियो िक्लप थी ) मे बाबा ने मेरी बात का समथरन िकया। उसी िदन एक अन्य टीवी न्यूज़ मे लाल कृष्णि अडिवानी
जी ने कहा की “िजस देश मे ऐसे ऐसे लोग हो वो पीछे क्यो रहे ‘’। इसे अडिवानी जी से कन्फ़मर कर सकते है।
मै ये जानता हूँ की अडिवानी जी का उक्त वक्तव मेरे िलए था ।
मै पुनः इस बात को कहना चाहता हूँ क्योिक मेरी इस बात से जो नया आध्याित्मक ज्ञान और ईश्वरीय संदेश दुिनया
को िमलना है, उससे मै दुिनया को वंिचत नही कर सकता, क्योिक इसमे भवारत और सम्पूणिर िवश्व का िहत है ।
इसकी शुरुआत वष र 1997 मे आईआईटी िदल्ली मे यम टेक िद्वतीय सेमेस्टर के दौरान हुई। मैने `कुछ तथ्य अनुभवव
िकए और आध्याित्मक शिक्तयो द्वारा मुझे कुछ रहस्य अनुभवूितयाँ हुई। 1893 के िशकागो धमर सम्मेलन की दैवीय
योजना क्या थी इसकी रहस्य अनुभवूित मुझे इस दौरान हुई। कुछ वैिश्वक घटनाओ की समकािलकता ( िजसे भवगवान
ही संभवव कर सकते है ) और कई शब्दो के िदव अथो से यह िसद होता है की मै िववेकानंद का पुनजरन्म हूँ। उस
समय मै अपना यम टेक पोजेक्ट फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस पर कर रहा था। मैने अनुभवव िकया की यिद हम
शब्दो मे फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस करे ( अथारत शब्दो का अथर लगाएं ) तो कुछ महत्वपूणिर अथर िमलेगे। मै खुद
आश्चर्यरिकत हुआ, जब ऐसा करते हुये मैने अपने को िववेकानंद का पुनजरन्म और किल्क अवतार पाया...। शब्दो का
फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस करे ( अथारत शब्दो का अथर लगाएं ) यही इस पूरी बात का मूल थीम है। आईआईटी
िदल्ली मे मेरे द्वारा कही गयी बातो की पुिष, उस समय, वहाँ के िवद्युत इंजीिनिरग िवभवाग से संबद लोगो से कर
सकते है ।
सवरपथम मै कुछ उल्लेखनीय पंिक्तयां िलखना चाहूँगा जो की वस्तुतः मुझे यम.टेक के िदनो मे आध्याित्मक शिक्तयो
द्वारा रहस्योद्घघािटत की गयी थी । ये पंिक्तयां सामथ्यर, पभवाव और उद्देश्य मे, आधुिनक युग के वेद मंत के सदृश्य
है…
1. हम कलयुग मे सतयुग लायेगे; ऐसा दृणि िवश्वास हमारा है,
हम िवश्व बन्धुत्व अपनायेगे; ऐसा दृणि पेम हमारा है,
हम अटल सत्य का ज्ञान करेगे; ऐसा दृणि संकल्प हमारा है,
हम अचल शांित दे जायेगे; ऐसा दृणि उद्देश्य हमारा है I
2. कलयुग को कैसे दूर करे, किल्क को कैसे लाये ,
तािक कलयुग बीता हुआ कल हो जाये ,
पेट कलयुग का पतीक है ,
पेट पूजा अचछाई के िलए करे ,
और अंध – उपभवोक्तावाद ( Blind Consumerism) बंद करे तो कलयुग दूर हो जाएगा …!!!
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3. If you are cat then I am rat;
If I am cat then you are rat;
You are cat you are rat;
I am cat I am rat;
Who will bell the cat?
The rat on which symbol of rational mind Ganesha Ji will ride.
अब मै िविभवन शब्द और उनके िदव अथर िलखता हूँ : -
1. िशकागो - का अथर होता है कौआ देखो ( कागभवुशुण्डिी ) - कागभवुशुण्डिी जी, गरुड़ जी से कह रहे है
गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही। राम कृपा किर िचतवा जाही॥
अथारत हे गरुडि जी , सुमेरु पवरत भवी उसके िलए धूल के कणि के समान हो जाता है, िजसे शी रामचंद्रजी ने एक बार कृपा करके
देख िलया ।
इसका पता अभवी चल रहा है की िववेकानंद ने िशकागो का अथर नही बताया, क्योिक इस िदव अथर को पुनजरन्म को िसद
करने और किल्क अवतार के रहस्यो को उजागर करने हेतु अभवी इस चमत्कािरक तरीके से बताया जाना था।
िववेकानंद की सोच को िनम चौपाई से भवलीभवाँित समझा जा सकता है
बचन सुनत किप मन मुसुकाना। भवइ सहाय सारद मै जाना॥
यह वचन सुनते ही हनुमान्‌जी मन मे मुस्कुराए (और मन ही मन बोले िक) मै जान गया, सरस्वतीजी (इसे ऐसी बुिद देने मे)
सहायक हुई है
िशकागो के िवश्व धमर सम्मेलन के संदभवर मे अब हम समझ सकते है की िववेकानंद अपने मन मे मुस्करा रहे थे की , िवश्व धमर
सम्मेलन िशकागो शहर मे आयोिजत होने जा रहा है िजसका िहन्दू धमर मेँ इतना िदव अथर है , अतः यह िनिश्चर्त है
की सरस्वती जी सहायता कर रही है ।
मैने िशकागो का यह अथर, आईआईटी िदल्ली की िबिल्डिग की तुलना सुमेरु पवरत से करते हुये 1997 मे बताया था और इसी
आधार पर अपने को िववेकानंद का पुनजरन्म घोिष त िकया था। वस्तुतः ये अथर मुझे आध्याित्मक शिक्तयो ने िदव
तरीके से समझाया था। जैसा की सब समझते है की िशकागो के िवश्व धमर सम्मेलन मे कोई िदव ईश्वरीय योजना
और इचछा थी। उसी िदव ईश्वरीय योजना और इचछा का रहस्योद्घघाटन यहाँ पर िकया गया है ...
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2. संतोष  कु मार ितपाठी : संतोष  Santosh, the son of Trinity (of Brahma, Vishnu & Mahesh), भवगवान का सबसे
सुंदर, वतरमान समय मे परम आवश्यक और वतरमान समय मे सबसे उपयुक्त नाम ...
राम ते अिधक राम के नामा ।
भवगवान का नाम भवगवान से भवी बड़ा है, क्योकी भवगवान ने अपने मनुष्य रप मे केवल कुछ लोगो पर कृपा की है और मुिक्त
दी है, परंतु भवगवान के नाम से अनािदकाल से अनिगनत लोगो ने कृपा और मुिक्त पायी है ।
जासु नाम जिप सुनहु भववानी। भवव बंधन काटिह नर गयानी॥
(िशवजी कहते है-) हे भववानी सुनो, िजनका नाम जपकर ज्ञानी (िववेकी) मनुष्य संसार (जन्म-मरणि) के बंधन को काट
डिालते है ।
जासु नाम तय ताप नसावन। सोइ पभवु पगट समुझु िजयँ रावन॥
िजनका नाम तीनो तापो का नाश करने वाला है, वे ही पभवु (भवगवान्‌) मनुष्य रप मे पकट हुए है। हे रावणि! हदय मे यह
समझ लीिजए।
तब देखी मुिद्रका मनोहर। राम नाम अंिकत अित सुंदर॥
तब उन्होने राम-नाम से अंिकत अत्यंत सुंदर एवं मनोहर अँगूठी देखी।
चिकत िचतव मुदरी पिहचानी। हरष  िबष ाद हदयँ अकुलानी॥
अँगूठी को पहचानकर सीताजी आश्चर्यरचिकत होकर उसे देखने लगी और हष र तथा िवष ाद से हदय मे अकुला उठी ।
िहन्दू िवचारधारा मे , भवगवान के सुंदर और िदव नाम के महत्व पर यहाँ और अिधक िलखने की आवश्यकता नही है ।
3. बड़े ( मेरा घर का नाम ) - जो बड़ा हो , भवगवान के िलए सवरथा उपयुक्त एक और नाम।
4. सतीश कु मार ितपाठी ( मेरे जुड़वा भवाई का नाम ) :
सतयुग के पतीक। सतयुग तभवी आयेगा जब संतोष  का पालन न केवल विक्तगत तौर पर, बिल्क
सम्पूणिर िवश्व मे एक सावरजिनक नीित के तहत सभवी सरकारो द्वारा िकया जाएगा। इसका ये मतलब कतई नही है की सभवी
िवकाश कायो को रोक दे तथा धन और अथर - ववस्था के िसदांतो को ितलांजिल दे दे । लेिकन यिद हम सम्पूणिर
मानवता के िलए स्विणिम युग की अिभवलाष ा रखते है, तो केवल साथरक और िवचारपूणिर िवकाश कायर ही करना
चािहए और अंध – उपभवोक्तावाद को सरकारी नीित के तहत सम्पूणिर िवश्व मे बंद कर देना चािहए ।
नाथ नील नल किप द्वौ भवाई। लिरकाई िरिष  आिसष  पाई ॥
(समुद्र ने कहा)) हे नाथ! नील और नल दो वानर भवाई है। उन्होने लड़कपन मे ऋिष  से आशीवारद पाया था।
मेरा निनहाल उड़ीशा राज्य के ऋिष गाँव नामक ग्राम मे है ।
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5. देवगौड़ा - देवगौड़ा का अथर िहन्दी मे होता है, िजसने भवगवान का कायर िबगाड़ िदया हो । िजस समय मैने यह अथर
आईआईटी िदल्ली मे बताया था उस समय भवारत के पधानमंती देवगौड़ा थे ।
6. बाइिबल=बाइ + िबल बाइिबल का अथर िनकलता है जैसे चूहा िकसी िबल को बाइ करके जा रहा हो । इसका अथर ये है
की पिश्चर्म और िक्रिश्चर्यिनटी िववेकशून्य हो रहे है , जो वतरमान िवश्व को िवनाशकारी िस्थित मे ले जा रहा है ...
7. गुडि फाइडिे - िक्रिश्चर्यन्स के इस त्यौहार का अथर िनकलता है की जैसे कोई चीज िकसी अचछे के िलए जल रही हो ...
इस संदभवर मे िववेकानंद की सोच को िनम चौपाई से भवलीभवाँित समझ सकते है
पावक जरत देिख हनुमंता। भवयउ परम लघुरप तुरंता॥
अिग को जलते हुए देखकर हनुमान्‌जी तुरंत ही बहुत छोटे रप मे हो गए।
िविविेकानंद के प्रसंग मे हम समझ सकते है की उन्होने गुड फ्राइडे का अर्थ र नही बताया और अर्पने छोटे रूप मे अर्थ ारत मौन
रहे। क्योंकिक इसे अर्भी अर्न्य भिविष्यविाणीयोंक के साथ  जोड़कर , इस चमत्कािरक अर्ंदाज मे बताया जाना थ ा ।
8. उड़ीशा - उड़ीशा = उड़+ईशा अर्थ ारत ईशा यहाँ से उड़ो . इसिलए मेरा निनहाल उड़ीशा राजय मे है ।
9. नोसेदामस की भिविष्यविाणीयाँ - नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक मे , एक भिविष्यविाणी रोम के जलने की और एक
अर्न्य भिविष्यविाणी िकसी एंटी काइसट के उदय की है । बाइिबल, गुड फ्राइडे और उड़ीशा के सटीक अर्थ ो के आधार पर मै
कहता हूँ की विैिटकन िसटी फ्राई हो रहा है अर्थ ारत जल रहा है। सपष्टतः नोसेदामस की रोम के जलने की भिविष्यविाणी का
िनिहताथ र यही है।
इसे सुंदरकाणड की इस चौपाई से समझ सकते है ...
साधु अर्विगया कर फल ऐसा। जरइ नगर अर्नाथ  कर जैसा॥
साधु की अर्विगया का यह फल है िक नगर, अर्नाथ  के नगर की तरह जल रहा है ।
िविविेकानंद के प्रसंग मे हम समझ सकते है की “ पिशम ने साधु िविविेकानंद की बात को पूणरतया नही समझा और माना,
अर्तः रोम या विैिटकन िसटी जल रहा है । अर्थ ारत अर्भी िदये जा रहे इस िदव और चमत्कािरक ईशरीय संदेश की जविाला से
जल रहा है । इन अर्थ ो से यह सपष्ट है की नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक का एंटी काइसट भी मै हूँ । मेरे नाम मे िसथ त चन्द
िबन्दु से सपष्ट होता है की नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक का चंदमा नामक भारतीय भी मै हूँ । इसके अर्ितिरक मेरा संबंध
तीन राजयोंक उड़ीशा , उतर प्रदेश ( उतरोंक की भूिम ) और गुजरात ( = गुजर+रात अर्थ ारत रात गुजर रही है )। इन तीन
राजयोंक से होते हये भारत के नक्से पर अर्धर चन्द बनाया जा सकता है, इससे सपष्ट होता है की विासतवि मे नोसेदामस की
भिविष्यविाणीयोंक का चंदमा धरती पर आ चुका है ।
यहाँ मै पूणरतः सपष्ट कर देना चाहता हूँ की मै काइसट या िकसचीयिनटी के प्रित कोई द्वेष
अर्थ विा घृणा भावि नही रखता। िकसी भी अर्न्य बात से पूविर, इससे काइसट के दैवित्वि और भगवित इच्छा से ही िकसचीयिनटी
की उत्पित की पुिष्ट होती है । यह केविल नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक के िनिहताथ र और ईशरीय इच्छा का द्योतक
है ।
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मै काइसट का अर्त्यिधक सममान करता हूँ और उन्हे एक ईशरीय अर्वितार मानता हूँ । इसी प्रकार मै बाइिबल का भी
सममान करता हूँ और इसे एक पिवित धािमक पुसतक मानता हूँ िजसमे समपूणर मानविता के िलए महत्विपूणर िशकाएं है । मै
जो एंटी काइसट होने की बात कर रहा हूँ विह विसतुतः काइसट का ही अर्नुपूरक है । भगविान ने काइसट और एंटी काइसट का
िनमारण अर्पना अर्िसतत्वि िदखाने के िलए िकया है । मै धमर और आधयात्म के पक मे हूँ और मानता हूँ की सभी धमर एक ही
ईशर की तरफ ले जाते है । मै िविजान के अर्सीिमत और िविचारहीन उपयोग, जो की आधुिनक युग की कई समसयाओ का
मूल कारण है , के िखलाफ हूँ ।
10. िहलेरी - िहलेरी = िहले+री का अर्थ र हआ जो डर से काँप या िहल रही हो। िहलेरी िक्लटन उस समय अर्मेिरका की प्रथ म
मिहला थ ी, जब मैने इसका अर्थ र 1997 मे आईआईटी िदलली मे बताया थ ा ।
इसे िनम चौपाई से समझ सकते है।
दूितन्ह सुन पुरबािसन्ह बानी, मंदोदरी अर्िधक अर्कुलानी
दूितयोंक से नगरविािसयोंक के विचन सुनकर मंदोदरी बहत ही वाकुल हो गई ।
इस अर्थ र के आधार मैने ये िसद िकया की अर्मेिरका आधुिनक युग की लंका है ।
11. माकर टूली - जब मै आईआईटी िदलली के एक सेिमनार िजसमे बीबीसी के प्रिसद संविाददाता माकर टूली विका थ े को सुन
रहा थ ा , तो उन्होने कहा की िहन्दू माइथ ोलोजी बहत महान है ।
मुझे बाद मे माकर टूली शबद का भी िदव अर्थ र अर्नुभूत हआ । माकर टूली का अर्थ र हआ िजसने िकसी चीज को अर्च्छे से माकर
िकया अर्थ ारत समझा हो ।
12. किलक - किलक = कल+ की , अर्थ ारत जो कलयुग को कल की , अर्थ ारत बीता हआ कल कर दे…
कलयुग आता है तो किलक आता है और विह कलयुग को कल - की ( अर्थ ारत बीता हआ कल ) कर देता है। इसीिलए आने
विाले अर्वितार को पुराणोंक मे किलक नाम िदया गया है।
13. संजय रॉय- संजय रॉय से संजय रे’ज का आभास होता है । मैने इस आधार पर कहा की प्रकाश की िविद्युत-चुंबकीय तरंगे
ही किलक की तलविार है । उस समय मै , फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस के उपयोग द्वारा िविद्युत –चुंबकत्वि पर यम टेक
प्रोजेक्ट कर रहा थ ा, और प्रोफे सर संजय रॉय मेरे गाइड थ े ।
रामचिरतमानस की एक अर्न्य चौपाई द्वारा भी हम समझ सकते है की, संतोष को विासतवि मे तलविार धारी किलक अर्वितार
मान सकते है।
ईस भजन सारथ ी सुजाना, िबरित चमर संतोष कृपाना।
14. रािधका - रािधका , मेरी पती का नाम - बचपन मे पढ़ी गयी एक हासय किविता और उसके िदव अर्थ र से मुझे अर्नुभूित हई
की किलक का घोडा उसकी पती है।
झाँसा दे जाती थ ी सबको ऐसी थ ी झाँसी की रानी, अर्कसर विह अर्शोक के होटल मे खाया करती थ ी िबरयानी।
झाँसी की रानी - लकमीबाई – बाई लकमी , अर्थ ारत लकमी द्वारा । इससे यह िसद होता है की किलक का घोडा उसकी पती
है।
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15. हँिड़या, इलाहाबाद, उतर प्रदेश - मेरी पती का मूल सथ ान । हँिडया का अर्थ र िमटी का घड़ा होता है । सीता जी का भी
जन्म िमटी के घड़े से हआ थ ा ।
16. अर्शथ ामा – अर्शथ ामा िचरंजीविी है क्योंकिक किलक को अर्शथ ामा = अर्श+थ ामा अर्थ ारत घोड़े पर आना है। इस अर्थ र की
अर्नुभूित मुझे एनएचपीसी िलिमटेड फ़रीदाबाद मे उस समय हई जब मैने पाया की मेरे एक सहकमी का नाम अर्शथ ामा है।
इस आधार पर मैने पुनः अर्पने को िविविेकानंद का पुनजरन्म बोलना शुरू कर िदया ।
17. काबा - काबा = का + बा अर्थ ारत क्या है । मुिसलमोंक के पिवित सथ ान का नाम एक प्रश पूछता है और इशारा भी करता है
की विसतुतः विहाँ एक िशवििलग ही है ।
18. अर्मेरीकन मिहला भिविष्यविका जीन िडक्सन की भिविष्यविाणी - अर्मेरीकन मिहला भिविष्यविका जीन िडक्सन
ने भारत मे गांधी जैसे एक विकत्वि के जन्म की भिविष्यविाणी की है। मै कहता हूँ की जीन िडक्सन की भिविष्यविाणी का
गांधी भी मै हूँ । जब मै अर्पनी पहली नौकरी जविाइन करने के िलए विषर 1993 मे जयोित िलिमटेड, बड़ौदा जा रहा थ ा, तो
मै फै ज़ाबाद रेलविे सटेशन पर ट्रेन पकड़ने के िलए गया। उसी समय एक साधू मेरे पास आए और पूछा क्या यहाँ से बरेली के
िलए कोई ट्रेन जाती है। मैने कहा की संभवितः जाती तो है पर आप रेलविे इन्क्वायरी से पूछ ले । िफर भी विो साधू मुझसे
पूछता रहा और मै नाराज भी हो गया । बाद मे मुझे उनकी सांकेितक बातोंक के अर्थ र की अर्नुभूित हई । विे साधू कह रहे थ े,
बड़े जयोित िलिमटेड जविाइन करने के िलए रेल से बड़ौदा जा रहे है। विो भी रेल िजसका नाम साबरमती एक्सप्रेस थ ा ।
दे दी हमे आजादी िबना खडग िबना ढाल, साबरमती के संत तूने कर िदया कमाल।
इसके अर्ितिरक मेरे जन्म के समय मेरे बड़े भाई ने िटपपणी की थ ी िक मेरा िसर गांधी बाबा की तरह बड़ा है। अर्ब आप
समझ सकते है की अर्मेरीकन भिविष्यविका कहती है की भारत मे गांधी का जन्म हआ है और मेरे बारे मे भारत मे कोई
कहता है की , मेरा िसर गांधी जैसा है ।
19. नरेद मोदी - नरेद मोदी का नाम िविविेकानंद का पूविर नाम है । मोदी का अर्थ र मैन ऑफ डेविलिपग इंिडया या मैन ऑफ
िडविाइन इंिडया । लघु नाम नमो । और नरेद मोदी गुजरात (गुजर+रात अर्थ ारत रात गुजर रही है) से है। इससे िसद है की
नरेद मोदी भी किलक अर्वितार की कायरयोजना का िहससा है और उन हजारोंक िविविेकानंद मे से एक है, िजसकी बात कही गयी
है।
वितरमान युग के धमरयुद मे नरेद मोदी की तुलना महाभारत के अर्जुरन से कर सकते है , जैसा की मेरे टविीटर
@Santosh_NHPC और फ़े सबुक के बैनर से पिरलिकत होता है ।
www.facebook.com/santosh.tripathi.562
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20. सतय साई बाबा ने भी अपने चमतकािरक अंदाज़ मे मेरी बात का समथरन िकया था – वर्ष र 2003 के
अक्टूबर अथवर्ा नवर्म्बर महीने ( सही तारीख मुझे याद नही परंतु यह बात 27 अक्टूबर 2003 और 15 नवर्म्बर 2003 के
बीच की है) मे एक टीवर्ी न्यूज़ ततकालीन स्टार न्यूज़( अब एबीपी न्यूज़ ) पर आई थी । उस न्यूज़ मे िजिसमे सतय साई बाबा
की िवर्िडियो िक्लप भी थी , िजिसमे साई बाबा की एक मिहला भक ने कहा की “It is absolutely fascinating to
accept him as God “. अथारत “ यह अतयंत ही िचताकष रक और मनोहारी होगा की उन्हे भगवर्ान मान
िलया जिाए ”
उन मिहला भक ने यह भी बोला था की वर्े पेशे से एक डिॉक्टर है और साई बाबा उन्हे कभी कभी पशु- पकी के रप मे दशरन
देते है। वर्ष र 2003 मे साई बाबा के बहत से भक उन्हे भगवर्ान मानते थे और इस बात को टीवर्ी पर उनके िलए बोलने का
कोई औिचतय ही नही था । टीवर्ी न्यूज़ से स्पष था की वर्ह न्यूज़ मेरे िलए थी और साई बाबा दारा समिथत थी । मै वर्ह न्यूज़
देख पाया ये खुद अपने आप मे साई बाबा का एक चमतकार और कृपा थी, अन्यथा कोई कारण नही था की मै वर्ह टीवर्ी
न्यूज़ देख पाता। मै वर्ह टीवर्ी न्यूज़ पाप करना चाहता हँ और आशा करता हँ की ये साई बाबा संस्थान या कही अन्य
उपलबध होगी ।
21. लाल कृ षण अडिवर्ानी जिी का वर्कव - उसी िदन , लाल कृषण अडिवर्ानी जिी का भी एक वर्कव टीवर्ी पर आया था,
िजिसमे उन्होने कहा की “ िजिस देश मे ऐसे - ऐसे लोग हो वर्ो पीछे क्यो रहे… ‘’। इस बात की पुिष आडिवर्ाणी जिी से
ले सकते है । उक समाचार या तो आजि तक या स्टार न्यूज़ पर आया था । मै ऐसा मानता और जिानता हँ की उक वर्कव
मेरे िलए था । मै समझता हँ की मेरी बाते िकसी तरह से आडिवर्ाणी जिी तक भी पहंची होगी , इसीिलए ऐसा वर्कव आया
था । मै इन तथ्यो के साथ पुनः इस बात को बोल रहा हँ िजिससे दुिनया साई बाबा, राम कृषण परमहंस और िवर्वर्ेकानंद की
मिहमा से पिरिचत हो सके तथा इस िदव चमतकार और उससे भी ज्यादा आवर्श्यक इस महतवर्पूणर ईश्वरीय संदेश को पाप
कर सके , िजिससे दुिनया का भला हो ...
िवर्वर्ेकानंद ने स्वर्ंय अपने पुनरागमन की बात कही है और ऐसा भी कहा है की समय आने पर हजिारो िवर्वर्ेकानंद
खड़े होगे । मै जिो िवर्चार पस्तुत कर रहा हँ वर्ह परम दृश्यमान सतयो पर आधािरत है और इस िवर्चार मे हजिारो
िवर्वर्ेकानंदो को जिागृत करने की पूणर कमता है। इस बात मे वर्ह पूणर शिक है, जिो धरती की रका कर सके और सम्पूणर
मानवर्ता के िलए स्वर्िणम युग का सूतपात कर सके ।
वर्स्तुतः यह भगवर्ान दारा मानवर् जिाित और धरती की िवर्नाश से रका और मानवर्ता को िदवता की तरफ ले जिाने का एक
स्पष पयास है।यह ईश्वरीय चेतना के पृथ्वर्ी पर अवर्तरण की एक अित महतवर्पूणर घटना है । मै ईश्वर के हाथो का एक यंत
मात हँ और आशा करता हँ की, मै जिो कहना चाह रहा हँ मानवर्ता उसे समझ सकेगी और किमक रप से सम्पूणर मानवर्ता के
िलए स्वर्िणम युग के आिवर्भारवर् के लकय मे सहयोग करेगी ।
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मेरे जिीवर्न मे ऐसी कई घटनाएँ है जिब िदव संत मेरे पास पकट हये और अतयंत अथरपूणर बाते कही । ये बाते मै बता
सकता हँ , यिद कोई मुझसे बात करे , मेरी इन बातो पर िवर्श्वास करे और इस लकय मे सहयोग करे । ऐसे और भी कई
अनुभवर् है जिो मेरी इस बात की महानता को और भी उतकृष बनाते है, िजिन्हे मै उिचत अवर्सर और मंच िमलने पर बोल
सकता हँ ।
यिद हम उपरोक बातो को सही पिरपेक मे समझे तो िवर्वर्ेकानंद अभी भी बोलते हये और ऐसा कहते हये पतीत
होगे की “ मेेरा पयार वर्ो है िक मर के भी तुमको जिुदा अपनी बाहो से होने न देगा ... “
ऐसा कहते है की कुछ ऐसा था जिो िवर्वर्ेकानंद िकसी को नही बताते थे । उपरोक मे वर्ही बात है िजिसे अभी इस
िदव और चमतकािरक अंदाज़ मे बताया जिा रहा है ।
पहली बार एक पुनजिरन्म और अवर्तार हआ है, िजिसे िलिखत मे मनोवर्ैज्ञािनक कालर गुस्तावर् जिंग के िसकोिनिसटी (
Synchronicity ) की अवर्धारणा के आधार पर िसद िकया जिा सकता है। उपरोक िसकोिनिसटी की सबसे बड़ी
घटना और उदाहरण है। यह भगवर्ान के अिस्ततवर् और उनके दुिनया को सही िदशा देने के पयास का पमाण है ।
िसकोिनिसटी की अवर्धारणा जिंग दारा िदया गया अनुसंधान का एक स्थािपत िवर्ष य है ।
वर्े घटनाएँ िजिनमे कोई अथरपूणर संयोग हो, परंतु कोई कायर-कारण संबंध न हो उन्हे िसकोिनिसटी कहते है । जिंग ने
िसकोिनिसटी को िबना कायर-कारण संबंध के घटनाओ के आपसी जिुड़ावर् और अथरपूणर संयोग के रप मे पिरभािष त
िकया है। (स्रोत: िवर्कीपीिडिया )
यह दुिनया के िहत मे है की वर्ह मुझे िवर्वर्ेकानंद का पुनजिरन्म ( जिो की मै हँ ... ) और किल्क अवर्तार मान ले और मेरी
इस बात को मूतर रप दे । िजिससे यह बात अिधकािधक लोगो तक पहँच सके और वर्े इसे स्वर्ीकार कर सके , िजिससे
आध्याितमकता को बढ़ावर्ा िमले । क्योिक िवर्िभन भिवर्षयवर्ाणीयो के दारा पमािणत और धमरसंगत आध्याितमकता
से ही इस दुिनया को वर्तरमान िवर्नाशकारी पिरिस्थितयो से बचाया जिा सकता है और इसी से भारत और सम्पूणर
िवर्श्व के िलये स्वर्िणम युग का आिवर्भारवर् हो सकता है ...
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इस िसदांत के आधार पर हम समझ सकते है की साई बाबा , राम कृषण परमहंस और िवर्वर्ेकानंद आिद स्वर्यं मे
किल्क अवर्तार है , अथारत गीता मेँ कृषण भगवर्ान के िवर्श्व रप की तरह , किल्क अवर्तार के िवर्श्व रप के एक अंग
के रप मे । वर्ास्तवर् मे किल्क अवर्तार के िवर्श्व रप मे वर्े सभी सजिीवर् अथवर्ा िनजिीवर् चीजिे सिम्मिलत है िजिनका
वर्णरन यहां िकया गया है ।
मै जिो बोल रहा हँ वर्ह गहन आध्याितमक अनुभवर्ो पर आधािरत है, जिो िनिश्चित रप से ध्यान
देने , मूल्यांकन करने और िवर्श्वास करने योग्य है । इसे सभी लोगो के कल्याण के िलए , दुिनया के सामने लाना भी
आवर्श्यक है।
मै इसे िलख और संपेिष त कर रहा हँ , िजिससे इस िदव चमतकािरक घटना पर बृहद रप से चचार हो, क्योिक
इसका सम्पूणर िवर्श्व के िलए बहत महतवर् है और इसीिलए मै इसे विकगत नही रख सकता । मै समझता हँ की अब समय
आ गया है की, मै इसे पभावर्शाली तरीके से पुनः कहँ और इस महान कायर के िलए पयास करँ ...
भगवर्ान के तरीके अिदतीय , असाधारण और मानवर् मिस्तषक की समझ से परे है , के वर्ल इस पर
अपनी और सभी की भलाई के िलये िवर्श्वास करने की जिररत है ।
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मेरे आधयाितमक अनुभव
मुझे िदव रप से साई बाबा ने एक साधू के रप मे कम से कम छह बार पकट होकर दशरन िदया है और बहत अथरपूणर बाते
की है ...
फ़ै ज़ाबाद रेलवे सटेशन पर एक साधू का पकट होना और िदव सांकेितक अथो की भाषा मे बात करना मेरा दशरन का पथम
अनुभव रहा है। िजसका वणरन ऊपर िकया जा चुका है । दूसरी बार पकट होने की सपष घटना मेरे गाँव मे 1997 की है।
“ “बाबा जो अपने सवरप मे िशरडी बाबा की तरह पतीत हो रहे थे आए और िभका मांगी साथ मे उनहोने यह भी कहा की
“ “बहत आगे जाओगे । तीसरी घटना वषर 1997 की िजयासराय िदलली की है। मै आईआईटी िदलली से यम टेक के दौरान
िजयासराय मे कमरा लेकर रह रहा था। उस समय एक साधू आए जो अपने सवरप मे सतय साई बाबा की तरह लग रहे थे।
उनहोने भी मुझसे कहा की
‘ “बहत आगे जाओगे । पूवर जनम के कमो का फल है । बड़ा नाम करोगे देश मे भी िवदेश मे भी।
चौथी घटना फ़रीदाबाद की वषर 2000 “की है जब साई बाबा मेरे घर िभका मांगने आए थे। उनहोने मेरे घर पर हे िवषणु हे
“िवषणु कहके िभका मांगी। पाँचवी घटना पुटपती की है, जब साई बाबा ने अकेले मे पकट होकर मुझे दशरन िदया और
सांकेितक भाषा मे, अथरपूणर बाते की। कठवी घटना अभी ताज़ी , माचर 2015 की, िदलली मे सेटल सेकेिटयट मेटो की है।
साई बाबा एक कृषण भक के रप मे आए और गीता की पुसतक देने की कोिशश की।
िजयासराय िदलली मे मुझे साकात बमहा जी का भी दशरन पाप हआ है।
इसके अितिरक मेरी पती को भी, टनकपुर मे साई बाबा का दशरन पाप हआ है ।
िजयासराय िदलली मे रहने के दौरान एक िदन रात मे सोते समय , मैने ईशर के अिसततव की शंका के िनवारण हेतु 5-6
“बार िदल से मारो बाण िमटई संदेह ... “ “ “बोला । इसके थोड़ी देर मे ही मै जैसे ही शांत हआ तो मुझसे बोला गया तुम
मोक पाप करोगे...। इससे सपषतः मेरी शंका का समाधान हो गया।
िशकागो के अथर की अनुभूित भी अतयंत िदव तरीके से हई। एक िदन सुबह जब मै सोकर उठा और कमरे के बाहर िनकला
तो मुझे एक कौवा, अपने अतयंत पास मे िनिशत भाव से बैठा हआ िदखा । उस समय के अपनी सोच के अनुसार मैने इसका
“” “भी अथर लगाने का पयास करने लगा। तभी मुझे आवाज हयी और जैसे िकसी ने मुझसे बोला की आप गए कहाँ थे ।
इस तरह से मुझे िशकागो के अथर की अनुभूित हई।
इसी तरह िजतने शबदो को मै अथर लगाकर बता रहा हँ, वे सभी िकसी न िकसी तरह से अनुभूित से पाप हये है।
िजस तरह की िसकोिनिसटी ( Synchronicity ) मेरे उपरोक विणत घटनाओ और अथो मे पिरलिकत होती है, वह मेरे
उपरोक विणत अनुभवो की सच्चाई को पमािणत करती है।
Written by/Contact : Santosh Kumar Tripathi , email sktripathinhpc@gmail.com

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विवेकानंद का पुनर्जन्म और कल्कि अवतार

  • 1. Page 1 of 10 Written by/Contact : Santosh Kumar Tripathi , email sktripathinhpc@gmail.com हिर वापक सवरत समाना , पेम ते पकट होिह मै जाना मै िववेकानंद का पुनजरन्म और इस जन्म मे किल्क अवतार हूँ। नोस्त्रेदामस की भविवष्यवािणियो का चंद्रमा नामक भवारतीय और एंटी क्राइस्ट भवी मै हूँ। अमेिरकन मिहला भविवष्यवक्ता जीन िडिक्सन द्वारा बोला गया गांधी जन्म भवी मै हूँ। यह बात मै वष र 1997 से ही , जब मै आईआईटी िदल्ली से यम टेक कर रहा था तभवी से कहता आ रहा हूँ। मैने ये बात पुनः ज़ोर देकर एनएचपीसी िलिमटेडि फ़रीदाबाद मे वष र 1999-2000 के दौरान कही जब मुझे कुछ और रहस्य पकट हुये। मेरा िवश्वास तब और दृड़ हो गया जब वष र 2003 मे एक टीवी न्यूज़ ( िजसमे सत्य साई बाबा की िविडियो िक्लप थी ) मे बाबा ने मेरी बात का समथरन िकया। उसी िदन एक अन्य टीवी न्यूज़ मे लाल कृष्णि अडिवानी जी ने कहा की “िजस देश मे ऐसे ऐसे लोग हो वो पीछे क्यो रहे ‘’। इसे अडिवानी जी से कन्फ़मर कर सकते है। मै ये जानता हूँ की अडिवानी जी का उक्त वक्तव मेरे िलए था । मै पुनः इस बात को कहना चाहता हूँ क्योिक मेरी इस बात से जो नया आध्याित्मक ज्ञान और ईश्वरीय संदेश दुिनया को िमलना है, उससे मै दुिनया को वंिचत नही कर सकता, क्योिक इसमे भवारत और सम्पूणिर िवश्व का िहत है । इसकी शुरुआत वष र 1997 मे आईआईटी िदल्ली मे यम टेक िद्वतीय सेमेस्टर के दौरान हुई। मैने `कुछ तथ्य अनुभवव िकए और आध्याित्मक शिक्तयो द्वारा मुझे कुछ रहस्य अनुभवूितयाँ हुई। 1893 के िशकागो धमर सम्मेलन की दैवीय योजना क्या थी इसकी रहस्य अनुभवूित मुझे इस दौरान हुई। कुछ वैिश्वक घटनाओ की समकािलकता ( िजसे भवगवान ही संभवव कर सकते है ) और कई शब्दो के िदव अथो से यह िसद होता है की मै िववेकानंद का पुनजरन्म हूँ। उस समय मै अपना यम टेक पोजेक्ट फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस पर कर रहा था। मैने अनुभवव िकया की यिद हम शब्दो मे फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस करे ( अथारत शब्दो का अथर लगाएं ) तो कुछ महत्वपूणिर अथर िमलेगे। मै खुद आश्चर्यरिकत हुआ, जब ऐसा करते हुये मैने अपने को िववेकानंद का पुनजरन्म और किल्क अवतार पाया...। शब्दो का फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस करे ( अथारत शब्दो का अथर लगाएं ) यही इस पूरी बात का मूल थीम है। आईआईटी िदल्ली मे मेरे द्वारा कही गयी बातो की पुिष, उस समय, वहाँ के िवद्युत इंजीिनिरग िवभवाग से संबद लोगो से कर सकते है । सवरपथम मै कुछ उल्लेखनीय पंिक्तयां िलखना चाहूँगा जो की वस्तुतः मुझे यम.टेक के िदनो मे आध्याित्मक शिक्तयो द्वारा रहस्योद्घघािटत की गयी थी । ये पंिक्तयां सामथ्यर, पभवाव और उद्देश्य मे, आधुिनक युग के वेद मंत के सदृश्य है… 1. हम कलयुग मे सतयुग लायेगे; ऐसा दृणि िवश्वास हमारा है, हम िवश्व बन्धुत्व अपनायेगे; ऐसा दृणि पेम हमारा है, हम अटल सत्य का ज्ञान करेगे; ऐसा दृणि संकल्प हमारा है, हम अचल शांित दे जायेगे; ऐसा दृणि उद्देश्य हमारा है I 2. कलयुग को कैसे दूर करे, किल्क को कैसे लाये , तािक कलयुग बीता हुआ कल हो जाये , पेट कलयुग का पतीक है , पेट पूजा अचछाई के िलए करे , और अंध – उपभवोक्तावाद ( Blind Consumerism) बंद करे तो कलयुग दूर हो जाएगा …!!! Page 2 of 10 3. If you are cat then I am rat; If I am cat then you are rat; You are cat you are rat; I am cat I am rat; Who will bell the cat?
  • 2. The rat on which symbol of rational mind Ganesha Ji will ride. अब मै िविभवन शब्द और उनके िदव अथर िलखता हूँ : - 1. िशकागो - का अथर होता है कौआ देखो ( कागभवुशुण्डिी ) - कागभवुशुण्डिी जी, गरुड़ जी से कह रहे है गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही। राम कृपा किर िचतवा जाही॥ अथारत हे गरुडि जी , सुमेरु पवरत भवी उसके िलए धूल के कणि के समान हो जाता है, िजसे शी रामचंद्रजी ने एक बार कृपा करके देख िलया । इसका पता अभवी चल रहा है की िववेकानंद ने िशकागो का अथर नही बताया, क्योिक इस िदव अथर को पुनजरन्म को िसद करने और किल्क अवतार के रहस्यो को उजागर करने हेतु अभवी इस चमत्कािरक तरीके से बताया जाना था। िववेकानंद की सोच को िनम चौपाई से भवलीभवाँित समझा जा सकता है बचन सुनत किप मन मुसुकाना। भवइ सहाय सारद मै जाना॥ यह वचन सुनते ही हनुमान्‌जी मन मे मुस्कुराए (और मन ही मन बोले िक) मै जान गया, सरस्वतीजी (इसे ऐसी बुिद देने मे) सहायक हुई है िशकागो के िवश्व धमर सम्मेलन के संदभवर मे अब हम समझ सकते है की िववेकानंद अपने मन मे मुस्करा रहे थे की , िवश्व धमर सम्मेलन िशकागो शहर मे आयोिजत होने जा रहा है िजसका िहन्दू धमर मेँ इतना िदव अथर है , अतः यह िनिश्चर्त है की सरस्वती जी सहायता कर रही है । मैने िशकागो का यह अथर, आईआईटी िदल्ली की िबिल्डिग की तुलना सुमेरु पवरत से करते हुये 1997 मे बताया था और इसी आधार पर अपने को िववेकानंद का पुनजरन्म घोिष त िकया था। वस्तुतः ये अथर मुझे आध्याित्मक शिक्तयो ने िदव तरीके से समझाया था। जैसा की सब समझते है की िशकागो के िवश्व धमर सम्मेलन मे कोई िदव ईश्वरीय योजना और इचछा थी। उसी िदव ईश्वरीय योजना और इचछा का रहस्योद्घघाटन यहाँ पर िकया गया है ...
  • 3. Page 3 of 10 2. संतोष कु मार ितपाठी : संतोष Santosh, the son of Trinity (of Brahma, Vishnu & Mahesh), भवगवान का सबसे सुंदर, वतरमान समय मे परम आवश्यक और वतरमान समय मे सबसे उपयुक्त नाम ... राम ते अिधक राम के नामा । भवगवान का नाम भवगवान से भवी बड़ा है, क्योकी भवगवान ने अपने मनुष्य रप मे केवल कुछ लोगो पर कृपा की है और मुिक्त दी है, परंतु भवगवान के नाम से अनािदकाल से अनिगनत लोगो ने कृपा और मुिक्त पायी है । जासु नाम जिप सुनहु भववानी। भवव बंधन काटिह नर गयानी॥ (िशवजी कहते है-) हे भववानी सुनो, िजनका नाम जपकर ज्ञानी (िववेकी) मनुष्य संसार (जन्म-मरणि) के बंधन को काट डिालते है । जासु नाम तय ताप नसावन। सोइ पभवु पगट समुझु िजयँ रावन॥ िजनका नाम तीनो तापो का नाश करने वाला है, वे ही पभवु (भवगवान्‌) मनुष्य रप मे पकट हुए है। हे रावणि! हदय मे यह समझ लीिजए। तब देखी मुिद्रका मनोहर। राम नाम अंिकत अित सुंदर॥ तब उन्होने राम-नाम से अंिकत अत्यंत सुंदर एवं मनोहर अँगूठी देखी। चिकत िचतव मुदरी पिहचानी। हरष िबष ाद हदयँ अकुलानी॥ अँगूठी को पहचानकर सीताजी आश्चर्यरचिकत होकर उसे देखने लगी और हष र तथा िवष ाद से हदय मे अकुला उठी । िहन्दू िवचारधारा मे , भवगवान के सुंदर और िदव नाम के महत्व पर यहाँ और अिधक िलखने की आवश्यकता नही है । 3. बड़े ( मेरा घर का नाम ) - जो बड़ा हो , भवगवान के िलए सवरथा उपयुक्त एक और नाम। 4. सतीश कु मार ितपाठी ( मेरे जुड़वा भवाई का नाम ) : सतयुग के पतीक। सतयुग तभवी आयेगा जब संतोष का पालन न केवल विक्तगत तौर पर, बिल्क सम्पूणिर िवश्व मे एक सावरजिनक नीित के तहत सभवी सरकारो द्वारा िकया जाएगा। इसका ये मतलब कतई नही है की सभवी िवकाश कायो को रोक दे तथा धन और अथर - ववस्था के िसदांतो को ितलांजिल दे दे । लेिकन यिद हम सम्पूणिर मानवता के िलए स्विणिम युग की अिभवलाष ा रखते है, तो केवल साथरक और िवचारपूणिर िवकाश कायर ही करना चािहए और अंध – उपभवोक्तावाद को सरकारी नीित के तहत सम्पूणिर िवश्व मे बंद कर देना चािहए । नाथ नील नल किप द्वौ भवाई। लिरकाई िरिष आिसष पाई ॥ (समुद्र ने कहा)) हे नाथ! नील और नल दो वानर भवाई है। उन्होने लड़कपन मे ऋिष से आशीवारद पाया था। मेरा निनहाल उड़ीशा राज्य के ऋिष गाँव नामक ग्राम मे है । Page 4 of 10 5. देवगौड़ा - देवगौड़ा का अथर िहन्दी मे होता है, िजसने भवगवान का कायर िबगाड़ िदया हो । िजस समय मैने यह अथर आईआईटी िदल्ली मे बताया था उस समय भवारत के पधानमंती देवगौड़ा थे । 6. बाइिबल=बाइ + िबल बाइिबल का अथर िनकलता है जैसे चूहा िकसी िबल को बाइ करके जा रहा हो । इसका अथर ये है की पिश्चर्म और िक्रिश्चर्यिनटी िववेकशून्य हो रहे है , जो वतरमान िवश्व को िवनाशकारी िस्थित मे ले जा रहा है ... 7. गुडि फाइडिे - िक्रिश्चर्यन्स के इस त्यौहार का अथर िनकलता है की जैसे कोई चीज िकसी अचछे के िलए जल रही हो ... इस संदभवर मे िववेकानंद की सोच को िनम चौपाई से भवलीभवाँित समझ सकते है पावक जरत देिख हनुमंता। भवयउ परम लघुरप तुरंता॥ अिग को जलते हुए देखकर हनुमान्‌जी तुरंत ही बहुत छोटे रप मे हो गए।
  • 4. िविविेकानंद के प्रसंग मे हम समझ सकते है की उन्होने गुड फ्राइडे का अर्थ र नही बताया और अर्पने छोटे रूप मे अर्थ ारत मौन रहे। क्योंकिक इसे अर्भी अर्न्य भिविष्यविाणीयोंक के साथ जोड़कर , इस चमत्कािरक अर्ंदाज मे बताया जाना थ ा । 8. उड़ीशा - उड़ीशा = उड़+ईशा अर्थ ारत ईशा यहाँ से उड़ो . इसिलए मेरा निनहाल उड़ीशा राजय मे है । 9. नोसेदामस की भिविष्यविाणीयाँ - नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक मे , एक भिविष्यविाणी रोम के जलने की और एक अर्न्य भिविष्यविाणी िकसी एंटी काइसट के उदय की है । बाइिबल, गुड फ्राइडे और उड़ीशा के सटीक अर्थ ो के आधार पर मै कहता हूँ की विैिटकन िसटी फ्राई हो रहा है अर्थ ारत जल रहा है। सपष्टतः नोसेदामस की रोम के जलने की भिविष्यविाणी का िनिहताथ र यही है। इसे सुंदरकाणड की इस चौपाई से समझ सकते है ... साधु अर्विगया कर फल ऐसा। जरइ नगर अर्नाथ कर जैसा॥ साधु की अर्विगया का यह फल है िक नगर, अर्नाथ के नगर की तरह जल रहा है । िविविेकानंद के प्रसंग मे हम समझ सकते है की “ पिशम ने साधु िविविेकानंद की बात को पूणरतया नही समझा और माना, अर्तः रोम या विैिटकन िसटी जल रहा है । अर्थ ारत अर्भी िदये जा रहे इस िदव और चमत्कािरक ईशरीय संदेश की जविाला से जल रहा है । इन अर्थ ो से यह सपष्ट है की नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक का एंटी काइसट भी मै हूँ । मेरे नाम मे िसथ त चन्द िबन्दु से सपष्ट होता है की नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक का चंदमा नामक भारतीय भी मै हूँ । इसके अर्ितिरक मेरा संबंध तीन राजयोंक उड़ीशा , उतर प्रदेश ( उतरोंक की भूिम ) और गुजरात ( = गुजर+रात अर्थ ारत रात गुजर रही है )। इन तीन राजयोंक से होते हये भारत के नक्से पर अर्धर चन्द बनाया जा सकता है, इससे सपष्ट होता है की विासतवि मे नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक का चंदमा धरती पर आ चुका है । यहाँ मै पूणरतः सपष्ट कर देना चाहता हूँ की मै काइसट या िकसचीयिनटी के प्रित कोई द्वेष अर्थ विा घृणा भावि नही रखता। िकसी भी अर्न्य बात से पूविर, इससे काइसट के दैवित्वि और भगवित इच्छा से ही िकसचीयिनटी की उत्पित की पुिष्ट होती है । यह केविल नोसेदामस की भिविष्यविाणीयोंक के िनिहताथ र और ईशरीय इच्छा का द्योतक है । Page 5 of 10 मै काइसट का अर्त्यिधक सममान करता हूँ और उन्हे एक ईशरीय अर्वितार मानता हूँ । इसी प्रकार मै बाइिबल का भी सममान करता हूँ और इसे एक पिवित धािमक पुसतक मानता हूँ िजसमे समपूणर मानविता के िलए महत्विपूणर िशकाएं है । मै जो एंटी काइसट होने की बात कर रहा हूँ विह विसतुतः काइसट का ही अर्नुपूरक है । भगविान ने काइसट और एंटी काइसट का िनमारण अर्पना अर्िसतत्वि िदखाने के िलए िकया है । मै धमर और आधयात्म के पक मे हूँ और मानता हूँ की सभी धमर एक ही ईशर की तरफ ले जाते है । मै िविजान के अर्सीिमत और िविचारहीन उपयोग, जो की आधुिनक युग की कई समसयाओ का मूल कारण है , के िखलाफ हूँ । 10. िहलेरी - िहलेरी = िहले+री का अर्थ र हआ जो डर से काँप या िहल रही हो। िहलेरी िक्लटन उस समय अर्मेिरका की प्रथ म मिहला थ ी, जब मैने इसका अर्थ र 1997 मे आईआईटी िदलली मे बताया थ ा । इसे िनम चौपाई से समझ सकते है। दूितन्ह सुन पुरबािसन्ह बानी, मंदोदरी अर्िधक अर्कुलानी दूितयोंक से नगरविािसयोंक के विचन सुनकर मंदोदरी बहत ही वाकुल हो गई । इस अर्थ र के आधार मैने ये िसद िकया की अर्मेिरका आधुिनक युग की लंका है । 11. माकर टूली - जब मै आईआईटी िदलली के एक सेिमनार िजसमे बीबीसी के प्रिसद संविाददाता माकर टूली विका थ े को सुन रहा थ ा , तो उन्होने कहा की िहन्दू माइथ ोलोजी बहत महान है । मुझे बाद मे माकर टूली शबद का भी िदव अर्थ र अर्नुभूत हआ । माकर टूली का अर्थ र हआ िजसने िकसी चीज को अर्च्छे से माकर िकया अर्थ ारत समझा हो ।
  • 5. 12. किलक - किलक = कल+ की , अर्थ ारत जो कलयुग को कल की , अर्थ ारत बीता हआ कल कर दे… कलयुग आता है तो किलक आता है और विह कलयुग को कल - की ( अर्थ ारत बीता हआ कल ) कर देता है। इसीिलए आने विाले अर्वितार को पुराणोंक मे किलक नाम िदया गया है। 13. संजय रॉय- संजय रॉय से संजय रे’ज का आभास होता है । मैने इस आधार पर कहा की प्रकाश की िविद्युत-चुंबकीय तरंगे ही किलक की तलविार है । उस समय मै , फ़ाईनाइट एलीमेट एनािलिसस के उपयोग द्वारा िविद्युत –चुंबकत्वि पर यम टेक प्रोजेक्ट कर रहा थ ा, और प्रोफे सर संजय रॉय मेरे गाइड थ े । रामचिरतमानस की एक अर्न्य चौपाई द्वारा भी हम समझ सकते है की, संतोष को विासतवि मे तलविार धारी किलक अर्वितार मान सकते है। ईस भजन सारथ ी सुजाना, िबरित चमर संतोष कृपाना। 14. रािधका - रािधका , मेरी पती का नाम - बचपन मे पढ़ी गयी एक हासय किविता और उसके िदव अर्थ र से मुझे अर्नुभूित हई की किलक का घोडा उसकी पती है। झाँसा दे जाती थ ी सबको ऐसी थ ी झाँसी की रानी, अर्कसर विह अर्शोक के होटल मे खाया करती थ ी िबरयानी। झाँसी की रानी - लकमीबाई – बाई लकमी , अर्थ ारत लकमी द्वारा । इससे यह िसद होता है की किलक का घोडा उसकी पती है। Page 6 of 10 15. हँिड़या, इलाहाबाद, उतर प्रदेश - मेरी पती का मूल सथ ान । हँिडया का अर्थ र िमटी का घड़ा होता है । सीता जी का भी जन्म िमटी के घड़े से हआ थ ा । 16. अर्शथ ामा – अर्शथ ामा िचरंजीविी है क्योंकिक किलक को अर्शथ ामा = अर्श+थ ामा अर्थ ारत घोड़े पर आना है। इस अर्थ र की अर्नुभूित मुझे एनएचपीसी िलिमटेड फ़रीदाबाद मे उस समय हई जब मैने पाया की मेरे एक सहकमी का नाम अर्शथ ामा है। इस आधार पर मैने पुनः अर्पने को िविविेकानंद का पुनजरन्म बोलना शुरू कर िदया । 17. काबा - काबा = का + बा अर्थ ारत क्या है । मुिसलमोंक के पिवित सथ ान का नाम एक प्रश पूछता है और इशारा भी करता है की विसतुतः विहाँ एक िशवििलग ही है । 18. अर्मेरीकन मिहला भिविष्यविका जीन िडक्सन की भिविष्यविाणी - अर्मेरीकन मिहला भिविष्यविका जीन िडक्सन ने भारत मे गांधी जैसे एक विकत्वि के जन्म की भिविष्यविाणी की है। मै कहता हूँ की जीन िडक्सन की भिविष्यविाणी का गांधी भी मै हूँ । जब मै अर्पनी पहली नौकरी जविाइन करने के िलए विषर 1993 मे जयोित िलिमटेड, बड़ौदा जा रहा थ ा, तो मै फै ज़ाबाद रेलविे सटेशन पर ट्रेन पकड़ने के िलए गया। उसी समय एक साधू मेरे पास आए और पूछा क्या यहाँ से बरेली के िलए कोई ट्रेन जाती है। मैने कहा की संभवितः जाती तो है पर आप रेलविे इन्क्वायरी से पूछ ले । िफर भी विो साधू मुझसे पूछता रहा और मै नाराज भी हो गया । बाद मे मुझे उनकी सांकेितक बातोंक के अर्थ र की अर्नुभूित हई । विे साधू कह रहे थ े, बड़े जयोित िलिमटेड जविाइन करने के िलए रेल से बड़ौदा जा रहे है। विो भी रेल िजसका नाम साबरमती एक्सप्रेस थ ा । दे दी हमे आजादी िबना खडग िबना ढाल, साबरमती के संत तूने कर िदया कमाल। इसके अर्ितिरक मेरे जन्म के समय मेरे बड़े भाई ने िटपपणी की थ ी िक मेरा िसर गांधी बाबा की तरह बड़ा है। अर्ब आप समझ सकते है की अर्मेरीकन भिविष्यविका कहती है की भारत मे गांधी का जन्म हआ है और मेरे बारे मे भारत मे कोई कहता है की , मेरा िसर गांधी जैसा है । 19. नरेद मोदी - नरेद मोदी का नाम िविविेकानंद का पूविर नाम है । मोदी का अर्थ र मैन ऑफ डेविलिपग इंिडया या मैन ऑफ िडविाइन इंिडया । लघु नाम नमो । और नरेद मोदी गुजरात (गुजर+रात अर्थ ारत रात गुजर रही है) से है। इससे िसद है की नरेद मोदी भी किलक अर्वितार की कायरयोजना का िहससा है और उन हजारोंक िविविेकानंद मे से एक है, िजसकी बात कही गयी है। वितरमान युग के धमरयुद मे नरेद मोदी की तुलना महाभारत के अर्जुरन से कर सकते है , जैसा की मेरे टविीटर @Santosh_NHPC और फ़े सबुक के बैनर से पिरलिकत होता है ।
  • 7. Page 7 of 10 20. सतय साई बाबा ने भी अपने चमतकािरक अंदाज़ मे मेरी बात का समथरन िकया था – वर्ष र 2003 के अक्टूबर अथवर्ा नवर्म्बर महीने ( सही तारीख मुझे याद नही परंतु यह बात 27 अक्टूबर 2003 और 15 नवर्म्बर 2003 के बीच की है) मे एक टीवर्ी न्यूज़ ततकालीन स्टार न्यूज़( अब एबीपी न्यूज़ ) पर आई थी । उस न्यूज़ मे िजिसमे सतय साई बाबा की िवर्िडियो िक्लप भी थी , िजिसमे साई बाबा की एक मिहला भक ने कहा की “It is absolutely fascinating to accept him as God “. अथारत “ यह अतयंत ही िचताकष रक और मनोहारी होगा की उन्हे भगवर्ान मान िलया जिाए ” उन मिहला भक ने यह भी बोला था की वर्े पेशे से एक डिॉक्टर है और साई बाबा उन्हे कभी कभी पशु- पकी के रप मे दशरन देते है। वर्ष र 2003 मे साई बाबा के बहत से भक उन्हे भगवर्ान मानते थे और इस बात को टीवर्ी पर उनके िलए बोलने का कोई औिचतय ही नही था । टीवर्ी न्यूज़ से स्पष था की वर्ह न्यूज़ मेरे िलए थी और साई बाबा दारा समिथत थी । मै वर्ह न्यूज़ देख पाया ये खुद अपने आप मे साई बाबा का एक चमतकार और कृपा थी, अन्यथा कोई कारण नही था की मै वर्ह टीवर्ी न्यूज़ देख पाता। मै वर्ह टीवर्ी न्यूज़ पाप करना चाहता हँ और आशा करता हँ की ये साई बाबा संस्थान या कही अन्य उपलबध होगी । 21. लाल कृ षण अडिवर्ानी जिी का वर्कव - उसी िदन , लाल कृषण अडिवर्ानी जिी का भी एक वर्कव टीवर्ी पर आया था, िजिसमे उन्होने कहा की “ िजिस देश मे ऐसे - ऐसे लोग हो वर्ो पीछे क्यो रहे… ‘’। इस बात की पुिष आडिवर्ाणी जिी से ले सकते है । उक समाचार या तो आजि तक या स्टार न्यूज़ पर आया था । मै ऐसा मानता और जिानता हँ की उक वर्कव मेरे िलए था । मै समझता हँ की मेरी बाते िकसी तरह से आडिवर्ाणी जिी तक भी पहंची होगी , इसीिलए ऐसा वर्कव आया था । मै इन तथ्यो के साथ पुनः इस बात को बोल रहा हँ िजिससे दुिनया साई बाबा, राम कृषण परमहंस और िवर्वर्ेकानंद की मिहमा से पिरिचत हो सके तथा इस िदव चमतकार और उससे भी ज्यादा आवर्श्यक इस महतवर्पूणर ईश्वरीय संदेश को पाप कर सके , िजिससे दुिनया का भला हो ... िवर्वर्ेकानंद ने स्वर्ंय अपने पुनरागमन की बात कही है और ऐसा भी कहा है की समय आने पर हजिारो िवर्वर्ेकानंद खड़े होगे । मै जिो िवर्चार पस्तुत कर रहा हँ वर्ह परम दृश्यमान सतयो पर आधािरत है और इस िवर्चार मे हजिारो िवर्वर्ेकानंदो को जिागृत करने की पूणर कमता है। इस बात मे वर्ह पूणर शिक है, जिो धरती की रका कर सके और सम्पूणर मानवर्ता के िलए स्वर्िणम युग का सूतपात कर सके । वर्स्तुतः यह भगवर्ान दारा मानवर् जिाित और धरती की िवर्नाश से रका और मानवर्ता को िदवता की तरफ ले जिाने का एक स्पष पयास है।यह ईश्वरीय चेतना के पृथ्वर्ी पर अवर्तरण की एक अित महतवर्पूणर घटना है । मै ईश्वर के हाथो का एक यंत मात हँ और आशा करता हँ की, मै जिो कहना चाह रहा हँ मानवर्ता उसे समझ सकेगी और किमक रप से सम्पूणर मानवर्ता के िलए स्वर्िणम युग के आिवर्भारवर् के लकय मे सहयोग करेगी । Page 8 of 10 मेरे जिीवर्न मे ऐसी कई घटनाएँ है जिब िदव संत मेरे पास पकट हये और अतयंत अथरपूणर बाते कही । ये बाते मै बता सकता हँ , यिद कोई मुझसे बात करे , मेरी इन बातो पर िवर्श्वास करे और इस लकय मे सहयोग करे । ऐसे और भी कई
  • 8. अनुभवर् है जिो मेरी इस बात की महानता को और भी उतकृष बनाते है, िजिन्हे मै उिचत अवर्सर और मंच िमलने पर बोल सकता हँ । यिद हम उपरोक बातो को सही पिरपेक मे समझे तो िवर्वर्ेकानंद अभी भी बोलते हये और ऐसा कहते हये पतीत होगे की “ मेेरा पयार वर्ो है िक मर के भी तुमको जिुदा अपनी बाहो से होने न देगा ... “ ऐसा कहते है की कुछ ऐसा था जिो िवर्वर्ेकानंद िकसी को नही बताते थे । उपरोक मे वर्ही बात है िजिसे अभी इस िदव और चमतकािरक अंदाज़ मे बताया जिा रहा है । पहली बार एक पुनजिरन्म और अवर्तार हआ है, िजिसे िलिखत मे मनोवर्ैज्ञािनक कालर गुस्तावर् जिंग के िसकोिनिसटी ( Synchronicity ) की अवर्धारणा के आधार पर िसद िकया जिा सकता है। उपरोक िसकोिनिसटी की सबसे बड़ी घटना और उदाहरण है। यह भगवर्ान के अिस्ततवर् और उनके दुिनया को सही िदशा देने के पयास का पमाण है । िसकोिनिसटी की अवर्धारणा जिंग दारा िदया गया अनुसंधान का एक स्थािपत िवर्ष य है । वर्े घटनाएँ िजिनमे कोई अथरपूणर संयोग हो, परंतु कोई कायर-कारण संबंध न हो उन्हे िसकोिनिसटी कहते है । जिंग ने िसकोिनिसटी को िबना कायर-कारण संबंध के घटनाओ के आपसी जिुड़ावर् और अथरपूणर संयोग के रप मे पिरभािष त िकया है। (स्रोत: िवर्कीपीिडिया ) यह दुिनया के िहत मे है की वर्ह मुझे िवर्वर्ेकानंद का पुनजिरन्म ( जिो की मै हँ ... ) और किल्क अवर्तार मान ले और मेरी इस बात को मूतर रप दे । िजिससे यह बात अिधकािधक लोगो तक पहँच सके और वर्े इसे स्वर्ीकार कर सके , िजिससे आध्याितमकता को बढ़ावर्ा िमले । क्योिक िवर्िभन भिवर्षयवर्ाणीयो के दारा पमािणत और धमरसंगत आध्याितमकता से ही इस दुिनया को वर्तरमान िवर्नाशकारी पिरिस्थितयो से बचाया जिा सकता है और इसी से भारत और सम्पूणर िवर्श्व के िलये स्वर्िणम युग का आिवर्भारवर् हो सकता है ...
  • 9. Page 9 of 10 इस िसदांत के आधार पर हम समझ सकते है की साई बाबा , राम कृषण परमहंस और िवर्वर्ेकानंद आिद स्वर्यं मे किल्क अवर्तार है , अथारत गीता मेँ कृषण भगवर्ान के िवर्श्व रप की तरह , किल्क अवर्तार के िवर्श्व रप के एक अंग के रप मे । वर्ास्तवर् मे किल्क अवर्तार के िवर्श्व रप मे वर्े सभी सजिीवर् अथवर्ा िनजिीवर् चीजिे सिम्मिलत है िजिनका वर्णरन यहां िकया गया है । मै जिो बोल रहा हँ वर्ह गहन आध्याितमक अनुभवर्ो पर आधािरत है, जिो िनिश्चित रप से ध्यान देने , मूल्यांकन करने और िवर्श्वास करने योग्य है । इसे सभी लोगो के कल्याण के िलए , दुिनया के सामने लाना भी आवर्श्यक है। मै इसे िलख और संपेिष त कर रहा हँ , िजिससे इस िदव चमतकािरक घटना पर बृहद रप से चचार हो, क्योिक इसका सम्पूणर िवर्श्व के िलए बहत महतवर् है और इसीिलए मै इसे विकगत नही रख सकता । मै समझता हँ की अब समय आ गया है की, मै इसे पभावर्शाली तरीके से पुनः कहँ और इस महान कायर के िलए पयास करँ ... भगवर्ान के तरीके अिदतीय , असाधारण और मानवर् मिस्तषक की समझ से परे है , के वर्ल इस पर अपनी और सभी की भलाई के िलये िवर्श्वास करने की जिररत है ।
  • 10. Page 10 of 10 मेरे आधयाितमक अनुभव मुझे िदव रप से साई बाबा ने एक साधू के रप मे कम से कम छह बार पकट होकर दशरन िदया है और बहत अथरपूणर बाते की है ... फ़ै ज़ाबाद रेलवे सटेशन पर एक साधू का पकट होना और िदव सांकेितक अथो की भाषा मे बात करना मेरा दशरन का पथम अनुभव रहा है। िजसका वणरन ऊपर िकया जा चुका है । दूसरी बार पकट होने की सपष घटना मेरे गाँव मे 1997 की है। “ “बाबा जो अपने सवरप मे िशरडी बाबा की तरह पतीत हो रहे थे आए और िभका मांगी साथ मे उनहोने यह भी कहा की “ “बहत आगे जाओगे । तीसरी घटना वषर 1997 की िजयासराय िदलली की है। मै आईआईटी िदलली से यम टेक के दौरान िजयासराय मे कमरा लेकर रह रहा था। उस समय एक साधू आए जो अपने सवरप मे सतय साई बाबा की तरह लग रहे थे। उनहोने भी मुझसे कहा की ‘ “बहत आगे जाओगे । पूवर जनम के कमो का फल है । बड़ा नाम करोगे देश मे भी िवदेश मे भी। चौथी घटना फ़रीदाबाद की वषर 2000 “की है जब साई बाबा मेरे घर िभका मांगने आए थे। उनहोने मेरे घर पर हे िवषणु हे “िवषणु कहके िभका मांगी। पाँचवी घटना पुटपती की है, जब साई बाबा ने अकेले मे पकट होकर मुझे दशरन िदया और सांकेितक भाषा मे, अथरपूणर बाते की। कठवी घटना अभी ताज़ी , माचर 2015 की, िदलली मे सेटल सेकेिटयट मेटो की है। साई बाबा एक कृषण भक के रप मे आए और गीता की पुसतक देने की कोिशश की। िजयासराय िदलली मे मुझे साकात बमहा जी का भी दशरन पाप हआ है। इसके अितिरक मेरी पती को भी, टनकपुर मे साई बाबा का दशरन पाप हआ है । िजयासराय िदलली मे रहने के दौरान एक िदन रात मे सोते समय , मैने ईशर के अिसततव की शंका के िनवारण हेतु 5-6 “बार िदल से मारो बाण िमटई संदेह ... “ “ “बोला । इसके थोड़ी देर मे ही मै जैसे ही शांत हआ तो मुझसे बोला गया तुम मोक पाप करोगे...। इससे सपषतः मेरी शंका का समाधान हो गया। िशकागो के अथर की अनुभूित भी अतयंत िदव तरीके से हई। एक िदन सुबह जब मै सोकर उठा और कमरे के बाहर िनकला तो मुझे एक कौवा, अपने अतयंत पास मे िनिशत भाव से बैठा हआ िदखा । उस समय के अपनी सोच के अनुसार मैने इसका “” “भी अथर लगाने का पयास करने लगा। तभी मुझे आवाज हयी और जैसे िकसी ने मुझसे बोला की आप गए कहाँ थे । इस तरह से मुझे िशकागो के अथर की अनुभूित हई। इसी तरह िजतने शबदो को मै अथर लगाकर बता रहा हँ, वे सभी िकसी न िकसी तरह से अनुभूित से पाप हये है। िजस तरह की िसकोिनिसटी ( Synchronicity ) मेरे उपरोक विणत घटनाओ और अथो मे पिरलिकत होती है, वह मेरे उपरोक विणत अनुभवो की सच्चाई को पमािणत करती है। Written by/Contact : Santosh Kumar Tripathi , email sktripathinhpc@gmail.com