SlideShare a Scribd company logo
1 of 13
आज पारिवारिक संबंधों की परिभाषा बदल िही
है। हमािी संस्कृ ति के मौललक गुण नष्ट होिे जा
िहे हैं। ववकास के फलस्वरूप समाज के कु छ
ववभाग वंचिि होिे जा िहे हैं। इस इकाई के पाठ
इन्ही भयानक सत्य को अलग-अलग दृष्ष्टकोण
पि ििाा किने को हमें वववश कििा है।
इस पउिपाइंट में हहंदी के जाने-माने कवव
श्री. निेंद्र पुंडिीक की कवविा ‘पुल बनी थी
मााँ’, श्री वरुण ग्रोवि की पटकथा ‘टीवी’ औि
हहंदी के महान साहहत्यकाि मुष्तिबोध की
कहानी ‘पक्षी औि दीमक’ संकललि है।
“ मैया की आई
वृद्धाश्रम से चिट्ठी
कै से हो बेटा।”
यह एक हाइकू है।
हाइकू मूल रूप से जापानी कवविा रूप है। हाइकू का
जन्म जापानी संस्कृ ति की पिंपिा, जापानी
जनमानस औि सौंदया िेिना में हुआ औि वही पला।
आज हाइकू जापानी साहहत्य की सीमाओं को
लााँघकि ववश्व साहहत्य की तनचध बन िुका है। हाइकू
कवविा िीन पंष्तियों में ललखी जािी है। हहंदी हाइकू
में पहली पंष्ति में 5 , दूसिी में 7 औि िीसिी पंष्ति
में 5 अक्षि के क्रम से कु ल 17 अक्षि होिे हैं।
एकिा, समिा, दातयत्व बोध, हमददी,
जनिंत्रात्मकिा, साहहष्णुिा आहद एक स्वस्थ
समाज के तनशान हैं। सामाष्जक प्रगति जानने
के ललए इतिहास - बोध की ज़रूिि है। ववकास
का फायदा समाज के हि िबकों को लमलना
िाहहए।
पुिानी पीढी के उत्तिदातयत्वों से ववमुख होिी
जा िही नई पीढी के व्यवहाि के बािे में श्री.
निेंद्र पुंडिीक की कवविा है ‘पुल बनी थी मााँ’।
मााँ परिवाि के सदस्यों को जोड़नेवाली कड़ी है।
सफल पारिवारिक संबंध स्वस्थ समाज का
आधाि है।
वरुण ग्रोवि द्वािा ललखखि पटकथा है ‘टीवी’।
इसमें िीन बच्िों के बािे में प्रतिपाहदि कििी है।
बच्िों ने मााँ को भी कहे बबना अगले गााँव में िहे
मनोहि िािा के घि जािा है । वहााँ बड़ी मुष्श्कल
से ही पहुाँििी है लेककन पहुाँिने समय बबजली
िली जािी है। यहााँ अववकलसि गााँव की दुिवस्था
का चित्रण ककया गया है।
‘पक्षी औि दीमक’ मुष्तिबोध की कहानी है। कहानी
का पक्षी िात्काललक लाभ के ललए अपना आष्स्ित्व
नष्ट कििा है औि अंि में खोए हुए अष्स्ित्व को
कफि से पाने की कोलशश कििा है औि पिाष्जि हो
जािा है। यहां पक्षी बबना सोिे- समझे प्रलोभन में
फाँ स जानेवाले नौजवान का प्रतितनचध है।
इस इकाई में समाज के ववलभन्न पहलुओं के दृश्य
खींििी है । एक में अपनी मााँ को बोझ समझनेवाले
पुत्रों का चित्रण है िो दूसिी में अववकलसि गााँवों में
जीवन बबिानेवाले बच्िों का चित्रण है। िीसिी ओि
भूमंडलीकिण के प्रलोभन में फं सकि उसके पीछे
दौडनेवाली नौजवानों का चित्रण है। इन िीनों
पाठांश में समाज की अलग-अलग िेहिा देख
सकिा है।
innovative work

More Related Content

Similar to innovative work

MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...
MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...
MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...
Dr A C V RAMAKUMAR CEO of Online Learning Platform www.thehindiacademy.com
 
Jivan jhaanki
Jivan jhaankiJivan jhaanki
Jivan jhaanki
gurusewa
 

Similar to innovative work (13)

ch1 (1).pptx
ch1 (1).pptxch1 (1).pptx
ch1 (1).pptx
 
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdfSHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
SHIVNA SAHITYIKI JULY SEPTEMBER 2022.pdf
 
Vibhom swar oct dec 2020
Vibhom swar oct dec 2020Vibhom swar oct dec 2020
Vibhom swar oct dec 2020
 
विवेकानंद का पुनर्जन्म और कल्कि अवतार
विवेकानंद का  पुनर्जन्म और कल्कि अवतारविवेकानंद का  पुनर्जन्म और कल्कि अवतार
विवेकानंद का पुनर्जन्म और कल्कि अवतार
 
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdfVIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
VIBHOM SWAR OCTOBER DECEMBER 2022.pdf
 
Shivna sahityiki april june 2021
Shivna sahityiki april june 2021Shivna sahityiki april june 2021
Shivna sahityiki april june 2021
 
Adhyatmikta se drishtikon me parivartan आध्यात्मिकता से दृष्टिकोण में परिवर्तन
Adhyatmikta se drishtikon me parivartan आध्यात्मिकता से दृष्टिकोण में परिवर्तनAdhyatmikta se drishtikon me parivartan आध्यात्मिकता से दृष्टिकोण में परिवर्तन
Adhyatmikta se drishtikon me parivartan आध्यात्मिकता से दृष्टिकोण में परिवर्तन
 
MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...
MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...
MYTH (मिथकीय विमर्श - अंधायुग : मिथकीय आलोचना - आधुनिक चिन्तनशील व्यक्ति के स...
 
एक तिनका.pdf
एक तिनका.pdfएक तिनका.pdf
एक तिनका.pdf
 
Jivan jhaanki
Jivan jhaankiJivan jhaanki
Jivan jhaanki
 
JivanJhaanki
JivanJhaankiJivanJhaanki
JivanJhaanki
 
hindi project for class 10
hindi project for class 10hindi project for class 10
hindi project for class 10
 
Shivna sahityiki january march 2021
Shivna sahityiki january march 2021Shivna sahityiki january march 2021
Shivna sahityiki january march 2021
 

More from Aparna Appu (12)

Presentation arya
Presentation aryaPresentation arya
Presentation arya
 
Presentation
PresentationPresentation
Presentation
 
powerpoint
powerpointpowerpoint
powerpoint
 
Presentation (2)
Presentation (2)Presentation (2)
Presentation (2)
 
Presentation (2)
Presentation (2)Presentation (2)
Presentation (2)
 
Presentation
Presentation Presentation
Presentation
 
presentation
presentationpresentation
presentation
 
Presentation
PresentationPresentation
Presentation
 
Presentation (2) (2)
Presentation (2) (2)Presentation (2) (2)
Presentation (2) (2)
 
Presentation
Presentation Presentation
Presentation
 
powerpoit
powerpoitpowerpoit
powerpoit
 
Presentation (4)
Presentation (4)Presentation (4)
Presentation (4)
 

innovative work

  • 1.
  • 2.
  • 3.
  • 4. आज पारिवारिक संबंधों की परिभाषा बदल िही है। हमािी संस्कृ ति के मौललक गुण नष्ट होिे जा िहे हैं। ववकास के फलस्वरूप समाज के कु छ ववभाग वंचिि होिे जा िहे हैं। इस इकाई के पाठ इन्ही भयानक सत्य को अलग-अलग दृष्ष्टकोण पि ििाा किने को हमें वववश कििा है।
  • 5. इस पउिपाइंट में हहंदी के जाने-माने कवव श्री. निेंद्र पुंडिीक की कवविा ‘पुल बनी थी मााँ’, श्री वरुण ग्रोवि की पटकथा ‘टीवी’ औि हहंदी के महान साहहत्यकाि मुष्तिबोध की कहानी ‘पक्षी औि दीमक’ संकललि है।
  • 6. “ मैया की आई वृद्धाश्रम से चिट्ठी कै से हो बेटा।” यह एक हाइकू है।
  • 7. हाइकू मूल रूप से जापानी कवविा रूप है। हाइकू का जन्म जापानी संस्कृ ति की पिंपिा, जापानी जनमानस औि सौंदया िेिना में हुआ औि वही पला। आज हाइकू जापानी साहहत्य की सीमाओं को लााँघकि ववश्व साहहत्य की तनचध बन िुका है। हाइकू कवविा िीन पंष्तियों में ललखी जािी है। हहंदी हाइकू में पहली पंष्ति में 5 , दूसिी में 7 औि िीसिी पंष्ति में 5 अक्षि के क्रम से कु ल 17 अक्षि होिे हैं।
  • 8. एकिा, समिा, दातयत्व बोध, हमददी, जनिंत्रात्मकिा, साहहष्णुिा आहद एक स्वस्थ समाज के तनशान हैं। सामाष्जक प्रगति जानने के ललए इतिहास - बोध की ज़रूिि है। ववकास का फायदा समाज के हि िबकों को लमलना िाहहए।
  • 9. पुिानी पीढी के उत्तिदातयत्वों से ववमुख होिी जा िही नई पीढी के व्यवहाि के बािे में श्री. निेंद्र पुंडिीक की कवविा है ‘पुल बनी थी मााँ’। मााँ परिवाि के सदस्यों को जोड़नेवाली कड़ी है। सफल पारिवारिक संबंध स्वस्थ समाज का आधाि है।
  • 10. वरुण ग्रोवि द्वािा ललखखि पटकथा है ‘टीवी’। इसमें िीन बच्िों के बािे में प्रतिपाहदि कििी है। बच्िों ने मााँ को भी कहे बबना अगले गााँव में िहे मनोहि िािा के घि जािा है । वहााँ बड़ी मुष्श्कल से ही पहुाँििी है लेककन पहुाँिने समय बबजली िली जािी है। यहााँ अववकलसि गााँव की दुिवस्था का चित्रण ककया गया है।
  • 11. ‘पक्षी औि दीमक’ मुष्तिबोध की कहानी है। कहानी का पक्षी िात्काललक लाभ के ललए अपना आष्स्ित्व नष्ट कििा है औि अंि में खोए हुए अष्स्ित्व को कफि से पाने की कोलशश कििा है औि पिाष्जि हो जािा है। यहां पक्षी बबना सोिे- समझे प्रलोभन में फाँ स जानेवाले नौजवान का प्रतितनचध है।
  • 12. इस इकाई में समाज के ववलभन्न पहलुओं के दृश्य खींििी है । एक में अपनी मााँ को बोझ समझनेवाले पुत्रों का चित्रण है िो दूसिी में अववकलसि गााँवों में जीवन बबिानेवाले बच्िों का चित्रण है। िीसिी ओि भूमंडलीकिण के प्रलोभन में फं सकि उसके पीछे दौडनेवाली नौजवानों का चित्रण है। इन िीनों पाठांश में समाज की अलग-अलग िेहिा देख सकिा है।