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"​कहते है क गांव म ह भारत बसता है ले कन जब वकास क बात आती है तो शहर
को ह भारत दखाया जाने लगता है। वकास क दौड़ म शहर से गांव पीछे रह गये ह।
शहर िजदंगी आराम से गुजर जाती है और गांव के लोग को त दन जीने के लए
संघष करना होता है।"
गांव क ि थ त देखने के बाद यह कह सकते ह क एक तरफ तो देश का यान मंगल ह तक जा
पहुंचा है और दूसर तरफ हमारे गांव आज भी बु नयाद सु वधाओं के लए ससक रहे ह। गांव म अभी
तक वकास क धारा नह ं पहुंची है। गांव म जाग कता का भी आभाव है, िजसके चलते उ ह
जानकार नह ं हो पाती है क के और रा य सरकार ने ामीण के लए कौन सी योजना चलायी है।
पढ़ा लखा वग और
वाथ सोच गांव के
वकास म रोड़ा
​“एक तरफ जहाँ ट शास नक
कमचार और जन त न ध गांव क
तर क म सबसे बड़ी बाधा ह वह गांव के
पढ़े लखे लोग का आगे ना आना और
लोग क वाथ सोच भी गांव के वकास
म रोड़ा बनी हुई है ।“
आज हर घर म आपको पढ़े - लखे लोग मलगे,
कोई इंजी नयर, कोई डॉ टर, तो कोई अ यापक
पर तु ऐसी पढाई का कोई फायदा नह ं अगर
आप सह और गलत म फक ना समझे । आज
समय बदला रहा है, लोग भी पढ़ लख रहे है
पर तु सह गलत पर बोलने वाला कोई नह ं ।
आज बाते करने वाले बहुत लोग है क ये होना चाइये और वो होना चाइये, देश भि त क बाते सब
करते है पर तु सह को सह और गलत को गलत कहने वाला कोई नह ं है । आ खर कब जागेगा गांव
का पढ़ा लखा वग? कब लोग अपना नजी वाथ याग कर गांव के वकास के बारे म सोचगे ?
“अगर ऐसा ह चलता रहा तो एक समय आएगा जब लोगो के पास
सवाए पछताने के कु छ नह ं रहेगा”
कड़वा है पर तु यह सच है:- "कम पढ़े लखे और अयो य को गांव का जन त न ध चुनना" - ये
उसक जीत नह ं, पढ़े- लख और समझदार वग क हार है जो पढ़े - लखे होने के बावजूद अपने निज
वाथ के लए पुरे गांव का भ व य दाव पर लगा देते है और फर पुरे पांच साल रोना रोते है क गांव
का वकास नह ं हुआ ।
कै से बदले गांव के हालत ? -
1. सव थम गांव के त स मान क भावना को जगाना होगा ।
2. “गांव का वकास ह अपना वकास” का भाव मन म लाना होगा ।
3. अपना निज वाथ याग कर ऐसे जन त न ध को चुनना होगा जो अपना नह ं गांव का
वकास करे । िजस कार हम घर के मु खया का भार सबसे समझदार और पढ़े लखे को देते
है उसी कार गांव का मु खया भी समझदार और पढ़ा लखा हो तो ता क गांव के वकास
काय को आगे बढ़ा सके और उ च अ धका रओ के सामने आवाज उठा सके ।
4. पांच साल कोसने से अ छा है क कसी ऐसे को चुने क अपने आप पर गव महसूस कर ।
“पढ़े- लखे होने का अहसास दलाये - गांव को
सुंदर, व छ बनाये”
कलम से...
Sandeep Sherawat
Social Activist, Haryana

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