Email Marketing Kya Hai aur benefits of email marketing
डिजिटल इंडिया का सपना तभी सच हो सकता है, जब गांव - गांव हो डिजिटल
1. डिजिटर इंडिमा का सऩना तबी सच हो सकता है, िफ गांव - गांव हो डिजिटर
सफसे ऩहरे "गांव -गांव हरयमाणा" की टीभ का
धन्मवाद कयता हु िो आऩने भुझे अऩनी फात यखने
का भौका ददमा । आि भैं आऩके भाध्मभ से
"अकफयऩुय मुथ पॉय चेंि" टीभ की तयप से मे कहना
चाहता हु की डिजिटर इंडिमा का सऩना तबी सच हो
सकता है, िफ गांव - गांव डिजिटर हो । िैसा की आऩ
िानते है की बायत देश की अधधकतय आफादी गांवो भें
फस्ती है औय िफ तक गांवो को डिजिटर गांव भें नहीं
फदरा िामेगा तफ तक डिजिटर इंडिमा का सऩना
सच होना ना भुभककन सा ही रगता है । औय मे तबी
संबव है िफ गांव के रोग खुद आगे आमे, गांव
ऩंचामत आगे आमे ।
क्मोकक आऩ रोग ने देखा की सयकाय ने िो "डिजिटर
साऺयता मभशन" चरामा था, उसभे रोगो ने अऩनी
िेफे बयने का ही काभ ककमा है, शामद ही कोई गांव
होगा जिसभे एक - दो रोगों को डिजिटर के फाये भें
फतामा हो ।
कै से हो ग ांव - ग ांव डिजिटऱ ?
सफसे ऩहरे ग्राभ ऩंचामत का डिजिटर होना फहुत
िरुयी है, ग्राभ ऩंचामत गांव के रोगों को िागरूक कये
औय डिजिटर मशऺा के प्रोग्राभ चरामे। इसभें ग्राभ
ऩंचामत गांव के ऩढ़े मरखे रोगों को अऩने साथ रे औय
2. डिजिटर मशऺा के प्रोग्राभ आमोजित कये जिसभे हय
वगग का ध्मान यखा िामे ।
सीननमय रोगों, मुवाओ, फच्चो औय औयतों रे मरए
अरग - अरग प्रोग्राभ आमोजित हो । इससे हय वगग
को पामदा होगा, िहां सीननमय रोग आसानी से अऩने
काभ ननऩटा सकें गे, िैसे बफिरी बफर बयना, सयकाय
की नीनतओ को िानना, खाद फीि औय पसरों के येट
िानना आदद, वही मुवाओ को बी योिगाय भें सहामता
मभरेगी, औयतों औय फच्चो को बी पामदा होगा । िफ
गांव गांव डिजिटर होगा तबी बायत देश डिजिटर फन
सकता है ।
डिजिटऱ शिऺ की पहऱ - "गांव -गांव हरयमाणा" भें
आि भैं मे फताना चाहता हु की "अकफयऩुय मुथ पॉय
चेंि" डिजिटर मशऺा को फढ़ावा देने के मरए िनवयी
2019 से "डिजिटर गांव" के नाभ से एक डिजिटर
प्रोग्राभ शुरू कयेगी जिसभे हय वगग के रोगों को चाहे वो
फुिगग हो, मुवा हो, फच्चा हो मा औयत हो । सफको
भुफ्त डिजिटर मशऺा दी िाएगी ।
ऱोग कहते है "पढ़ेग इांडिय , बढ़ेग इांडिय ...मेर तो बस इतन कहन है की
"पढ़ेग ग ांव, पढ़ेग इांडिय ,
बढ़ेग ग ांव, बढ़ेग इांडिय । "
सोच फदरेगी - गांव फदरेगा
अकफयऩुय मुथ पॉय चेंि
संदीऩ शेयावत
डिजिटर भाके दटंग एक्सऩटग