आज हमें ये समझना होगा की हिंदुस्तान को बेहतर बनाने के लिए सबसे निचले स्तर (गांवों से) पर काम करना होगा । इसके लिए पंचायतों को अधिक अधिकार देने होंगे । पंचायतों के पास जितने अधिक अधिकार होंगे लोगों के लिए उतना ही बेहतर होगा । पंचायतों को प्रभावी और सक्षम बनाने के लिए नेक सोच और समझदार लोगों को चुनना होगा ।
गांवों को बेहतर बनाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करना होगा : संदीप सेहरावत
1. आज हम ये समझना होगा क हंदु तान को बेहतर बनाने के लए सबसे नचले तर (गांव से) पर
काम करना होगा । इसके लए पंचायत को अ धक अ धकार देने ह गे । पंचायत के पास िजतने
अ धक अ धकार ह गे लोग के लए उतना ह बेहतर होगा । पंचायत को भावी और स म बनाने के
लए नेक सोच और समझदार लोग को चुनना होगा ।
"नेता और अ धकार गाँव के वकास के लए ण ल तो गाँव क सूरत बदल सकती
है। बजट का सह योग करना होगा तभी गाँव म वकास नजर आएगा।"
पंचायती राज: भारत म 24 अ ैल को हर वष रा य पंचायती राज दवस के प म मनाया जाता है ।
पंचायती राज को लागू करने का मकसद था हंदु तान के आम लोग क आज़ाद , उन पर हुक़ू मत
करने वालो क नह ं । आज़ाद नीचे से शु होनी चा हए । िजसका मतलब था हर एक गांव म पंचायत
का राज होगा, उनके पास अ धकार ह गे, ताकत होगी ता क हर गांव अपने पांव पर खड़ा हो सके और
अपनी ज रते खुद पूर कर सके । मगर आज भी हालत य के य है ।
अगर हालत बदलने है तो गांव के लोग को नींद से जागना होगा । समझदार का प रचय देना होगा ।
गांव को अपना प रवार समझ कर सह और गलत का फै सला करना होगा । तभी हम आने वाल पीढ़
को एक बेहतर गांव दे सकते है ।
2. जन- त न धय को
सोचना चा हए क, वो
जनता के सेवक ह,
सरकार के नह ं।
“जन- त न ध अगर ठान ल
तो गाँव का कायाक प हो
सकता है।“
आज पंचायती राज दवस पर गांव के पढ़े लखे
और युवा वग से मेरा अनुरोध है क 5 मनट का
समय नकाल कर ये सोचे क या हम गांव के
लए कु छ बेहतर कर सकते है ? जो गांव हमको
अपने बुजुग से मला है या हम उसमे कु छ
सुधार कर पाएँ है? या हमने पढाई लखाई
सफ और सफ पैसे कमाने क लए क थी ?
या हम सह और गलत क पहचान नह ं है ?
“समय आ गया है गांव के पढ़े लखे वग को आगे आने का । अगर
आपक पढाई लखाई कु छ काम ना सके तो आपका पढ़ा लखा
होना यथ है ।”
आज पंचायती राज दवस पर हर युवा, बुजुग और म हला को ये संक प लेना चाइये क आने वाले हर
चुनाव म चाहे वो लोकसभा हो, वधान सभा हो या पंचायत चुनाव एक नेक सोच और पढ़े लखे -
उ मीदवार को ह वोट करगे ।
ये आपको तय करना है ….
"आपको मलाई खाने वाले को वोट करना है
या काम करने वाले को।"
कलम से...
Sandeep Sherawat
Social Activist, Haryana