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आभार
हम अपने अध्यापक सुरजीत मीना जी का सहृदय धन्यवाद
करना चाहते हैं कक उन्होंने हमे इतनी किक्षाप्रद पररयहजना
बनाने का यह अवसर प्रदान ककया। इस पररयहजना से हमे
जम्मू और कश्मीर क
े बारे में बहुत क
ु छ सीखने कह कमला।
हम अपने माता -कपता का भी हाकदिक धन्यवाद करना चाहेंगे
क्होंकक उनकी सहायता क
े कबना यह पररयहजना बनाना
सफल नही हह पाता। हम भकवष्य में भी ऐसी किक्षाप्रद
पररयहजना बनाने की आिा करते हैं ।
धन्यवाद,
ग्रुप 3
पररचय
यह परियोजना जम्मू औि कश्मीि क
े बािे में बनाया गया है | जम्मू
और कश्मीर ५ अगस्त २०१९ तक भाित का एक िाज्य था जजसे
अगस्त २०१९ में जिभाजजत कि जम्मू औि
कश्मीि एवं लद्दाख नमक दो क
ें द्र शाजसत प्रदेश क
े रूप में
स्थाजपत कि जदया गया। इस िाज्य का क्षत्र भाित क
े जवभाजन क
े
बाद से ही भाित, पाजकस्तान औि चीन क
े बीच जववाजदत िहा है,
जजनमे से तीनों ही पूवव रियासत क
े जवजभन्न जहस्ों पि आज भी
जनयंत्रण िखते हैं। जम्मू औि कश्मीि जहमालय पववत शंखला क
े
सबसे ऊ
ँ चे जहस्ों में स्स्थत है, औि इसे अपनी प्राक
ृ जतक स ंदयव
एवं संसाधनों क
े जलए जाना जाता है। साथ ही कश्मीि घाटी
औि लद्दाख का इलाका अपनी जवजशष्ट संस्क
ृ जत क
े जलए जाना
जाता है। यहाँ स्स्थत वैष्णो देवी तथा अमिनाथ की गुफाएँ जहंदुओं
क
े अत्यंत महत्वपूणव तीथव का क
ें द्र िहा है।
पिु पकक्षयााँ
 जम्मू औि कश्मीि क
े जीव अपने अजितीय स्थान औि जलवायु
स्स्थजत क
े कािण जवजवध हैं। िाज्य में लगभग 16% भाितीय
स्तनधािी, पक्षी, सिीसृप, उभयचि औि जततजलयों को प्रस्तुत
जकया जाता है।
 हंगुल (कश्मीिी हरिण; लाल जहिणों की एक लुप्तप्राय प्रजाजत),
तेंदुआ, जंगली जबस्ियाँ, जहमालयी काले भालू, कस्तूिी मृग,
जहमालयन ममोट औि जंगली बकिों की प्रजाजतयाँ देखी जा
सकती हैं।
 जवजभन्न जहमालयी पक्षी, िंगीन तीति जैसे जक जिमसन टरोपोपन,
मोनाल तीति, िक्त तीति औि कोकलस तीति, गोल्डन ईगल
औि दाढी वाले जगद्ध भी िाजसी पहाडों को घेिते हुए जदखाई देते
हैं।
राज्य पिु और पक्षी
कश्मीर हररण काली गदिन क्र
े न
नकदयााँ
प्रक
ृ जत ने जम्मू औि कश्मीि िाज्य को झीलों औि नजदयों क
े
समृद्ध संसाधनों क
े साथ संपन्न जकया है।
 सबसे महत्वपूणव नजदयों में जसंधु, झेलम, तवी, जचनाब, िावी
औि जकशनगंगा शाजमल हैं ।
झीलें
जम्मू औि कश्मीि में प्रजसद्ध झीलें -
डल झील, नाजगन झील, वुलि झील, सुरिनसि झील, मानसि झील, पैंगोंग
झील, त्सो मोिीिी झील, गंगासागि झील।
त्सोकाि झील िाज्य क
े जनवाजसयों क
े जलए जीवन का क
ें द्र, इन झीलों को
जम्मू औि कश्मीि िाज्य की एक अनूठी संस्क
ृ जत क
े उद्भव क
े जलए श्रेय
जदया जाता है।
भाषा और िैली
कश्मीिी या कोशुि इंडो-आयवन भाषाओं क
े डाजडवक उपसमूह
की एक भाषा है, जो लगभग 7 जमजलयन कश्मीरियों िािा बोली
जाती है, मुख्य रूप से जम्मू औि कश्मीि क
े भाितीय क्षेत्र में।
 आजाद कश्मीि क
े पडोसी पाजकस्तानी क्षेत्र क
े क
ु छ जहस्ों में
भी वक्ता हैं।
 जम्मू औि कश्मीि की आजधकारिक भाषा
कोशुि, डोगिी, जहंदी-उदूव औि अंग्रेजी हैं।
 कश्मीिी िाज्य में एक क्षेत्रीय भाषा क
े रूप में
मान्यता प्राप्त है औि भाित की 22 अनुसूजचत
भाषाओं में से एक है।
 फािस-अिबी जलजप को जम्मू-कश्मीि सिकाि
औि कश्मीिी अकादमी ऑफ आटव, कल्चि एं ड
लैंग्वेजेज िािा कश्मीिी भाषा की आजधकारिक
जलजप क
े रूप में मान्यता प्राप्त है।
पयिटन स्थल:-
श्रीनगर
•श्रीनगि भाित क
े जम्मू औि कश्मीि प्रान्त की
िाजधानी है
•कश्मीि घाटी क
े मध्य में बसा यह भाित क
े प्रमुख
पयवटन स्थलो में से है।
•श्रीनगि एक ओि जहां डल झील क
े जलए प्रजसद्ध है
वही दू सिी ओि जवजभन्न मंजदिों क
े जलए जवशेषरूप से
है।
•1700 मीटि ऊ
ं चाई पि बसा श्रीनगि जवशेष रूप से
•से झीलों औि हाऊसवोट जाना जाता है।
श्रीनगि जम्मू औि कश्मीि िाज्य की ग्रीष्मकालकालीन
िाजधान है।
ये शहि औि उसक
े आस-पास क
े क्षेत्र एक
जमाने में दुजनया क
े सबसे खूबसूित पयवटन स्थल
माने जाते थे। जैसे डि झील,शजलमाि औि
जनशात बाग, गुलमगव, पहलगाम आजद।
श्रीनगि में ही शंकिाचायव पववत है जहां जवख्यात
जहन्दू धमसुधािक औि अव्दैत वेदान्त क
े
प्रजतपादक आजद शंकिाचायव सवर्ज्ावनपीठ क
ै
आसन पि जविाजमान हुए थे।फ
ु लों से सजी िहने
वाली डल झील पि कई खूबसूित नावों पि तैिते
घि भी है जजनको हाउसबोट कहा जाता है।
वैष्णह देवी
 वैष्णह देवी मोंकदर एक महत्वपूणि कहोंदू मोंकदर है जह जम्मू
और कश्मीर क
े भारतीय क
ें द्र िाकसत प्रदेि क
े किक
ु ट
पवित पर स्स्थत कटरा में स्स्थत वैष्णह देवी कह समकपित
है।
 मोंकदर दुगाि कह समकपित 108 िस्िपीठहों में से एक है,
कजसे वैष्णह देवी क
े रूप में पूजा जाता है
 यह भारत क
े सबसे अकधक देखे जाने वाले तीथिस्थलहों
में से एक है।
 हर साल लाखहों आगोंतुक मोंकदर जाते हैं।
 मोंकदर सभी कहोंदुओों और कसखहों क
े कलए पकवि है। गुरु
गहकवोंद कसोंह और कववेकानोंद जैसे कई प्रमुख सोंतहों ने
मोंकदर का दौरा ककया है।
लामायुरु गोम्पा
लहाख क
े उबह-खाबह
इलाक
े मे अनजमनब मठ
आपको देखने को जमला
जाएगे क्ोंजक यहा
अजधकति लोग ब ध्द दम को
मानते हैं।
भाित में लेह जजले में स्स्थत एक जतब्बती ब द्ध
मठ है।अगि आप श्रीनगि लेह हाइवे से लाख जा
िहे हैं तो आपको यहां जरूि रुकना चाजहए ।
लामायुरु मठ ,दिीक
ु ग कागयू स्क
ू ल आफ
ॅ
बुस्ध्दज़्म से जुडा है। ये लाख
क
े सबसे पुिाने औि सबसे
बडे मठ में से एक
है । इसक
े बाद पास की
गुफा से मजहध्द निोपा
यहां साधना किने आए
औि झील सूख गई है।
नुब्रा घाटी
नुब्रा घाटी एक तीन भुजाओं वाली घाटी है
जो लद्दाख घाटी क
े उत्ति-पूवव में स्स्थत है।
यह श्योक औि नुब्रा
नजदयों क
े संगम से
बनी है।श्योक नदी
उत्ति पजिम की ओि
बहती है औि
नुब्रा नदी एक न्यूनकोण
बनाते हुए इसमें उत्ति-
उत्ति पजिम से आ कि
जमलती है।
जम्मू और कश्मीर क
े प्राक
ृ कतक सौोंदयि
गुलमगव
फ
ू लों की वाजदयों क
े जलए
मशहूि गुलमगव को कश्मीि क
े
शान कहा जाता है गुरु मांगी
जम्मू कश्मीि क
े बािामुला
जजले में है। स्थान की खूबसूित
औि शांत वाताविण में होकि
इसका नाम ग िीमग से
गुलमगव िखा गया था।
लद्दाख 🌺
 जम्मू कश्मीि को
भाित का स्वग बनाने
में लद्दाख का भी
काफी बडा योगदान है
क्ोंजक
 लद्दाख जम्मू कश्मीि
का सबसे प्रत्यय से
प्रक
ृ जतक स्थल है मून
लैंड या ब्रोकन मून
आजद क
े नाम से भी
जाना जाता है।
जम्मू और कश्मीर की
कला
 जम्मू और कश्मीर अपनी िानदार
प्राक
ृ कतक सुोंदरता में आधाररत हैं।.
इसक
े साथ ही, इसमें साोंस्क
ृ कतक
कवरासत का एक अनूठा कमश्रण है जह
इसे अपने अतीत से कवरासत में कमला
है।.
 सूफी और सोंतहों की भूकम क
े रूप में,
इसक
े सामाकजक ताने-बाने में
साोंप्रदाकयक सद्भाव का मजबूत प्रभाव
है।. राज्य में कवकभन्न स्थलाक
ृ कत और
भौगहकलक स्स्थकतयाों हैं।.
 इन कवकवधताओों क
े साथ, जम्मू और
कश्मीर की सोंस्क
ृ कत भी कवकभन्न क्षेिहों में
नाटकीय रूप से बदलती है।. इसकी
बहुआयामी सोंस्क
ृ कत प्राचीन काल से यहाों
पनप रहे कवकभन्न नैकतक समाजहों कह
जम्मू और कश्मीर की सोंस्क
ृ कत
 यहाों तक कक ऐकतहाकसक रूप से, जम्मू और कश्मीर
मध्य और दकक्षण एकिया क
े आसपास कवकभन्न
साोंस्क
ृ कतक सोंस्थाओों क
े कलए सीखने क
े कलए एक
सीट रही है।. इसकी अनुकरणीय परोंपराएों रोंगीन
और जीवोंत हैं।.
 जम्मू कश्मीर की जीवन िैली, भाषा, नृत्य, सोंगीत
और कलाओों कह उनक
े रूप में उत्क
ृ ष्ट बनाने क
े
कलए प्रत्येक आयु क
े साथ कफर से बनाया गया है।.
 आज, यह राज्य न क
े वल अपनी प्राक
ृ कतक सुोंदरता
या धाकमिक महत्व क
े कलए बस्ि अपनी कवकिष्ट
सोंस्क
ृ कत क
े कलए भी दौरा ककया जाता है जह अपने
तीन क्षेिहों यानी जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख क
े
साथ बदल गया।.
• जम्मू क्षेि में, डहगरा सोंस्क
ृ कत की अपनी मजबूत
तलहटी है।.
• इसमें एक ओर पोंजाब की सोंस्क
ृ कत और दू सरी
ओर कहमाचल प्रदेि जैसा है।.
• इस क्षेि में गुजरात दू सरे आम नैकतक समुदाय हैं।.
जम्मू कश्मीर क
े रीकत-ररवाज
 आधुकनकता क
े इस युग में भी जम्मू क
े लहग पारोंपररक
मदर द नेचर क
े डायरेक्टर और पूवि आईजीपी एसएस
कबजराल का कहना है कक अोंकतम सोंस्कार क
े कलए
कक्रमैटहररयम का इस्तेमाल हहना चाकहए ताकक
पयािवरण और कम हह रहे वनहों कह बचाया जा से ही
अोंकतम सोंस्कार करने कह प्राथकमकता देते हैं। लाखहों
रुपयहों की लागत से बने कक्रमैटहररयम में अभी तक 42
लहगहों का ही सोंस्कार हह पाया है। इसका सीधा
नुकसान पयािवरण कह हह रहा है।
 वन कवभाग से कमली जानकारी क
े अनुसार कक्रमैटहररयम िुरू हहने
से वषि 2012 तक िाोंकत घाट और जहगी गेट में क
ु ल 40, 494 स्व
ों टल
लकड़ी जलाई गई।
 इस पर 52,97,094 रुपये खचि हुए। इससे यह भी अनुमान लगाया
जा सकता है कक इसक
े कलए ककतने वृक्षहों कह काटा गया हहगा।
 हालाोंकक वन कवभाग का यह तक
ि है कक लकड़ी पहले से कगरे वृक्षहों
की इस्तेमाल की जाती है, लेककन यह भी सही है कक इस लकड़ी कह
उन पररवारहों कह कदया जा सकता है जह गरीबी रेखा से नीचे रह रहे
हैं।
 मदर द नेचर क
े डायरेक्टर और पूवि आईजीपी एसएस कबजराल
का कहना है कक अोंकतम सोंस्कार क
े कलए कक्रमैटहररयम का इस्तेमाल
हहना चाकहए ताकक पयािवरण और कम हह रहे वनहों कह बचाया जा
सक
े ।
 उन्होंने इस प्रकार क
े कक्रमैटहररयम ऊधमपुर और कठुआ में भी
बनाने कह कहा।
जम्मू और कश्मीर की
जनजाकतयााँ
बकरवात
 बकरवाल (बखरवाल,
बक्रावल्लाह और बेकरवाल) भी
ज्यादातर मुस्िम हैं। दकक्षण
एकिया क
े पीर पोंजल और
कहमालयी पहाड़हों में स्स्थत
खानाबदहि जनजाकत।. वे
पारोंपररक रूप से हैं, और अभी
भी मुख्य रूप से, बकरी और
चरवाहे हैं।. वे भारत और
पाककस्तान क
े बीच और
अफगाकनस्तान क
े नूररस्तान प्राोंत
में पूरे कश्मीर क्षेि में रहते हैं।
बेदा
 बेदा लहग भारतीय राज्य
जम्मू और कश्मीर क
े एक
समुदाय हैं।. वे ज्यादातर
लद्दाख क्षेि में रहते हैं,
जहाों वे सोंगीतकारहों क
े
अपने पारोंपररक व्यवसाय
का अभ्यास करते हैं।. वे
मुख्य रूप से मुस्िम धमि
क
े अनुयायी हैं, हालाोंकक
क
ु छ बौद्ध हैं।. क
ु छ
कवद्वानहों क
े अनुसार, वे एक
अछ
ू त समूह हैं, हालाोंकक
अन्य लहग सहचते हैं कक
स्स्थकत अकधक बारीक है।.
कश्मीर की प्राचीन महाकाव्य, अथाित् कनल्माता पुराण हमें बताता है कक
कश्मीररयहों माोंस भक्षण करते थे। यह आदत आज कश्मीर में बनी रहती है।
आज कश्मीर व्योंजन में सबसे उल्लेखनीय घटक मटन है, कजनमें से ३० ककस्हों
से अकधक हैं। इसक
े अलावा करने क
े कलए ध्यान कदया जाना चाकहए बाल्टी
करी, अपने कवदेिी स्वाद क
े कलए यूनाइटेड कक
ों गडम में लहककप्रय है, कक
बास्ल्टस्तान से फ
ै ला है।
 कश्मीरी पुलाव
 खुिबूदार बासमती चावल कह दू ध,
चीनी, सीज़नल और डर ाय फ्र
ू ट्स क
े
साथ कमक्स कर कमक्स कर बनाया
जाता है। जह बहुत ही लजीज हहता
है। ज्यादातर लहग इसमें मटन क
े
साथ बनाते ह।
 रहगन जहि
 ये कश्मीर की खास कडिेज में से
एक है। कजसमें मीट कह भुने हुए
प्याज, मसाले और दही क
े साथ
पकाया जाता है। रहगन जहि कडि
कदखने में लाल हहती है क्होंकक
इसमें लाल कमचि का इस्तेमाल
ककया जाता है।
कश्मीर क
े लहक-नृत्य
 िऊफ जनजाजत िािा जकया जाता है, कश्मीिी
लोगों क
े इस प्रजसद्ध लोक नृत्य को डमहल
कहा जाता है, जवजशष्ट अवसिों पि औि
जनधावरित स्थानों पि जकया जाता है। आम त ि
पि, यह नृत्य क
े वल वाटल क
े पुरुषों िािा
जकया जाता है, जो लंबे िंगीन वस्त्र औि लम्बी
शंक्वाकाि टोपी पहनते हैं, जो आमत ि पि
मोजतयों औि शंखों से जडी होती हैं।
रूफ
कश्मीर की
पहनावा
 फ
े िन: कश्मीर में पुरुष औि
मजहला दोनों क
े जलए पािंपरिक
पोशाक है। फ
े िन मूल रूप से
एक ढीले ऊपिी वस्त्र है जो
आस्तीन में जशजथल रूप से
इकट्ठा होता है जो च डा होता है। ... पश्मीना शॉल: पश्मीना
शॉल पािंपरिक ऊनी वस्त्रों से बनाए जाते हैं, जो पहाड क
े
बकिे से प्राप्त जकए जाते हैं। इन शॉल क
े दोनों जकनािों पि
जजटल काम जकया जाता है।
पहनावा
 ग्रास्िका
 कीतवना
 प्रजतभा
 काव्य श्री
 जयश्री
समूह क
े सदस्य
धन्यवाद
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  • 1.
  • 2. आभार हम अपने अध्यापक सुरजीत मीना जी का सहृदय धन्यवाद करना चाहते हैं कक उन्होंने हमे इतनी किक्षाप्रद पररयहजना बनाने का यह अवसर प्रदान ककया। इस पररयहजना से हमे जम्मू और कश्मीर क े बारे में बहुत क ु छ सीखने कह कमला। हम अपने माता -कपता का भी हाकदिक धन्यवाद करना चाहेंगे क्होंकक उनकी सहायता क े कबना यह पररयहजना बनाना सफल नही हह पाता। हम भकवष्य में भी ऐसी किक्षाप्रद पररयहजना बनाने की आिा करते हैं । धन्यवाद, ग्रुप 3
  • 3. पररचय यह परियोजना जम्मू औि कश्मीि क े बािे में बनाया गया है | जम्मू और कश्मीर ५ अगस्त २०१९ तक भाित का एक िाज्य था जजसे अगस्त २०१९ में जिभाजजत कि जम्मू औि कश्मीि एवं लद्दाख नमक दो क ें द्र शाजसत प्रदेश क े रूप में स्थाजपत कि जदया गया। इस िाज्य का क्षत्र भाित क े जवभाजन क े बाद से ही भाित, पाजकस्तान औि चीन क े बीच जववाजदत िहा है, जजनमे से तीनों ही पूवव रियासत क े जवजभन्न जहस्ों पि आज भी जनयंत्रण िखते हैं। जम्मू औि कश्मीि जहमालय पववत शंखला क े सबसे ऊ ँ चे जहस्ों में स्स्थत है, औि इसे अपनी प्राक ृ जतक स ंदयव एवं संसाधनों क े जलए जाना जाता है। साथ ही कश्मीि घाटी औि लद्दाख का इलाका अपनी जवजशष्ट संस्क ृ जत क े जलए जाना जाता है। यहाँ स्स्थत वैष्णो देवी तथा अमिनाथ की गुफाएँ जहंदुओं क े अत्यंत महत्वपूणव तीथव का क ें द्र िहा है।
  • 4. पिु पकक्षयााँ  जम्मू औि कश्मीि क े जीव अपने अजितीय स्थान औि जलवायु स्स्थजत क े कािण जवजवध हैं। िाज्य में लगभग 16% भाितीय स्तनधािी, पक्षी, सिीसृप, उभयचि औि जततजलयों को प्रस्तुत जकया जाता है।  हंगुल (कश्मीिी हरिण; लाल जहिणों की एक लुप्तप्राय प्रजाजत), तेंदुआ, जंगली जबस्ियाँ, जहमालयी काले भालू, कस्तूिी मृग, जहमालयन ममोट औि जंगली बकिों की प्रजाजतयाँ देखी जा सकती हैं।  जवजभन्न जहमालयी पक्षी, िंगीन तीति जैसे जक जिमसन टरोपोपन, मोनाल तीति, िक्त तीति औि कोकलस तीति, गोल्डन ईगल औि दाढी वाले जगद्ध भी िाजसी पहाडों को घेिते हुए जदखाई देते हैं।
  • 5. राज्य पिु और पक्षी कश्मीर हररण काली गदिन क्र े न
  • 6. नकदयााँ प्रक ृ जत ने जम्मू औि कश्मीि िाज्य को झीलों औि नजदयों क े समृद्ध संसाधनों क े साथ संपन्न जकया है।  सबसे महत्वपूणव नजदयों में जसंधु, झेलम, तवी, जचनाब, िावी औि जकशनगंगा शाजमल हैं ।
  • 7. झीलें जम्मू औि कश्मीि में प्रजसद्ध झीलें - डल झील, नाजगन झील, वुलि झील, सुरिनसि झील, मानसि झील, पैंगोंग झील, त्सो मोिीिी झील, गंगासागि झील। त्सोकाि झील िाज्य क े जनवाजसयों क े जलए जीवन का क ें द्र, इन झीलों को जम्मू औि कश्मीि िाज्य की एक अनूठी संस्क ृ जत क े उद्भव क े जलए श्रेय जदया जाता है।
  • 8. भाषा और िैली कश्मीिी या कोशुि इंडो-आयवन भाषाओं क े डाजडवक उपसमूह की एक भाषा है, जो लगभग 7 जमजलयन कश्मीरियों िािा बोली जाती है, मुख्य रूप से जम्मू औि कश्मीि क े भाितीय क्षेत्र में।  आजाद कश्मीि क े पडोसी पाजकस्तानी क्षेत्र क े क ु छ जहस्ों में भी वक्ता हैं।
  • 9.  जम्मू औि कश्मीि की आजधकारिक भाषा कोशुि, डोगिी, जहंदी-उदूव औि अंग्रेजी हैं।  कश्मीिी िाज्य में एक क्षेत्रीय भाषा क े रूप में मान्यता प्राप्त है औि भाित की 22 अनुसूजचत भाषाओं में से एक है।  फािस-अिबी जलजप को जम्मू-कश्मीि सिकाि औि कश्मीिी अकादमी ऑफ आटव, कल्चि एं ड लैंग्वेजेज िािा कश्मीिी भाषा की आजधकारिक जलजप क े रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • 10. पयिटन स्थल:- श्रीनगर •श्रीनगि भाित क े जम्मू औि कश्मीि प्रान्त की िाजधानी है •कश्मीि घाटी क े मध्य में बसा यह भाित क े प्रमुख पयवटन स्थलो में से है। •श्रीनगि एक ओि जहां डल झील क े जलए प्रजसद्ध है वही दू सिी ओि जवजभन्न मंजदिों क े जलए जवशेषरूप से है। •1700 मीटि ऊ ं चाई पि बसा श्रीनगि जवशेष रूप से •से झीलों औि हाऊसवोट जाना जाता है।
  • 11. श्रीनगि जम्मू औि कश्मीि िाज्य की ग्रीष्मकालकालीन िाजधान है। ये शहि औि उसक े आस-पास क े क्षेत्र एक जमाने में दुजनया क े सबसे खूबसूित पयवटन स्थल माने जाते थे। जैसे डि झील,शजलमाि औि जनशात बाग, गुलमगव, पहलगाम आजद। श्रीनगि में ही शंकिाचायव पववत है जहां जवख्यात जहन्दू धमसुधािक औि अव्दैत वेदान्त क े प्रजतपादक आजद शंकिाचायव सवर्ज्ावनपीठ क ै आसन पि जविाजमान हुए थे।फ ु लों से सजी िहने वाली डल झील पि कई खूबसूित नावों पि तैिते घि भी है जजनको हाउसबोट कहा जाता है।
  • 12. वैष्णह देवी  वैष्णह देवी मोंकदर एक महत्वपूणि कहोंदू मोंकदर है जह जम्मू और कश्मीर क े भारतीय क ें द्र िाकसत प्रदेि क े किक ु ट पवित पर स्स्थत कटरा में स्स्थत वैष्णह देवी कह समकपित है।  मोंकदर दुगाि कह समकपित 108 िस्िपीठहों में से एक है, कजसे वैष्णह देवी क े रूप में पूजा जाता है  यह भारत क े सबसे अकधक देखे जाने वाले तीथिस्थलहों में से एक है।  हर साल लाखहों आगोंतुक मोंकदर जाते हैं।  मोंकदर सभी कहोंदुओों और कसखहों क े कलए पकवि है। गुरु गहकवोंद कसोंह और कववेकानोंद जैसे कई प्रमुख सोंतहों ने मोंकदर का दौरा ककया है।
  • 13. लामायुरु गोम्पा लहाख क े उबह-खाबह इलाक े मे अनजमनब मठ आपको देखने को जमला जाएगे क्ोंजक यहा अजधकति लोग ब ध्द दम को मानते हैं।
  • 14. भाित में लेह जजले में स्स्थत एक जतब्बती ब द्ध मठ है।अगि आप श्रीनगि लेह हाइवे से लाख जा िहे हैं तो आपको यहां जरूि रुकना चाजहए । लामायुरु मठ ,दिीक ु ग कागयू स्क ू ल आफ ॅ बुस्ध्दज़्म से जुडा है। ये लाख क े सबसे पुिाने औि सबसे बडे मठ में से एक है । इसक े बाद पास की गुफा से मजहध्द निोपा यहां साधना किने आए औि झील सूख गई है।
  • 15. नुब्रा घाटी नुब्रा घाटी एक तीन भुजाओं वाली घाटी है जो लद्दाख घाटी क े उत्ति-पूवव में स्स्थत है। यह श्योक औि नुब्रा नजदयों क े संगम से बनी है।श्योक नदी उत्ति पजिम की ओि बहती है औि नुब्रा नदी एक न्यूनकोण बनाते हुए इसमें उत्ति- उत्ति पजिम से आ कि जमलती है।
  • 16. जम्मू और कश्मीर क े प्राक ृ कतक सौोंदयि गुलमगव फ ू लों की वाजदयों क े जलए मशहूि गुलमगव को कश्मीि क े शान कहा जाता है गुरु मांगी जम्मू कश्मीि क े बािामुला जजले में है। स्थान की खूबसूित औि शांत वाताविण में होकि इसका नाम ग िीमग से गुलमगव िखा गया था।
  • 17. लद्दाख 🌺  जम्मू कश्मीि को भाित का स्वग बनाने में लद्दाख का भी काफी बडा योगदान है क्ोंजक  लद्दाख जम्मू कश्मीि का सबसे प्रत्यय से प्रक ृ जतक स्थल है मून लैंड या ब्रोकन मून आजद क े नाम से भी जाना जाता है।
  • 18. जम्मू और कश्मीर की कला  जम्मू और कश्मीर अपनी िानदार प्राक ृ कतक सुोंदरता में आधाररत हैं।. इसक े साथ ही, इसमें साोंस्क ृ कतक कवरासत का एक अनूठा कमश्रण है जह इसे अपने अतीत से कवरासत में कमला है।.  सूफी और सोंतहों की भूकम क े रूप में, इसक े सामाकजक ताने-बाने में साोंप्रदाकयक सद्भाव का मजबूत प्रभाव है।. राज्य में कवकभन्न स्थलाक ृ कत और भौगहकलक स्स्थकतयाों हैं।.  इन कवकवधताओों क े साथ, जम्मू और कश्मीर की सोंस्क ृ कत भी कवकभन्न क्षेिहों में नाटकीय रूप से बदलती है।. इसकी बहुआयामी सोंस्क ृ कत प्राचीन काल से यहाों पनप रहे कवकभन्न नैकतक समाजहों कह
  • 19. जम्मू और कश्मीर की सोंस्क ृ कत  यहाों तक कक ऐकतहाकसक रूप से, जम्मू और कश्मीर मध्य और दकक्षण एकिया क े आसपास कवकभन्न साोंस्क ृ कतक सोंस्थाओों क े कलए सीखने क े कलए एक सीट रही है।. इसकी अनुकरणीय परोंपराएों रोंगीन और जीवोंत हैं।.  जम्मू कश्मीर की जीवन िैली, भाषा, नृत्य, सोंगीत और कलाओों कह उनक े रूप में उत्क ृ ष्ट बनाने क े कलए प्रत्येक आयु क े साथ कफर से बनाया गया है।.  आज, यह राज्य न क े वल अपनी प्राक ृ कतक सुोंदरता या धाकमिक महत्व क े कलए बस्ि अपनी कवकिष्ट सोंस्क ृ कत क े कलए भी दौरा ककया जाता है जह अपने तीन क्षेिहों यानी जम्मू, कश्मीर घाटी और लद्दाख क े साथ बदल गया।.
  • 20. • जम्मू क्षेि में, डहगरा सोंस्क ृ कत की अपनी मजबूत तलहटी है।. • इसमें एक ओर पोंजाब की सोंस्क ृ कत और दू सरी ओर कहमाचल प्रदेि जैसा है।. • इस क्षेि में गुजरात दू सरे आम नैकतक समुदाय हैं।.
  • 21. जम्मू कश्मीर क े रीकत-ररवाज  आधुकनकता क े इस युग में भी जम्मू क े लहग पारोंपररक मदर द नेचर क े डायरेक्टर और पूवि आईजीपी एसएस कबजराल का कहना है कक अोंकतम सोंस्कार क े कलए कक्रमैटहररयम का इस्तेमाल हहना चाकहए ताकक पयािवरण और कम हह रहे वनहों कह बचाया जा से ही अोंकतम सोंस्कार करने कह प्राथकमकता देते हैं। लाखहों रुपयहों की लागत से बने कक्रमैटहररयम में अभी तक 42 लहगहों का ही सोंस्कार हह पाया है। इसका सीधा नुकसान पयािवरण कह हह रहा है।
  • 22.  वन कवभाग से कमली जानकारी क े अनुसार कक्रमैटहररयम िुरू हहने से वषि 2012 तक िाोंकत घाट और जहगी गेट में क ु ल 40, 494 स्व ों टल लकड़ी जलाई गई।  इस पर 52,97,094 रुपये खचि हुए। इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कक इसक े कलए ककतने वृक्षहों कह काटा गया हहगा।  हालाोंकक वन कवभाग का यह तक ि है कक लकड़ी पहले से कगरे वृक्षहों की इस्तेमाल की जाती है, लेककन यह भी सही है कक इस लकड़ी कह उन पररवारहों कह कदया जा सकता है जह गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं।  मदर द नेचर क े डायरेक्टर और पूवि आईजीपी एसएस कबजराल का कहना है कक अोंकतम सोंस्कार क े कलए कक्रमैटहररयम का इस्तेमाल हहना चाकहए ताकक पयािवरण और कम हह रहे वनहों कह बचाया जा सक े ।  उन्होंने इस प्रकार क े कक्रमैटहररयम ऊधमपुर और कठुआ में भी बनाने कह कहा।
  • 23. जम्मू और कश्मीर की जनजाकतयााँ बकरवात  बकरवाल (बखरवाल, बक्रावल्लाह और बेकरवाल) भी ज्यादातर मुस्िम हैं। दकक्षण एकिया क े पीर पोंजल और कहमालयी पहाड़हों में स्स्थत खानाबदहि जनजाकत।. वे पारोंपररक रूप से हैं, और अभी भी मुख्य रूप से, बकरी और चरवाहे हैं।. वे भारत और पाककस्तान क े बीच और अफगाकनस्तान क े नूररस्तान प्राोंत में पूरे कश्मीर क्षेि में रहते हैं।
  • 24. बेदा  बेदा लहग भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर क े एक समुदाय हैं।. वे ज्यादातर लद्दाख क्षेि में रहते हैं, जहाों वे सोंगीतकारहों क े अपने पारोंपररक व्यवसाय का अभ्यास करते हैं।. वे मुख्य रूप से मुस्िम धमि क े अनुयायी हैं, हालाोंकक क ु छ बौद्ध हैं।. क ु छ कवद्वानहों क े अनुसार, वे एक अछ ू त समूह हैं, हालाोंकक अन्य लहग सहचते हैं कक स्स्थकत अकधक बारीक है।.
  • 25. कश्मीर की प्राचीन महाकाव्य, अथाित् कनल्माता पुराण हमें बताता है कक कश्मीररयहों माोंस भक्षण करते थे। यह आदत आज कश्मीर में बनी रहती है। आज कश्मीर व्योंजन में सबसे उल्लेखनीय घटक मटन है, कजनमें से ३० ककस्हों से अकधक हैं। इसक े अलावा करने क े कलए ध्यान कदया जाना चाकहए बाल्टी करी, अपने कवदेिी स्वाद क े कलए यूनाइटेड कक ों गडम में लहककप्रय है, कक बास्ल्टस्तान से फ ै ला है।
  • 26.  कश्मीरी पुलाव  खुिबूदार बासमती चावल कह दू ध, चीनी, सीज़नल और डर ाय फ्र ू ट्स क े साथ कमक्स कर कमक्स कर बनाया जाता है। जह बहुत ही लजीज हहता है। ज्यादातर लहग इसमें मटन क े साथ बनाते ह।  रहगन जहि  ये कश्मीर की खास कडिेज में से एक है। कजसमें मीट कह भुने हुए प्याज, मसाले और दही क े साथ पकाया जाता है। रहगन जहि कडि कदखने में लाल हहती है क्होंकक इसमें लाल कमचि का इस्तेमाल ककया जाता है।
  • 27. कश्मीर क े लहक-नृत्य  िऊफ जनजाजत िािा जकया जाता है, कश्मीिी लोगों क े इस प्रजसद्ध लोक नृत्य को डमहल कहा जाता है, जवजशष्ट अवसिों पि औि जनधावरित स्थानों पि जकया जाता है। आम त ि पि, यह नृत्य क े वल वाटल क े पुरुषों िािा जकया जाता है, जो लंबे िंगीन वस्त्र औि लम्बी शंक्वाकाि टोपी पहनते हैं, जो आमत ि पि मोजतयों औि शंखों से जडी होती हैं।
  • 29. कश्मीर की पहनावा  फ े िन: कश्मीर में पुरुष औि मजहला दोनों क े जलए पािंपरिक पोशाक है। फ े िन मूल रूप से एक ढीले ऊपिी वस्त्र है जो आस्तीन में जशजथल रूप से इकट्ठा होता है जो च डा होता है। ... पश्मीना शॉल: पश्मीना शॉल पािंपरिक ऊनी वस्त्रों से बनाए जाते हैं, जो पहाड क े बकिे से प्राप्त जकए जाते हैं। इन शॉल क े दोनों जकनािों पि जजटल काम जकया जाता है।
  • 31.  ग्रास्िका  कीतवना  प्रजतभा  काव्य श्री  जयश्री समूह क े सदस्य