1. समास प्रकरण (लघु ससद्ाांत कु मौदी के अनुसार)
प्रारांसिक चरण
डॉ. कनक लता
(अससस्टेंट प्रोफे सर)
सांस्कृ त वििाग
बादलपुर स्ना0 महाविदयालय
2. •समासनम समास: अर्ाात अनेक सार्ाक पदों का एक पद बन जाना
समास कहलाता है | समास एक सांक्षेपीकरण की प्रक्रिया है|
दरारन - राजा का पुत्र - 'राज पुरुष’
•समास में प्राप्त सामाससक पद के दो प्रकार से विग्रह होते है|
लौक्रकक विग्रह- लोक में या व्यव्हार में िाकयाांश प्रयोग में यह विग्रह
आता है|
अलौक्रकक विग्रह- इसे शास्त्रीय विग्रह िी कहते है | यह पाणणनीय
व्याकरण के वििक्कत प्रत्यय है जो विसशष्ट अर्ों के बो्क है|
•पाणणनन कृ त अष्टाध्यायी में समास सम्बांध्त सूत्र है –
कृ त्तदध्तसमासाश्च प्रानतपददक सांज्ञा हो क्जससे स्पष्ट है क्रक समास को
प्रानतपददक कहा जाये|
3. पूिा पद एिां उत्तर पद- समास दो सार्ाक पदों के योग से बना है|
उदहारण - राज पुरुष यहााँ दो पद है राजा + पुरुष राजा यहााँ पूिा
पद है एिां पुरुष यहााँ उत्तर पद है
सह सूपा- समास हमेशा सुबन्त पद का सुबन्त पद के सार् ही होता
है| यहााँ सुप का अर्ा है सुबन्त एिां सूपा का अर्ा है सुबन्तेन अतः
सुबन्त पद का सुबन्त के सार् समास हो|
समास में वििक्कत का लोप- कृ त्तदध्तसमासाश्च से प्रानतपददक सांज्ञा
होने पर सुपो्ातुप्रनतपददकाया सूत्र से (सु) (आदद) वििक्कतयााँ का
लोप हो जाता है|
4. के िल समास- क्रकसी विशेष सांज्ञा से रदहत के िल समास कहलाता है|
(उदाहरण- िूतपूिा:)
•लौक्रकक विग्रह- पूिं िूतः
•अलौक्रकक विग्रह- पूिा अम ् िूत सु
पूिा अम् िूत सु - सह सूपा से समास हुआ पूिा िी सुबन्त है
िूत िी सुबन्त है|
पूिा िूत- सुपो्ातुप्रनतपददकाया से सूप का लोप हुआ|
पूिा िूत- प्रर्माननददाष्टम समास उपसजानम ् सूत्र से दोनों की
उपसजान की सांज्ञा हो गयी|
िूत पूिा- उपसजानम ् पूिं से पूिा से पहले िूत आया|