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​ Ashok Stambh History
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अशोक त भ का इ तहास – Ashok Stambh
History
स ाट अशोक वारा क लंग के यु ध मे भसण हंसा को देखने के बाद उनका दय को
बहुत ह बुरा आघात पहुचा और इसी के बाद स ाट अशोक ने अपने यु ध नी त को छोड़
कर धम क वजय नी त को अपनाया और उसी के बाद उसने बौ ध धम के ंथो और
स धांथ को हण कर अपने आप को पूर तरह धम चारक मे बादल डाला।
इसी के बाद स ाट अशोक ने अपने रा य के व भन ह सो तक बौ ध धम के स धांत
का चार करने के लए 3 बष के अंदर 84000 ( चौरासी हजार ) पूत का नमाण कया
और उसी अपने रा य के व भन जगहो पर था पत कया, िजसमे से आपको Ashoka
Pillar Sarnath​ ( सारनाथ ) मे उपि थत अशोक त भ के अभी भी अवशेष देखने को
मल सकते है।
इ तहासकारो क माने तो स ाट अशोक को एक धम चारक के प मे माना गया है,
यो क स ाट अशोक धम के चार के लए कर व भन कदम उठाए िजसमे स ाट
अशोक ने धम के नै तक उपदेश को जनता तक पहुचने के लए चौराहो पर कलाकारो से
त भ , च टान पर लेख , पवत क सखायो का सहारा लया।
आज के समय ने इस अशोक त भ ( ashok stambh​ ) को भारत मे रा ट तीक के
तौर पर माना गया है, इस लए आपको वधानसभा , सरकार द तर , उ च यालय आ द
मे आपको तह त भ क आकृ त देखने को मल जाती है।
अशोक त भ का नमाण
अशोक त भ के नमाण क बात करे तो आपको बता दे क इसका नमाण मौय वंस के
समय मे स ाट अशोक के शासन कल मे हुआ था और आज के समय मे आपको उसी
समय के बने तंब या पूत के अवशेष सारनाथ मे देखने को मल सकते है।
इस Ashok piller sarnath​ का नमाण चुनार के बलुआ प थर से 45 फु ट के लंबे और
गोल दंड का नमाण कया गया है, इस त भ के कु छ भाग को जमीन मी डाला गया और
बाक के ह से को ऊपर के तरफ से पतला क तरफ बढ़ता हुआ बनाया गया है।
त भ से ऊपर क तरह से एक उ टे कमल के फू ल क आकृ त और फर उसके ऊपर
बैठने लायक एक चौकोर प थर का नमाण कया गया है, इस प थर के ऊपर चार संह का
नमाण कया गया है जो क एक चरो दशा मे अपना मुह भाग कए हुये और पीछे का
ह सा एक समान चपका हुआ है।
इस आकृ त मे आपको सभी संह के बीच मे एक पतला त भ भी देखने को मल सकता
है, िजसमे आपको 32 त लयो से बना एक च देखने को मलेगा और इस च क
आकृ त क बात करे तो आपको तह च क तमा हमारे भारत देश के तरंगा मे भी
देखने को मल सकती है।
अशोक त भ का उ दे य
पाल ंथ के अनुसार संह को बौ ध धम का पयाय माना गया है िजस कारण गौतम बु ध
वारा उपदे शत ध माक क पव ाना ( Dhammacakkappavattana​ ) को संह क
गजन माना गया है इस कारण से ह स ाट अशोक ने अपने अशोक त भ मे संह का
नमाण कया है।
इसके अलावा स ाट अशोक ने सभी संह का मुख चारो मुख दशा मे कया िजसका भी
एक बहुत अहम मकसद था, इन सभी संह का मुख चारो दशा मे इस लए कया गया
यो क जब कोई भी मनु य बौ ध धम क ान ले लेता तो उसे अपने गु के बताए दशा
मे जाकर बौ ध धम का चार करना पढ़ता है, इस कारण से ह स ाट अशोक ने इस सभी
संह के आकृ त चारो मुख दशा मे करके बौ ध धम का चार कया।

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Ashok Stambh

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  • 2. अशोक त भ के नमाण क बात करे तो आपको बता दे क इसका नमाण मौय वंस के समय मे स ाट अशोक के शासन कल मे हुआ था और आज के समय मे आपको उसी समय के बने तंब या पूत के अवशेष सारनाथ मे देखने को मल सकते है। इस Ashok piller sarnath​ का नमाण चुनार के बलुआ प थर से 45 फु ट के लंबे और गोल दंड का नमाण कया गया है, इस त भ के कु छ भाग को जमीन मी डाला गया और बाक के ह से को ऊपर के तरफ से पतला क तरफ बढ़ता हुआ बनाया गया है। त भ से ऊपर क तरह से एक उ टे कमल के फू ल क आकृ त और फर उसके ऊपर बैठने लायक एक चौकोर प थर का नमाण कया गया है, इस प थर के ऊपर चार संह का नमाण कया गया है जो क एक चरो दशा मे अपना मुह भाग कए हुये और पीछे का ह सा एक समान चपका हुआ है। इस आकृ त मे आपको सभी संह के बीच मे एक पतला त भ भी देखने को मल सकता है, िजसमे आपको 32 त लयो से बना एक च देखने को मलेगा और इस च क आकृ त क बात करे तो आपको तह च क तमा हमारे भारत देश के तरंगा मे भी देखने को मल सकती है।
  • 3. अशोक त भ का उ दे य पाल ंथ के अनुसार संह को बौ ध धम का पयाय माना गया है िजस कारण गौतम बु ध वारा उपदे शत ध माक क पव ाना ( Dhammacakkappavattana​ ) को संह क गजन माना गया है इस कारण से ह स ाट अशोक ने अपने अशोक त भ मे संह का नमाण कया है। इसके अलावा स ाट अशोक ने सभी संह का मुख चारो मुख दशा मे कया िजसका भी एक बहुत अहम मकसद था, इन सभी संह का मुख चारो दशा मे इस लए कया गया यो क जब कोई भी मनु य बौ ध धम क ान ले लेता तो उसे अपने गु के बताए दशा मे जाकर बौ ध धम का चार करना पढ़ता है, इस कारण से ह स ाट अशोक ने इस सभी संह के आकृ त चारो मुख दशा मे करके बौ ध धम का चार कया।