1. विशेषण–विशेषणके भेद
जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की वर्शेषता का बोध हो, उसे वर्शेषण कहते हैं |
िैसे : यह पेड़ विशाल है |
र्ैशाली लंबी है |
र्ह गाय सफे द है |
मेज़ पर चार पुस्तकें रखी हैं |
विशेष्य क्या होता है :- जिसकी वर्शेषता बताई िाती है उसे वर्शेष्य कहते हैं अथातव जिस संज्ञा और
सर्वनाम की वर्शेषता बताई िाती है उसे वर्शेष्य कहते हैं। वर्शेष्य को वर्शेषण के पहले या बाद में भी
ललखा िा सकता है।
जैसे :- वर्द्र्ान्अध्यापक , सुंदर गीता , थोडा सा िल लाओ , खीरा कडर्ा है , सेब मीठा , आसमान
नीला
( आसमान – वर्शेष्य , नीला –वर्शेषण )
प्रविशेषण – कु छ शब्द वर्शेषणों की भी वर्शेषता बताते हैं, ऐसे शब्दों को प्रवर्शेषण कहते हैं;
जैसे →र्ह अतत सुंदर है | ( अतत – प्रवर्शेषण)
मोहन बहुत मोटा है | बहुत _ प्रवर्शेषण)
2. विशेषण के भेद
विशेषण के भेद
1. गुणर्ाचक वर्शेषण
2. संख्यार्ाचक वर्शेषण
3. पररमाणर्ाचक वर्शेषण
4. सार्वनालमक या संके तर्ाचक वर्शेषण।
1. गुणिाचक विशेषण
जिस वर्शेषण से संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रंग या आकार, आदद का बोध हो उसे गुणर्ाचक
वर्शेषण कहते हैं; िैसे - आम मीठा है।
2. संख्यािाचक विशेषण
जिस वर्शेषण से संख्या का पता चले उसे संख्यार्ाचक वर्शेषण कहते हैं; िैसे- तीन, पााँच, चार, आठ,
दस आदद।
संख्यार्ाचक वर्शेषण के दो उपभेद हैं
तनजचचत संख्यार्ाचक
अतनजचचत संख्यार्ाचक
(i) तनजचचत संख्यार्ाचक – जिन वर्शेषण शब्दों से तनजचचत संख्या का बोध होता है, उन्हें तनजचचत
संख्यार्ाचक वर्शेषण कहते हैं; िैसे- पााँच छात्र, पााँच गाएाँ, दस आम, एक दिवन के ले आदद।
3. (ii) अतनजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण – जिन वर्शेषण शब्दों से तनजचचत संख्या का बोध न हो, उन्हें
अतनजचचत संख्यार्ाचक वर्शेषण कहते हैं; िैसे- कु छ लड़के , थोड़े पैसे, बहुत पुस्तकें ।
3. पररमाणिाचक विशेषण
िो वर्शेषण अपने वर्शेष्य की मात्रा या पररमाण के वर्षय में िानकारी देते हैं, पररमाणर्ाचक
वर्शेषण कहे िाते हैं। पररमाणर्ाचक वर्शेषण भी तनम्नललखखत दो प्रकार के होते हैं
(i) तनजचचत पररमाणर्ाचक – जिन वर्शेषण शब्दों से ककसी र्स्तु की तनजचचत मात्रा का ज्ञान हो, उन्हें
तनजचचत पररमाणर्ाचक वर्शेषण कहते हैं; िैसे-
बाज़ार से दस ककलो आटा ले आओ।
चार लीटर दूध देना।
(ii) अतनजचचत पररमाणर्ाचक-जिन वर्शेषण शब्दों से र्स्तु की तनजचचत मात्रा का बोध न हो, उन्हें
अतनजचचत पररमाणर्ाचक वर्शेषण कहते हैं; िैसे-
कु छ कपड़ा मुझे दे दो।
थोड़ा सा दूध लेकर िाओ।
4. सािवनाममक या संके तिाचक विशेषण
िो सर्वनाम शब्द संज्ञाओं से पहले आकर उनकी ओर संके त करते हैं, उन्हें ‘संके तर्ाचक वर्शेषण’
कहते हैं; िैसे- ये आम, र्ह कमीि, ये वर्शेषण सर्वनाम से बने हैं, अतः इन्हें सार्वनालमक वर्शेषण भी
कहते हैं।
भाषा की बात : page 3 Test Book
1.स्िणव – श्ुंखला और लाल ककरण-सी में रेखांककत शब्द गुण िाचक विशेषण हैं I कविता से
ढूँढकर इस प्रकार के तीन और उदाहरण मलखखए I
उत्तर :
1. पुलककत - पंख
2. कटुक – तनबौरी
3. उन्मुक्त - गगन