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PATHYA KALPANA
By
Vd.Madhura B. Phadtare
Assistant professor –RSBK Dept.
Manda
• सिक्थैर्विःरहितो मण्डिः पेयासिक्थिमन्व्तं ।
• य्ागू्व िुसिक्था स्यात् र्लेपी र्रलद्र्ा ।।
-िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/344
•
• नीरे चतुर्वशगुणे सिद्धो मण्डस्््सिक्थकिः ।।
• शुण्ठीिैवध्िंयुक्तिः पाचनो र्ीपनिः स्मृतिः ।
- शारंग्धर िंहिता, मध्यम खण्ड, 3/170
Manda Guna
• आचायव चरकानुिार मण्ड में ननम्न गुण समलते
िैं।
•
• लंनित-र्ररक्त-स्नेि अजीणव तृष्ण क
े सलए
प्राणधारण
• स््ेर् जनन
• अन्ग्नर्ीपन
• ्ातानुलोमन
• स्रोतोमृर्ुकर
• अष्टगुण मण्ड-
• धावयत्रत्रकटु सिवधू्थमुद्गतण्डुलयोन्जतिः ।। 171।। भृष्टश्च
हिंगु तैलाभयां ि मण्डोऽष्टगुणिः स्मृतिः । र्ीपनिः प्राणर्ो
बन्स्तशोधनो रक्त्धवनिः ।।172।। ज््रन्ज्ि्वर्ोषघ्नो
मण्डोऽष्टगुण उच्यते ।
• शारंग्धर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/171-172
• लाजामण्ड-
• लाजै्ाव तण्डुलैमृवष्टेलावजमण्डिः प्रकीनतवतिः ।।
• श्लेष्म रपत्तिरों ग्रािी रपपािाज््रन्जवमतिः ।
• -शारंग्धर िंहिता. मध्यम खण्ड, 2/174
Lajamanda Guna
• आचायव चरकानुिार लाजामण्ड में निम्ि गुण िोते िैं।
• क्षामकण्ठ श्रमघ्िी क्षाम देह श्रमघ्िी अनिसारघ्ि
• िृष्णाहर अग्निजिि धािुसाम्यकर
• मूर्च्ाा निवारण दाहनिवारण मंदाग्नि िाशक
• बल्य ववषमाग्नि िाशक योवषि हहि
• स्थववर हहि सुक
ु मार हहि
य्ागू
• य्ागू
• िाध्यं चतुष्पलं द्रव्यं चतुिःषन्ष्टपलेजले ।
• त्क््ाथेनाधवसशष्टेन य्ागूं िाधयेद्धनाम ् । ।
- शारंगधर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/152
• पेय-यूष
• आम्राम्रातकजम्बु््क्कषाये र्पचेद््बुधिः ।
• य्ागूं शसलसभयुवक्तां तां मुक्त्ा ग्रिणींजयेत् ।।
• -शारंगधर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/153
•
• ्ाधधका स््ल्पसिक्था चतुर्वशगुणे जले ।।
• सिद्धा पेया र्ुधवर्ज्ञेया यूषिः ककं धचद्धनस्मृतिः ।
• -शारंग्धर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/167
• पेया लिुतरा र्ज्ञेया प्राहिणी धातुपुन्ष्टर्ा । 1368 ।।
कृ शरा कल्पिा -
कृ शरा कल्पिा -
• तण्डुलार्ासलिन्म्मश्रा ल्णाद्रवकहिंगुसभिः ।
• िंयुक्तािः िसलले सिद्धािः कृ शरा कधथता बुधैिः।।
-भा् प्रकाश, कृ ताश्र्गव
• खड़-काम्बललक
• खड काम्बसलको यूषर्शेषौ । तत्रं खडो द्र्र्धिः-ित
-िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/376, डल्डण व्याख्या
• ितकाणण शमीधावयानन न्स्नग्धानन-िंग्रािकाणण खडानन । -
• िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, डल्िण व्याख्या
• करप्थतक्रचांगेरीमररचाजान्जधचत्रक
ै िः।िुपक््िः खडयूषोऽयम्ll
-िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, डल्िण व्याख्या
Kambalik
• काम्बसलक ननमावण र्धधिः
काम्बसलकोऽपरिः ।
र्ध्यम्लल्ण स्नेि नतलमाष िमन्व्तिः ।
-िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, डल्िण व्याख्या
Raga –Shadava
• रागः-
• सितारुचकसिवधु्यैिः ि्ृक्षाम्लपरूषक
ै िः । जम्बूफलरिैयुवक्तो रागो
रान्जकथा कृ तिः ।।
-िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/383 में ्ल्िण
• षाडवः-
• स्पष्टाम्लमधुरोऽस्पष्ट कषायल्णोषणिः ।
• अनतक्तिः खाड्िः कोल करप्थायु-पहितिः ।।
• -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान,
वेशवारः-
• वेशवारः-
• मांिं ननरन्स्थ िुन्स््वनं पुनर्दवषहर् पेरषतम् ।
रपप्पलीशुन्ण्ठमररचगुडिरपविः िमन्व्तम् ।।369 ।।
• ऐकव्यं पाचये्िम्यग ् ्ेि्ार ्नत स्मृतिः ।
• ्ेि्ारो गुरुिः न्स्नग्धो बल्या ्ातरुजापििः।।370।।
-िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/369-370
•
Takra
• रूक्षमद्यद्धृतस्नेिं यतश्चानुद्धृतं िृतम् । तक्र
ं
र्ोषान्ग्न्लर्न््त्रर्धं तत् प्रयोजयेत् ।।
• -चरक िंहिता, धचकक्िा स्थान, 14/84
• 1. रुक्ष तक्र
• 2. अधवस्नेि युक्त
• 3. पूणव स्नेि युक्त
Takra
• आचायव भा्समश्र ने पांच प्रकारों का ्णवन ककया िै और तकों क
े प्रकारों का
आधार मुख्य रूप िे जल की मात्रा पर आधाररत िै।
• जल की मात्रा क
े िाथ-िाथ स्नेिांश पर भी आधाररत िै। िोलं
तु मधथतं तक्रमुर्न्श््च्छन्च्छकाऽरप च ।
-भा. प्रकाश पू्व तक्र्गव
• 1.िोल 2. उर्न्श््त
• 3.मधथत 4. तक्र
• 5.छन्च्छका
Takra types
•
घोल:-
• ििरं ननजवलं िोलं -भा. प्रकाश पू्व तक्र l
• यत्तु िस्नेिमजलं मधथत िोलमुच्यते ।। -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 45/85
• मथथिः
• -मधथतं ््िरोर्कम ् ।। 1 ।। -भा. प्रकाश पू्व तक्र्गव
• िक्र:-
• तक्र
ं पार्जलं प्रोक्तम - भा. प्रकाश पू्व. तक्र्गे
• उदग्वविः- उर्न्श््त्त््धव्ाररकम् । -मा. प्रकाश पू्व तक्र्गे
• उर्न्श््त् - कफकृ द् बल्यमामघ्नं परमं मतम् । “ --भा. प्रकाश पू्व तक्र्गे
• ्ग्र्च्काः-
• छन्च्छका िारिीना स्या्स््च्छा प्रचुर्ाररका । 1211--भा. प्र. पू्व तक्र्गे
• िक्रवगा-
• छन्च्छका शीतला लघ््ी रपत्तश्रमतृषािरी ।
• ्ातुनुत् कफकृ त् िा तु र्ीपनी ल्णान्व्ता ।। -भा. प्र. पू्व तक्र्गे
Properties of Takra
• िक्र क
े औषधीय गुण-कमा:
• तक
व ' तु मधुरमम्लं कषायानुरिमुष्ण्ीयव लिुरुक्षमन्ग्नर्ीपनं गरशोफा नतिारग्रिणी पाण्डुरो गशव:
प्लीिगुल्मारोचमर्षमज््रतृ ष्णाच्छहर्व प्रिे कशूलभेर्िः श्लेष्णाननलिरं मधुर र्पाक
ं ह्रयं
मूत्रकृ च्रस्नेिव्याप्प्रशमनम्ृष्यं च। -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 45/34
• शोफाश ग्रिणीर्ोषमूत्रग्रिोर्रारुचौ । स्नेिव्यापहर् पाण्डु््े तक्र
ं र्द्याद् गरेषु च।।
चरक िंहिता, िूत्र स्थान,
• ्ातश्लेष्मर्काराणां शतं चारप नन्तवते।
• नान्स्त तक्रात् परं ककन्चचर्ौषधं कफ्ातजे ।।
• -चरक िंहिता, धचकक्िा स्थान, 14/88
• कट्वर -
• र्ध्निः ििारकस्यात्र तक्र
ं कट््रसमष्यते । तक्र
ं ह्युर्न्श््वमधथतं पार्ाम्बबधावम्बु ननजवलम् ।।
• - पररभाषाप्रर्ीप
• दथध क
ु थचाका
•
• र्ध्ना िि पयिः पक््ं िा भ्ेर्धधक
ू धचवका । - ्ैद्यकपररभाषाप्रर्ीप-
•
• िक्र क
ु थचाका
•
• तक्र
े ण पक््ं यत् क्षीरं िा भ्ेत्तक्रक
ू धचवका । ।-्ैद्यकपररभाषाप्रर्ीप
•
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  • 1. PATHYA KALPANA By Vd.Madhura B. Phadtare Assistant professor –RSBK Dept.
  • 2. Manda • सिक्थैर्विःरहितो मण्डिः पेयासिक्थिमन्व्तं । • य्ागू्व िुसिक्था स्यात् र्लेपी र्रलद्र्ा ।। -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/344 • • नीरे चतुर्वशगुणे सिद्धो मण्डस्््सिक्थकिः ।। • शुण्ठीिैवध्िंयुक्तिः पाचनो र्ीपनिः स्मृतिः । - शारंग्धर िंहिता, मध्यम खण्ड, 3/170
  • 3. Manda Guna • आचायव चरकानुिार मण्ड में ननम्न गुण समलते िैं। • • लंनित-र्ररक्त-स्नेि अजीणव तृष्ण क े सलए प्राणधारण • स््ेर् जनन • अन्ग्नर्ीपन • ्ातानुलोमन • स्रोतोमृर्ुकर
  • 4. • अष्टगुण मण्ड- • धावयत्रत्रकटु सिवधू्थमुद्गतण्डुलयोन्जतिः ।। 171।। भृष्टश्च हिंगु तैलाभयां ि मण्डोऽष्टगुणिः स्मृतिः । र्ीपनिः प्राणर्ो बन्स्तशोधनो रक्त्धवनिः ।।172।। ज््रन्ज्ि्वर्ोषघ्नो मण्डोऽष्टगुण उच्यते । • शारंग्धर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/171-172 • लाजामण्ड- • लाजै्ाव तण्डुलैमृवष्टेलावजमण्डिः प्रकीनतवतिः ।। • श्लेष्म रपत्तिरों ग्रािी रपपािाज््रन्जवमतिः । • -शारंग्धर िंहिता. मध्यम खण्ड, 2/174
  • 5. Lajamanda Guna • आचायव चरकानुिार लाजामण्ड में निम्ि गुण िोते िैं। • क्षामकण्ठ श्रमघ्िी क्षाम देह श्रमघ्िी अनिसारघ्ि • िृष्णाहर अग्निजिि धािुसाम्यकर • मूर्च्ाा निवारण दाहनिवारण मंदाग्नि िाशक • बल्य ववषमाग्नि िाशक योवषि हहि • स्थववर हहि सुक ु मार हहि
  • 6. य्ागू • य्ागू • िाध्यं चतुष्पलं द्रव्यं चतुिःषन्ष्टपलेजले । • त्क््ाथेनाधवसशष्टेन य्ागूं िाधयेद्धनाम ् । । - शारंगधर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/152
  • 7. • पेय-यूष • आम्राम्रातकजम्बु््क्कषाये र्पचेद््बुधिः । • य्ागूं शसलसभयुवक्तां तां मुक्त्ा ग्रिणींजयेत् ।। • -शारंगधर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/153 • • ्ाधधका स््ल्पसिक्था चतुर्वशगुणे जले ।। • सिद्धा पेया र्ुधवर्ज्ञेया यूषिः ककं धचद्धनस्मृतिः । • -शारंग्धर िंहिता, मध्यम खण्ड, 2/167 • पेया लिुतरा र्ज्ञेया प्राहिणी धातुपुन्ष्टर्ा । 1368 ।।
  • 8. कृ शरा कल्पिा - कृ शरा कल्पिा - • तण्डुलार्ासलिन्म्मश्रा ल्णाद्रवकहिंगुसभिः । • िंयुक्तािः िसलले सिद्धािः कृ शरा कधथता बुधैिः।। -भा् प्रकाश, कृ ताश्र्गव
  • 9. • खड़-काम्बललक • खड काम्बसलको यूषर्शेषौ । तत्रं खडो द्र्र्धिः-ित -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/376, डल्डण व्याख्या • ितकाणण शमीधावयानन न्स्नग्धानन-िंग्रािकाणण खडानन । - • िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, डल्िण व्याख्या • करप्थतक्रचांगेरीमररचाजान्जधचत्रक ै िः।िुपक््िः खडयूषोऽयम्ll -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, डल्िण व्याख्या
  • 10. Kambalik • काम्बसलक ननमावण र्धधिः काम्बसलकोऽपरिः । र्ध्यम्लल्ण स्नेि नतलमाष िमन्व्तिः । -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, डल्िण व्याख्या
  • 11. Raga –Shadava • रागः- • सितारुचकसिवधु्यैिः ि्ृक्षाम्लपरूषक ै िः । जम्बूफलरिैयुवक्तो रागो रान्जकथा कृ तिः ।। -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/383 में ्ल्िण • षाडवः- • स्पष्टाम्लमधुरोऽस्पष्ट कषायल्णोषणिः । • अनतक्तिः खाड्िः कोल करप्थायु-पहितिः ।। • -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान,
  • 12. वेशवारः- • वेशवारः- • मांिं ननरन्स्थ िुन्स््वनं पुनर्दवषहर् पेरषतम् । रपप्पलीशुन्ण्ठमररचगुडिरपविः िमन्व्तम् ।।369 ।। • ऐकव्यं पाचये्िम्यग ् ्ेि्ार ्नत स्मृतिः । • ्ेि्ारो गुरुिः न्स्नग्धो बल्या ्ातरुजापििः।।370।। -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 46/369-370 •
  • 13. Takra • रूक्षमद्यद्धृतस्नेिं यतश्चानुद्धृतं िृतम् । तक्र ं र्ोषान्ग्न्लर्न््त्रर्धं तत् प्रयोजयेत् ।। • -चरक िंहिता, धचकक्िा स्थान, 14/84 • 1. रुक्ष तक्र • 2. अधवस्नेि युक्त • 3. पूणव स्नेि युक्त
  • 14. Takra • आचायव भा्समश्र ने पांच प्रकारों का ्णवन ककया िै और तकों क े प्रकारों का आधार मुख्य रूप िे जल की मात्रा पर आधाररत िै। • जल की मात्रा क े िाथ-िाथ स्नेिांश पर भी आधाररत िै। िोलं तु मधथतं तक्रमुर्न्श््च्छन्च्छकाऽरप च । -भा. प्रकाश पू्व तक्र्गव • 1.िोल 2. उर्न्श््त • 3.मधथत 4. तक्र • 5.छन्च्छका
  • 15. Takra types • घोल:- • ििरं ननजवलं िोलं -भा. प्रकाश पू्व तक्र l • यत्तु िस्नेिमजलं मधथत िोलमुच्यते ।। -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 45/85 • मथथिः • -मधथतं ््िरोर्कम ् ।। 1 ।। -भा. प्रकाश पू्व तक्र्गव • िक्र:- • तक्र ं पार्जलं प्रोक्तम - भा. प्रकाश पू्व. तक्र्गे
  • 16. • उदग्वविः- उर्न्श््त्त््धव्ाररकम् । -मा. प्रकाश पू्व तक्र्गे • उर्न्श््त् - कफकृ द् बल्यमामघ्नं परमं मतम् । “ --भा. प्रकाश पू्व तक्र्गे • ्ग्र्च्काः- • छन्च्छका िारिीना स्या्स््च्छा प्रचुर्ाररका । 1211--भा. प्र. पू्व तक्र्गे • िक्रवगा- • छन्च्छका शीतला लघ््ी रपत्तश्रमतृषािरी । • ्ातुनुत् कफकृ त् िा तु र्ीपनी ल्णान्व्ता ।। -भा. प्र. पू्व तक्र्गे
  • 17. Properties of Takra • िक्र क े औषधीय गुण-कमा: • तक व ' तु मधुरमम्लं कषायानुरिमुष्ण्ीयव लिुरुक्षमन्ग्नर्ीपनं गरशोफा नतिारग्रिणी पाण्डुरो गशव: प्लीिगुल्मारोचमर्षमज््रतृ ष्णाच्छहर्व प्रिे कशूलभेर्िः श्लेष्णाननलिरं मधुर र्पाक ं ह्रयं मूत्रकृ च्रस्नेिव्याप्प्रशमनम्ृष्यं च। -िुश्रुत िंहिता, िूत्र स्थान, 45/34 • शोफाश ग्रिणीर्ोषमूत्रग्रिोर्रारुचौ । स्नेिव्यापहर् पाण्डु््े तक्र ं र्द्याद् गरेषु च।। चरक िंहिता, िूत्र स्थान, • ्ातश्लेष्मर्काराणां शतं चारप नन्तवते। • नान्स्त तक्रात् परं ककन्चचर्ौषधं कफ्ातजे ।। • -चरक िंहिता, धचकक्िा स्थान, 14/88
  • 18. • कट्वर - • र्ध्निः ििारकस्यात्र तक्र ं कट््रसमष्यते । तक्र ं ह्युर्न्श््वमधथतं पार्ाम्बबधावम्बु ननजवलम् ।। • - पररभाषाप्रर्ीप • दथध क ु थचाका • • र्ध्ना िि पयिः पक््ं िा भ्ेर्धधक ू धचवका । - ्ैद्यकपररभाषाप्रर्ीप- • • िक्र क ु थचाका • • तक्र े ण पक््ं यत् क्षीरं िा भ्ेत्तक्रक ू धचवका । ।-्ैद्यकपररभाषाप्रर्ीप •