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BA V Sem
BHU
वििाह विधि
By
Prachi Virag Sontakke
वििाह
• पवित्र
• लौकिि-पारलौकिि महत्ता
• प्रिार : अपनी सीमाएँ , गुण , दोष
• शास्त्त्र सम्मत एिं मान्य : ब्रह्म ,आषष, दैि,
प्राजापत्य
• गांििष , आसुर
• ननिृ ष्ट : राक्षस , पैशाच
• अन्य प्रिार : स्त्ियंिर, अनुलोम-प्रनतलोम
Kalyana-sundara-murti
Vamana Temple, Khajuraho.
Kalyanasundar-murti, Ellora.
Kalyanasundara-murti,Elephanta Caves
धर्म पालन
Fulfilment of Dharma
संतानोत्पत्ति
Procreation
रतत सुख पूततम
Sexual satisfaction
ऋण र्ुक्तत
Deliverance from debts
त्तििाह क
े उद्देश्य
Aims of marriage
वििाह हेतु आयु : िर Marital age for groom
• िोई ननश्चचत आयु नह ं No fixed age.
• िेदाध्ययन ि
े उपरांत After completion of Brahmacharya ashram
• िेदाध्ययन समाश्तत िी अिधि भिन्न : 12, 24, 36,48
• मनु : 30 िषष िा पुरुष 12 िषष िी लड़िी या 24 िा पुरुष 8 िषष िी लड़िी से
वििाह िर सिता है
• विष्णुपुराण : िन्या एिं िर िी आयु िा अनुपात 1:3 होना चाहहए
• Vishnupurana: Ratio between the ages of bride & groom should be 1:3
• महािारत : ऐसी िन्या िी उपमा जो 60 िषष ि
े पुरुष से वििाह हेतु तैयार नह ं
वििाह हेतु आयु : ििू Marital age for bride
• ऋग्िेद : किसी िी अिस्त्था में वििाह Any Age. No specific age
mentioned.
• गुह्यसूत्र + िमषसूत्र : युिािस्त्था ि
े ननिट वििाह / यौिना होने से पूिष वििाह
• गौतम + िभशष्ठ : िन्या िर से अिस्त्था में छोट होनी चाहहए
• गौतम : यहद वििाह योग्य िन्या वपता द्िारा वििाहहत नह ं िी जा सि
े तो
िह 3 मास िी अिधि पार िर अपने मन अनुि
ू ल पनत िा िरण िर सिती
है
वििाह हेतु पात्रता : िर Eligibility for marriage: Groom
• िश्जषत ननिट संबंिी : सगोत्र-सवपंड
• अल्पियस्त्ि नह ं : िय सीमा अस्त्पष्ट
• शार ररि-मानभसि रूप से अस्त्िस्त्थ
नह ं : व्यिहाररि ननषेि
• बड़ा िाई अवििाहहत नह ं
• पत्नी जीवित
• Not in Sagotra-sapinda
• Not with minor. But age limit not
specific for deciding who is a minor.
• Not with physically-mentally
challenged: practical restriction?
• Not with groom whose elder brother
is unmarried
• Can’t marry if wife is alive.
वििाह हेतु पात्रता : िर Eligibility for marriage: Groom
• मनु : िन्या िले ह आजीिन अवििाहहत रह जाए परंतु वपता उसिा
सद्गुणविह न व्यश्तत से वििाह ना िरे
• Manu: A maiden may remain unmarried but she shouldn’t be married to a
immoral man
• बौिायन िमषसूत्र : िन्या िा वििाह शीघ्र िले ह िर गुण ह न
• Baudhayan Dharmasutra: Maidens should be married off soon even with a
quality less groom.
वििाह हेतु पात्रता : िन्या Eligibility for bride
• याज्ञिल्तय + मनु : अक्षत योनन िाल सजातीय िन्या Should be a Virgin of same caste
• वििाह ि
े भलए िचनबद्ि िन्या से अन्य िा वििाह नह ं Not with a betrothed maiden
• सििा-विििा नह ं Not already married/not a widow
• प्रिट-सूक्ष्म दुगुषण युतत Not with open/hidden flaws
• बड़ी बहन अवििाहहत Not with unmarried elder sister
• याज्ञिल्तय : भ्राताह न नह ं Not without a brother
वििाह विधि Process of marriage
• िाग्दान : वपता / िाई द्िारा िचन
• स्त्िीिृ नत : दोनों पक्षों िी सहमनत-
िचनबद्िता
• िैिाननि महत्त्ि स्त्िीिृ नत िा ज्यादा
• भमताक्षरा : विशेष श्स्त्थनत में िचन िंग
िा प्राििान –अपराि नह ं
• महािारत : पाणण ग्रहण ति िन्या िो
िोई िी मांग सिता है
वििाह ि
े िैिाननि पररणाम
Legal consequences of marriage
• पनत-पत्नी िा एि दूसरे पर आधिपत्य
• परंतु अधििारों िी समानता नह ं
• िाभमषि क्षेत्र ि
े अनतररतत पृथि अश्स्त्तत्ि
• िैिाहहि अधििारों ि
े उल्लंघन पर प्रनतिार िी
अनुमनत
• पनत ि
े क्र
ू र/ ननष्ठु र व्यिहार पर पत्नी िो िैिाहहि
अधििारों ि
े सम्पादन हेतु बाध्य नह ं िर सिते
• व्याभिचार : घोर पाप-िीषण अपराि = िठोर दंड
• व्याभिचार िा क्षेत्र व्यापि : एिांत में िाताषलाप,
िस्त्त्रािूषण छ
ू ना
पत्नी ि
े सांपवत्ति अधििार
• मनु : पत्नी, पुत्र, दास िी सामान्य तौर पर अपनी िोई संपवत्त नह ं । िह िो जो
िन िमाये िह स्त्िामी िा।
• आपस्त्तंि : पनत-पत्नी ि
े बीच वििाजन िा िोई प्रचन ह नह ं उठता
• पनत िी अनुपश्स्त्थनत में यहद पत्नी औधचत्यपूणष ढंग से िेंट दे तो िह चोर नह ं
• पत्नी संयुतत संपवत्त मे अंशहर
• याज्ञिल्ि : स्त्त्रीिन ि
े अिाि मे पुत्र ि
े समान िाग प्रातत
• भमताक्षरा : यहद स्त्त्रीिन प्रातत तो पुत्र ि
े िाग िा आिा िाग प्रातत
• दायिाग : ि
े िल पुत्रह न पश्त्नयों िो ह अधििार माना है
बहुपत्नीत्ि
• हहन्दू विधि ि
ु छ विशेष पररश्स्त्थतधथयों में ह पुरुष िो एि से अधिि जीवित पश्त्नयाँ
रखने िा वििान िरती है। Allowed under certain specific conditions
• बहुपत्नीत्ि वििाह किसी िी दशा में विधि विरुद्ि नह ं था Not illegal
• ननषेि व्यािहाररि नह ं मात्र ननदेशात्मि Prohibition just instructional not practical
• शास्त्त्र : अवप्रय बोलने मात्र से ह िोई पुरुष अपनी पत्नी िी उपेक्षा िरि
े दूसरा वििाह
िर सिता है A Man can take another wife if his first wife doesn’t speak as per his like
• मनु : प्रथम वििाह अपनी ह जानत िी स्त्त्री ि
े साथ मान्य किन्तु यहद िोई पुरुष दूसरा
वििाह िरना चाहे तो अपने से ननम्न जानत िी स्त्त्री ि
े साथ ह िर सिता है
ऋण िुगतान Payment of Debts
• याज्ञिल्तय : पनत-पत्नी एि दूसरे ि
े ऋण ि
े भलए उत्तरदायी अगर ऋण
पाररिाररि हहत हेतु भलया गया है Husband – wife responsible for each other
debts.
• नारद : पत्नी बाध्य नह ं ऋण िुगतान हेतु Wife not compelled to pay debts
of her husband
• िात्यायन : पत्नी/माता ि
े ऋण पर पनत/पुत्र तिी उत्तरदायी जब उनिी
स्त्िीिृ नत से ऋण भलया गया हो या िह ऋण पाररिाररि हहत हेतु हो. Husband
is responsible to pay off debts taken by his wife if it was taken with his approval
संतान संबंिी वििाह विधि
• संतानोत्पनत वििाह िा अननिायष ितषव्य
• वििाह िा प्रिार संतान िी िैिता ननिाषररत िरता है
• शास्त्त्रानुमोहदत ढंग से उत्पन्न पुत्र िैि
• िैि संतानों िा स्त्िािाविि संरक्षि
• संतानों पर पूणष अधििार : दत्ति देने िा अधििार
• दायिाग : तब ति संतान िा िरण-पोषण जब ति असहाय-असमथष
• भमताक्षरा : संतान िा िरण-पोषण जीिन िर = पुत्र अंशहर
वििाह विच्छेद Dissolution of Marriage
• सामान्य सािारण अथष में विच्छेद अज्ञात
• हहन्दू वििाह = िाभमषि संस्त्िार = पवित्र गठबंिन : संविदा नह ं
• मृत्यु पयंत िा संबंि
• मनु : ना विक्रय द्िारा, ना पररत्याग द्िारा पत्नी िो अलग िर सिता है पनत
• पनत िी मृत्यु पचचात िी पत्नी िो वििाह िी अनुमनत नह ं
• पराशर + नारद : विशेष पररश्स्त्थनत में पुत्र उत्पवत्त हेतु वििाह िी अनुमनत प्रदान
• परंतु ऐसे वििाह से उत्पन्न पुत्र िी सामाश्जि उपेक्षा ि
े प्रमाण
• Literature: पत्नी पररत्याग िा उल्लेख
पत्नी पररत्याग ि
े मान्य आिार
• मादि द्रव्यों िा सेिन
• अनैनति व्यिहार : साहस / संग्रहण (बल से, िोखे से, िामवपपासा से)
• संतानोत्पवत्त मे असमथष
• दुरिाषी
• मनु : स्त्िेच्छाचाररणी पत्नी िा पररत्याग िर सिते है परंतु उसिा िि नह ं
िर सिते है
परगमन : िैिाननि दृश्ष्ट
• ि
ु छ िमष शास्त्त्रों में स्त्त्री द्िारा परगमन िो ि
े िल उप-पाति (हलि
े -फ
ु ल्ि
े पाप) िी श्रेणी
में रखा गया है
• सामान्यतः पारगमन पाप - ि
ु छ ग्रंथों में प्रायश्चचत िा वििान
• अन्य में यह माना गया कि परगमन से उत्पन्न दोष माभसि िमष पचचात स्त्ियं दूर हो
जाता है
• नारद स्त्मृनत : यहद िोई स्त्त्री परगमन िी श्स्त्थनत में पिड़ी जाए तो उसिा मुंडन िरा
देना चाहहए, ह न शय्या, सामान्य िोजन देना चाहहये तथा उसे घर िी साफ सफाई में
समय व्यतीत िरना चाहहये
• विधि, ऐसे अपराि में भलतत व्यश्तत िी सामाश्जि श्स्त्थनत पर िी ननिषर
परगमन : िैिाननि दृश्ष्ट
• स्त्मृनत ग्रंथ : पत्नी ि
े परगमन पर पनत द्िारा उसिा पररत्याग
• आपस्त्तंि : वििाहहत नार ि
े साथ संिोग िरने िाले िा भशचन एिं अंड
िाटने िा वििान
• नारद : भशचन ितषन िा दंड
• मत्स्त्य पुराण : ब्राह्मण िो छोड़िर िर अन्य जानत ि
े पुरुष िो प्राण दंड /
भशचन ितषन
• िौहटल्य + याज्ञिल्तय : प्रव्रश्जतागमन पर मात्र 24 पण िा दंड
पनत पररत्याग ि
े मान्य आिार
• पनत अनुपश्स्त्थत
• ि
े िल ननदषयता, नतरस्त्िार, क्र
ू र व्यिहार पररत्याग ि
े न्यायोधचत
आिार नह ं
• मनु : पनत पागल ,जघन्य अपरािी, नपुंसि हो तो उसिी उपेक्षा िी
जा सिती है परंतु पररत्याग नह ं
• पाराशर + नारद : ऐसी श्स्त्थनत में पनत ि
े पूणष पररत्याग िी छ
ू ट
पररत्याग : पत्नी ि
े अधििार
• बबना औधचत्य ि
े पनत िा त्याग िरने पर पत्नी गुजारा पाने िी हिदार नह ं
• पनत यहद पत्नी द्िारा पररत्याग िरने पर आपवत्त नह ं िरता और बाद मे यहद पत्नी पुनः पनत ि
े
पास आना चाहे और पनत इसि
े भलए तैयार ना हो तो िह पत्नी िी पनत से गुजारा पाने िी
हिदार
• यहद िफादार-ितषव्यपरायण पत्नी िा पररत्याग पनत िरे तो पत्नी संपवत्त ि
े 1/3 हहस्त्सा अपने
गुजारे ि
े रूप मे मांग सिती है।
• यह पत्नी स्त्ियं पनत िा पररत्याग िरे तो सशतष गुजरा
• दुचचररत पत्नी िो गुजारे से िंधचत रखा गया है
• गुजारा भमलने ि
े पचचात अगर पत्नी दुराचार हुई तो गुजारा िापस लेने िा ननयम
• नारद : िृ तघ्न पत्नी िो दंड स्त्िरूप ह न शय्या, तुच्छ िोजन, ननिृ ष्ट आिास
स्त्त्री िन: स्त्िरूप
• हहन्दू विधि िा श्तलष्टम अंश
• अत्यंत दुरूह एिम व्यापि स्त्िरूप: िई व्याख्याएँ उपलब्ि
• पयाषतत मतिेद = संघषष िा उिषर क्षेत्र
• स्त्त्रीिन िई स्त्त्रोतों से प्रातत = िेंट / क्रय / उत्तराधििार
• उपिोग ि
े अधििार स्त्त्रीिन ि
े प्रिार पर आिाररत
• दुरोपयोग पर दंड िा प्राििान
• विशेष श्स्त्थनत में स्त्ित्ि िी समाश्तत = राजिेद, परपुरुष गमन , समाज विरोिी
व्यसन
• स्त्त्री िन ि
े उत्तराधििार िा पृथि दायाद क्रम
उत्पवत्त
• िाणे + िेदालन्िार : िैहदि युग में वििाह ि
े समय द गई िेंट
• अ.स.अल्तेिर : शुल्ि प्रथा=िर द्िारा वििाह हेतु ििूपक्ष से भलया गया िन
• शुल्ि प्रथा िैहदि िाल न नह ं
• ग़ौतम ने सिषप्रथम स्त्त्री िन िा उल्लेख किया परंतु पररिावषत नह ं
• िौहटल्य ने सिषप्रथम स्त्त्री िन िी पररिाषा द
अथष
• िौहटल्य : िृवत्त + आबध्य
• िृवत्त = जीिनिृवत्त: िू-संपवत्त, सोना। अधिि से अधिि 2000 पण
• आबध्य = जो शर र में बांिा जा सि
े - आिूषण, िस्त्त्र। िोई सीमा नह ं
• िात्यायन + व्यास : िौहटल्य से सहमत
• पी.िी.िाणे : िह िन श्जसे स्त्त्री वििाहोपरांत स्त्ियं ि
े श्रम से अश्जषत िरती है
िह स्त्त्री िन नह ं है
• विज्ञानेचिर : किसी िी प्रिार िा िन स्त्त्री िन बन सिता है चाहे िह स्त्त्री
द्िारा किसी पुरुष िी विििा ि
े रूप मे उत्तराधििार में प्रातत हो या किसी पुरुष
िी माता/पत्नी िी हैभसयत से वििाजन में।
स्त्त्री िन : दायिाग ि
े अनुसार
• स्त्त्रीिन िह है श्जसिा पनत से स्त्ितंत्र रहते पत्नी दान,विक्रय एिं उपिोग िर सि
े .
• भशल्प, िौशल, श्रम से अश्जषत संपवत्त/िन स्त्त्री िन नह ं
• संबंिी से भिन्न व्यश्तत से प्रातत िेंट स्त्त्री िन नह ं
• उत्तराधििार मे प्रातत स्त्थािर संपवत्त स्त्त्री िन नह ं
स्त्त्री िन ि
े प्रिार
• मनु : 6 प्रिार
• अध्याश्ग्न = वििाह में अश्ग्न ि
े समक्ष हदया गया
• अध्यािहननि = विदाई में हदया गया
• प्रीनतदत्त = स्त्नेहिश हदया गया
• प्रीनतिमष = माता वपता िाई द्िारा हदया गया
• अन्िािेय = वििाह ि
े बाद भमलने िाल िेंट
• आधििेदननि = पनत द्िारा दूसरा वििाह िरने पर प्रथम पत्नी िो हदया गया
स्त्त्री िन ि
े प्रिार
• िात्यायन : 6 प्रिार
• अध्याश्ग्न = वििाह में अश्ग्न ि
े समक्ष हदया गया
• अध्यािहननि = विदाई में हदया गया
• प्रीनतदत्त = स्त्नेहिश हदया गया
• अन्िािेय = पनत ि
ु ल से प्रातत िेंट
• शुल्ि = गृहस्त्थी से संबंधित िेंट - बतषन, पशु, सेिि
• सौदानयि = िन्या ि
े रूप मे मायि
े से प्रातत + पत्नी ि
े रूप मे ससुराल से प्रातत
स्त्त्री िन ि
े प्रिार
व्यिहार मयूख : 2 प्रिार
• पाररिावषि = िह स्त्त्री िन श्जसिो ऋवषयों ने बताया
• अपाररिावषि = िह िन जो वििाजन/भशल्प से प्रातत
अन्य :
• सौदानयि : िन्या ि
े रूप मे मायि
े से प्रातत + पत्नी ि
े रूप मे ससुराल से
प्रातत
• असौदानयि : भशल्प / श्रम / संबंधियों से प्रातत िन
स्त्त्री िन िा उपिोग: स्त्ियं द्िारा
िात्यायन :
• ि
ु मार स्त्त्री = सिी प्रिार ि
े स्त्त्री िन िा मनोनुि
ू ल उपिोग िर सिती है
• विििा = पनत द्िारा प्रदत्त अचल संपवत्त िो छोड़िर सिी प्रिार ि
े स्त्त्री िन
िा उपयोग िर सिती है
• सििा स्त्त्री : ि
े िल सौदानयि स्त्त्रीिन िा ह व्यय िर सिती है
देिल :
सौदानयि + िन + शुल्ि + लाि + आिूषण – सिी िा पूणष उपिोग
स्त्त्री िन िा उपिोग : अन्य द्िारा
• विपवत्त िाल में िी वपता, पनत, पुत्र स्त्त्री िन िा उपयोग नह ं िर सिते
• िात्यायन : यहद पनत, वपता, पुत्र, िाई स्त्त्रीिन िा उपयोग उसिी इच्छा ि
े विरुद्ि
बल पूिषि िरते है तो िे न ि
े िल ब्याज सहहत इस िन िो लौटाने ि
े भलए ह
बाध्य है बश्ल्ि िे इस अनाधििृ त िायष ि
े भलए दंड ि
े िी िोगी है
• यहद िे स्त्त्री िी अनुमनत से स्त्त्री िन िा उपयोग िरते है तो िनी होने पर उन्हे
िन िापस िर देना चाहहए
• मनु : स्त्त्री िन िा अनाधििृ त उपयोग िरने िाले दायदों ि
े भलए राज्य द्िारा दंड
िा वििान
असौदानयि स्त्त्रीिन िा उपिोग
• असौदानयि स्त्त्रीिन = भशल्प / श्रम / संबंधियों से प्रातत िन
• िात्यायन : भशल्प एिं संबंधियों से प्रातत िन पर पनत िा स्त्िाभमत्ि
• दायिाग : इस िन िा उपयोग पनत विपवत्त में ना रहने पर िी स्त्िेच्छा से
िर सिता है
• पनत िी मृत्यु ि
े पचचात ह स्त्त्री असौदानयि स्त्त्रीिन िा व्यय स्त्िेच्छा से
िर सिती है
• उसिी मृत्यु उपरांत उस िन ि
े दायाद पनत ि
े नह ं उसि
े उत्तराधििार होंगे
स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम
• एिरूप व्यिस्त्था नह ं
• लोिाचार एिं िालानुक्रम ि
े अनुसार
• गौतम : स्त्त्रीिन सिषप्रथम पुबत्रयों िो भमलता है। ि
ु मार िन्याओं िो
िर यता तथा वििाहहतों में सम्पन्न िी तुलना में विपन्न िो िर यता
• नारद : मृत िन्याओ िी संतानों िो पुत्रों िी तुलना में प्राथभमिता
• बौिायन, नारद, याज्ञिल्ि, िात्यायन: स्त्त्रीिन िी उत्तराधििार पुत्री
• भमताक्षरा : पुरुष िा िन पुत्र िो तथा स्त्त्री िा िन पुत्री िो भमलना चाहहए
• िालांतर मे सिी प्रिार िी पुबत्रयों िो समान अधििार
स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम
• मनु : स्त्त्री िन पर पुत्र-पुत्री िा साथ-साथ एिं समान अधििार
• पराशर : स्त्त्रीिन िी एिमात्र उत्तराधििाररणी ि
ु मार िन्या। उसि
े अिाि
में वििाहहत पुत्री तथा पुत्र बराबर ि
े अधििार
• भमताक्षरा : िन्या ि
े अिाि में पुत्रों िो दायाद माना
• दायिाग : िन्या एिं पुत्र बराबर ि
े अधििार
स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम
िात्यायन:
• स्त्त्रीिन ि
े उत्तराधििार में िर यता ि
ु मार िन्या िो
• ि
ु मार िन्या ि
े अिाि मे वििाहहत िन्या अपने िाई ि
े साथ दायाद
• इन दोनों ि
े ना रहने पर विििा िन्या दायाद
• ननस्त्संतान मरने पर अचल संपवत्त िाई िो
स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम
• िात्यायन : शास्त्त्रानुमोहदत वििाह नह ं होने पर ननस्त्संतान स्त्त्री िा स्त्त्रीिन उसि
े
माता वपता िो प्रातत
• मनु : ब्रह्म,दैि,आषष,प्राजापत्य,गांििष वििाह प्रिारों से वििाहहत स्त्त्री ि
े ननस्त्संतान
मरने पर स्त्त्री िन उसि
े पनत िो भमलता है। परंतु आसुर, राक्षस एिं पैशाच वििाह
प्रिार से वििाहहत स्त्त्री ि
े संतानह न मरने पर उसिा स्त्त्रीिन उसि
े माता वपता िो
प्रातत
• याज्ञिल्ि : समान प्रारूप। गांििष िी धगनती आसुर ि
े साथ
• िौहटल्य : पुत्र-पुत्री स्त्त्रीिन बाँट लेते है। पुत्र ि
े अिाि में पुबत्रयाँ आपस में बाँट
लेती है। पुत्री-पुत्र ि
े अिाि में पनत िो प्रातत। परंतु शुल्ि, अन्िािेय, बंिु दत्त-
उसि
े संबंधियों िो प्रातत
स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम
• भमताक्षरा : स्त्त्री िन ि
े प्रिार ि
े आिार अनुसार दायाद क्रम िा ननिाषरण
• शुल्ि (गृहस्त्थी से संबंधित िेंट - बतषन, पशु, सेिि) = सगे िाई िो प्रातत। सगे िाई
ि
े अिाि में माता िो
• ि
ु मार िन्या िा स्त्त्रीिन = सहोदर िाई, माता, वपता , ननिटतम सवपंड
• अन्य प्रिार = ि
ु मार िन्या, ननिषन वििाहहत िन्या, िनी वििाहहत िन्या, पुत्री िी
पुबत्रयाँ,पुत्री ि
े पुत्र,सब पुत्र, पौत्र, पनत,पनत ि
े उत्तराधििार
• व्याभिचाररणी स्त्त्री िी उत्तराधििार पा सिती है किन्तु ि
ु मार पुबत्रयों ि
े पचचात ह
स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार : दायाद क्रम
दायिाग : िह िन्या स्त्त्रीिन िी उत्तराधििार जो साध्िी हो
• शुल्ि (गृहस्त्थी से संबंधित िेंट - बतषन, पशु, सेिि) = सहोदर िाई, माता,वपता
• यौति = अवििाहहत एिं आिाग्दत्ता पुबत्रयाँ, िाददत्त पुबत्रयाँ, पुत्रिती वििाहहत
िन्या, विििा पुत्री, पुत्र, पुबत्रयों ि
े पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र,विमाता पुत्र, विमाता पौत्र,
विमाता प्रपौत्र
• अन्िािेय (पनत ि
ु ल से प्रातत िेंट) = ि
ु छ अंतर ि
े साथ समान क्रम
स्त्त्रीिन िा महत्ि
• स्त्त्री िन वििाहहत हहन्दू स्त्त्री िा विशेष अधििार
• विधि एिं िमष सम्मत स्त्त्री िा सम्पवत्ति अधििार
• भिन्न प्रिार ि
े स्त्त्रोतों द्िारा प्रातत भिन्न भिन्न प्रिार िी संपवत्त िा द्योति
• ि
ु छ पर पूणषरूपेण स्त्त्री िा स्त्ित्ि, ि
ु छ पर पनत ि
े साथ सह स्त्िाभमत्ि
• उपिोग हेतु विशेष प्राििान
• ननयम उल्लंघन पर दंड वििान
• स्त्त्रीिन ि
े उत्तराधििार िा विशेष दायाद क्रम

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Laws of ancient Hindu marriage and Streedhan

  • 1. BA V Sem BHU वििाह विधि By Prachi Virag Sontakke
  • 2. वििाह • पवित्र • लौकिि-पारलौकिि महत्ता • प्रिार : अपनी सीमाएँ , गुण , दोष • शास्त्त्र सम्मत एिं मान्य : ब्रह्म ,आषष, दैि, प्राजापत्य • गांििष , आसुर • ननिृ ष्ट : राक्षस , पैशाच • अन्य प्रिार : स्त्ियंिर, अनुलोम-प्रनतलोम
  • 6. धर्म पालन Fulfilment of Dharma संतानोत्पत्ति Procreation रतत सुख पूततम Sexual satisfaction ऋण र्ुक्तत Deliverance from debts त्तििाह क े उद्देश्य Aims of marriage
  • 7. वििाह हेतु आयु : िर Marital age for groom • िोई ननश्चचत आयु नह ं No fixed age. • िेदाध्ययन ि े उपरांत After completion of Brahmacharya ashram • िेदाध्ययन समाश्तत िी अिधि भिन्न : 12, 24, 36,48 • मनु : 30 िषष िा पुरुष 12 िषष िी लड़िी या 24 िा पुरुष 8 िषष िी लड़िी से वििाह िर सिता है • विष्णुपुराण : िन्या एिं िर िी आयु िा अनुपात 1:3 होना चाहहए • Vishnupurana: Ratio between the ages of bride & groom should be 1:3 • महािारत : ऐसी िन्या िी उपमा जो 60 िषष ि े पुरुष से वििाह हेतु तैयार नह ं
  • 8. वििाह हेतु आयु : ििू Marital age for bride • ऋग्िेद : किसी िी अिस्त्था में वििाह Any Age. No specific age mentioned. • गुह्यसूत्र + िमषसूत्र : युिािस्त्था ि े ननिट वििाह / यौिना होने से पूिष वििाह • गौतम + िभशष्ठ : िन्या िर से अिस्त्था में छोट होनी चाहहए • गौतम : यहद वििाह योग्य िन्या वपता द्िारा वििाहहत नह ं िी जा सि े तो िह 3 मास िी अिधि पार िर अपने मन अनुि ू ल पनत िा िरण िर सिती है
  • 9. वििाह हेतु पात्रता : िर Eligibility for marriage: Groom • िश्जषत ननिट संबंिी : सगोत्र-सवपंड • अल्पियस्त्ि नह ं : िय सीमा अस्त्पष्ट • शार ररि-मानभसि रूप से अस्त्िस्त्थ नह ं : व्यिहाररि ननषेि • बड़ा िाई अवििाहहत नह ं • पत्नी जीवित • Not in Sagotra-sapinda • Not with minor. But age limit not specific for deciding who is a minor. • Not with physically-mentally challenged: practical restriction? • Not with groom whose elder brother is unmarried • Can’t marry if wife is alive.
  • 10. वििाह हेतु पात्रता : िर Eligibility for marriage: Groom • मनु : िन्या िले ह आजीिन अवििाहहत रह जाए परंतु वपता उसिा सद्गुणविह न व्यश्तत से वििाह ना िरे • Manu: A maiden may remain unmarried but she shouldn’t be married to a immoral man • बौिायन िमषसूत्र : िन्या िा वििाह शीघ्र िले ह िर गुण ह न • Baudhayan Dharmasutra: Maidens should be married off soon even with a quality less groom.
  • 11. वििाह हेतु पात्रता : िन्या Eligibility for bride • याज्ञिल्तय + मनु : अक्षत योनन िाल सजातीय िन्या Should be a Virgin of same caste • वििाह ि े भलए िचनबद्ि िन्या से अन्य िा वििाह नह ं Not with a betrothed maiden • सििा-विििा नह ं Not already married/not a widow • प्रिट-सूक्ष्म दुगुषण युतत Not with open/hidden flaws • बड़ी बहन अवििाहहत Not with unmarried elder sister • याज्ञिल्तय : भ्राताह न नह ं Not without a brother
  • 12. वििाह विधि Process of marriage • िाग्दान : वपता / िाई द्िारा िचन • स्त्िीिृ नत : दोनों पक्षों िी सहमनत- िचनबद्िता • िैिाननि महत्त्ि स्त्िीिृ नत िा ज्यादा • भमताक्षरा : विशेष श्स्त्थनत में िचन िंग िा प्राििान –अपराि नह ं • महािारत : पाणण ग्रहण ति िन्या िो िोई िी मांग सिता है
  • 13. वििाह ि े िैिाननि पररणाम Legal consequences of marriage • पनत-पत्नी िा एि दूसरे पर आधिपत्य • परंतु अधििारों िी समानता नह ं • िाभमषि क्षेत्र ि े अनतररतत पृथि अश्स्त्तत्ि • िैिाहहि अधििारों ि े उल्लंघन पर प्रनतिार िी अनुमनत • पनत ि े क्र ू र/ ननष्ठु र व्यिहार पर पत्नी िो िैिाहहि अधििारों ि े सम्पादन हेतु बाध्य नह ं िर सिते • व्याभिचार : घोर पाप-िीषण अपराि = िठोर दंड • व्याभिचार िा क्षेत्र व्यापि : एिांत में िाताषलाप, िस्त्त्रािूषण छ ू ना
  • 14. पत्नी ि े सांपवत्ति अधििार • मनु : पत्नी, पुत्र, दास िी सामान्य तौर पर अपनी िोई संपवत्त नह ं । िह िो जो िन िमाये िह स्त्िामी िा। • आपस्त्तंि : पनत-पत्नी ि े बीच वििाजन िा िोई प्रचन ह नह ं उठता • पनत िी अनुपश्स्त्थनत में यहद पत्नी औधचत्यपूणष ढंग से िेंट दे तो िह चोर नह ं • पत्नी संयुतत संपवत्त मे अंशहर • याज्ञिल्ि : स्त्त्रीिन ि े अिाि मे पुत्र ि े समान िाग प्रातत • भमताक्षरा : यहद स्त्त्रीिन प्रातत तो पुत्र ि े िाग िा आिा िाग प्रातत • दायिाग : ि े िल पुत्रह न पश्त्नयों िो ह अधििार माना है
  • 15. बहुपत्नीत्ि • हहन्दू विधि ि ु छ विशेष पररश्स्त्थतधथयों में ह पुरुष िो एि से अधिि जीवित पश्त्नयाँ रखने िा वििान िरती है। Allowed under certain specific conditions • बहुपत्नीत्ि वििाह किसी िी दशा में विधि विरुद्ि नह ं था Not illegal • ननषेि व्यािहाररि नह ं मात्र ननदेशात्मि Prohibition just instructional not practical • शास्त्त्र : अवप्रय बोलने मात्र से ह िोई पुरुष अपनी पत्नी िी उपेक्षा िरि े दूसरा वििाह िर सिता है A Man can take another wife if his first wife doesn’t speak as per his like • मनु : प्रथम वििाह अपनी ह जानत िी स्त्त्री ि े साथ मान्य किन्तु यहद िोई पुरुष दूसरा वििाह िरना चाहे तो अपने से ननम्न जानत िी स्त्त्री ि े साथ ह िर सिता है
  • 16. ऋण िुगतान Payment of Debts • याज्ञिल्तय : पनत-पत्नी एि दूसरे ि े ऋण ि े भलए उत्तरदायी अगर ऋण पाररिाररि हहत हेतु भलया गया है Husband – wife responsible for each other debts. • नारद : पत्नी बाध्य नह ं ऋण िुगतान हेतु Wife not compelled to pay debts of her husband • िात्यायन : पत्नी/माता ि े ऋण पर पनत/पुत्र तिी उत्तरदायी जब उनिी स्त्िीिृ नत से ऋण भलया गया हो या िह ऋण पाररिाररि हहत हेतु हो. Husband is responsible to pay off debts taken by his wife if it was taken with his approval
  • 17. संतान संबंिी वििाह विधि • संतानोत्पनत वििाह िा अननिायष ितषव्य • वििाह िा प्रिार संतान िी िैिता ननिाषररत िरता है • शास्त्त्रानुमोहदत ढंग से उत्पन्न पुत्र िैि • िैि संतानों िा स्त्िािाविि संरक्षि • संतानों पर पूणष अधििार : दत्ति देने िा अधििार • दायिाग : तब ति संतान िा िरण-पोषण जब ति असहाय-असमथष • भमताक्षरा : संतान िा िरण-पोषण जीिन िर = पुत्र अंशहर
  • 18. वििाह विच्छेद Dissolution of Marriage • सामान्य सािारण अथष में विच्छेद अज्ञात • हहन्दू वििाह = िाभमषि संस्त्िार = पवित्र गठबंिन : संविदा नह ं • मृत्यु पयंत िा संबंि • मनु : ना विक्रय द्िारा, ना पररत्याग द्िारा पत्नी िो अलग िर सिता है पनत • पनत िी मृत्यु पचचात िी पत्नी िो वििाह िी अनुमनत नह ं • पराशर + नारद : विशेष पररश्स्त्थनत में पुत्र उत्पवत्त हेतु वििाह िी अनुमनत प्रदान • परंतु ऐसे वििाह से उत्पन्न पुत्र िी सामाश्जि उपेक्षा ि े प्रमाण • Literature: पत्नी पररत्याग िा उल्लेख
  • 19. पत्नी पररत्याग ि े मान्य आिार • मादि द्रव्यों िा सेिन • अनैनति व्यिहार : साहस / संग्रहण (बल से, िोखे से, िामवपपासा से) • संतानोत्पवत्त मे असमथष • दुरिाषी • मनु : स्त्िेच्छाचाररणी पत्नी िा पररत्याग िर सिते है परंतु उसिा िि नह ं िर सिते है
  • 20. परगमन : िैिाननि दृश्ष्ट • ि ु छ िमष शास्त्त्रों में स्त्त्री द्िारा परगमन िो ि े िल उप-पाति (हलि े -फ ु ल्ि े पाप) िी श्रेणी में रखा गया है • सामान्यतः पारगमन पाप - ि ु छ ग्रंथों में प्रायश्चचत िा वििान • अन्य में यह माना गया कि परगमन से उत्पन्न दोष माभसि िमष पचचात स्त्ियं दूर हो जाता है • नारद स्त्मृनत : यहद िोई स्त्त्री परगमन िी श्स्त्थनत में पिड़ी जाए तो उसिा मुंडन िरा देना चाहहए, ह न शय्या, सामान्य िोजन देना चाहहये तथा उसे घर िी साफ सफाई में समय व्यतीत िरना चाहहये • विधि, ऐसे अपराि में भलतत व्यश्तत िी सामाश्जि श्स्त्थनत पर िी ननिषर
  • 21. परगमन : िैिाननि दृश्ष्ट • स्त्मृनत ग्रंथ : पत्नी ि े परगमन पर पनत द्िारा उसिा पररत्याग • आपस्त्तंि : वििाहहत नार ि े साथ संिोग िरने िाले िा भशचन एिं अंड िाटने िा वििान • नारद : भशचन ितषन िा दंड • मत्स्त्य पुराण : ब्राह्मण िो छोड़िर िर अन्य जानत ि े पुरुष िो प्राण दंड / भशचन ितषन • िौहटल्य + याज्ञिल्तय : प्रव्रश्जतागमन पर मात्र 24 पण िा दंड
  • 22. पनत पररत्याग ि े मान्य आिार • पनत अनुपश्स्त्थत • ि े िल ननदषयता, नतरस्त्िार, क्र ू र व्यिहार पररत्याग ि े न्यायोधचत आिार नह ं • मनु : पनत पागल ,जघन्य अपरािी, नपुंसि हो तो उसिी उपेक्षा िी जा सिती है परंतु पररत्याग नह ं • पाराशर + नारद : ऐसी श्स्त्थनत में पनत ि े पूणष पररत्याग िी छ ू ट
  • 23. पररत्याग : पत्नी ि े अधििार • बबना औधचत्य ि े पनत िा त्याग िरने पर पत्नी गुजारा पाने िी हिदार नह ं • पनत यहद पत्नी द्िारा पररत्याग िरने पर आपवत्त नह ं िरता और बाद मे यहद पत्नी पुनः पनत ि े पास आना चाहे और पनत इसि े भलए तैयार ना हो तो िह पत्नी िी पनत से गुजारा पाने िी हिदार • यहद िफादार-ितषव्यपरायण पत्नी िा पररत्याग पनत िरे तो पत्नी संपवत्त ि े 1/3 हहस्त्सा अपने गुजारे ि े रूप मे मांग सिती है। • यह पत्नी स्त्ियं पनत िा पररत्याग िरे तो सशतष गुजरा • दुचचररत पत्नी िो गुजारे से िंधचत रखा गया है • गुजारा भमलने ि े पचचात अगर पत्नी दुराचार हुई तो गुजारा िापस लेने िा ननयम • नारद : िृ तघ्न पत्नी िो दंड स्त्िरूप ह न शय्या, तुच्छ िोजन, ननिृ ष्ट आिास
  • 24. स्त्त्री िन: स्त्िरूप • हहन्दू विधि िा श्तलष्टम अंश • अत्यंत दुरूह एिम व्यापि स्त्िरूप: िई व्याख्याएँ उपलब्ि • पयाषतत मतिेद = संघषष िा उिषर क्षेत्र • स्त्त्रीिन िई स्त्त्रोतों से प्रातत = िेंट / क्रय / उत्तराधििार • उपिोग ि े अधििार स्त्त्रीिन ि े प्रिार पर आिाररत • दुरोपयोग पर दंड िा प्राििान • विशेष श्स्त्थनत में स्त्ित्ि िी समाश्तत = राजिेद, परपुरुष गमन , समाज विरोिी व्यसन • स्त्त्री िन ि े उत्तराधििार िा पृथि दायाद क्रम
  • 25. उत्पवत्त • िाणे + िेदालन्िार : िैहदि युग में वििाह ि े समय द गई िेंट • अ.स.अल्तेिर : शुल्ि प्रथा=िर द्िारा वििाह हेतु ििूपक्ष से भलया गया िन • शुल्ि प्रथा िैहदि िाल न नह ं • ग़ौतम ने सिषप्रथम स्त्त्री िन िा उल्लेख किया परंतु पररिावषत नह ं • िौहटल्य ने सिषप्रथम स्त्त्री िन िी पररिाषा द
  • 26. अथष • िौहटल्य : िृवत्त + आबध्य • िृवत्त = जीिनिृवत्त: िू-संपवत्त, सोना। अधिि से अधिि 2000 पण • आबध्य = जो शर र में बांिा जा सि े - आिूषण, िस्त्त्र। िोई सीमा नह ं • िात्यायन + व्यास : िौहटल्य से सहमत • पी.िी.िाणे : िह िन श्जसे स्त्त्री वििाहोपरांत स्त्ियं ि े श्रम से अश्जषत िरती है िह स्त्त्री िन नह ं है • विज्ञानेचिर : किसी िी प्रिार िा िन स्त्त्री िन बन सिता है चाहे िह स्त्त्री द्िारा किसी पुरुष िी विििा ि े रूप मे उत्तराधििार में प्रातत हो या किसी पुरुष िी माता/पत्नी िी हैभसयत से वििाजन में।
  • 27. स्त्त्री िन : दायिाग ि े अनुसार • स्त्त्रीिन िह है श्जसिा पनत से स्त्ितंत्र रहते पत्नी दान,विक्रय एिं उपिोग िर सि े . • भशल्प, िौशल, श्रम से अश्जषत संपवत्त/िन स्त्त्री िन नह ं • संबंिी से भिन्न व्यश्तत से प्रातत िेंट स्त्त्री िन नह ं • उत्तराधििार मे प्रातत स्त्थािर संपवत्त स्त्त्री िन नह ं
  • 28. स्त्त्री िन ि े प्रिार • मनु : 6 प्रिार • अध्याश्ग्न = वििाह में अश्ग्न ि े समक्ष हदया गया • अध्यािहननि = विदाई में हदया गया • प्रीनतदत्त = स्त्नेहिश हदया गया • प्रीनतिमष = माता वपता िाई द्िारा हदया गया • अन्िािेय = वििाह ि े बाद भमलने िाल िेंट • आधििेदननि = पनत द्िारा दूसरा वििाह िरने पर प्रथम पत्नी िो हदया गया
  • 29. स्त्त्री िन ि े प्रिार • िात्यायन : 6 प्रिार • अध्याश्ग्न = वििाह में अश्ग्न ि े समक्ष हदया गया • अध्यािहननि = विदाई में हदया गया • प्रीनतदत्त = स्त्नेहिश हदया गया • अन्िािेय = पनत ि ु ल से प्रातत िेंट • शुल्ि = गृहस्त्थी से संबंधित िेंट - बतषन, पशु, सेिि • सौदानयि = िन्या ि े रूप मे मायि े से प्रातत + पत्नी ि े रूप मे ससुराल से प्रातत
  • 30. स्त्त्री िन ि े प्रिार व्यिहार मयूख : 2 प्रिार • पाररिावषि = िह स्त्त्री िन श्जसिो ऋवषयों ने बताया • अपाररिावषि = िह िन जो वििाजन/भशल्प से प्रातत अन्य : • सौदानयि : िन्या ि े रूप मे मायि े से प्रातत + पत्नी ि े रूप मे ससुराल से प्रातत • असौदानयि : भशल्प / श्रम / संबंधियों से प्रातत िन
  • 31. स्त्त्री िन िा उपिोग: स्त्ियं द्िारा िात्यायन : • ि ु मार स्त्त्री = सिी प्रिार ि े स्त्त्री िन िा मनोनुि ू ल उपिोग िर सिती है • विििा = पनत द्िारा प्रदत्त अचल संपवत्त िो छोड़िर सिी प्रिार ि े स्त्त्री िन िा उपयोग िर सिती है • सििा स्त्त्री : ि े िल सौदानयि स्त्त्रीिन िा ह व्यय िर सिती है देिल : सौदानयि + िन + शुल्ि + लाि + आिूषण – सिी िा पूणष उपिोग
  • 32. स्त्त्री िन िा उपिोग : अन्य द्िारा • विपवत्त िाल में िी वपता, पनत, पुत्र स्त्त्री िन िा उपयोग नह ं िर सिते • िात्यायन : यहद पनत, वपता, पुत्र, िाई स्त्त्रीिन िा उपयोग उसिी इच्छा ि े विरुद्ि बल पूिषि िरते है तो िे न ि े िल ब्याज सहहत इस िन िो लौटाने ि े भलए ह बाध्य है बश्ल्ि िे इस अनाधििृ त िायष ि े भलए दंड ि े िी िोगी है • यहद िे स्त्त्री िी अनुमनत से स्त्त्री िन िा उपयोग िरते है तो िनी होने पर उन्हे िन िापस िर देना चाहहए • मनु : स्त्त्री िन िा अनाधििृ त उपयोग िरने िाले दायदों ि े भलए राज्य द्िारा दंड िा वििान
  • 33. असौदानयि स्त्त्रीिन िा उपिोग • असौदानयि स्त्त्रीिन = भशल्प / श्रम / संबंधियों से प्रातत िन • िात्यायन : भशल्प एिं संबंधियों से प्रातत िन पर पनत िा स्त्िाभमत्ि • दायिाग : इस िन िा उपयोग पनत विपवत्त में ना रहने पर िी स्त्िेच्छा से िर सिता है • पनत िी मृत्यु ि े पचचात ह स्त्त्री असौदानयि स्त्त्रीिन िा व्यय स्त्िेच्छा से िर सिती है • उसिी मृत्यु उपरांत उस िन ि े दायाद पनत ि े नह ं उसि े उत्तराधििार होंगे
  • 34. स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम • एिरूप व्यिस्त्था नह ं • लोिाचार एिं िालानुक्रम ि े अनुसार • गौतम : स्त्त्रीिन सिषप्रथम पुबत्रयों िो भमलता है। ि ु मार िन्याओं िो िर यता तथा वििाहहतों में सम्पन्न िी तुलना में विपन्न िो िर यता • नारद : मृत िन्याओ िी संतानों िो पुत्रों िी तुलना में प्राथभमिता • बौिायन, नारद, याज्ञिल्ि, िात्यायन: स्त्त्रीिन िी उत्तराधििार पुत्री • भमताक्षरा : पुरुष िा िन पुत्र िो तथा स्त्त्री िा िन पुत्री िो भमलना चाहहए • िालांतर मे सिी प्रिार िी पुबत्रयों िो समान अधििार
  • 35. स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम • मनु : स्त्त्री िन पर पुत्र-पुत्री िा साथ-साथ एिं समान अधििार • पराशर : स्त्त्रीिन िी एिमात्र उत्तराधििाररणी ि ु मार िन्या। उसि े अिाि में वििाहहत पुत्री तथा पुत्र बराबर ि े अधििार • भमताक्षरा : िन्या ि े अिाि में पुत्रों िो दायाद माना • दायिाग : िन्या एिं पुत्र बराबर ि े अधििार
  • 36. स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम िात्यायन: • स्त्त्रीिन ि े उत्तराधििार में िर यता ि ु मार िन्या िो • ि ु मार िन्या ि े अिाि मे वििाहहत िन्या अपने िाई ि े साथ दायाद • इन दोनों ि े ना रहने पर विििा िन्या दायाद • ननस्त्संतान मरने पर अचल संपवत्त िाई िो
  • 37. स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम • िात्यायन : शास्त्त्रानुमोहदत वििाह नह ं होने पर ननस्त्संतान स्त्त्री िा स्त्त्रीिन उसि े माता वपता िो प्रातत • मनु : ब्रह्म,दैि,आषष,प्राजापत्य,गांििष वििाह प्रिारों से वििाहहत स्त्त्री ि े ननस्त्संतान मरने पर स्त्त्री िन उसि े पनत िो भमलता है। परंतु आसुर, राक्षस एिं पैशाच वििाह प्रिार से वििाहहत स्त्त्री ि े संतानह न मरने पर उसिा स्त्त्रीिन उसि े माता वपता िो प्रातत • याज्ञिल्ि : समान प्रारूप। गांििष िी धगनती आसुर ि े साथ • िौहटल्य : पुत्र-पुत्री स्त्त्रीिन बाँट लेते है। पुत्र ि े अिाि में पुबत्रयाँ आपस में बाँट लेती है। पुत्री-पुत्र ि े अिाि में पनत िो प्रातत। परंतु शुल्ि, अन्िािेय, बंिु दत्त- उसि े संबंधियों िो प्रातत
  • 38. स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार: दायाद क्रम • भमताक्षरा : स्त्त्री िन ि े प्रिार ि े आिार अनुसार दायाद क्रम िा ननिाषरण • शुल्ि (गृहस्त्थी से संबंधित िेंट - बतषन, पशु, सेिि) = सगे िाई िो प्रातत। सगे िाई ि े अिाि में माता िो • ि ु मार िन्या िा स्त्त्रीिन = सहोदर िाई, माता, वपता , ननिटतम सवपंड • अन्य प्रिार = ि ु मार िन्या, ननिषन वििाहहत िन्या, िनी वििाहहत िन्या, पुत्री िी पुबत्रयाँ,पुत्री ि े पुत्र,सब पुत्र, पौत्र, पनत,पनत ि े उत्तराधििार • व्याभिचाररणी स्त्त्री िी उत्तराधििार पा सिती है किन्तु ि ु मार पुबत्रयों ि े पचचात ह
  • 39. स्त्त्रीिन िा उत्तराधििार : दायाद क्रम दायिाग : िह िन्या स्त्त्रीिन िी उत्तराधििार जो साध्िी हो • शुल्ि (गृहस्त्थी से संबंधित िेंट - बतषन, पशु, सेिि) = सहोदर िाई, माता,वपता • यौति = अवििाहहत एिं आिाग्दत्ता पुबत्रयाँ, िाददत्त पुबत्रयाँ, पुत्रिती वििाहहत िन्या, विििा पुत्री, पुत्र, पुबत्रयों ि े पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र,विमाता पुत्र, विमाता पौत्र, विमाता प्रपौत्र • अन्िािेय (पनत ि ु ल से प्रातत िेंट) = ि ु छ अंतर ि े साथ समान क्रम
  • 40. स्त्त्रीिन िा महत्ि • स्त्त्री िन वििाहहत हहन्दू स्त्त्री िा विशेष अधििार • विधि एिं िमष सम्मत स्त्त्री िा सम्पवत्ति अधििार • भिन्न प्रिार ि े स्त्त्रोतों द्िारा प्रातत भिन्न भिन्न प्रिार िी संपवत्त िा द्योति • ि ु छ पर पूणषरूपेण स्त्त्री िा स्त्ित्ि, ि ु छ पर पनत ि े साथ सह स्त्िाभमत्ि • उपिोग हेतु विशेष प्राििान • ननयम उल्लंघन पर दंड वििान • स्त्त्रीिन ि े उत्तराधििार िा विशेष दायाद क्रम