Inspire the future generation to assimilate knowledge - Brahmachari Girish
जिसका क्षय न हो वह अक्षय है और आज अक्षय तृतीया है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में कोई क्षय न हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। आप सब ज्ञान के क्षेत्र के लीडर हैं इसलिए आप सभी भावी पीढ़ी को रटने की नहीं बल्कि ज्ञान को आत्मसात करने की प्रेरणा दें। उक्त उद्गार आज महर्षि विद्या मंदिर, रतनपुर में महर्षि विद्या मंदिर समूह के चैयरमेन ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि विश्व शांति आंदोलन की इकाई सहस्रशीर्षा पुरूषा मंडल की स्थापना दिवस एवं अक्षय तृतीया के पावनपर्व में आयोजित भजन बेला में व्यक्त किये।
उन्होंने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि महर्षि महेश योगी जी कहा करते थे कि वैदिक वांगमय में 40 ग्रंथ हैं। इन 40 ग्रंथों की लगभग सौ से अधिक पुस्तकें हैं। जो इन सभी का अध्ययन नहीं कर सकता वह केवल एक ग्रंथ पढ़ ले, पहला सूत्र पढ़ ले, उसकी पहली ऋचा पढ़ लें वह भी समयाभाव में नहीं पढ़ सकता तो वह केवल पहला शब्द पढ़ ले। एक शब्द में पूरा वेद समाया हुआ है। बरगद का पेड़ बहुत बड़ा होता है किन्तु संपूर्ण वटवृक्ष केवल एक बीजे से उत्पन्न होता है। यह बीज खोखला होता है जिस तरह एक बीजे में समस्त वटवृक्ष समाया हुआ है ठीक उसी तरह प्रथम अक्षर में संपूर्ण वेद समाया हुआ है। मस्तिष्क तो शरीर के साथ चला जाता है किन्तु आत्मा का क्षय नहीं होता। वह निरंतर चलायमान है। इसलिए हम सब उसे आत्मसात करें। भगवान परशुराम के रूप में केवल एक व्यक्ति का जन्म नहीं हुआ बल्कि एक संपूर्ण ज्ञान का उदय हुआ। इसलिए केवल ब्राह्मणों में नहीं बल्कि संपूर्ण जगत में इनका ज्ञान प्रवाहित हो, हमें इसको अक्षय बनाने का संकल्प लेना है।
इसके पश्चात् ब्रह्मचारी गिरीश जी ने महर्षि कौशल विकास एवं खादी ग्रामोद्योग संस्थान द्वारा आयोजित पापड़, बड़ी एवं अचार प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये।
Maharishi Vedic Health Centre - The Ayurveda and Yoga Therapy Hospital
Brahmachari Girish celebrates Akshya Tritiya at Maharishi Vidya Mandir School Bhopal
1. भावी पीढ़ को ान को आ मसात करने क ेरणा द- मचार गर श
िजसका य न हो वह अ य है और आज अ य तृतीया है। जीवन
के कसी भी े म कोई य न हो इसका यान रखा जाना
चा हए। आप सब ान के े के ल डर ह इस लए आप सभी
भावी पीढ़ को रटने क नह ं बि क ान को आ मसात
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रतनपुर म मह ष व या मं दर समूह के चैयरमेन मचार
गर श जी ने मह ष व व शां त आंदोलन क इकाई
सह शीषा पु षा मंडल क थापना दवस एवं अ य तृतीया
के पावनपव म आयोिजत भजन बेला म य त कये।
उ ह ने आगे अपनी बात रखते हु ए कहा क मह ष महेश योगी
जी कहा करते थे क वै दक वांगमय म 40 ंथ ह। इन 40
ंथ क लगभग सौ से अ धक पु तक ह। जो इन सभी का अ ययन नह ं कर सकता वह के वल
एक ंथ पढ़ ले, पहला सू पढ़ ले, उसक पहल ऋचा पढ़ ल वह भी समयाभाव म नह ं पढ़
सकता तो वह के वल पहला श द पढ़ ले। एक श द म पूरा वेद समाया हु आ है। बरगद का पेड़
बहु त बड़ा होता है क तु संपूण वटवृ के वल एक बीजे से उ प न होता है। यह बीज खोखला
Pujya Brahmachari Girish Ji (Lib. Pic.)
2. होता है िजस तरह एक बीजे म सम त वटवृ समाया हु आ है ठ क उसी तरह थम अ र म
संपूण वेद समाया हु आ है। मि त क तो शर र के साथ चला जाता है क तु आ मा का य नह ं
होता। वह नरंतर चलायमान है। इस लए हम सब उसे आ मसात कर। भगवान परशुराम के प
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ा मण म नह ं बि क संपूण जगत म इनका ान वा हत हो, हम इसको अ य बनाने का
संक प लेना है।
इसके प चात् मचार गर श जी ने मह ष कौशल वकास एवं खाद ामो योग सं थान वारा
आयोिजत पापड़, बड़ी एवं अचार तयो गता के वजेताओं को पुर कार दान कये।
इस अवसर पर उपि थत मह ष वै दक व व व यालय के कु लप त ो. भुवनेश शमा ने कहा क
आज अक्षय तृतीया स हत सह शीषा पु षा मंडल का थापना दवस है। इस लए हम सनातन
गुण को थाई बनाना है िजससे सम त भौ तक काय चर थाई बन सक। नदेशक संचार एवं
जनसंपक ह . आर. खरे ने कहा क 18 जुलाई 2008 को जबलपुर म मह ष व व शां त आंदोलन
क थापना क गई थी। अभी तक पूरे व व म इसके सद य क सं या दस लाख को पार कर
चुक है। बै यराज बालदु शेखर ववेद ने कहा क भावातीत यान स व से हम व व शां त
क ओर अ सर हो रहे ह इसके लए हम नरोगी काया क आव यकता है। इसके लये हम मह ष
वै दक वा य को अपनाकर एलोपै थक से बाहर नकलना होगा। इसके साथ ह मह ष कौशल
वकास एवं खाद ामो योग सं थान के सम वयक एम. ह . एस. यागी ने अपने वचार सांझा
कये एवं मह ष व या मं दर, रतनपुर के ाचाय बी. एस. गुले रया ने सभी के त आभार
द शत कया। मह ष व या मं दर अयो या नगर, लंगा, लांबाखेड़ा एवं रतनपुर क श काओं
एवं छा ने शानदार गायन तुत कर भजन बेला को जीवंत बना दया।