3. संस्कार शब्द का अर्थ
(१) मन पर पड़ी छाप; भूतकाल या पूर्थजन्म के कृ त्यों की र्ासना
(२) शोधन (१६ संस्कार के अर्थ में)
(३) अच्छी आदतें
हम जो भी कमथ करते है, जो भी भोग भोगते है, जो भी अनुभर् करते है उनकी
हमारे चित्त पर एक छाप पड़ जाती है, जजसे संस्कार कहते है|
4. संस्कार और जीर्न
• अच्छे बुरे संस्कार ममलकर एक नए जन्म का कारण बनते है| ककसी
ने हमें अच्छे बुरे कमथ करते देखा हो या ना देखा हो ईश्र्र ने एसी
व्यर्स्र्ा रक्खी है कक हमारे संस्कार स्र्यं ही हमारे सुख या दुुःख का
कारण बने |
5. चित्त के संस्कारों की चिककत्सा
• चित्त के संस्कार कमथबीज हैं। इन्हीं के अनुरूप व्यजक्त की मनुःजस्र्तत
एर्ं पररजस्र्तत का तनमाथण होता है। जन्म के समय की पररजस्र्ततयााँ,
माता- पपता का ियन, गरीबी- अमीरी की जस्र्तत जीर्ात्मा के संस्कारों
के अनुरूप बनती है।अपनी पररपक्र्ता के क्रम में कमथबीजों का अंकु रण
होता है और जीर्न में पररर्तथन आते रहते हैं। ककसी भी आध्याजत्मक
चिककत्सक के मलए इन संस्कारों के पर्ज्ञान को जानना तनहायत जरूरी
है। यह इतना आर्श्यक है कक इसके बबना ककसी की आध्याजत्मक
चिककत्सा सम्भर् ही नहीं हो सकती।
6. चित्त के संस्कारों की चिककत्सा
• ककसी भी व्यजक्त का पररिय उसके व्यर्हार से ममलता है। इसी
आधार पर उसके गुण- दोष देखे- जाने और आाँके जाते हैं। हालााँकक
व्यर्हार के प्रेरक पर्िार होते हैं और पर्िारों की प्रेरक भार्नाएाँ होती
हैं। और इन पर्िारों और भार्नाओं का स्र्रूप व्यजक्त के संस्कार तय
करते हैं।