ali garh movement part2.pptx THIS movement by sir syed ahmad khan who started...
Chipko movement - hindi
1. Dr. Meenakshi Prasad
Assistant Professor
P.G. Deptt. Of Geography
Magadh University, Bodh Gaya
For Department of Women Studies
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3. विषय सूची
• परिचय
• चचपको आंदोलन की पृष्ठभूमि
• प्रेिणा स्त्रोत
• चचपको आंदोलन की शुरुआत
• प्रगतत
• िहत्त्व
• िाष्रीय औि वैश्ववक प्रभाव
• िहहलाओं की भूमिका
• तनष्कर्ष
4. परिचय
• चचपको आंदोलन ’भाित िें
एक वन संिक्षण आंदोलन
है जो 1970 िें उत्तिाखंड
के ग्रािीण क्षेरों िें शुरू
हुआ, जो तब उत्ति प्रदेश
का एक हहस्त्सा था।
• इस आंदोलन का उद्देवय
सिकाि द्वािा सिचथषत
लॉचगंग से पेडों औि जंगलों
की िक्षा किना था।
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5. • हहंदी शब्द चचपको ’का अथष
है," गले लगाना” या
“चचपकना” औि यह इस
आंदोलन के
प्रदशषनकारियों की वृक्षों को
गले लगाने की प्राथमिक
िणनीतत को दशाषता है ।
• यह आंदोलन अहहंसात्िक
सत्याग्रह के गांधीवादी
मसद्धांत से प्रेरित था,
श्जसिें चचपको प्रदशषनकािी
वृक्ष को काटने से बचाने
के मलए उससे चचपक जाते
थे या उसे गले लगा लेते
थे।
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6. चचपको आंदोलन की पृष्ठभूमि
• 1963 िें चीन-भाितीय सीिा संघर्ष के सिापन के साथ,
उत्ति प्रदेश के तत्कालीन भाितीय िाज्य ने ववकास िें वृद्चध
का अनुभव ककया, खासकि ग्रािीण हहिालयी क्षेरों िें।
• संघर्ष के मलए बनाई गई आंतरिक सडकों ने कई ववदेशी-
आधारित लॉचगंग कं पतनयों को आकवर्षत ककया, श्जन्होंने इस
क्षेर के ववशाल वन संसाधनों तक पहुुँचने का प्रयास ककया।
• यद्यवप ग्रािीण तनवाषह के मलए जंगल पि बहुत अचधक
तनभषि थे - प्रत्यक्ष रूप से भोजन औि ईंधन के मलए औि
पिोक्ष रूप से जल शोधन औि मिट्टी श्स्त्थिीकिण जैसी
सेवाओं के मलए- सिकाि की नीतत ने ग्रािीणों को भूमि का
प्रबंधन किने से िोका औि उन्हें वनों तक पहुंचने से वंचचत
कि हदया।
7. • किमशषयल लॉचगंग के कई प्रयास गलत तिीके से
ककए गए औि जंगलों की कटाई से कृ वर् की पैदावाि
कि हुई, कटाव हुआ, जल संसाधन कि हुए औि
आसपास के अचधकांश इलाकों िें बाढ़ की सिस्त्या बढ़
गई।
• जुलाई 1970 िें अलकनंदा नदी िें ववनाशकािी बाढ़
आई जब एक भूस्त्खलन ने नदी को अवरुद्ध कि
हदया औि बद्रीनाथ के पास हनुिानचट्टी से लेकि से
320 ककलोिीटि नीचे हरिद्वाि तक के क्षेर को
प्रभाववत ककया। कई गांव, पुल औि सडकें बह गईं।
8. • जैसे-जैसे लोग अपने स्त्थानीय वन संसाधनों पि
अपना अचधकाि खो िहे थे, वे औि अचधक असंतुष्ट
होते जा िहे थे औि पयाषविणीय आपदाओं के कािण
बढ़ती कहठनाइयों ने वन संिक्षण के बािे िें उनकी
पयाषविणीय जागरूकता को बढ़ा हदया।
Floods in Alaknanda, 1970
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9. चचपको आंदोलन की प्रेिणा
• सेंटि फॉि साइंस एंड
एनवायिनिेंट के अनुसाि,
चचपको आंदोलन का प्रािम्भ
1973 िें उत्तिाखंड के दूिस्त्थ
पहाडी क्षेर गोपेववि िें हुआ।
• इस आंदोलन की प्रेिणा
किीब 300 वर्ष पुिाने एक
आंदोलन से आयी श्जसके
अंतगषत 1730 A.D िें
िाजस्त्थान के ग्राि प्रसन्न
खािकि िें 363 बबवनोईयों
ने खेजडी के पेडों को बचाने
के मलए अपना बमलदान
हदया।
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10. अिृता देवी औि 363 बबवनोईयों का बमलदान:
• किीब 300 साल पहले 1730 A.D िें िािवाड के िहािाज ने
एक नए िहल के तनिाषण हेतु बबवनोई सिुदाय के गांव के
बाहि श्स्त्थत खेजडी के जंगल के वृक्षों को काटने का आदेश
हदया।
• जब िहािाज के सैतनक जंगल को काटने पहुंचे तो अिृता
देवी नािक एक बबवनोई िहहला ने गांव के अन्य लोगोंके
साथ मिलकि उनका वविोध ककया। वविोचधयों िें िुख्यतः
िहहलाएं थीं जो वृक्षों को बचने के मलए उनसे मलपट गयीं।
• सैतनकों ने वृक्षों तक पहुंचने के मलए अिृता देवी औि उनकी
तीन पुबरयों सहहत 363 बबवनोईयों को िाि डाला।
11. • जब िहािाजा तक इस बात की सूचना पहुंची तो उन्हें
बहुत ग्लातन हुई। उन्होनें खुद जाकि बबवनोई
सिुदाय से िाफ़ी िांगी औि यह आदेश हदया की
भववष्य िें बबवनोई सिुदाय के क्षेर से वृक्ष नहीं काटे
जाएंगे।
• चचपको आंदोलन से जुडी िहहलाएं इस कहानी से
परिचचत थीं।
12. चचपको आंदोलन की शुरूआत
• 1964 िें पयाषविणववद् औि गांधीवादी सािाश्जक कायषकताष चंडी
प्रसाद भट्ट ने दशोली ग्राि स्त्विाज्य संघ नािक एक सहकािी
संगठन की स्त्थापना की श्जसका नािकिण बाद िें दशोली ग्राि
स्त्विाज्य िंडल (DGSM) ककया गया । इसका उद्देवय जंगल के
स्त्थानीय संसाधनों का उपयोग किते हुए ग्रािीणों के मलए लघु
उद्योगों को बढ़ावा देना था।
• सिूह ने दशोली ग्राि स्त्विाज्य िंडल (DGSM) के श्रमिक
सहकािी समितत की स्त्थापना की औि स्त्थानीय उपयोग के मलए
कृ वर् उपकिण बनाने की अपनी छोटी कायषशाला की आपूततष
किने के मलए नीलािी के िाध्यि से वन अचधकाि खिीदकि
बाजाि िें प्रवेश ककया।
13. • DGSM ने एक नया उद्यि भी शुरू ककया - जंगल से जडों
औि जडी बूहटयों का संग्रह।
• इस गततववचध के द्वािा सहकािी समितत ने 1969 औि
1972 के बीच लगभग 1000 लोगों को िोजगाि हदया।
• 1971 िें इसने गोपेववि िें एक छोटा सा प्रोसेमसंग पलांट
खोला, श्जसिें पाइन सैप से तािपीन औि िाल का तनिाषण
ककया जाता था। DGSM को कहठनाईओं का सािना किना
पडा क्योंकक वन ववभाग ने पाइन सैप की पयाषपत आपूततष
का आवंटन तब भी नहीं ककया जब DGSM द्वािा इसके मलए
भुगतान की गई कीित िैदानी िाज्यों िें आंमशक स्त्वामित्व
वाले तनिाषता द्वािा ककये गए भुगतान की तुलना िें अचधक
थी। 1971-72 िें आठ िहीने के मलए, कच्चे िाल की किी
की वजह से संयंर को बंद किना पडा। इसमलए संयंर ने
के वल चाि िहीनों के मलए काि ककया।
14. • सवोदय श्रमिकों को इस प्रकाि अपने प्रत्येक उद्यि
िें सिकािी नीततयों के साथ कहठनाइयों का सािना
किना पडा।
• जब 1970 िें औद्योचगक लॉचगंग को गंभीि िानसून
बाढ़ से जोडा गया, श्जसने इस क्षेर िें 200 से
अचधक लोगों की जान ले ली, तो DGSM ने बडे पैिाने
पि वृहद उद्योगों का वविोध ककया।
• 1971 औि 1972 के दौिान DGSM कायषकताषओं ने
वन ववभाग की नीततयों के वविोध िें प्रदशषन, िैमलयां
औि िाचष तनकाले
15. • पहला चचपको वविोध 1973 िें (िाचष - अप्रैल) िें सुदूि
पहाडी क्षेर गोपेववि के पास हुआ था, जब वन ववभाग ने
अपने फािष टूल्स वकष शॉप के मलए संघ के दस ash के पेडों
के सालाना अनुिोध को ठु किा हदया औि इसके बदले दूि
इलाहाबाद िें एक खेल के सािान के तनिाषता साइिन
कं पनी को टेतनस के िैके ट बनाने के मलए 300 पेडों का ठेका
दे हदया ।
• ग्रािीणों ने इसके खखलाफ अपील की लेककन उनकी अपील
को अस्त्वीकाि कि हदया गया ।
• वन ववभाग के इस तनणषय से ग्रािीण नािाज थे।
• जब कं पनी के लोग लकडहािों के साथ पेडों को काटने पहुंचे
तो उनका सािना ग्रािीणों से हुआ।
16. • चंडी प्रसाद भट्ट के नेतृत्व िें
ग्रािीण जंगल पहुंचे औि पेडों
को काटने से बचाने के मलए
उनसे मलपट गए। उन्होनें ढोल-
नगाडे भी बजाये औि नािे भी
लगाए। अंततः ठेके दाि औि
लम्बिदािों को पीछे हटना पडा।
• कई हदनों के वविोध के बाद,
सिकाि ने कं पनी के लॉचगंग
पिमिट को िद्द कि हदया औि
DGSM द्वािा हदए गए िूल
आवंटन अनुिोध को िंजूिी दे
दी।
Chandi Prasad Bhatt
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17. चचपको आंदोलन की प्रगतत
• चचपको आंदोलन तेजी से फै ला। कु छ ही हफ्तों बाद गोपेववि से
लगभग 80 ककलोिीटि दूि एक अन्य दूिदिाज के गांव िािपुि फाटा
िें ग्रािीणों ने िाचष ककया, जहां उसी कं पनी को औि अचधक ash के
पेड काटने का ठेका हदया गया था। स्त्थानीय लोगों के वविोध के
परिणािस्त्वरूप उन्हें वहाुँ से भी पीछे हटना पडा।
• अंतति फ़्लैश बबंदु 1974 िें शुरू हुआ, जब सिकाि ने जनविी
1974 िें िेनी गाुँव के पास 2,500 पेडों की कटाई के मलए,
अलकनंदा नदी के नज़दीक एक नीलािी की घोर्णा की ।
• भट्ट की प्रेिणा से िेनी क्षेर के ग्रािीणों ने सिकाि की नीतत का
वविोध किने का तनवचय ककया औि यह तय ककया कक वे पेडों को
गले लगाकि अपना वविोध प्रदमशषत किेंगें।
18. • 25 िाचष 1974 के हदन जब लकडहािे पेडों को काटने के
मलए आने वाले थे, सिकाि औि ठेके दािों ने िेनी गांव के
पुरुर्ों औि DGSM के कायषकताषओं को एक काल्पतनक
िुआवजे के बािे िें बात किने के मलए चिोली बुला
मलया। पीछे से लकडहािे रक के साथ पेडों को काटने के
मलए िेनी के जंगल पहुुँच गए।
• जब िेनी गांव के िहहला िंगल दल की
अध्यक्ष गौिा देवी को एक स्त्थानीय
बामलका ने इसकी सूचना दी तो वे गांव
की 27 िहहलाओं को लेकि उस स्त्थल पि
पहुुँच गयी औि उन्होनें लकडहािों का
वविोध ककया।
Gaura Devi
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19. • जब बातचीत सफल नहीं
हुई औि लकडहािे
िहहलाओं पि चचल्लाने लगे
औि बन्दूक हदखा कि उन्हें
धिकाने लगे तो औि कोई
चािा नहीं देख कि
िहहलाएं पेडों को बचाने के
मलए उनसे मलपट गयी।
िात भि उन्होनें पेडों की
िखवाली की। कु छ
लकडहािे यह देख कि
वापस लौट गए।Gaura Devi & her companions
hugging a tree
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20. • अगले हदन जब पुरुर् औि नेता वापस लौटे तो वो भी
इस आंदोलन िें शामिल हो गए। जल्दी ही इस
आंदोलन की खबि सिीपवती अन्यगांवों िें फै ल गई
औि उनके तनवासी भी इस िें शामिल हो गए। चाि
हदनों के स्त्टैंड ऑफ के बाद ठेके दािों को वापस लौटना
पडा।
• िेनी की इस घटना ने िाज्य सिकाि को अलकनंदा घाटी
िें वनों की कटाई की जांच के मलए एक समितत
स्त्थावपत किने के मलए प्रेरित ककया औि आखखिकाि
इस क्षेर िें वनों की वाखणश्ज्यक कटाई पि 10 साल का
प्रततबंध लगा हदया गया।
• यह प्रततबंध उत्तिाखंड क्षेर औि दुतनया भि िें
पयाषविण-ववकास संघर्ष के इततहास िें एक िहत्वपूणष
िोड बन गया।
21. • इन सफलताओं के साथ DGSM कायषकताष औि एक
स्त्थानीय पयाषविणववद् सुंदिलाल बहुगुणा, पूिे क्षेर के
अन्य गांवों िें लोगों के साथ चचपको की िणनीतत साझा
किने लगे।
• संघर्ष जल्द ही क्षेर के कई हहस्त्सों िें फै ल गया, औि
स्त्थानीय सिुदाय औि लकडी के व्यापारियों के बीच इस
तिह के स्त्वतःस्त्फू तष स्त्टैंड-अप कई स्त्थानों पि हुए,
श्जनिें पहाडी िहहलाएं अपनी नई-शश्क्त को अहहंसक
कायषकताषओं के रूप िें प्रदमशषत किने लगी।
• इस प्रकाि चचपको आंदोलन एक ककसान औि िहहलाओं
के वन अचधकािों के मलए आंदोलन के रूप िें उभिने
लगा, हालांकक ववमभन्न वविोध काफी हद तक
ववकें द्रीकृ त औि स्त्वायत्त थे।
22. • आंदोलन जैसे-जैसे आकाि लेता गया इसके कियाकलापों के
मलए चचपको आंदोलन शब्द का प्रयोग ककया जाने लगा।
• चचपको इततहासकािों के अनुसाि, िूल रूप से भट्ट द्वािा
प्रयुक्त शब्द "अंगलवत्था“ (Angalwatha) शब्द था जो की
गढ़वाली भार्ा का शब्द था औि श्जसका अथष ‘आमलंगन’
होता है। इसे बाद िें हहंदी शब्द ‘चचपको’ िें रूपांतरित ककया
गया, श्जसका अथष है चचपकना ।
• अगले पांच वर्ों िें यह आंदोलन क्षेर के कई श्जलों िें फै ल
गया औि एक दशक के भीति पूिे उत्तिाखंड हहिालय िें
फै ल गया ।
• वृक्षों को गले लगाने के अततरिक्त चचपको प्रदशषनकारियों ने
िहात्िा गांधी की सत्याग्रह (अहहंसात्िक प्रततिोध) की
अवधािणा के आधाि पि कई अन्य तकनीकों का उपयोग
ककया
23. • उदाहिण के मलए बहुगुणा ने 1974 िें वन नीतत का
वविोध किने के मलए दो सपताह तक उपवास ककया
• 1978 िें, हटहिी गढ़वाल श्जले िें आडवाणी जंगल िें,
चचपको कायषकताष धूि मसंह नेगी ने जंगल की नीलािी
का वविोध किने के मलए उपवास ककया, जबकक स्त्थानीय
िहहलाओं ने पेडों के चािों ओि पववर धागे बांधे औि
भगवद्गीता का पाठ ककया।
• अन्य क्षेरों िें, चीि पाइंस ((Pinus roxburghii) श्जन्हें
िाल के मलए टैप ककया गया था, उनके शोर्ण का
वविोध किने के मलए उन पि पट्हटयां बंधी गयी।
24. • 1978 िें भ्युन्दि घाटी िें पुलना गांव िें, िहहलाओं ने
लकडहािे के औजाि जब्त कि मलए औि उनके मलए
िसीदें छोड दीं कक अगि वे जंगल से चले गए तो उन्हें
वापस ले सकें ।
• यह अनुिान है कक 1972 औि 1979 के बीच, चचपको
आंदोलन िें 150 से अचधक गाुँव शामिल थे, श्जसके
परिणािस्त्वरूप उत्तिाखंड िें 12 बडे वविोध प्रदशषन हुए
औि कई छोटे-िोटे टकिाव हुए।
• आंदोलन की बडी सफलता 1980 िें मिली, जब
बहुगुणा की एक अपील के परिणािस्त्वरूप भाितीय
प्रधानिंरी इंहदिा गांधी ने उत्तिाखंड हहिालय िें वनों की
वाखणश्ज्यक कटाई पि 15 साल का प्रततबंध लगा हदया।
इसी तिह के प्रततबंध हहिाचल प्रदेश औि पूवष उत्तिांचल
िें लगाए गए ।
25. • चचपको के प्रिुख नेताओं
िें से एक, गांधीवादी
सुंदिलाल बहुगुणा ने
1981-83 के बीच
हहिालय प्रदेश िें 5000
km की पद-यारा की औि
चचपको के सन्देश को
पुिे हहिालय क्षेर िें
प्रसारित ककया।
Sundarlal Bahuguna
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26. चचपको आंदोलन का िहत्ि
• चचपको आंदोलन की क्षर - छाया के नीचे क्षेर के
पारिश्स्त्थततक औि आचथषक शोर्ण के बडे िुद्दे उठाए
गए थे।
• ग्रािीणों ने िांग की कक बाहिी लोगों को कोई वन-दोहन
अनुबंध नहीं हदया जाना चाहहए औि स्त्थानीय
सिुदायोंका प्राकृ ततक संसाधनों जैसे भूमि, पानी औि
जंगलों पि प्रभावी तनयंरण होना चाहहए।
• वे चाहते थे कक सिकाि छोटे उद्योगों को कि लागत
वाली सािग्री प्रदान किे औि पारिश्स्त्थततक संतुलन
बबगाडे बबना क्षेर का ववकास सुतनश्वचत किे।
27. • इस आंदोलन ने भूमिहीन वन श्रमिकों के आचथषक िुद्दों
को उठाया औि न्यूनति िजदूिी की गािंटी िांगी।
• वववव स्त्ति पि चचपको आंदोलन ने प्रदमशषत ककया की
ककस प्रकाि पयाषविणीय िुद्दे श्जन्हें अब तक अिीिों की
गततववचध िाना जाता था, तनधषनों के मलए जीवन-िृत्यु
का प्रवन होते हैं क्यूंकक ककसी भी पयाषविणीय रासदी का
सवाषचधक प्रभाव उन्ही पि पडता है।
• जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ा, वविोध प्रदशषन अचधक
परियोजना-उन्िुख हो गया औि क्षेर की संपूणष
पारिश्स्त्थततकी को शामिल किने के मलए ववस्त्तारित हुआ
औि अंततः "हहिालय बचाओ" आंदोलन बन गया।.
28. • 1980 के दशक िें भागीिथी नदी पि हटहिी बांध औि
कई खनन कायों पि कई वविोध प्रदशषन ककए गए,
श्जसके परिणािस्त्वरूप कि से कि एक चूना पत्थि की
खदान बंद हो गई।
• इसी तिह बडे पैिाने पि वनिोपण के प्रयास के कािण
इस क्षेर िें दस लाख से अचधक पेड लगाए गए।
• 2004 िें हहिाचल प्रदेश िें लॉचगंग प्रततबंध हटने पि
चचपको आंदोलन के अंतगषत कफि से वविोध प्रदशषन
ककये गए पि ये पहले की तिह सफल नहीं हुए।
29. चचपको आंदोलन के िाष्रीय औि
िैश्विक प्रभाि
• चचपको आंदोलन का ववस्त्ताि हुआ है। कु छ ही
वर्ों िें यह उडीसा के गंधिदषन, िध्य भाित िें
बस्त्ति, हहिालयी तलहटी िें नाहहन-बडकोट औि
थानो औि पूिे कनाषटक औि के िल िें फै ल गया।
• इस आंदोलन ने श्स्त्वट्जिलैंड, फ्ांस, िैश्क्सको,
डेनिाकष , ऑस्त्रेमलया, कनाडा औि िलेमशया जैसे
देशों िें पयाषविण से संबंचधत सिूहों का ध्यान
आकवर्षत ककया।
30. चचपको आंदोलन िें िहहलाओं की
भूमिका
• चचपको आंदोलन िें िहहलाओं की भागीदािी आंदोलन का
एक बहुत ही नया पहलू था।
• चचपको आंदोलन िें गढ़वाली िहहलाओं ने प्रिुख भूमिका
तनभाई थी।
• इस आंदोलन के बािे िें बात किते सिय, हि न के वल
सुंदिलाल बहुगुणा औि चंडी प्रसाद भट्ट जैसे पुरुर्ों के बािे
िें बात किते हैं, बश्ल्क गौिा देवी, सुिक्षा देवी, सुदेशा देवी,
बचनी देवी औि अन्य िहहलाओं की भी चचाष किते हैं।
• पारिश्स्त्थततक आपदाओं के दौिान ग्रािीण िहहलाओं को
अक्सि सबसे अचधक कहठनाईओं का सािना किना पडता
है।
31. • उन्हें प्रततहदन पानी, ईंधन औि चािे की तलाश िें आधी से
अचधक दूिी तय किनी पड िही थी।
• काि के इस बढ़ते भाि का िहहलाओं के स्त्वास्त््य पि
हातनकािक प्रभाव पड िहा था।
• 1975 िें चंडी प्रसाद भट्ट ने हटपपणी की कक, "
पारिश्स्त्थततकी गढ़वाली पुरुर्ों की तुलना िें िहहलाओं के
मलए अचधक िहत्वपूणष थी"। ऐसा इसमलए था क्योंकक
िहहलाओं को भूमि के कु प्रबंधन के प्रत्यक्ष परिणािों का
सािना किना पड िहा था ।
• क्षेर के वन ठेके दाि आितौि पि पुरुर्ों कोअपने पक्ष िें
किने के मलए उन्हें शिाब की आपूततष किते थे। िहहलाओं ने
शिाब की आदत के खखलाफ आंदोलन ककया औि अन्य
सािाश्जक िुद्दों को कवि किने के मलए आंदोलन के एजेंडे
को व्यापक बनाया।
32. • धीिे-धीिे, िहहलाओं ने स्त्थानीय जंगलों की िक्षा के मलए
सहकािी समिततयों की स्त्थापना की, औि स्त्थानीय पयाषविण
के संिक्षण को ध्यान िें िखते हुए चािा का उत्पादन
सुतनश्वचत ककया।
• उन्होनें चािा संग्रहण के मलए भू-चिण की योजनाएं प्रािम्भ
की, अविमित भूमि पि वृक्ष िोपण ककया औि वृक्षों की
चुनी हुई प्रजाततयों के मलए नसषरियां शुरू की औि उन्हें
चलाया।
• इस सब से उनका आत्िववववास बढ़ा औि उन्होंने सिाज िें
नेतृत्व की भूमिकाएं तनभानी शुरू कि दीं ।
• गढ़वाली िहहलाओं ने हदखाया कक िहहलाओं की िुश्क्त न
के वल वपतृसत्तात्िक उत्पीडन से िुश्क्त थी, बश्ल्क पूंजीवादी
औि आचथषक उत्पीडन से िुश्क्त भी थी ।
33. तनष्कषष
• चचपको आंदोलन दुतनया भि िें भववष्य के कई पयाषविणीय
आंदोलनों के मलए एक मिसाल बन गया।
• इसने सिय-सिय पि कई ऐसे ही इको-सिूहों को प्रेरित
ककया जो तेजी से वनों की कटाई को धीिा किने िें िदद
किते हैं, तनहहत स्त्वाथों को उजागि किते हैं, सािाश्जक
जागरूकता को बढ़ाते हैं औि पेडों को बचाने, पारिश्स्त्थततक
जागरूकता को बढ़ाने िें िदद किते हैं औि लोगों की शश्क्त
की व्यवहायषता का प्रदशषन किते हैं।
• इसने तत्कालीन भाितीय सिाज को आहदवामसयों औि
सीिान्त (marginalised) के लोगों की सिस्त्याओं से जुडे
िुद्दों को उठाने हेतु प्रेरित ककया।
34. • आज इको-सोशमलज्ि के साथ-साथ इसे एक इकोफे मितनज्ि
आंदोलन के रूप िें तेजी से देखा जा िहा है।
• हालांकक इसके कई नेता पुरुर् थे पिन्तुिहहलाएं न के वल
इसकी िीढ़ थीं, बश्ल्क इसका िुख्य आधाि भी थीं, क्योंकक
वे बडे पैिाने पि वनों की कटाई से सबसे ज्यादा प्रभाववत
थीं।
• वपछले कु छ वर्ों िें वे चचपको आंदोलन के तहत होने वाले
वनीकिण के बहुित िें प्राथमिक हहतधािक (primary
stakeholder) बन गए ।
• 1987 िें, चचपको आंदोलन को भाित के प्राकृ ततक संसाधनों
के संिक्षण, पुनस्त्थाषपना औि पारिश्स्त्थततक रूप से उनके
उपयोग के प्रतत सिपषण के मलए ‘Right Livelihood Award’
से सम्िातनत ककया गया था।
35. • 2004 िें हहिाचल प्रदेश िें लॉचगंग प्रततबंध हटने पि
चचपको आंदोलन के अंतगषत कफि से वविोध प्रदशषन
ककये गए पि ये पहले की तिह सफल नहीं हुए।
• यह शायद इस त्य के कािण है कक वपछले दशकों
के दौिान उत्तिाखंड के ग्रािीण इलाकों से बडे पैिाने
पि पलायन हुआ है औि बडी संख्या िें गांव वीिान
हो गए हैं।
• 2013 िें के दािनाथ िें आयी ववध्वंसक बाढ़ ने यह
स्त्पष्ट कि हदया की हहिालय क्षेर िें वन-ववनाश के
भयानक पारिश्स्त्थततक दुष्प्रभाव होंगें।
36. • हाल ही िें COVID -19 िहािािी की वजह से बडी
संख्या िें लोग वापस उत्तिाखंड िें अपने पैतृक गाुँवों
िें लौट आए हैं औि वे इस क्षेर िें वनों की कटाई से
उत्पन्न सिस्त्याओं का सािना किने के मलए बाध्य
हैं।
• इस प्रकाि, यह उम्िीद की जा सकती है कक चचपको
आंदोलन क्षेर िें एक बाि कफि से वापसी किेगा।