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Dr. Meenakshi Prasad
Assistant Professor
P.G. Department of
Geography
M.U, Bodh Gaya
प्रवाल भित्तियाां : परििाषा,
त्तवकास के भलए शर्ते,
त्तवर्तिण औि प्रकाि
त्तवषयवस्र्तु:
• प्रवाल भित्तियों की
परििाषा
• प्रवाल भित्तियों का
त्तवर्तिण
• प्रवाल भित्तियों के
त्तवकास की शर्तें
• प्रवाल भित्तियों के
प्रकाि
Source : google images
परििाषा
• प्रवाल भित्ति एक प्रकाि की चट्टान है जो चूना पत्थि
औि डोलोमाइट का त्तपण्ड होर्ता है, जो चूने के स्रात्तवर्त
जीवों द्वािा सांचचर्त ककया जार्ता है, जजसे कोिल पॉलीप्स
कहा जार्ता है, जो एक प्रकाि का समुद्री एनीमोन होर्ता
है औि त्तवभिन्न िांगों का हो सकर्ता है।
• इसका आकाि एक रिज की र्तिह होर्ता है जजसका आधाि
चौडा औि शीषष पर्तला होर्ता है जो समुद्री लहिों की
कािषवाई से चपटा हो जार्ता है
• इसके शीषष पि जीत्तवर्त कोिल पॉलीप्स पाए जार्ते हैं
• ये र्तट के किीब जस्थर्त होर्ते हैं औि उससे उथले लैगून
द्वािा अलग होर्ते हैं
त्तवर्तिण
• प्रवाल भित्तियाां 300N से 300S अक्ाांशों के बीच महाद्वीपों की पूवी
सीमा के सहािे पाई जार्ती हैं त्तवषुवर्तीय अक्ाांशों को छोडकि (50N
से 50S अक्ाांशों के बीच का क्ेत्र )
• ये महाद्वीपीय मग्न र्तट औि सब मिीन चबूर्तिों पि अनुकू ल
गहिाई पि त्तवकभसर्त होर्ते हैं
• कु छ पुिानी प्रवाल भित्तियाां 370 अक्ाांशों र्तक पाई जार्ती
हैं जजनकी व्याख्या जलवायु परिवर्तषन औि महाद्वीपीय
त्तवस्थापन द्वािा की जार्ती है
• त्तवश्व में प्रवाल भित्तियों के दो प्रमुख क्ेत्र हैं :
➢ कै रिबबयन सागि
➢ हहन्द महासागि औि पजश्चमी प्रशाांर्त महासागि
Contd ……
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त्तवकास की अनुकू ल दशाएां
• र्तापमान - प्रवाल जीवों के त्तवकास हेर्तु आदशष र्तापमान
200C होना चाहहए ककन्र्तु त्तवभशष्ट परिजस्र्तचथयों में यह
180C - 250C के मध्य िी त्तवकभसर्त हो सकर्ते हैं
• समुद्र की गहिाई– प्रवाल भित्ति के त्तवकास के भलए समुद्र
की आदशष गहिाई 45-55 मीटि मानी जार्ती है लेककन
इनका त्तवकास 90 मीटि की गहिाई र्तक िी सांिव है.
सामान्यर्तः 10 मीटि से कम गहिाई में इनका त्तवकास
नहीां होर्ता है। वस्र्तुर्तः इनके त्तवकास हेर्तु वह गहिाई
अनुकू ल है जहााँ र्तक सूयष की ककिणों का प्रकाश पहुाँच
पर्ता है औि प्लैंकटन का त्तवकास होर्ता है.
• लवणर्ता – 27%0 से 40%0
लवणर्ता वाला समुद्री जल
प्रवाल जीवों के त्तवकास के
भलए अनुकू ल परिजस्र्तचथयााँ
बनर्ता है. प्रवली जीवों का
त्तवकास अत्यचधक लवणर्ता
युक्र्त समुद्री जल में नहीां
होर्ता क्योंकक उसमें चूना के
काबोनेट की कमी होर्ती है
जबकक चूना प्रवाल का मुख्य
िोजन है. पूणषर्तः लवण
त्तवहीन समुद्री जल िी इसके
भलए अनुकू ल नहीां है
Source : google images
• जल की स्वच्छर्ता – प्रवाल जीवों के त्तवकास हेर्तु न
र्तो अतर्त स्वच्छ जल औि न ही मृदा भमचिर्त जल
अनुकू ल होर्ता है. अत्यचधक स्वच्छ जल में
कै जशशयम काबोनेट का अिाव होर्ता है जबकक
अवसादों के कािण प्रवाल कीटों का मुख बांद हो
जार्ता है औि वे मि जार्ते हैं। चूाँकक र्तट से सटे
हुए जल में ये दोनों परिजस्र्तचथयााँ पाई जार्ती हैं ,
इसीभलए प्रवली जीवों का त्तवकास र्तट से हटकि
होर्ता है.
• प्लैंकटन की उपजस्थतर्त - प्रवाल जीवों के त्तवकास
के भलए प्लैंकटन का त्तवकास आवश्यक है क्योंकक
यह प्रावली जीवों का िोजन है.
• सबमिीन चबूर्तिों की उपजस्थतर्त - प्रवाल भित्ति
के त्तवकास के भलए आदशष गहिाई पि सबमिीन
चबूर्तिों की उयजस्थतर्त अतनवायष है जजनपि
प्रवाल कीट अपनी कॉलोतनयाां बसा सकें
Source : google images
• त्तवकास के भलए आदशष दशाएां उपलब्ध होने पि प्रवाल
पोभलप अपनी कॉलोतनयाां शुरू किर्ते है जजससे की प्रवाल
भित्ति का त्तवकास होर्ता है. अन्र्तः सागिीय चबूर्तिों पि
प्रावली जीव का त्तवकास दो रूपों में होर्ता है –
➢ प्रवाल ऊपि की ओि तनम्न ज्वाि र्तल र्तक बढ़र्ते हैं
➢ वे र्तट से दूि समुद्र की ओि बढ़र्ते हैं जहााँ िोजन की
प्रचुिर्ता होर्ती है. यह वृद्चध प्रवाल भित्ति की चौडाई
तनधाषरिर्त किर्ती है
➢ भित्ति के र्तट की ओि के प्रवाल धीिे -धीिे अवसादों
की अचधकर्ता के कािण मि जार्ते हैं जजसके फलस्वरूप
भित्ति औि र्तट के बीच एक उथले लैगून का त्तवकास
हो जार्ता है
• भित्ति के त्तवकास के साथ- साथ औि र्तट की ओि
उन्मुख प्रवालों के मिने के साथ साथ लैगून की
चौडाई िी बढ़र्ती जार्ती है.
प्रकृ तर्त, आकाि र्तथा अवजस्थतर्त के आधाि
पि प्रवाल भित्तियों को ऊपि वर्णषर्त र्तीन
प्रकािों में बाांटा जार्ता है
प्रवाल भित्तियों
के प्रकाि
र्तटीय प्रवाल
भित्ति
अविोधक प्रवाल
भित्ति
एटॉल
र्तटीय प्रवाल भित्ति
• र्तट के ककनािे त्तवकभसर्त
प्रवाल भित्ति को र्तटीय प्रवाल
भित्ति कहर्ते हैं
• इनकी चौडाई कम होर्ती है।
• इनकी मोटाई 50-55 m होर्ती है
र्तथा इनका समुद्र की ओि
का ककनािा र्तट की ओि के
ककनािे से थोडा अचधक ऊां चा
होर्ता है।
• इनकी समुद्र की ओि र्तथा
स्थल की ओि की ढाल मांद
होर्ती है।
Source : google images
• स्थल से ये एक सांकिे लैगून द्वािा अलग होर्ते हैं
जजसकी गहिाई 0.3-1.5 m होर्ती है। इसे बोट चैनल के
नाम से जाना जार्ता है।
• लैगून की सर्तह पि प्रावली चट्टानों के टुकडे क्ले
औि भमटटी के साथ सजम्मचिर्त पाए जार्ते हैं औि
समय के साथ ही लैगून की गहिाई घटर्ती जार्ती है।
• ऐसी भित्तियों के उदाहिण दक्षक्णी फ्लोरिडा के र्तट पि
र्तथा अांडमान औि तनकोबाि द्वीप समूहों के ककनािे
पाए जार्ते हैं
अविोधक भित्ति
• अविोधक भित्ति िी र्तट के ककनािे त्तवकभसर्त होर्ती है
ककन्र्तु यह र्तटीय भित्ति की र्तुलना में अचधक दूिी पि
जस्थर्त होर्ती है।
• अविोधक भित्ति की चौडाई िी र्तटीय भित्ति से
अचधक होर्ती है. सामान्यर्तः यह 50 m से अचधक
होर्ती है औि 150 m र्तक हो सकर्ती है. ग्रेट बैरियि
िीफ की अचधकर्तम मोटाई 180 m है।
• इसका लैगून िी अपेक्ाकृ र्त अचधक चौडा औि
गहिा होर्ता है. लैगून की गहिाई 50 m र्तक हो
सकर्ती है।
• इसकी र्तट की ओि औि स्थल की ओि ढाल
दोनों ही र्तीव्र होर्ती है.
• अविोधक भित्ति का सबसे अच्छा उदाहिण ‘ग्रेट
बैरियि िीफ’ है।
ग्रेट बैरियि िीफ
• त्तवश्व की सबसे बडी
अविोधक भित्ति
• ऑस्रेभलया के पूवी र्तट के
ककनािे 90S से 220S अक्ाांशों
के मध्य 1920 km की
लम्बाई में त्तवस्र्तृर्त है।
• इसके लैगून की औसर्त
गहिाई 240’ है औि इसकी
चौडाई 11 से 128 km के
बीच है।
Source : google images
एटॉल
• यह घोडे की नाल की आकृ तर्त की प्रवाल भित्ति
होर्ती है।
• इसकी वलयाकाि आकृ तर्त का मूल कािण इसका
खुले महासागिों में द्वीपों के ककनािे त्तवकभसर्त
होना या जलमग्न पठाि ऊपि त्तवकभसर्त होना है।
• यह सवाषचधक मोटी प्रवाल भित्तियाां हैं. र्तहहर्ती
द्वीप में इसकी मोटाई हज़ािों मीटि है।
• इनके लैगून िी सवाषचधक गहिे होर्ते हैं. इसकी
गहिाई 240-420’ के बीच होर्ती है।
• इसकी र्तट की ओि औि स्थल की ओि ढाल
दोनों ही र्तीव्र होर्ती है।
• दक्षक्णी प्रशाांर्त महासागि में जस्थर्त Funafuti द्वीप
औि बबककनी द्वीप इसके अच्छे उदाहिण हैं
एटॉल के प्रकाि
• एटॉल को र्तीन वगों में त्तविाजजर्त ककया जार्ता है :
1. ट्रू एटॉल (True Atoll) जजनकी वलयाकाि भित्ति के
मध्य भसफष एक तछछला लैगून होर्ता है, कोई द्वीप
नहीां। उदाहिण - लक्द्वीप
Source : google images
2. आइलैंड एटॉल (Island Atoll) जजनके लैगून के मध्य में
एक द्वीप जस्थर्त होर्ता है।
Source : google images
3. ऐसे एटॉल जजनके मध्य में पहले र्तो कोई द्वीप नहीां
होर्ता पि बाद में समुद्री लहिों की तनक्ेपण किया से
बन जार्ता है।
• उथले छोटे लैगून वाले छोटे एटॉल के चेन को faros
कहा जार्ता है।
• कोिल द्वीप को छोडकि
सिी प्रकाि की प्रवाल
भित्तियााँ उच्च ज्वाि के
दौिान जलमग्न हो जार्ती
हैं।
• कोिल िीफ आमर्तौि पि
कई स्थानों पि टूट जार्ते
हैं, जजसके माध्यम से
लैगून का सांपकष खुले
समुद्रों औि महासागिों से
होर्ता है। इन ब्रेक को
ज्वािीय इनलेट कहा
जार्ता है
Source : google images
सांदिष सूची
• Sharma, R.C. & Vatal, M. : Oceanography for
Geographers, Chaitanya Publishing House,
Allahabad, 1995
• Singh. S : Physical Geography, Prayag Pustak
Bhawan, Allahabad,2012
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  • 1. Dr. Meenakshi Prasad Assistant Professor P.G. Department of Geography M.U, Bodh Gaya प्रवाल भित्तियाां : परििाषा, त्तवकास के भलए शर्ते, त्तवर्तिण औि प्रकाि
  • 2. त्तवषयवस्र्तु: • प्रवाल भित्तियों की परििाषा • प्रवाल भित्तियों का त्तवर्तिण • प्रवाल भित्तियों के त्तवकास की शर्तें • प्रवाल भित्तियों के प्रकाि Source : google images
  • 3. परििाषा • प्रवाल भित्ति एक प्रकाि की चट्टान है जो चूना पत्थि औि डोलोमाइट का त्तपण्ड होर्ता है, जो चूने के स्रात्तवर्त जीवों द्वािा सांचचर्त ककया जार्ता है, जजसे कोिल पॉलीप्स कहा जार्ता है, जो एक प्रकाि का समुद्री एनीमोन होर्ता है औि त्तवभिन्न िांगों का हो सकर्ता है। • इसका आकाि एक रिज की र्तिह होर्ता है जजसका आधाि चौडा औि शीषष पर्तला होर्ता है जो समुद्री लहिों की कािषवाई से चपटा हो जार्ता है • इसके शीषष पि जीत्तवर्त कोिल पॉलीप्स पाए जार्ते हैं • ये र्तट के किीब जस्थर्त होर्ते हैं औि उससे उथले लैगून द्वािा अलग होर्ते हैं
  • 4. त्तवर्तिण • प्रवाल भित्तियाां 300N से 300S अक्ाांशों के बीच महाद्वीपों की पूवी सीमा के सहािे पाई जार्ती हैं त्तवषुवर्तीय अक्ाांशों को छोडकि (50N से 50S अक्ाांशों के बीच का क्ेत्र ) • ये महाद्वीपीय मग्न र्तट औि सब मिीन चबूर्तिों पि अनुकू ल गहिाई पि त्तवकभसर्त होर्ते हैं
  • 5. • कु छ पुिानी प्रवाल भित्तियाां 370 अक्ाांशों र्तक पाई जार्ती हैं जजनकी व्याख्या जलवायु परिवर्तषन औि महाद्वीपीय त्तवस्थापन द्वािा की जार्ती है • त्तवश्व में प्रवाल भित्तियों के दो प्रमुख क्ेत्र हैं : ➢ कै रिबबयन सागि ➢ हहन्द महासागि औि पजश्चमी प्रशाांर्त महासागि Contd …… Source : google images
  • 6. त्तवकास की अनुकू ल दशाएां • र्तापमान - प्रवाल जीवों के त्तवकास हेर्तु आदशष र्तापमान 200C होना चाहहए ककन्र्तु त्तवभशष्ट परिजस्र्तचथयों में यह 180C - 250C के मध्य िी त्तवकभसर्त हो सकर्ते हैं • समुद्र की गहिाई– प्रवाल भित्ति के त्तवकास के भलए समुद्र की आदशष गहिाई 45-55 मीटि मानी जार्ती है लेककन इनका त्तवकास 90 मीटि की गहिाई र्तक िी सांिव है. सामान्यर्तः 10 मीटि से कम गहिाई में इनका त्तवकास नहीां होर्ता है। वस्र्तुर्तः इनके त्तवकास हेर्तु वह गहिाई अनुकू ल है जहााँ र्तक सूयष की ककिणों का प्रकाश पहुाँच पर्ता है औि प्लैंकटन का त्तवकास होर्ता है.
  • 7. • लवणर्ता – 27%0 से 40%0 लवणर्ता वाला समुद्री जल प्रवाल जीवों के त्तवकास के भलए अनुकू ल परिजस्र्तचथयााँ बनर्ता है. प्रवली जीवों का त्तवकास अत्यचधक लवणर्ता युक्र्त समुद्री जल में नहीां होर्ता क्योंकक उसमें चूना के काबोनेट की कमी होर्ती है जबकक चूना प्रवाल का मुख्य िोजन है. पूणषर्तः लवण त्तवहीन समुद्री जल िी इसके भलए अनुकू ल नहीां है Source : google images
  • 8. • जल की स्वच्छर्ता – प्रवाल जीवों के त्तवकास हेर्तु न र्तो अतर्त स्वच्छ जल औि न ही मृदा भमचिर्त जल अनुकू ल होर्ता है. अत्यचधक स्वच्छ जल में कै जशशयम काबोनेट का अिाव होर्ता है जबकक अवसादों के कािण प्रवाल कीटों का मुख बांद हो जार्ता है औि वे मि जार्ते हैं। चूाँकक र्तट से सटे हुए जल में ये दोनों परिजस्र्तचथयााँ पाई जार्ती हैं , इसीभलए प्रवली जीवों का त्तवकास र्तट से हटकि होर्ता है. • प्लैंकटन की उपजस्थतर्त - प्रवाल जीवों के त्तवकास के भलए प्लैंकटन का त्तवकास आवश्यक है क्योंकक यह प्रावली जीवों का िोजन है.
  • 9. • सबमिीन चबूर्तिों की उपजस्थतर्त - प्रवाल भित्ति के त्तवकास के भलए आदशष गहिाई पि सबमिीन चबूर्तिों की उयजस्थतर्त अतनवायष है जजनपि प्रवाल कीट अपनी कॉलोतनयाां बसा सकें Source : google images
  • 10. • त्तवकास के भलए आदशष दशाएां उपलब्ध होने पि प्रवाल पोभलप अपनी कॉलोतनयाां शुरू किर्ते है जजससे की प्रवाल भित्ति का त्तवकास होर्ता है. अन्र्तः सागिीय चबूर्तिों पि प्रावली जीव का त्तवकास दो रूपों में होर्ता है – ➢ प्रवाल ऊपि की ओि तनम्न ज्वाि र्तल र्तक बढ़र्ते हैं ➢ वे र्तट से दूि समुद्र की ओि बढ़र्ते हैं जहााँ िोजन की प्रचुिर्ता होर्ती है. यह वृद्चध प्रवाल भित्ति की चौडाई तनधाषरिर्त किर्ती है ➢ भित्ति के र्तट की ओि के प्रवाल धीिे -धीिे अवसादों की अचधकर्ता के कािण मि जार्ते हैं जजसके फलस्वरूप भित्ति औि र्तट के बीच एक उथले लैगून का त्तवकास हो जार्ता है • भित्ति के त्तवकास के साथ- साथ औि र्तट की ओि उन्मुख प्रवालों के मिने के साथ साथ लैगून की चौडाई िी बढ़र्ती जार्ती है.
  • 11. प्रकृ तर्त, आकाि र्तथा अवजस्थतर्त के आधाि पि प्रवाल भित्तियों को ऊपि वर्णषर्त र्तीन प्रकािों में बाांटा जार्ता है प्रवाल भित्तियों के प्रकाि र्तटीय प्रवाल भित्ति अविोधक प्रवाल भित्ति एटॉल
  • 12. र्तटीय प्रवाल भित्ति • र्तट के ककनािे त्तवकभसर्त प्रवाल भित्ति को र्तटीय प्रवाल भित्ति कहर्ते हैं • इनकी चौडाई कम होर्ती है। • इनकी मोटाई 50-55 m होर्ती है र्तथा इनका समुद्र की ओि का ककनािा र्तट की ओि के ककनािे से थोडा अचधक ऊां चा होर्ता है। • इनकी समुद्र की ओि र्तथा स्थल की ओि की ढाल मांद होर्ती है। Source : google images
  • 13. • स्थल से ये एक सांकिे लैगून द्वािा अलग होर्ते हैं जजसकी गहिाई 0.3-1.5 m होर्ती है। इसे बोट चैनल के नाम से जाना जार्ता है। • लैगून की सर्तह पि प्रावली चट्टानों के टुकडे क्ले औि भमटटी के साथ सजम्मचिर्त पाए जार्ते हैं औि समय के साथ ही लैगून की गहिाई घटर्ती जार्ती है। • ऐसी भित्तियों के उदाहिण दक्षक्णी फ्लोरिडा के र्तट पि र्तथा अांडमान औि तनकोबाि द्वीप समूहों के ककनािे पाए जार्ते हैं
  • 14. अविोधक भित्ति • अविोधक भित्ति िी र्तट के ककनािे त्तवकभसर्त होर्ती है ककन्र्तु यह र्तटीय भित्ति की र्तुलना में अचधक दूिी पि जस्थर्त होर्ती है।
  • 15. • अविोधक भित्ति की चौडाई िी र्तटीय भित्ति से अचधक होर्ती है. सामान्यर्तः यह 50 m से अचधक होर्ती है औि 150 m र्तक हो सकर्ती है. ग्रेट बैरियि िीफ की अचधकर्तम मोटाई 180 m है। • इसका लैगून िी अपेक्ाकृ र्त अचधक चौडा औि गहिा होर्ता है. लैगून की गहिाई 50 m र्तक हो सकर्ती है। • इसकी र्तट की ओि औि स्थल की ओि ढाल दोनों ही र्तीव्र होर्ती है. • अविोधक भित्ति का सबसे अच्छा उदाहिण ‘ग्रेट बैरियि िीफ’ है।
  • 16. ग्रेट बैरियि िीफ • त्तवश्व की सबसे बडी अविोधक भित्ति • ऑस्रेभलया के पूवी र्तट के ककनािे 90S से 220S अक्ाांशों के मध्य 1920 km की लम्बाई में त्तवस्र्तृर्त है। • इसके लैगून की औसर्त गहिाई 240’ है औि इसकी चौडाई 11 से 128 km के बीच है। Source : google images
  • 17. एटॉल • यह घोडे की नाल की आकृ तर्त की प्रवाल भित्ति होर्ती है।
  • 18. • इसकी वलयाकाि आकृ तर्त का मूल कािण इसका खुले महासागिों में द्वीपों के ककनािे त्तवकभसर्त होना या जलमग्न पठाि ऊपि त्तवकभसर्त होना है। • यह सवाषचधक मोटी प्रवाल भित्तियाां हैं. र्तहहर्ती द्वीप में इसकी मोटाई हज़ािों मीटि है। • इनके लैगून िी सवाषचधक गहिे होर्ते हैं. इसकी गहिाई 240-420’ के बीच होर्ती है। • इसकी र्तट की ओि औि स्थल की ओि ढाल दोनों ही र्तीव्र होर्ती है। • दक्षक्णी प्रशाांर्त महासागि में जस्थर्त Funafuti द्वीप औि बबककनी द्वीप इसके अच्छे उदाहिण हैं
  • 19. एटॉल के प्रकाि • एटॉल को र्तीन वगों में त्तविाजजर्त ककया जार्ता है : 1. ट्रू एटॉल (True Atoll) जजनकी वलयाकाि भित्ति के मध्य भसफष एक तछछला लैगून होर्ता है, कोई द्वीप नहीां। उदाहिण - लक्द्वीप Source : google images
  • 20. 2. आइलैंड एटॉल (Island Atoll) जजनके लैगून के मध्य में एक द्वीप जस्थर्त होर्ता है। Source : google images
  • 21. 3. ऐसे एटॉल जजनके मध्य में पहले र्तो कोई द्वीप नहीां होर्ता पि बाद में समुद्री लहिों की तनक्ेपण किया से बन जार्ता है। • उथले छोटे लैगून वाले छोटे एटॉल के चेन को faros कहा जार्ता है।
  • 22. • कोिल द्वीप को छोडकि सिी प्रकाि की प्रवाल भित्तियााँ उच्च ज्वाि के दौिान जलमग्न हो जार्ती हैं। • कोिल िीफ आमर्तौि पि कई स्थानों पि टूट जार्ते हैं, जजसके माध्यम से लैगून का सांपकष खुले समुद्रों औि महासागिों से होर्ता है। इन ब्रेक को ज्वािीय इनलेट कहा जार्ता है Source : google images
  • 23. सांदिष सूची • Sharma, R.C. & Vatal, M. : Oceanography for Geographers, Chaitanya Publishing House, Allahabad, 1995 • Singh. S : Physical Geography, Prayag Pustak Bhawan, Allahabad,2012