शोध अपने आप में एक जटिल और बौद्धिक प्रक्रिया मानी जाती है और शोध पत्र लेखन उसी जटिल प्रक्रिया का हिस्सा है, जो किये गए शोध कार्य का संक्षेप में स्पष्ट और सारगर्भित रूप प्रस्तुत करता है. प्रायः संगीत में शोध पत्र लेखन में उसके तकनीकी पक्षों – सन्दर्भ, भावानुवाद, उद्धरण, साइटेशन आदि पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जाता है जिस कारण उनकी प्रमाणिकता संदिग्ध और गुणवत्ता कमजोर हो जाती है. इस PPT में इन्हीं सब तकनीकी पहलुओं को संगीत के संदर्भ में सरल रूप से उदाहरण देकर समझाने का प्रयास किया गया है, ताकि शोध पत्र की गुणवत्ता और उसकी प्रमाणिकता को बढ़ाने में सहायता प्राप्त हो सके.
1. संगीत में शोध पत्र लेखन
डॉ. अमित कुिार विाा
अमिस्टेंट प्रोफेिर, िंगीत भवन
मवश्व भारती मवश्वमवद्यालय, शामततमनकेतन
प. बंगाल
Email: kr.amitverma@gmail.com
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2. शोध अपने आप िें एक जमटल और बौमिक प्रमिया िानी जाती है और शोध पत्र लेखन
उिी जमटल प्रमिया का महस्िा है, जो मकये गए शोध काया का िंक्षेप िें स्पष्ट और
िारगमभात रूप प्रस्तुत करता है. प्रायः िंगीत िें शोध पत्र लेखन िें उिके तकनीकी पक्षों –
ितदभा, भावानुवाद, उिरण, िाइटेशन आमद पर अपेक्षाकृत कि ध्यान मदया जाता है मजि
कारण उनकी प्रिामणकता िंमदग्ध और गुणवत्ता किजोर हो जाती है. इि PPT िें इतहीं िब
तकनीकी पहलुओं को िंगीत के िंदभा िें िरल रूप िे उदाहरण देकर ििझाने का प्रयाि
मकया गया है, तामक शोध पत्र की गुणवत्ता और उिकी प्रिामणकता को बढ़ाने िें िहायता
प्राप्त हो िके .
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3. एक अच्छे शोध पत्र के बहुत िे गुण िाने गए है. जैिे - शोध पत्र व्यवमस्ित और अपने
मवषय पर केमतित होना चामहए. उििे प्रयुक्त तथ्यों और कथ्यों की तामकाक व्याख्या होनी
चामहए. शोधपत्र अपने मवषय िें प्रािंमगक और उपयोगी होना चामहए. वह Plagiarism िे
िुक्त हो िाि ही प्रिामणक भी होना चामहए आमद. उपरोक्त गुणों िे युक्त शोध पत्र के लेखन
िें भावानुवाद (Paraphrasing), उिरण (Quotation), िवािातय ित्यों और कथ्यों
आमद का प्रयोग करते हुए उि मवषय िे िम्बंमधत अपना मचंतन और अपनी व्याख्या
प्रस्तुत करते है, और उिका मवश्लेषण करते हुए अंततः मनष्कषा तक पहुुँचते है. यह शोध
पत्र लेखन की िािातय प्रमिया है. मजिका पालन लगभग िभी प्रकार के शोध पत्रों िें होता
है.
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4. एक शोधािी को एक अच्छे शोध पत्र लेखन के मलए मनम्नमलमखत तकनीकी मबतदुओंका ज्ञान होना
चामहए –
1. Paraphrasing
2. Quotation
3. Reference
4. Bibliography
5. Citation
6. Footnote & Endnote
7. Acknowledgement
8. Plagiarism
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5. Paraphrasing
मकिी व्यमक्त या लेखक द्वारा व्यक्त की गए मवचारों को अपने शब्दों िें अपने तरीके व्यक्त करना भावानुवाद
या Paraphrasing कहलाता है. यह व्यक्त मकये गए मवचार िौमखक या मलमखत दोनों रूपों िें हो िकते है.
भावानुवाद के दौरान मवशेष रूप िे ध्यान रखना चामहए मक िूल मवचारों का स्वरूप व उनके उद्देश्यों िें कहीं
पररवतान न हो जाए अिवा वो नष्ट न हो जाए. मकिी स्रोत िे जुटाई गई िािग्री का भावानुवाद यह प्रकट
करता है मक शोधािी ने स्रोत िे प्राप्त जानकारी को उिके िूल रुप िें भली-भांमत ििझा है और शोधािी िें
उिे अपने शब्दों व शैली िें प्रकट करने की क्षिता है. भावानुवाद लेखन िें Quotation की अमधकता िे भी
बचाते है. भावानुवाद के िाि ही उिके िूल स्रोत का हवाला या उिरण (Reference) भी मदया जाना
चामहए तामक Plagiarism िे बचा जा िके .
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6. Paraphrasing
भावानुवाद अिाात मकिी के द्वारा कही गयी बात िें जो भाव है उिे अपने शब्दों िें, अपने तरीके िे व्यक्त
करना. भावानुवाद के अंतगात केवल लेखक के मवचारों को अपने शब्दों िें अपने तरीके व्यक्त करना होता है,
न मक िूचनाओं को और मवषय िे िम्बंमधत िवाज्ञात तथ्यों और कथ्यों को. भावानुवाद आवश्यकतानुिार
कि िे कि शब्दों िें अिवा अमधक िे अमधक शब्दों िें मकया जा िकता है. भावानुवाद वाक्यों का तिा
पैराग्राफ दोनों का हो िकता है. वाक्यों के िाध्यि िे होने वाले भावानुवाद का उदाहरण है-
िूल वाक्य - “वषा 1974 िें बेगि अख्तर की िृत्यु हो गई.”
भावानुवाद – “वषा 1974 िें बेगि अख्तर ने ज़िाने िे पदाा कर मलया.”
अिवा “वषा 1974 िें बेगि अख्तर पंच तत्व िें मवलीन हो गई.”
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7. Quotation
Quotation या उिरण के अंतगात मकिी लेखक द्वारा व्यक्त मकये गए मवचारों आमद को उिी रूप िें शब्दशः
मबना मकिी पररवतान के उिके नाि िे अपने लेखन िें प्रयुक्त करते है. उधृत (Quote) की गई पंमक्तयों को
inverted Comma िें मलखते है और उिका ितदभा देते है तामक Plagiarism िे बचा जा िके . उदाहरण –
डॉ. िुकेश गगा के अनुिार – “पारम्पररकता के आग्रह के कारण शास्त्रीय िंगीत जल्दी नई चीजों को स्वीकार
नही करता.1”
1. िाहू राि स्वरुप िमहला िहामवद्यालय, बरेली, उ.प्र. द्वारा प्रकामशत राष्ट्रीीय िंगो्ी स्िाररका – 2005
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8. Reference
मकिी लेखक के मवचारों या मवषय िे िम्बंमधत तथ्यों का जब भावानुवाद (Paraphrasing) करते है या
उिका उिरण (Quotation) देते है तब उिका ितदभा देने की आवश्यकता पड़ती है. मजि स्रोत िे जानकारी
लेते है उि स्रोत का पूणा उल्लेख लेखन के अंत िें करना ‘ितदभा’ देना कहलाता है. ितदभा (Referencing)
के िाध्यि िे हि दूिरे लेखकों के योगदान को िहत्व देते हुए अपने लेखन िें अंगीकार करते है. यह योगदान
मवचार, शब्द, शैली या िूचना आमद मकिी भी रूप िें हो िकता है. िंदभा का िंतुमलत और व्यवमस्ित प्रयोग
लेखन के गुरुत्व और उिके िहत्व दोनों को बढ़ता है. लेखन िें ितदभा की मवमवधता यह दशााती है मक मवषय
के उपलब्ध ज्ञानकोष (Existing Body of Knowledge) िे शोधकताा मकतना पररमचत है िाि ही यह
शोधकताा की अध्ययन की गंभीरता, गहराई और उिके ज्ञान की मवस्तृत पररमध को भी दशााती है. लेखन िें
ितदभों को भली भांमत देना चामहए तामक पाठक ितदभों के िाध्यि िे िही स्रोत तक पहुुँच िके और उिका
इस्तेिाल अपने अतय या आगे के अध्ययन के मलए कर िके.
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9. Reference
िािातयतः हि िंगीत लेखन िें मनम्नमलमखत स्रोतों िे ितदभा लेते है –
1. पुस्तक और शैक्षमणक व िािातय पमत्रकाएुँ
2. ििाचार पत्र, Pamphlet और Brochures
3. Movie, Documentary Film, टेलीमवज़न या आकाशवाणी कायािि या मवज्ञापन
4. अप्रकामशत - शोध प्रबंध व व्यमक्तगत डायरी
5. Online source - Website, Blog, Discussion Forum, Social Media Platforms आमद.
6. ईिेल, पत्र, व्यमक्तगत िाक्षात्कार, डायग्राि, मचत्र, चाटा आमद.
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10. ननम्ननलनखत को सन्दर्भ देने की आवश्यकता नहीं ह –
● मकिी मवषय या घटना पर व्यमक्तगत स्तर पर मकये गए अवलोकन तिा अवलोकन के बाद मनकले गए
मनष्कषा ितदभा के अंतगात नही आते.
● मकिी मवषय िे िम्बंमधत व्यमक्तगत अनुभव, मवचार, मटप्पणी, मवश्लेषणात्िक व्याख्याएं भी ितदभा की पररमध
िें नही आते.
● मकिी मवषय िे िम्बंमधत िवािातय ित्य, तथ्य तिा कथ्य के भी उल्लेख िें ितदभा देने की आवश्यकता नहीं
होती क्योंमक वह प्रत्येक व्यमक्त, जोमक उि मवषय िे िम्बंमधत है, उिकी जानकारी िें मनमित तौर पर होगा
ही, ऐिा िाना जाता है. जैिे – िंगीत िें िात स्वर है, ताल िंगीत का प्राण है, आमद.
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11. In-text Citation
अक्िर ऐिा देखा गया है मक शोधािी पूरा लेख मलखने के बाद लेख के अंत िें ितदभा ग्रिों की एक िूची दे
देते है और अपने काया की इमतश्री ििझ लेते है, जोमक ठीक नहीं है क्योंमक इि प्रकार िे दी गयी ितदभा ग्रति
िूची िे यह स्पष्ट नही होता है मक शोधािी ने अपने लेखन िें कहाुँ -कहाुँ और मकन -मकन लेखको को उधृत
मकया है तिा कौन िा मवचार मकि लेखक का है. इि ििस्या के मनस्तारण के मलए ही in-text citation का
प्रयोग मकया जाता है. In-text citation की िहायता िे यह स्पष्ट होता है मक लेख िें प्रयोग मकये गए
मवचार, िूचना, तथ्य आमद मकि - मकि स्रोत िे मलए गए है और वह मकन -मकन लेखकों के है.
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12. In-text Citation
लेखन के दौरान एक paragraph के अंतगात एक या कभी – कभी एक िे अमधक लेखकों के मवचारों या
उनके कायों का उल्लेख करना पड़ता है. ऐिी मस्तमि िें Citation के िाध्यि िे प्रत्येक लेखक को हि
acknowledge करते चलते है. बीच - बीच िें लेखकों के कायों को acknowledge करते चलने की
प्रमिया को in-text citation कहते है. In-text citation देने के कई प्रकार प्रचमलत है. मवमभतन
Reference Styles (जैिे- APA, MLA, Chicago आमद) िें अलग अलग तरह िे citation मदया जाता
है. Citation की इि प्रमिया िे Plagiarism िे आिानी िे बचा जा िकता है. Citation का प्रयोग िुख्य
रूप िे भावानुवाद (Paraphrasing) तिा उिरण (Quotation) देते ििय acknowledgement के मलया
मकया जाता है. In-text citation को एक उदाहरण के िाध्यि िे ििझ िकते है -
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13. In-text Citation in Chicago Style (Example)
उल्लाि के क्षणों को शारीररक िंवेग के िाि जीना ही नृत्य है. (प्रवीण 2002) नृत्य अपने आप िें मनराकार
ब्रम्ह की उपािना है. हृदय नारायण दीमक्षत ने कहा है मक “आनंमदत मचत्त िे गीत फूटते है, अमत आनंमदत
मचत्त िे नृत्य.” (दीमक्षत 2008). आज नृत्य मिफा कला ही नहीं मवद्या और मवज्ञान के रूप िें भी स्िामपत हो
रहा है, और इिका उद्देश्य िात्र नैन िुख ना होकर बौमिक, आमत्िक आनंद भी है. (शुक्ला 2009)
Reference -
● योगेश प्रवीण. आपका लखनऊ. लखनऊ: लखनऊ िहोत्िव पमत्रका िमिमत, लखनऊ, 2002.
● मशखा शुक्ला. “भारतीय िंगीत के नए आयाि.” मवजय शंकर मिश्र द्वारा िंपामदत, 2004. मदल्ली: कमनष्क पमब्लशिा,
2009.
● ह्रदय नारायण दीमक्षत. भारतीय संस्कृतत की भूतिका . वाराणिी : मवश्वमवद्यालय प्रकाशन, 2008.
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14. Footnote & Endnote
मकिी स्रोत िे ली गयी जानकारी ितदभा के रूप िें जब पृ् के नीचे वाले महस्िे िें अंको या
मकिी िंकेत के िाि दी जाती है, उिे Footnote कहते है और जब यही जानकारी लेख के
अंत िें दी जाती है तो उिे Endnotes कहते है. इिके अमतररक्त मकिी तकनीकी शब्द का
अिा, उिकी व्याख्या या मटप्पणी आमद को भी अंक या िंकेत देकर Footnote या
Endnote िें शामिल करते है. Footnote िूलतः शोध प्रबंध िें मदए जाते है तामक ितदभा
की त्वररत जानकारी होती रहे, जबमक शोध पत्र लेखन िें ितदभा के रूप िें Endnotes का
प्रयोग मकया जाता है.
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15. Acknowledgement
शोध पत्र लेखन के दौरान शोधामिायों को मवषय िे िम्बंमधत कई िारे मवद्वानों व् अतय
लोगों की िहायता की आवश्यकता पड़ती है. उनके द्वारा की गयी िहायता के मलए उतहें
धतयवाद ज्ञामपत मकया जाता है. यह शैक्षमणक ित्यमन्ा (Academic Integrity) और
शोध के नैमतक िूल्यों (Research Ethics) को स्िामपत करता है िाि ही लेखक िे
उिके िंबंधों को भी िजबूती प्रदान करता है.
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16. Bibliography
Reference और Bibliography िें बहुत छोटा िा अंतर है. शोध पत्र लेखन के दौरान
जो in-text citation मदया जाता है उिकी पूरी जानकारी लेख के अंत िें ितदभा
(Reference) के रूप िें दी जाती है. जबमक Bibliography के अंतगात Reference के
अमतररक्त जो मवचार, तथ्य, मटप्पणी आमद आते है, उनका मज़ि मकया जाता है.
Bibliography अकारामद िि (Alphabetic order) िें दी जाती है. Bibliography के
िाध्यि िे मकिी मवषय िे िम्बंमधत उपलब्ध ज्ञान कोश (Existing Body of
Knowledge) की जानकारी भी प्राप्त होती है.
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17. Plagiarism
मकिी व्यमक्त के रचनात्िक काया (मवचार, शब्द आमद) को मबना उिका श्रेय मदए अपने महत िें मकिी भी
प्रकार िे प्रयोग िें लाना Plagiarism कहलाता है. मपछले कुछ वषों िें Plagiarism ने गंभीर ििस्या का
रूप ले मलया है, मजििे Intellectual Property Rights का लगातार उल्लंघन बढ़ता जा रहा है.
Plagiarism को अब शैक्षमणक अपराध की श्रेणी िें रखा जाता है. अपने लेखन िें प्रयोग की गयी िूचनाओं,
तथ्यों आमद के स्रोतों का जानकारी न देना Plagiarism को बढ़ावा देता है. Plagiarism िे बचने का एक
ही उपाय है मक उिके प्रमत जागरूकता बढ़ा ली जाए. मकिी लेखक की बौमिक िम्पदा का िम्िान करते हुए
उिका श्रेय (acknowledge) ठीक तरीके िे देकर Plagiarism िे आिानी िे बचा जा िकता है.
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18. Plagiarism
शोध पत्र के अंत िें िात्र ितदभा ग्रंिो की िूची (Bibliography) देने भर िे शोधािी Plagiarism िे पूरी
तरह िे नही बच िकता, उिे िाि ही in-text citation भी देना चामहए तामक लेखक को उिका पूरा श्रेय
मिल िके तिा ितदभा स्रोत की पूरी जानकारी भी पाठकों तक पहुुँच िके.
मवश्वमवद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भी उच्च मशक्षण िंस्िानों िें अकादमिक ित्यमन्ा को बढ़ावा देने
तिा Plagiarism की रोकिाि के मलए जुलाई 2018 िें एक अमधिूचना जारी की है. मजिका उद्देश्य शोध
की गुणवत्ता बढ़ाने के मलए Plagiarism की रोकिाि करना, उिके प्रमत मशक्षकों, शोधामिायों, मवद्यामिायों,
तिा िम्बंमधत किाचाररयों को इिके प्रमत जागरूक करना है. शोध प्रबंध (Thesis) तिा शोध मनबंध
(Dissertation) िें एक मनमित िात्रा िे अमधक Plagiarism पाए जाने पर िजा का भी प्रावधान है.
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19. अंत िें...
अतः स्पष्ट है मक उपरोक्त चचाा मकये गए तकनीकी पहलुओं को ध्यान िें रखते हुए शोध पत्र लेखन मकया
जाए तो शोध पत्र की गुणवत्ता तिा उिकी प्रिामणकता को बढाया जा िकता है. इििे मवषय िे िम्बंमधत
उलपब्ध ज्ञान कोष (Existing Body of Knowledge) का पूरा उपयोग हो िकेगा तिा उिका ििय के
िाि िूल्यांकन भी होता रहेगा. लेखन काया Plagiarism िे िुक्त होगा तिा भमवष्य िें िंगीत शास्त्र के
अध्ययन – अद्ध्यापन को एक िजबूत आधार मिल िकेगा.
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20. धन्यवाद
“िंगीत िें शोध पत्र लेखन के तकनीकी पहलू” शोध पत्र मवस्तृत रूप िे पढ़ने के मलए नीचे मदए link पर
click करें और free download करें -
https://www.researchgate.net/publication/334363968_sangita_mem_sodha_patra_lekhana_
ke_takaniki_pahalu
ितदभा -
अमित कुिार विाा. “िंगीत िें शोध पत्र लेखन के तकनीकी पहलू.” रमव शिाा द्वारा िंपामदत. नाद नततन (नाद
नतान िोिाइटी, हररयाणा) 7, ि. 1 (अप्रैल 2019): 124-126.
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