3. मिल्ली घराना
•संस्थापक - ससद्धार खां डाढ़ी.
•खुले और जोरदार बोलों को तबले पर बजाए जाने के अनुकूल
बनाकर एक नई शैली सिकससत की, जो ‘सदल्ली बाज’ के नाम
से जानी गई.
•इसे ‘दो उँगसलयों का बाज’ या ‘सकनार का बाज’ भी कहते है.
4. मिल्ली घराना
•सदल्ली बाज में सतट, सिट, सतरसकट, िासत, िगेनिा, सिन-सगन,
सतन-सकन आसद बोलों की प्रिानता होती है.
•इस घराने में नत्थू खां, गामी खां, इनाम अली खां, लतीफ़ अहमद खां,
शफात अहमद खां आसद प्रससद्द तबला िादक कलाकार हुए है.
5. अजराड़ा घराना
•संथापक - कल्लू खां और मीरू खां.
•सदल्ली के उस्ताद ससताब खां से तबला िादन की सशक्षा
ग्रहण की.
•अजराड़ा - पसिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ सजले में सस्थत गाँि.
6. अजराड़ा घराना
•डग्गे के बोलों की प्रिानता, तबले और डग्गे के िणों के गुथाि से
सनसमित बोल – घेतग, घेनग, घेघेनक, सदंग-सदनासगन, िातग – घेतग
आसद की प्रिानता.
•प्रमुख कलाकार - हबीबुद्दीन खां, सुिीर कुमार स्सेना, हशमत खां,
रमजान खां, अकरम खां आसद.
7. लखनऊ घराना
•संस्थापक - मोंदू खां और बख्शू खां.
•लखनऊ उस समय ‘कथक नृत्य’ और ‘ठुमरी गायन’ शैली का
कें द्र था.
•कथक नृत्य के साथ संगसत के कारण इस बाज को ‘नचकरन
बाज’ भी कहा जाता है.
8. लखनऊ घराना
•लखनऊ बाज में सिरसिर, घड़ाSन, तक-घड़ाSन, ्ड़ाSन,
सकटतक-सदंगड़, सिटसिट, गसदगन, सिनसगन, तूना-कत्ता आसद
बोल प्रचुरता से बजाए जाते है.
•प्रमुख कलाकार - आसबद हुसैन, िासजद हुसैन, अफ़ाक हुसैन,
छुट्टन खां, हीरू गांगुली, असनल भट्टाचायाि, स्िपन चौिरी आसद.
9. फ़र्रा खाबाि घराना
•संस्थापक - हाजी सिलायत अली खां
•लखनऊ के उस्ताद बख्शू खां से तालीम प्राप्त की.
•बख्शू खां ने अपनी पुत्री का सििाह भी सिलायत अली साहब से
कर सदया था.
10. फ़र्रा खाबाि घराना
•इस घराने की िादन शैली में खुले बाज (लखनऊ) और बंद बाज
(सदल्ली) का सुन्दर ससममश्रण है.
•पेशकार और कायदों के असतररक्त ‘रौ- रेला’ तथा ‘गतों’ का
िादन फ़र्रिखाबाद बाज की सबसे बड़ी सिशेषता है.
11. फ़र्रा खाबाि घराना
•इस बाज में सिरसिरसकटतक, तसकट-िा, सदंगनग, सदंगदीनासघड़नग,
िात्रक-सिसकट, सिनसगन, घड़ाSन, सघड़नग-सदनतग आसद बोलों का
प्रमुखता से प्रयोग होता है.
•प्रमुख कलाकार – मुनीर खां, अमीर हुसैन, अहमदजान सथरकिा, मसीत
खां, करामत उल्ला, ज्ञान प्रकाश घोष, सासबर खां, नयन घोष आसद.
12. बनारि घराना
•संस्थापक – राम सहाय
•लखनऊ घराने के उस्ताद मोंदूं खां से तबला िादन की सशक्षा ग्रहण की.
•बनारस की िादन शैली में पखािज के मुक्त प्रहार िाले बोलों का
आसि्य सदखाई देता है.
•‘उठान’ से तबला िादन आरमभ सकया जाता है.
13. बनारि घराना
•इस बाज में तबले के बोलों के साथ पखािज, ताशा, न्कारे के बोलों
का भी समािेश सकया गया.
•छंद, परन, गत-परन, फदि, च्करदार रचनाओंके साथ साथ देिी-
देिताओंकी स्तुसत परनों का िादन इस घराने की प्रमुख सिशेषताएँ है.
15. पंजाब घराना
•संस्थापक - लाला भिानी दास/भिानी ससंह.
•लाला भिानी दास ने ताज खां, हद्दू खां, कासदर बख्श जैसे प्रसतभाशाली
कलाकारों को तैयार सकया
•पखािज से प्रभासित होने के कारण यह बाज जोरदार और खुला है.
•चारों उँगसलयों के साथ तबले पर थाप का प्रहार सकया जाता है.
16. पंजाब घराना
•बड़ी बड़ी गतें, परनें, च्करदार गतें, च्करदार परने तथा लयकाररयों से
युक्त सतहाइयों का प्रयोग इस घराने की प्रमुख सिशेषताएँ है.
•इस घराने के कुछ प्रससद्द कलाकारों में हुसैन बख्श, फकीर बख्श, करम
इलाही, अल्ला र्खा, ज़ासकर हुसैन, योगेश शमशी आसद.
17. THANK YOU
Presentation By
Dr. Amit Verma
Assistant Professor
Sangeet Bhawan,
Visva Bharati University
Shantiniketan, West Bengal
Email: kr.amitverma@gmail.com