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राष्ट्रीय शिक्षा नीशि
2020
मानव संसाधन शवकास मंत्रालय
भारि सरकार
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
1
अध्याय शवषय पृष्ठ संख्या
पररचय 3
भाग I. स्क
ू ल शिक्षा
1. प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा: सीखने की नींव 9
2. बुशनयादी साक्षरिा एवं संख्या-ज्ञान: सीखने क
े शलए एक िात्काशलक
आवश्यकिा और पूववििव
11
3. ड्
र ॉपआउट बच्चं की संख्या कम करना और सभी स्तरचं पर शिक्षा की
साववभौशमक पहंच सुशनशिि करना
14
4. स्क
ू लचं में पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र: अशधगम समग्र, एकीक
ृ ि,
आनंददायी और रुशचकर हचना चाशहए
16
5. शिक्षक 30
6. समिामूलक और समावेिी शिक्षा: सभी क
े शलए अशधगम 38
7. स्क
ू ल कॉम्प्लेक्स/क्लस्टर क
े माध्यम से क
ु िल संसाधन और प्रभावी गवनेंस 44
8. स्क
ू ली शिक्षा क
े शलए मानक शनधावरण और प्रत्यायन 48
भाग II. उच्िर शिक्षा
9. गुणवत्तापूणव शवश्वशवद्यालय एवं महाशवद्यालय: भारिीय उच्िर शिक्षा
व्यवस्था हेिु एक नया और भशवष्यचन्मुखी दृशष्ट्कचण
52
10. संस्थागि पुनगवठन और समेकन 54
11. समग्र और बह-शवषयक शिक्षा की ओर 57
12. सीखने क
े शलए अनुक
ू लिम वािावरण व छात्रचं कच सहयचग 61
13. प्रेररि, सशक्रय और सक्षम संकाय 64
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
2
अध्याय शवषय पृष्ठ संख्या
14. उच्िर शिक्षा में समिा और समावेि 66
15. शिक्षक शिक्षा 67
16. व्यावसाशयक शिक्षा का नवीन आकल्पन 70
17. नवीन राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेिन (एनआरएफ) क
े माध्यम से सभी क्षेत्रचं
में गुणवत्तायुक्त अकादशमक अनुसंधान कच उत्प्रेररि करना
72
18. उच्िर शिक्षा की शनयामक प्रणाली में आमूल-चूल पररविवन 75
19. उच्िर शिक्षा संस्थानचं क
े शलए प्रभावी िासन और नेिृत्व 79
भाग III. अन्य क
ें द्रीय शवचारणीय मुद्दे
20. व्यावसाशयक शिक्षा 81
21. प्रौढ़ शिक्षा और जीवनपयंि सीखना 83
22. भारिीय भाषाओं, कला और संस्क
ृ शि का संवधवन 86
23. प्रौद्यचशगकी का उपयचग एवं एकीकरण 92
24. : प्रौद्यचशगकी न्यायसम्मि 95
भाग IV. शक्रयान्वयन की रणनीशि
25. क
ें द्रीय शिक्षा सलाहकार बचड्व का सिक्तीकरण 99
26. शवत्त पचषण: सभी क
े शलए वहनीय एवं गुणवत्तापूणव शिक्षा 99
27. कायावन्वयन 101
प्रयुक्त संक
े िाक्षरचं की सूची 103
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
3
पररचय
शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने, एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज क
े शवकास और राष्ट्रीय
शवकास को बढावा देने क
े शिए मूिभूत आवश्यकता है। गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा तक सावणभौशमक पहुँच प्रदान
करना वैशिक मंच पर सामाशजक न्याय और समानता, वैज्ञाशनक उन्नशत, राष्ट्रीय एकीकरर् और सांस्क
ृ शतक
संरक्षर् क
े संदभण में भारत की सतत प्रगशत और आशथणक शवकास की क
ुं जी है। सावणभौशमक उच्चतर स्तरीय
शिक्षा वह उशचत माध्यम है, शजससे देि की समृद्ध प्रशतभा और संसाधनों का सवोत्तम शवकास और संवद्धणन
व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और शवि की भिाई क
े शिए शकया जा सकता है। अगिे दिक में भारत दुशनया का
सबसे युवा जनसंख्या वािा देि होगा और इन युवाओं को उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण िैशक्षक अवसर उपिध
कराने पर ही भारत का भशवष्य शनभणर करेगा।
भारत द्वारा 2015 में अपनाए गए सतत शवकास एजेंडा 2030 क
े िक्ष्य 4 (एसडीजी 4) में पररिशक्षत वैशिक
शिक्षा शवकास एजेंडा क
े अनुसार शवि में 2030 तक ‘’सभी क
े शिए समावेिी और समान गुर्वत्तायुि
शिक्षा सुशनशित करने और जीवन-पयंत शिक्षा क
े अवसरों को बढावा शदए जाने’’ का िक्ष्य है। इस तरह क
े
उदात्त िक्ष्य क
े शिए संपूर्ण शिक्षा प्रर्ािी को समथणन और अशधगम को बढावा देने क
े शिए पुनगणशित करने
की आवश्यकता होगी, ताशक सतत शवकास क
े शिए 2030 एजेंडा क
े सभी महत्वपूर्ण टागेट और िक्ष्य
(एसडीजी) प्राप्त शकए जा सक
ें ।
ज्ञान क
े पररदृश्य में पूरा शवि तेजी से पररवतणन क
े दौर से गुजर रहा है। शबग डेटा, मिीन िशनंग और
आशटणफीशसयि इंटेशिजेंस जैसे क्षेत्ों में हो रहे बहत से वैज्ञाशनक और तकनीकी शवकास क
े चिते एक ओर
शवि भर में अक
ु िि कामगारों की जगह मिीनें काम करने िगेंगी और दू सरी ओर डेटा साइंस, क
ं प्यूटर
साइंस और गशर्त क
े क्षेत्ों में ऐसे क
ु िि कामगारों की जरूरत और मांग बढेगी जो शवज्ञान, समाज शवज्ञान
और मानशवकी क
े शवशवध शवषयों में योग्यता रखते हों। जिवायु पररवतणन, बढते प्रदू षर् और घटते प्राक
ृ शतक
संसाधनों की वजह से हमें ऊजाण, भोजन, पानी, स्वच्छता आशद की आवश्यकताओं को पूरा करने क
े नए
रास्ते खोजने होंगे और इस कारर् भी जीव शवज्ञान, रसायन शवज्ञान, भौशतक शवज्ञान, क
ृ शष, जिवायु शवज्ञान,
और समाज शवज्ञान क
े क्षेत्ों में नए क
ु िि कामगारों की जरूरत होगी। महामारी और महामारी क
े बढते
उद्भव संक्रामक रोग प्रबंधन और टीकों क
े शवकास में सहयोगी अनुसंधान और पररर्ामी सामाशजक मुद्दे
बह-शवषयक अशधगम की आवश्यकता को बढाते हैं। मानशवकी और किा की मांगबढेगी , क्ोंशक भारत
एक शवकशसत देि बनने क
े साथ-साथ दुशनया की तीन सबसे बडी अथणव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर
अग्रसर है।
रोज़गार और वैशिक पाररक्तस्थशतकी में तीव्र गशत से आ रहे पररवतणनों की वजह से यह जरुरी हो गया है शक
बच्चे, जो क
ु छ शसखाया जा रहा है, उसे तो सीखें ही और साथ ही वे सतत सीखते रहने की किा भी सीखें।
इसशिए शिक्षा में शवषयवस्तु को बढाने की जगह जोर इस बात पर अशधक होने की ज़रूरत है शक बच्चे
समस्या-समाधान और ताशक
ण क एवं रचनात्मक रूप से सोचना सीखें, शवशवध शवषयों क
े बीच अंतसंबंधों को
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
4
देख पायें, क
ु छ नया सोच पायें और नयी जानकारी को नए और बदिती पररक्तस्थशतयों या क्षेत्ों में उपयोग में
िा पायें। जरूरत है शक शिक्षर् प्रशक्रया शिक्षाथी-क
े क्तित हो, शजज्ञासा, खोज, अनुभव और संवाद क
े आधार
पर संचाशित हो, िचीिी हो और समग्रता और समक्तित रूप से देखने-समझने में सक्षम बनाने वािी और,
अवश्य ही, रुशचपूर्ण हो। शिक्षा शिक्षाशथणयों क
े जीवन क
े सभी पक्षों और क्षमताओं का संतुशित शवकास करे
इसक
े शिए पाठ्यक्रम में शवज्ञान और गशर्त क
े अिावा बुशनयादी किा, शिल्प, मानशवकी, खेि और
शफटनेस, भाषाओं, साशहत्य, संस्क
ृ शत और मूल्य का अवश्य ही समावेि शकया जाये। शिक्षा से चररत् शनमाणर्
होना चाशहए, शिक्षाशथणयों में नैशतकता, ताशक
ण कता, करुर्ा और संवेदनिीिता शवकशसत करनी चाशहए और
साथ ही रोज़गार क
े शिए सक्षम बनाना चाशहए।
सीखने क
े पररर्ामों की वतणमान क्तस्थशत और जो आवश्यक है, उनक
े बीच की खाई को प्रारंशभक
बाल्यावस्था देखभाि और उच्चतर शिक्षा क
े माध्यम से शिक्षा में उच्चतम गुर्वत्ता, इक्तिटी और शसस्टम में
अखंडता िाने वािे प्रमुख सुधारों क
े जररए पाटा जाना चाशहए।
2040 तक भारत क
े शिए एक ऐसी शिक्षा प्रर्ािी का िक्ष्य होना चाशहए जो शक शकसी से पीछे नहीं है, एक
ऐसी शिक्षा व्यवस्था जहां शकसी भी सामाशजक और आशथणक पृष्ठभूशम से संबंध रखने वािे शिक्षाशथणयों को
समान रूप से सवोच्च गुर्वत्ता की शिक्षा उपिध हो।
यह राष्ट्रीय शिक्षा नीशत 2020, 21वीं िताब्दी की पहिी शिक्षा नीशत है शजसका िक्ष्य हमारे देि क
े शवकास
क
े शिए अशनवायण आवश्यकताओं को पूरा करना हैI यह नीशत भारत की परंपरा और सांस्क
ृ शतक मूल्यों क
े
आधार को बरक़रार रखते हए, 21वीं सदी की शिक्षा क
े शिए आकांक्षात्मक िक्ष्यों, शजनमें एसडीजी
4िाशमि हैं, क
े संयोजन में शिक्षा व्यवस्था, उसक
े शनयमन और गवनेंस सशहत, सभी पक्षों क
े सुधार और
पुनगणिन का प्रस्ताव रखती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीशत प्रत्येक व्यक्ति में शनशहत रचनात्मक क्षमताओं क
े शवकास
पर शविेष जोर देती है। यह नीशत इस शसद्धांत पर आधाररत है शक शिक्षा से न क
े वि साक्षरता और
संख्याज्ञान जैसी ‘बुशनयादी क्षमताओं’ क
े साथ-साथ ‘उच्चतर स्तर’ की ताशक
ण क और समस्या-समाधान
संबंधी संज्ञानात्मक क्षमताओं का शवकास होना चाशहए बक्ति नैशतक, सामाशजक और भावनात्मक स्तर पर
भी व्यक्ति का शवकास होना आवश्यक है।
प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और शवचार की समृद्ध परंपरा क
े आिोक में यह नीशत तैयार की गयी है।
ज्ञान, प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय शवचार परंपरा और दिणन में सदा सवोच्च मानवीय िक्ष्य माना
जाता था। प्राचीन भारत में शिक्षा का िक्ष्य सांसाररक जीवन अथवा स्क
ू ि क
े बाद क
े जीवन की तैयारी क
े
रूप में ज्ञान अजणन नहीं बक्ति पूर्ण आत्म-ज्ञान और मुक्ति क
े रूप में माना गया था। तक्षशििा, नािंदा,
शवक्रमशििा और वल्लभी जैसे प्राचीन भारत क
े शवि-स्तरीय संस्थानों ने अध्ययन क
े शवशवध क्षेत्ों में शिक्षर्
और िोध क
े ऊ
ं चे प्रशतमान स्थाशपत शकये थे और शवशभन्न पृष्ठभूशम और देिों से आने वािे शवद्याशथणयों और
शवद्वानों को िाभाक्तित शकया था। इसी शिक्षा व्यवस्था ने चरक, सुश्रुत, आयणभट, वराहशमशहर, भास्कराचायण,
ब्रह्मगुप्त, चार्क्, चक्रपाशर् दत्ता, माधव, पाशर्शन, पतंजशि, नागाजुणन, गौतम, शपंगिा, िंकरदेव, मैत्ेयी,
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
5
गागी और शथरुवल्लुवर जैसे अनेकों महान शवद्वानों को जन्म शदया। इन शवद्वानों ने वैशिक स्तर पर ज्ञान क
े
शवशवध क्षेत्ों, जैसे गशर्त, खगोि शवज्ञान, धातु शवज्ञान, शचशकत्सा शवज्ञान और िल्य शचशकत्सा, शसशवि
इंजीशनयररंग, भवन शनमाणर्, नौकायान-शनमाणर् और शदिा ज्ञान, योग, िशित किा, ितरंज इत्याशद में
प्रामाशर्क रूप से मौशिक योगदान शकये। भारतीय संस्क
ृ शत और दिणन का शवि में बडा प्रभाव रहा है।
वैशिक महत्व की इस समृद्ध शवरासत को आने वािी पीशढयों क
े शिए न शसफ
ण सहेज कर संरशक्षत रखने की
जरूरत है बक्ति हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर िोध कायण होने चाशहए, उसे और समृद्ध शकया जाना
चाशहए और नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाशहए।
शिक्षा व्यवस्था में शकये जा रहे बुशनयादी बदिावों क
े क
ें द्र में अवश्य ही शिक्षक होने चाशहए। शिक्षा की नई
नीशत को शनशित तौर पर, हर स्तर पर शिक्षकों को समाज क
े सवाणशधक सम्माननीय और अशनवायण सदस्य क
े
रूप में पुनः स्थान देने में सहायता करनी होगी क्ोंशक शिक्षक ही नागररकों की हमारी अगिी पीढी को
सही मायने में आकार देते हैं। इस नीशत द्वारा शिक्षकों को सक्षम बनाने क
े शिए हर संभव कदम उिाये
जाने की आवश्यकता है शजससे वे अपने कायण को प्रभावी रूप से कर सक
ें । नयी शिक्षा नीशत को हर स्तर
पर शिक्षर् क
े पेिे में सबसे होनहार िोगों का चयन करने में सहायता करनी होगी शजसक
े शिए उनकी
आजीशवका, सम्मान, मान-मयाणदा और स्वायत्तता सुशनशित करनी होगी, साथ ही तंत् में गुर्वत्ता शनयंत्र्
और जवाबदेही की बुशनयादी प्रशक्रयाएं भी स्थाशपत करनी होंगी।
नयी शिक्षा नीशत को सभी शवद्याशथणयों क
े शिए, चाहे उनका शनवास स्थान कहीं भी हो, गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा
व्यवस्था उपिध करानी होगी। इस कायण में ऐशतहाशसक रूप से हाशिए पर रह रहे समुदायों, वंशचत और
अल्प-प्रशतशनशधत्व वािे समूहों पर शविेष ध्यान शदए जाने की जरूरत होगी। शिक्षा बराबरी सुशनशित करने
का बडा माध्यम है और इसक
े द्वारा समाज में समानता, समावेिन और सामाशजक-आशथणक रूप से
गशतिीिता हाशसि की जा सकती है। ऐसे समूहों क
े सभी बच्चों क
े शिए, पररक्तस्थशतजन्य बाधाओं क
े
बावजूद, हर संभव पहि की जानी चाशहए शजससे वे शिक्षा व्यवस्था में प्रवेि भी पा सक
ें और उत्क
ृ ष्ट्
प्रदिणन भी कर सक
ें ।
इन सभी बातों का नीशत में समावेि भारत की समृद्ध शवशवधता और संस्क
ृ शत क
े प्रशत सम्मान रखते हए और
साथ ही देि की स्थानीय और वैशिक संदभण में आवश्यकताओं का ध्यान रखते हए होना चाशहए। भारत क
े
युवाओं को भारत देि क
े बारे में और इसकी शवशवध सामाशजक, सांस्क
ृ शतक, और तकनीकी
आवश्यकताओं सशहत यहाुँ की अशद्वतीय किा, भाषा और ज्ञान परंपराओं क
े बारे में ज्ञानवान बनाना राष्ट्रीय
गौरव, आत्मशविास, आत्मज्ञान, परस्पर सहयोग और एकता की दृशष्ट् से और भारत क
े सतत ऊ
ं चाइयों की
ओर बढने की दृशष्ट् से अशतआवश्यक है।
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
6
शपछली नीशियााँ
शिक्षा पर शपछिी नीशतयों का जोर मुख्य रूप से शिक्षा तक पहुँच क
े मुद्दों पर था। 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा
नीशत, शजसे 1992 (एनपीई 1986/92) में संिोशधत शकया गया था, क
े अधूरे काम को इस नीशत क
े द्वारा पूरा
करने का भरपूर प्रयास शकया गया है। 1986/92 की शपछिी नीशत क
े बाद से एक बडा कदम शन:िुि
और अशनवायण शिक्षा अशधशनयम 2009 रहा है शजसने सावणभौशमक प्रारंशभक शिक्षा सुिभ कराने हेतु कानूनी
आधार उपिध करवाया।
इस नीशि क
े आधार शसद्ांि
िैशक्षक प्रर्ािी का उद्देश्य अच्छे इंसानों का शवकास करना है - जो तक
ण संगत शवचार और कायण करने में
सक्षम हो, शजसमें करुर्ा और सहानुभूशत, साहस और िचीिापन, वैज्ञाशनक शचंतन और रचनात्मक
कल्पनािक्ति, नैशतक मूल्य और आधार हों। इसका उद्देश्य ऐसे उत्पादक िोगों को तैयार करना है जोशक
अपने संशवधान द्वारा पररकक्तल्पत - समावेिी, और बहितावादी समाज क
े शनमाणर् में बेहतर तरीक
े से
योगदान करे।
एक अच्छी िैक्षशर्क संस्था वह है शजसमें प्रत्येक छात् का स्वागत शकया जाता है और उसकी देखभाि की
जाती है, जहाुँ एक सुरशक्षत और प्रेरर्ादायक शिक्षर् वातावरर् मौजूद होता है, जहाुँ सभी छात्ों को सीखने
क
े शिए शवशवध प्रकार क
े अनुभव उपिध कराए जाते हैं और जहाुँ सीखने क
े शिए अच्छे बुशनयादी ढांचे
और उपयुि संसाधन उपिध हैं। ये सब हाशसि करना प्रत्येक शिक्षा संस्थान का िक्ष्य होना चाशहए।
तथाशप, साथ ही शवशभन्न संस्थानों क
े बीच और शिक्षा क
े हर स्तर पर परस्पर सहज जुडाव और समिय
आवश्यक है।
मूिभूत शसद्धांत जो बडे स्तर पर शिक्षा प्रर्ािी और साथ ही व्यक्तिगत संस्थानों दोनों का मागणदिणन करेंगे,
ये हैं:
 हर बच्े की शवशिष्ट् क्षमिाओं की स्वीक
ृ शि, पहचान और उनक
े शवकास हेिु प्रयास करना –
शिक्षकों और अशभभावकों को इन क्षमताओं क
े प्रशत संवेदनिीि बनाना शजससे वे बच्चे की
अकादशमक और अन्य क्षमताओं में उसक
े सवांगीर् शवकास पर भी पूरा ध्यान दें।
 बुशनयादी साक्षरिा और संख्याज्ञान कच सवावशधक प्राथशमकिा देना – शजससे सभी बच्चे कक्षा
3 तक साक्षरता और संख्याज्ञान जैसे सीखने क
े मूिभूत कौििों को हाशसि कर सक
ें ।
 लचीलापन, ताशक शिक्षाशथणयों में उनक
े सीखने क
े तौर-तरीक
े और कायणक्रमों को चुनने की क्षमता
हो, और इस तरह वे अपनी प्रशतभा और रुशचयों क
े अनुसार जीवन में अपना रास्ता चुन सक
ें ;
 किा और शवज्ञान क
े बीच, पाियक्रम और पाठ्येतर गशतशवशधयों क
े बीच, व्यावसाशयक और
िैक्षशर्क धाराओं, आशद क
े बीच कचई स्पष्ट् अलगाव न हचं, शजससे ज्ञान क्षेत्ों क
े बीच हाशनकारक
ऊ
ं च-नीच और परस्पर दू री एवं असंबद्धता को दू र शकया जा सक
े ;
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
7
 सभी ज्ञान की एकिा और अखंड्िा कच सुशनशिि करने क
े शलए एक बह-शवषयक दुशनया क
े
शलए शवज्ञान, सामाशजक शवज्ञान, किा, मानशवकी और खेि क
े बीच एक बह-शवषयक (multi-
disciplinary) और समग्र शिक्षा का शवकास
 अवधारणात्मक समझ पर जचर, न शक रटंत पद्धशत और क
े वि परीक्षा क
े शिए पढाई;
 रचनात्मकिा और िाशक
व क सचच ताशक
ण क शनर्णय िेने और नवाचार को प्रोत्साशहत करने क
े शिए;
 नैशिकिा, मानवीय और संवैधाशनक मूल्य जैसे, सहानुभूशत, दू सरों क
े शिए सम्मान, स्वच्छता,
शिष्ट्ाचार, िोकतांशत्क भावना, सेवा की भावना, सावणजाशनक संपशत्त क
े शिए सम्मान वैज्ञाशनक
शचंतन, स्वतंत्ता, शजम्मेदारी, बहितावाद, समानता और न्याय;
 बह-भाशषकिा और अध्ययन-अध्यापन क
े कायण में भाषा की िक्तक्त को प्रोत्साहन
 जीवन कौिल जैसे, आपसी संवाद, सहयोग, सामूशहक कायण, और िचीिापन;
 सीखने क
े शलए सिि मूल्यांकन पर जचर, इसक
े बजाय शक साि क
े अंत में होने वािी परीक्षा को
क
ें द्र में रखकर शिक्षर् हो शजससे शक आज की ‘कोशचंग संस्क
ृ शत’ को ही बढावा शमिता है;
 िकनीकी क
े यथासंभव उपयचग पर जचर – अध्ययन-अध्यापन कायण में, भाषा संबंधी बाधाओं को
दू र करने में, शदव्यांग बच्चों क
े शिए शिक्षा को सुिभ बनाने में और िैक्षशर्क शनयोजन और प्रबंधन
में;
 सभी पाठ्यक्रम, शिक्षर्-िास्त्र और नीशत में स्थानीय संदभण की शवशवधिा और स्थानीय पररवेि
क
े शलए एक सम्मान, हमेिा ध्यान में रखते हए शक शिक्षा एक समवती शवषय है;
 सभी िैशक्षक शनणवयचं की आधारशिला क
े रूप में पूणव समिा और समावेिन, साथ ही शिक्षा
को िोगों की पहुँच और सामर्थ्ण क
े दायरे में रखना – यह सुशनशित करने क
े शिए शक सभी छात्
शिक्षा प्रर्ािी में सफिता हाशसि कर सक
ें ;
 स्क
ू िी शिक्षा से उच्चतर शिक्षा तक सभी स्तरों क
े शिक्षा पाठ्यक्रम में तािमेि, प्रारंशभक
बाल्यवस्था देख-भाि तथा शिक्षा से;
 शिक्षकचं और संकाय कच सीखने की प्रशक्रया का क
ें द्र मानना - उनकी भती और तैयारी की
उत्क
ृ ष्ट् व्यवस्था, शनरंतर व्यावसाशयक शवकास, और सकारात्मक कायण वातावरर् और सेवा की
क्तस्थशत;
 िैशक्षक प्रर्ािी की अखंड्िा, पारदशिविा और संसाधन क
ु िलिा ऑशडट और सावणजशनक
प्रकटीकरर् क
े माध्यम से सुशनशित करने क
े शिए एक 'हल्का, लेशकन प्रभावी' शनयामक ढांचा –
साथ ही साथ स्वायत्तिा, सुिासन, और सिक्तीकरण क
े माध्यम से नवाचार और आउट-
ऑफ-द-बॉक्स शवचारों को प्रोत्साशहत करना;
 गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा और शवकास क
े शिए उत्क
ृ ष्ट् स्तर का िचध;
 िैशक्षक शविेषज्ञों द्वारा शनरंतर अनुसंधान और शनयशमत मूल्यांकन क
े आधार पर
;
 भारिीय जड़चं और गौरव से बंधे रहना, और जहाुँ प्रासंशगक िगे वहाुँ भारत की समृद्ध और
शवशवध प्राचीन और आधुशनक संस्क
ृ शत और ज्ञान प्रर्ाशियों और परंपराओं को िाशमि करना और
उससे प्रेरर्ा पाना;
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
8
 शिक्षा एक साववजशनक सेवा है; गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा तक पहंच को प्रत्येक बच्चे का मौशिक
अशधकार माना जाना चाशहए;
 एक मजबूि, जीवंि साववजशनक शिक्षा प्रणाली में पयावप्त शनवेि - साथ ही सच्चे परोपकारी
शनजी और सामुदाशयक भागीदारी को प्रोत्साहन और सुशवधा।
इस नीशि का शवज़न
उच्चतर
संस्थानों
,
,
,
भाग I. स्क
ू ल शिक्षा
यह नीशत वतणमान की 10 + 2 वािी स्क
ू िी व्यवस्था को 3 से 18 वषण क
े सभी बच्चों क
े शिए पाठ्यचयाण और
शिक्षर्-िास्त्रीय आधार पर 5 + 3 + 3 + 4 की एक नयी व्यवस्था में पुनगणशित करने की बात करती है,
जैसा शक यहाुँ दी गयी आक
ृ शत में शदया गया है और अध्याय 4 में भी इस पर शवस्तृत शववरर् शदया गया है।
Middle
10
(Ages 6-16)
2
(Ages16-18)
2 years
(Class 1 & 2)
(Ages 6-8)
.............………………
3 years
(Anganwadi/ pre-
school/Balvatika)
(Ages 3-6)
3
(Class 3 to 5)
(Ages 8-11)
3
(Class 6 to 8)
(Ages 11-14)
4
(Class 9 to 12)
(Ages14-18)
पिछला अकादपिक ढाांचा नया शैक्षपिक और िाठ्यक्रि ढाांचा
Foundational
Preparatory
Secondary
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
9
वतणमान में 3 से 6 वषण की उम्र क
े बच्चे 10 + 2 वािे ढांचे में िाशमि नहीं हैं क्ोंशक 6 वषण क
े बच्चों को
कक्षा 1 में प्रवेि शदया जाता है। नए 5+3+3+4 ढांचे में 3 वषण क
े बच्चों को िाशमि कर प्रारंशभक
बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा (ईसीसीई) की एक मजबूत बुशनयाद को िाशमि शकया गया है शजससे आगे
चिकर बच्चों का शवकास बेहतर हो, वे बेहतर उपिक्तधयां हाशसि कर सक
ें और खुिहाि हों।
1. प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा : सीखने की नींव
1.1 बच्चों क
े मक्तस्तष्क का 85 प्रशतित शवकास 6 वषण की अवस्था से पूवण ही हो जाता है। बच्चों क
े मक्तस्तष्क
क
े उशचत शवकास और िारीररक वृक्तद्ध को सुशनशित करने क
े शिए उसक
े आरंशभक 6 वषों को महत्वपूर्ण
माना जाता है। वतणमान समय में, शविेष रूप से सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत पृष्ठभूशम क
े करोडों बच्चों
क
े शिए, गुर्वत्तापूर्ण प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा उपिध नहीं है। इसशिए ईसीसीई में
शनवेि करने से इसकी पहुँच देि क
े सभी बच्चों तक हो सकती है शजससे सभी बच्चों को िैशक्षक प्रर्ािी में
भाग िेने और तरक्की करने क
े समान अवसर शमि सक
ें गे। ईसीसीई संभवतया, समता स्थाशपत करने में
सबसे िक्तििािी माध्यम हो सकता है। प्रारंशभक बाल्यावस्था शवकास, देखभाि क
े शिए गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा
क
े सावणभौशमक प्रावधान को जल्द से जल्द, शनिय ही वषण 2030 से पूवण, उपिध शकया जाना चाशहए, ताशक
यह सुशनशित शकया जा सक
े शक पहिी कक्षा में प्रवेि पाने वािे सभी बच्चे स्क
ू िी शिक्षा क
े शिए पूरी तरह
से तैयार हों।
1.2 ईसीसीई में मुख्य रूप से िचीिी, बहआयामी, बह-स्तरीय, खेि-आधाररत, गशतशवशध-आधाररत, और
खोज-आधाररत शिक्षा को िाशमि शकया गया है। जैसे अक्षर, भाषा, संख्या, शगनती, रंग, आकार, इंडोर एवं
आउटडोर खेि, पहेशियाुँ और ताशक
ण क सोच, समस्या सुिझाने की किा, शचत्किा, पेंशटंग, अन्य दृश्य
किा, शिल्प, नाटक, किपुतिी, संगीत तथा अन्य गशतशवशधयों को िाशमि करते हए इसक
े साथ अन्य
कायण जैसे सामाशजक कायण, मानवीय संवेदना, अच्छे व्यवहार, शिष्ट्ाचार, नैशतकता, व्यक्तिगत और
सावणजशनक स्वच्छता, समूह में कायण करना और आपसी सहयोग को शवकशसत करने पर भी ध्यान क
ें शद्रत
शकया गया है। ईसीसीई का समग्र उद्देश्य बच्चों का िारीररक-भौशतक शवकास, संज्ञानात्मक शवकास,
समाज-संवेगात्मक-नैशतक शवकास, सांस्क
ृ शतक शवकास, संवाद क
े शिए प्रारंशभक भाषा, साक्षरता और
संख्यात्मक ज्ञान क
े शवकास में अशधकतम पररर्ामों को प्राप्त करना है।
1.3 एनसीईआरटी द्वारा 8 वषण की आयु तक क
े सभी बच्चों क
े शिए दो भागों में प्रारंशभक बाल्यावस्था की
शिक्षा क
े शिए एक उत्क
ृ ष्ट् पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचा (एनसीपीएफईसीसीई) शवकशसत शकया जाएगा,
अथाणत् 0-3 वषण क
े बच्चों क
े शिए एक सब-फ्र
े मवक
ण और 3-8 साि क
े शिए एक अन्य सब-फ्र
े मवक
ण का
शवकास शकया जाएगा। उपरोि शदिाशनदेिों क
े अनुसार, ईसीसीई राष्ट्रीय और अंतराणष्ट्रीय नवाचार एवं
सवोत्तम प्रथाओं पर नवीनतम िोध को िाशमि करेगा। शविेष रूप से, उन प्रथाओं को जो भारत में कई
िताक्तब्दयों से बाल्यावस्था की शिक्षा क
े शवकास क
े शिए समृद्ध है और वे स्थानीय परंपराओं में शवकशसत हईं
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
10
हैं, शजनमें किा, कहाशनयां, कशवता, खेि, गीत, और बहत क
ु छ िाशमि हैं, इन सभी को मुख्य रूप से
िाशमि शकया जाएगा। शिक्षा का यह मॉडि माता-शपता दोनों क
े साथ-साथ प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि
और शिक्षा क
े शिए भी एक मागणदिणक क
े रूप में काम करेगा।
1.4 पूरे देि में चरर्बद्ध तरीक
े से उच्चतर गुर्वत्ता वािे ईसीसीई संस्थानों क
े शिए सावणभौशमक पहुँच
सुशनशित करना वृहद िक्ष्य होगा। शपछडे शजिों और उन क्षेत्ों पर शविेष ध्यान और प्राथशमकता देनी होगी
जो सामाशजक और आशथणक रूप से शपछडे हैं। शवस्तृत और सिि ईसीसीई संस्थानों द्वारा ईसीसीई
प्रर्ािी को िागू शकया जाएगा शजसमें (क) पहिे से काफी शवस्तृत और सिि रूप से अक
े िे चि रहे
आंगनवाशडयों क
े माध्यम से (ख) प्राथशमक शवद्याियों क
े साथ क्तस्थत आंगनवाशडयों क
े माध्यम से (ग) पूवण
प्राथशमक शवद्याियों, जो कम से कम 5 से 6 वषण पूरा करेंगे, और प्राथशमक शवद्याियों क
े साथ क्तस्थत हैं,
इनक
े माध्यम से (घ) अक
े िे चि रहे प्री-स्क
ू ि क
े माध्यम से इसे िागू शकया जाएगा। ये सभी शवद्यािय
ईसीसीई क
े पाठ्यक्रम और शिक्षर् में प्रशिशक्षत कमणचाररयों/ शिक्षकों को भती करेंगे।
1.5 प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा (ईसीसीई) की सावणभौशमक पहुँच क
े शिए, आंगनवाडी क
ें द्रों
को उच्चतरगुर्वत्ता क
े बुशनयादी ढांचे, खेिने क
े उपकरर् और पूर्ण रूप से प्रशिशक्षत आंगनवाडी
कायणकशत्यों / शिक्षकों क
े साथ सिि बनाया जाएगा। प्रत्येक आंगनवाडी में समृद्ध शिक्षा क
े वातावरर् क
े
साथ अच्छी तरह से शडजाइन शकया हआ हवादार, बाि-सुिभ और शनशमणत भवन होगा। आंगनवाडी क
े िों
में बच्चे गशतशवशध से भरे पयणटन करेंगे – और अपने स्थानीय प्राथशमक स्क
ू िों क
े शिक्षकों और छात्ों से
शमिेंगे, ताशक आंगनवाडी क
े िों से प्राथशमक स्क
ू िों में संक्रमर् को सुचारू बनाया जा सक
े । आुँगनवाशडयों
को स्क
ू ि पररसरों / समूहों, में पूरी तरह से एकीक
ृ त शकया जायेगा और आंगनवाडी बच्चों, माता-शपता और
शिक्षकों को स्क
ू ि / स्क
ू ि क
े शवशभन्न कायणक्रमों में परस्पर – भाग िेने क
े शिए आमंशत्त शकया जायेगा।
1.6 यह पररकल्पना की गई है की 5 वषण की आयु से पहिे हर बच्चा एक प्रारंशभक कक्षा या "बािवाशटका"
(जो शक कक्षा 1 से पहिे है) में स्थानांतररत हो जायेगा शजसमे एक ईसीसीई योग्य शिक्षक हैं तैयारी कक्षा में
सीखने को मुख्य रूप से खेि-आधाररत शिक्षा पर आधाररत होना चाशहए, शजसमें संज्ञानात्मक, भावनात्मक
और िारीररक क्षमताओं और प्रारंशभक साक्षरता और संख्या-ज्ञान शवकशसत करने पर ध्यान क
ें शद्रत शकया
जाएगा। दोपहर क
े (मध्याह्न) भोजन कायणक्रम को प्राथशमक शवद्यािय क
े साथ-साथ तैयारी कक्षाओं तक भी
शवस्ताररत शकया जाना चाशहए। स्वास्थ्य क
े शवकास की शनगरानी और जांच -परीक्षर् जो आंगनवाडी
व्यवस्था में उपिध हैं, उसे प्राथशमक स्क
ू िों की तैयारी कक्षाओं क
े छात्ों को भी उपिध कराया जाएगा।
1.7 ईसीसीई शिक्षकों क
े िुरुआती क
ै डर को तैयार करने क
े शिए आंगनवाडी कायणकशत्यों /शिक्षकों को
एनसीईआरटी द्वारा शवकशसत पाठ्यक्रम/शिक्षर्-िास्त्रीय फ्र
े मवक
ण क
े अनुसार एक व्यवक्तस्थत तरीक
े से
प्रशिक्षर् शदया जाएगा। 10 + 2 और उससे अशधक योग्यता वािे आंगनवाडी कायणकत्ी /शिक्षक को
ईसीसीई में 6 महीने का प्रमार्पत् कायणक्रम कराया जाएगा; और कम िैक्षशर्क योग्यता रखने वािों को
एक वषण का शडप्लोमा कायणक्रम कराया जाएगा शजसमें प्रारंशभक साक्षरता, संख्या और ईसीसीई क
े अन्य
प्रासंशगक पहिुओं को भी िाशमि शकया जाएगा। इन कायणक्रमों को शडशजटि / दू रस्थ माध्यम से डीटीएच
चैनिों क
े साथ-साथ स्माटण फोन क
े माध्यम से चिाया जा सकता है, शजससे शिक्षकों को अपने वतणमान
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
11
कायण में न्यूनतम व्यवधान क
े साथ ईसीसीई योग्यता प्राप्त करने में सहूशियत शमि पाएगी। आंगनवाडी
कायणकशत्यों / शिक्षकों क
े ईसीसीई प्रशिक्षर् को शिक्षा शवभाग क
े क्लस्टर ररसोसण सेंटर द्वारा मेंटर शकया
जाएगा और शनरंतर मूल्यांकन क
े शिए कम से कम एक माशसक कक्षा भी चिाएगा। दीघाणवशध में, राज्य
सरकारों को चरर्-शविेष में व्यावसाशयक प्रशिक्षर्, मागणदिणन की व्यवस्था और क
ॅ ररयर मैशपंग क
े जररये
आरंशभक बाल्यावस्था में देखभाि और शिक्षा क
े शिए व्यावसाशयक रूप से योग्य शिक्षकों क
े क
ै डरों को
तैयार करना चाशहए। इन शिक्षकों की प्रारंशभक व्यावसाशयक तैयारी और उसक
े सतत व्यावसाशयक शवकास
(सीपीडी) क
े शिए आवश्यक सुशवधाओं का भी शवकास शकया जाएगा।
1.8 ईसीसीई को चरर्बद्ध तरीक
े से आशदवासी बहि क्षेत्ों की आश्रमिािाओं में भी िुरू शकया जाएगा।
आश्रमिािाओं में ईसीसीई को एकीक
ृ त करने और इसे िागू करने की प्रशक्रया ऊपर शदए गए शववरर् क
े
जैसी ही होगी।
1.9 ईसीसीई पाठ्यक्रम और शिक्षर्-शवशध की शजम्मेदारी मानव संसाधन शवकास मंत्ािय की होगी ताशक
प्राथशमक शवद्यािय क
े माध्यम से पूवण-प्राथशमक शवद्यािय तक इसकी शनरंतरता सुशनशित की जा सक
े और
शिक्षा क
े मूिभूत पहिुओं पर ध्यान क
े क्तित शकया जा सक
े । प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा
पाठ्यक्रम की आयोजना और शक्रयाियन मानव संसाधन शवकास मंत्ािय, मशहिा और बाि शवकास
(डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और पररवार कल्यार् मंत्ािय (एमएचएफडब्ल्यू), और जनजातीय कायण मंत्ािय
द्वारा संयुि रूप से शकया जाएगा। स्क
ू िी शिक्षा में प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा क
े सुचारु
एकीकरर् एवं सतत मागणदिणन क
े शिए एक शविेष संयुि कायण बि (टास्क फोसण) का गिन शकया
जाएगा।
2. बुशनयादी साक्षरिा एवं संख्या-ज्ञान: सीखने क
े शलए एक िात्काशलक आवश्यकिा और
पूववििव
2.1 सभी शवद्याियों क
े छात्ों द्वारा पढने और शिखने और संख्याओं क
े साथ क
ु छ बुशनयादी संशक्रयाएं करने
की क्षमता आगे की स्क
ू िी शिक्षा में और जीवन-भर सीखते रहने की बुशनयाद रखती है और भशवष्य में
सीखने की एक पूवणितण भी है। हािांशक, शवशभन्न सरकारी, साथ ही गैर-सरकारी सवेक्षर्ों से यह संक
े त
शमिता है शक हम वतणमान में सीखने की एक गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। वतणमान में प्राथशमक शवद्यािय
में बडी संख्या में शिक्षाशथणयों ने - शजसकी अनुमाशनत संख्या 5 करोड से भी अशधक है- बुशनयादी साक्षरता
और संख्या-ज्ञान भी नहीं सीखा है; अथाणत ऐसे बच्चों को सामान्य िेख को पढने, समझने और अंकों क
े साथ
बुशनयादी जोड और घटाव करने की क्षमता भी नहीं है।
2.2 सभी बच्चों क
े शिए मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को प्राप्त करना तत्काि रूप से एक राष्ट्रीय
अशभयान बनेगा शजसे कई मोचों पर शकए जाने वािे तात्काशिक उपायों और स्पष्ट् िक्ष्यों क
े साथ अल्पावशध
में प्राप्त शकया जाएगा (शजसमें प्रत्येक छात् को कक्षा-3 तक मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
12
आवश्यक रूप से प्राप्त करना िाशमि शकया गया है)। शिक्षा प्रर्ािी की सवोच्च प्राथशमकता 2025 तक
प्राथशमक शवद्यािय में सावणभौशमक मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान प्राप्त करना होगा। सीखने की
बुशनयादी आवश्यकताओं (अथाणत, मूिभूत स्तर पर पढना, शिखना और अंकगशर्त) को हाशसि करने पर
ही हमारे शवद्याशथणयों क
े शिए बाकी नीशत प्रासंशगक होगी।
(एमएचआरडी प्राथशमक आधार पर
सभी प्राथशमक और उच्चतर प्राथशमक शवद्याियों में सावणभौशमक
मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान क
े शिए राज्य या क
ें द्रिाशसत प्रदेि की सरकारें, 2025 तक प्राप्त शकए
जा सकने वािे चरर्-वार शचक्तित कायों और िक्ष्यों की पहचान करते हए और उसकी प्रगशत को बारीकी
से जांच और शनगरानी करते हए अशविंब एक शक्रयाियन योजना तैयार करेंगी।
2.3 सवणप्रथम, शिक्षकों क
े ररि पदों को जल्द से जल्द और समयबद्ध तरीक
े से भरा जाएगा – शविेष रूप
से वंशचत क्षेत्ों और उन क्षेत्ों में , जहाुँ शिक्षक-बच्चों का अनुपात दर ज्यादा हो या जहाुँ साक्षरता की दर
शनम्न हो, वहाुँ स्थानीय शिक्षक या स्थानीय भाषा से पररशचत शिक्षकों को शनयुि करने पर शविेष रूप से
ध्यान शदया जाना चाशहए। यह सुशनशित शकया जाएगा शक प्रत्येक स्क
ू ि में शिक्षक-शवद्याशथणयों का अनुपात
(पीटीआर) 30:1 से कम हो और सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत बच्चों की अशधकता वािे क्षेत्ों क
े स्क
ू िों
में शिक्षक – शवद्याशथणयों का अनुपात (पीटीआर) 25:1 से कम हो। कक्षा स्तर से नीचे क
े बच्चों को मूिभूत
साक्षरता और संख्या-ज्ञान शसखाने क
े उद्देश्य से शिक्षकों को सतत व्यावसाशयक शवकास (सीपीडी) क
े साथ
संबशित, उत्साशहत और प्रशिशक्षत शकया जाएगा।
2.4 पाठ्यचयाण में बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर अशतररि ध्यान शदया जाएगा और पूरे प्रारंशभक
और माध्यशमक स्क
ू ि पाठ्यचयाण क
े दौरान, एक मजबूत सतत रचनात्मक और अनुक
ू ि मूल्यांकन प्रर्ािी
क
े साथ शविेष रूप से प्रत्येक बच्चों का सीखना टरैक शकया जाएगा और सामान्यतया पढने, शिखने, बोिने,
शगनने, अंकगशर्त और गशर्तीय शचंतन पर अशधक ध्यान क
े क्तित होगा। शवद्याशथणयों को इन क्षेत्ों में
प्रोत्साशहत करने क
े शिए उन पर प्रशतशदन अशतररि ध्यान शदया जाएगा और वषण भर शवशभन्न मौकों पर इन
शवषयों से संबंशधत गशतशवशधयों को िागू शकया जाएगा। मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर नए शसरे से
जोर देने क
े शिए शिक्षक शिक्षा और प्रारंशभक ग्रेड पाठ्यचयाण को नए शसरे से शडजाइन शकया जाएगा।
2.5 वतणमान समय में ईसीसीई की सभी तक पहुँच नहीं होने क
े कारर् बच्चों का एक बडा शहस्सा प्रथम
कक्षा में प्रवेि पाने क
े क
ु छ ही हफ्ों बाद अपने सहपाशियों से शपछड जाता है। इसशिए एनसीईआरटी
और एससीईआरटी क
े द्वारा कक्षा -1 क
े शवद्याशथणयों क
े शिए अल्पकािीन 3 महीने का प्ले-आधाररत ‘स्क
ू ि
तैयारी मॉड्यूि’ बनाया जाएगा शजसमें गशतशवशधयाुँ और वक
ण बुक होगी शजनमें अक्षर, ध्वशनयाुँ, िब्द, रंग,
आकार, संख्या आशद िाशमि होंगे। इस मॉड्यूि को शक्रयाक्तित करने में सहपाशियों और अशभभावकों का
भी योगदान शिया जाएगा। इससे यह सुशनशित करने में मदद शमिेगी शक हर शवद्याथी स्क
ू ि क
े शिए तैयार
है।
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2.6 द शडशजटि इन्फ्फ्रास्टरक्चर फॉर नॉिेज िेयररंग (दीक्षा) पर बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर
उच्चतर-गुर्वत्ता वािे संसाधनों का एक राष्ट्रीय भंडार उपिध कराया जाएगा। तकनीकी दखि को
शिक्षकों क
े शिए एक मदद क
े रूप में पहिे प्रयोगात्मक शकया जाएगा और शफर िागू शकया जाएगा। इसमें
शिक्षक और शवद्याशथणयों क
े बीच भाषायी बाधाओं को भी दू र करने क
े उपाय िाशमि हैं।
2.7 वतणमान में बडे पैमाने पर बच्चे नहीं सीख रहे हैं। यह एक बडा संकट है, सभी क
े शिए साक्षरता और
संख्या-ज्ञान प्राप्त करने क
े इस महत्वपूर्ण शमिन में शिक्षकों का सहयोग करने क
े शिए सभी व्यावहाररक
तरीकों का पता िगाया जाएगा। दुशनया भर क
े अध्ययन से पता चिता है शक जब सहपािी एक-दू सरे से
सीखते-शसखाते हैं यह काफी प्रभावी होता है। इस प्रकार, प्रशिशक्षत शिक्षकों की देखरेख में और सुरक्षा
पहिुओं का उशचत ध्यान रखकर साथी छात्ों क
े शिए शपयर ट्यूटररंग को एक स्वैक्तच्छक और आनंदपूर्ण
गशतशवशध क
े रूप में शिया जा सकता है। स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों प्रकार क
े प्रशिशक्षत वोिेंशटयसण क
े
शिए इस बडे पैमाने क
े अशभयान में भाग िेना बहत आसान बनाया जायगा। यशद समुदाय का प्रत्येक
साक्षर सदस्य शकसी एक छात् को पढाने क
े शिए प्रशतबद्ध हो जाए, तो इससे देि का पररदृश्य िीघ्र ही
बदि जाएगा और इस शमिन को अत्यशधक प्रोत्साशहत और समथणन शकया जाएगा। राज्य इस तरह क
े
शिक्षर् संकट क
े दौरान मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को बढावा देने क
े शिए इस तत्काि राष्ट्र ीय
शमिन में, शपयर ट्यूटररंग और वोिेंशटयसण को बढावा देने क
े शिए नवीन मॉडि स्थाशपत करने पर शवचार
कर सकते हैं, साथ ही साथ शिक्षकों को समथणन देने क
े शिए अन्य कायणक्रम भी िुरू कर सकते हैं।
2.8 सभी भारतीय और स्थानीय भाषायों में शदिचस्प और प्रेरर्ादायक बाि साशहत्य और सभी स्तर क
े
शवद्याशथणयों क
े शिए स्क
ू ि और स्थानीय पुस्तकाियों में बडी मात्ा में पुस्तक
ें उपिध करायी जाएुँ गी शजसक
े
शिए आवश्यकतानुसार उच्चतर गुर्वत्ता क
े अनुवाद (आवश्यकतानुसार तकनीकी मदद से) भी करवाए
जायेंगे। देि भर में पढने की संस्क
ृ शत क
े शनमाणर् क
े शिए सावणजशनक और स्क
ू ि पुस्तकाियों का शवस्तार
शकया जाएगा। शडशजटि पुस्तकािय भी स्थाशपत शकये जायेंगे। गांवों में स्क
ू ि िाइब्रेरी की स्थापना से
समुदाय को भी िाभ होगा जो स्क
ू िी समय क
े पिात् उसका िाभ िे सकते हैं। बुक क्लब क
े सदस्य इन
स्क
ू िी/सावणजशनक िाइब्रेरी में शमि सकते हैं शजससे पढने की संस्क
ृ शत को प्रोत्साहन शमिेगा। एक राष्ट्रीय
पुस्तक संवधणन नीशत तैयार की जाएगी और सभी स्थानों, भाषाओं, स्तरों और िैशियों में पुस्तकों की
उपिधता, पहुँच, गुर्वत्ता और पािकों को सुशनशित करने क
े शिए व्यापक पहि की जाएगी।
2.9 जब बच्चे क
ु पोशषत या अस्वस्थ होते हैं तो वे बेहतर रूप से सीखने में असमथण हो जाते हैं। इसशिए,
बच्चों क
े पोषर् और स्वास्थ्य (मानशसक स्वास्थ्य सशहत) पर ध्यान शदया जाएगा, पुशष्ट्कर भोजन और अच्छी
तरह से प्रशिशक्षत सामाशजक कायणकताणओं, काउंसिर, और स्क
ू िी शिक्षा प्रर्ािी में समुदाय की भागीदारी
क
े साथ-साथ शिक्षा प्रर्ािी क
े अिावा शवशभन्न सतत उपायों क
े माध्यम से कायण शकया जाएगा। सभी
शवद्यािय क
े बच्चे स्क
ू िों द्वारा आयोशजत शनयशमत स्वास्थ्य जांच में भाग िेंगे और इसक
े शिए बच्चों को
स्वास्थ्य काडण जारी शकए जाएं गे। इसक
े अिावा, कई सारे अध्ययन से यह पता चिता है शक सुबह क
े
पौशष्ट्क नाश्ते क
े बाद क
े क
ु छ घंटों में कई सारे मुक्तिि शवषयों का अध्ययन अशधक प्रभावी होता है, इस
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14
उत्पादक और प्रभावी समय का िाभ उिाया जा सकता है, यशद सुबह और दोपहर में बच्चों को क्रमि:
पौशष्ट्क नाश्ता और भोजन शदया जाए। जहाुँ पक
े हए गमण भोजन की व्यवस्था करना संभव नहीं होगा, वहाुँ
सादा िेशकन पौशष्ट्क शवकल्प, जैसे गुड क
े साथ मूंगफिी/गुड शमशश्रत चना और/या स्थानीय स्तर पर
उपिध फि उपिध कराया जा सकता है। शविेष रूप से
में
3. ड्
र ॉपआउट बच्चं की संख्या कम करना और सभी स्तरचं पर शिक्षा की साववभौशमक पहंच
सुशनशिि करना
3.1 स्क
ू िी शिक्षा प्रर्ािी क
े प्राथशमक िक्ष्यों में हमें यह सुशनशित करना है शक बच्चों का स्क
ू ि में नामांकन
हो और उिें शनयशमत रूप से शवद्यािय भेजा जाए। सवण शिक्षा अशभयान (अब समग्र शिक्षा) और शिक्षा का
अशधकार अशधशनयम जैसी पहि क
े माध्यम से भारत ने हाि क
े वषों में प्राथशमक शिक्षा में िगभग सभी
बच्चों का नामांकन प्राप्त करने में उल्लेखनीय प्रगशत की है। हािांशक, बाद क
े आंकडे बच्चों क
े स्क
ू िी
व्यवस्था में िहराव संबंधी क
ु छ गंभीर मुद्दों की ओर इिारा करते हैं। कक्षा छिी से आिवीं का जीईआर
90.9 प्रशतित है, जबशक कक्षा, 9-10 और 11-12 क
े शिए यह क्रमिः क
े वि 79.3% और 56.5% है। यह
आंकडे यह दिाणतें हैं शक शकस प्रकार से कक्षा 5 और शविेष रूप से कक्षा 8 क
े बाद नामांशकत छात्ों का
एक महत्वपूर्ण अनुपात शिक्षा प्रर्ािी से बाहर हो जाता है। वषण 2017-18 में एनएसएसओ क
े 75वें राउंड
हाऊसहोल्ड सवे क
े अनुसार, 6 से 17 वषण क
े बीच की उम्र क
े शवद्यािय न जाने वािे बच्चों की संख्या 3.22
करोड है। इन बच्चों को यथासंभव पुनः शिक्षा प्रर्ािी में िीघ्र वापस िाना देि की सवोच्च प्राथशमकता
होगी। इसक
े साथ ही 2030 तक प्री स्क
ू ि से माध्यशमक स्तर में 100% सकि नामांकन अनुपात प्राप्त
करने क
े िक्ष्य क
े साथ आगे बढना होगा और भशवष्य क
े छात्ों का ड
र ॉपआउट दर भी कम करना होगा।
पूवण-प्राथशमक से कक्षा 12 तक की शिक्षा - व्यावसाशयक शिक्षा सशहत देि क
े सभी बच्चों को सावणभौशमक
पहंच और अवसर प्रदान करने क
े शिए एक िोस राष्ट्रीय प्रयास शकया जाएगा।
3.2 क
ु ि शमिाकर दो पहि की जाएुँ गी शजससे बच्चों का शवद्यािय में वापसी और आगे क
े बच्चों को
ड
र ॉपआउट होने से रोका जा सक
े । पहिा प्रभावी और पयाणप्त बुशनयादी ढाुँचा प्रदान करता है ताशक सभी
छात्ों को इसक
े माध्यम से प्री-प्राइमरी स्क
ू ि से कक्षा 12 तक सभी स्तरों पर सुरशक्षत और आकषणक स्क
ू िी
शिक्षा प्राप्त हो सक
े । इसक
े अशतररि, शक्ष
गी
, जहाुँ नहीं
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
15
शवशवध
3.3 दू सरा यह है शक स्क
ू िों में सभी बच्चों की सहभाशगता सुशनशित हो, इसक
े शिए बहत ध्यान से सभी
शवद्याशथणयों की टरैशक
ं ग करनी होगी, साथ-साथ उनक
े सीखने क
े स्तर पर भी नज़र रखनी होगी ताशक यह
सुशनशित शकया जा सक
े शक वे (क) स्क
ू ि में दाक्तखिा िे रहे हैं और उपक्तस्थत हो रहे हैं (ख) ड
र ॉपआउट
बच्चों क
े िौटने और यशद वे पीछे रह गए हैं तो उिें पुनः मुख्य धारा से जोडने क
े शिए पयाणप्त सुशवधाएं
उपिध हैं। फाउंडेिनि स्टेज से िेकर कक्षा 12 तक की स्क
ू िी शिक्षा क
े जररये 18 वषण की आयु तक
सभी बच्चों को समान गुर्वत्ता वािी शिक्षा प्रदान करने क
े शिए बुशनयादी सुशवधा उपिध कराई जाएगी।
प्रशिशक्षत शिक्षकों और काशमणकों की भती शवद्यािय में की जाएगी शजससे शिक्षक हमेिा छात्ों और उसक
े
अशभभावक क
े साथ कायण कर सक
ें । इसक
े साथ यह भी सुशनशित शकया जा सक
े शक सभी शवद्याथी शवद्यािय
आ रहे हैं और सीख रहे हैं। राज्य और शजिा स्तर पर शदव्यांग व्यक्तियों क
े सििीकरर् से जुडे शसशवि
सोसायटी संगिन/ सामाशजक न्याय और अशधकाररता शवभागों क
े प्रशिशक्षत और योग्य सामाशजक कायणकताण
राज्य / क
े ि िाशसत प्रदेि सरकारों द्वारा अपनाए गए शवशभन्न नवीन तंत्ों क
े माध्यम से इस आवश्यक कायण
को करने में स्क
ू िों से जुडे हो सकते हैं।
3.4 जब एक बार शवद्यािय का अवसंरचनात्मक ढांचा और बच्चों की भागीदारी सुशनशित हो जाए, तो कक्षा
की गुर्वत्ता को सुशनशित करने क
े शिए काम करना होगा और छात्ों को कक्षा से जोडे रखना एक
महत्वपूर्ण काम होगा, ताशक छात् (शविेष रूप से िडशकयां और सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूहों
क
े शवद्याथी) और उनक
े माता-शपता स्क
ू ि में भागीदारी क
े प्रशत अपनी रुशच न खोएं । इसक
े शिए एक
मजबूत चैनि और स्थानीय भाषा क
े ज्ञान क
े साथ उत्क
ृ ष्ट् शिक्षकों क
े शिए प्रोत्साहन प्रर्ािी की
आवश्यकता होगी, जो उन क्षेत्ों में तैनात शकए जाएं जहाुँ ड
र ॉपआउट दरें शविेष रूप से अशधक हैं।
3.5 सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूहों (एसईडीजी) पर शविेष जोर देते हए सभी छात्ों को सीखने
में मदद करने क
े शिए स्क
ू िी शिक्षा क
े दायरे को व्यापक बनाना होगा ताशक औपचाररक और
अनौपचाररक शिक्षा क
े अंदर सीखने क
े शवशभन्न रास्ते उपिध हो सक
ें । भारत क
े उन युवाओं क
े शिए जो
शकसी संस्थान में शनयशमत रूप से अध्ययन नहीं कर सकते नेिनि इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्क
ू शिंग
(एनआईओएस) और राज्यों क
े ओपन स्क
ू िों द्वारा प्रस्तुत ओपन एं ड शडस्टेंस िशनंग(ओडीएि) कायणक्रम
का शवस्तार और सुदृढीकरर् शकया जाएगा, ताशक ऐसे युवाओं की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा
शकया जा सक
े । एनआईओएस अपने वतणमान कायणक्रमों क
े अिावा शनम्नशिक्तखत कायणक्रमों को भी ऑफर
करेगा : ए, बी और सी स्तरों की शिक्षा जो औपचाररक स्क
ू ि प्रर्ािी क
े कक्षा 3, 5 और 8 क
े बराबर हैं;
माध्यशमक शिक्षा कायणक्रम जो कक्षा 10 और 12 क
े बराबर हैं; व्यावसाशयक शिक्षा पाठ्यक्रम / कायणक्रम;
और वयस्क साक्षरता और जीवन-संवधणन कायणक्रम। एनआईओएस की तजण पर राज्य सरकारों को
प्रोत्साशहत शकया जाएगा शक वे अपने राज्यों में पूवण से स्थाशपत स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्क
ू शिंग
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
16
(एसआईओएस) को सिि करक
े और नए संस्थानों की स्थापना करें और क्षेत्ीय भाषाओं में उपरोि
कायणक्रम इन संस्थानों क
े जररये चिाएं ।
3.6. दोनों, सरकारों और गैर-सरकारी संस्थाओं, क
े शिए शवद्यािय क
े शनमाणर् को सरि करने क
े शिए;
संस्क
ृ शत, भूगोि और सामाशजक-संरचना क
े आधार पर स्थानीय शवशवधताओं को प्रोत्साशहत करने, और
शिक्षा क
े वैकक्तल्पक मॉडि बनाने की अनुमशत देने क
े शिए स्क
ू िों क
े शनमाणर् संबंधी शनयमों को हिा
बनाया जाएगा। इसका फोकस इनपुट पर कम और वांशछत सीखने क
े पररर्ामों से संबंशधत आउटपुट
क्षमता पर अशधक क
े क्तित होगा। इनपुट्स संबंशधत शवशनयम क
ु छ शविेष क्षेत्ों तक सीशमत होंगे शजनका
अध्याय 8 में उल्लेख शकया गया है। स्क
ू िों क
े अन्य मॉडिों को भी पायिट शकया जाएगा, शजसमें
सावणजशनक-शफिैंथ्रोशफक साझेदाररयां िाशमि हैं।
3.7 बच्चों क
े अशधगम में सुधार क
े शिए भूतपूवण शवद्याशथणयों और समुदाय से स्वयंसेवी प्रयासों को प्रोत्साशहत
शकया जायेगा। इसमें िाशमि हैं – स्क
ू िों में एक-एक बच्चे क
े शिए ट्यूटररंग, साक्षरता शिक्षर् और अन्य
मदद हेतु अशतररि कक्षाएं आयोशजत करना, शिक्षकों को शिक्षर् में मागणदिणन और मदद उपिध कराना,
शवद्याशथणयों को व्यवसाय संबंधी मागणदिणन देना, प्रौढ शिक्षा क
े िों में प्रौढ साक्षरता में सहयोग करना; आशद।
इस दृशष्ट् से स्क
ू ि क
े भूतपूवण शवद्याशथणयों और स्थानीय समुदाय क
े स्वस्थ वररष्ठ नागररकों से उपयुि
व्यक्तियों की पहचान की जाएगी। इस उद्देश्य की पूशतण क
े शिए साक्षर स्वयंसेवकों, सेवाशनवृत्त वैज्ञाशनकों
ररयों, भूतपूवण शवद्याशथणयों और शिक्षाशवदों का एक डेटाबेस तैयार शकया
जायेगा।
4. स्क
ू लचं में पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र : अशधगम समग्र, एकीक
ृ ि, आनंददायी और
रुशचकर हचना चाशहए
5+3+3+4 क
े नए शड्जाईन में स्क
ू ल पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र कच पुनगवशठि करना
4.1 स्क
ू िी शिक्षा क
े पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचे को पुनगणशित शकया जाएगा ताशक 3-8, 8-11, 11-14
और 14-18 की उम्र क
े शवशभन्न पडावों पर शवद्याशथणयों क
े शवकास की अिग-अिग अवस्थाओं क
े मुताशबक
उनकी रुशचयों और शवकास की ज़रूरतों पर समुशचत ध्यान शदया जा सक
े । इसशिए स्क
ू िी शिक्षा क
े शिए
पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचे और पाठ्यक्रम रूपरेखा एक 5+3+3+4 शडजाइन से मागणदशिणत होगी,
शजसक
े तहत क्रमि: फाउंडेिनि स्टेज( दो भागों में अथाणत् आंगनवाडी/प्री-स्क
ू ि क
े 3 साि+प्राथशमक
स्क
ू ि में कक्षा 1-2 में 2 साि, 3 से 8 वषण क
े बच्चों सशहत), शप्रपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5, 8 से 11 वषण क
े बच्चों
सशहत), शमशडि स्क
ू ि स्टेज (कक्षा 6-8, 11 से 14 वषण क
े बच्चों सशहत), और सेक
ें डरी स्टेज (कक्षा 9 से 12,
दो फ
े ज में, यानी पहिे फ
े ज में 9 और 10 और दू सरे में 11 और 12, 14 से 18 वषण क
े बच्चों सशहत) िाशमि
होगी।
राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020
17
4.2 फाउंडेिनि स्टेज में पांच वषीय िचीिे, बह-स्तरीय खेि / गशतशवशध आधाररत अध्ययन और
ईसीसीई क
े पाठ्यक्रम और शिक्षर्िास्त्र िाशमि होंगे शक पैरा 1.2 में उक्तल्लक्तखत है। प्रीप्रेटरी स्टेज तीन
वषण की होगी जो फाउंडेिनि स्टेज की खेि-खोज और गशतशवशध आधाररत शिक्षर्-िास्त्रीय िैिी से आगे
बढेगी और क
ु छ हि
े -फ
ु ि
े पाठ्यपुस्तक आधाररत शिक्षर् को भी िाशमि शकया जायेगा और इस प्रकार
ज्यादा औपचाररक िेशकन संवादात्मक कक्षा िैिी क
े जररये अध्ययन-अध्यापन की ओर बढेगी, शजसमे
पढने, शिखने, बोिने, िारीररक शिक्षा, किा, भाषा, शवज्ञान और गशर्त भी िाशमि होंगे। शमशडि स्टेज में
भी तीन वषण की शिक्षा होगी और इसमें शवषय शविेषज्ञ शिक्षकों द्वारा शवषय की अमूतण अवधारर्ाओं पर
काम िुरू होगा शजसक
े शिए शवद्याशथणयों की पयाणप्त तैयारी हो चुकी होगी। यह कायण शवज्ञान, गशर्त, किा,
खेि, सामाशजक शवज्ञान, मानशवकी और व्यावसाशयक शवषयों में होंगे। हर शवषय में अनुभव आधाररत शिक्षर्
और शवषय-शविेषज्ञों क
े आ जाने क
े बावजूद शवषयों क
े बीच परस्पर सम्बन्ध देखने को प्रोत्साशहत शकया
जायेगा। हाई स्क
ू ि (या सेक
ें डरी) स्टेज में चार साि क
े बह-शवषयक अध्ययन िाशमि होंगे, जो इस स्टेज
क
े शवषय-उन्मुख शिक्षाक्रमीय और शिक्षर्-िास्त्रीय िैिी पर आधाररत होंगे, िेशकन अशधक गहराई,
अशधक आिोचनात्मक सोच, जीवन आकांक्षाओं पर अशधक ध्यान और शवद्याशथणयों द्वारा शवषयों क
े चुनाव को
िेकर अशधक िचीिेपन क
े साथ होंगे। शविेष रूप से, यशद शकसी की इच्छा हो तो ग्रेड 10 क
े बाद
व्यवसाशयक या शकसी शविेषज्ञताप्राप्त स्क
ू ि में ग्रेड 11-12 में अन्य कोसण क
े चुनाव क
े शवकल्प िगातार
शवद्याशथणयों क
े शिए बने रहेंगे।
4.3 उपरोि चरर् शविुद्ध रूप से पाठ्यक्रमर्ीय और िैक्षशर्क हैं, शजिें क
ु छ इस तरह शडज़ाइन शकया
गया है ताशक बच्चों क
े संज्ञानात्मक शवकास क
े अनुरूप शवद्याशथणयों का सीखना हो सक
े ; ये चरर् राष्ट्रीय और
राज्य शिक्षाक्रमों और सीखने-शसखाने की रर्नीशतयों क
े शवकास को मागणदिणन देने में मदद करेंगे, िेशकन
इनका प्रभाव भौशतक अवसंरचना पर नहीं पडेगा।
शवद्याशथवयचं का समग्र शवकास
4.4 रटने की
प्राप्त
उच्चतर
को आत्मसात
आरंशभक बाल्यावस्था
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  • 1. राष्ट्रीय शिक्षा नीशि 2020 मानव संसाधन शवकास मंत्रालय भारि सरकार
  • 2. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 1 अध्याय शवषय पृष्ठ संख्या पररचय 3 भाग I. स्क ू ल शिक्षा 1. प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा: सीखने की नींव 9 2. बुशनयादी साक्षरिा एवं संख्या-ज्ञान: सीखने क े शलए एक िात्काशलक आवश्यकिा और पूववििव 11 3. ड् र ॉपआउट बच्चं की संख्या कम करना और सभी स्तरचं पर शिक्षा की साववभौशमक पहंच सुशनशिि करना 14 4. स्क ू लचं में पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र: अशधगम समग्र, एकीक ृ ि, आनंददायी और रुशचकर हचना चाशहए 16 5. शिक्षक 30 6. समिामूलक और समावेिी शिक्षा: सभी क े शलए अशधगम 38 7. स्क ू ल कॉम्प्लेक्स/क्लस्टर क े माध्यम से क ु िल संसाधन और प्रभावी गवनेंस 44 8. स्क ू ली शिक्षा क े शलए मानक शनधावरण और प्रत्यायन 48 भाग II. उच्िर शिक्षा 9. गुणवत्तापूणव शवश्वशवद्यालय एवं महाशवद्यालय: भारिीय उच्िर शिक्षा व्यवस्था हेिु एक नया और भशवष्यचन्मुखी दृशष्ट्कचण 52 10. संस्थागि पुनगवठन और समेकन 54 11. समग्र और बह-शवषयक शिक्षा की ओर 57 12. सीखने क े शलए अनुक ू लिम वािावरण व छात्रचं कच सहयचग 61 13. प्रेररि, सशक्रय और सक्षम संकाय 64
  • 3. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 2 अध्याय शवषय पृष्ठ संख्या 14. उच्िर शिक्षा में समिा और समावेि 66 15. शिक्षक शिक्षा 67 16. व्यावसाशयक शिक्षा का नवीन आकल्पन 70 17. नवीन राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेिन (एनआरएफ) क े माध्यम से सभी क्षेत्रचं में गुणवत्तायुक्त अकादशमक अनुसंधान कच उत्प्रेररि करना 72 18. उच्िर शिक्षा की शनयामक प्रणाली में आमूल-चूल पररविवन 75 19. उच्िर शिक्षा संस्थानचं क े शलए प्रभावी िासन और नेिृत्व 79 भाग III. अन्य क ें द्रीय शवचारणीय मुद्दे 20. व्यावसाशयक शिक्षा 81 21. प्रौढ़ शिक्षा और जीवनपयंि सीखना 83 22. भारिीय भाषाओं, कला और संस्क ृ शि का संवधवन 86 23. प्रौद्यचशगकी का उपयचग एवं एकीकरण 92 24. : प्रौद्यचशगकी न्यायसम्मि 95 भाग IV. शक्रयान्वयन की रणनीशि 25. क ें द्रीय शिक्षा सलाहकार बचड्व का सिक्तीकरण 99 26. शवत्त पचषण: सभी क े शलए वहनीय एवं गुणवत्तापूणव शिक्षा 99 27. कायावन्वयन 101 प्रयुक्त संक े िाक्षरचं की सूची 103
  • 4. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 3 पररचय शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने, एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज क े शवकास और राष्ट्रीय शवकास को बढावा देने क े शिए मूिभूत आवश्यकता है। गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा तक सावणभौशमक पहुँच प्रदान करना वैशिक मंच पर सामाशजक न्याय और समानता, वैज्ञाशनक उन्नशत, राष्ट्रीय एकीकरर् और सांस्क ृ शतक संरक्षर् क े संदभण में भारत की सतत प्रगशत और आशथणक शवकास की क ुं जी है। सावणभौशमक उच्चतर स्तरीय शिक्षा वह उशचत माध्यम है, शजससे देि की समृद्ध प्रशतभा और संसाधनों का सवोत्तम शवकास और संवद्धणन व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और शवि की भिाई क े शिए शकया जा सकता है। अगिे दिक में भारत दुशनया का सबसे युवा जनसंख्या वािा देि होगा और इन युवाओं को उच्चतर गुर्वत्तापूर्ण िैशक्षक अवसर उपिध कराने पर ही भारत का भशवष्य शनभणर करेगा। भारत द्वारा 2015 में अपनाए गए सतत शवकास एजेंडा 2030 क े िक्ष्य 4 (एसडीजी 4) में पररिशक्षत वैशिक शिक्षा शवकास एजेंडा क े अनुसार शवि में 2030 तक ‘’सभी क े शिए समावेिी और समान गुर्वत्तायुि शिक्षा सुशनशित करने और जीवन-पयंत शिक्षा क े अवसरों को बढावा शदए जाने’’ का िक्ष्य है। इस तरह क े उदात्त िक्ष्य क े शिए संपूर्ण शिक्षा प्रर्ािी को समथणन और अशधगम को बढावा देने क े शिए पुनगणशित करने की आवश्यकता होगी, ताशक सतत शवकास क े शिए 2030 एजेंडा क े सभी महत्वपूर्ण टागेट और िक्ष्य (एसडीजी) प्राप्त शकए जा सक ें । ज्ञान क े पररदृश्य में पूरा शवि तेजी से पररवतणन क े दौर से गुजर रहा है। शबग डेटा, मिीन िशनंग और आशटणफीशसयि इंटेशिजेंस जैसे क्षेत्ों में हो रहे बहत से वैज्ञाशनक और तकनीकी शवकास क े चिते एक ओर शवि भर में अक ु िि कामगारों की जगह मिीनें काम करने िगेंगी और दू सरी ओर डेटा साइंस, क ं प्यूटर साइंस और गशर्त क े क्षेत्ों में ऐसे क ु िि कामगारों की जरूरत और मांग बढेगी जो शवज्ञान, समाज शवज्ञान और मानशवकी क े शवशवध शवषयों में योग्यता रखते हों। जिवायु पररवतणन, बढते प्रदू षर् और घटते प्राक ृ शतक संसाधनों की वजह से हमें ऊजाण, भोजन, पानी, स्वच्छता आशद की आवश्यकताओं को पूरा करने क े नए रास्ते खोजने होंगे और इस कारर् भी जीव शवज्ञान, रसायन शवज्ञान, भौशतक शवज्ञान, क ृ शष, जिवायु शवज्ञान, और समाज शवज्ञान क े क्षेत्ों में नए क ु िि कामगारों की जरूरत होगी। महामारी और महामारी क े बढते उद्भव संक्रामक रोग प्रबंधन और टीकों क े शवकास में सहयोगी अनुसंधान और पररर्ामी सामाशजक मुद्दे बह-शवषयक अशधगम की आवश्यकता को बढाते हैं। मानशवकी और किा की मांगबढेगी , क्ोंशक भारत एक शवकशसत देि बनने क े साथ-साथ दुशनया की तीन सबसे बडी अथणव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है। रोज़गार और वैशिक पाररक्तस्थशतकी में तीव्र गशत से आ रहे पररवतणनों की वजह से यह जरुरी हो गया है शक बच्चे, जो क ु छ शसखाया जा रहा है, उसे तो सीखें ही और साथ ही वे सतत सीखते रहने की किा भी सीखें। इसशिए शिक्षा में शवषयवस्तु को बढाने की जगह जोर इस बात पर अशधक होने की ज़रूरत है शक बच्चे समस्या-समाधान और ताशक ण क एवं रचनात्मक रूप से सोचना सीखें, शवशवध शवषयों क े बीच अंतसंबंधों को
  • 5. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 4 देख पायें, क ु छ नया सोच पायें और नयी जानकारी को नए और बदिती पररक्तस्थशतयों या क्षेत्ों में उपयोग में िा पायें। जरूरत है शक शिक्षर् प्रशक्रया शिक्षाथी-क े क्तित हो, शजज्ञासा, खोज, अनुभव और संवाद क े आधार पर संचाशित हो, िचीिी हो और समग्रता और समक्तित रूप से देखने-समझने में सक्षम बनाने वािी और, अवश्य ही, रुशचपूर्ण हो। शिक्षा शिक्षाशथणयों क े जीवन क े सभी पक्षों और क्षमताओं का संतुशित शवकास करे इसक े शिए पाठ्यक्रम में शवज्ञान और गशर्त क े अिावा बुशनयादी किा, शिल्प, मानशवकी, खेि और शफटनेस, भाषाओं, साशहत्य, संस्क ृ शत और मूल्य का अवश्य ही समावेि शकया जाये। शिक्षा से चररत् शनमाणर् होना चाशहए, शिक्षाशथणयों में नैशतकता, ताशक ण कता, करुर्ा और संवेदनिीिता शवकशसत करनी चाशहए और साथ ही रोज़गार क े शिए सक्षम बनाना चाशहए। सीखने क े पररर्ामों की वतणमान क्तस्थशत और जो आवश्यक है, उनक े बीच की खाई को प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और उच्चतर शिक्षा क े माध्यम से शिक्षा में उच्चतम गुर्वत्ता, इक्तिटी और शसस्टम में अखंडता िाने वािे प्रमुख सुधारों क े जररए पाटा जाना चाशहए। 2040 तक भारत क े शिए एक ऐसी शिक्षा प्रर्ािी का िक्ष्य होना चाशहए जो शक शकसी से पीछे नहीं है, एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था जहां शकसी भी सामाशजक और आशथणक पृष्ठभूशम से संबंध रखने वािे शिक्षाशथणयों को समान रूप से सवोच्च गुर्वत्ता की शिक्षा उपिध हो। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीशत 2020, 21वीं िताब्दी की पहिी शिक्षा नीशत है शजसका िक्ष्य हमारे देि क े शवकास क े शिए अशनवायण आवश्यकताओं को पूरा करना हैI यह नीशत भारत की परंपरा और सांस्क ृ शतक मूल्यों क े आधार को बरक़रार रखते हए, 21वीं सदी की शिक्षा क े शिए आकांक्षात्मक िक्ष्यों, शजनमें एसडीजी 4िाशमि हैं, क े संयोजन में शिक्षा व्यवस्था, उसक े शनयमन और गवनेंस सशहत, सभी पक्षों क े सुधार और पुनगणिन का प्रस्ताव रखती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीशत प्रत्येक व्यक्ति में शनशहत रचनात्मक क्षमताओं क े शवकास पर शविेष जोर देती है। यह नीशत इस शसद्धांत पर आधाररत है शक शिक्षा से न क े वि साक्षरता और संख्याज्ञान जैसी ‘बुशनयादी क्षमताओं’ क े साथ-साथ ‘उच्चतर स्तर’ की ताशक ण क और समस्या-समाधान संबंधी संज्ञानात्मक क्षमताओं का शवकास होना चाशहए बक्ति नैशतक, सामाशजक और भावनात्मक स्तर पर भी व्यक्ति का शवकास होना आवश्यक है। प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और शवचार की समृद्ध परंपरा क े आिोक में यह नीशत तैयार की गयी है। ज्ञान, प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय शवचार परंपरा और दिणन में सदा सवोच्च मानवीय िक्ष्य माना जाता था। प्राचीन भारत में शिक्षा का िक्ष्य सांसाररक जीवन अथवा स्क ू ि क े बाद क े जीवन की तैयारी क े रूप में ज्ञान अजणन नहीं बक्ति पूर्ण आत्म-ज्ञान और मुक्ति क े रूप में माना गया था। तक्षशििा, नािंदा, शवक्रमशििा और वल्लभी जैसे प्राचीन भारत क े शवि-स्तरीय संस्थानों ने अध्ययन क े शवशवध क्षेत्ों में शिक्षर् और िोध क े ऊ ं चे प्रशतमान स्थाशपत शकये थे और शवशभन्न पृष्ठभूशम और देिों से आने वािे शवद्याशथणयों और शवद्वानों को िाभाक्तित शकया था। इसी शिक्षा व्यवस्था ने चरक, सुश्रुत, आयणभट, वराहशमशहर, भास्कराचायण, ब्रह्मगुप्त, चार्क्, चक्रपाशर् दत्ता, माधव, पाशर्शन, पतंजशि, नागाजुणन, गौतम, शपंगिा, िंकरदेव, मैत्ेयी,
  • 6. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 5 गागी और शथरुवल्लुवर जैसे अनेकों महान शवद्वानों को जन्म शदया। इन शवद्वानों ने वैशिक स्तर पर ज्ञान क े शवशवध क्षेत्ों, जैसे गशर्त, खगोि शवज्ञान, धातु शवज्ञान, शचशकत्सा शवज्ञान और िल्य शचशकत्सा, शसशवि इंजीशनयररंग, भवन शनमाणर्, नौकायान-शनमाणर् और शदिा ज्ञान, योग, िशित किा, ितरंज इत्याशद में प्रामाशर्क रूप से मौशिक योगदान शकये। भारतीय संस्क ृ शत और दिणन का शवि में बडा प्रभाव रहा है। वैशिक महत्व की इस समृद्ध शवरासत को आने वािी पीशढयों क े शिए न शसफ ण सहेज कर संरशक्षत रखने की जरूरत है बक्ति हमारी शिक्षा व्यवस्था द्वारा उस पर िोध कायण होने चाशहए, उसे और समृद्ध शकया जाना चाशहए और नए-नए उपयोग भी सोचे जाने चाशहए। शिक्षा व्यवस्था में शकये जा रहे बुशनयादी बदिावों क े क ें द्र में अवश्य ही शिक्षक होने चाशहए। शिक्षा की नई नीशत को शनशित तौर पर, हर स्तर पर शिक्षकों को समाज क े सवाणशधक सम्माननीय और अशनवायण सदस्य क े रूप में पुनः स्थान देने में सहायता करनी होगी क्ोंशक शिक्षक ही नागररकों की हमारी अगिी पीढी को सही मायने में आकार देते हैं। इस नीशत द्वारा शिक्षकों को सक्षम बनाने क े शिए हर संभव कदम उिाये जाने की आवश्यकता है शजससे वे अपने कायण को प्रभावी रूप से कर सक ें । नयी शिक्षा नीशत को हर स्तर पर शिक्षर् क े पेिे में सबसे होनहार िोगों का चयन करने में सहायता करनी होगी शजसक े शिए उनकी आजीशवका, सम्मान, मान-मयाणदा और स्वायत्तता सुशनशित करनी होगी, साथ ही तंत् में गुर्वत्ता शनयंत्र् और जवाबदेही की बुशनयादी प्रशक्रयाएं भी स्थाशपत करनी होंगी। नयी शिक्षा नीशत को सभी शवद्याशथणयों क े शिए, चाहे उनका शनवास स्थान कहीं भी हो, गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था उपिध करानी होगी। इस कायण में ऐशतहाशसक रूप से हाशिए पर रह रहे समुदायों, वंशचत और अल्प-प्रशतशनशधत्व वािे समूहों पर शविेष ध्यान शदए जाने की जरूरत होगी। शिक्षा बराबरी सुशनशित करने का बडा माध्यम है और इसक े द्वारा समाज में समानता, समावेिन और सामाशजक-आशथणक रूप से गशतिीिता हाशसि की जा सकती है। ऐसे समूहों क े सभी बच्चों क े शिए, पररक्तस्थशतजन्य बाधाओं क े बावजूद, हर संभव पहि की जानी चाशहए शजससे वे शिक्षा व्यवस्था में प्रवेि भी पा सक ें और उत्क ृ ष्ट् प्रदिणन भी कर सक ें । इन सभी बातों का नीशत में समावेि भारत की समृद्ध शवशवधता और संस्क ृ शत क े प्रशत सम्मान रखते हए और साथ ही देि की स्थानीय और वैशिक संदभण में आवश्यकताओं का ध्यान रखते हए होना चाशहए। भारत क े युवाओं को भारत देि क े बारे में और इसकी शवशवध सामाशजक, सांस्क ृ शतक, और तकनीकी आवश्यकताओं सशहत यहाुँ की अशद्वतीय किा, भाषा और ज्ञान परंपराओं क े बारे में ज्ञानवान बनाना राष्ट्रीय गौरव, आत्मशविास, आत्मज्ञान, परस्पर सहयोग और एकता की दृशष्ट् से और भारत क े सतत ऊ ं चाइयों की ओर बढने की दृशष्ट् से अशतआवश्यक है।
  • 7. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 6 शपछली नीशियााँ शिक्षा पर शपछिी नीशतयों का जोर मुख्य रूप से शिक्षा तक पहुँच क े मुद्दों पर था। 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीशत, शजसे 1992 (एनपीई 1986/92) में संिोशधत शकया गया था, क े अधूरे काम को इस नीशत क े द्वारा पूरा करने का भरपूर प्रयास शकया गया है। 1986/92 की शपछिी नीशत क े बाद से एक बडा कदम शन:िुि और अशनवायण शिक्षा अशधशनयम 2009 रहा है शजसने सावणभौशमक प्रारंशभक शिक्षा सुिभ कराने हेतु कानूनी आधार उपिध करवाया। इस नीशि क े आधार शसद्ांि िैशक्षक प्रर्ािी का उद्देश्य अच्छे इंसानों का शवकास करना है - जो तक ण संगत शवचार और कायण करने में सक्षम हो, शजसमें करुर्ा और सहानुभूशत, साहस और िचीिापन, वैज्ञाशनक शचंतन और रचनात्मक कल्पनािक्ति, नैशतक मूल्य और आधार हों। इसका उद्देश्य ऐसे उत्पादक िोगों को तैयार करना है जोशक अपने संशवधान द्वारा पररकक्तल्पत - समावेिी, और बहितावादी समाज क े शनमाणर् में बेहतर तरीक े से योगदान करे। एक अच्छी िैक्षशर्क संस्था वह है शजसमें प्रत्येक छात् का स्वागत शकया जाता है और उसकी देखभाि की जाती है, जहाुँ एक सुरशक्षत और प्रेरर्ादायक शिक्षर् वातावरर् मौजूद होता है, जहाुँ सभी छात्ों को सीखने क े शिए शवशवध प्रकार क े अनुभव उपिध कराए जाते हैं और जहाुँ सीखने क े शिए अच्छे बुशनयादी ढांचे और उपयुि संसाधन उपिध हैं। ये सब हाशसि करना प्रत्येक शिक्षा संस्थान का िक्ष्य होना चाशहए। तथाशप, साथ ही शवशभन्न संस्थानों क े बीच और शिक्षा क े हर स्तर पर परस्पर सहज जुडाव और समिय आवश्यक है। मूिभूत शसद्धांत जो बडे स्तर पर शिक्षा प्रर्ािी और साथ ही व्यक्तिगत संस्थानों दोनों का मागणदिणन करेंगे, ये हैं:  हर बच्े की शवशिष्ट् क्षमिाओं की स्वीक ृ शि, पहचान और उनक े शवकास हेिु प्रयास करना – शिक्षकों और अशभभावकों को इन क्षमताओं क े प्रशत संवेदनिीि बनाना शजससे वे बच्चे की अकादशमक और अन्य क्षमताओं में उसक े सवांगीर् शवकास पर भी पूरा ध्यान दें।  बुशनयादी साक्षरिा और संख्याज्ञान कच सवावशधक प्राथशमकिा देना – शजससे सभी बच्चे कक्षा 3 तक साक्षरता और संख्याज्ञान जैसे सीखने क े मूिभूत कौििों को हाशसि कर सक ें ।  लचीलापन, ताशक शिक्षाशथणयों में उनक े सीखने क े तौर-तरीक े और कायणक्रमों को चुनने की क्षमता हो, और इस तरह वे अपनी प्रशतभा और रुशचयों क े अनुसार जीवन में अपना रास्ता चुन सक ें ;  किा और शवज्ञान क े बीच, पाियक्रम और पाठ्येतर गशतशवशधयों क े बीच, व्यावसाशयक और िैक्षशर्क धाराओं, आशद क े बीच कचई स्पष्ट् अलगाव न हचं, शजससे ज्ञान क्षेत्ों क े बीच हाशनकारक ऊ ं च-नीच और परस्पर दू री एवं असंबद्धता को दू र शकया जा सक े ;
  • 8. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 7  सभी ज्ञान की एकिा और अखंड्िा कच सुशनशिि करने क े शलए एक बह-शवषयक दुशनया क े शलए शवज्ञान, सामाशजक शवज्ञान, किा, मानशवकी और खेि क े बीच एक बह-शवषयक (multi- disciplinary) और समग्र शिक्षा का शवकास  अवधारणात्मक समझ पर जचर, न शक रटंत पद्धशत और क े वि परीक्षा क े शिए पढाई;  रचनात्मकिा और िाशक व क सचच ताशक ण क शनर्णय िेने और नवाचार को प्रोत्साशहत करने क े शिए;  नैशिकिा, मानवीय और संवैधाशनक मूल्य जैसे, सहानुभूशत, दू सरों क े शिए सम्मान, स्वच्छता, शिष्ट्ाचार, िोकतांशत्क भावना, सेवा की भावना, सावणजाशनक संपशत्त क े शिए सम्मान वैज्ञाशनक शचंतन, स्वतंत्ता, शजम्मेदारी, बहितावाद, समानता और न्याय;  बह-भाशषकिा और अध्ययन-अध्यापन क े कायण में भाषा की िक्तक्त को प्रोत्साहन  जीवन कौिल जैसे, आपसी संवाद, सहयोग, सामूशहक कायण, और िचीिापन;  सीखने क े शलए सिि मूल्यांकन पर जचर, इसक े बजाय शक साि क े अंत में होने वािी परीक्षा को क ें द्र में रखकर शिक्षर् हो शजससे शक आज की ‘कोशचंग संस्क ृ शत’ को ही बढावा शमिता है;  िकनीकी क े यथासंभव उपयचग पर जचर – अध्ययन-अध्यापन कायण में, भाषा संबंधी बाधाओं को दू र करने में, शदव्यांग बच्चों क े शिए शिक्षा को सुिभ बनाने में और िैक्षशर्क शनयोजन और प्रबंधन में;  सभी पाठ्यक्रम, शिक्षर्-िास्त्र और नीशत में स्थानीय संदभण की शवशवधिा और स्थानीय पररवेि क े शलए एक सम्मान, हमेिा ध्यान में रखते हए शक शिक्षा एक समवती शवषय है;  सभी िैशक्षक शनणवयचं की आधारशिला क े रूप में पूणव समिा और समावेिन, साथ ही शिक्षा को िोगों की पहुँच और सामर्थ्ण क े दायरे में रखना – यह सुशनशित करने क े शिए शक सभी छात् शिक्षा प्रर्ािी में सफिता हाशसि कर सक ें ;  स्क ू िी शिक्षा से उच्चतर शिक्षा तक सभी स्तरों क े शिक्षा पाठ्यक्रम में तािमेि, प्रारंशभक बाल्यवस्था देख-भाि तथा शिक्षा से;  शिक्षकचं और संकाय कच सीखने की प्रशक्रया का क ें द्र मानना - उनकी भती और तैयारी की उत्क ृ ष्ट् व्यवस्था, शनरंतर व्यावसाशयक शवकास, और सकारात्मक कायण वातावरर् और सेवा की क्तस्थशत;  िैशक्षक प्रर्ािी की अखंड्िा, पारदशिविा और संसाधन क ु िलिा ऑशडट और सावणजशनक प्रकटीकरर् क े माध्यम से सुशनशित करने क े शिए एक 'हल्का, लेशकन प्रभावी' शनयामक ढांचा – साथ ही साथ स्वायत्तिा, सुिासन, और सिक्तीकरण क े माध्यम से नवाचार और आउट- ऑफ-द-बॉक्स शवचारों को प्रोत्साशहत करना;  गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा और शवकास क े शिए उत्क ृ ष्ट् स्तर का िचध;  िैशक्षक शविेषज्ञों द्वारा शनरंतर अनुसंधान और शनयशमत मूल्यांकन क े आधार पर ;  भारिीय जड़चं और गौरव से बंधे रहना, और जहाुँ प्रासंशगक िगे वहाुँ भारत की समृद्ध और शवशवध प्राचीन और आधुशनक संस्क ृ शत और ज्ञान प्रर्ाशियों और परंपराओं को िाशमि करना और उससे प्रेरर्ा पाना;
  • 9. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 8  शिक्षा एक साववजशनक सेवा है; गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा तक पहंच को प्रत्येक बच्चे का मौशिक अशधकार माना जाना चाशहए;  एक मजबूि, जीवंि साववजशनक शिक्षा प्रणाली में पयावप्त शनवेि - साथ ही सच्चे परोपकारी शनजी और सामुदाशयक भागीदारी को प्रोत्साहन और सुशवधा। इस नीशि का शवज़न उच्चतर संस्थानों , , , भाग I. स्क ू ल शिक्षा यह नीशत वतणमान की 10 + 2 वािी स्क ू िी व्यवस्था को 3 से 18 वषण क े सभी बच्चों क े शिए पाठ्यचयाण और शिक्षर्-िास्त्रीय आधार पर 5 + 3 + 3 + 4 की एक नयी व्यवस्था में पुनगणशित करने की बात करती है, जैसा शक यहाुँ दी गयी आक ृ शत में शदया गया है और अध्याय 4 में भी इस पर शवस्तृत शववरर् शदया गया है। Middle 10 (Ages 6-16) 2 (Ages16-18) 2 years (Class 1 & 2) (Ages 6-8) .............……………… 3 years (Anganwadi/ pre- school/Balvatika) (Ages 3-6) 3 (Class 3 to 5) (Ages 8-11) 3 (Class 6 to 8) (Ages 11-14) 4 (Class 9 to 12) (Ages14-18) पिछला अकादपिक ढाांचा नया शैक्षपिक और िाठ्यक्रि ढाांचा Foundational Preparatory Secondary
  • 10. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 9 वतणमान में 3 से 6 वषण की उम्र क े बच्चे 10 + 2 वािे ढांचे में िाशमि नहीं हैं क्ोंशक 6 वषण क े बच्चों को कक्षा 1 में प्रवेि शदया जाता है। नए 5+3+3+4 ढांचे में 3 वषण क े बच्चों को िाशमि कर प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा (ईसीसीई) की एक मजबूत बुशनयाद को िाशमि शकया गया है शजससे आगे चिकर बच्चों का शवकास बेहतर हो, वे बेहतर उपिक्तधयां हाशसि कर सक ें और खुिहाि हों। 1. प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा : सीखने की नींव 1.1 बच्चों क े मक्तस्तष्क का 85 प्रशतित शवकास 6 वषण की अवस्था से पूवण ही हो जाता है। बच्चों क े मक्तस्तष्क क े उशचत शवकास और िारीररक वृक्तद्ध को सुशनशित करने क े शिए उसक े आरंशभक 6 वषों को महत्वपूर्ण माना जाता है। वतणमान समय में, शविेष रूप से सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत पृष्ठभूशम क े करोडों बच्चों क े शिए, गुर्वत्तापूर्ण प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा उपिध नहीं है। इसशिए ईसीसीई में शनवेि करने से इसकी पहुँच देि क े सभी बच्चों तक हो सकती है शजससे सभी बच्चों को िैशक्षक प्रर्ािी में भाग िेने और तरक्की करने क े समान अवसर शमि सक ें गे। ईसीसीई संभवतया, समता स्थाशपत करने में सबसे िक्तििािी माध्यम हो सकता है। प्रारंशभक बाल्यावस्था शवकास, देखभाि क े शिए गुर्वत्तापूर्ण शिक्षा क े सावणभौशमक प्रावधान को जल्द से जल्द, शनिय ही वषण 2030 से पूवण, उपिध शकया जाना चाशहए, ताशक यह सुशनशित शकया जा सक े शक पहिी कक्षा में प्रवेि पाने वािे सभी बच्चे स्क ू िी शिक्षा क े शिए पूरी तरह से तैयार हों। 1.2 ईसीसीई में मुख्य रूप से िचीिी, बहआयामी, बह-स्तरीय, खेि-आधाररत, गशतशवशध-आधाररत, और खोज-आधाररत शिक्षा को िाशमि शकया गया है। जैसे अक्षर, भाषा, संख्या, शगनती, रंग, आकार, इंडोर एवं आउटडोर खेि, पहेशियाुँ और ताशक ण क सोच, समस्या सुिझाने की किा, शचत्किा, पेंशटंग, अन्य दृश्य किा, शिल्प, नाटक, किपुतिी, संगीत तथा अन्य गशतशवशधयों को िाशमि करते हए इसक े साथ अन्य कायण जैसे सामाशजक कायण, मानवीय संवेदना, अच्छे व्यवहार, शिष्ट्ाचार, नैशतकता, व्यक्तिगत और सावणजशनक स्वच्छता, समूह में कायण करना और आपसी सहयोग को शवकशसत करने पर भी ध्यान क ें शद्रत शकया गया है। ईसीसीई का समग्र उद्देश्य बच्चों का िारीररक-भौशतक शवकास, संज्ञानात्मक शवकास, समाज-संवेगात्मक-नैशतक शवकास, सांस्क ृ शतक शवकास, संवाद क े शिए प्रारंशभक भाषा, साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान क े शवकास में अशधकतम पररर्ामों को प्राप्त करना है। 1.3 एनसीईआरटी द्वारा 8 वषण की आयु तक क े सभी बच्चों क े शिए दो भागों में प्रारंशभक बाल्यावस्था की शिक्षा क े शिए एक उत्क ृ ष्ट् पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचा (एनसीपीएफईसीसीई) शवकशसत शकया जाएगा, अथाणत् 0-3 वषण क े बच्चों क े शिए एक सब-फ्र े मवक ण और 3-8 साि क े शिए एक अन्य सब-फ्र े मवक ण का शवकास शकया जाएगा। उपरोि शदिाशनदेिों क े अनुसार, ईसीसीई राष्ट्रीय और अंतराणष्ट्रीय नवाचार एवं सवोत्तम प्रथाओं पर नवीनतम िोध को िाशमि करेगा। शविेष रूप से, उन प्रथाओं को जो भारत में कई िताक्तब्दयों से बाल्यावस्था की शिक्षा क े शवकास क े शिए समृद्ध है और वे स्थानीय परंपराओं में शवकशसत हईं
  • 11. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 10 हैं, शजनमें किा, कहाशनयां, कशवता, खेि, गीत, और बहत क ु छ िाशमि हैं, इन सभी को मुख्य रूप से िाशमि शकया जाएगा। शिक्षा का यह मॉडि माता-शपता दोनों क े साथ-साथ प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा क े शिए भी एक मागणदिणक क े रूप में काम करेगा। 1.4 पूरे देि में चरर्बद्ध तरीक े से उच्चतर गुर्वत्ता वािे ईसीसीई संस्थानों क े शिए सावणभौशमक पहुँच सुशनशित करना वृहद िक्ष्य होगा। शपछडे शजिों और उन क्षेत्ों पर शविेष ध्यान और प्राथशमकता देनी होगी जो सामाशजक और आशथणक रूप से शपछडे हैं। शवस्तृत और सिि ईसीसीई संस्थानों द्वारा ईसीसीई प्रर्ािी को िागू शकया जाएगा शजसमें (क) पहिे से काफी शवस्तृत और सिि रूप से अक े िे चि रहे आंगनवाशडयों क े माध्यम से (ख) प्राथशमक शवद्याियों क े साथ क्तस्थत आंगनवाशडयों क े माध्यम से (ग) पूवण प्राथशमक शवद्याियों, जो कम से कम 5 से 6 वषण पूरा करेंगे, और प्राथशमक शवद्याियों क े साथ क्तस्थत हैं, इनक े माध्यम से (घ) अक े िे चि रहे प्री-स्क ू ि क े माध्यम से इसे िागू शकया जाएगा। ये सभी शवद्यािय ईसीसीई क े पाठ्यक्रम और शिक्षर् में प्रशिशक्षत कमणचाररयों/ शिक्षकों को भती करेंगे। 1.5 प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा (ईसीसीई) की सावणभौशमक पहुँच क े शिए, आंगनवाडी क ें द्रों को उच्चतरगुर्वत्ता क े बुशनयादी ढांचे, खेिने क े उपकरर् और पूर्ण रूप से प्रशिशक्षत आंगनवाडी कायणकशत्यों / शिक्षकों क े साथ सिि बनाया जाएगा। प्रत्येक आंगनवाडी में समृद्ध शिक्षा क े वातावरर् क े साथ अच्छी तरह से शडजाइन शकया हआ हवादार, बाि-सुिभ और शनशमणत भवन होगा। आंगनवाडी क े िों में बच्चे गशतशवशध से भरे पयणटन करेंगे – और अपने स्थानीय प्राथशमक स्क ू िों क े शिक्षकों और छात्ों से शमिेंगे, ताशक आंगनवाडी क े िों से प्राथशमक स्क ू िों में संक्रमर् को सुचारू बनाया जा सक े । आुँगनवाशडयों को स्क ू ि पररसरों / समूहों, में पूरी तरह से एकीक ृ त शकया जायेगा और आंगनवाडी बच्चों, माता-शपता और शिक्षकों को स्क ू ि / स्क ू ि क े शवशभन्न कायणक्रमों में परस्पर – भाग िेने क े शिए आमंशत्त शकया जायेगा। 1.6 यह पररकल्पना की गई है की 5 वषण की आयु से पहिे हर बच्चा एक प्रारंशभक कक्षा या "बािवाशटका" (जो शक कक्षा 1 से पहिे है) में स्थानांतररत हो जायेगा शजसमे एक ईसीसीई योग्य शिक्षक हैं तैयारी कक्षा में सीखने को मुख्य रूप से खेि-आधाररत शिक्षा पर आधाररत होना चाशहए, शजसमें संज्ञानात्मक, भावनात्मक और िारीररक क्षमताओं और प्रारंशभक साक्षरता और संख्या-ज्ञान शवकशसत करने पर ध्यान क ें शद्रत शकया जाएगा। दोपहर क े (मध्याह्न) भोजन कायणक्रम को प्राथशमक शवद्यािय क े साथ-साथ तैयारी कक्षाओं तक भी शवस्ताररत शकया जाना चाशहए। स्वास्थ्य क े शवकास की शनगरानी और जांच -परीक्षर् जो आंगनवाडी व्यवस्था में उपिध हैं, उसे प्राथशमक स्क ू िों की तैयारी कक्षाओं क े छात्ों को भी उपिध कराया जाएगा। 1.7 ईसीसीई शिक्षकों क े िुरुआती क ै डर को तैयार करने क े शिए आंगनवाडी कायणकशत्यों /शिक्षकों को एनसीईआरटी द्वारा शवकशसत पाठ्यक्रम/शिक्षर्-िास्त्रीय फ्र े मवक ण क े अनुसार एक व्यवक्तस्थत तरीक े से प्रशिक्षर् शदया जाएगा। 10 + 2 और उससे अशधक योग्यता वािे आंगनवाडी कायणकत्ी /शिक्षक को ईसीसीई में 6 महीने का प्रमार्पत् कायणक्रम कराया जाएगा; और कम िैक्षशर्क योग्यता रखने वािों को एक वषण का शडप्लोमा कायणक्रम कराया जाएगा शजसमें प्रारंशभक साक्षरता, संख्या और ईसीसीई क े अन्य प्रासंशगक पहिुओं को भी िाशमि शकया जाएगा। इन कायणक्रमों को शडशजटि / दू रस्थ माध्यम से डीटीएच चैनिों क े साथ-साथ स्माटण फोन क े माध्यम से चिाया जा सकता है, शजससे शिक्षकों को अपने वतणमान
  • 12. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 11 कायण में न्यूनतम व्यवधान क े साथ ईसीसीई योग्यता प्राप्त करने में सहूशियत शमि पाएगी। आंगनवाडी कायणकशत्यों / शिक्षकों क े ईसीसीई प्रशिक्षर् को शिक्षा शवभाग क े क्लस्टर ररसोसण सेंटर द्वारा मेंटर शकया जाएगा और शनरंतर मूल्यांकन क े शिए कम से कम एक माशसक कक्षा भी चिाएगा। दीघाणवशध में, राज्य सरकारों को चरर्-शविेष में व्यावसाशयक प्रशिक्षर्, मागणदिणन की व्यवस्था और क ॅ ररयर मैशपंग क े जररये आरंशभक बाल्यावस्था में देखभाि और शिक्षा क े शिए व्यावसाशयक रूप से योग्य शिक्षकों क े क ै डरों को तैयार करना चाशहए। इन शिक्षकों की प्रारंशभक व्यावसाशयक तैयारी और उसक े सतत व्यावसाशयक शवकास (सीपीडी) क े शिए आवश्यक सुशवधाओं का भी शवकास शकया जाएगा। 1.8 ईसीसीई को चरर्बद्ध तरीक े से आशदवासी बहि क्षेत्ों की आश्रमिािाओं में भी िुरू शकया जाएगा। आश्रमिािाओं में ईसीसीई को एकीक ृ त करने और इसे िागू करने की प्रशक्रया ऊपर शदए गए शववरर् क े जैसी ही होगी। 1.9 ईसीसीई पाठ्यक्रम और शिक्षर्-शवशध की शजम्मेदारी मानव संसाधन शवकास मंत्ािय की होगी ताशक प्राथशमक शवद्यािय क े माध्यम से पूवण-प्राथशमक शवद्यािय तक इसकी शनरंतरता सुशनशित की जा सक े और शिक्षा क े मूिभूत पहिुओं पर ध्यान क े क्तित शकया जा सक े । प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा पाठ्यक्रम की आयोजना और शक्रयाियन मानव संसाधन शवकास मंत्ािय, मशहिा और बाि शवकास (डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और पररवार कल्यार् मंत्ािय (एमएचएफडब्ल्यू), और जनजातीय कायण मंत्ािय द्वारा संयुि रूप से शकया जाएगा। स्क ू िी शिक्षा में प्रारंशभक बाल्यावस्था देखभाि और शिक्षा क े सुचारु एकीकरर् एवं सतत मागणदिणन क े शिए एक शविेष संयुि कायण बि (टास्क फोसण) का गिन शकया जाएगा। 2. बुशनयादी साक्षरिा एवं संख्या-ज्ञान: सीखने क े शलए एक िात्काशलक आवश्यकिा और पूववििव 2.1 सभी शवद्याियों क े छात्ों द्वारा पढने और शिखने और संख्याओं क े साथ क ु छ बुशनयादी संशक्रयाएं करने की क्षमता आगे की स्क ू िी शिक्षा में और जीवन-भर सीखते रहने की बुशनयाद रखती है और भशवष्य में सीखने की एक पूवणितण भी है। हािांशक, शवशभन्न सरकारी, साथ ही गैर-सरकारी सवेक्षर्ों से यह संक े त शमिता है शक हम वतणमान में सीखने की एक गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। वतणमान में प्राथशमक शवद्यािय में बडी संख्या में शिक्षाशथणयों ने - शजसकी अनुमाशनत संख्या 5 करोड से भी अशधक है- बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान भी नहीं सीखा है; अथाणत ऐसे बच्चों को सामान्य िेख को पढने, समझने और अंकों क े साथ बुशनयादी जोड और घटाव करने की क्षमता भी नहीं है। 2.2 सभी बच्चों क े शिए मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को प्राप्त करना तत्काि रूप से एक राष्ट्रीय अशभयान बनेगा शजसे कई मोचों पर शकए जाने वािे तात्काशिक उपायों और स्पष्ट् िक्ष्यों क े साथ अल्पावशध में प्राप्त शकया जाएगा (शजसमें प्रत्येक छात् को कक्षा-3 तक मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को
  • 13. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 12 आवश्यक रूप से प्राप्त करना िाशमि शकया गया है)। शिक्षा प्रर्ािी की सवोच्च प्राथशमकता 2025 तक प्राथशमक शवद्यािय में सावणभौशमक मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान प्राप्त करना होगा। सीखने की बुशनयादी आवश्यकताओं (अथाणत, मूिभूत स्तर पर पढना, शिखना और अंकगशर्त) को हाशसि करने पर ही हमारे शवद्याशथणयों क े शिए बाकी नीशत प्रासंशगक होगी। (एमएचआरडी प्राथशमक आधार पर सभी प्राथशमक और उच्चतर प्राथशमक शवद्याियों में सावणभौशमक मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान क े शिए राज्य या क ें द्रिाशसत प्रदेि की सरकारें, 2025 तक प्राप्त शकए जा सकने वािे चरर्-वार शचक्तित कायों और िक्ष्यों की पहचान करते हए और उसकी प्रगशत को बारीकी से जांच और शनगरानी करते हए अशविंब एक शक्रयाियन योजना तैयार करेंगी। 2.3 सवणप्रथम, शिक्षकों क े ररि पदों को जल्द से जल्द और समयबद्ध तरीक े से भरा जाएगा – शविेष रूप से वंशचत क्षेत्ों और उन क्षेत्ों में , जहाुँ शिक्षक-बच्चों का अनुपात दर ज्यादा हो या जहाुँ साक्षरता की दर शनम्न हो, वहाुँ स्थानीय शिक्षक या स्थानीय भाषा से पररशचत शिक्षकों को शनयुि करने पर शविेष रूप से ध्यान शदया जाना चाशहए। यह सुशनशित शकया जाएगा शक प्रत्येक स्क ू ि में शिक्षक-शवद्याशथणयों का अनुपात (पीटीआर) 30:1 से कम हो और सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत बच्चों की अशधकता वािे क्षेत्ों क े स्क ू िों में शिक्षक – शवद्याशथणयों का अनुपात (पीटीआर) 25:1 से कम हो। कक्षा स्तर से नीचे क े बच्चों को मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान शसखाने क े उद्देश्य से शिक्षकों को सतत व्यावसाशयक शवकास (सीपीडी) क े साथ संबशित, उत्साशहत और प्रशिशक्षत शकया जाएगा। 2.4 पाठ्यचयाण में बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर अशतररि ध्यान शदया जाएगा और पूरे प्रारंशभक और माध्यशमक स्क ू ि पाठ्यचयाण क े दौरान, एक मजबूत सतत रचनात्मक और अनुक ू ि मूल्यांकन प्रर्ािी क े साथ शविेष रूप से प्रत्येक बच्चों का सीखना टरैक शकया जाएगा और सामान्यतया पढने, शिखने, बोिने, शगनने, अंकगशर्त और गशर्तीय शचंतन पर अशधक ध्यान क े क्तित होगा। शवद्याशथणयों को इन क्षेत्ों में प्रोत्साशहत करने क े शिए उन पर प्रशतशदन अशतररि ध्यान शदया जाएगा और वषण भर शवशभन्न मौकों पर इन शवषयों से संबंशधत गशतशवशधयों को िागू शकया जाएगा। मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर नए शसरे से जोर देने क े शिए शिक्षक शिक्षा और प्रारंशभक ग्रेड पाठ्यचयाण को नए शसरे से शडजाइन शकया जाएगा। 2.5 वतणमान समय में ईसीसीई की सभी तक पहुँच नहीं होने क े कारर् बच्चों का एक बडा शहस्सा प्रथम कक्षा में प्रवेि पाने क े क ु छ ही हफ्ों बाद अपने सहपाशियों से शपछड जाता है। इसशिए एनसीईआरटी और एससीईआरटी क े द्वारा कक्षा -1 क े शवद्याशथणयों क े शिए अल्पकािीन 3 महीने का प्ले-आधाररत ‘स्क ू ि तैयारी मॉड्यूि’ बनाया जाएगा शजसमें गशतशवशधयाुँ और वक ण बुक होगी शजनमें अक्षर, ध्वशनयाुँ, िब्द, रंग, आकार, संख्या आशद िाशमि होंगे। इस मॉड्यूि को शक्रयाक्तित करने में सहपाशियों और अशभभावकों का भी योगदान शिया जाएगा। इससे यह सुशनशित करने में मदद शमिेगी शक हर शवद्याथी स्क ू ि क े शिए तैयार है।
  • 14. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 13 2.6 द शडशजटि इन्फ्फ्रास्टरक्चर फॉर नॉिेज िेयररंग (दीक्षा) पर बुशनयादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर उच्चतर-गुर्वत्ता वािे संसाधनों का एक राष्ट्रीय भंडार उपिध कराया जाएगा। तकनीकी दखि को शिक्षकों क े शिए एक मदद क े रूप में पहिे प्रयोगात्मक शकया जाएगा और शफर िागू शकया जाएगा। इसमें शिक्षक और शवद्याशथणयों क े बीच भाषायी बाधाओं को भी दू र करने क े उपाय िाशमि हैं। 2.7 वतणमान में बडे पैमाने पर बच्चे नहीं सीख रहे हैं। यह एक बडा संकट है, सभी क े शिए साक्षरता और संख्या-ज्ञान प्राप्त करने क े इस महत्वपूर्ण शमिन में शिक्षकों का सहयोग करने क े शिए सभी व्यावहाररक तरीकों का पता िगाया जाएगा। दुशनया भर क े अध्ययन से पता चिता है शक जब सहपािी एक-दू सरे से सीखते-शसखाते हैं यह काफी प्रभावी होता है। इस प्रकार, प्रशिशक्षत शिक्षकों की देखरेख में और सुरक्षा पहिुओं का उशचत ध्यान रखकर साथी छात्ों क े शिए शपयर ट्यूटररंग को एक स्वैक्तच्छक और आनंदपूर्ण गशतशवशध क े रूप में शिया जा सकता है। स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों प्रकार क े प्रशिशक्षत वोिेंशटयसण क े शिए इस बडे पैमाने क े अशभयान में भाग िेना बहत आसान बनाया जायगा। यशद समुदाय का प्रत्येक साक्षर सदस्य शकसी एक छात् को पढाने क े शिए प्रशतबद्ध हो जाए, तो इससे देि का पररदृश्य िीघ्र ही बदि जाएगा और इस शमिन को अत्यशधक प्रोत्साशहत और समथणन शकया जाएगा। राज्य इस तरह क े शिक्षर् संकट क े दौरान मूिभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को बढावा देने क े शिए इस तत्काि राष्ट्र ीय शमिन में, शपयर ट्यूटररंग और वोिेंशटयसण को बढावा देने क े शिए नवीन मॉडि स्थाशपत करने पर शवचार कर सकते हैं, साथ ही साथ शिक्षकों को समथणन देने क े शिए अन्य कायणक्रम भी िुरू कर सकते हैं। 2.8 सभी भारतीय और स्थानीय भाषायों में शदिचस्प और प्रेरर्ादायक बाि साशहत्य और सभी स्तर क े शवद्याशथणयों क े शिए स्क ू ि और स्थानीय पुस्तकाियों में बडी मात्ा में पुस्तक ें उपिध करायी जाएुँ गी शजसक े शिए आवश्यकतानुसार उच्चतर गुर्वत्ता क े अनुवाद (आवश्यकतानुसार तकनीकी मदद से) भी करवाए जायेंगे। देि भर में पढने की संस्क ृ शत क े शनमाणर् क े शिए सावणजशनक और स्क ू ि पुस्तकाियों का शवस्तार शकया जाएगा। शडशजटि पुस्तकािय भी स्थाशपत शकये जायेंगे। गांवों में स्क ू ि िाइब्रेरी की स्थापना से समुदाय को भी िाभ होगा जो स्क ू िी समय क े पिात् उसका िाभ िे सकते हैं। बुक क्लब क े सदस्य इन स्क ू िी/सावणजशनक िाइब्रेरी में शमि सकते हैं शजससे पढने की संस्क ृ शत को प्रोत्साहन शमिेगा। एक राष्ट्रीय पुस्तक संवधणन नीशत तैयार की जाएगी और सभी स्थानों, भाषाओं, स्तरों और िैशियों में पुस्तकों की उपिधता, पहुँच, गुर्वत्ता और पािकों को सुशनशित करने क े शिए व्यापक पहि की जाएगी। 2.9 जब बच्चे क ु पोशषत या अस्वस्थ होते हैं तो वे बेहतर रूप से सीखने में असमथण हो जाते हैं। इसशिए, बच्चों क े पोषर् और स्वास्थ्य (मानशसक स्वास्थ्य सशहत) पर ध्यान शदया जाएगा, पुशष्ट्कर भोजन और अच्छी तरह से प्रशिशक्षत सामाशजक कायणकताणओं, काउंसिर, और स्क ू िी शिक्षा प्रर्ािी में समुदाय की भागीदारी क े साथ-साथ शिक्षा प्रर्ािी क े अिावा शवशभन्न सतत उपायों क े माध्यम से कायण शकया जाएगा। सभी शवद्यािय क े बच्चे स्क ू िों द्वारा आयोशजत शनयशमत स्वास्थ्य जांच में भाग िेंगे और इसक े शिए बच्चों को स्वास्थ्य काडण जारी शकए जाएं गे। इसक े अिावा, कई सारे अध्ययन से यह पता चिता है शक सुबह क े पौशष्ट्क नाश्ते क े बाद क े क ु छ घंटों में कई सारे मुक्तिि शवषयों का अध्ययन अशधक प्रभावी होता है, इस
  • 15. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 14 उत्पादक और प्रभावी समय का िाभ उिाया जा सकता है, यशद सुबह और दोपहर में बच्चों को क्रमि: पौशष्ट्क नाश्ता और भोजन शदया जाए। जहाुँ पक े हए गमण भोजन की व्यवस्था करना संभव नहीं होगा, वहाुँ सादा िेशकन पौशष्ट्क शवकल्प, जैसे गुड क े साथ मूंगफिी/गुड शमशश्रत चना और/या स्थानीय स्तर पर उपिध फि उपिध कराया जा सकता है। शविेष रूप से में 3. ड् र ॉपआउट बच्चं की संख्या कम करना और सभी स्तरचं पर शिक्षा की साववभौशमक पहंच सुशनशिि करना 3.1 स्क ू िी शिक्षा प्रर्ािी क े प्राथशमक िक्ष्यों में हमें यह सुशनशित करना है शक बच्चों का स्क ू ि में नामांकन हो और उिें शनयशमत रूप से शवद्यािय भेजा जाए। सवण शिक्षा अशभयान (अब समग्र शिक्षा) और शिक्षा का अशधकार अशधशनयम जैसी पहि क े माध्यम से भारत ने हाि क े वषों में प्राथशमक शिक्षा में िगभग सभी बच्चों का नामांकन प्राप्त करने में उल्लेखनीय प्रगशत की है। हािांशक, बाद क े आंकडे बच्चों क े स्क ू िी व्यवस्था में िहराव संबंधी क ु छ गंभीर मुद्दों की ओर इिारा करते हैं। कक्षा छिी से आिवीं का जीईआर 90.9 प्रशतित है, जबशक कक्षा, 9-10 और 11-12 क े शिए यह क्रमिः क े वि 79.3% और 56.5% है। यह आंकडे यह दिाणतें हैं शक शकस प्रकार से कक्षा 5 और शविेष रूप से कक्षा 8 क े बाद नामांशकत छात्ों का एक महत्वपूर्ण अनुपात शिक्षा प्रर्ािी से बाहर हो जाता है। वषण 2017-18 में एनएसएसओ क े 75वें राउंड हाऊसहोल्ड सवे क े अनुसार, 6 से 17 वषण क े बीच की उम्र क े शवद्यािय न जाने वािे बच्चों की संख्या 3.22 करोड है। इन बच्चों को यथासंभव पुनः शिक्षा प्रर्ािी में िीघ्र वापस िाना देि की सवोच्च प्राथशमकता होगी। इसक े साथ ही 2030 तक प्री स्क ू ि से माध्यशमक स्तर में 100% सकि नामांकन अनुपात प्राप्त करने क े िक्ष्य क े साथ आगे बढना होगा और भशवष्य क े छात्ों का ड र ॉपआउट दर भी कम करना होगा। पूवण-प्राथशमक से कक्षा 12 तक की शिक्षा - व्यावसाशयक शिक्षा सशहत देि क े सभी बच्चों को सावणभौशमक पहंच और अवसर प्रदान करने क े शिए एक िोस राष्ट्रीय प्रयास शकया जाएगा। 3.2 क ु ि शमिाकर दो पहि की जाएुँ गी शजससे बच्चों का शवद्यािय में वापसी और आगे क े बच्चों को ड र ॉपआउट होने से रोका जा सक े । पहिा प्रभावी और पयाणप्त बुशनयादी ढाुँचा प्रदान करता है ताशक सभी छात्ों को इसक े माध्यम से प्री-प्राइमरी स्क ू ि से कक्षा 12 तक सभी स्तरों पर सुरशक्षत और आकषणक स्क ू िी शिक्षा प्राप्त हो सक े । इसक े अशतररि, शक्ष गी , जहाुँ नहीं
  • 16. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 15 शवशवध 3.3 दू सरा यह है शक स्क ू िों में सभी बच्चों की सहभाशगता सुशनशित हो, इसक े शिए बहत ध्यान से सभी शवद्याशथणयों की टरैशक ं ग करनी होगी, साथ-साथ उनक े सीखने क े स्तर पर भी नज़र रखनी होगी ताशक यह सुशनशित शकया जा सक े शक वे (क) स्क ू ि में दाक्तखिा िे रहे हैं और उपक्तस्थत हो रहे हैं (ख) ड र ॉपआउट बच्चों क े िौटने और यशद वे पीछे रह गए हैं तो उिें पुनः मुख्य धारा से जोडने क े शिए पयाणप्त सुशवधाएं उपिध हैं। फाउंडेिनि स्टेज से िेकर कक्षा 12 तक की स्क ू िी शिक्षा क े जररये 18 वषण की आयु तक सभी बच्चों को समान गुर्वत्ता वािी शिक्षा प्रदान करने क े शिए बुशनयादी सुशवधा उपिध कराई जाएगी। प्रशिशक्षत शिक्षकों और काशमणकों की भती शवद्यािय में की जाएगी शजससे शिक्षक हमेिा छात्ों और उसक े अशभभावक क े साथ कायण कर सक ें । इसक े साथ यह भी सुशनशित शकया जा सक े शक सभी शवद्याथी शवद्यािय आ रहे हैं और सीख रहे हैं। राज्य और शजिा स्तर पर शदव्यांग व्यक्तियों क े सििीकरर् से जुडे शसशवि सोसायटी संगिन/ सामाशजक न्याय और अशधकाररता शवभागों क े प्रशिशक्षत और योग्य सामाशजक कायणकताण राज्य / क े ि िाशसत प्रदेि सरकारों द्वारा अपनाए गए शवशभन्न नवीन तंत्ों क े माध्यम से इस आवश्यक कायण को करने में स्क ू िों से जुडे हो सकते हैं। 3.4 जब एक बार शवद्यािय का अवसंरचनात्मक ढांचा और बच्चों की भागीदारी सुशनशित हो जाए, तो कक्षा की गुर्वत्ता को सुशनशित करने क े शिए काम करना होगा और छात्ों को कक्षा से जोडे रखना एक महत्वपूर्ण काम होगा, ताशक छात् (शविेष रूप से िडशकयां और सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूहों क े शवद्याथी) और उनक े माता-शपता स्क ू ि में भागीदारी क े प्रशत अपनी रुशच न खोएं । इसक े शिए एक मजबूत चैनि और स्थानीय भाषा क े ज्ञान क े साथ उत्क ृ ष्ट् शिक्षकों क े शिए प्रोत्साहन प्रर्ािी की आवश्यकता होगी, जो उन क्षेत्ों में तैनात शकए जाएं जहाुँ ड र ॉपआउट दरें शविेष रूप से अशधक हैं। 3.5 सामाशजक-आशथणक रूप से वंशचत समूहों (एसईडीजी) पर शविेष जोर देते हए सभी छात्ों को सीखने में मदद करने क े शिए स्क ू िी शिक्षा क े दायरे को व्यापक बनाना होगा ताशक औपचाररक और अनौपचाररक शिक्षा क े अंदर सीखने क े शवशभन्न रास्ते उपिध हो सक ें । भारत क े उन युवाओं क े शिए जो शकसी संस्थान में शनयशमत रूप से अध्ययन नहीं कर सकते नेिनि इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्क ू शिंग (एनआईओएस) और राज्यों क े ओपन स्क ू िों द्वारा प्रस्तुत ओपन एं ड शडस्टेंस िशनंग(ओडीएि) कायणक्रम का शवस्तार और सुदृढीकरर् शकया जाएगा, ताशक ऐसे युवाओं की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा शकया जा सक े । एनआईओएस अपने वतणमान कायणक्रमों क े अिावा शनम्नशिक्तखत कायणक्रमों को भी ऑफर करेगा : ए, बी और सी स्तरों की शिक्षा जो औपचाररक स्क ू ि प्रर्ािी क े कक्षा 3, 5 और 8 क े बराबर हैं; माध्यशमक शिक्षा कायणक्रम जो कक्षा 10 और 12 क े बराबर हैं; व्यावसाशयक शिक्षा पाठ्यक्रम / कायणक्रम; और वयस्क साक्षरता और जीवन-संवधणन कायणक्रम। एनआईओएस की तजण पर राज्य सरकारों को प्रोत्साशहत शकया जाएगा शक वे अपने राज्यों में पूवण से स्थाशपत स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्क ू शिंग
  • 17. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 16 (एसआईओएस) को सिि करक े और नए संस्थानों की स्थापना करें और क्षेत्ीय भाषाओं में उपरोि कायणक्रम इन संस्थानों क े जररये चिाएं । 3.6. दोनों, सरकारों और गैर-सरकारी संस्थाओं, क े शिए शवद्यािय क े शनमाणर् को सरि करने क े शिए; संस्क ृ शत, भूगोि और सामाशजक-संरचना क े आधार पर स्थानीय शवशवधताओं को प्रोत्साशहत करने, और शिक्षा क े वैकक्तल्पक मॉडि बनाने की अनुमशत देने क े शिए स्क ू िों क े शनमाणर् संबंधी शनयमों को हिा बनाया जाएगा। इसका फोकस इनपुट पर कम और वांशछत सीखने क े पररर्ामों से संबंशधत आउटपुट क्षमता पर अशधक क े क्तित होगा। इनपुट्स संबंशधत शवशनयम क ु छ शविेष क्षेत्ों तक सीशमत होंगे शजनका अध्याय 8 में उल्लेख शकया गया है। स्क ू िों क े अन्य मॉडिों को भी पायिट शकया जाएगा, शजसमें सावणजशनक-शफिैंथ्रोशफक साझेदाररयां िाशमि हैं। 3.7 बच्चों क े अशधगम में सुधार क े शिए भूतपूवण शवद्याशथणयों और समुदाय से स्वयंसेवी प्रयासों को प्रोत्साशहत शकया जायेगा। इसमें िाशमि हैं – स्क ू िों में एक-एक बच्चे क े शिए ट्यूटररंग, साक्षरता शिक्षर् और अन्य मदद हेतु अशतररि कक्षाएं आयोशजत करना, शिक्षकों को शिक्षर् में मागणदिणन और मदद उपिध कराना, शवद्याशथणयों को व्यवसाय संबंधी मागणदिणन देना, प्रौढ शिक्षा क े िों में प्रौढ साक्षरता में सहयोग करना; आशद। इस दृशष्ट् से स्क ू ि क े भूतपूवण शवद्याशथणयों और स्थानीय समुदाय क े स्वस्थ वररष्ठ नागररकों से उपयुि व्यक्तियों की पहचान की जाएगी। इस उद्देश्य की पूशतण क े शिए साक्षर स्वयंसेवकों, सेवाशनवृत्त वैज्ञाशनकों ररयों, भूतपूवण शवद्याशथणयों और शिक्षाशवदों का एक डेटाबेस तैयार शकया जायेगा। 4. स्क ू लचं में पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र : अशधगम समग्र, एकीक ृ ि, आनंददायी और रुशचकर हचना चाशहए 5+3+3+4 क े नए शड्जाईन में स्क ू ल पाठ्यक्रम और शिक्षण-िास्त्र कच पुनगवशठि करना 4.1 स्क ू िी शिक्षा क े पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचे को पुनगणशित शकया जाएगा ताशक 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 की उम्र क े शवशभन्न पडावों पर शवद्याशथणयों क े शवकास की अिग-अिग अवस्थाओं क े मुताशबक उनकी रुशचयों और शवकास की ज़रूरतों पर समुशचत ध्यान शदया जा सक े । इसशिए स्क ू िी शिक्षा क े शिए पाठ्यक्रम और िैक्षशर्क ढांचे और पाठ्यक्रम रूपरेखा एक 5+3+3+4 शडजाइन से मागणदशिणत होगी, शजसक े तहत क्रमि: फाउंडेिनि स्टेज( दो भागों में अथाणत् आंगनवाडी/प्री-स्क ू ि क े 3 साि+प्राथशमक स्क ू ि में कक्षा 1-2 में 2 साि, 3 से 8 वषण क े बच्चों सशहत), शप्रपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5, 8 से 11 वषण क े बच्चों सशहत), शमशडि स्क ू ि स्टेज (कक्षा 6-8, 11 से 14 वषण क े बच्चों सशहत), और सेक ें डरी स्टेज (कक्षा 9 से 12, दो फ े ज में, यानी पहिे फ े ज में 9 और 10 और दू सरे में 11 और 12, 14 से 18 वषण क े बच्चों सशहत) िाशमि होगी।
  • 18. राष्ट्र ीय शिक्षा नीशि 2020 17 4.2 फाउंडेिनि स्टेज में पांच वषीय िचीिे, बह-स्तरीय खेि / गशतशवशध आधाररत अध्ययन और ईसीसीई क े पाठ्यक्रम और शिक्षर्िास्त्र िाशमि होंगे शक पैरा 1.2 में उक्तल्लक्तखत है। प्रीप्रेटरी स्टेज तीन वषण की होगी जो फाउंडेिनि स्टेज की खेि-खोज और गशतशवशध आधाररत शिक्षर्-िास्त्रीय िैिी से आगे बढेगी और क ु छ हि े -फ ु ि े पाठ्यपुस्तक आधाररत शिक्षर् को भी िाशमि शकया जायेगा और इस प्रकार ज्यादा औपचाररक िेशकन संवादात्मक कक्षा िैिी क े जररये अध्ययन-अध्यापन की ओर बढेगी, शजसमे पढने, शिखने, बोिने, िारीररक शिक्षा, किा, भाषा, शवज्ञान और गशर्त भी िाशमि होंगे। शमशडि स्टेज में भी तीन वषण की शिक्षा होगी और इसमें शवषय शविेषज्ञ शिक्षकों द्वारा शवषय की अमूतण अवधारर्ाओं पर काम िुरू होगा शजसक े शिए शवद्याशथणयों की पयाणप्त तैयारी हो चुकी होगी। यह कायण शवज्ञान, गशर्त, किा, खेि, सामाशजक शवज्ञान, मानशवकी और व्यावसाशयक शवषयों में होंगे। हर शवषय में अनुभव आधाररत शिक्षर् और शवषय-शविेषज्ञों क े आ जाने क े बावजूद शवषयों क े बीच परस्पर सम्बन्ध देखने को प्रोत्साशहत शकया जायेगा। हाई स्क ू ि (या सेक ें डरी) स्टेज में चार साि क े बह-शवषयक अध्ययन िाशमि होंगे, जो इस स्टेज क े शवषय-उन्मुख शिक्षाक्रमीय और शिक्षर्-िास्त्रीय िैिी पर आधाररत होंगे, िेशकन अशधक गहराई, अशधक आिोचनात्मक सोच, जीवन आकांक्षाओं पर अशधक ध्यान और शवद्याशथणयों द्वारा शवषयों क े चुनाव को िेकर अशधक िचीिेपन क े साथ होंगे। शविेष रूप से, यशद शकसी की इच्छा हो तो ग्रेड 10 क े बाद व्यवसाशयक या शकसी शविेषज्ञताप्राप्त स्क ू ि में ग्रेड 11-12 में अन्य कोसण क े चुनाव क े शवकल्प िगातार शवद्याशथणयों क े शिए बने रहेंगे। 4.3 उपरोि चरर् शविुद्ध रूप से पाठ्यक्रमर्ीय और िैक्षशर्क हैं, शजिें क ु छ इस तरह शडज़ाइन शकया गया है ताशक बच्चों क े संज्ञानात्मक शवकास क े अनुरूप शवद्याशथणयों का सीखना हो सक े ; ये चरर् राष्ट्रीय और राज्य शिक्षाक्रमों और सीखने-शसखाने की रर्नीशतयों क े शवकास को मागणदिणन देने में मदद करेंगे, िेशकन इनका प्रभाव भौशतक अवसंरचना पर नहीं पडेगा। शवद्याशथवयचं का समग्र शवकास 4.4 रटने की प्राप्त उच्चतर को आत्मसात आरंशभक बाल्यावस्था