Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSEOne Time Forever
This is a PPT Based on the Poem of Class 10 CBSE Ram-Lakshman-Parshuram Samvad Including It's Summary, Word Meaning, Question-Answers, Each Paragraph Explanation Along With Some Pictures. Hopefully It Helps You. Thank You.
समृति class 9 sanchayan with images and writer detailsAyush kumar
Its a presentation on chapter smriti of sanchayan class 9.
Images included. chk this out and see if u likes this
posted by- Aayush Kumar, Amity International school
Hopes so that u likes this
promote and like so that i can post some more
It is a nice presentation work on culture of jammu and kashmir in 10 slides that includes the folk dance, about pashmina shawl, houseboat, and many places of tourists attraction.
Ram Lakshman Parshuram Samvad PPT Poem Class 10 CBSEOne Time Forever
This is a PPT Based on the Poem of Class 10 CBSE Ram-Lakshman-Parshuram Samvad Including It's Summary, Word Meaning, Question-Answers, Each Paragraph Explanation Along With Some Pictures. Hopefully It Helps You. Thank You.
समृति class 9 sanchayan with images and writer detailsAyush kumar
Its a presentation on chapter smriti of sanchayan class 9.
Images included. chk this out and see if u likes this
posted by- Aayush Kumar, Amity International school
Hopes so that u likes this
promote and like so that i can post some more
It is a nice presentation work on culture of jammu and kashmir in 10 slides that includes the folk dance, about pashmina shawl, houseboat, and many places of tourists attraction.
CLASSICAL & FOLK DANCES IN INDIAN CULTURE by Dr Ananda and Smt Devasena Bhavanani for the UNMESH: EXPLORE, EVOLVE, REALIZE, A Study Programme in Indian Knowledge Systems and Cultural Heritage by Sri Aurobindo Foundation for Indian Culture (SAFIC), Sri Aurobindo Society (SAS), Puducherry in collaboration with Agastya Gurukulam, USA
Architecture In Heritage Places Of Odisha And Maharashtra | Art Integrated Pr...PritamPriyambadSahoo
Architecture In Heritage Places Of Odisha And Maharashtra a Maths Art Integrated Project of CBSE Class 10.
A PowerPoint presentation Made By Pritam Priyambad Sahoo
For any queries, mail at pritamsahoo.edu@gmail.com
Thank You! :)
Sangya Introduction for beginners. Learn Sangya in hindi, संज्ञा की परिभाषा सरल शब्दोंं में एवंं संज्ञा के भेद , Learn Hindi Grammar, Basic Hindi grammar, हिन्दी सीखिए, चित्रों के साथ संज्ञा का सरल परिचय,
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfZoop india
वसंत ऋतु आते ही हवाओं में खुशबू और रंगों की उमंग घुल जाती है। फाल्गुन मास में मनाया जाने वाला Holi, रंगों का त्योहार, न सिर्फ वसंत का स्वागत करता है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न भी मनाता है। यह त्योहार भारत में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जो विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है।
Cultural of Assam and Rajasthan
For cognitive psychology - http://www.slideshare.net/NadeemKhan666858/cognitive-psychology-250843017?from_m_app=android
For sleep apnea - http://www.slideshare.net/NadeemKhan666858/sleep-apnea-250726138?from_m_app=android
Working of our implecit memory - http://www.slideshare.net/NadeemKhan666858/long-term-memory-250834705?from_m_app=android
CLASSICAL & FOLK DANCES IN INDIAN CULTURE by Dr Ananda and Smt Devasena Bhavanani for the UNMESH: EXPLORE, EVOLVE, REALIZE, A Study Programme in Indian Knowledge Systems and Cultural Heritage by Sri Aurobindo Foundation for Indian Culture (SAFIC), Sri Aurobindo Society (SAS), Puducherry in collaboration with Agastya Gurukulam, USA
Architecture In Heritage Places Of Odisha And Maharashtra | Art Integrated Pr...PritamPriyambadSahoo
Architecture In Heritage Places Of Odisha And Maharashtra a Maths Art Integrated Project of CBSE Class 10.
A PowerPoint presentation Made By Pritam Priyambad Sahoo
For any queries, mail at pritamsahoo.edu@gmail.com
Thank You! :)
Sangya Introduction for beginners. Learn Sangya in hindi, संज्ञा की परिभाषा सरल शब्दोंं में एवंं संज्ञा के भेद , Learn Hindi Grammar, Basic Hindi grammar, हिन्दी सीखिए, चित्रों के साथ संज्ञा का सरल परिचय,
होली 2024: भारत के विभिन्न राज्यों में होली के अनोखे रीति-रिवाज.pdfZoop india
वसंत ऋतु आते ही हवाओं में खुशबू और रंगों की उमंग घुल जाती है। फाल्गुन मास में मनाया जाने वाला Holi, रंगों का त्योहार, न सिर्फ वसंत का स्वागत करता है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न भी मनाता है। यह त्योहार भारत में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जो विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है।
Cultural of Assam and Rajasthan
For cognitive psychology - http://www.slideshare.net/NadeemKhan666858/cognitive-psychology-250843017?from_m_app=android
For sleep apnea - http://www.slideshare.net/NadeemKhan666858/sleep-apnea-250726138?from_m_app=android
Working of our implecit memory - http://www.slideshare.net/NadeemKhan666858/long-term-memory-250834705?from_m_app=android
Uttarakhand's folk music and dance embody traditional tribal art, reflecting landscapes, life, and beliefs. Vibrant songs like "Chhanna-Juna" and dances like "Chopat" echo indigenous culture's essence.
पोवारी कुनबा को ठाठ, श्री तुमेश जी पटले (सारथी) द्वारा पोवारी भाषा मा रचित वि...Kshtriya Powar
श्री तुमेश जी पटले को द्वारा पोवारी भाषा मा लिखी यन किताब मा छत्तीस कविता इनको संग्रह आय। पोवारी भाषा छत्तीस कुर पोवार(पंवार) समाज की आपरी मातृभाषा आय। यन भाषा मा लिखी किताब, "पोवारी कुनबा को ठाठ" मा पोवारी संस्कृति अना खेती किसानी असो कई विषय परअ साजरी कविता इनको लिखान भई से।
HOPE YOU ENJOYED MY POWER POINT ON GUJARAT AND ITS CULTURE, LANGUAGE AND ALL. IF YOU WANT YOU CAN DOWNLOAD IT.I HAD SHOWN IT IN DAHANU'S SHIRIN DINYAR IRANI LEARNERS ACADEMY SCHOOL FOR MY HINDI PROJECT. THANK YOU FOR WATCHING MY POWER POINT ON GUJARAT. BYE -PGB
3. Your Logo or Name Here
पृष्ठ संख्या विषय
३ आभार ज्ञान
४ प्रमाणपत्र
५ भारतीय कला
६ हस्तकला
७ तंजौर कला - तममलनाडु
८ मधुबनी चित्रकारी - बबहार
१0 मीनाकारी-राजस्थान
११ लाख का काम – राजस्था
१२ असम की कला
१४ कश्मीर की कला
१५ अततररक्त जानकारी
१६ स्त्रोत
२
6. Your Logo or Name Here
वह धरती जहााँ शास्त्रीय संगीत की स्त्वर लहररयााँ खूबसूरत चिरों
की बारीक कारीगरी, प्रािीन काल की कालीन बुनकर कला और
हस्त्तकलाओं, नृत्य के दिव्य प्रकारों, शानिार प्रततमाओं और मन
को मोह लेने वाले त्यौहारों से घुली ममली हुई हैं, भारत कला और
मशल्प का सुंिर सम्ममश्रण है। इसका हर प्रांत और कें द्र शामसत
प्रिेश परंपरा की सुगंध में सराबोर है, जो इसकी हर गली, हर मोड
में फै ली हुई है। यह िेश जीवनी शम्तत और म् ंिादिली की िमक
से जगमगाता रहता है।
हमेशा से ही भारत की कलाएं और हस्त्तमशल्प इसकी सांस्त्कृ ततक
और परमपरागत प्रभावशीलता को अमभव्यतत करने का माध्यम
बने रहे हैं। िेश भर में फै ले इसके 35 राज्यों और संघ राज्य क्षेरों
की अपनी ववशेष सांस्त्कृ ततक और पारमपररक पहिान है, जो वहां
प्रिमलत कला के मभन्न-मभन्न रूपों में दिखाई िेती है। भारत के
हर प्रिेश में कला की अपनी एक ववशेष शैली और पद्धतत है
म्जसे लोक कला के नाम से जाना जाता है। लोककला के अलावा
भी परमपरागत कला का एक अन्य रूप है जो अलग-अलग
जनजाततयों और िेहात के लोगों में प्रिमलत है। इसे जनजातीय
कला के रूप में वगीकृ त ककया गया है। भारत की लोक और
जनजातीय कलाएं बहुत ही पारमपररक और साधारण होने पर भी
इतनी सजीव और प्रभावशाली हैं कक उनसे िेश की समृद्ध
ववरासत का अनुमान स्त्वत: हो जाता है।
५
8. Your Logo or Name Here
हर कृ तत अपने आप में एक पूणण वृतान्त है जो प्रािीन काल की एक झांकी
प्रस्त्तुत करती है म्जसे हमारे कलाकारों की प्रवीणता और तनष्ठा ने जीववत
रखा है।
एक राजसी ववरासत वाले धाममणक चिर तंजावर चिरकारी, म्जसे अब तंजौर
चिरकारी के नाम से जाना जाता है, की सवोत्तम पररभाषा है। तंजौर की
चिरकारी महान पारमपररक कला रूपों में से है म्जसने भारत को ववश्व
प्रमसद्ध बनाया है। इनका ववषय मूलत: पौराणणक है। ये धाममणक चिर िशाणते
हैं कक आध्याम्त्मकता रिनात्मक कायण का सार है। कला के कु छ रूप ही
तंजौर की चिरकारी की सुन्िरता और भव्यता से मेल खाते हैं।कला और
मशल्प िोनों का एक ववलक्षण ममचश्रत रूप तंजौर की इस चिरकारी का ववषय
मुख्य रूप से दहन्िू िेवता और िेववयां हें।
कृ ष्ण इनके वप्रय िेव थे म्जनके ववमभन्न मुद्राओं में चिर बनाए गए है जो
उनके जीवन की ववमभन्न अवस्त्थाओं को व्यतत करते हैं। तंजौर चिरकारी
की मुख्य ववशेषताएं उनकी बेहतरीन रंग सज्जा, रत्नों और कांि से गढे गए
सुन्िर आभूषणों की सजावट और उल्लेखनीय स्त्वणणपरक का काम हैं।
स्त्वणणपिक और बहुमूल्य और अद्णध-मूल्य पत्थरों के भरपूर प्रयोग ने चिरों
को भव्य रूप प्रिान ककया है। इन्होंने तस्त्वीरों में इस किर जान डाल िी हैं
कक ये तस्त्वीरें एक ववलक्षण रूप में सजीव प्रतीत होती हैं। मातनक, हीरे और
अन्य मूल्यवान रत्न-मणणयों से जडडत और स्त्वणण-पिक से सजी तंजौर के ये
चिर एक असली खजाना थे। तंजौर शैली की चिरकारी में प्रयुतत स्त्वणण
परकों की िमक और आभा सिैव बनी रहेगी।
७
11. Your Logo or Name Here
१0
मीनाकारी एक कलात्मक प्रकिया है।
इसमें काि के बारीक पाउडर को ७५० डडग्री
सेम्ल्सयस से ८५० डडग्री सेम्ल्सयस तक गमण करके
वपघलाकर धातु ऑतसाइड
जैसे िांिी, सोना, तांबा और म्जंक के ऊपर
किस्त्टलीय पारिशी रूप में जड़ दिया जाता है।
तांबे, िांिी या सोने पर ककए गए असली इनामेल
से मणणयों जैसे खूबसूरत रंग पैिा होते हैं।
मीनाकारी का कायण मूल्यवान व अद्णधमूल्वान
रत्नों तथा सोने व िांिी के आभूषणों पर ककया
जाता है। जयपुर में सोने के आभूषणों और
णखलौनों पर बड़ी सुंिर मीनाकारी की जाती है।
मीनाकारी एक पुरानी और अतत-प्रिमलत
प्रौद्योचगकी है। अपने अचधकांश इततहास में यह
मुख्यतः आभूषणों और सजावटी कलाओं के ऊपर
की जाती रही है। ककन्तु उन्नीसवीं शती के बाि
मीनाकारी का उपयोग औद्योचगक वस्त्तुओं और
िैनम्न्िन उपयोग की वस्त्तुओं पर भी ककया जाने
लगा
15. Your Logo or Name Here
१४
जममू और कश्मीर में बहुत
खूबसूरत और अनूठी कला और
मशल्प हैं। रेशम के कालीन, बुना
कालीन, ऊनी शॉल, कालीन, कु ताण
और बतणनों को शानिार ढंग से
सुशोमभत ककया गया है। इसके
अततररतत जममू और कश्मीर
राज्य में पारंपररक और अच्छी
तरह से डडजाइन की गई नौकाओं
को िेखा जा सकता है और इन्हें
लकड़ी से बना है। इन नावों को
मूल रूप से मशकारस कहा जाता
है। इस प्रकार, जममू और कश्मीर
की परंपरा और संस्त्कृ तत एक
यौचगक है। यह ववववधता में
सद्भाव के साथ एक मसंथेदटक
रूपरेखा पेश करता है
16. Your Logo or Name Here
१५
मशल्प समुिाय की गततववचधयों व उनकी सकियता का प्रमाण हमें मसंधु घाटी सभ्यता (3000-1500
ई.पू.) काल में ममलता है। इस समय तक ‘ववकमसत शहरी संस्त्कृ तत’ का उद्भव हो िुका था, जो
अफगातनस्त्तान से गुजरात तक फै ली थी। इस स्त्थल से ममले सूती वस्त्र और ववमभन्न, आकृ ततयों,
आकारों और डडजाइनों के ममट्टी के पार, कम मूल्यवान पत्थरों से बने मनके , चिकनी ममट्टी से
बनी मूततणयां, मोहरें (सील) एक पररष्कृ त मशल्प संस्त्कृ तत की ओर इशारा करते हैं। 5 हजार वषण पूवण
ववमशष्ट मशल्प समुिायों ने सामाम्जक आवश्यकताओं और अपेक्षाओं की पूततण का सरल और
व्यावहाररक समाधान खोजा, म्जससे कक लोगों के जीवन को सुधारा जा सका। कौदटल्य के अथणशास्त्र
में िो प्रकार के कारीगरों के मध्य भेि बताया गया है- पहले, वे ववशेषज्ञ मशल्पकार, जो मजिूरी पर
कायण करने वाले कई कारीगरों को रोजगार िेते थे और िूसरे, वे कारीगर जो स्त्वयं की पूंजी से
अपनी कायणशालाओं में कायण करते थे। कारीगरों को पाररश्रममक या तो सामग्री के रूप में या नकि
दिया जाता था, सेवा संबंध और वस्त्तुओं का आिान-प्रिान ही िलता था। संभवतः यजमानी प्रणाली
इन्हीं सेवा संबंधों का पररणाम है।