2. 2
संपादकीय.......
दोस्तहो.......
तुमरी उनारोकी सुट्टि सरत आयी रहेत. सबला आता शाळाकी याद आयी रहे. आबंवरी कोणीकी
शाळा सुरूबी भयी रहेत ना कोनीकी आता सुरू होयेत. येन् उनारोमा तुमी गावतर् गया रवोच. यंदा
उनारोमा सूयय आग ओक
ं से का का असोच लगत होतो. हरसाल् उनारोक् तपनलक सबला परेशानीको
सामना करनो पळंसे. येन् गरमीमा आपलो दोस्त टहरवो झाड आपलोला शशतल छाया देसे. मुहून आपल्
भोवत्याल, बांटदखोबरी, रस्ताला झाडंईनकी संख्या बढावनो जरूरी से. तुमी उनारोमा बहुत सारा आंबा,
जांबुर असा फल खाया रवोच. त् मंग तुमी खाये फल का बबजा बाळी, मोहल्ला, खेत्, घर् लगावो.
येक
ं लक आपलो ननसगय संतुलीत रवनोमा मदत होये.
जून मयनामा २१ जून ला "आंतरराष्ट्रिय योग टदवस" यव महत्वपूणय टदवस दुननयाभरमा मनायेव
जासे. मानवी शरीरमा ऊजाय, तेज, स्फ
ू ती भरनला अना ननरोगी ष्ट्जवन जगनलाई योग महत्वपूणय भूशमका
बजावसे. असोमा तुमी तुमर् गुरूजी, आई - बाबुजी इनक् कनलक योग शसखस्यान आपल् ननरोगी
ष्ट्जवनको पाया भरो.
झुंझुरका पोवारी बाल ई माशसक कनलक तुमला सब बाल दोस्तईनला नवो शैक्षणणक वर्यकी
हाटदयक शुभकामना!
खूब शलखो - खूब शसखो
- गुलाब बबसेन
संपादक - झुंझुरका पोवारी बाल ई माशसक
मो. नं. 9404235191
संपादक मंडल
श्री गुलाब बबसेन, संपादक
श्री रणदीप बबसने, उपसंपादक
श्री महेंद्रकु मार पिले, उपसंपादक
श्री महेंद्र रहांगडाले, उपसंपादक
ननशमयती
महेंद्र रहांगडाले
3. 3
*🌷संस्कार🌷*
. लेखक - गोवर्यन बबसेन
मोठो दौड़ र्ूप को बाद, वु अज ऑफफस पोहचेव, ओको पयलो इंिरव्यू होतो.
घर लक ननकलन को बेरा वु बबचार करन लगेव, काश ! मी इंिरव्यू मा अज कामयाब भयेव,
तं आपलो पुरखाइनको पुश्तैनी घर सोड़कर यहां शहर मा सेिल होय जाऊन..
माय अना अजी की रोज़ की चचक चचक, मग़जमारी लक सुिकारा शमल जाये.
सकारी उठनो पासून तं राती सोवत वरी होने वाली चचक चचक लक परेशान भय गयेव होतो.
सोयस्यार उठो, तं पयले बबस्तर ठीक करो, मंग बाथरूम जाओ, बाथरूम लक ननकलो तं फरमान
ननकले से "नल बंद कर देयेस?"
िावेल बरोबर तार पर वारन िाक
े स का इत उत फ
े क देयेस?
4. 4
नाश्ता करस्यार घर लक ननकलो तं डांि पड़से "पंखा बंद करेस का सुरुच ठेयेस?"
का का आयकू इनकी, नौकरी शमली तं घर सोड़ देऊन.
ऑफफस मा बहुत सारा उम्मीदवार बस्या होता, इंिरव्यू की बाि देखत होता. दस बज गया,
ओन देखीस पैसेज की लाईि आबवरी पेित होती, माय याद आय गई, तं लाईि की बिन बंद
कर देईस.
ऑफफस को दरवाज़ा पर कोनी नोहता, बाजुमा ठेयेव वािर कू लर लक पानी िपकत होतो, अजी
की डांि याद आय गयी, वािर कु लर की िोिी बन्द कर देईस, पानी बंद भयेव.
बोडय पर शलखेव होतो, इंिरव्यू दूसरो मंष्ट्ज़ल पर होये.
पायरी की लाइि बी जरत होती, बंद करस्यार सामने बढेव, तं एक कु सी रस्ता मा होती, ओला
सरकायकर ओरत्या गयेव.
वहां देखसे पयले का उम्मीदवार अंदर जात अना लवकरच बाहर आवत, पता करेव तं मालूम
भयेव बॉस फाइल र्रस्यार काही खबर नही ले, वापस कर देसे.
मोरो नंबर आयेव पर मीनं फाइल बाॅस कन सरकायेव. ओन कागज़ात पर नज़र फफराईस अना
कहीस, "कब ज्वाइन कर रह्या सेव?"
उनको प्रश्न लक मोला असो लगेव जसो मोरोसीन मज्याक होय रही से, वु मोरो चेहरा देखकर
कव्हन लगेव, यव मज्याक़ नोहोय, हक़ीक़त आय.
5. 5
अज को इंिरव्यू मा कोनी ला खबर नही लेयेव, शसफय CCTV मा सबको बतायव देखेव, सब आया
पन कोनीनं नल या लाइि बंद नहीं करीन.
र्न्य सेत तुमरा माय बाप, ष्ट्जननं तुमरी येतरी चांगली परवररश करीन अना चांगला संस्कार
देईन.
*जेनं इनसान जवर खुदकी शसस्त नही रव वु चाहे क
े तरोच हुशार अना चालाक रव्ह, मैनेजमेंि
अना ष्ट्ज़न्दगी को दौड़ र्ूप मा कामयाब नहीं होय सक।*
घर पोहचेव पर अजी अना माय को गरो लगेव अना उनला माफी मांगकर रोवन बसेव.
मोरो ष्ट्ज़न्दगी मा, उनको लहान लहान बात पर रोकनो अना िोकनो लक, मोला जेव सबक़
शमलीसे, ओको मुक़ाबला मा, मोरी डडग्री की काही हैशसयत नाहाय अना मालुम भयेव ष्ट्ज़न्दगी
को मुक़ाबला मा शसफय पढ़ाई शलखाई ही नहीं, संस्कार को बी बहुत महत्त्व रवसे.
*बोर् :- संसार मा जगन साठी संस्कार जरूरी से। संस्कार साठी माय बाप को सम्मान जरूरी
से.*
*✍ इंजी. गोवर्यन बबसेन, गोंटदया,*
मो. ९४२२८३२९४१
7. 7
*जीवन पाणी को बुलबुला*
चचरंजीव बबसेन
गोंटदया.
.
आत्मा अमर से कसेती वेद पुराण,
पर मुक्ती साती करसेती प्रभुको गुणगान.
आत्माला नही व्याप कोणतोबी रोग,
आत्माक् बदला शरीर भोगसे सब भोग.
स्वगय नरक सेती का नही, पक्की नाहाय माटहती,
पर जसो कमय करो तसी यहाॅच होये गती.
मुहून संसार मा आया सेवत् करो अच्छा काम,
जीवन पाणी को बुलबुला से कसेती लोग तमाम.
बडो भागल् शमली से मानवला ष्ट्जंदगानी,
क्षणभंगुर से बहुत जसो बुलबुलाको पाणी.
कोनीला शमलसेती अस्सी-नब्बे साल,
कोनी दस-बीस सालमा कालक् गाल.
ष्ट्जंदगी जेतरी से सुंदर वोतरीच अननष्ट्श्चत,
सकारी का होये नाहाय पक्को ननष्ट्श्चत.
सार्ु संत करसेती सार्ना मोक्षसाती,
पर मरेव क् बाद सबकी होसे क
े वल माती.
आत्मा अमर से कसेती वेद पुराण,
पर मुक्ती साती करसेती प्रभुको गुणगान.
आत्माला नही व्याप कोणतोबी रोग,
आत्माक् बदला शरीर भोगसे सब भोग.
स्वगय नरक सेती का नही, पक्की नाहाय माटहती,
पर जसो कमय करो तसी यहाॅच होये गती.
मुहून संसार मा आया सेवत् करो अच्छा काम,
जीवन पाणी को बुलबुला से कसेती लोग तमाम.
8. 8
पाखरू
ं साती चलो सजावबी बचगचा
मूळ मराठी लेखक - एकनाथ आव्हाड
पोवारी अनुवाद - गुलाब बबसेन
अज दुपारी तपनको तडाखा जरा जास्तच रहेलक िुरूपोिुनकी चचाय आंगनमाक् सावलीमाच
रंगी होती. बाळू, रमेश, अरूण, सुजय, सतीश अना अशभर्ेक सब बोलनोमा गुंग. वोतरोमा शमी
र्ावत ऊनक् जवर आयी. आपली चचत्रकी नवीकोरी फकताब वूनला देखावनलाई. वोन ् फकताबमा
चचत्र तरी कोणता..... त् सब अलग अलग पक्षीका. जसो पूरो पक्षी संग्रहालयच वोन ् फकताबमा
समायेतो. पाखरूका वय रंगीत चचत्र देखता देखता सुजय बोलेव, "ये पाखरू क
े तरा हुशार रव्हसेत
नही. वूनला सब मालूम रव्हसे, कब् कहान जान ्.......संध्याकाळला गोदामा वापपस कसो आवन ्.
रमेश बोलेव, "हव ना, वूनला मालूम रव्हसे, पपलासाती दाना कसा बेचस्यान
आनन ्......उचो आकाशमा कसो शांत उडन ्."
बाळू बोलेव, "खरोच से, पर का रे अरूण तोला पाखरू होनको मौका शमले त् तोला
कोणतो पाखरू होनला पसंद आये?"
अरूण पिकन बोलेव, "कबुतर." बाळू बोलेव, "का?" अरूण बोलेव, "मोला लगंसे कबूतर
होऊन, ननल् आकाशमा मी उडून, शांतीको संदेश देऊ, खुशी मी बाित जाऊ."
11. 11
बबलाई
सिकार " करनको येको
मोठो आवडीको छंद
पाय जवर खेल् तब
भेटिे मोठो आनंद ||७||
सौ. वंदना किरे "राम-कमल "
गोंटदया.
आमरं घर की बबलाई
करिे म्याव ss म्याव ss
चचडीचूप बिकन
िाधिे सिकारी डाव ||१||
रंग येको कारोक
ु च
डोरा िेती घारा घारा
मुलायम पायलका
चालिे तरातरा ||२||
डोरा लगायक
े करं
प्राणायाम,ध्यान
जरािीबी आहटपर
टवकारिे दुही कान ||३||
आमरो बबलाई िामने
उंदीर होिेत भोला
चोरीलक खायलेिे
लोणी को गोला ||४||
दुध,बबस्क
ु ट,रोटी तरी
आमरो बबलाई िामने
उंदीर होिेत भोला
चोरीलक खायलेिे
लोणी को गोला ||४||
दुध,बबस्क
ु ट,रोटी तरी
इजगुरपरा लेिे धाव
पाखरूपर ठेव् डोरा
बढ जािे येका भाव ||५||
कोणीलाच नही भीव्
िेर की या माविी
हरददन रविे येकी
मदहना भर एकादिी ||६||
"
12. 12
मंडई
मनपसंद की चीज देखनला |
मंडई मा गयेव होतो फफरनला |र्ृ|
-
चचरंजीव बबसेन
गोंटदया
शसंगाडा खायेव, चना बी खायेव,
क
ु िकी का लाडू बी खायेव,
गपागप गुपचुप गिकनला |१| मंडई....
फ
ु गा लेयेव, बंदूक बी लेयेव,
लालवालो पट्िा बी लेयेव,
अगास पारणा मा झुलनला |२| मंडई....
आस्वल देखेव,बंदर बी देखेव,
मोठो जात हत्ती बी देखेव,
सरप मुंगूस की लडाई देखनला |३| मंडई....
नाच्या देखेव, पेंद्या बी देखेव,
िारा-िुरी की दंढार बी देखेव,
शाटहर को गाना आयकनला |४| मंडई....
13. 13
फ
ु ल रंगीबेरंगी
(मोगरा,जाई,जूई,चाफा,ननशशगंर्ा)
ननशशगंर्ा को काम अलग
हार,बेनी सजावन लायी
देठ ओकी उपयोगी बढ़ी
पुरपगुच्छ बना वन लायी.
उमेंद्र युवराज बबसेन (प्रेरीत)
रामािोला गोंटदया (श्रीक्षेत्र देहू पुणे)
मोगरा को गंर् पसरसे
पररसर सारो महकसे
रंग पांढरो सुंदर रूप
सुयय प्रकाशमा लहरसे.
सुंदर टदसं जाई को बेला
फ
ु ल नाजूक सुभ्र रव्हसे
फ
ु लसे संध्याकाल को बेरा
र्ीरू र्ीरू सुगंर् वू देसे.
जुई वनस्पती उपयोगी
कर् आयुवेटदक को काम
फ
ु ल लका बनसे अत्तर
बजारमा देसे अच्छों दाम.
चाफा रव्हसे रंगीबेरंगी
नाव ओका सेतीच अनेक
सोन,कवठी,पांढरो,नाग,
पपवरो अना एक से एक.
====================
14. 14
उंदीर ला आयेव बुखार
उंदीरीन बाई तुरतुर गयी
अना िोंडमा र्रक
े आयी गोली
चुरा चुरा भय गयी सप्पा
आता कसो करे उंदीर तेली
✍सौ.वर्ाय पिले रहांगडाले
बबरसी, ता.आमगांव,
ष्ट्ज.गोंटदया
उंदीर ला आयेव बुखार
घबराय गयी उंदरीन बाई
गुळवेल को काढा देऊ का
अद्रक की चाय देऊ बाई
बाळीमाको गुळवेल
मस्त तोळक
े आणीस
पर गलतीलका कतरक
े
आय गयी बील मा तनीस
उंदीर भाऊ ला आयी गुस्सा
चली गयेव ऊ खोलीमा
डोस्कापरा परा हात ठेयक
े
देखत होतो बडो गुस्सामा
डोलो की गोली पडी होती
बेस्कळ को आमने सामने
डोरालका टदसत होती िक
पर उचलक
े कोन आने
उंदीरीन बाई तुरतुर गयी
अना िोंडमा र्रक
े आयी गोली
चुरा चुरा भय गयी सप्पा
आता कसो करे उंदीर तेली
उंदीर भाऊ ला आयी गुस्सा
चली गयेव ऊ खोलीमा
डोस्कापरा परा हात ठेयक
े
देखत होतो बडो गुस्सामा
डोलो की गोली पडी होती
बेस्कळ को आमने सामने
डोरालका टदसत होती िक
पर उचलक
े कोन आने
15. 15
रेसटिम
सोनू शेर्ु बंिी सब आओ लवकर
रेसिीम खेलबं आज शमलजुलकर
✍सौ शारदा चौर्री
शमचुसू डोरा मी तुम्ही छ
ु प जाव
कोणी कोठा घर सामिमा लपाव
चचडीचूप बसो नोको देखो ढुककर
एक दुय तीन कयक
े देखो मी आई
ना जाने छाया वर्ाय कहासेत लपाई
कोणी छ
ु प्या मायकी बाली पांघरकर
पयली दुसरी ना नतसरो कहा छ
ु पी से
आवडाव देखक
े कोणी रेस ना लगायदे
ढुंडुसु सबला इतंउतं मोहल्ला छानकर
टदस गया सब आता सरी मोरी पारी
पयली वालो गज्जी देये अबको बारी
बडी मज्जा आई लुपाछ
ु पी खेलकर