1. शालेय गीत संग्रह
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पुस्तकात वहीचे पाने का
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शालेय गीत संग्रह
1.Pledge
India is my country. All Indians are my brothers and sisters. I love my country. I am proud of
its rich and varied heritage. I shall always strive to be worthy of it. I shall give my parents,
teachers and all elders, respect, and treat everyone with courtesy. To my country and my
people, I pledge my devotion. In their well being and prosperity alone, lies my happiness.
शालेय गीत संग्रह
2. पसायदान
आता विश्वात्मक
ें देवें । येणे वाग्यज्ञे तोषावें । तोषोनिं मज ज्ञावे । पसायदान हें ॥ जें खळांची व्यंकटी सांडो ।
तया सत्कर्मी रती वाढो । भूतां परस्परे पडो । मैत्र जीवाचें ॥ दुरितांचे तिमिर जावो । विश्व स्वधर्म सूर्ये पाहो ।
जो जे वांच्छिल तो तें लाहो । प्राणिजात ॥ वर्षत सकळ मंगळी । ईश्वरनिष्ठांची मांदियाळी । अनवरत भूमंडळी
। भेटतु भूतां ॥ चलां कल्पतरू
ं चे आरव । चेतना चिंतामणींचें गाव । बोलते जे अर्णव । पीयूषाचे ॥ चंद्रमे जे
अलांछन । मार्तंड जे तापहीन । ते सर्वांही सदा सज्जन । सोयरे होतु ॥ आणि ग्रंथोपजीविये । विशेषीं लोकीं इयें
। दृष्टादृष्ट विजयें । होआवे जी । येणें वरें ज्ञानदेवो । सुखिया जाला ॥
किं बहुना सर्व सुखी । पूर्ण होऊनि तिन्हीं लोकी । भजिजो आदिपुरुखी । अखंडित ॥
2. येथ म्हणे श्री विश्वेशराओ । हा होईल दान पसावो ।
शालेय गीत संग्रह
3.भोजन मंत्र
वदनि कवळ घेता नाम घ्या श्रीहरीचे । सहज हवन होते नाम घेता फ
ु कावे । जिवन करि जिवित्वा अन्न हे
पूर्णब्रह्म । उदरभरण नोहे जाणिजे यज्ञकर्म ॥१॥
जनीं भोजनी नाम वाचे वदावे । अती आदरे गद्यघोषे म्हणावे । हरीचिंतने अन्न सेवित जावे । तरी श्रीहरी
पाविजेतो स्वभावे ॥२॥
शालेय गीत संग्रह
4.गुरु महिमा
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
शालेय गीत संग्रह
5. सरस्वती स्तवन
या क
ु न्देदुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता । या वीणावरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना ॥ या
ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिः देवै सदा वन्दिता । सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ १
शालेय गीत संग्रह
6. प्रार्थना
3. इतनी शक्ति हमें देना दाता, मनका विश्वास कमजोर हो जा हम चलें नेक रस्ते पे हम से
भूलकर भी कोई भूल हो ना !!!! दूर अज्ञान क
े हो अँधेरे तू हमें ज्ञान की रौशनी दे हर बुराई से बचक
े रहें हम
जीतनी भी दे भली जिन्दगी दे बैर हो ना किसी का किसी से भावना मन में बदले की हो ना हम चलें नेक रस्ते पे
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना !!१!! हम न सोचें हमें क्या मिला हैं हम ये सोचें क्या किया है अर्पण फ
ू ल
खुशियों क
े बांटें सभी को सबका जीवन ही बन जाए मधुबन • अपनी करुणा को जल तू बहा क
े कर दे पावन हर
एक मन का कोना हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना! !२!!
शालेय गीत संग्रह
7. प्रार्थना
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मनका विश्वास कमजोर हो जा हम चलें नेक रस्ते पे हम से
भूलकर भी कोई भूल हो ना !!!! दूर अज्ञान क
े हो अँधेरे तू हमें ज्ञान की रौशनी दे हर बुराई से बचक
े रहें हम
जीतनी भी दे भली जिन्दगी दे बैर हो ना किसी का किसी से भावना मन में बदले की हो ना हम चलें नेक रस्ते पे
हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना !!१!! हम न सोचें हमें क्या मिला हैं हम ये सोचें क्या किया है अर्पण फ
ू ल
खुशियों क
े बांटें सभी को सबका जीवन ही बन जाए मधुबन • अपनी करुणा को जल तू बहा क
े कर दे पावन हर
एक मन का कोना हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना! !२!!
शालेय गीत संग्रह
8. प्रार्थना
ईश्वर अल्लाह तेरे नाम सबको सन्मति दे भगवान सबको सन्मति दे भगवान सारा जग तेरी सन्तान |
इस धरती पर बसने वाले, सब हैं तेरी गोद क
े पाले कोई नीच ना कोई महान, सबको सन्मति दे भगवान |
जातों नस्लों क
े बटवारे, झूठ कहाँ ये तेरे द्वारे तेरे लिए सब एक समान, सबको सन्मति दे भगवान |
4. जनम का कोई मोल नहीं है, जनम मनुष्य का तोल नहीं हैं करम से है सबकी पहचान, सबको सन्मति दे
भगवान |
शालेय गीत संग्रह
9. सर्वात्मका शिवसुंदरा
• सुमनांत तू, गगनांत तू
सर्वात्मका शिवसुंदरा स्वीकार या अभिवादना तिमिरातूनी तेजाकडे प्रभू आमुच्या ने जीवना ॥ धृ. ॥ चोहीकडे
रूपे तुझी जाणीव ही माझ्या मना ॥
ताऱ्यांमध्ये फ
ु लतोस तू सद्धर्म जे जगतामध्ये
सर्वांत त्या वसतोस तू.
श्रमतोस तू शेतामध्ये
तू राबसी श्रमिकांसवे
जे रंजले अन गांजले स्वार्थावीना सेवा जिथे तेथे तुझे पद पावना |
पुसतोस त्यांची आसवे
करुणाकरा करुणा तुझी
5. असता मला भय कोठले? • पाहीन मी तव पाउले सृजनत्व या हृदयामध्ये नित जागवी भीतीविना ॥
मार्गावरी पुढती सदा
- क
ु सुमाग्रज
शालेय गीत संग्रह
10. हे राष्ट्र देवतांचे
हे राष्ट्र देवतांचे, हे राष्ट्र प्रेषितांचे आ चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारताचे......
कर्तव्यदक्ष भूमी सीतारघुत्तमाची रामायणे घडावी, येथे पराक्रमाची शीर उंच उंच व्हावे, हिमवंत पर्वताचे आ
चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारतावे......
येथे नको निराशा, थोडया पराभवाने पार्थास बोध क
े ला येथेच माधवाने हा देश स्तन्य प्याला गीताख्य अमृताचे
आ चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारतावे......
जेथे परंपरांचा सन्मान नित्य आहे 'जनशासना तळीचा पायाच सत्य आहे येथे सदा निनादो जयगीत जागृताचे
आ चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारतावे......
शालेय गीत संग्रह
11 . इन्साफ कि डगर पे
6. इन्साफ़ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल क
े ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल क
े
दुनिया क
े रंज सहना और क
ु छ न मुँह से कहना सच्चाइयों क
े बल पे आगे को बढ़ते रहना रख दोगे एक दिन
तुम संसार को बदल क
े इन्साफ़ की....
अपने हों या पराए सबक
े लिये हो न्याय देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न डगमगाए रस्ते बड़े कठिन हैं चलना
सम्भल सम्भल क
े इन्साफ़ की....
इन्सानियत क
े सर पर इज्ज़त का ताज रखना तन मन भी भेंट देकर भारत की लाज रखना जीवन नया
मिलेगा अंतिम चिता में जल क
े . इन्साफ़ की....
शालेय गीत संग्रह
12. सारे जहाँ से अच्छा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा
• हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्तां हमारा
परबत वो सबसे ऊ
ँ चा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा....
हे आबे-रुदे गंगा वह दिन है याद तुमको
7. उतरा तेरे किनारे, करावों हमारा
सारे जहाँ से अच्छा......
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
रोशन है जिसक
े दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा...
क
ु च्छ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी
सदियो रहा है दुश्मन, दौरे जहाँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा...
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा सारे जहाँ से अच्छा,
हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्तां हमारा।
शालेय गीत संग्रह
8. 13 गे माय भू तुझे
गे मायभू तुझे मी फ
े डीन पांग सारे
आणीन आरतीला हे सूर्य, चंद्र, तारे आई, तुझ्यापुढे मी आहे अजून तान्हा
शब्दात सोड माझ्या आता हळूच पान्हा
आई, तुझ्यापुढे ही माझी व्यथा कशाला ? जेव्हा तुझ्यामुळे ह्या जन्मास अर्थ आला
मी पायधुळ घेतो जेव्हा तुझी जराशी माझी ललाटरेषा बनते प्रयागकाशी
आई, तुझी अशी मी गाईन रोज गाणी माझी तुझ्या दुधाने गेली भिजून वाणी
शालेय गीत संग्रह
14. जयोऽस्तु ते
जयोऽस्तु ते! जयोऽस्तु ते! श्री महन्मंगले शिवास्पदे शुभदे स्वतंत्रते भगवती त्वामहम्यशोयुतां वंदे !
राष्ट्राचे चैतन्य मूर्त तूं नीती संपदांची स्वतन्त्रते भगवती श्रीमती राज्ञी तूं त्यांची परवशतेच्या नभांत तूंचि
आकाशीं होशी स्वतन्त्रते भगवती चांदणी चमचम लखलखशी
गालावरच्या क
ु सुम किं वा क
ु सुमांच्या गालीं स्वतन्त्रते भगवती तूंच जी विलसतसे लाली तुं सूर्याचं तेज उदधिचें
गांभीर्यहिं तूंचि स्वतन्त्रते भगवती अन्यथा ग्रहणनष्टतेची
9. मोक्ष-मुक्ति ह्रीं तुझींच रूपें तुलाच वेदांती स्वतन्त्रते भगवती योगिजन परब्रह्म वदती जें जें उत्तम उदात्त उन्नत
महन्मधुर तें तें स्वतन्त्रते भगवती सर्व तव सहकारी होती
हे अधमरतरञ्जिते सुजनपूजिते श्री स्वतन्त्रते
तुजसाठि मरण तें जनन
तुजवीण जनन तें मरण
तुज सकल चरावर शरण चराचर शरण
-विनायक दामोदर सावरकर
शालेय गीत संग्रह
15. सत्यम शिवम सुन्दरम
इश्वर सत्य है
सत्य ही शिव है
शिव ही सुन्दर हैं
10. जागो उठ कर देखो
जीवन ज्योत उजागर है
सत्यम शिवम सुन्दरम - २
इश्वर सत्य हैं
सत्य ही शिव है
शिव ही सुन्दर है
सत्यम शिवम सुन्दरम २
राम अवध में काशी में शिव कांडा विन्दवन में
दया करो प्रभू देखूँ इन को २
हर घर क
े आँगन में
राधा मोहन शरणम
सत्यम शिवम सुन्दरम २
11. एक सूर्या है एक गगन है एक ही धरती माता
दया करो प्रभू एक बनें सब
सब का एक से नाता
राधा मोहन शरणम
शालेय गीत संग्रह
16 खरा तो एकची धर्म
. खरा तो एकची धर्म खरा तो एकची धर्म जगाला प्रेम अपवि जगी जे हीन अतिपतित, जगी जे दीन पददलित
तया जाऊन उठवावे, जगाला प्रेम अपवि जयांना ना कोणी जगती सदा ते अंतरी रडती तया जाऊन सुखवावे,
जगाला प्रेम अपवि समस्तां धीर तो द्यावा, सुखाचा शब्द बोलावा अनाथा साह्य ते द्यावे, जगाला प्रेम अपवि
सदा जे आर्त अतिविकल, जयांना गांजती सकल तया जाऊन हसवावे, जगाला प्रेम अपवि क
ु णा ना व्यर्थ
शिणवावे, क
ु णा ना व्यर्थ हिणवावे समस्तां बंधु मानावे, जगाला प्रेम अपवि प्रभूची लेकरे सारी तयाला सर्वही
प्यारी क
ु णा ना तुच्छ लेखावे, जगाला प्रेम अपवि असे जे आपणापाशी असे, जे वित्त वा विद्या सदा ते देतची
जावे, जगाला प्रेम अपवि भरावा मोद विश्वात असावे सौख्य जगतात सदा हे ध्येय पूजावे, जगाला प्रेम अपवि
असे हे सार धर्माचे असे हे सार सत्याचे परार्थी प्राणही द्यावे, जगाला प्रेम अपवि जयाला धर्म तो प्यारा, जयाला
देव तो प्यारा त्याने प्रेममय व्हावे, जगाला प्रेम अपवि
शालेय गीत संग्रह
17. हे राष्ट्र देवतांचे
हे राष्ट्र देवतांचे, हे राष्ट्र प्रेषितांचे आ चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारतावे......
कर्तव्यदक्ष भूमी सीतारघुत्तमावी रामायणे घडावी. येथे पराक्रमाची शीर उंच उंच व्हावे, हिमवंत पर्वताचे आ
चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारतावे.....
12. येथे नको निराशा, थोडया पराभवाने पार्थास बोध क
े ला येथेच माथवाने हा देश स्तन्य प्याला गीताख्य अमृताचे
आ चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारतावे.....
जेथे परंपरांचा सन्मान नित्य आहे जनशासना तळीचा पायाच सत्य आहे येथे सदा निनादो जयगीत जागृतावे
आ चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारताचे...
शालेय गीत संग्रह
18.विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा झण्डा ऊ
ँ चा रहे हमारा सदा शक्ति बरसानेवाला प्रेम सुधा सरसानेवाला वीरों को
हर्षानेवाला मान्भूमि का तन-मन सारा - २ झण्डा ऊ
ँ चा.....
हो स्वराज जनता का निश्चय बोलो भारत माता की जय स्वतन्त्रता ही ध्येय हमारा -२ झण्डा ऊ
ँ चा......
शान न इस की जाने पावे चाहे जान भले ही जावे विश्व विजय कर क
े दिखलावे तब होवे प्रण पूर्ण हमारा - २
झण्डा ऊ
ँ चा...
शालेय गीत संग्रह
19 इन्साफ़ की डगर पे
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल क
े ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल क
े
दुनिया क
े रंज सहना और क
ु छ न मुँह से कहना सच्चाइयों क
े बल पे आगे को बढ़ते रहना रख दोगे एक दिन
तुम संसार को बदल क
े इन्साफ़ की.....
• अपने हों या पराए सबक
े लिये हो न्याय देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न डगमगाए रस्ते बड़े कठिन हैं चलना
सम्भल सम्भल क
े इन्साफ़ की.....
13. इन्सानियत क
े सर पर इज्ज़त का ताज रखना तन मन भी भेंट देकर भारत की लाज रखना जीवन नया
मिलेगा अंतिम चिता में जल क
े , इन्साफ़ की....
शालेय गीत संग्रह
२0. बलसागर भारत होवो
बलसागर भारत होवो
• विश्वात शोभुनी राहो हे क
ं कण करि बांधियले जनसेवे जीवन दिधले राष्ट्रार्थ प्राण हे उरले मी सिध्द्ध
मरायाला हो ॥ १ ॥ वैभवी देश चढवीन सर्वस्व त्यास अपन हा तिमिर घोर संहारीन या बंधु सहाय्याला हो। य
हातात हात घालून ह्रदयास हृदय जोडून ऐक्याचा मंत्र जपून या कार्य करायाला हो|| ३ || करि दिव्य पताका घेऊ
प्रियभारतगीते गाऊ
ं विश्वास पराक्रम दावू ही माय निजपदा लाहो ॥४॥ या उठा करु हो शर्थ संपादु दिव्य
पुरुषार्थ हे जीवन ना तरि व्यर्थ भाग्यसुर्य तळपत राहो ॥ ५७ ॥ ही माय थोर होईल वैभव दिव्य शोभेल जगतास
शांति देईल तो सोन्याचा दिन येवो ॥६॥
शालेय गीत संग्रह
२1. महाराष्ट्र देशा
मंगल देशा, पवित्र देशा, महाराष्ट्र देशा प्रणाम घ्यावा माझा हा श्रीमहाराष्ट्र देशा राकट देशा, कणखर देशा,
दगडांच्या देशा नाजुक देशा, कोमल देशा, फ
ु लांच्याहि देशा अंजन कांचन करवंदीच्या काटेरी देशा
बक
ु लफ
ु लांच्या प्राजक्तीच्या दळदारी देशा • भावभक्तिच्या देशा आणिक बुद्धीच्या देशा शाहीरांच्या देशा
कर्त्या मर्दाच्या देशा ध्येय जे तुझ्या अंतरी, निशाणावरी, नाचते करी; जोडी इह पर लोकांसी, व्यवहारा
परमार्थासी, वैभवासि, वैराग्यासी
जरिपटक्यासह भगव्या झेंड्याच्या एकचि देशा प्रणाम घ्यावा माझा हा श्रीमहाराष्ट्र देशा ॥ १ ॥ अपार सिंधुच्या
भव्य बांधवा, महाराष्ट्र देशा सह्याद्रीच्या सख्या, जिवलगा, महाराष्ट्र देशा पाषाणाच्या देही वरिसी तू हिरव्या
वेषा गोदा, कृ ष्णा, भीमा तुझिया ललाटिंच्या रेषा तुझिया देही करी प्रतिष्ठा प्रथम प्राणांची मंगल वसती
जनस्थानिंची श्रीरघुनाथांची ध्येय जे तुझ्या अंतरी......॥२॥
14. शालेय गीत संग्रह
22. पुसू नका
जात कोणती पुसू नका, धर्म कोणता पुसू नका उद्यानातील फ
ु लांस यांचा रंग कोणता पुसू नका ||१|| हिरवा
चाफा, कमळ निळे सुखद सुमांचे गंध मळे एकच माळी या सर्वांचानावं तयाचे पुसू नका || २ || सद धर्माचा
एकच न्याय, कष्टाचा एकच अध्याय डाव्या उजव्या करांत काही, भेद मानुनी फसू नका ||३|| रिहम दयाळू
तसाच राम मशीद, मंदर मंगल धाम जनी शांतिचा मंत्र मुखाने एक दुजाला डयूं नका जन्मा आलो मुले म्हणून
भरत भूमीच्या क
ु शीमधून अभेद आम्ही, अजिंक्य आम्ही, नाव आमुचे पुसू नका
शालेय गीत संग्रह
23.Students Prayer
Eternal and Glorious God,
Help me to be curious
around the world around me.
Help me to be prepared
For the challenges I face each day.
Help me to be open
15. to difficult tasks.
Help me to be determined.
to complete my work.
Help me to be responsible
in all I do
Help me to be kind.
in my thoughts and words. to be the best that I can be.
Help me to be myself
Amen.
शालेय गीत संग्रह
२4. छोटेसे बिहण-भाऊ
छोटेसे बिहण-भाऊ,
16. उद्याला मोठाले होऊ
उद्याच्या जगाला, उद्याच्या युगाला,
नवीन आकार देऊ ॥ धृ।।
ओसाड उजाड जागा,
होतील सुंदर बागा
शेतांना मयां, फ
ु लांना फळांना,
नवीन बहार देऊ ॥ १ ॥
मोकळ्या आभाळी जाऊ,
मोकळ्या गाळ्यां ने गाऊ
निर्मळ मनाने, आनंदभराने,
आनंद देऊ अन घेऊ ॥ २ ॥
प्रेमाने एकत्र राहु,
17. नवीन जीवन पाहु
अनेक देशांचे, भाषांचे, वेशांचे,
अनेक एकत्र होऊ ॥ ३ ॥
- वसंत बापट
शालेय गीत संग्रह
24. हीच अमुची प्रार्थना
हीच अमुची प्रार्थना अन्हेच अमुचे मागणे माणसाने माणसाशी माणसासम वागणे भोवताली दाटला अंधार
दुःखाचा जरी, सूर्य सत्याचा उद्या उगवेल आहे खात्री, तोवरी देई आम्हाला काजव्यांचे जागणे माणसाने
माणसाशी माणसाराम वागणे धर्म, जाती, प्रांत, भाषा द्वेष सारे संपू दे एक निष्ठा, एक आशा, एक रंगी रंगू दे
अन्पुन्हा पसरो मनावर शुद्धतेचे चांदणे माणसाने माणसाशी माणसासम वागणे • लाभले आयुष्य जितक
े ते
जगावे चांगले पाउले चालो पुढे.. जे थांबले ते संपले घेतला जो श्वास आता तो पुन्हा ना लाभणे माणसाने
माणसाशी माणसासम वागणे.
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