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पोवारी बाल बाचक चळवळ प्रस्तुत
साल पयलो- अंक नववो
फ
े ब्रुवारी 2022
संपादकीय......
बसंत ऋतुक् आगमनको येव महिना. बसंत ऋतुमा ननसगग आपलो रूप बदलंसे. झाडका जूना
पाना झळस्यान नवी पालवी फ
ु टंसे. परसा, ससवरी फ
ु लस्यान आपलो आकर्गक रंगलक सबला आकर्र्गत
करंसे. बसंतमाच कोयलला गरो फ
ु टंसे. आंबालाबी येनंच समयमा बार आवंसे. खेतईनमा र्पकी बोरको
सुगंध जजतंऊत् घुमंसे. ठंडी कळफ
े रस्यान उनारोला आमंत्रण देसे. खरोच बसंत ऋतु सृष्टीमा नवचैतन्य
भर देसे.
असो बसंत बिारमा झुंझुरकाको येव अंक बाल बाचकईनलाई बालसाहित्यको उपिार लेयस्यान
आयी से. झुंझुरकाको येव साहित्यरूपी उपिार बाल बाचकक् जीवनमा नवी ऊजाग उत्पन्न करे असी
मोला आशा से. झुंझुरका ई माससक बाल बाचकला 'बाचन आनंद' देनलाई सदा प्रयत्नरत से. येन्
आमर् प्रयत्नमा पोवारी बाल साहिजत्यकयीनको बिुत बळो योगदान से.
बसंत ऋतुक् आगमनक् बेरापर येव अंक प्रकासशत िोय रिी से. येन् अंकमा नेिमी सरीको
कथा, कर्वता, कोडा, चचत्र असो बालसाहित्य तुमला बाचनला समले. तुमला येव अंक पसंद आये या
आशा से. तुमरा सुझाव मोला जरूर पठावो. बसंत ऋतुकी सबला िाहदगक शुभकामना!
- गुलाब बबसेन
संपादक - झुंझुरका पोवारी बाल ई माससक
मो. नं. 9404235191
ननसमगती
मिेंद्र रिांगडाले
संपादक मंडळ
श्री गुलाब बबसेन, मुख्य संपादक
श्री रणदीप बबसने, सिायक संपादक
श्री मिेंद्रक
ु मार पटले, सिायक संपादक
श्री मिेंद्र रिांगडाले, सिायक संपादक
भालू को ककराणा दुकान
जंगलदून बेस से यिा दुकान
नगदीलक जासे यिा सामान
जगलमा भयी िोती जजत उत
पैसां की जरासी उधारी बेभान.
उधारीको बोझल् बंद भयेव
जंगलको मोरो ककराणा दुकान
तुमरो सारखो चगऱ्िाईकलका
बढे
े़
मोरो दुकान की आता शान.
उमेंद्र युवराज बबसेन (प्रेरीत)
रामाटोला गोंहदया
९६७३९६५३११
भालू लगावसे ककराणा दुकान
ससा आयो लेनला खानको पान
चचमणी आयी कवनलगी भाऊ
कािे सोड्यात जंगलको दुकान.
भालू कवन् लगेव चचमणीला
बाई चगऱ्िाईक निीं जंगलमा
बबचमा बोलेव कावरा भालूला
चलसे का दुकान ऐन गावमा.
बाल कथा
दूध मा पानी
राजाराम भाऊ जवर तीन गाई अना द्वी भसी िोनतन। वोको जवर जागा कम िोती अना दूध
को धंधा लकच गुजारा िोत िोतो। धीरु धीरु लक राजाराम भाऊ ला लोभ आय गयो अना वू दूध मा
पानी समलायकन बबकन लग्यो। कई ग्रािीक चगनना येको र्वरोध कररन परा वोन मोिल्ला मा दुसरो
दूधवाला निी िोन को कारन राजाराम लक दूध लेन की मजबूरी िोती।
राजाराम को दूध को धंधा मा साजरो तरक्की देख सुन्दर भाऊ न बैंक लक लोन लेयकन तीन
भस खरीदकन आननस अना दूध को धंधा चालू कररन। सुंदर भाऊ को अजी संस्कारी मानुर् िोता अना
उनना सुंदर ला सीख देईन की धंधा मा ईमानदारी राखनो जरूरी से। एको लाई सुंदर को मन साफ िोतो
की वोला आपरो धंधा ईमानदारी लक करनो से। वोना बबना समलावट को दूध बबकन को धंधा शुरू
कररस। राजाराम को ग्रािीक जबा यव पता भयो त उनना वोको दुध बंद करायकन सुन्दर जवर लक
खाता लगाय लेईन। राजाराम को र्वलावटी दूध बबकनो कम भय गयो। आता वोला तनाव आवनो चालू
भय गयो अना वोकक तबबयत भी खराब िोय गयी।
राजाराम को बेटा रािुल कक्षा आठवी मा िोतो अना वोला घर को धंधा िोवन को संग वोको
अजी की तबबयत खराब िोन को कारन समझ मा आय गयो। रािुल सुंदर काका जवर जायकन वोको
घर को संकट परा चचाग कररस। सुंदर काका को मत िोतो की आपरो हिरदय ला साफ राखनो सबलक
खास बात से। तोरो अजी को धंधा पहिले पासून को से अना वू जरसो लोभ मा आय गयो एको लाई
उनका ग्रािीक निटक गया। लोख दुननया क़ाय लाई समलावट को दूध लेिेनत। सबला सुद्धता साजरो
लगसे अना यव र्वकल्प को भेटता िी सप्पा वोनो हदशा मा जािेनत। उनको दूध समलावटी निी रिवतो
त उनला दूधवाला बदलन की नौबत निी आवनत।
रािुल कसे की आता मोला यव बात समझ आय गयी से की गलती ककत भयी। आबा मी
जायकन अजी ला समझावसु। सुंदर न रािुल ल कहिस की तोरो अजी को ठीक िोवता वरर तू दूध मोरो
घर मा देय देजोस अना सम तोला वोतरोच पैसा देिू जेतरा ग्रािीक लक समल्िे।
घर जायकन रािुल न आपरो अजी लक यव आग्रि करयो की तुम्िी आता समलावटी नोको करो
अना तुमरो ठीक िोवता वरर सम आपरी पढ़ाई को संगमा आपरो दूध को धंधा ला संभाल लेसु। बेटा की
सूझ देख राजाराम को हिरदय प्रसन्न भय गयो अना वोना यव प्रनतज्ञा कररस की जीवन मा कोनी भी
समलावट को काम निी करनो से।
✍️ऋर्र् बबसेन ,
ग्राम : खामघाट ,तिसील : लालबराग, जजला : बालाघाट(मध्यप्रदेश)
__________________________________________________________________________________
पोवारी प्रश्नमंजुर्ा
1.बाबा आमटे इनको प्रकल्प 'आनंदवन' कोनसो जजल्िा मा से?
2.बाबा आमटे इनकी पुण्यनतथी कब् रव् से?
3.भारत को आचथगक बजेट संसद मा कोन प्रस्तुत कर् सेत?
4.भारत को आचथगक बजेट िर साल कोनसो तारीख ला प्रस्तुत िोसे?
5.गानकोकीला लता मंगेशकर इनको जलम किान भयेतो?
6.ित्तीसगड राज्य को कोनसो जजल्िा की सीमा गोंहदया जजल्िाला लगक्यान से?
7. मिाराष्र मा क
े तरी जजल्िा पररर्द सेत?
8. जजल्िा पररर्द ननवडणूक मा उभो िोन साती कमीतकमी क
े तरी उमर पायजे?
9.उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी कोनसी से?
10. फ
े सबुक क
ं पनी को नवो नाव का से?
संकलक
मिेंद्र रिांगडाले
कागजकी डफरीको बाजा
आनंदीत भूतकाळ
समयमा जायकन |
िोसे प्रसन्नीत मन
याद कर बालपन ||
निानपनकी याद येनं दुननयाकी सबदुन सुंदर याद आय. िरेक मानुसला निानपनकी याद
या खुशी भरेव भूतकाळमा सलजासे. मंग निानपन यव श्रीमंतीको रव्िं का, गरीबीको रव्िं. तसीच कडू
अना गोड यादलका भरी रव्िसे. निानपनका हदवस िे खूब खुशी का रव्िसेत. सबलाच उनको निानपन
याद आवसेच. असो कोनतोिी मानुस नािाय का ओला ओको निानपन याद निी आवं.
निानपन यव सबलाच एकच बेरा भेटसे. म्िणून सबजन निानपनकी याद संभालशान
ठेवसेत. ओको सारखोच मोरो भी निानपन खूब आनंददायी अना गावमाच गयीसे. म्िणून मराठी मा
तुकाराम मिाराज कसे, *“लिानपण देगा देवा, मुंगी साखरेचा रवा”* यव एकदम बरोबर से. वय हदवस
म्िणजे खूप बहढ़या अना गोड रव्िसेत. ज्यांिा स्वाथगकी भावना निी रव्िं, खोटोपणा निी रव्िं, फसवीचगरी
निी रव्िं अना असभमान भी निी रव्िं.
मोरो निानपन गोंहदया जजल्िाको नतरोडा तिसीलमा बडेगांव येन गावमा गयीसे. आमी
गावमाका सपाई टुरा निान िोता तब खूब मज्या करत िोता. तसोच मी घरमा सबदुन निान रिेवलक
घरमाका सपाईजन मोरो खूब लाड करत िोता. ओन बेरा निान उमरमा कयी प्रकारका खेल खेलनो अना
कफरन जानो येवच आमरो मोठो काम रव्िं. सिीमा निानपनका वय हदवस खूब गोड अना मनोरंजक
रव्ित.
मी निान िोतो तब, माय आलमारीमा घीव ठेवं. वु घीव चोरकन ओकोमा साखर समलायशान
खात िोतो. चोरी करता करता कभी कभी घीवको डब्बा खाल्या पड़स्यान घीव संड जात िोतो. तब माय
मोला डाटनको बजाय बबलायीनं संडायीस म्िणून मोरी बाजू धरस्यान अजीला सांगत िोती. कभी कभी
मी दुपारी भर तपनमा सोनपाखरु साती टुराईन संग लंगलंग सशवार हिंडत िोतो. अजीला माहित िोय
तब मोरो अजी मोरी खुब र्पटाई करत.
मी निान िोतो तब कयी खेल खेलत िोता. जसा लगोरी, कबड्डी, खोखो, लंगडी, बबट्टीदांडू,
काचकी गोली, सुरसुर काड़ी, नदी का पिाळ, लुकानिपी, टायरको चक्का कफरावनो, सापससळी, बालको
दानालक चंगास्टा, घानमाकडी असा खेल खेलता खेलता कब हदवस बुड़त िोतो यको पत्ताच लगत
नोिोतो.
पर मोरो निानपनको सबदुन यादगार खेल म्िणजे *कागजकी डफरीको बाजा*. उन्िारोको
सुट्टीमा मोरा फ
ु पेभाई बड़ेगाव आवत. उनको संग फ
ु टेव घड़ाको तोंडपर कागजला भातलक चचपकावत
िोता. ओनं डफरीला ताव आवनसाती पंतुनाको खाल्या चुलोपर सेक देत िोता. मोरा फ
ु पेभाई अना
मोिल्लाका दुयच्यार संगी समलकर नवरदेव नवरीको खेल सुरु िोय. आमरो बालमननं बबह्या सररखो
सामाजजक कायगक्रममा डफरीको बाजा देखी िोतीन असा कायगक्रमकी प्रतीकृ ती प्रत्यक्ष खेलको
माध्यमलका साकार करनको प्रयत्न सुरु िोय. येनं खेलमा कपड़ाका नवरदेव नवरी बनावत िोता अना
मंग सुरु िोय डफरी बजावनसाती खखचातानी. यकोमाच कभी कभी डफरी फ
ु ट जात िोती अना खेल
नततीर-बीतीर िोयस्यान खतम िोय जाय.
खेल निान पनका
िोता मोठा फलदायी |
वय नोिोता खचचगक
स्वास्थ रव्िं सुखदायी ||
असो खेललका टुराईनमा तत्परता, चपळाई, नेतृत्व करनकी क्षमता, एकाग्रता, संघभावना बढ़ अना
स्वास्थ बी तंदुरुस्त रव्िं. र्वशेर् म्िणजे िे खेल अजजबात खचचगक नोिोता. पण काळको ओघमा घरदारको
सामनेका आंगन गायब भय गया. आता घरघरमा टीव्िी अना िातिातमा मोबाइल र्वराजमान भय गया.
असा क
े तरा तरी खेल येनं दुननया लका आता गायब भय गया.
________________________
✍️ इंजज. गोवधगन बबसेन, गोंहदया मो. 9422832941
उंहदर अना बबलाई
मस्त जाता बजारमा सबजन
पसंद का मोल लेता उंदीर मंग
मोठा मोठा ऊ
ं दीर पोख्या वाला
आनता मंग ननवड ननवड कर
बारीकसुररक निीं लगत बाका आमला
सस्ता समलता त आनता जक्वंटलका
कोथरी मा उनला बाका भरकर ठेवता
तीज त्योिार मस्त मज्यालक मनावता
पैसा निीं रवता त उधारी पर आणता
ककलो ककलो सब पोट फ
ु टतवरी खाता
✍️✍️सौ िाया सुरेंद्र पारधी
बबलाई को घर िोतो मोठोजात
दूय चचल्ला र्पल्ला बड़ा शैतान
घरमा दर करेसेत जिावािान
कपड़ा कतर कर भया िैरान
भूख लगीं गया आई को जवर
आई खानला पायजे गवर गवर
बससेजन हदनभर घात लगायकर
िाथ निीं आवत जासेत चकायकर
क
े त्तो अच्िो िोतो आई अगर
बबकता उंदरा बजारमा ककलोलक
चॉकलेटको बंगला
सीता क
ुं दा कमला सुननता अना मंगला
आवो चलो बनावबीन चॉकलेटको बंगला ॥धृ॥
र्पपरमेंटको र्पंजरा
हिरवी क
ँ डीको राघू
दुय मजली बांधनला
मी तासनतास जागू
पल्सकी मैना ठेऊ राघूको संगला ॥३॥
अल्पेनसलबे पोचगमा
लॉलीपॉपको झुला
पॉर्पन्सको बचगचा
ऑरेंज मँगो गुल्ला गुल्ला
चॉकलेटको क
े क जन्महदनको प्रसंगला ॥४॥
डॉ. प्रल्िाद िररणखेड़े "प्रिरी"
क
ॅ डबरीकी ित िप्पर
ककटक
ॅ टकी हदवार
मंचका उभा मुंडा
लॅक्टोककं गको द्वार
िसी ससरप शोभे फाटकको रंगला ॥१॥
कॉफ़ी बाईटकी खखडकी
पारले ककसमीको िज्जा
क
ँ डी बारकी पाटण
क्र
ं ची शॉटकी मज्जा
ससल्क ओररयो लका सजावबी पलंगला ॥२॥
🚩नव उत्थान🚩
मोितुर से नवजीवन को,
ऊभो िोयकर करो सुवागत।
युवा पीढ़ीला से आव्िान,
रव्िनो पढ़े तुमला जागत।।४।।
मेिनत करबी आगे बढ़बीन
निी जसो कोल्िू को बईल।
सबको संगमा उत्थान लाई,
समटायबीन मन को मईल।।५।।
देश दुननया मा मोठो िोिे,
मोरो भारतवर्ग को सम्मान।
ऊभा िोवो मोरा भाई बहिन,
करबी असो देश को उत्थान।।६।।
✍️ऋर्र् बबसेन,
ग्राम : खामघाट,तिसील : लालबराग, जजला : बालाघाट(मध्यप्रदेश)
सत्य की सदा र्वजय िोसे,
असत्य को करबीन त्याग ।
जीवन को यन सन नतव्िार मा,
गावबबन र्परम को राग ।।१।।
नोको बबसरो कोनी,
आमी आजन ससरफ इंसान ।
र्परम अना धरम फ
ै लाय कन,
बाटन देव साजरो बान ।।२।।
साजरो धरकन कासरा,
बनबी नवो दौर का धुरखोरी।
जीवन को िर रंगमा रंगकन,
खेलबीन र्परम की िोरी।।३।।
🌷सरस्वती वंदना🌷
नमो वागदेवी माता, नमो शारदा मा |
जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||धृ||
चतुभुगजा देवी, माला, वेद, वीणा धारी |
एक िात आसशर्को, से कल्याणकारी ||
भक्ती, ज्ञान, संगीतको, पेिराव जामा |
जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||३|| नमो…
पुरो जगमा र्वख्यात, राजा भोज मोरो |
ग्रंथ चौऱ्यासी रचीस, ककरपालं तोरो ||
वागदेवी मोला बी तू, ठेव ककरपामा |
जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||४|| नमो…
र्वद्या संगमा ज्ञानको, भर दे प्रकाश |
अज्ञानको इंधारोको, कर दे तू नाश ||
ज्ञानचक्षू मोला बी दे, सलखू कर्वतामा |
जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||५|| नमो…
✍️ इंजज. गोवधगन बबसेन "गोक
ु ल" गोंहदया, मो.नं. ९४२२८३२९४१
सरस्वती माता सेस, तू मंगलकारी |
तेज श्वेतांबर धारी, तू िंस सवारी ||
माय करूसू वंदना, तोरोच श्रध्दामा |
जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||१|| नमो…
बसनला शुभ्र श्वेत, कमलको फ
ु ल |
शोभं मस्तक मुक
ू ट, कानमाका डुल |
िार गरोमा शोभसे, तेज चेिरामा |
जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||२|| नमो…
देशी बोर
खेतमा भरमार, देशी बोर
जोर ल खांदा िलावो भरभर,
कोनी समठी, कोनी खाटी
कोणी निान, कोनी डगर।।
हिवरी-लाल झाड ला लगडी
खांदा ओलंब्या ना खालत्या सडा
वारेव बोर को मुरंबा अना
बोर बुकनी का स्वाहदष्ट बडा ।।
आवरा बोर, खोबरा बोर,
दारू बोर नाव येका कईक,
झोरा धरक
े ननकलं बालसेना
बोरं जमा करक
े िोत बाटा।।
कलमी बोर को रेस मा
देशी बोर पडी मंगं,
जसो शिरी पुळो गयेव
गावठी रिेव गाव को संगं।।
मिेंद्र रिांगडाले, मच्िेरा
9405729316
🌷उपयोगी असो झोरा🌷
जावू धरक
े इस्क
ू ल
पाटी पुस्तकको झोरा |
रव्िं सबको सामने
अभ्यासमा मोरो तोरा ||४||
माय लेन जाय भाजी
झोरा धरशानी िाट |
बजारको खाजोसाती
देखजन आमी बाट ||५||
झोरा धरक
े र्पवरो
आवं पोस्टमेन गावं |
बाट देखती चचठ्ठीकी
जबं पुकारं वू नावं ||६||
उपयोगी असो झोरा
जास्त नािाय दामला |
फाट जासे तरी आवं
झाडू पोिाको कामला ||७||
✍️इंजज. गोवधगन बबसेन "गोक
ु ल" गोंहदया मो. ९४२२८३२९४१
निानपनमा अजी
धरशान मोठो झोरा |
दुकानमालक आनं
मोरोसाती झगा कोरा ||१||
देखकर कोरा झगा
भरं खुशीबी मनमा |
देखु पेिरक
े आंदी
झगा आपलो तनमा ||२||
आनं मामाजी धरक
े
झोरा मा चचवळा लाळू |
खानसाती मायलाच
रव्िं चचपक
े व बाळू ||३||
बालसाहिजत्यक भागगव येळेकर येक् ‘माझा मुंबईचा प्रवास’ पुस्तकको प्रकाशन
मराठी भार्ा संवधगन पंधरवडाक् ननसमतलक बालक
ु मार साहित्य सभा कोल्िापूर अना मिाराष्र
साहित्य पररर्द शाखा वारणानगर इनक् संयुक्त कायगक्रममा सरस्वती र्वद्यालय, नागपूर यिान दसवीमा
ससकनेवालो चच. भागगव शेखराम येळेकर येन् र्वद्याथीको ‘माझा मुंबईचा प्रवास’ येन् इयत्ता सिावीमा
करेव अना सलखेव प्रवास वणगनको प्रकाशन आभासी पद्धतीलक बालक
ु मार साहित्य सभाका अध्यक्ष
अना हृदय प्रकाशनका प्रकाशक मा. श्री. चंद्रकांत ननकाडे अना डॉ. श्रीकांत पाटील सर इनक् प्रमुख
उपजस्थतीमा हद.२८ जानेवारी २०२२ ला संपन्न भयेव.
कायगक्रमको सूत्रसंचालन श्रीमती नसीम जामदार इनन् करीन. पुस्तक प्रकाशन कायगक्रमको स्वागत
अना प्रास्तार्वक बालक
ु मार साहित्य सभाका अध्यक्ष अना हृदय प्रकाशनका प्रकाशक मा. श्री. चंद्रकांत
ननकाडे इनन् करीन.
दरम्यान बालसाहिजत्यक श्री. गुलाब बबसेन इनन् लेखक भागगवकी मुलाखत लेयस्यान येव
प्रवासवणगन सलखनक् मंगकी प्रेरणा अना मागगदशगन येकबद्दल प्रश्न बबचारत उपजस्थत सबला या
साहित्यकृ ती ननसमगतीबद्दलकी भूसमका र्वशद करीन.
"माझा मुंबईचा प्रवास" को लेखक भागगव येळेकर येन् आपल् मनोगतमा सांचगस का, वू सिावीमा
असताना मामाकन सिपररवार मुंबईला गयेव िोतो. विान देखेव अना अनुभवकरी बात् घर् वापस आयेपर
बाबाक् सूचनानुसार ननबंध सलखनको प्रयास करीस. लघु ननबंध सलखता सलखता दीघग ननबंध तयार भयेव.
अना तीस प्रकरणकी पुस्तकच तयार भयी. प्रवासक् दरम्यान देखी बात् याद करताना निान भाऊ
शादुगलकीबी बिुत मदत भयी असो भागगवन् नमूद क
े रीस. प्रवास वणगनरुपी पुस्तकक् बाऱ्यामा आपली
भावना व्यक्त करताना भागगव बोलेव -
पाहिले मी डोळा, मुंबई नगरी
आनंद लिरी, मनामध्ये।।
अल्पकाळासाठी, पाहिली मुंबई
िोती नवलाई, माझ्यासाठी।।
िे माझे पुस्तक, मुंबई प्रवास
वाचकांना खास, वाटो देवा।।
या पुस्तक सलखनलाई भागगवला जजनकी प्रेरणा समली असा साहिजत्यक वडील प्रा.डाॅॅ. शेखराम
येळेकर अना आई डाॅॅ. जयश्री येळेकर इनक् योगदानबद्दलबी नमूद करीस. पुस्तकका प्रकाशक श्री.
ननकाडे सरन् आपल् अनुभवलक बहढया मागगदशगन करस्यान पुस्तकला सुंदर रूप देईन. येव मोरंलाई
उल्लेखनीय से. असो भागगवन् र्वशेर् नमूद करीस.
प्रकासशत भयेव प्रवासवणगनको कौतुक करणलाई सशक्षण अना साहित्य क्षेत्रमाका बिुत मंडळी
आभासी पद्धतलक समारंभला उपजस्थत िोता. प्रमुख अनतथी मुिून समल्या मा.श्री. श्रीकांत पाटील सरन्
प्रस्तुत प्रवासावणगनको साहिजत्यक अंगलक र्ववेचन करत येव बालसाहित्य मराठी बालसाहित्य क्षेत्रमा
अग्रणी ठरे अना नवोहदत बालसाहिजत्यकईनलाई प्रेरणादायी ठरे असो र्वश्वास व्यक्त करीन. वैदसभगय
बोलीको माधुयग येव साहित्य बाचनोको दरम्यान समलेव असो उनन् येन् बूरा नमूद करीन. "माझा
मुंबईचा प्रवास" या भागगवकी पुस्तक एक आनंद यात्राच से असोबी नमुद करीन.
सरस्वती र्वद्यालय नागपूरका भागगवका मराठीका सशक्षक श्री. ननलेश धवड सरन् भागगवक् सशशु
उमरपासूनक् शाळाला गौरव प्राप्त कर देनक् र्वर्वध क्षेत्रमाक् उल्लेखनीय कायगको उल्लेख करीन. तसोच
नुकतोच सरस्वती र्वद्यालयको सवोत्कृ ष्ट र्वद्याथी अना एन. सी. सी. बेस्ट क
ॅ डेट अवाडग समलेव असो
उल्लेख करत कौतुक करीन. त् शाळाकी प्राचायाग श्रीमती जयश्री शास्त्री मॅडम इनन् चच. भागगवको कौतुक
करत शुभेच्िारुपी संदेश देईन.
येन् पुस्तकला जजनकी प्रस्तावना समली से प्रा. डाॅॅ. प्रल्िादजी िररणखेडे इनन् येन् बेरा मनोगत
व्यक्त करीन. येन् पुस्तकला जजनको र्वशेर् आशीवागद प्राप्त भयेव असा मिाराष्रमाका सुप्रससद्ध
बालसाहिजत्यक डाॅॅ. सुरेश सावंत सरकीबी शुभेच्िा समली.
येन् पुस्तक प्रकाशन समारंभला डाॅॅ. र्वशालजी बबसेन, राष्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी नागपूरका
संयुक्त ननदेशक श्री. ऋर्ीजी बबसेन, न्युज प्रभातका मुख्य संपादक श्री.सुननलजी तुरकर, प्रा. डाॅॅ. एम.
डी. पवार, डाॅॅ. िरगोर्वंदजी टेंभरे, श्रीमती डॉ. शुभांगी रोडे, श्रीमती डॉ. वर्ाग वासननक, इंजी. श्री.
गोवधगनजी बबसेन, साकोली तालुका महिला व बाल कल्याण अचधकारी श्री.चुन्नीलाल लोथे, श्री.ऋर्र्क
े शजी
गौतम, प्रा. अननल गेडाम, डॉ. ककरण वानखेडे, श्री. पासलकचंदजी बबसने, श्रीमती ज्योतीताई देशमुख,
श्री. रणदीप बबसने इत्यादी सिभागी मंडळीनन् भागगवको कौतुक अना असभनंदन करत शुभेच्िा देईन.
कायगक्रमको आभारप्रदशगन लेखक पी.आर. आंबी सर इनन् करीन अना कायगक्रमकी सांगता भयी.
चचत्र रंगावो
झाड
लेखक - संजय एलवाड, पुणे
पोवारी अनुवाद - गुलाब बबसेन, गोंहदया
अज सन्डे वोक
ं लख र्पंटू जरासो बेरालच उठेव. सुट्टी रिेलख आई स्पेशल डडश बनावनकी
िोतीच. गेम खेलनको, काटूगन्स देखनको. मिातनीबेरा बचगचामा कफरनला जानको. अज मज्याच मज्या.
जरासो असोच बबचार र्पंटूक् डोस्कामा सुरू िोतो. र्पंटू खाटपरलक उठेव. बाबुजी पेपर बाचत िोता. आई
ककचनमा व्यस्त िोती. हददी वोला मदत करत िोती. र्पंटून् ब्रश धरीस, वोक
ं पर पेस्ट लेईस. दरोजामा
कोवरी तपन पळी िोती. वू मोठांगक् आंगनमा उभो रयस्यान ब्रश कतत िोतो.
आंगनमा भल्लो मोठो आंबाको झाड िोतो. ब्रश करता करता र्पंटूकी नजर झाडापर पडी. अज
झाडाक् खांदीपर एकबी पक्षी हदसत नोिता. गोदामाक् र्पलाईनको ककलबबलाटबी आयकनला आवत नोितो.
गोदाबी खालीच चोवतत िोतो. पर झाड शांत िोतो. िवा आयेव का, खांदीक् शेंडाका पाना िलात िोता,
अहदक स्तब्ध िोत िोती. अंदक् बाजूका पाना, खांदी बिुतच शांत िोती. झाड कोणत् तरी गंभीर बबचारमा
सेका का? असो र्पंटूला लगेव.
रोज शाळाला जाताना िवाक् तालपर डोलनेवाला खांदा अना सोनेरी नतरीपमा चमकनेवाला पाना
आपलोला बाय बाय करंसेत, का का? असो िरबेराच र्पंटूला लगत िोतो. पर अज रोजकी प्रसन्नता
झाडमा हदसत नोिती. मुिून र्पंटू जरासो पुळ् अयस्यान झाडला ननिारन लगेव.
खांदा बिुतचच कारा पळेसरीका लगत िोता. कािी हठकाणच्या वाळलेल्या साली गळून पडल्या
िोत्या. कािी जागकी साल घासेसरीखी िोती. झाडक् बुडला अना कािी खांदाईनला ककळा लगेव िोतो.
झाड बबमार पळी से. वोला दुख लगत रिे, मुिून वू चूपचाप से. या बात बाबुजीला सांगनको मुिून र्पंटू
घाईगडबडलक घरमा गयेव. क
ु रा करीस, तोंड धोईस. अना बाबुजीला बोलेव, "बाबुजी बाबुजी, तुमी
आंबाक् झाडाकन देख्यात का?" तससा बाबुजी पेपर बाजूला सरकावत बोल्या, "अरे र्पंटू , असो का
बबचारसेस, आवता जाता रोजच देखत रवूसू मी झाडला.’’ तसो निी जी बाबुजी, आपलो झाड बबमार से.
वोला कोनसी तरी बबमारी भयी से. वोकी साल गर रिी से. बुड अना खांदाला ककळा लगी से.’’ "र्पंटू
वू झाड बिूत जुनो से, मी निान िोतो तब् तोर् दादाजीन् वू लगाई िोतीन. आता येन् झाडको आयुष्य
सरत िोत आयेव. मुिूनच वोला ककडा लगी रिे." "पर बाबुजी, वू झाड साजरो िोनलाई आपण कािी कर
निी सकज् का?" "उमर खतम िोत आयेव झाडला आपण का कर सक
ं सेजं बेटा, तु देखंसेसना रोज
मोला ऑकफसला जानो लगंसे. हदवसभर काम करनो पळंसे. एक रोज सुट्टी समलंसे. वोक
ं लक झाडलाई
मी कसो समय िेळू. बरो समय काळेव, तरी मी झाडालाई का करून?’’ बाबुजीक् उत्तरलक र्पंटूको चेिरा
पळेव. तसो बाबुजी र्पंटूला समजावत बोल्या, "बेटा, माणूस रवो निी त् झाड सबकोच आयुष्य ठरेव से.
एक ननजश्चत समयक् बाद सबकोच आयुष्य खतम िोसे. मुिून जादा बबचार करू नोको, अज सन्डे फ
ु ल्ल
एन्जॉय करनको, संध्याकाळी गाडगनमा कफरनला जानको. रातवा आवताना पानीपुरी, भेल खानको.’’ र्पंटू
अना बाबुजीकी चचाग सुरू असतानाच आईन् ब्रेक फास्ट करलाई िाका मारीस.
आई, बाबुजी, हददी, र्पंटू सबच डायननंग टेबलपर ब्रेक फास्टलाई बस्या. झाडक् बबचारमा र्पंटूला
अज आंग धोवनकीबी ख्याल निी रिी. कािी करीस तरीबी झाडको बबचार डोस्कामालक जात नोितो.
कसोतरी ब्रेक फास्ट खतम करस्यान र्पंटू दरवाजामा बसस्यान एकसारखो झाडकन देखत िोतो. िर
संडेसारखो र्पंटू मस्ती निी कर्. कोणीसंगमा बोलबी निी, काटूगन्स लगावनसाती िटबी निी कर्. या बात
आईक् ध्यानमा आयी. मुिून आई र्पंटूजवर आयी अना बोली, "र्पंटू का भयेव बेटा, तु असो चूपचापच
का? कािी तरास से का? कोणी कािी बोलेव का?’’ र्पंटून् मान िलायस्यान कािीच निी भयेव असो
उत्तर आईला देईस. तसी आई बोली, "मंग बेटा, असो चूपचाप का? का भयेव वू तरी सांग?’’ र्पंटू
रोयेसरीखो चेिरा करस्यान बोलेव, "आई आपलो आंब्याको झाड बबमार से. वोक् खांदाला ककडा लगी
से. बाबुजी कसेत का, वोकी उमर खतम भयी. आपलोला वोक
ं लाई कािीच करता निी आवनको?'’ तशी
आई र्पंटूला कोऱ्यामा धरस्यान बोली, "एवढोसो कारणलक बेटू चूप भयी से का? वू झाड आय, वोला
बोलता निी आव्. वोला का भयेव, येव आपलोला कसो समजे? तसोबी वू झाड बिूत पुरानो से. मुिून
वोला ककडा लगी रिे.’’ "पर आई, वू झाड जुनो भयेव, वोला बोलता निी आव्, कािी सांगताबी निी आव्
मुिून आपण वोला जगावनलाई कािी करनकोच निी का?’’ येन् र्पंटूक् सवालन् आई ननरूत्तर भयी.
बाबुजीबी घरमालक र्पंटूको बोलनो आयकत िोता.
आई समजावनक् सुरमा कािी तरी बोले वोक् पयलेच र्पंटू बोलेव, "आई, मी झाडक् बबमारीक्
बाऱ्यामा बाबुजीलाबी सांगेव, वूननबी असोच उत्तर देईन. अना तुबी तसोच उत्तर देसेस. सबनच असो
बबचार करीस, त् झाड कसो जगे? िर सालच झाडला फल लगसेत. खांदाना खांदा फललक भर जासेत.
खांदाईनलाबी फलको बिुत ओझो िोत रिे. पर ये रसरसीत फल आपलोला खाता आये पायजे, येक
ं लाई
वय येव ओझो सिन करंसेत. फलकी काळजी लेसेत. फल र्पकनला बस्या का, रंगन् रंगका पक्षी आवंसेत.
वयबी खुशीलक फलकी चव चाखंसेत. वूनको ओझोबी झाड सिन करंसेत. यतरोच निी त् रातभर दुर्ीत
िवा शोर्ण करस्यान सकारबेरा शुध्द िवा झाड आपलोला देसेत. ये सब झाड आपलोलाईच करंसेत ना?’’
र्पंटूको येव बोलणो अयक आई-बाबुजी चकीत भया. का बोलन् वूनला कािीच निी सुचेव. पर र्पंटूला
रोवनो आयेव, वू रोवत रोवतच पुळ् बोलेव, "आई नेिमीच आपल् झाडपर पक्षींको ककलबबलाट रवत
िोतो, खादाईनपर गोदा रवत िोता. उनारोमात् क
े तातरी पक्षी संगमा बसस्यान आराम करत. फल लगेपर
झाडपर पक्षींकी यात्राच भर्. िर पक्षी झाडक् आंगपरा खेल्. आपल् िकका फल खात. एक खांदीपरलक
दुसर् खांदीपर खेलत. पर देख ना झाड बबमार पळेव, वू जुनो भयेव अना पक्षीयीननबी वोकी साथ
सोळीन. मी मंगानी देखेव, झाडपर एकबी पक्षी निी आव्. गोदामाका पक्षीबी ननकल गया. अस्
पररजस्थतीमा आपणबी झाडकी साथ सोड्या, वोक
ं कन दुलगक्ष कऱ्या, त् झाड अणखी कािी साल जगनक्
जाग् वार जाये. मजबूर भयी खांदी टुटस्यान पळेत. शायनोजीन् लगायेव झाड एकरोज उखळस्यान पळे.
शायनोजीकोबी असोच भयेव. शायनोजी बबमार पळ्या, अना बबमारीमाच वय एक रोज आपलोला
सोळस्यान गया. झाड तरी आपलोला सोळस्यान जाये निी पायजे, शायनोजीकी याद पोसी निी जाये
पायजे. मुिूनच आपण झाडकी काळजी लेये पायजे. पक्षी फल खानलाई अना तपनबेरा आराम करनसाती
झाडपर आवत िोता. आपणबी आंबा लग्या का, झाडाकन ख्याल देत िोता. कािेका वोकमा पक्षींसरीखो
आपलोबी स्वाथगच. पर येव झाड त् ननस्वाथी से ना. वू िरबारच पक्षीनको अना आपरो बबचार करंसे.
दुसरोईनसाती आयुष्यभर झुरत रवंसे. तपन, िवा, बारीस अना थंडीको मुकाबला करस्यान आपलोला
फल देसे. अस् ननस्वाथी अना आपलोलाई जगणारो झाडला अडचनक् समयमा आपण मदत करेच
पायजे.’’ र्पंटूको बोलणो सुरू असतानाच आई-बाबुजीक् डोराकी पापणी ओली भयी. झाड कबीच अबोल
निी रव्, वू िरबार आपलोसंगमा बोलंसे ससफ
ग आपण वोला समजे पायजे. वोकी भार्ा समज लेये पायजे.
झाडसंगमा कबीच आमला बोलता निी आयेव. वोको दु:ख निी समजेव. पर र्पंटून् निान उमरमाच
झाडको दु:ख जाखणस, वोको ददग अना एकटोपणा समझ लेईस. वोका आई-बाबुजीला कौतुक आपल् बेटापर
गवग लगेव. त् दुसर् बाजूला आपण झाडला समजनोमा कमी पळ्या, येको पश्चाताप आई-बाबुजीला भयेव.
भयी गलती सुधारनलाई वूनन् वंदाकाच झाडला जगावनको ननश्चय करीन. र्पंटूला बिुत आनंद भयेव.
वन् रोजपासून िर जन आपआपलो परीलक झाड जगावनलाई प्रयास करन बसेव.
सप्तसुर भया मुका
तेल बानतको सरेव
देि मातीमा समलेव |
समजावू कसस तोला
हदवो सूरको बुझेव ||३||
कसो समजावू मन
आता भयेव बेचैन |
येन दु:खको समय
कोन लवटाये चैन ||४||
याद आये कोककलाकी
तब आयकजो गाना |
हददी गयी स्वगगधाम
नाचावन राधा कान्िा ||५||
✍️मिेंद्रक
ु मार ईश्वरलाल पटले (ऋतुराज)
सरगम भयी शांत
सप्तसुर भया मुका |
तोरो शोकमा सपाई
श्रोता रह्य गया भुका ||१||
किा गयी लताहददी
जरा सांग मोला माय |
सांगू नोको कािीबािी
गोड लग निी चाय ||२||
तेल बानतको सरेव
देि मातीमा समलेव |
समजावू कसस तोला
हदवो सूरको बुझेव ||३||
स्वर राणी
अभिमान रहेव
सदैव राष्ट्र संस्कृ ती
मांदी रही घरमां बी
क्ांततकारक वविूती !!४!!
ऐ मेरे वतन क
े लोगो
क
े तरो अमर गीत
जन मन मां फ
ु कीस
राष्ट्र प्रेम को संगीत !!५!!
सुंदर शांत स्वरूप
जीवनिर अटल
ववश्विर पयचान
स्वर संग अववचल !!६!!
जय जय स्वर राणी
शांत ियेव शरीर
पर सदैव चले वु
अमर सुंदर स्वर !!७!!
रणदीप बबसने मु.भसंदीपार
हहंदिूमी ियी खूश
सून एक वू सुस्वर
नाम ठेयेव गयेव
लता दीदी गहहवर !!१!!
हदनानाथ पुण्यवान
लता आशा उषा हृदय
रत्न वय गुणी शान
िारत िू अभ्युदय !!२!!
हजार लक्ष बी गाया
स्वर िया अमर
गुंजसे गुंजत रहे
युग युग हजार !!३!!
ओरखो मी कोन
४.
चाप कककरा बसला
आत मोरा संगीसाथी
कलाकार मी िुन्नरबाज
घड देवू घोडा, िाथी
५.
राजा मी फलइनको
नाव तेल्या, शेंदरी, घोटी
खुस िोय जासेत सबजन
खायक
े स्वाहदष्ट रस रोटी
६.
पालनकताग मी नवग्रिको
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दुधगंगा को रव्िनेवालो
तारा मी चमकनेवालो
✍️ऋतुराज
१.
बदलती रचना मोरी
मी जीव पानीमाको
जावू अगर शरीरमा
प्रसार करू आमांसको
२.
कारो, भुरो रंगरंगको
एक जीव बडो रुपवान
मोठो िोसे खायखायक
े
अंडा, इल्ली, कोश, जवान
३.
चार लोग जिा जमसेत
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  • 1. पोवारी बाल बाचक चळवळ प्रस्तुत साल पयलो- अंक नववो फ े ब्रुवारी 2022
  • 2. संपादकीय...... बसंत ऋतुक् आगमनको येव महिना. बसंत ऋतुमा ननसगग आपलो रूप बदलंसे. झाडका जूना पाना झळस्यान नवी पालवी फ ु टंसे. परसा, ससवरी फ ु लस्यान आपलो आकर्गक रंगलक सबला आकर्र्गत करंसे. बसंतमाच कोयलला गरो फ ु टंसे. आंबालाबी येनंच समयमा बार आवंसे. खेतईनमा र्पकी बोरको सुगंध जजतंऊत् घुमंसे. ठंडी कळफ े रस्यान उनारोला आमंत्रण देसे. खरोच बसंत ऋतु सृष्टीमा नवचैतन्य भर देसे. असो बसंत बिारमा झुंझुरकाको येव अंक बाल बाचकईनलाई बालसाहित्यको उपिार लेयस्यान आयी से. झुंझुरकाको येव साहित्यरूपी उपिार बाल बाचकक् जीवनमा नवी ऊजाग उत्पन्न करे असी मोला आशा से. झुंझुरका ई माससक बाल बाचकला 'बाचन आनंद' देनलाई सदा प्रयत्नरत से. येन् आमर् प्रयत्नमा पोवारी बाल साहिजत्यकयीनको बिुत बळो योगदान से. बसंत ऋतुक् आगमनक् बेरापर येव अंक प्रकासशत िोय रिी से. येन् अंकमा नेिमी सरीको कथा, कर्वता, कोडा, चचत्र असो बालसाहित्य तुमला बाचनला समले. तुमला येव अंक पसंद आये या आशा से. तुमरा सुझाव मोला जरूर पठावो. बसंत ऋतुकी सबला िाहदगक शुभकामना! - गुलाब बबसेन संपादक - झुंझुरका पोवारी बाल ई माससक मो. नं. 9404235191 ननसमगती मिेंद्र रिांगडाले संपादक मंडळ श्री गुलाब बबसेन, मुख्य संपादक श्री रणदीप बबसने, सिायक संपादक श्री मिेंद्रक ु मार पटले, सिायक संपादक श्री मिेंद्र रिांगडाले, सिायक संपादक
  • 3. भालू को ककराणा दुकान जंगलदून बेस से यिा दुकान नगदीलक जासे यिा सामान जगलमा भयी िोती जजत उत पैसां की जरासी उधारी बेभान. उधारीको बोझल् बंद भयेव जंगलको मोरो ककराणा दुकान तुमरो सारखो चगऱ्िाईकलका बढे े़ मोरो दुकान की आता शान. उमेंद्र युवराज बबसेन (प्रेरीत) रामाटोला गोंहदया ९६७३९६५३११ भालू लगावसे ककराणा दुकान ससा आयो लेनला खानको पान चचमणी आयी कवनलगी भाऊ कािे सोड्यात जंगलको दुकान. भालू कवन् लगेव चचमणीला बाई चगऱ्िाईक निीं जंगलमा बबचमा बोलेव कावरा भालूला चलसे का दुकान ऐन गावमा.
  • 4. बाल कथा दूध मा पानी राजाराम भाऊ जवर तीन गाई अना द्वी भसी िोनतन। वोको जवर जागा कम िोती अना दूध को धंधा लकच गुजारा िोत िोतो। धीरु धीरु लक राजाराम भाऊ ला लोभ आय गयो अना वू दूध मा पानी समलायकन बबकन लग्यो। कई ग्रािीक चगनना येको र्वरोध कररन परा वोन मोिल्ला मा दुसरो दूधवाला निी िोन को कारन राजाराम लक दूध लेन की मजबूरी िोती। राजाराम को दूध को धंधा मा साजरो तरक्की देख सुन्दर भाऊ न बैंक लक लोन लेयकन तीन भस खरीदकन आननस अना दूध को धंधा चालू कररन। सुंदर भाऊ को अजी संस्कारी मानुर् िोता अना उनना सुंदर ला सीख देईन की धंधा मा ईमानदारी राखनो जरूरी से। एको लाई सुंदर को मन साफ िोतो की वोला आपरो धंधा ईमानदारी लक करनो से। वोना बबना समलावट को दूध बबकन को धंधा शुरू कररस। राजाराम को ग्रािीक जबा यव पता भयो त उनना वोको दुध बंद करायकन सुन्दर जवर लक खाता लगाय लेईन। राजाराम को र्वलावटी दूध बबकनो कम भय गयो। आता वोला तनाव आवनो चालू भय गयो अना वोकक तबबयत भी खराब िोय गयी। राजाराम को बेटा रािुल कक्षा आठवी मा िोतो अना वोला घर को धंधा िोवन को संग वोको अजी की तबबयत खराब िोन को कारन समझ मा आय गयो। रािुल सुंदर काका जवर जायकन वोको घर को संकट परा चचाग कररस। सुंदर काका को मत िोतो की आपरो हिरदय ला साफ राखनो सबलक खास बात से। तोरो अजी को धंधा पहिले पासून को से अना वू जरसो लोभ मा आय गयो एको लाई
  • 5. उनका ग्रािीक निटक गया। लोख दुननया क़ाय लाई समलावट को दूध लेिेनत। सबला सुद्धता साजरो लगसे अना यव र्वकल्प को भेटता िी सप्पा वोनो हदशा मा जािेनत। उनको दूध समलावटी निी रिवतो त उनला दूधवाला बदलन की नौबत निी आवनत। रािुल कसे की आता मोला यव बात समझ आय गयी से की गलती ककत भयी। आबा मी जायकन अजी ला समझावसु। सुंदर न रािुल ल कहिस की तोरो अजी को ठीक िोवता वरर तू दूध मोरो घर मा देय देजोस अना सम तोला वोतरोच पैसा देिू जेतरा ग्रािीक लक समल्िे। घर जायकन रािुल न आपरो अजी लक यव आग्रि करयो की तुम्िी आता समलावटी नोको करो अना तुमरो ठीक िोवता वरर सम आपरी पढ़ाई को संगमा आपरो दूध को धंधा ला संभाल लेसु। बेटा की सूझ देख राजाराम को हिरदय प्रसन्न भय गयो अना वोना यव प्रनतज्ञा कररस की जीवन मा कोनी भी समलावट को काम निी करनो से। ✍️ऋर्र् बबसेन , ग्राम : खामघाट ,तिसील : लालबराग, जजला : बालाघाट(मध्यप्रदेश) __________________________________________________________________________________ पोवारी प्रश्नमंजुर्ा 1.बाबा आमटे इनको प्रकल्प 'आनंदवन' कोनसो जजल्िा मा से? 2.बाबा आमटे इनकी पुण्यनतथी कब् रव् से? 3.भारत को आचथगक बजेट संसद मा कोन प्रस्तुत कर् सेत? 4.भारत को आचथगक बजेट िर साल कोनसो तारीख ला प्रस्तुत िोसे? 5.गानकोकीला लता मंगेशकर इनको जलम किान भयेतो? 6.ित्तीसगड राज्य को कोनसो जजल्िा की सीमा गोंहदया जजल्िाला लगक्यान से? 7. मिाराष्र मा क े तरी जजल्िा पररर्द सेत? 8. जजल्िा पररर्द ननवडणूक मा उभो िोन साती कमीतकमी क े तरी उमर पायजे? 9.उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी कोनसी से? 10. फ े सबुक क ं पनी को नवो नाव का से? संकलक मिेंद्र रिांगडाले
  • 6. कागजकी डफरीको बाजा आनंदीत भूतकाळ समयमा जायकन | िोसे प्रसन्नीत मन याद कर बालपन || निानपनकी याद येनं दुननयाकी सबदुन सुंदर याद आय. िरेक मानुसला निानपनकी याद या खुशी भरेव भूतकाळमा सलजासे. मंग निानपन यव श्रीमंतीको रव्िं का, गरीबीको रव्िं. तसीच कडू अना गोड यादलका भरी रव्िसे. निानपनका हदवस िे खूब खुशी का रव्िसेत. सबलाच उनको निानपन याद आवसेच. असो कोनतोिी मानुस नािाय का ओला ओको निानपन याद निी आवं. निानपन यव सबलाच एकच बेरा भेटसे. म्िणून सबजन निानपनकी याद संभालशान ठेवसेत. ओको सारखोच मोरो भी निानपन खूब आनंददायी अना गावमाच गयीसे. म्िणून मराठी मा तुकाराम मिाराज कसे, *“लिानपण देगा देवा, मुंगी साखरेचा रवा”* यव एकदम बरोबर से. वय हदवस म्िणजे खूप बहढ़या अना गोड रव्िसेत. ज्यांिा स्वाथगकी भावना निी रव्िं, खोटोपणा निी रव्िं, फसवीचगरी निी रव्िं अना असभमान भी निी रव्िं. मोरो निानपन गोंहदया जजल्िाको नतरोडा तिसीलमा बडेगांव येन गावमा गयीसे. आमी गावमाका सपाई टुरा निान िोता तब खूब मज्या करत िोता. तसोच मी घरमा सबदुन निान रिेवलक घरमाका सपाईजन मोरो खूब लाड करत िोता. ओन बेरा निान उमरमा कयी प्रकारका खेल खेलनो अना कफरन जानो येवच आमरो मोठो काम रव्िं. सिीमा निानपनका वय हदवस खूब गोड अना मनोरंजक रव्ित.
  • 7. मी निान िोतो तब, माय आलमारीमा घीव ठेवं. वु घीव चोरकन ओकोमा साखर समलायशान खात िोतो. चोरी करता करता कभी कभी घीवको डब्बा खाल्या पड़स्यान घीव संड जात िोतो. तब माय मोला डाटनको बजाय बबलायीनं संडायीस म्िणून मोरी बाजू धरस्यान अजीला सांगत िोती. कभी कभी मी दुपारी भर तपनमा सोनपाखरु साती टुराईन संग लंगलंग सशवार हिंडत िोतो. अजीला माहित िोय तब मोरो अजी मोरी खुब र्पटाई करत. मी निान िोतो तब कयी खेल खेलत िोता. जसा लगोरी, कबड्डी, खोखो, लंगडी, बबट्टीदांडू, काचकी गोली, सुरसुर काड़ी, नदी का पिाळ, लुकानिपी, टायरको चक्का कफरावनो, सापससळी, बालको दानालक चंगास्टा, घानमाकडी असा खेल खेलता खेलता कब हदवस बुड़त िोतो यको पत्ताच लगत नोिोतो. पर मोरो निानपनको सबदुन यादगार खेल म्िणजे *कागजकी डफरीको बाजा*. उन्िारोको सुट्टीमा मोरा फ ु पेभाई बड़ेगाव आवत. उनको संग फ ु टेव घड़ाको तोंडपर कागजला भातलक चचपकावत िोता. ओनं डफरीला ताव आवनसाती पंतुनाको खाल्या चुलोपर सेक देत िोता. मोरा फ ु पेभाई अना मोिल्लाका दुयच्यार संगी समलकर नवरदेव नवरीको खेल सुरु िोय. आमरो बालमननं बबह्या सररखो सामाजजक कायगक्रममा डफरीको बाजा देखी िोतीन असा कायगक्रमकी प्रतीकृ ती प्रत्यक्ष खेलको माध्यमलका साकार करनको प्रयत्न सुरु िोय. येनं खेलमा कपड़ाका नवरदेव नवरी बनावत िोता अना मंग सुरु िोय डफरी बजावनसाती खखचातानी. यकोमाच कभी कभी डफरी फ ु ट जात िोती अना खेल नततीर-बीतीर िोयस्यान खतम िोय जाय. खेल निान पनका िोता मोठा फलदायी | वय नोिोता खचचगक स्वास्थ रव्िं सुखदायी || असो खेललका टुराईनमा तत्परता, चपळाई, नेतृत्व करनकी क्षमता, एकाग्रता, संघभावना बढ़ अना स्वास्थ बी तंदुरुस्त रव्िं. र्वशेर् म्िणजे िे खेल अजजबात खचचगक नोिोता. पण काळको ओघमा घरदारको सामनेका आंगन गायब भय गया. आता घरघरमा टीव्िी अना िातिातमा मोबाइल र्वराजमान भय गया. असा क े तरा तरी खेल येनं दुननया लका आता गायब भय गया. ________________________ ✍️ इंजज. गोवधगन बबसेन, गोंहदया मो. 9422832941
  • 8. उंहदर अना बबलाई मस्त जाता बजारमा सबजन पसंद का मोल लेता उंदीर मंग मोठा मोठा ऊ ं दीर पोख्या वाला आनता मंग ननवड ननवड कर बारीकसुररक निीं लगत बाका आमला सस्ता समलता त आनता जक्वंटलका कोथरी मा उनला बाका भरकर ठेवता तीज त्योिार मस्त मज्यालक मनावता पैसा निीं रवता त उधारी पर आणता ककलो ककलो सब पोट फ ु टतवरी खाता ✍️✍️सौ िाया सुरेंद्र पारधी बबलाई को घर िोतो मोठोजात दूय चचल्ला र्पल्ला बड़ा शैतान घरमा दर करेसेत जिावािान कपड़ा कतर कर भया िैरान भूख लगीं गया आई को जवर आई खानला पायजे गवर गवर बससेजन हदनभर घात लगायकर िाथ निीं आवत जासेत चकायकर क े त्तो अच्िो िोतो आई अगर बबकता उंदरा बजारमा ककलोलक
  • 9. चॉकलेटको बंगला सीता क ुं दा कमला सुननता अना मंगला आवो चलो बनावबीन चॉकलेटको बंगला ॥धृ॥ र्पपरमेंटको र्पंजरा हिरवी क ँ डीको राघू दुय मजली बांधनला मी तासनतास जागू पल्सकी मैना ठेऊ राघूको संगला ॥३॥ अल्पेनसलबे पोचगमा लॉलीपॉपको झुला पॉर्पन्सको बचगचा ऑरेंज मँगो गुल्ला गुल्ला चॉकलेटको क े क जन्महदनको प्रसंगला ॥४॥ डॉ. प्रल्िाद िररणखेड़े "प्रिरी" क ॅ डबरीकी ित िप्पर ककटक ॅ टकी हदवार मंचका उभा मुंडा लॅक्टोककं गको द्वार िसी ससरप शोभे फाटकको रंगला ॥१॥ कॉफ़ी बाईटकी खखडकी पारले ककसमीको िज्जा क ँ डी बारकी पाटण क्र ं ची शॉटकी मज्जा ससल्क ओररयो लका सजावबी पलंगला ॥२॥
  • 10. 🚩नव उत्थान🚩 मोितुर से नवजीवन को, ऊभो िोयकर करो सुवागत। युवा पीढ़ीला से आव्िान, रव्िनो पढ़े तुमला जागत।।४।। मेिनत करबी आगे बढ़बीन निी जसो कोल्िू को बईल। सबको संगमा उत्थान लाई, समटायबीन मन को मईल।।५।। देश दुननया मा मोठो िोिे, मोरो भारतवर्ग को सम्मान। ऊभा िोवो मोरा भाई बहिन, करबी असो देश को उत्थान।।६।। ✍️ऋर्र् बबसेन, ग्राम : खामघाट,तिसील : लालबराग, जजला : बालाघाट(मध्यप्रदेश) सत्य की सदा र्वजय िोसे, असत्य को करबीन त्याग । जीवन को यन सन नतव्िार मा, गावबबन र्परम को राग ।।१।। नोको बबसरो कोनी, आमी आजन ससरफ इंसान । र्परम अना धरम फ ै लाय कन, बाटन देव साजरो बान ।।२।। साजरो धरकन कासरा, बनबी नवो दौर का धुरखोरी। जीवन को िर रंगमा रंगकन, खेलबीन र्परम की िोरी।।३।।
  • 11. 🌷सरस्वती वंदना🌷 नमो वागदेवी माता, नमो शारदा मा | जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||धृ|| चतुभुगजा देवी, माला, वेद, वीणा धारी | एक िात आसशर्को, से कल्याणकारी || भक्ती, ज्ञान, संगीतको, पेिराव जामा | जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||३|| नमो… पुरो जगमा र्वख्यात, राजा भोज मोरो | ग्रंथ चौऱ्यासी रचीस, ककरपालं तोरो || वागदेवी मोला बी तू, ठेव ककरपामा | जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||४|| नमो… र्वद्या संगमा ज्ञानको, भर दे प्रकाश | अज्ञानको इंधारोको, कर दे तू नाश || ज्ञानचक्षू मोला बी दे, सलखू कर्वतामा | जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||५|| नमो… ✍️ इंजज. गोवधगन बबसेन "गोक ु ल" गोंहदया, मो.नं. ९४२२८३२९४१ सरस्वती माता सेस, तू मंगलकारी | तेज श्वेतांबर धारी, तू िंस सवारी || माय करूसू वंदना, तोरोच श्रध्दामा | जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||१|| नमो… बसनला शुभ्र श्वेत, कमलको फ ु ल | शोभं मस्तक मुक ू ट, कानमाका डुल | िार गरोमा शोभसे, तेज चेिरामा | जागा थोड़ीसी देय दे, मोरो हिरदामा ||२|| नमो…
  • 12. देशी बोर खेतमा भरमार, देशी बोर जोर ल खांदा िलावो भरभर, कोनी समठी, कोनी खाटी कोणी निान, कोनी डगर।। हिवरी-लाल झाड ला लगडी खांदा ओलंब्या ना खालत्या सडा वारेव बोर को मुरंबा अना बोर बुकनी का स्वाहदष्ट बडा ।। आवरा बोर, खोबरा बोर, दारू बोर नाव येका कईक, झोरा धरक े ननकलं बालसेना बोरं जमा करक े िोत बाटा।। कलमी बोर को रेस मा देशी बोर पडी मंगं, जसो शिरी पुळो गयेव गावठी रिेव गाव को संगं।। मिेंद्र रिांगडाले, मच्िेरा 9405729316
  • 13. 🌷उपयोगी असो झोरा🌷 जावू धरक े इस्क ू ल पाटी पुस्तकको झोरा | रव्िं सबको सामने अभ्यासमा मोरो तोरा ||४|| माय लेन जाय भाजी झोरा धरशानी िाट | बजारको खाजोसाती देखजन आमी बाट ||५|| झोरा धरक े र्पवरो आवं पोस्टमेन गावं | बाट देखती चचठ्ठीकी जबं पुकारं वू नावं ||६|| उपयोगी असो झोरा जास्त नािाय दामला | फाट जासे तरी आवं झाडू पोिाको कामला ||७|| ✍️इंजज. गोवधगन बबसेन "गोक ु ल" गोंहदया मो. ९४२२८३२९४१ निानपनमा अजी धरशान मोठो झोरा | दुकानमालक आनं मोरोसाती झगा कोरा ||१|| देखकर कोरा झगा भरं खुशीबी मनमा | देखु पेिरक े आंदी झगा आपलो तनमा ||२|| आनं मामाजी धरक े झोरा मा चचवळा लाळू | खानसाती मायलाच रव्िं चचपक े व बाळू ||३||
  • 14. बालसाहिजत्यक भागगव येळेकर येक् ‘माझा मुंबईचा प्रवास’ पुस्तकको प्रकाशन मराठी भार्ा संवधगन पंधरवडाक् ननसमतलक बालक ु मार साहित्य सभा कोल्िापूर अना मिाराष्र साहित्य पररर्द शाखा वारणानगर इनक् संयुक्त कायगक्रममा सरस्वती र्वद्यालय, नागपूर यिान दसवीमा ससकनेवालो चच. भागगव शेखराम येळेकर येन् र्वद्याथीको ‘माझा मुंबईचा प्रवास’ येन् इयत्ता सिावीमा करेव अना सलखेव प्रवास वणगनको प्रकाशन आभासी पद्धतीलक बालक ु मार साहित्य सभाका अध्यक्ष अना हृदय प्रकाशनका प्रकाशक मा. श्री. चंद्रकांत ननकाडे अना डॉ. श्रीकांत पाटील सर इनक् प्रमुख उपजस्थतीमा हद.२८ जानेवारी २०२२ ला संपन्न भयेव. कायगक्रमको सूत्रसंचालन श्रीमती नसीम जामदार इनन् करीन. पुस्तक प्रकाशन कायगक्रमको स्वागत अना प्रास्तार्वक बालक ु मार साहित्य सभाका अध्यक्ष अना हृदय प्रकाशनका प्रकाशक मा. श्री. चंद्रकांत ननकाडे इनन् करीन. दरम्यान बालसाहिजत्यक श्री. गुलाब बबसेन इनन् लेखक भागगवकी मुलाखत लेयस्यान येव प्रवासवणगन सलखनक् मंगकी प्रेरणा अना मागगदशगन येकबद्दल प्रश्न बबचारत उपजस्थत सबला या साहित्यकृ ती ननसमगतीबद्दलकी भूसमका र्वशद करीन. "माझा मुंबईचा प्रवास" को लेखक भागगव येळेकर येन् आपल् मनोगतमा सांचगस का, वू सिावीमा असताना मामाकन सिपररवार मुंबईला गयेव िोतो. विान देखेव अना अनुभवकरी बात् घर् वापस आयेपर बाबाक् सूचनानुसार ननबंध सलखनको प्रयास करीस. लघु ननबंध सलखता सलखता दीघग ननबंध तयार भयेव.
  • 15. अना तीस प्रकरणकी पुस्तकच तयार भयी. प्रवासक् दरम्यान देखी बात् याद करताना निान भाऊ शादुगलकीबी बिुत मदत भयी असो भागगवन् नमूद क े रीस. प्रवास वणगनरुपी पुस्तकक् बाऱ्यामा आपली भावना व्यक्त करताना भागगव बोलेव - पाहिले मी डोळा, मुंबई नगरी आनंद लिरी, मनामध्ये।। अल्पकाळासाठी, पाहिली मुंबई िोती नवलाई, माझ्यासाठी।। िे माझे पुस्तक, मुंबई प्रवास वाचकांना खास, वाटो देवा।। या पुस्तक सलखनलाई भागगवला जजनकी प्रेरणा समली असा साहिजत्यक वडील प्रा.डाॅॅ. शेखराम येळेकर अना आई डाॅॅ. जयश्री येळेकर इनक् योगदानबद्दलबी नमूद करीस. पुस्तकका प्रकाशक श्री.
  • 16. ननकाडे सरन् आपल् अनुभवलक बहढया मागगदशगन करस्यान पुस्तकला सुंदर रूप देईन. येव मोरंलाई उल्लेखनीय से. असो भागगवन् र्वशेर् नमूद करीस. प्रकासशत भयेव प्रवासवणगनको कौतुक करणलाई सशक्षण अना साहित्य क्षेत्रमाका बिुत मंडळी आभासी पद्धतलक समारंभला उपजस्थत िोता. प्रमुख अनतथी मुिून समल्या मा.श्री. श्रीकांत पाटील सरन् प्रस्तुत प्रवासावणगनको साहिजत्यक अंगलक र्ववेचन करत येव बालसाहित्य मराठी बालसाहित्य क्षेत्रमा अग्रणी ठरे अना नवोहदत बालसाहिजत्यकईनलाई प्रेरणादायी ठरे असो र्वश्वास व्यक्त करीन. वैदसभगय बोलीको माधुयग येव साहित्य बाचनोको दरम्यान समलेव असो उनन् येन् बूरा नमूद करीन. "माझा मुंबईचा प्रवास" या भागगवकी पुस्तक एक आनंद यात्राच से असोबी नमुद करीन. सरस्वती र्वद्यालय नागपूरका भागगवका मराठीका सशक्षक श्री. ननलेश धवड सरन् भागगवक् सशशु उमरपासूनक् शाळाला गौरव प्राप्त कर देनक् र्वर्वध क्षेत्रमाक् उल्लेखनीय कायगको उल्लेख करीन. तसोच नुकतोच सरस्वती र्वद्यालयको सवोत्कृ ष्ट र्वद्याथी अना एन. सी. सी. बेस्ट क ॅ डेट अवाडग समलेव असो उल्लेख करत कौतुक करीन. त् शाळाकी प्राचायाग श्रीमती जयश्री शास्त्री मॅडम इनन् चच. भागगवको कौतुक करत शुभेच्िारुपी संदेश देईन. येन् पुस्तकला जजनकी प्रस्तावना समली से प्रा. डाॅॅ. प्रल्िादजी िररणखेडे इनन् येन् बेरा मनोगत व्यक्त करीन. येन् पुस्तकला जजनको र्वशेर् आशीवागद प्राप्त भयेव असा मिाराष्रमाका सुप्रससद्ध बालसाहिजत्यक डाॅॅ. सुरेश सावंत सरकीबी शुभेच्िा समली. येन् पुस्तक प्रकाशन समारंभला डाॅॅ. र्वशालजी बबसेन, राष्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी नागपूरका संयुक्त ननदेशक श्री. ऋर्ीजी बबसेन, न्युज प्रभातका मुख्य संपादक श्री.सुननलजी तुरकर, प्रा. डाॅॅ. एम. डी. पवार, डाॅॅ. िरगोर्वंदजी टेंभरे, श्रीमती डॉ. शुभांगी रोडे, श्रीमती डॉ. वर्ाग वासननक, इंजी. श्री. गोवधगनजी बबसेन, साकोली तालुका महिला व बाल कल्याण अचधकारी श्री.चुन्नीलाल लोथे, श्री.ऋर्र्क े शजी गौतम, प्रा. अननल गेडाम, डॉ. ककरण वानखेडे, श्री. पासलकचंदजी बबसने, श्रीमती ज्योतीताई देशमुख, श्री. रणदीप बबसने इत्यादी सिभागी मंडळीनन् भागगवको कौतुक अना असभनंदन करत शुभेच्िा देईन. कायगक्रमको आभारप्रदशगन लेखक पी.आर. आंबी सर इनन् करीन अना कायगक्रमकी सांगता भयी.
  • 18. झाड लेखक - संजय एलवाड, पुणे पोवारी अनुवाद - गुलाब बबसेन, गोंहदया अज सन्डे वोक ं लख र्पंटू जरासो बेरालच उठेव. सुट्टी रिेलख आई स्पेशल डडश बनावनकी िोतीच. गेम खेलनको, काटूगन्स देखनको. मिातनीबेरा बचगचामा कफरनला जानको. अज मज्याच मज्या. जरासो असोच बबचार र्पंटूक् डोस्कामा सुरू िोतो. र्पंटू खाटपरलक उठेव. बाबुजी पेपर बाचत िोता. आई ककचनमा व्यस्त िोती. हददी वोला मदत करत िोती. र्पंटून् ब्रश धरीस, वोक ं पर पेस्ट लेईस. दरोजामा कोवरी तपन पळी िोती. वू मोठांगक् आंगनमा उभो रयस्यान ब्रश कतत िोतो. आंगनमा भल्लो मोठो आंबाको झाड िोतो. ब्रश करता करता र्पंटूकी नजर झाडापर पडी. अज झाडाक् खांदीपर एकबी पक्षी हदसत नोिता. गोदामाक् र्पलाईनको ककलबबलाटबी आयकनला आवत नोितो. गोदाबी खालीच चोवतत िोतो. पर झाड शांत िोतो. िवा आयेव का, खांदीक् शेंडाका पाना िलात िोता, अहदक स्तब्ध िोत िोती. अंदक् बाजूका पाना, खांदी बिुतच शांत िोती. झाड कोणत् तरी गंभीर बबचारमा सेका का? असो र्पंटूला लगेव.
  • 19. रोज शाळाला जाताना िवाक् तालपर डोलनेवाला खांदा अना सोनेरी नतरीपमा चमकनेवाला पाना आपलोला बाय बाय करंसेत, का का? असो िरबेराच र्पंटूला लगत िोतो. पर अज रोजकी प्रसन्नता झाडमा हदसत नोिती. मुिून र्पंटू जरासो पुळ् अयस्यान झाडला ननिारन लगेव. खांदा बिुतचच कारा पळेसरीका लगत िोता. कािी हठकाणच्या वाळलेल्या साली गळून पडल्या िोत्या. कािी जागकी साल घासेसरीखी िोती. झाडक् बुडला अना कािी खांदाईनला ककळा लगेव िोतो. झाड बबमार पळी से. वोला दुख लगत रिे, मुिून वू चूपचाप से. या बात बाबुजीला सांगनको मुिून र्पंटू घाईगडबडलक घरमा गयेव. क ु रा करीस, तोंड धोईस. अना बाबुजीला बोलेव, "बाबुजी बाबुजी, तुमी आंबाक् झाडाकन देख्यात का?" तससा बाबुजी पेपर बाजूला सरकावत बोल्या, "अरे र्पंटू , असो का बबचारसेस, आवता जाता रोजच देखत रवूसू मी झाडला.’’ तसो निी जी बाबुजी, आपलो झाड बबमार से. वोला कोनसी तरी बबमारी भयी से. वोकी साल गर रिी से. बुड अना खांदाला ककळा लगी से.’’ "र्पंटू वू झाड बिूत जुनो से, मी निान िोतो तब् तोर् दादाजीन् वू लगाई िोतीन. आता येन् झाडको आयुष्य सरत िोत आयेव. मुिूनच वोला ककडा लगी रिे." "पर बाबुजी, वू झाड साजरो िोनलाई आपण कािी कर निी सकज् का?" "उमर खतम िोत आयेव झाडला आपण का कर सक ं सेजं बेटा, तु देखंसेसना रोज मोला ऑकफसला जानो लगंसे. हदवसभर काम करनो पळंसे. एक रोज सुट्टी समलंसे. वोक ं लक झाडलाई मी कसो समय िेळू. बरो समय काळेव, तरी मी झाडालाई का करून?’’ बाबुजीक् उत्तरलक र्पंटूको चेिरा पळेव. तसो बाबुजी र्पंटूला समजावत बोल्या, "बेटा, माणूस रवो निी त् झाड सबकोच आयुष्य ठरेव से. एक ननजश्चत समयक् बाद सबकोच आयुष्य खतम िोसे. मुिून जादा बबचार करू नोको, अज सन्डे फ ु ल्ल एन्जॉय करनको, संध्याकाळी गाडगनमा कफरनला जानको. रातवा आवताना पानीपुरी, भेल खानको.’’ र्पंटू अना बाबुजीकी चचाग सुरू असतानाच आईन् ब्रेक फास्ट करलाई िाका मारीस. आई, बाबुजी, हददी, र्पंटू सबच डायननंग टेबलपर ब्रेक फास्टलाई बस्या. झाडक् बबचारमा र्पंटूला अज आंग धोवनकीबी ख्याल निी रिी. कािी करीस तरीबी झाडको बबचार डोस्कामालक जात नोितो. कसोतरी ब्रेक फास्ट खतम करस्यान र्पंटू दरवाजामा बसस्यान एकसारखो झाडकन देखत िोतो. िर संडेसारखो र्पंटू मस्ती निी कर्. कोणीसंगमा बोलबी निी, काटूगन्स लगावनसाती िटबी निी कर्. या बात आईक् ध्यानमा आयी. मुिून आई र्पंटूजवर आयी अना बोली, "र्पंटू का भयेव बेटा, तु असो चूपचापच का? कािी तरास से का? कोणी कािी बोलेव का?’’ र्पंटून् मान िलायस्यान कािीच निी भयेव असो उत्तर आईला देईस. तसी आई बोली, "मंग बेटा, असो चूपचाप का? का भयेव वू तरी सांग?’’ र्पंटू रोयेसरीखो चेिरा करस्यान बोलेव, "आई आपलो आंब्याको झाड बबमार से. वोक् खांदाला ककडा लगी से. बाबुजी कसेत का, वोकी उमर खतम भयी. आपलोला वोक ं लाई कािीच करता निी आवनको?'’ तशी आई र्पंटूला कोऱ्यामा धरस्यान बोली, "एवढोसो कारणलक बेटू चूप भयी से का? वू झाड आय, वोला
  • 20. बोलता निी आव्. वोला का भयेव, येव आपलोला कसो समजे? तसोबी वू झाड बिूत पुरानो से. मुिून वोला ककडा लगी रिे.’’ "पर आई, वू झाड जुनो भयेव, वोला बोलता निी आव्, कािी सांगताबी निी आव् मुिून आपण वोला जगावनलाई कािी करनकोच निी का?’’ येन् र्पंटूक् सवालन् आई ननरूत्तर भयी. बाबुजीबी घरमालक र्पंटूको बोलनो आयकत िोता. आई समजावनक् सुरमा कािी तरी बोले वोक् पयलेच र्पंटू बोलेव, "आई, मी झाडक् बबमारीक् बाऱ्यामा बाबुजीलाबी सांगेव, वूननबी असोच उत्तर देईन. अना तुबी तसोच उत्तर देसेस. सबनच असो बबचार करीस, त् झाड कसो जगे? िर सालच झाडला फल लगसेत. खांदाना खांदा फललक भर जासेत. खांदाईनलाबी फलको बिुत ओझो िोत रिे. पर ये रसरसीत फल आपलोला खाता आये पायजे, येक ं लाई वय येव ओझो सिन करंसेत. फलकी काळजी लेसेत. फल र्पकनला बस्या का, रंगन् रंगका पक्षी आवंसेत. वयबी खुशीलक फलकी चव चाखंसेत. वूनको ओझोबी झाड सिन करंसेत. यतरोच निी त् रातभर दुर्ीत िवा शोर्ण करस्यान सकारबेरा शुध्द िवा झाड आपलोला देसेत. ये सब झाड आपलोलाईच करंसेत ना?’’ र्पंटूको येव बोलणो अयक आई-बाबुजी चकीत भया. का बोलन् वूनला कािीच निी सुचेव. पर र्पंटूला रोवनो आयेव, वू रोवत रोवतच पुळ् बोलेव, "आई नेिमीच आपल् झाडपर पक्षींको ककलबबलाट रवत िोतो, खादाईनपर गोदा रवत िोता. उनारोमात् क े तातरी पक्षी संगमा बसस्यान आराम करत. फल लगेपर झाडपर पक्षींकी यात्राच भर्. िर पक्षी झाडक् आंगपरा खेल्. आपल् िकका फल खात. एक खांदीपरलक दुसर् खांदीपर खेलत. पर देख ना झाड बबमार पळेव, वू जुनो भयेव अना पक्षीयीननबी वोकी साथ सोळीन. मी मंगानी देखेव, झाडपर एकबी पक्षी निी आव्. गोदामाका पक्षीबी ननकल गया. अस् पररजस्थतीमा आपणबी झाडकी साथ सोड्या, वोक ं कन दुलगक्ष कऱ्या, त् झाड अणखी कािी साल जगनक् जाग् वार जाये. मजबूर भयी खांदी टुटस्यान पळेत. शायनोजीन् लगायेव झाड एकरोज उखळस्यान पळे. शायनोजीकोबी असोच भयेव. शायनोजी बबमार पळ्या, अना बबमारीमाच वय एक रोज आपलोला सोळस्यान गया. झाड तरी आपलोला सोळस्यान जाये निी पायजे, शायनोजीकी याद पोसी निी जाये पायजे. मुिूनच आपण झाडकी काळजी लेये पायजे. पक्षी फल खानलाई अना तपनबेरा आराम करनसाती झाडपर आवत िोता. आपणबी आंबा लग्या का, झाडाकन ख्याल देत िोता. कािेका वोकमा पक्षींसरीखो आपलोबी स्वाथगच. पर येव झाड त् ननस्वाथी से ना. वू िरबारच पक्षीनको अना आपरो बबचार करंसे. दुसरोईनसाती आयुष्यभर झुरत रवंसे. तपन, िवा, बारीस अना थंडीको मुकाबला करस्यान आपलोला फल देसे. अस् ननस्वाथी अना आपलोलाई जगणारो झाडला अडचनक् समयमा आपण मदत करेच पायजे.’’ र्पंटूको बोलणो सुरू असतानाच आई-बाबुजीक् डोराकी पापणी ओली भयी. झाड कबीच अबोल निी रव्, वू िरबार आपलोसंगमा बोलंसे ससफ ग आपण वोला समजे पायजे. वोकी भार्ा समज लेये पायजे. झाडसंगमा कबीच आमला बोलता निी आयेव. वोको दु:ख निी समजेव. पर र्पंटून् निान उमरमाच झाडको दु:ख जाखणस, वोको ददग अना एकटोपणा समझ लेईस. वोका आई-बाबुजीला कौतुक आपल् बेटापर गवग लगेव. त् दुसर् बाजूला आपण झाडला समजनोमा कमी पळ्या, येको पश्चाताप आई-बाबुजीला भयेव. भयी गलती सुधारनलाई वूनन् वंदाकाच झाडला जगावनको ननश्चय करीन. र्पंटूला बिुत आनंद भयेव. वन् रोजपासून िर जन आपआपलो परीलक झाड जगावनलाई प्रयास करन बसेव.
  • 21. सप्तसुर भया मुका तेल बानतको सरेव देि मातीमा समलेव | समजावू कसस तोला हदवो सूरको बुझेव ||३|| कसो समजावू मन आता भयेव बेचैन | येन दु:खको समय कोन लवटाये चैन ||४|| याद आये कोककलाकी तब आयकजो गाना | हददी गयी स्वगगधाम नाचावन राधा कान्िा ||५|| ✍️मिेंद्रक ु मार ईश्वरलाल पटले (ऋतुराज) सरगम भयी शांत सप्तसुर भया मुका | तोरो शोकमा सपाई श्रोता रह्य गया भुका ||१|| किा गयी लताहददी जरा सांग मोला माय | सांगू नोको कािीबािी गोड लग निी चाय ||२|| तेल बानतको सरेव देि मातीमा समलेव | समजावू कसस तोला हदवो सूरको बुझेव ||३||
  • 22. स्वर राणी अभिमान रहेव सदैव राष्ट्र संस्कृ ती मांदी रही घरमां बी क्ांततकारक वविूती !!४!! ऐ मेरे वतन क े लोगो क े तरो अमर गीत जन मन मां फ ु कीस राष्ट्र प्रेम को संगीत !!५!! सुंदर शांत स्वरूप जीवनिर अटल ववश्विर पयचान स्वर संग अववचल !!६!! जय जय स्वर राणी शांत ियेव शरीर पर सदैव चले वु अमर सुंदर स्वर !!७!! रणदीप बबसने मु.भसंदीपार हहंदिूमी ियी खूश सून एक वू सुस्वर नाम ठेयेव गयेव लता दीदी गहहवर !!१!! हदनानाथ पुण्यवान लता आशा उषा हृदय रत्न वय गुणी शान िारत िू अभ्युदय !!२!! हजार लक्ष बी गाया स्वर िया अमर गुंजसे गुंजत रहे युग युग हजार !!३!!
  • 23. ओरखो मी कोन ४. चाप कककरा बसला आत मोरा संगीसाथी कलाकार मी िुन्नरबाज घड देवू घोडा, िाथी ५. राजा मी फलइनको नाव तेल्या, शेंदरी, घोटी खुस िोय जासेत सबजन खायक े स्वाहदष्ट रस रोटी ६. पालनकताग मी नवग्रिको सबला देवू सदा उजालो दुधगंगा को रव्िनेवालो तारा मी चमकनेवालो ✍️ऋतुराज १. बदलती रचना मोरी मी जीव पानीमाको जावू अगर शरीरमा प्रसार करू आमांसको २. कारो, भुरो रंगरंगको एक जीव बडो रुपवान मोठो िोसे खायखायक े अंडा, इल्ली, कोश, जवान ३. चार लोग जिा जमसेत चार रस्ता जिा जुळसेत लगावो जोर बुद्धीपर सांगो वोला का कव्िसेत?