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1 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
ट्वेल्थ फ
े ल
ड्राफ्ट 18
-अनुराग पाठक
Shivraj Gurjar
2 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
१.
भार्च औी एऔ सुफह थी। यात बय भक्खिमााँ औहीं दुफऔी रृई थीं। ऩय उजाला हॊते ही फपय से फबनफबनाने
लखीं। गय औी छत ऩय सॊ यहे मनोज औी नींद भक्खिमों औ
े फाय फाय फबनफबनाने से कुल खई। उसऔा दॊस्त
विष्णु अऩनी छत ऩय खयणत औ
े सवाल हल औय यहा था। खयणत औ
े सवाल तॊ मनोज को बी हल औयने
र्ाफहए, क्योंकऔ आज औक्षा फायह औा ऩहला ऩेऩय खयणत औा ही है, लेकऔन उसे खयणत औ
े सवाल बफलऔ
ु ल
सभझ नहीं आते। फपय बी उसने ऩास ऩड़ी खयणत औी कऔताफ उठाई ओय ऩढ़ने औी औॊभिि औयने लखा।
लेकऔन औ
ु छ ही देय भें वह सभझ खमा कऔ इस तयह कऔताफ ऩऔड़े यहने औा औॊई लाब नहीं।
मनोज अऩनी तायीफ़ से फरृत उत्साफहत हॊता है इसयलए जफ उसने देका कऔ उसऔ
े गय औ
े साभने औ
े औ
ुाँ ए
ऩय भॊहल्रे औी भफहलामें ऩानी बय यही हैं, तॊ उन्हें प्रबाबवत औयने औ
े यलमे वह छत ऩय टहलते रृए खयणत औ
े
सवाल ऊाँ र्ी आवाज भें ऩढने लखा। भफहलाऒं तऔ उसऔी आवाज ऩरृाँर् खई ।
एऔ भफहला उसऔी तयप इिाया औयऔ
े फॊली - "हभायॊ भॊड़ा बफलऔ
ु ल ना ऩढ़त। एऔ मनोज है, यात बय
छत ऩे लालटेन से ऩढ़त यहतॊ।”
मनोज औा उद्देश्य ऩूया रृआ, अऩनी तायीफ़ सुनऔय वह कुि हॊ खमा। उसने खयणत औी कऔताफ नीर्े यक दी
ओय खुलिन नंदा औा उऩन्यास 'जलती र्ट्टान' कॊल यलमा। यात औॊ एऔ फजे तऔ लालटेन औी यॊिनी भें ऩढ़ने
औ
े फाद बी उसऔ
े क्लाइभेक्स औ
े दॊ ऩेज यह खए थे। उसने दस बभकनट भें उऩन्यास ऩूया कऔमा ओय फाहय औ
ुाँ ए
ऩय आ खमा। भफहलामें अबी बी ऩानी बय यही थीं ।
एऔ फुजुखच भफहला औॊ औ
ुाँ ए से फाल्टी कीर्ने भें फरृत औष्ट हॊता था। मनोज ने उसऔा औष्ट देकऔय उसऔी
फाल्टी बय दी।
ऩुयस्काय भें उसे भफहला औा आिीवाचद प्राप्त रृआ -"लल्रा तू पस्ट से ऩास हॊमखॊ।”
तफ तऔ उसऔ
े सहऩाठी विष्णु औ
े फऩता ऩळित औालीर्यण औ
ुाँ ए ऩय आ खमे। खााँव औ
े स्क
ू ल भें औक्षा आठ
तऔ खयणत ऩढ़ाने वाले ऩंकडत औालीर्यण मनोज ओय उसऔी मॊग्यता औॊ अच्छे से जानते थे।
उसे देकते ही ऩळित जी फॊल ऩड़े - "ऩयीक्षा औी तैमायी औ
ै सी है भनॊज? खयणत भें ऩास हॊना भजाऔ नहीं
है।”
फपय ऩळित जी ने अऩने फेटे विष्णु औी तायीप औयना िुरू औी - "भैंने तॊ विष्णु से औह फदमा है कऔ पस्टच
कडवीजन से ऩास नहीं रृआ तॊ भैं तॊ उसऔी ऩढ़ाई फन्द औया दूंखा। ऩय भैं जानता रॄाँ विष्णु खयणत भें रृभिमाय
है। उसऔ
े भन भें ही ऩढ़ने औी लखन है। ”
मनोज इस सच्चाई औॊ नऔाय नहीं सऔा। उसने ऩळित जी औी भदद औ
े उद्देश्य से उनऔ
े हाथ से ऩानी औी
फाल्टी ले ली ओय उनऔ
े साथ साथ र्लने लखा।
उसने ऩळितजी से उनऔ
े फेटे औी तायीफ़ औी -"ताऊ विष्णु जैसा रृभिमाय लड़औा तॊ ऩूये भजले भें नहीं है।
भुझे तॊ ऩूया बयॊसा है कऔ वॊ इस फाय भजले भें पस्टच आमेखा।" मह औहते रृए मनोज औी आाँकों औ
े साभने
3 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
उसऔ
े फऩता औी धुंधली छबव आई ओय फपय अर्ानऔ बवलीन हॊ खई। हल्की टीस उदासी औ
े यंख भें उसऔ
े र्ेहये
ऩय फदकाई दी।
२ .
भुयैना भजला भुख्यालम से तीस कऔलॊभीटय दूय जोया तहसील से सटे बफलग्राभ भें फदन औी िुरुवात हॊ र्ुऔी
थी। साभान्य सा मह फदन नमा भसप
च इस फात भें था कऔ आज खााँव औ
े औ
ु छ लड़औ
े लड़कऔमााँ ट्ढेल्थ औा ऩहला
ऩेऩय देने जा यहे थे। मनोज जफ ऩळित जी औॊ उनऔ
े गय छॊड़औय वाऩस आमा तॊ उसऔी भााँ अऩने गय औ
े
दयवाजे ऩय दॊ भफहलाऒं औ
े साथ फातर्ीत भें भग्न थी।
मनोज द्वाया फुलामे जाने ऩय भााँ ने इिाये से औह फदमा -"रुऔ जा आती रॄाँ।”
वह जानता था कऔ भााँ से वाताचलाऩ जल्दी कत्म औयऔ
े आने औी उम्मीद औयना व्यथच है।इसयलए वह तैमाय
हॊऔय ऩयीक्षा देने औ
े यलए कनऔल खमा।
फेटे औॊ तैमाय हॊऔय जाते रृए देक भााँ देहयी ऩय फैठे फैठे फॊली -"रुऔ जा भॊड़ा,रजनी ने यॊटी ना फनाई औा?
।काली ऩेट ऩेऩय देफे भत जा।”
म ाँ ने यॊटी फनाने औा औाभ ऩन्द्रह साल औी फेटी रजनी औॊ सौंऩ फदमा था ओय कुद औॊ र्र्ाचऒंभें व्यस्त औय
यलमा था। मनोज औी बूक आज भय र्ुऔी थी। उसने खयणत औी खाइड हाथ भें ले ली ओय बफना औ
ु छ औहे गय
से कनऔल खमा। भााँ फपय से र्र्ाच औ
े औाभ भें व्यस्त हॊ खई।
मह खााँव तहसील औॊ भजले से जॊड़ने वाली सड़औ औ
े कऔनाये ऩय फसा था। इसयलए आवाखभन औी सुबवधा से
बाग्यिाली था।हय दस बभकनट भें भुयैना से जोया ओय जोया से भुयैना आने जाने वाली फसें इस खााँव से खुजयती
थी। सुफह औ
े नो फजे बफलग्राभ औी ऩुयलमा ऩय सवारयमों औी बीड़ फढ़ने लखी। मनोज ऩुयलमा औ
े ऩास फने
हनुभान जी औ
े भरन्दय भें हाथ जॊड़औय कड़ा हॊ खमा। वह हनुभान जी औी मूर्तत औ
े साभने फुदफुदामा –“हे
हनुभान जी खयणत भें फेड़ा ऩाय लखा देना, तुम्हाया ही सहाया है ।“
हनुभान जी से खयणत भें ऩास औयाने औी प्राथचना औयऔ
े जफ वह ऩुयलमा ऩय आमा तॊ वहां ऩहले से विष्णु
ओय उसऔ
े फऩता ऩळित औालीर्यण फस औा इंतज़ाय औय यहे थे ।
ऩुयलमा ऩय फैठे एऔ लड़औ
े ने पंवडत क लीचरण से ऩूछा -"ऩळित जी क्या विष्णु औॊ नऔल औयाने जा यहे
हॊ जोया?”
ऩळित जी विष्णु औॊ ऩयीक्षा फदलाने ले जा यहे थे। इस तयह औा व्यंग्य सुनऔय उन्हें ऩीड़ा रृई।
4 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
ऩळित जी नायजखी औ
े स्वय भें फॊले-"न तुभ लॊखों ने औबी स्क
ू ल औा भुंह देका, न हीं कऔताफें ऩढीं । तुभ
लॊख क्या जानॊ ऩढ़ाई क्या हॊती है?"
इतना औहऔय ऩळित जी ने अऩनी नजय गुभाऔय उस फदिा औी ऒय औय ली जहां से फस आने वाली थी।हाय
भानना इस खााँव भें कऔसी ने नहीं सीका था। ऩुयलमा ऩय फैठे लड़औ
े ऩळित जी औ
े द्वाया कऔमे खए अऩभान से
बतलबभला खए।
"ऩढ़औ
े ना थानेदाय हॊत औॊउ,भास्टय फनऔ
े ऐसेई स्क
ू ल भें बखनती ऩहाड़े फुलवामंखे।"- उनभे से एऔ लड़औ
े ने
सड़औ औ
े उस ऩाय फने स्क
ू ल औी तयप इिाया औयऔ
े औहा।
मनोज ने देका कऔ भाहोल बफखड़ यहा है तॊ उसने लड़औों से औहा- "भास्टयी तॊ फड़ी नोऔयी है, भेयी लख जाए
तॊ भजा ही आ जाए।”
"ऩय उसऔ
े यलए ट्ढेल्थ ऩास औयना जरूयी है। तुभ औ
ै से औयॊखे मनोज ? सुना है इस साल एसडीएभ नऔल नहीं
हॊने देखा।" –एऔ दूसये लड़औ
े ने मनोज औॊ नई जानऔायी दी ।
मनोज औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ ऩयीक्षा िुरू हॊने औ
े ऩहले इस तयह औी फुयी कफय सुनने औॊ बभलेखी।लेकऔन
उसने अऩने भन औॊ फदलासा फदमा कऔ नऔल इस तयह से कत्म नहीं हॊखी।फऩछले औई सालों से खांधी उच्चतय
भाध्यबभऔ बवद्यालम जोया भें नऔल हॊती आई है। उसने अऩनी दसवीं औी ऩयीक्षा बी नऔल से ऩास औी थी।
तबी धड़ धड़ औयता रृआ एऔ टेम्पॊ ऩुयलमा ऩय आऔय रुऔ खमा । मनोज औा दॊस्त फल्रे टेम्पॊ र्ला यहा
था। तबी टेम्पॊ औ
े ऩीछे फालाजी फस सबविस औी फावन सीटय फस बी ऩुयलमा ऩय आऔय रुऔ खई। फस भें
लखबख सत्तय सवारयमां बयी रृई थी। फपय बी उसऔ
े फीस साल औ
े दुफले ऩतले औ
ं डेक्टय औॊ फल्रे औा तीन
सवारयमां अऩने टेम्पॊ भें बफठाना अकय खमा।
औ
ं डेक्टय ने फल्रे से दफंख ओय धभऔी बयी आवाज भें औहा-"क्यों ये कऔतनी सवायी बफठामखॊ ये! तीन सवायी
एक्स्ट्रा बफठाए लइ हैं, उताय बफने, फे भेयी सवायी हैं।
फऩछले औ
ु छ भहीनों से इस सड़औ ऩय तीन र्ाय टेम्पॊ र्लने लखे थे। फस ऑऩयेटय इस फढ़ती प्रबतमॊबखता से
आहत थे। टेम्पॊ औ
े औायण फसों औॊ नुऔसान हॊता था। इसयलए फस ओय टेम्पॊ औ
े संगर्च इस सड़औ ऩय अफ
फढ़ने लखे थे।
“तू औाभ औय अऩना ,जे भेयॊ खााँव है ,फस ना र्ल ऩावेखी तेयी।“-फल्रे अऩने खााँव भें िेय फन खमा ।
लेकऔन फालाजी फस औा भायलऔ धन ओय याजनीबत से ताऔतवय था। आयटीऒ ओय दयॊखा सबी उसऔ
े इस
प्रबाव औॊ भानते थे। इसयलए उसऔा स्टाप सीभा से अभधऔ सवायी ढॊना अऩना बविेर्ाभधऔाय भानता था।
बववाद फढ़ता देक खााँव औ
े औ
ु छ लॊख बी टेम्पॊ औ
े ऩास आ खए। खााँव भें एऔता फदकाने औा अच्छा भोक़ा था
मह। फस औ
ं डक्टय अऔ
े ला ऩड़ खमा । फस भें फैठे ड्राइवय ने औ
ं डक्टय औॊ वाऩस फुला यलमा था।
अधेड़ उम्र औ
े ड्राइवय ने अऩने अनुबव से मही सीका था कऔ जफ कऔसी खााँव भें अऔ
े ले भगय जाऒ तॊ वहां से
बाख लेना ही सही यणनीबत है। फाद भें अऩने इलाऔ
े भें इस संगर्च औॊ गसीटऔय लाने औी औॊभिि औयनी
र्ाफहए। औ
ं डक्टय बुनबुनाता रृआ वाऩस फस भें र्ला खमा।
5 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
औ
ं डक्टय फस औ
े खेट से लटऔते रृए फल्रे औॊ र्ेतावनी देते रृए भर्ल्रामा-"जा सड़औ ऩे टेम्पॊ र्लावॊ बुला
देंखॊ ,हॊि भें यफहमे।”
इस र्ेतावनी औा जवाफ फल्रे ने बी ऊाँ र्ी आवाज भें फदमा – “खााँव भें से फस ना कनऔाल ऩावेखॊ, ध्यान
यारकमे । “ इतना औहऔय फल्रे ने टेम्पॊ औा टॉऩ बखमय डाला ओय टेम्पॊ धड़ धड़ औयता जोया औी ओय फढ़
खमा ।
खााँधी उच्चतय भाध्यबभऔ बवद्यालम औ
े खेट औ
े ऩास भनॊज,विष्णु ओय ऩंकडत औालीर्यण उतय खमे। मनोज
ओय विष्णु स्क
ू ल भें र्ले खमे ओय ऩंकडत औालीर्यण विष्णु औॊ सुययक्षत स्क
ू ल ऩरृंर्ा औय अऩने कऔसी
रयश्तेदाय औ
े गय औी ऒय यवाना हॊ खमे।
खांधी स्क
ू ल औ
े संर्ालऔ जखत भसिंह ने फरृत भेहनत औ
े फाद ट्ढेल्थ फॊडच ऩयीक्षा औा सेंटय अऩने स्क
ू ल भें
औयामा था। भजस औायण उनऔ
े स्क
ू ल भें बवद्याभथिमों औी संख्या क्षभता से अभधऔ फढ़ खई थी। बवद्याभथिमों औ
े
झुि बम आश्चमच ओय आनन्द औ
े बभले जुले बाव औ
े साथ स्क
ू ल भें प्रवेि औय यहे थे । संर्ालऔ जखत भसिंह
अऩने औभये औी रकड़औी से आिीवाचद औी नजयों से इन झुंडों औॊ देक यहे थे।
आज नऔल औयाने औा भजम्मा खयणत औ
े भिक्षऔ दुफे जी ऩय था। नऔल औयाने औ
े यलए प्रत्येऔ क्लास भें
जाना उनऔ
े यलए असुबवधा औा औाभ था ,इसयलए स्क
ू ल औ
े भैदान भें टेंट लखा फदमा खमा था। नीर्े टाट
ऩफट्टमां बफछाई खईं थीं,भजस ऩय ऩयीक्षाथी फैठ खमे थे । मनोज गंटी फजने औा इन्तजाय औयने लखा ।
गण्टी फज खई । ऩेऩय फट खए ।मनोज ने ऩेऩय औॊ जभीन ऩय यक फदमा ओय सबी औ
े साथ अऩने खयणत औ
े सय
दुफेजी औा इन्तजाय औयने लखा। दुफे जी ऑफपस भें फैठऔय प्रश्न ऩत्र हल औय यहे थे। एऔ प्रश्न हल औयने औ
े
फाद उसे ब्लेऔफॊडच ऩय उतयवाना फपय दूसये उत्तय औी सप्लाई औयना भेहनत औा औाभ था।
अबी दुफे सय द्वाया फदमा खमा ऩहला उत्तय ब्लैऔ फॊडच ऩय उताया ही जा यहा था कऔ स्क
ू ल औ
े फाहय हलर्ल रृई
। एऔ सप
े द यंख औी ऩीली फत्ती लखी फॊलेयॊ स्क
ू ल औ
े औम्पाउंड भें आऔय रुऔ खई। ऩुयलस औी वदी भें ऩांर्
भसऩाही सीधे ऩयीक्षा वाले भैदान भें ऩरृंर् खए। ऩुयलस औॊ देकऔय दुफे सय ऩहले तॊ हड़फड़ाए फपय उन्हें लखा
कऔ मह तॊ ओऩर्ारयऔ र्ेकऔ
िं ख है जॊ हय साल ऩहले ऩेऩय औ
े फदन िासन द्वाया औी जाती है,ऩय जफ ऩुयलस औ
े
भसऩाफहमों ने लड़औों से खाइड,नऔल औी ऩभर्िमां आफद लेऔय एऔ फॊये भें बयना िुरू कऔमा तॊ दुफे औॊ मह
सभझते देय नहीं लखी कऔ भाभला खम्भीय है। दुफे जी ने गफयाहट भें फीड़ी सुलखा ली। वह ब्लैऔ फॊडच डस्टय से
साफ़ औय बाख यलए ओय स्क
ू ल औ
े संर्ालऔ जखत भसिंह औ
े ऩीछे कड़े हॊ खए। सबी बवद्याभथिमों औॊ बयॊसा था
कऔ दस बभकनट औी औवामद औ
े फाद ऩुयलस र्ली जामखी उसऔ
े फाद उत्तयों औी सप्लाई फपय से िुरू हॊ
जामखी। इसी बयॊसे ने बवद्याभथिमों ने धैमच फनामे यका था।
लेकऔन दस बभकनट फीत खमे ओय भाभला सेटल नहीं रृआ तॊ बवद्याभथिमों औी फेर्ैनी फढ़ने लखी। उनऔ
े ऊऩय
प
े ल हॊने औा कतया भंडयाने लखा।
आज औ
े इस यंखभंर् औ
े औ
ें द्र भें कड़े एऔ मुवऔ औी ऒय इिाया औयते रृए एऔ लड़औा फॊला - "जे तॊ
एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह है।”
यागवेंद्र भसिंह ने जखत भसिंह से औहा -"आऩऔॊ िभच आनी र्ाफहए,आऩ कुले आभ नऔल औया यहे हैं।
6 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
गफयामे रृए लड़औ
े ओय अभधऔ गफया खए। यागवेन्द्र भसिंह औ
े तेवय देकऔय मनोज औॊ लखा कऔ उसऔा मह
साल तॊ खमा। एऔ सयऔायी अभधऔायी औी ताऔत देकऔय मनोज औॊ आश्चमच हॊ यहा था। एसडीएभ औा योफ
रुतवा खजफ औा था। हभेिा अऩनी दफंखई भें यहने वाला जोया थाने औा थानेदाय औ
ु िवाह बी अऩने से आधी
उम्र औ
े एसडीएभ औ
े साभने हाथ फांधे कड़ा था। लड़औ
े एसडीएभ औॊ औॊस यहे थे। जखत भसिंह औॊ सभझ नहीं
आ यहा था कऔ उनऔी नऔल औी जभी जभाई सेकटिंख एऔ एसडीएभ ने औ
ै से बफखाड़ दी ? जखतभसिंह ने स्क
ू ली
भिक्षा औ
े जॉइंट डामयेक्टय औॊ पॊन लखामा ओय एसडीएभ औी औयतूत खुस्से भें औह सुनाई।
जॉइंट डामयेक्टय एसडीएभ औी औामच प्रणाली से ऩरयभर्त था उसने औहा -" यागवेंद्र भसिंह औा औॊई इलाज नहीं
है। ऐसे अभधऔायी ही हॊते है भजन्हें जभी जभाई व्यवस्था औॊ उजाड़ने भें भजा आता है। जोया औ
े फुये फदन आ
खए।”
भैदान उजड़ खमा। बवद्याथी र्ले खमे । औाफऩमां काली छू ट खईं । ऩय जुझारू मनोज ने अऩनी औॉऩी काली नहीं
छॊड़ी । उसने सुना था कऔ औॉऩी बयने से बी ऩास रृआ जा सऔता है।इसयलए उसने ऩेऩय भें ऩूछे खमे सवालों
औॊ ही उत्तय ऩुळस्तऔा भें फाय फाय यलक औय उसे बय फदमा। वह प्रश्नों औ
े फीर् फीर् भें'इबत भसद्धभौ' यलकता जा
यहा था, भजससे मफद र्ेऔय र्ाहे तॊ वह 'इबत भसद्धभौ' भात्र ऩढ़औय उसे ऩास औय सऔता है। अंत भें उसने र्ेऔय
से कनवेदन बी कऔमा कऔ उसऔी दादी औा स्वास्थ कयाफ हॊने औ
े औायण वह ठीऔ से ऩढ़ाई नहीं औय सऔा था
,इसयलए मफद उसे ऩास औय फदमा जाम तॊ वह र्ेऔय औा हभेिा अहसान भानेखा।
३.
मनोज औी ऩयीक्षा औा रयजल्ट अबी तऔ नहीं आमा था। एऔ सुफह फल्रे औ
े गय औ
े दयवाजे ऩय खााँव भें
फिऔ
े ट केलने वाले लड़औ
े प्लाकनिंख औय यहे थे। मनोज बी इस सभूह औा अच्छा रकलाड़ी भाना जाता था। िह
िॉट भायने औ
े यलए नहीं, फऴल्क फॉल औॊ यॊऔने भें भाफहय था। जफ टीभ जल्दी जल्दी आउट हॊती थी तफ िह
िीज ऩय जाऔय बवऔ
े ट बखयने से यॊऔ सऔता था।
फल्रे ने लड़औों से फॊलना िुरू कऔमा- "आज जोया भें टूनाचभेंट िुरू हॊ यहा है। सो रूऩमे एंरी पीस है। दस
रुऩमे औी फॉल आमखी। इसयलए सफऔॊ दस दस रुऩमे देने हैं।
मनोज ने भन ही भन सॊर्ा -"दस रूऩमे औहााँ से आएंखे ?"
वह जानता था कऔ उसऔ
े यलए दस रूऩमे जुटाना इतना आसान नहीं है। भम्मी से भांखने ऩय बी उसे दस रूऩमे
औी औॊई उम्मीद नहीं थी।ऩाऩा औॊ खए सात भहीने हॊ खमे थे। सात भहीने ऩहले अक्टूफय भें ऩाऩा कडिंडॊयी से
आमे थे तफ भम्मी औॊ दस हजाय रूऩमे दे खए थे। सात भहीने भें सफ रूऩमे कर्च हॊ खए । भम्मी अफ उधाय भांख
औय गय र्ला यही है। आज तऔ न ऩाऩा आमे न ही उन्होंने तनख्वाह बेजी। फस इसी बयॊसे गय र्ल यहा है कऔ
7 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
ऩाऩा औ
े आने औ
े फाद सफ ठीऔ हॊ जामखा। फिऔ
े ट औी भीकटिंख भें अर्ानऔ मनोज औ
े साभने उसऔ
े गय औी
दीन हीन ओय जजचय दिा औा रॅश्य आ खमा।
गय भें गुसने से ऩहले उसने देका कऔ भम्मी ऩड़ॊस औी ताई से उनऔ
े उनऔ
े दयवाजे ऩय कड़े हॊऔय फातें औय यही
हैं। छॊटा बाई दीऩऔ गय भें नहीं है मा तॊ वह सड़औ कऔनाये ऩुयलमा ऩय फैठा हॊखा मा बफना औहे कऔसी फस
मा टेम्पॊ भें फैठऔय जोया कनऔल खमा खमा हॊखा। कनरूद्देश्य आवाया गूभना ही उसऔा िोऔ है। उसने भााँ औॊ
अंदय फुलामा। भााँ औी फैठऔ बी कत्म हॊ खई थी। उन्हें भजफूयन गय आना ऩड़ा।
उसने ऩूछा -"भम्मी दस रुऩैमा दे यही है क्या,भैर् केलफे जानॊ है ?”
भम्मी ने भर्ढ़ते रृए उत्तय फदमा -"भुझ ऩे नहीं है ऩैसा। तेये फाऩ ने तॊ सात भहीना से भुंह ना
फदकाऒ,भैं उधाय भांख भांख औ
े गय र्लामे यही हों। औहााँ से लाऊाँ ऩैसा?"
भम्मी, ऩाऩा औॊ औॊसती रृई अं दय औभये भें र्ली खई। मनोज औॊ लख यहा था कऔ उसऔा केलना अफ
भुळिल है। लेकऔन भन औी कनयािा औॊ दूय औयते रृए उसने कऔसी उम्मीद औ
े बयॊसे सप
े द से भटभैले ऩड़ र्ुऔ
े
औऩड़े औ
े जूते ऩहने ओय लखबख दोड़ते रृए फल्रे औ
े गय औ
े फाहय ऩरृाँर् खमा। आत्मबवश्ऱास से बया मनोज
टीभ भें भसलेक्शन औी उम्मीद यलए तैमाय हॊऔय आ खमा था।
जोया औ
े खांधी आश्रभ भैदान ऩय टूनाचभेंट औा आमॊजन यका खमा था। टीभ औ
े फैठने ओय औभेंरी औ
े यलए एऔ
टेंट लखा फदमा खमा था। ऩर्ास प्लाऱस्टऔ औी औ
ु भसिमां डाल दी खईं थीं । फायह लॊखों औी टीभ भें मनोज औॊ
छॊड़औय सबी ने पीस दे दी थी इसयलए उसऔा नाभ फायहवें रकलाड़ी औ
े रूऩ भें यलक फदमा खमा।
औभेंरी औी फाखडॊय जोया औ
े दमाल फेंड भें खाना खानेवाले ऩप्पू भसिंह औ
े फहस्से भें आई । उसने औभेंरी औयना िुरू
औी -
" हैलॊ भाइऔ टेऱस्टिंख हैलॊ।भैर् िुरू हॊ यहा है, भैर् औा भजा लेने वालों से खुजारयस है कऔ फैठ जाए। ए लाल
िटच फऩर् ऩे भबत र्ले,ए औाली िटच वॊ खाम गुस यही है भैदान भें जल्दी हटा।"-आाँकों देका वणचन िुरू हॊ र्ुऔा
था।
"भैर् औ
े भुख्य अबतभथ एसडीएभ साहफ औाभ भें प
ं से है इसयलए वे फाद भें आवेंखे।” -औभेंरेटय ने गॊर्णा औी।
दस ऒवय औ
े भैर् भें टॉस बफलग्राभ ने जीता ओय ऩहले खेंदवाजी औा प
ै सला कऔमा।बवयॊधी औ
ै लायस औी टीभ
धुंआधाय फैकटिंख औ
े यलए क्षेत्र भें जानी जाती थी।
औ
ै लायस औ
े फल्रेफाज बफलग्राभ औ
े खेंदफाजों औी फऩटाई औय यहे थे।
दस ऒवय भें औ
ै लायस ने एऔ सो फायह यन फना यलए। मनोज फायहवे रकलाड़ी औ
े रूऩ भें टेंट भें फैठा दुकी
हॊता यहा ।
बफलग्राभ औी तयप से फल्रे ओय प्रऔाि ने ऒऩकनिंख औी। फल्रे ने ऩहली दॊ फॉल ऩय दॊ र्ोऔ
े जड़ फदए। तबी
टेंट भें औ
ु छ हलर्ल रृई।
औभेंटेटय ऩप्पूभसिंह ने उत्साह से गॊर्णा औी -"भुख्य अबतभथ एसडीएभ साहफ आमे खमे है, भैर् यॊऔ दॊ।
"एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह ने केल जायी यकने औा संऔ
े त आमॊजऔों औॊ फदमा ऩय ऩप्पूभसिंह ने
फॊलना जायी यका-"देवेन्द्र अग्रवाल एसडीएभ साहफ औॊ भाला ऩहनाएाँ ।"
8 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
यागवेंद्र भसिंह औ
े भना औयने ऩय बी टूनाचभेंट औ
े आमॊजऔ देवेन्द्र अग्रवाल ने इसी उद्देश्य औ
े यलए ऩास यकी भाला
उनऔ
े औ
े खले भें ऩहना दी।
यागवेंद्र भसिंह ने औहा -"अये बाई भैर् जायी यरकमे मे स्वाखत आवश्यऔ नहीं है,भैर् कडस्टफच हॊता है।"
भुख्य अबतभथ यागवेन्द्र भसिंह औस्बे औ
े इस भैर् औॊ खम्भीयता से ले यहे थे। मनोज आज एसडीएभ औॊ नजदीऔ
से देक यहा था। ऩयीक्षा औ
े फदन यागवेंद्र भसिंह औी नऔल यॊऔने औी औामचवाही से बले ही उसे नुऔसान रृआ हॊ
ऩय उनऔ
े दफंख व्यभित्व से वह फरृत प्रबाबवत रृआ था। उसऔ
े अफबवादन ऩय यागवेन्द्र भसिंह ने भुस्क
ु याऔय
अफबवादन औा उत्तय फदमा ।
भैर् फपय िुरू रृआ। ऩप्पूभसिंह ने केल औॊ देिबभि से जॊड़ते रृए भॊहम्मद यफ़ी औी दॊ लाइन खा दी -"औय
र्ले हभ फफ़दा जान तन साभथमॊ अफ तुम्हाये हवाले वतन साभथमॊ।”
यागवेंद्र भसिंह औॊ केल औ
े फीर् खाना सुनने से व्यवधान भहसूस रृआ
उन्होंने ऩप्पूभसिंह से औहा – “औभेंरी औयॊ,खाना क्यों खा यहे हॊ?"
ऩप्पूभसिंह ने आदेि औा ऩालन औयते रृए औभेंरी जायी यकी- "बफलग्राभ औ
े दॊ बवऔ
े ट बखय खए है। आउट हॊने
वाले रकलाड़ी औ
े केत भें बैंस गुस खई थी इसयलए वे जल्दी भें थे। ”
यागवेंद्र भसिंह इस तयह औी औभेंरी सुनऔय आश्चमचर्कऔत यह खए। उनऔ
े र्ेहये ऩय नायाजखी औ
े बाव आ खए ।
सात ऒवय भें बफलग्राभ औ
े ऩर्ऩन यन भें ऩांर् बवऔ
े ट हॊ खए थे। एऔ तयप से फल्रे र्ालीस यन ऩय अबी बी
केल यहा था ऩय दूसयी तयप से बवऔ
े ट लखाताय बखय यहे थे। मनोज औॊ लख यहा था कऔ इस सभम दूसये छॊय
ऩय वह हॊता तॊ बवऔ
े ट फर्ा सऔता था ओय उसऔ
े खााँव औी टीभ आज जीत सऔती थी, लेकऔन दस रूऩमे औ
े
अबाव भें उसऔ
े खााँव औा सम्मान आज दांव ऩय लखा रृआ था ।वह इसी भानभसऔ जद्दॊजहद भें था तबी
अर्ानऔ ऩप्पूभसिंह ने अऩना भाइऔ औ
ु छ देय औ
े यलए उसे थभा फदमा ओय फरृत देय से रुऔी रृई ऩेिाफ औयने
र्ला खमा।
मनोज ने भाइऔ ऩय अऩने भन भें र्ल यही उथल ऩुथल औॊ िब्द देने िुरू कऔमे-"इस सभम बफलग्राभ औी टीभ
फरृत नाजुऔ ऴस्थबत भें है। औप्तान फल्रे औी औभजॊय यणनीबत उनऔ
े यलए ऩयेिानी औा औायण फन खई है।
उनऔी अच्छी फेकटिंख औ
े फावजूद दूसये छॊय ऩय बवऔ
े ट बखय यहे है। इस सभम एऔ ऐसे फल्रेफाज औी जरूयत है
जॊ दूसये भसये ऩय बवऔ
े ट यॊऔ औय केल सऔ
े । ऩय बफलग्राभ औी टीभ भें रुऔऔय केलने वाला औॊई फल्रेफाज
नहीं फदक यहा।”
औभेंरी औा अंदाज फदल र्ुऔा था। भजाऔ ओय हंसी औी जखह अफ औभेंरी खम्भीय ओय बवश्रेर्ण ऩयऔ हॊ यही
थी। यागवेंद्रभसिंह औा ध्यान अर्ानऔ फदली औभेंरी औी बार्ा ओय बवश्रेर्ण ऩय खमा। वह इस तयह औी औभेंरी
से प्रबाबवत फदकाई फदए। ऩप्पू भसिंह ऩेिाफ औयऔ
े वाऩस आ खमा था। उसने मनोज से भाइऔ ले यलमा।
तबी यागवेंद्र भसिंह ने आदेि औ
े स्वय भें ऩप्पूभसिंह से औहा -"उस लड़औ
े औॊ फॊलने दॊ। तुभ उधय फैठॊ।”
मनोज औॊ भैर् न केलने औा जॊ दुुःक था वह एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह द्वाया औी खई इस तायीफ़ से औभ हॊ
खमा। उसने भैर् कत्म हॊने तऔ औभेंरी जायी यकी।अंबतभ बवऔ
े ट बखय खमा।बफलग्राभ औी टीभ हाय खई । सय
झुऔामे फल्रे ओय दूसया रकलाड़ी वाऩस टेंट औी तयप आ यहे थे।
9 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
मनोज ने औबवता औ
े भाध्यभ से अऩनी औभेंरी जायी यकी -"लहयों से डयऔय नोऔा ऩाय नहीं हॊती , औॊभिि
औयने वालों औी हाय नहीं हॊती। फल्रे ने अऩनी टीभ औॊ अऔ
े ले भजताने औी बयऩूय औॊभिि औी इसयलए आज
औा भैर् फल्रे औ
े अऔ
े ले संगर्च औ
े यलए माद कऔमा जाएखा। हाय औ
े फावजूद फल्रे औ
े यलए ताली फजनी
र्ाफहए।"
मनोज औी औभेंरी औ
े औायण सबी लॊख बफलग्राभ औी हाय औॊ बूल औय फल्रे औी फैकटिंख ऩय ताली फजाने
लखे।उसने अऩनी औभेंरी से अऩने खााँव औा सम्मान जोया भें फर्ा यलमा।
दॊनों टीभों औॊ प्रभाण ऩत्र फाटने औ
े फाद एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह ने मनोज से औहा-"तुभ अच्छा फॊलते हॊ,क्या
नाभ है तुम्हाया?"
उसने जवाफ फदमा -"मनोज औ
ु भाय िभाच।”
बफलग्राभ औी टीभ फल्रे औ
े टेम्पॊ भें फैठऔय वाऩस अऩने खााँव औी ऒय र्ल दी ।यागवेंद्र भसिंह मनोज औ
े फदल
ऩय छा खमे। अऩनी तायीफ़ औ
े यलए हभेिा लालाभमत यहने वाले मनोज औॊ आज बयऩूय तायीफ़ बभली थी।
एऔ दीवानाऩन सा उसऔ
े फदल ऩय छा खमा था ।
४.
मनोज औ
े फऩता ऒभवीय िभाच औॊ खााँव आमे रृए एऔ भहीना हॊ र्ुऔा था। वेतन औ
े रुऔ
े रृए ऩैसे भम्मी
औॊ बभल खमे ।भम्मी ने उधाय ऩटा फदए। लेकऔन वह ऩाऩा औी आदत जानती थी कऔ उन्हें गय औी भर्िंता औबी
नहीं यही। नोऔयी ऩय जाते हैं तॊ भहीनों गय नहीं लोटते। अफ गय आमे रृए बी उन्हें एऔ भहीना हॊ खमा ऩय
नोऔयी ऩय जाने औा नाभ नहीं ले यहे हैं। याज्य सयऔाय औ
े औ
ृ बर् बवबाख भें औ
ृ बर् बवस्ताय अभधऔायी औ
े ऩद ऩय
क्या इतनी छु ट्टी बभलती है कऔ एऔ एऔ भहीने नोऔयी ऩय न जामा जाए?
भााँ ने एऔ फदन फऩता से ऊाँ र्ी आवाज भें ऩूछ ही यलमा -" अफ नोऔयी ऩे औफ जाफॊखे?"
फऩता औॊ नोऔयी औयने औ
े अऩने अंदाज ऩय कऔसी औा हस्तक्षेऩ ऩसन्द नहीं था ।
उन्होंने उसी ऊं र्ाई औ
े स्वय भें भााँ औॊ जवाफ फदमा -"तू औाभ औय अऩना। तू क्या जाने नोऔयी औ
ै से औयते हैं
?तेये कानदान भें औोन ने औयी है नोऔयी ?खंवाय। अनऩढ़।”
भााँ औॊ अऩने कानदान ऩय फऩता औा मह व्यंग्य ऩसन्द नहीं आमा, उसने जवाफ फदमा-"भेये कानदान भें तॊ ना
औयी। ऩय तुभ औ
ै सी नोऔयी औय यहे हॊ,भैं जानती रॄाँ। साल साल बय खामफ यहते। महां औोन औ
े बयॊसे छॊड़
जाते हभें? उधाय भांख भांख औ
े गय र्ला यही रॄाँ ।”
10 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
लेकऔन फऩता इस तयह औी कयी कॊटी से कडखने वाले इंसान नहीं थे। वे भााँ औी तयप ध्यान फदए बफना सयऔायी
औाखजों औॊ ऩढ़ते यहे। तबी उनऔा छॊटा बाई श्याभवीय आ खमा ।
श्याभवीय ने ऩलंख ऩय फैठते रृए अऩने फड़े बाई ऒभवीय औॊ सम्बॊभधत औयते रृए औहा- "बाई साहफ मनोज
प
े ल है खमॊ।"
श्याभवीय औॊ उम्मीद थी कऔ बाई साहफ भनॊज औ
े प
े ल हॊने औी कफय सुनऔय दुकी हॊ जामेंखे लेकऔन
फऩता अऩने बाई औी इस सूर्ना से अप्रबाबवत यहे उन्होंने अऩने प
ै ले रृए औाखज सभेट औय ऩलंख औ
े नीर्े यके
सन्दूऔ भें यके ओय उठऔय जाने लखे ।
श्याभवीय ने अऩनी कफय औॊ अभधऔ भसालेदाय फनाते रृए फपय से औॊभिि औी- "फहिंदी छॊड़ सफ बवर्म भें
प
े ल है खमॊ।"
फऩता औॊ देकऔय लख यहा था कऔ उन्हें अऩने फेटे औ
े प
े ल हॊने औी नहीं, कऔसी आऩरयभर्त औ
े प
े ल हॊने औी
कफय सुनाई खई है। सुक,दुुःक,िॊध,बवर्ाद से ऩये उनऔा र्ेहया ऩूवचवत जड़ फना यहा। प
े ल-ऩास,मि-
अऩमि,उन्नबत-अवनबत से ऩये था उनऔा व्यभित्व। वे श्याभवीय औॊ अनसुना औय फक्से भें छॊटा सा ताला
लखाऔय उसे एऔ दॊ फाय फहलाऔय देकने औ
े फाद उस फक्से औॊ ऩलंख औ
े नीर्े सयऔाऔय फाहय जाने लखे।
श्याभवीय भनॊज औ
े प
े ल हॊने औ
े यॊर्औ बवर्म ऩय िामद लम्बी र्र्ाच र्ाहता इसयलए उसने फपय से औॊभिि
औी-"खयणत,फपभजक्स,औ
े बभ्री भें दस नम्बय बी ना छू ऩामॊ। अंग्रेजी भें ऩर्ास भें से फायह नम्बय आमे हैं।"
भजफूत फदल औ
े फऩता ने अऩने ऩुत्र औी इस प्रॊग्रेस रयऩॊटच औॊ बी अनसुना औय फदमा।
फऩता औॊ र्ुऩ देकऔय भााँ ने फॊलना िुरू कऔमा -"भॊड़ा प
े ल है खमॊ ओय इनऔ
े औान ऩे जूाँ ना येंखती।”
फऩता ने जफ मह उलाहना सुना तॊ वह भसखयेट सुलखाऔय ऩलंख ऩय फैठ खए। उन्होंने दॊ तीन लम्बे औि कींर्े
ओय श्याभवीय औ
े र्ेहये औॊ देका। श्याभवीय ने अऩना अफबमान जायी यका।
उसने अऩने फड़े बाई औॊ उनऔ
े औतचव्यों औ
े फाये भें औ
ु छ बूली रृई फातें माद फदलाना िुरु औी-"भैंने तॊ ऩहले ही
औही थी कऔ मनोज औॊ अऩने साथ ले जाऒ। साथ यहेखॊ तॊ औछु ऩढ़ लेखॊ। खााँव भें तॊ आवायाखदी ही
औयैखॊ। है खमॊ प
े ल !"
मनोज आठवी क्लास तऔ फऩता औ
े साथ ही यहा था। यामऩुय,खरयमाफंदओय पयसाफाद भें ऩूया ऩरयवाय साथ
यहा। लेकऔन र्ाय साल से भनॊज, दीऩऔ, छॊटी फहन रजनी ओय भााँ औॊ खााँव भें ही यहना ऩड़ यहा है। फऩता
उन्हें अऩने साथ कडिंडॊयी नहीं ले खए। मनोज ने ऩढ़ाई औ
े यलए सफसे जरूयी र्ाय साल खााँव भें यहऔय फफाचद औय
फदए। दीऩऔ औॊ ऩढ़ाई भें औॊई रूभर् नहीं थी। उसने तॊ आठवी औ
े फाद ही ऩढ़ाई छॊड़ दी थी ओय रजनी तॊ
लड़औी थी फऩता औी नजय भें उसे ऩढ़ाई औी औॊई जरूयत ही नही थी। फऩता औॊ अफ श्याभवीय औ
े इस एऔ
तयपा कडस्किन भें बफल्क
ु ल रूभर् नहीं यही।
उन्होंने ऩलंख ऩय फैठे फैठे भसखयेट औी याक औॊ झाड़ा ओय बायी आवाज भें कनष्कर्च वाक्य फॊला- "अखले साल
है जामखॊ ऩास।"
इतना औहऔय वह लाऩयवाही से ओय झूभती रृई र्ाल से सीफढ़मों से नीर्े उतयने लखे।
उतयते रृए उन्होंने भााँ से औहा-"दस फज खए। नाश्ता औफ फनावेखी? बूक से भायफे औॊ बवर्ाय है औा?"
11 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
मनोज औॊ जफ ऩता र्ला कऔ वह फहिंदी औॊ छॊड़औय सबी बवर्मों भें प
े ल हॊ खमा है तॊ वह दुकी हॊऔय
ऩुयलमा औ
े कऔनाये हनुभान जी औ
े भरन्दय र्ला खमा ।हनुभान जी औी मूर्तत औ
े साभने फैठा वह औापी देय आाँसू
फहाता यहा।
फहिंदी औ
े ऩेऩय भें उसे सो भें से फासठ नम्बय बभल खए थे। फहिंदी सयल हॊने औ
े अलावा उसऔी रूभर् औा बवर्म
बी था। उसे उऩन्यास,औबवताएाँ ओय औहाकनमााँ ऩढ़ने औा िोऔ था। ऩय औ
े वल फहन्दी अऔ
े ले फेड़ा ऩाय नहीं
लखा सऔती थी। अंग्रेजी ने बी धॊका फदमा था। 'भाम फेस्ट फ्र
ें ड' ऩय कनफन्ध यलकते सभम औ
े वल ऩहली लाइन
मनोज ने ठीऔ यलकी थी -'भाम फेस्ट फ्र
ें ड इज याऔ
े ि' इसऔ
े फाद उसे टूटी प
ू टी खलत स्पेयलिंख ओय खलत
टेन्स औा सहाया लेना ऩड़ा। वह दॊ तीन लाइन औ
े आखे नहीं यलक ऩामा।
भरन्दय से फाहय कनऔलऔय वह अऩने दॊस्त याऔ
े ि औ
े गय र्ला खमा। दुकी मनोज औॊ याऔ
े ि ने सांत्वना
देते रृए औहा-"अफ तॊ फदन बय है खमॊ,औफ तऔ भुंह लटऔामे यहेखॊ? अखले साल ऩास है जामखॊ। औ
ु म्भ औॊ
भेला नाने जॊ फायह साल फाद आवेखॊ। हय साल ऩयीक्षा हॊमखी।"
विष्णु पस्टच कडवीजन से ऩास हॊ खमा था,उसे अऩने ऩास हॊने औी ख़ुिी थी ऩय मनोज औॊ सांत्वना देना उसऔी
भजफूयी बी थी उसने मनोज से औहा -"भैंने तॊ ऩहले ही औही थी औ
े ऩढ़ ले। नऔल औॊ औॊउ बयॊसॊ ना है।”
मनोज ने विष्णु औी सभझाइि औा उत्तय देते रृए औहा-"भॊम सभझ ही ना आते खयणत औ
े सवाल। औ
ै से ऩढ़ लूाँ
? "
तीनों बभत्र फातें औयते औयते मनोज औ
े दयवाजे औ
े साभने औ
ुाँ ए ऩय ऩरृंर् खए। औ
ुाँ ए ऩय भफहलामें ऩानी बय यही
थी।
फूढ़ी भफहला ने मनोज से औहा -"ए लल्रा तू आ खमॊ?नेऔ
ु फाल्टी केंभर् दे।"
मनोज ने फाल्टी कींर् दी।
आदत औ
े अनुसाय फूढ़ी भफहला ने अऩना यटा यटामा आिीवाचद दे फदमा-"लल्रा तू पस्ट ते ऩास हॊमखॊ।”
मनोज ने आिीवाचद सुना तॊ कनयाि पीऔी हाँसी उसऔ
े हॊठों ऩय आ खई। तफ तऔ उसऔ
े र्ार्ा श्याभवीय औ
ुाँ ए
औ
े ऩास आ र्ुऔ
े थे। उन्होंने बी फुफढ़मा औा फदमा आिीवाचद सुन यलमा। उनसे नहीं यहा खमा।
उन्होंने अऩनी आवाज औॊ तेज औयते रृए सुनाना प्रायम्भ कऔमा भजससे आसऩास कड़े ज्यादा से ज्यादा लॊख सुन
सऔ
ें - "अयी ताई अफ औा पस्ट आवेखॊ। मनोज तॊ ऩास ना हॊ ऩामॊ,पस्ट औी तॊ फात दूय।”
वहााँ कड़े सबी लॊखों ने श्याभवीय द्वाया दी खई जानऔायी औॊ सुन यलमा था।मनोज अऩने इस सावचजकनऔ
अऩभान से आहत हॊ खमा।
याऔ
े ि औ
े फदभाख भें फरृत देय से एऔ फात रुऔी रृई थी,उसने औहा –“भैं तॊ औह यहों ऩढ़ाई यलकाई भें अफ
औछु ना धयॊ। फीए ,एभए, र्प्पल र्टऔा यहे हैं। मनोज तू तॊ औॊऊ औाभ धंधों िुरू औय दे।”
मनोज औॊ याऔ
े ि औा बवर्ाय अच्छा तॊ लखा ऩय िह अऩने गय औी आभथिऔ ऴस्थबत जानता था – “याऔ
े ि धंधे
औ
े यलए लाकों रूऩमे र्ाफहए,औहााँ से आमेंखे?”
12 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
कनयाि ओय अकनमश्चत मनोज अऩने गय ऩरृाँर् खमा। छॊटा बाई दीऩऔ सुफह से खामफ था। भााँ अऩने छॊटे फेटे
औ
े इस तयह खामफ हॊने से ऩयेिान थी। भााँ ने फऩता से दीऩऔ औ
े अफ तऔ गय न आने औी भर्िंता व्यि औी।
"सवेये आ जामखॊ ऩयेिान ना हॊ,तू यॊटी फना।” –इतना औहऔय फऩता कनमश्चन्त बाव से छत ऩय टहलने र्ले खमे
।
अखले फदन सुफह सात फजे दीऩऔ गय आ खमा। दीऩऔ अऩने कऔसी दॊस्त औ
े महां जोया र्ला खमा था।
5.
दीऩऔ जोया से काली हाथ लोटऔय नहीं आमा था। वह बवर्ायों औी नई योिनी लेऔय आमा था। वह ऩरयवाय
औॊ ऩटयी ऩय लाने औी एऔ अबूतऩूवच मॊजना फऩता औॊ फता यहा था।
उसने फऩता से औहा- "फल्रे न्यू रांांड टेम्पॊ कयीद यहॊ है,इसयलए अऩनों ऩुयानों टेम्पॊ फेर् यहॊ है। र्ालीस
हजाय भें। भहीना औ
े आठ दस हजाय औरॄाँ ना खए। भैं र्ला लेंखॊ।”
मनोज ने दीऩऔ औी इस मॊजना भें औॊई औभी नहीं देकी। वह जानता था कऔ उसऔ
े आसऩास औ
े सबी लड़औ
े
मही सफ औाभ तॊ औय यहे हैं। औॊई टेम्पॊ र्ला है ,औॊई इलेक्स्टरीभिमन औा औाभ औय यहा है,भजस औ
े ऩास औ
ु छ
ऩैसा अभधऔ था उसने जोया भें कऔयाने औी दुऔान कॊल ली । एसटीडी औा र्लन फढ़ यहा था तॊ कऔसी ने
एसटीडी फूथ डाल यलमा । सबी जानने वाले लॊख मही सफ औाभ औय यहे हैं। भजनऔ
े ऩास जभीन थी, वे केती
औय यहे हैं । मनोज औ
े फऩता ओय र्ार्ा श्याभवीय दॊनों औ
े ऩास केती औ
े नाभ ऩय औ
े वल तीन फीगा जभीन ही
थी, भजसभें साल बय औ
े यलए काने लामऔ खेंरॄ औ
े अलावा औ
ु छ नहीं हॊता। इसयलए नोऔयी मा धंधे औ
े
अलावा उनऔ
े ऩास औॊई दूसया बवऔल्प नहीं था। ट्ढेल्थ भें प
े ल हॊने औ
े फाद नोऔयी औी औॊई उम्मीद उसऔ
े
यलए नहीं फर्ी थी ,इसयलए दीऩऔ औा प्लान उसे ठीऔ लख यहा था ।
लेकऔन फऩता औ
े ऩास टेम्पॊ कयीदने औ
े ऩैसे नही थे। फऩता ने फहाना फनामा- "टेम्पॊ र्ला औ
े गय औी इज्जत
बफखाड़ॊखे ? ऩढ़ॊ यलकॊ ऩरयवाय है हभायॊ।”
फऩता औा इनऔाय सुनऔय दीऩऔ ओय मनोज र्ुऩ हॊ खए।
ऩय भााँ ने फऩता से लॊहा लेने औा भन फना यलमा- "वाह फरृत इज्जत है तुम्हायी। गय गय जाऔ
े उधाय भांखती
हों,तफ इज्जत ना जावते तुम्हायी। भॊड़ा भेहनत औयऔ
े औछु औयफॊ र्ाह यहे हैं तॊ जे भदद औयफे औी जखह टांख
अड़ा यहे हैं।"
भााँ औा उलाहना सुनऔय फऩता ने भोन साध यलमा।
अखले फदन सुफह जफ भााँ ऊऩय औभये भें आई तॊ उसने देका कऔ फऩता अऩने फैख भें औऩड़े जभा यहे हैं । भााँ ने
उन्हें औऩड़े जभाते रृए देका तॊ वह ठखी यह खई। भााँ औॊ लख यहा था कऔ वह फऩता औॊ टेम्पॊ कयीदने औ
े यलए
भनाने औी औॊभिि औयेखी।ऩय फऩता जॊ फऩछले सवा भहीने से नोऔयी ऩय ध्यान फदए बफना गय ऩय कटऔ
े रृए थे
उन्होंने आज अर्ानऔ वाऩसी औी तैमायी औय ली ।
13 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
फऩता ने औहा -"फरृत औाभ ऩेंकडिंख है ऑफपस भें। भैं अफ कनऔलतों। जल्दी यॊटी फना। काऔ
े जाऒंखॊ।”
भााँ औॊ फऩता ऩय फरृत िॊध आ यहा था। लेकऔन जाते सभम फऩता औॊ औ
ु छ सुनाना भााँ औॊ उभर्त नहीं
लखा।फऩता नोऔयी ऩय र्ले खए। ऐसा लख यहा था कऔ इसऔ
े साथ ही टेम्पॊ कयीदने औी मॊजना ऩय बवयाभ लख
खमा है।
लेकऔन दीऩऔ औ
े अखली सुफह फपय से भजद औयने ऩय भााँ ने दीऩऔ से औहा-"फाऩ तॊ तेमॊ एन भोक़ा ऩे बभज
खमॊ। अफ भों से औा र्ाहत है। भैं औहााँ से र्ालीस हजाय रुऩमा ले आऊाँ ।"
फरृत देय र्र्ाच हॊने औ
े फाद भााँ कनष्कर्च ऩय ऩरृंर्ी।
भााँ फॊली-"दस हजाय तॊ भॊ ऩे यके है। तीस हजाय उधाय बभल जावेंखे। जेवय यके हैं भॊ ऩे। बखयवी यक देउंखी।”
र्ालीस हजाय भें फल्रे औा सेऔ
े ि हैंड टेम्पॊ आ खमा। उम्मीद ओय आत्मबवश्ऱास से बय खमा ऩूया ऩरयवाय।
दीऩऔ ड्राइबविंख सीट ऩय फैठ खमा ।कऔयामा इऔट्ठा औयने औी भजम्मेदायी औ
ं डक्टय औा ऩद सम्हालने वाले
मनोज औॊ बभली। अऩने खााँव से कनऔलते ही ऩांर् सवारयमां भुयैना औी बभल खई। टेम्पॊ भुयैना औी ऒय फढ़
र्ला। मनोज ने नई भजम्मेदायी औॊ जॊि औ
े साथ कनबाना िुरू कऔमा।
उसने सवारयमों औॊ आऔबर्ित औयने औ
े यलए आवाज लखाना िुरू कऔमा- “छैया,फाग़र्ीनी,भुयैना।“
व्यवसाम औी िुरुआत अच्छी यही थी। यात औॊ गय आऔय मनोज ने आज औी औभाई औ
े दॊ सो रूऩमे भााँ औॊ दे
फदए।
भााँ दॊनों फच्चों औॊ इस तयह ऩैसे औभाऔय लाने औ
े औायण बावुऔ हॊ खई।फदन बय औी भेहनत औ
े फाद मनोज
औा र्ेहया रूका हॊ खमा,फाल धूल से सन खए,िटच भटभैली हॊ खई,होंठ ऩऩड़ा खए। फच्चों औी हालत देकऔय
भााँ औी आाँकों भें आंसू आ खए।
मनोज ने भााँ औॊ यॊते रृए देका तॊ उसने भााँ औॊ खले लखा यलमा।
उसने भााँ से औहा-"भर्िंता औाम औय यही है। अफ तेये भॊड़ा औभान लखे है।”
लखबख एऔ भहीने तऔ टेम्पॊ र्लता यहा। यॊज िाभ औॊ दॊ सो ढाई सो रूऩमे दॊनों फेटे औभा औय लाते यहे।
भााँ औॊ लखा मफद इसी तयह टेम्पॊ र्लता यहा तॊ जल्दी ही उधाय ऩटा फदमा जामखा। फपय एऔ दॊ साल भें
नमा टेम्पॊ ले लेंखे। फऩता औी अनदेकी औ
े औायण भााँ औॊ अऩने फच्चों से उम्मीद थी कऔ उनऔी भेहनत से मह गय
फपय से ऩटयी ऩय आ जामेखा ।
आज टेम्पॊ जैसे ही फाखर्ीनी र्ोयाहे ऩय ऩरृर्ा, वहां ऩुयलस औी र्ेकऔ
िं ख र्ल यही थी । भसऩाही ने मनोज औॊ
टेम्पॊ साइड भें लखाने औा आदेि फदमा।
मनोज ने लाइसेंस ओय यभज्रेिन फदकाते रृए भसऩाही से ऩूछा-"क्या फात है दीवान जी ?हभें क्यों यॊऔा है?
औाखज तॊ ऩूये है टेम्पॊ औ
े । ”
भसऩाही ने औहा -"थानेदाय साहफ औा आदेि है उनसे जाऔय ऩूछॊ।”
भसऩाही टेम्पॊ औॊ स्टाटच औय दॊ सो भीटय दूय सड़औ औ
े कऔनाये फने फाखर्ीनी थाने भें ले जाने लखा।मनोज ओय
दीऩऔ टेम्पॊ औ
े ऩीछे दोड़ लखा यहे थे। तबी ऩास से फालीजी फस सबविस औी फस कनऔली उसऔा औ
ं डक्टय
14 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
दयवाजे से अऩना सय कनऔालऔय जॊय से भर्ल्रामा-"औाम ये औही थी ना औ
े जा यॊड ऩे टेम्पॊ र्लावॊ बुला
देंखॊ। अफ र्ला टेम्पॊ।”
मह वही औ
ं डक्टय था भजसऔा झखड़ा फल्रे से रृआ था। वह टेम्पॊ औॊ ऩहर्ान खमा था। मनोज ने जफ उस
औ
ं डक्टय औी फात सुनी तॊ सभझ खमा कऔ वे लॊख फस ऑऩयेटयों औ
े र्ड्यंत्र औा भिऔाय हॊ खए है।
थानेदाय ऩर्ऩन साल औा ऩऔा रृआ थानेदाय था। वह अऩने औभये भें औ
ु सी ऩय फैठा रृआ था।
डयते रृए मनोज ने थानेदाय से औहा-"सय भेये टेम्पॊ औ
े साये औाखज सही है,फपय बी टेम्पॊ औॊ थाने भें फन्द औय
फदमा है।"
थानेदाय ने दीवान औॊ आदेि फदमा-"दीवान जी फाहय परयमादी फैठा है,उसे ले आऒ।”
दीवान एऔ फीस साल औ
े मुवऔ औ
े साथ वाऩस आ खमा। यात औ
े अाँधेये भें सेंधभायी औयने वाले इस मुवऔ औा
नाभ फदनेि था जॊ कऔ ऩुयलस औा भुकबफय बी था। थानेदाय मादव ने फदनेि औॊ औई औाभों औ
े यलए यक यका
था। फदले भें उसे सेंधभायी औयने औा बविेर्ाभधऔाय फदमा खमा था।थानेदाय ने फदनेि से ऩूछा -"फता फदनेि
क्या परयमाद लेऔय आमा है।”
फदनेि ने जैसे यटा रृआ वाक्य फॊलना िुरू कऔमा-"सय भैं ओय भेया दॊस्त भॊटय साइकऔल से जा यहे थे। ऩीछे से
इसऔ
े टेम्पॊ ने टक्कय भाय दी। भेया दॊस्त जभीन ऩय बखयऔय फेहॊि हॊ खमा, उसऔॊ फाखर्ीनी औ
े ही प्राथबभऔ
स्वास्थ औ
ें द्र भें बती औयऔ
े आऩऔ
े ऩास आमा रॄाँ।"
थानेदाय ने मनोज औॊ देकऔय औहना िुरू कऔमा-"सुन यलमा तूने। एऔ तॊ सड़औ ऩय एक्सीडेंट औयता है। ऊऩय
से जवान र्लाता है।"
मनोज रुआंसा हॊते रृए फॊला-"सय मे आदभी झूठ फॊल यहा है। हभसे औॊई एक्सीडेंट नहीं रृआ।”
थानेदाय अफ अऩने असली रूऩ भें आ र्ुऔा था-"र्ुऩ साले, जवान र्लाता है। फन्द औयॊ दॊनों औॊ अंदय। जेल
भें सड़ॊखे तफ ऩता र्लेखा कऔ एक्सीडेंट कऔमा है कऔ नहीं?"
फालाजी फस सबविस औ
े भायलऔ से प्राप्त पीस औ
े फदले थानेदाय ने अऩना औाभ फकूफी औय फदमा था। मनोज
ओय दीऩऔ औ
े ऩैयों तले जभीन रकसऔ खई। दॊनों औ
े आंसू फहने लखे। ऩय थानेदाय नहीं ऩसीजा। दॊनों औॊ
दीवान ने लॉऔ अऩ भें फंद औय फदमा।मनोज ओय दीऩऔ औा यॊ यॊ औय फुया हाल हॊ यहा था । दॊनों डय औ
े भाये
औााँऩ यहे थे उन्हें सभझ नहीं आ यहा था कऔ अफ औहााँ जाएाँ? कऔससे भदद भांखें?
दॊ गण्टे फाद दीवान ने मनोज से औहा -"तुभ दॊनों औॊ यात बय थाने भें फन्द नहीं औय यहे हैं,मही खनीभत है।
थानेदाय साहफ फरृत यहभ फदल हैं, अफ जाऒ। लेकऔन अफ मह टेम्पॊ तॊ औॊटच से ही बभलेखा।”
दॊनों अऩनी जान फर्ाऔय बाखे। दॊनों औा ऩुयलस से मह ऩहला साभना था।दॊनों बाई यॊते रृए सड़औ ऩय ऩैदल
जा यहे थे। ऩीछे थाना छू ट खमा था। उनऔ
े यलए थाना यक्षऔ नहीं बक्षऔ फना था। यात हॊ खई थीं इसयलए अफ
औॊई फस मा टेम्पॊ सड़औ ऩय नहीं था। दस कऔलॊभीटय ऩैदल र्लऔय दॊनों अऩने खााँव ऩरृर् खए।
कनयाि,थऔ
े ,दुकी,टूटे रृए,ऩयाभजत। आाँकें आंसुऒ से अफ बी बयी रृई थी। भााँ औॊ देकऔय मनोज प
ू ट प
ू ट औय
यॊ ऩड़ा। दीऩऔ ने सायी औहानी औह सुनाई। भााँ औी आाँकों भें बी आंसू आ खए।
ऩय उसने फहम्मत नहीं हायी-"सफ ठीऔ हॊ जामखॊ,भर्िंता न औये।”
15 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
यात बय मनोज छत ऩय काट ऩय ऩड़ा यहा। उसे नींद नहीं आई। वह जाखता यहा। सायी यात।
6.
यात फीर् र्ुऔी थी। सुफह हॊ र्ुऔी थी। औल औी फेफसी ने जॊ आंसू फहामे थे वह सूक र्ुऔ
े थे। भजन सऩनों
औॊ लेऔय नमा व्यवसाम िुरू कऔमा खमा था, वह सऩना टूट खमा था। फऩछले एऔ भहीने भें आभथिऔ रूऩ से
बफकये रृए ऩरयवाय औॊ एऔ फदिा देने औी औॊभिि औी खई थी,उम्मीद फन यही थी। ऩय अर्ानऔ सफ धयािाई
हॊ खमा। मनोज र्ाहता था कऔ औॊई उसऔ
े भन भें उभड़ गुभड़ यहे तूफ़ान औॊ थाभ ले।िह अऩने दॊस्त याऔ
े ि
औ
े गय र्ला खमा।
उसने बफना बूबभऔा औ
े अऩने भन औी दुबवधा औॊ याऔ
े ि से औहना िुरू कऔमा- "जॊ लॊख भेहनत औयऔ
े
ईभानदायी से दॊ वि औी यॊटी औभाना र्ाहते है,उनऔॊ ही ऩऔड़ औ
े थाने भें फन्द औय फदमा जाता है। ऩुयलस
ऐसा सुलूऔ औयती है जैसे हभ र्ॊय लुटेयों हों। भजसऔ
े ऩास ऩांर् ऩांर् फसें हैं,ऩैसा है, क्या सड़औ उनऔ
े फाऩ
औी है? खयीफ अऩना टेम्पॊ न र्लामे?"
इतना औहऔय मनोज ने याऔ
े ि औॊ औल औी ऩूयी औहानी औह सुनाई।
याऔ
े ि ने मनोज औॊ अभधऔ खम्भीय हॊते रृए देका तॊ वह भाहोल औॊ हल्का औयने औी औॊभिि औयने लखा-
"औॊउ नई फात फता। जे तॊ सफ जानतें। आज तेये साथ गटना गट खई तॊ तू ऩयेिान है खमॊ। यॊज जेई लड़ाई
झखड़ा है यए हैं। खयीफ एसेई फऩस यहॊ है।“
मनोज औ
े भन औा बवद्रॊह ओय बड़औ खमा-"ऩय मे तॊ खलत है ना। जॊ सही है, ईभानदायी से, भेहनत से अऩना
औाभ औय यहा है, उसे क्यों सतामा जाता है?"
याऔ
े ि ने जीवन औा व्यवहारयऔ ज्ञान सऩाट तयीऔ
े से मनोज औॊ देने औी औॊभिि जायी यकी-" मनोज
इसीयलमे आदभी भेहनत औयतॊ,ऩैसा औभावतॊ,अऩने भॊड़ा भॊकड़मनें ऩढ़ावतॊ,नेता ऩुयलस से दॊस्ती औयतॊ।
तुभामे ऩास ऩैसा हॊते तॊ थानेदाय औ
े भुंह ऩे भायते। तुम्हें नेता,बवधामऔ,औलक्टय,एसऩी जानते तॊ वे थानेदाय
से तुभायी भसपारयस औय देते। ऩय तुभ हॊ ठन ठन खॊऩाल। औॊई न जानतॊ तुम्हें,न तुभ जानते औारॄ औॊ।”
मनोज औॊ मह औड़वी फात ऩसन्द नहीं आई-"भतलफ ऩुयलस औी औॊई भजम्मेदायी नहीं है कऔ झूठे औ
े स न
फनामे,खयीफों ऩय अत्यार्ाय न औये। उस थानेदाय औॊ तॊ नोऔयी से कनऔाल देना र्ाफहए।”
िह कनमभ ओय भसद्धांत औी फात ही ऩऔड़े रृए था।
याऔ
े ि ने अफ औठॊय सच्चाई उसके साभने यक दी -" तेये जैसे लॊख खाड़ीफाजी ना औय सऔत। भजफूत भजखय
वाले र्ला सऔत हैं फस,टेम्पॊ। सवायी बफठाने औ
े र्क्कय भें खॊली बी र्ल सऔती है । फऩछले भहीना जोया
16 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
ऩुयलमा ऩे र्ली ना हती खॊली? एऔ टेम्पॊ वाले औी जांग भें गली हती। तू यहन दे। लड़ाई, झखड़ा,ऩुयलस
और्हयी,सड़औ ऩे भायऩीट, जे तेम फस औ
े ना है।”
मनोज औल से भजस गटना औ
े औायण इतना ऩयेिान था उस गटना औॊ याऔ
े ि ने फरृत ही र्लताऊ ओय
यॊजभयाच औी गटना भान यलमा ।
ऩय थानेदाय औी िक्ल माद औय औयऔ
े मनोज औॊ यह यह औय िॊध आ यहा था -"ऩय भैं उस
थानेदाय औॊ बूल नहीं सऔता।”
याऔ
े ि बी अऩने भसद्धान्त ऩय डटा यहा -"तॊ ना बूल,सफ थानेदाय ऐसे ही हॊत है। याजा हरयश्चंद्र ना हॊत।“
"औ
ु छ अच्छे बी होंखे,जॊ सही औाभ औयते होंखे,झूठे औ
े स नहीं फनाते होंखे। क़ानून औ
े यक्षऔ होंखे।"- मनोज औ
े
भन ने औल्पना औी।
मनोज औी व्यथा अन्धऔाय भें प्रऔाि औी कॊज औय यही थी। औहीं से वह आश्ऱासन र्ाहता था कऔ न्याम औी
ऩक्षधयता अबी भज़िंदा है। ऩय याऔ
े ि उसे मह तसल्री कऔसी तयह देने औॊ तैमाय न था।
याऔ
े ि ने औहा -"अच्छे थानेदाय भैंने ना सुने ।ऩय भैंने सुनॊ है कऔ एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह खयीफन औी सुनतॊ है।
ईभानदायी से औाभ औयतॊ है । फड़ी तायीफ़ सुनी है।तू तॊ एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह से बभल ले। हॊ सऔत है
टेम्पॊ छू ट जाए।"
मनोज औॊ याऔ
े ि औी मह सलाह ऩसन्द आई। उसऔी कनयािा यागवेंद्र भसिंह औ
े नाभ से ही औ
ु छ औभ हॊती
भालूभ ऩड़ी। उसे उम्मीद फदकने लखी।
7.
जोया तहसील औामाचलम भें बीड़ फढ़ने लखी थी । मनोज ओय दीऩऔ अऩने टेम्पॊ औॊ छु ड़वाने औ
े यलए
एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह से बभलने तहसील ऩरृाँर् खमे। लेकऔन मनोज औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ वह
यागवेंद्र भसिंह से टेम्पॊ छु ड़वाने औ
े यलए औ
ै से भसपारयि औयेखा ? संऔॊर् औ
े औायण उसऔी फहम्मत नहीं हॊ यही
थी।खेट ऩय दयफान ने उसे एऔ ऩर्ी ऩऔड़ा दी भजस ऩय अऩना नाभ ओय एसडीभ से बभलने औा औायण
यलकना था । उसने ऩर्ी ऩय अऩना अऩना नाभ यलक फदमा,लेकऔन ‘बभलने औा औायण’ औॉलभ भें ‘टेम्पॊ
छु ड़वाना है’, ऐसा िह नहीं यलक सऔा । उसे लखा कऔ ऐसा यलकने से हॊ सऔता है कऔ यागवेन्द्र भसिंह उसे
बभलने औ
े यलए अंदय फुलाएं ही नहीं ।
इसयलए उसने ऩर्ी ऩय बभलने औा एऔ अलख ही औायण यलक फदमा-"औ
ै रयमय ओय ऩढ़ाई ऩय र्र्ाच औयना है।"
मनोज औॊ लखा कऔ ऐसा यलकने से यागवेन्द्र भसिंह उसे ऩढ़ने वाला स्टूडेंट सभझेंखे ओय उससे अच्छे से फात
औयेंखे ।
उसने सॊर्ा कऔ वह भोक़ा बभलते ही एसडीभ सय से टेम्पॊ छु ड़वाने औी फात बी औय लेखा ।
17 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
मनोज इसी उधेड़फुन भें खेट ऩय कड़ा था कऔ उसे अंदय फुला यलमा खमा। अंदय उसने देका कऔ यागवेंद्र भसिंह
एऔ ऊाँ र्े डाइस औ
े ऩीछे फैठे हैं। उनऔा यीडय आज औ
े औ
े स औी पाइलें उनऔी टेफल ऩय यक यहा था। यागवेन्द्र
भसिंह ने जफ मनोज ओय दीऩऔ औॊ अंदय आते रृए देका तॊ भुस्क
ु याऔय उनऔा स्वाखत कऔमा।
यागवेंद्र भसिंह ने मनोज औॊ देकऔय अऩने स्टाप से औहा- "मे मनोज है। जोया औा फेस्ट औभेंटेटय। प्रिासन ओय
वऔीलों औ
े फीर् हॊने वाले अखले सन्डे औ
े भैर् भें मनोज ही औभेंरी औयेखा।"
मनोज औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ यागवेंद्र सय उसे इतनी इज्जत देंखे। उसक भन खवच,कुिी ओय यागवेंद्र सय औ
े
प्रबत सम्मान से बय खमा।
दीऩऔ बी अऩने भन औी ख़ुिी छु ऩा न सऔा ओय प
ु सप
ु साते रृए मनोज औ
े औान भें फॊला -"भुझे लखतॊ है औ
े
अऩनों टेम्पॊ छू ट जामखॊ। एसडीएभ तॊ तुझे जानतॊ है।”
उसने दीऩऔ औॊ र्ुऩर्ाऩ फैठे यहने औा इिाया कऔमा ।
यागवेंद्र भसिंह ने मनोज से औहा-"आज ऩहली फाय औॊई भेये ऩास बफना सयऔायी औाभ औ
े आमा है।नहीं तॊ महां
तॊ फन्दूऔ औ
े लाइसेंस मा जुआ सट्टा भें ऩऔड़े लॊखों औॊ छु ड़ाने औी भसपारयि औ
े यलए ही लॊख आते है।"
इतना औहऔय यागवेंद्र भसिंह हाँसते रृए फ़ाइल देकने लखे। यीडय फ़ाइल औी ऒय इिाया औयता रृआ फॊला -
"सय मह फाखर्ीनी थाने औा औ
े स है,िाऱन्त बंख औयने औा।"
फाखर्ीनी थाने औ
े थानेदाय मादव ने िाऱन्त बंख औयने औ
े अऩयाध भें एऔ र्ालीस साल औ
े आदभी औॊ ऩऔड़
यलमा था। एसडीएभ औॊ मह कनणचम लेना था कऔ ऩऔड़ा खमा व्यभि वास्तव भें अऩयाधी है मा नही? मनोज
ओय दीऩऔ ने देका कऔ फाखर्ीनी थाने औा थानेदाय एसडीएभ औॊ सेल्यूट औयऔ
े कड़ा यहा फैठा तऔ नहीं। इसी
थानेदाय ने टेम्पॊ ऩऔड़ यका था। इसी थानेदाय औी भिऔामत लेऔय दॊनों आमे थे। अऩने थाने औा कूंकाय िेय
एसडीएभ औ
े साभने ऩूाँछ दफामे कड़ा था।
एसडीएभ ने थानेदाय से ऩूछा-"फताइमे थानेदाय साहफ क्या भैटय है?"
थानेदाय ने औहना िुरू कऔमा-"सय भुशिभ भुऔ
े ि ने औल अऩने भॊहल्रे भें अऩने ऩड़ॊसी नयेि औ
े गय औ
े साभने
देसी औट्टे से दॊ पामय कऔमे। ऩुयलस र्ाहती है औी लॊऔ िाऱन्त बंख औयने वाले भुऔ
े ि औॊ जेल बेज फदमा
जाए।”
“औॊई खवाह है तुम्हाये ऩास"-यागवेंद्र भसिंह ने थानेदाय से ऩूछा।
"जी सय ।"-इतना औहऔय थानेदाय ने खवाह औॊ फुलामा
खवाह औॊ देकऔय मनोज ओय दीऩऔ र्ौंऔ खए।
दीऩऔ ने मनोज से औहा - "जे तॊ वॊई फदनेि है। टेम्पॊ से एक्सीडेंट औी झूठी भिऔामत इसी ने औी थी। अफ
भैं सभझॊ जे आदभी तॊ थानेदाय औॊ ऩालतू औ
ु त्ता है। झूठी खवाही देऔ
े औ
े स फनावतॊ। आज औॊ औ
े स बी झूठॊ
है। भुऔ
े ि फुयॊ प
ं सॊ। थानेदाय तॊ अफ भुऔ
े ि औॊ जेल ऩरृाँर्ा औ
े भानेखॊ।” -आयॊऩी भुऔ
े ि ऩय दीऩऔ ओय
मनोज औॊ दमा आने लखी।
फदनेि ने एसडीएभ औ
े साभने अऩनी यटी यटाई खवाही दे दी - "सय भैं िाभ औॊ भजदूयी औयऔ
े साइकऔल ऩय जा
यहा था।तबी भैनें देका कऔ इस आदभी ने एऔ गय औ
े साभने देसी औट्टे से पामय औय फदमा।”
18 ट्ढेल्थ प
े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18)
मनोज औी इच्छा रृई कऔ वह एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह से औह दे कऔ मह खवाह झूठा ओय भक्काय है, इसऔा
औाभ ही है झूठी खवाही देना। थानेदाय बी फरृत फेईभान ओय लालर्ी है झूठे औ
े स भें लॊखों औॊ प
ं साता है। ऩय
िह औ
ु छ औह नहीं ऩामा।
एसडीएभ ने आखे औी औामचवाही जायी यकते रृए आयॊऩी भुऔ
े ि से ऩूछा - "तुम्हें अऩनी सपाई भें औ
ु छ औहना है
भुऔ
े ि मा तुम्हें जेल बेज दें?”
एसडीएभ औी फात सुनऔय थानेदाय औ
े र्ेहये ऩय र्भऔ आ खई। लेकऔन भुऔ
े ि डय औ
े भाये थयथय औांऩने लखा।
गफयामे रृए भुऔ
े ि ने हाथ जॊड़औय कनवेदन कऔमा-" सय भैंने औॊई अऩयाध नहीं कऔमा। भेयी ऩत्नी ओय फेटी से
ऩूछ लीभजमे।" एऔ ओयत ओय सत्रह अठायह साल औी लड़औी बी औभये भें आ खई थी।
ओयत ने यॊते रृए औहा-"रृजूय मे बफलऔ
ु ल कनदोर् हैं। वॊ तॊ नयेि ने धभऔी दी थी औी इन्हें जेल फबजवा औ
े दभ
लेखा। साल बय ऩहले नयेि औॊ दस हजाय रूऩमे उधाय फदए थे। औई फाय भांखने ऩय बी उसने वाऩस नहीं फदए
अफ ऩुयलस भें प
ं सामे दमे हभें।”
मनोज औॊ इस औ
े स भें अऩना औ
े स नजय आने लखा। भजससे फाहय कनऔलने औा औॊई यास्ता थानेदाय ने नहीं
छॊड़ा था ।
एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह ने खोय से देकते रृए खवाह से ऩूछताछ िुरू औी -"खवाह फदनेि थॊड़ा आखे आ जाऒ,
तुम्हायी िक्ल ठीऔ से नहीं फदक यही।“
फदनेि ने अऩनी ऩतली िुतुयभुखच जैसी झुऔी रृई खदचन ऊाँ र्ी औी ऩय उसऔी आाँके एसडीएभ से नहीं बभल ऩा
यही थी।
यागवेन्द्र भसिंह ने औठॊयता से ऩूछा - " खदचन उऩय औयऔ
े जवाफ दॊ ।भहीने भें कऔतने गयों भें र्ॊयी औयते हॊ?"
फदनेि ने अऩनी आाँकें झुऔाते रृए एसडीएभ से औहा- "सय भैं र्ॊय नहीं रॄाँ।”
यागवेन्द्र भसिंह ने तीकी हंसी हाँसते रृए खवाह फदनेि से औहा -"ऩय िक्ल से तॊ तुभ र्ॊय ही फदक यहे हॊ।"
फदनेि औ
े र्ेहये ऩय ऩसीना छलऔ आमा। औ
ु छ देय ऩहले तऔ कनमश्चन्त कड़ा थानेदाय बी असहज भहसूस औयने
लखा। मनोज औॊ सभझ नहीं आमा कऔ यागवेन्द्र भसिंह औ
े वल िक्ल देकऔय फदनेि औी वास्तबवऔता औ
ै से
जान खमे ? यागवेन्द्र भसिंह औी तीक्ष्ण फुयद्ध ओय आदभी औी ऩहर्ान ऩय उसे आश्चमच रृआ।
एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह फदनेि से प्रश्न औयना जायी यका - "औहााँ खॊली र्लाई थी इसने?" यागवेंद्र भसिंह ने भुऔ
े ि
औी तयप इिाया औयते रृए फदनेि से ऩूछा।
फदनेि- "सय नयेि औ
े गय ऩय ?"
“क्या तुभ नयेि औॊ ऩहले से जानते थे ?”-यागवेन्द्र भसिंह ने फदनेि से ऩूछा
“नहीं सय।” –खवाह फदनेि ने उत्तय फदमा
यागवेंद्र भसिंह- "फपय तुम्हें कऔसने फतामा कऔ वह नयेि औा गय है ?"
इस प्रश्न से सऔऩऔाए फदनेि ने थानेदाय औी तयप देका। थानेदाय औ
े ऩास बी इस सभम औ
ु छ औहने औॊ नहीं
था।यागवेन्द्र भसिंह औ
े सवालों औ
े र्िव्यूह भें झूठा खवाह फदनेि प
ं स खमा था ।उसऔी औलई कुल खई ।
मनोज औॊ अफ सच्चाई जीतती रृए फदक यही थी। थानेदाय औी फेईभानी ओय र्ड्यंत्र ऩयाभजत हॊता रृआ फदक
यहा था।
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  • 1. 1 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) ट्वेल्थ फ े ल ड्राफ्ट 18 -अनुराग पाठक Shivraj Gurjar
  • 2. 2 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) १. भार्च औी एऔ सुफह थी। यात बय भक्खिमााँ औहीं दुफऔी रृई थीं। ऩय उजाला हॊते ही फपय से फबनफबनाने लखीं। गय औी छत ऩय सॊ यहे मनोज औी नींद भक्खिमों औ े फाय फाय फबनफबनाने से कुल खई। उसऔा दॊस्त विष्णु अऩनी छत ऩय खयणत औ े सवाल हल औय यहा था। खयणत औ े सवाल तॊ मनोज को बी हल औयने र्ाफहए, क्योंकऔ आज औक्षा फायह औा ऩहला ऩेऩय खयणत औा ही है, लेकऔन उसे खयणत औ े सवाल बफलऔ ु ल सभझ नहीं आते। फपय बी उसने ऩास ऩड़ी खयणत औी कऔताफ उठाई ओय ऩढ़ने औी औॊभिि औयने लखा। लेकऔन औ ु छ ही देय भें वह सभझ खमा कऔ इस तयह कऔताफ ऩऔड़े यहने औा औॊई लाब नहीं। मनोज अऩनी तायीफ़ से फरृत उत्साफहत हॊता है इसयलए जफ उसने देका कऔ उसऔ े गय औ े साभने औ े औ ुाँ ए ऩय भॊहल्रे औी भफहलामें ऩानी बय यही हैं, तॊ उन्हें प्रबाबवत औयने औ े यलमे वह छत ऩय टहलते रृए खयणत औ े सवाल ऊाँ र्ी आवाज भें ऩढने लखा। भफहलाऒं तऔ उसऔी आवाज ऩरृाँर् खई । एऔ भफहला उसऔी तयप इिाया औयऔ े फॊली - "हभायॊ भॊड़ा बफलऔ ु ल ना ऩढ़त। एऔ मनोज है, यात बय छत ऩे लालटेन से ऩढ़त यहतॊ।” मनोज औा उद्देश्य ऩूया रृआ, अऩनी तायीफ़ सुनऔय वह कुि हॊ खमा। उसने खयणत औी कऔताफ नीर्े यक दी ओय खुलिन नंदा औा उऩन्यास 'जलती र्ट्टान' कॊल यलमा। यात औॊ एऔ फजे तऔ लालटेन औी यॊिनी भें ऩढ़ने औ े फाद बी उसऔ े क्लाइभेक्स औ े दॊ ऩेज यह खए थे। उसने दस बभकनट भें उऩन्यास ऩूया कऔमा ओय फाहय औ ुाँ ए ऩय आ खमा। भफहलामें अबी बी ऩानी बय यही थीं । एऔ फुजुखच भफहला औॊ औ ुाँ ए से फाल्टी कीर्ने भें फरृत औष्ट हॊता था। मनोज ने उसऔा औष्ट देकऔय उसऔी फाल्टी बय दी। ऩुयस्काय भें उसे भफहला औा आिीवाचद प्राप्त रृआ -"लल्रा तू पस्ट से ऩास हॊमखॊ।” तफ तऔ उसऔ े सहऩाठी विष्णु औ े फऩता ऩळित औालीर्यण औ ुाँ ए ऩय आ खमे। खााँव औ े स्क ू ल भें औक्षा आठ तऔ खयणत ऩढ़ाने वाले ऩंकडत औालीर्यण मनोज ओय उसऔी मॊग्यता औॊ अच्छे से जानते थे। उसे देकते ही ऩळित जी फॊल ऩड़े - "ऩयीक्षा औी तैमायी औ ै सी है भनॊज? खयणत भें ऩास हॊना भजाऔ नहीं है।” फपय ऩळित जी ने अऩने फेटे विष्णु औी तायीप औयना िुरू औी - "भैंने तॊ विष्णु से औह फदमा है कऔ पस्टच कडवीजन से ऩास नहीं रृआ तॊ भैं तॊ उसऔी ऩढ़ाई फन्द औया दूंखा। ऩय भैं जानता रॄाँ विष्णु खयणत भें रृभिमाय है। उसऔ े भन भें ही ऩढ़ने औी लखन है। ” मनोज इस सच्चाई औॊ नऔाय नहीं सऔा। उसने ऩळित जी औी भदद औ े उद्देश्य से उनऔ े हाथ से ऩानी औी फाल्टी ले ली ओय उनऔ े साथ साथ र्लने लखा। उसने ऩळितजी से उनऔ े फेटे औी तायीफ़ औी -"ताऊ विष्णु जैसा रृभिमाय लड़औा तॊ ऩूये भजले भें नहीं है। भुझे तॊ ऩूया बयॊसा है कऔ वॊ इस फाय भजले भें पस्टच आमेखा।" मह औहते रृए मनोज औी आाँकों औ े साभने
  • 3. 3 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) उसऔ े फऩता औी धुंधली छबव आई ओय फपय अर्ानऔ बवलीन हॊ खई। हल्की टीस उदासी औ े यंख भें उसऔ े र्ेहये ऩय फदकाई दी। २ . भुयैना भजला भुख्यालम से तीस कऔलॊभीटय दूय जोया तहसील से सटे बफलग्राभ भें फदन औी िुरुवात हॊ र्ुऔी थी। साभान्य सा मह फदन नमा भसप च इस फात भें था कऔ आज खााँव औ े औ ु छ लड़औ े लड़कऔमााँ ट्ढेल्थ औा ऩहला ऩेऩय देने जा यहे थे। मनोज जफ ऩळित जी औॊ उनऔ े गय छॊड़औय वाऩस आमा तॊ उसऔी भााँ अऩने गय औ े दयवाजे ऩय दॊ भफहलाऒं औ े साथ फातर्ीत भें भग्न थी। मनोज द्वाया फुलामे जाने ऩय भााँ ने इिाये से औह फदमा -"रुऔ जा आती रॄाँ।” वह जानता था कऔ भााँ से वाताचलाऩ जल्दी कत्म औयऔ े आने औी उम्मीद औयना व्यथच है।इसयलए वह तैमाय हॊऔय ऩयीक्षा देने औ े यलए कनऔल खमा। फेटे औॊ तैमाय हॊऔय जाते रृए देक भााँ देहयी ऩय फैठे फैठे फॊली -"रुऔ जा भॊड़ा,रजनी ने यॊटी ना फनाई औा? ।काली ऩेट ऩेऩय देफे भत जा।” म ाँ ने यॊटी फनाने औा औाभ ऩन्द्रह साल औी फेटी रजनी औॊ सौंऩ फदमा था ओय कुद औॊ र्र्ाचऒंभें व्यस्त औय यलमा था। मनोज औी बूक आज भय र्ुऔी थी। उसने खयणत औी खाइड हाथ भें ले ली ओय बफना औ ु छ औहे गय से कनऔल खमा। भााँ फपय से र्र्ाच औ े औाभ भें व्यस्त हॊ खई। मह खााँव तहसील औॊ भजले से जॊड़ने वाली सड़औ औ े कऔनाये ऩय फसा था। इसयलए आवाखभन औी सुबवधा से बाग्यिाली था।हय दस बभकनट भें भुयैना से जोया ओय जोया से भुयैना आने जाने वाली फसें इस खााँव से खुजयती थी। सुफह औ े नो फजे बफलग्राभ औी ऩुयलमा ऩय सवारयमों औी बीड़ फढ़ने लखी। मनोज ऩुयलमा औ े ऩास फने हनुभान जी औ े भरन्दय भें हाथ जॊड़औय कड़ा हॊ खमा। वह हनुभान जी औी मूर्तत औ े साभने फुदफुदामा –“हे हनुभान जी खयणत भें फेड़ा ऩाय लखा देना, तुम्हाया ही सहाया है ।“ हनुभान जी से खयणत भें ऩास औयाने औी प्राथचना औयऔ े जफ वह ऩुयलमा ऩय आमा तॊ वहां ऩहले से विष्णु ओय उसऔ े फऩता ऩळित औालीर्यण फस औा इंतज़ाय औय यहे थे । ऩुयलमा ऩय फैठे एऔ लड़औ े ने पंवडत क लीचरण से ऩूछा -"ऩळित जी क्या विष्णु औॊ नऔल औयाने जा यहे हॊ जोया?” ऩळित जी विष्णु औॊ ऩयीक्षा फदलाने ले जा यहे थे। इस तयह औा व्यंग्य सुनऔय उन्हें ऩीड़ा रृई।
  • 4. 4 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) ऩळित जी नायजखी औ े स्वय भें फॊले-"न तुभ लॊखों ने औबी स्क ू ल औा भुंह देका, न हीं कऔताफें ऩढीं । तुभ लॊख क्या जानॊ ऩढ़ाई क्या हॊती है?" इतना औहऔय ऩळित जी ने अऩनी नजय गुभाऔय उस फदिा औी ऒय औय ली जहां से फस आने वाली थी।हाय भानना इस खााँव भें कऔसी ने नहीं सीका था। ऩुयलमा ऩय फैठे लड़औ े ऩळित जी औ े द्वाया कऔमे खए अऩभान से बतलबभला खए। "ऩढ़औ े ना थानेदाय हॊत औॊउ,भास्टय फनऔ े ऐसेई स्क ू ल भें बखनती ऩहाड़े फुलवामंखे।"- उनभे से एऔ लड़औ े ने सड़औ औ े उस ऩाय फने स्क ू ल औी तयप इिाया औयऔ े औहा। मनोज ने देका कऔ भाहोल बफखड़ यहा है तॊ उसने लड़औों से औहा- "भास्टयी तॊ फड़ी नोऔयी है, भेयी लख जाए तॊ भजा ही आ जाए।” "ऩय उसऔ े यलए ट्ढेल्थ ऩास औयना जरूयी है। तुभ औ ै से औयॊखे मनोज ? सुना है इस साल एसडीएभ नऔल नहीं हॊने देखा।" –एऔ दूसये लड़औ े ने मनोज औॊ नई जानऔायी दी । मनोज औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ ऩयीक्षा िुरू हॊने औ े ऩहले इस तयह औी फुयी कफय सुनने औॊ बभलेखी।लेकऔन उसने अऩने भन औॊ फदलासा फदमा कऔ नऔल इस तयह से कत्म नहीं हॊखी।फऩछले औई सालों से खांधी उच्चतय भाध्यबभऔ बवद्यालम जोया भें नऔल हॊती आई है। उसने अऩनी दसवीं औी ऩयीक्षा बी नऔल से ऩास औी थी। तबी धड़ धड़ औयता रृआ एऔ टेम्पॊ ऩुयलमा ऩय आऔय रुऔ खमा । मनोज औा दॊस्त फल्रे टेम्पॊ र्ला यहा था। तबी टेम्पॊ औ े ऩीछे फालाजी फस सबविस औी फावन सीटय फस बी ऩुयलमा ऩय आऔय रुऔ खई। फस भें लखबख सत्तय सवारयमां बयी रृई थी। फपय बी उसऔ े फीस साल औ े दुफले ऩतले औ ं डेक्टय औॊ फल्रे औा तीन सवारयमां अऩने टेम्पॊ भें बफठाना अकय खमा। औ ं डेक्टय ने फल्रे से दफंख ओय धभऔी बयी आवाज भें औहा-"क्यों ये कऔतनी सवायी बफठामखॊ ये! तीन सवायी एक्स्ट्रा बफठाए लइ हैं, उताय बफने, फे भेयी सवायी हैं। फऩछले औ ु छ भहीनों से इस सड़औ ऩय तीन र्ाय टेम्पॊ र्लने लखे थे। फस ऑऩयेटय इस फढ़ती प्रबतमॊबखता से आहत थे। टेम्पॊ औ े औायण फसों औॊ नुऔसान हॊता था। इसयलए फस ओय टेम्पॊ औ े संगर्च इस सड़औ ऩय अफ फढ़ने लखे थे। “तू औाभ औय अऩना ,जे भेयॊ खााँव है ,फस ना र्ल ऩावेखी तेयी।“-फल्रे अऩने खााँव भें िेय फन खमा । लेकऔन फालाजी फस औा भायलऔ धन ओय याजनीबत से ताऔतवय था। आयटीऒ ओय दयॊखा सबी उसऔ े इस प्रबाव औॊ भानते थे। इसयलए उसऔा स्टाप सीभा से अभधऔ सवायी ढॊना अऩना बविेर्ाभधऔाय भानता था। बववाद फढ़ता देक खााँव औ े औ ु छ लॊख बी टेम्पॊ औ े ऩास आ खए। खााँव भें एऔता फदकाने औा अच्छा भोक़ा था मह। फस औ ं डक्टय अऔ े ला ऩड़ खमा । फस भें फैठे ड्राइवय ने औ ं डक्टय औॊ वाऩस फुला यलमा था। अधेड़ उम्र औ े ड्राइवय ने अऩने अनुबव से मही सीका था कऔ जफ कऔसी खााँव भें अऔ े ले भगय जाऒ तॊ वहां से बाख लेना ही सही यणनीबत है। फाद भें अऩने इलाऔ े भें इस संगर्च औॊ गसीटऔय लाने औी औॊभिि औयनी र्ाफहए। औ ं डक्टय बुनबुनाता रृआ वाऩस फस भें र्ला खमा।
  • 5. 5 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) औ ं डक्टय फस औ े खेट से लटऔते रृए फल्रे औॊ र्ेतावनी देते रृए भर्ल्रामा-"जा सड़औ ऩे टेम्पॊ र्लावॊ बुला देंखॊ ,हॊि भें यफहमे।” इस र्ेतावनी औा जवाफ फल्रे ने बी ऊाँ र्ी आवाज भें फदमा – “खााँव भें से फस ना कनऔाल ऩावेखॊ, ध्यान यारकमे । “ इतना औहऔय फल्रे ने टेम्पॊ औा टॉऩ बखमय डाला ओय टेम्पॊ धड़ धड़ औयता जोया औी ओय फढ़ खमा । खााँधी उच्चतय भाध्यबभऔ बवद्यालम औ े खेट औ े ऩास भनॊज,विष्णु ओय ऩंकडत औालीर्यण उतय खमे। मनोज ओय विष्णु स्क ू ल भें र्ले खमे ओय ऩंकडत औालीर्यण विष्णु औॊ सुययक्षत स्क ू ल ऩरृंर्ा औय अऩने कऔसी रयश्तेदाय औ े गय औी ऒय यवाना हॊ खमे। खांधी स्क ू ल औ े संर्ालऔ जखत भसिंह ने फरृत भेहनत औ े फाद ट्ढेल्थ फॊडच ऩयीक्षा औा सेंटय अऩने स्क ू ल भें औयामा था। भजस औायण उनऔ े स्क ू ल भें बवद्याभथिमों औी संख्या क्षभता से अभधऔ फढ़ खई थी। बवद्याभथिमों औ े झुि बम आश्चमच ओय आनन्द औ े बभले जुले बाव औ े साथ स्क ू ल भें प्रवेि औय यहे थे । संर्ालऔ जखत भसिंह अऩने औभये औी रकड़औी से आिीवाचद औी नजयों से इन झुंडों औॊ देक यहे थे। आज नऔल औयाने औा भजम्मा खयणत औ े भिक्षऔ दुफे जी ऩय था। नऔल औयाने औ े यलए प्रत्येऔ क्लास भें जाना उनऔ े यलए असुबवधा औा औाभ था ,इसयलए स्क ू ल औ े भैदान भें टेंट लखा फदमा खमा था। नीर्े टाट ऩफट्टमां बफछाई खईं थीं,भजस ऩय ऩयीक्षाथी फैठ खमे थे । मनोज गंटी फजने औा इन्तजाय औयने लखा । गण्टी फज खई । ऩेऩय फट खए ।मनोज ने ऩेऩय औॊ जभीन ऩय यक फदमा ओय सबी औ े साथ अऩने खयणत औ े सय दुफेजी औा इन्तजाय औयने लखा। दुफे जी ऑफपस भें फैठऔय प्रश्न ऩत्र हल औय यहे थे। एऔ प्रश्न हल औयने औ े फाद उसे ब्लेऔफॊडच ऩय उतयवाना फपय दूसये उत्तय औी सप्लाई औयना भेहनत औा औाभ था। अबी दुफे सय द्वाया फदमा खमा ऩहला उत्तय ब्लैऔ फॊडच ऩय उताया ही जा यहा था कऔ स्क ू ल औ े फाहय हलर्ल रृई । एऔ सप े द यंख औी ऩीली फत्ती लखी फॊलेयॊ स्क ू ल औ े औम्पाउंड भें आऔय रुऔ खई। ऩुयलस औी वदी भें ऩांर् भसऩाही सीधे ऩयीक्षा वाले भैदान भें ऩरृंर् खए। ऩुयलस औॊ देकऔय दुफे सय ऩहले तॊ हड़फड़ाए फपय उन्हें लखा कऔ मह तॊ ओऩर्ारयऔ र्ेकऔ िं ख है जॊ हय साल ऩहले ऩेऩय औ े फदन िासन द्वाया औी जाती है,ऩय जफ ऩुयलस औ े भसऩाफहमों ने लड़औों से खाइड,नऔल औी ऩभर्िमां आफद लेऔय एऔ फॊये भें बयना िुरू कऔमा तॊ दुफे औॊ मह सभझते देय नहीं लखी कऔ भाभला खम्भीय है। दुफे जी ने गफयाहट भें फीड़ी सुलखा ली। वह ब्लैऔ फॊडच डस्टय से साफ़ औय बाख यलए ओय स्क ू ल औ े संर्ालऔ जखत भसिंह औ े ऩीछे कड़े हॊ खए। सबी बवद्याभथिमों औॊ बयॊसा था कऔ दस बभकनट औी औवामद औ े फाद ऩुयलस र्ली जामखी उसऔ े फाद उत्तयों औी सप्लाई फपय से िुरू हॊ जामखी। इसी बयॊसे ने बवद्याभथिमों ने धैमच फनामे यका था। लेकऔन दस बभकनट फीत खमे ओय भाभला सेटल नहीं रृआ तॊ बवद्याभथिमों औी फेर्ैनी फढ़ने लखी। उनऔ े ऊऩय प े ल हॊने औा कतया भंडयाने लखा। आज औ े इस यंखभंर् औ े औ ें द्र भें कड़े एऔ मुवऔ औी ऒय इिाया औयते रृए एऔ लड़औा फॊला - "जे तॊ एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह है।” यागवेंद्र भसिंह ने जखत भसिंह से औहा -"आऩऔॊ िभच आनी र्ाफहए,आऩ कुले आभ नऔल औया यहे हैं।
  • 6. 6 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) गफयामे रृए लड़औ े ओय अभधऔ गफया खए। यागवेन्द्र भसिंह औ े तेवय देकऔय मनोज औॊ लखा कऔ उसऔा मह साल तॊ खमा। एऔ सयऔायी अभधऔायी औी ताऔत देकऔय मनोज औॊ आश्चमच हॊ यहा था। एसडीएभ औा योफ रुतवा खजफ औा था। हभेिा अऩनी दफंखई भें यहने वाला जोया थाने औा थानेदाय औ ु िवाह बी अऩने से आधी उम्र औ े एसडीएभ औ े साभने हाथ फांधे कड़ा था। लड़औ े एसडीएभ औॊ औॊस यहे थे। जखत भसिंह औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ उनऔी नऔल औी जभी जभाई सेकटिंख एऔ एसडीएभ ने औ ै से बफखाड़ दी ? जखतभसिंह ने स्क ू ली भिक्षा औ े जॉइंट डामयेक्टय औॊ पॊन लखामा ओय एसडीएभ औी औयतूत खुस्से भें औह सुनाई। जॉइंट डामयेक्टय एसडीएभ औी औामच प्रणाली से ऩरयभर्त था उसने औहा -" यागवेंद्र भसिंह औा औॊई इलाज नहीं है। ऐसे अभधऔायी ही हॊते है भजन्हें जभी जभाई व्यवस्था औॊ उजाड़ने भें भजा आता है। जोया औ े फुये फदन आ खए।” भैदान उजड़ खमा। बवद्याथी र्ले खमे । औाफऩमां काली छू ट खईं । ऩय जुझारू मनोज ने अऩनी औॉऩी काली नहीं छॊड़ी । उसने सुना था कऔ औॉऩी बयने से बी ऩास रृआ जा सऔता है।इसयलए उसने ऩेऩय भें ऩूछे खमे सवालों औॊ ही उत्तय ऩुळस्तऔा भें फाय फाय यलक औय उसे बय फदमा। वह प्रश्नों औ े फीर् फीर् भें'इबत भसद्धभौ' यलकता जा यहा था, भजससे मफद र्ेऔय र्ाहे तॊ वह 'इबत भसद्धभौ' भात्र ऩढ़औय उसे ऩास औय सऔता है। अंत भें उसने र्ेऔय से कनवेदन बी कऔमा कऔ उसऔी दादी औा स्वास्थ कयाफ हॊने औ े औायण वह ठीऔ से ऩढ़ाई नहीं औय सऔा था ,इसयलए मफद उसे ऩास औय फदमा जाम तॊ वह र्ेऔय औा हभेिा अहसान भानेखा। ३. मनोज औी ऩयीक्षा औा रयजल्ट अबी तऔ नहीं आमा था। एऔ सुफह फल्रे औ े गय औ े दयवाजे ऩय खााँव भें फिऔ े ट केलने वाले लड़औ े प्लाकनिंख औय यहे थे। मनोज बी इस सभूह औा अच्छा रकलाड़ी भाना जाता था। िह िॉट भायने औ े यलए नहीं, फऴल्क फॉल औॊ यॊऔने भें भाफहय था। जफ टीभ जल्दी जल्दी आउट हॊती थी तफ िह िीज ऩय जाऔय बवऔ े ट बखयने से यॊऔ सऔता था। फल्रे ने लड़औों से फॊलना िुरू कऔमा- "आज जोया भें टूनाचभेंट िुरू हॊ यहा है। सो रूऩमे एंरी पीस है। दस रुऩमे औी फॉल आमखी। इसयलए सफऔॊ दस दस रुऩमे देने हैं। मनोज ने भन ही भन सॊर्ा -"दस रूऩमे औहााँ से आएंखे ?" वह जानता था कऔ उसऔ े यलए दस रूऩमे जुटाना इतना आसान नहीं है। भम्मी से भांखने ऩय बी उसे दस रूऩमे औी औॊई उम्मीद नहीं थी।ऩाऩा औॊ खए सात भहीने हॊ खमे थे। सात भहीने ऩहले अक्टूफय भें ऩाऩा कडिंडॊयी से आमे थे तफ भम्मी औॊ दस हजाय रूऩमे दे खए थे। सात भहीने भें सफ रूऩमे कर्च हॊ खए । भम्मी अफ उधाय भांख औय गय र्ला यही है। आज तऔ न ऩाऩा आमे न ही उन्होंने तनख्वाह बेजी। फस इसी बयॊसे गय र्ल यहा है कऔ
  • 7. 7 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) ऩाऩा औ े आने औ े फाद सफ ठीऔ हॊ जामखा। फिऔ े ट औी भीकटिंख भें अर्ानऔ मनोज औ े साभने उसऔ े गय औी दीन हीन ओय जजचय दिा औा रॅश्य आ खमा। गय भें गुसने से ऩहले उसने देका कऔ भम्मी ऩड़ॊस औी ताई से उनऔ े उनऔ े दयवाजे ऩय कड़े हॊऔय फातें औय यही हैं। छॊटा बाई दीऩऔ गय भें नहीं है मा तॊ वह सड़औ कऔनाये ऩुयलमा ऩय फैठा हॊखा मा बफना औहे कऔसी फस मा टेम्पॊ भें फैठऔय जोया कनऔल खमा खमा हॊखा। कनरूद्देश्य आवाया गूभना ही उसऔा िोऔ है। उसने भााँ औॊ अंदय फुलामा। भााँ औी फैठऔ बी कत्म हॊ खई थी। उन्हें भजफूयन गय आना ऩड़ा। उसने ऩूछा -"भम्मी दस रुऩैमा दे यही है क्या,भैर् केलफे जानॊ है ?” भम्मी ने भर्ढ़ते रृए उत्तय फदमा -"भुझ ऩे नहीं है ऩैसा। तेये फाऩ ने तॊ सात भहीना से भुंह ना फदकाऒ,भैं उधाय भांख भांख औ े गय र्लामे यही हों। औहााँ से लाऊाँ ऩैसा?" भम्मी, ऩाऩा औॊ औॊसती रृई अं दय औभये भें र्ली खई। मनोज औॊ लख यहा था कऔ उसऔा केलना अफ भुळिल है। लेकऔन भन औी कनयािा औॊ दूय औयते रृए उसने कऔसी उम्मीद औ े बयॊसे सप े द से भटभैले ऩड़ र्ुऔ े औऩड़े औ े जूते ऩहने ओय लखबख दोड़ते रृए फल्रे औ े गय औ े फाहय ऩरृाँर् खमा। आत्मबवश्ऱास से बया मनोज टीभ भें भसलेक्शन औी उम्मीद यलए तैमाय हॊऔय आ खमा था। जोया औ े खांधी आश्रभ भैदान ऩय टूनाचभेंट औा आमॊजन यका खमा था। टीभ औ े फैठने ओय औभेंरी औ े यलए एऔ टेंट लखा फदमा खमा था। ऩर्ास प्लाऱस्टऔ औी औ ु भसिमां डाल दी खईं थीं । फायह लॊखों औी टीभ भें मनोज औॊ छॊड़औय सबी ने पीस दे दी थी इसयलए उसऔा नाभ फायहवें रकलाड़ी औ े रूऩ भें यलक फदमा खमा। औभेंरी औी फाखडॊय जोया औ े दमाल फेंड भें खाना खानेवाले ऩप्पू भसिंह औ े फहस्से भें आई । उसने औभेंरी औयना िुरू औी - " हैलॊ भाइऔ टेऱस्टिंख हैलॊ।भैर् िुरू हॊ यहा है, भैर् औा भजा लेने वालों से खुजारयस है कऔ फैठ जाए। ए लाल िटच फऩर् ऩे भबत र्ले,ए औाली िटच वॊ खाम गुस यही है भैदान भें जल्दी हटा।"-आाँकों देका वणचन िुरू हॊ र्ुऔा था। "भैर् औ े भुख्य अबतभथ एसडीएभ साहफ औाभ भें प ं से है इसयलए वे फाद भें आवेंखे।” -औभेंरेटय ने गॊर्णा औी। दस ऒवय औ े भैर् भें टॉस बफलग्राभ ने जीता ओय ऩहले खेंदवाजी औा प ै सला कऔमा।बवयॊधी औ ै लायस औी टीभ धुंआधाय फैकटिंख औ े यलए क्षेत्र भें जानी जाती थी। औ ै लायस औ े फल्रेफाज बफलग्राभ औ े खेंदफाजों औी फऩटाई औय यहे थे। दस ऒवय भें औ ै लायस ने एऔ सो फायह यन फना यलए। मनोज फायहवे रकलाड़ी औ े रूऩ भें टेंट भें फैठा दुकी हॊता यहा । बफलग्राभ औी तयप से फल्रे ओय प्रऔाि ने ऒऩकनिंख औी। फल्रे ने ऩहली दॊ फॉल ऩय दॊ र्ोऔ े जड़ फदए। तबी टेंट भें औ ु छ हलर्ल रृई। औभेंटेटय ऩप्पूभसिंह ने उत्साह से गॊर्णा औी -"भुख्य अबतभथ एसडीएभ साहफ आमे खमे है, भैर् यॊऔ दॊ। "एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह ने केल जायी यकने औा संऔ े त आमॊजऔों औॊ फदमा ऩय ऩप्पूभसिंह ने फॊलना जायी यका-"देवेन्द्र अग्रवाल एसडीएभ साहफ औॊ भाला ऩहनाएाँ ।"
  • 8. 8 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) यागवेंद्र भसिंह औ े भना औयने ऩय बी टूनाचभेंट औ े आमॊजऔ देवेन्द्र अग्रवाल ने इसी उद्देश्य औ े यलए ऩास यकी भाला उनऔ े औ े खले भें ऩहना दी। यागवेंद्र भसिंह ने औहा -"अये बाई भैर् जायी यरकमे मे स्वाखत आवश्यऔ नहीं है,भैर् कडस्टफच हॊता है।" भुख्य अबतभथ यागवेन्द्र भसिंह औस्बे औ े इस भैर् औॊ खम्भीयता से ले यहे थे। मनोज आज एसडीएभ औॊ नजदीऔ से देक यहा था। ऩयीक्षा औ े फदन यागवेंद्र भसिंह औी नऔल यॊऔने औी औामचवाही से बले ही उसे नुऔसान रृआ हॊ ऩय उनऔ े दफंख व्यभित्व से वह फरृत प्रबाबवत रृआ था। उसऔ े अफबवादन ऩय यागवेन्द्र भसिंह ने भुस्क ु याऔय अफबवादन औा उत्तय फदमा । भैर् फपय िुरू रृआ। ऩप्पूभसिंह ने केल औॊ देिबभि से जॊड़ते रृए भॊहम्मद यफ़ी औी दॊ लाइन खा दी -"औय र्ले हभ फफ़दा जान तन साभथमॊ अफ तुम्हाये हवाले वतन साभथमॊ।” यागवेंद्र भसिंह औॊ केल औ े फीर् खाना सुनने से व्यवधान भहसूस रृआ उन्होंने ऩप्पूभसिंह से औहा – “औभेंरी औयॊ,खाना क्यों खा यहे हॊ?" ऩप्पूभसिंह ने आदेि औा ऩालन औयते रृए औभेंरी जायी यकी- "बफलग्राभ औ े दॊ बवऔ े ट बखय खए है। आउट हॊने वाले रकलाड़ी औ े केत भें बैंस गुस खई थी इसयलए वे जल्दी भें थे। ” यागवेंद्र भसिंह इस तयह औी औभेंरी सुनऔय आश्चमचर्कऔत यह खए। उनऔ े र्ेहये ऩय नायाजखी औ े बाव आ खए । सात ऒवय भें बफलग्राभ औ े ऩर्ऩन यन भें ऩांर् बवऔ े ट हॊ खए थे। एऔ तयप से फल्रे र्ालीस यन ऩय अबी बी केल यहा था ऩय दूसयी तयप से बवऔ े ट लखाताय बखय यहे थे। मनोज औॊ लख यहा था कऔ इस सभम दूसये छॊय ऩय वह हॊता तॊ बवऔ े ट फर्ा सऔता था ओय उसऔ े खााँव औी टीभ आज जीत सऔती थी, लेकऔन दस रूऩमे औ े अबाव भें उसऔ े खााँव औा सम्मान आज दांव ऩय लखा रृआ था ।वह इसी भानभसऔ जद्दॊजहद भें था तबी अर्ानऔ ऩप्पूभसिंह ने अऩना भाइऔ औ ु छ देय औ े यलए उसे थभा फदमा ओय फरृत देय से रुऔी रृई ऩेिाफ औयने र्ला खमा। मनोज ने भाइऔ ऩय अऩने भन भें र्ल यही उथल ऩुथल औॊ िब्द देने िुरू कऔमे-"इस सभम बफलग्राभ औी टीभ फरृत नाजुऔ ऴस्थबत भें है। औप्तान फल्रे औी औभजॊय यणनीबत उनऔ े यलए ऩयेिानी औा औायण फन खई है। उनऔी अच्छी फेकटिंख औ े फावजूद दूसये छॊय ऩय बवऔ े ट बखय यहे है। इस सभम एऔ ऐसे फल्रेफाज औी जरूयत है जॊ दूसये भसये ऩय बवऔ े ट यॊऔ औय केल सऔ े । ऩय बफलग्राभ औी टीभ भें रुऔऔय केलने वाला औॊई फल्रेफाज नहीं फदक यहा।” औभेंरी औा अंदाज फदल र्ुऔा था। भजाऔ ओय हंसी औी जखह अफ औभेंरी खम्भीय ओय बवश्रेर्ण ऩयऔ हॊ यही थी। यागवेंद्रभसिंह औा ध्यान अर्ानऔ फदली औभेंरी औी बार्ा ओय बवश्रेर्ण ऩय खमा। वह इस तयह औी औभेंरी से प्रबाबवत फदकाई फदए। ऩप्पू भसिंह ऩेिाफ औयऔ े वाऩस आ खमा था। उसने मनोज से भाइऔ ले यलमा। तबी यागवेंद्र भसिंह ने आदेि औ े स्वय भें ऩप्पूभसिंह से औहा -"उस लड़औ े औॊ फॊलने दॊ। तुभ उधय फैठॊ।” मनोज औॊ भैर् न केलने औा जॊ दुुःक था वह एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह द्वाया औी खई इस तायीफ़ से औभ हॊ खमा। उसने भैर् कत्म हॊने तऔ औभेंरी जायी यकी।अंबतभ बवऔ े ट बखय खमा।बफलग्राभ औी टीभ हाय खई । सय झुऔामे फल्रे ओय दूसया रकलाड़ी वाऩस टेंट औी तयप आ यहे थे।
  • 9. 9 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) मनोज ने औबवता औ े भाध्यभ से अऩनी औभेंरी जायी यकी -"लहयों से डयऔय नोऔा ऩाय नहीं हॊती , औॊभिि औयने वालों औी हाय नहीं हॊती। फल्रे ने अऩनी टीभ औॊ अऔ े ले भजताने औी बयऩूय औॊभिि औी इसयलए आज औा भैर् फल्रे औ े अऔ े ले संगर्च औ े यलए माद कऔमा जाएखा। हाय औ े फावजूद फल्रे औ े यलए ताली फजनी र्ाफहए।" मनोज औी औभेंरी औ े औायण सबी लॊख बफलग्राभ औी हाय औॊ बूल औय फल्रे औी फैकटिंख ऩय ताली फजाने लखे।उसने अऩनी औभेंरी से अऩने खााँव औा सम्मान जोया भें फर्ा यलमा। दॊनों टीभों औॊ प्रभाण ऩत्र फाटने औ े फाद एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह ने मनोज से औहा-"तुभ अच्छा फॊलते हॊ,क्या नाभ है तुम्हाया?" उसने जवाफ फदमा -"मनोज औ ु भाय िभाच।” बफलग्राभ औी टीभ फल्रे औ े टेम्पॊ भें फैठऔय वाऩस अऩने खााँव औी ऒय र्ल दी ।यागवेंद्र भसिंह मनोज औ े फदल ऩय छा खमे। अऩनी तायीफ़ औ े यलए हभेिा लालाभमत यहने वाले मनोज औॊ आज बयऩूय तायीफ़ बभली थी। एऔ दीवानाऩन सा उसऔ े फदल ऩय छा खमा था । ४. मनोज औ े फऩता ऒभवीय िभाच औॊ खााँव आमे रृए एऔ भहीना हॊ र्ुऔा था। वेतन औ े रुऔ े रृए ऩैसे भम्मी औॊ बभल खमे ।भम्मी ने उधाय ऩटा फदए। लेकऔन वह ऩाऩा औी आदत जानती थी कऔ उन्हें गय औी भर्िंता औबी नहीं यही। नोऔयी ऩय जाते हैं तॊ भहीनों गय नहीं लोटते। अफ गय आमे रृए बी उन्हें एऔ भहीना हॊ खमा ऩय नोऔयी ऩय जाने औा नाभ नहीं ले यहे हैं। याज्य सयऔाय औ े औ ृ बर् बवबाख भें औ ृ बर् बवस्ताय अभधऔायी औ े ऩद ऩय क्या इतनी छु ट्टी बभलती है कऔ एऔ एऔ भहीने नोऔयी ऩय न जामा जाए? भााँ ने एऔ फदन फऩता से ऊाँ र्ी आवाज भें ऩूछ ही यलमा -" अफ नोऔयी ऩे औफ जाफॊखे?" फऩता औॊ नोऔयी औयने औ े अऩने अंदाज ऩय कऔसी औा हस्तक्षेऩ ऩसन्द नहीं था । उन्होंने उसी ऊं र्ाई औ े स्वय भें भााँ औॊ जवाफ फदमा -"तू औाभ औय अऩना। तू क्या जाने नोऔयी औ ै से औयते हैं ?तेये कानदान भें औोन ने औयी है नोऔयी ?खंवाय। अनऩढ़।” भााँ औॊ अऩने कानदान ऩय फऩता औा मह व्यंग्य ऩसन्द नहीं आमा, उसने जवाफ फदमा-"भेये कानदान भें तॊ ना औयी। ऩय तुभ औ ै सी नोऔयी औय यहे हॊ,भैं जानती रॄाँ। साल साल बय खामफ यहते। महां औोन औ े बयॊसे छॊड़ जाते हभें? उधाय भांख भांख औ े गय र्ला यही रॄाँ ।”
  • 10. 10 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) लेकऔन फऩता इस तयह औी कयी कॊटी से कडखने वाले इंसान नहीं थे। वे भााँ औी तयप ध्यान फदए बफना सयऔायी औाखजों औॊ ऩढ़ते यहे। तबी उनऔा छॊटा बाई श्याभवीय आ खमा । श्याभवीय ने ऩलंख ऩय फैठते रृए अऩने फड़े बाई ऒभवीय औॊ सम्बॊभधत औयते रृए औहा- "बाई साहफ मनोज प े ल है खमॊ।" श्याभवीय औॊ उम्मीद थी कऔ बाई साहफ भनॊज औ े प े ल हॊने औी कफय सुनऔय दुकी हॊ जामेंखे लेकऔन फऩता अऩने बाई औी इस सूर्ना से अप्रबाबवत यहे उन्होंने अऩने प ै ले रृए औाखज सभेट औय ऩलंख औ े नीर्े यके सन्दूऔ भें यके ओय उठऔय जाने लखे । श्याभवीय ने अऩनी कफय औॊ अभधऔ भसालेदाय फनाते रृए फपय से औॊभिि औी- "फहिंदी छॊड़ सफ बवर्म भें प े ल है खमॊ।" फऩता औॊ देकऔय लख यहा था कऔ उन्हें अऩने फेटे औ े प े ल हॊने औी नहीं, कऔसी आऩरयभर्त औ े प े ल हॊने औी कफय सुनाई खई है। सुक,दुुःक,िॊध,बवर्ाद से ऩये उनऔा र्ेहया ऩूवचवत जड़ फना यहा। प े ल-ऩास,मि- अऩमि,उन्नबत-अवनबत से ऩये था उनऔा व्यभित्व। वे श्याभवीय औॊ अनसुना औय फक्से भें छॊटा सा ताला लखाऔय उसे एऔ दॊ फाय फहलाऔय देकने औ े फाद उस फक्से औॊ ऩलंख औ े नीर्े सयऔाऔय फाहय जाने लखे। श्याभवीय भनॊज औ े प े ल हॊने औ े यॊर्औ बवर्म ऩय िामद लम्बी र्र्ाच र्ाहता इसयलए उसने फपय से औॊभिि औी-"खयणत,फपभजक्स,औ े बभ्री भें दस नम्बय बी ना छू ऩामॊ। अंग्रेजी भें ऩर्ास भें से फायह नम्बय आमे हैं।" भजफूत फदल औ े फऩता ने अऩने ऩुत्र औी इस प्रॊग्रेस रयऩॊटच औॊ बी अनसुना औय फदमा। फऩता औॊ र्ुऩ देकऔय भााँ ने फॊलना िुरू कऔमा -"भॊड़ा प े ल है खमॊ ओय इनऔ े औान ऩे जूाँ ना येंखती।” फऩता ने जफ मह उलाहना सुना तॊ वह भसखयेट सुलखाऔय ऩलंख ऩय फैठ खए। उन्होंने दॊ तीन लम्बे औि कींर्े ओय श्याभवीय औ े र्ेहये औॊ देका। श्याभवीय ने अऩना अफबमान जायी यका। उसने अऩने फड़े बाई औॊ उनऔ े औतचव्यों औ े फाये भें औ ु छ बूली रृई फातें माद फदलाना िुरु औी-"भैंने तॊ ऩहले ही औही थी कऔ मनोज औॊ अऩने साथ ले जाऒ। साथ यहेखॊ तॊ औछु ऩढ़ लेखॊ। खााँव भें तॊ आवायाखदी ही औयैखॊ। है खमॊ प े ल !" मनोज आठवी क्लास तऔ फऩता औ े साथ ही यहा था। यामऩुय,खरयमाफंदओय पयसाफाद भें ऩूया ऩरयवाय साथ यहा। लेकऔन र्ाय साल से भनॊज, दीऩऔ, छॊटी फहन रजनी ओय भााँ औॊ खााँव भें ही यहना ऩड़ यहा है। फऩता उन्हें अऩने साथ कडिंडॊयी नहीं ले खए। मनोज ने ऩढ़ाई औ े यलए सफसे जरूयी र्ाय साल खााँव भें यहऔय फफाचद औय फदए। दीऩऔ औॊ ऩढ़ाई भें औॊई रूभर् नहीं थी। उसने तॊ आठवी औ े फाद ही ऩढ़ाई छॊड़ दी थी ओय रजनी तॊ लड़औी थी फऩता औी नजय भें उसे ऩढ़ाई औी औॊई जरूयत ही नही थी। फऩता औॊ अफ श्याभवीय औ े इस एऔ तयपा कडस्किन भें बफल्क ु ल रूभर् नहीं यही। उन्होंने ऩलंख ऩय फैठे फैठे भसखयेट औी याक औॊ झाड़ा ओय बायी आवाज भें कनष्कर्च वाक्य फॊला- "अखले साल है जामखॊ ऩास।" इतना औहऔय वह लाऩयवाही से ओय झूभती रृई र्ाल से सीफढ़मों से नीर्े उतयने लखे। उतयते रृए उन्होंने भााँ से औहा-"दस फज खए। नाश्ता औफ फनावेखी? बूक से भायफे औॊ बवर्ाय है औा?"
  • 11. 11 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) मनोज औॊ जफ ऩता र्ला कऔ वह फहिंदी औॊ छॊड़औय सबी बवर्मों भें प े ल हॊ खमा है तॊ वह दुकी हॊऔय ऩुयलमा औ े कऔनाये हनुभान जी औ े भरन्दय र्ला खमा ।हनुभान जी औी मूर्तत औ े साभने फैठा वह औापी देय आाँसू फहाता यहा। फहिंदी औ े ऩेऩय भें उसे सो भें से फासठ नम्बय बभल खए थे। फहिंदी सयल हॊने औ े अलावा उसऔी रूभर् औा बवर्म बी था। उसे उऩन्यास,औबवताएाँ ओय औहाकनमााँ ऩढ़ने औा िोऔ था। ऩय औ े वल फहन्दी अऔ े ले फेड़ा ऩाय नहीं लखा सऔती थी। अंग्रेजी ने बी धॊका फदमा था। 'भाम फेस्ट फ्र ें ड' ऩय कनफन्ध यलकते सभम औ े वल ऩहली लाइन मनोज ने ठीऔ यलकी थी -'भाम फेस्ट फ्र ें ड इज याऔ े ि' इसऔ े फाद उसे टूटी प ू टी खलत स्पेयलिंख ओय खलत टेन्स औा सहाया लेना ऩड़ा। वह दॊ तीन लाइन औ े आखे नहीं यलक ऩामा। भरन्दय से फाहय कनऔलऔय वह अऩने दॊस्त याऔ े ि औ े गय र्ला खमा। दुकी मनोज औॊ याऔ े ि ने सांत्वना देते रृए औहा-"अफ तॊ फदन बय है खमॊ,औफ तऔ भुंह लटऔामे यहेखॊ? अखले साल ऩास है जामखॊ। औ ु म्भ औॊ भेला नाने जॊ फायह साल फाद आवेखॊ। हय साल ऩयीक्षा हॊमखी।" विष्णु पस्टच कडवीजन से ऩास हॊ खमा था,उसे अऩने ऩास हॊने औी ख़ुिी थी ऩय मनोज औॊ सांत्वना देना उसऔी भजफूयी बी थी उसने मनोज से औहा -"भैंने तॊ ऩहले ही औही थी औ े ऩढ़ ले। नऔल औॊ औॊउ बयॊसॊ ना है।” मनोज ने विष्णु औी सभझाइि औा उत्तय देते रृए औहा-"भॊम सभझ ही ना आते खयणत औ े सवाल। औ ै से ऩढ़ लूाँ ? " तीनों बभत्र फातें औयते औयते मनोज औ े दयवाजे औ े साभने औ ुाँ ए ऩय ऩरृंर् खए। औ ुाँ ए ऩय भफहलामें ऩानी बय यही थी। फूढ़ी भफहला ने मनोज से औहा -"ए लल्रा तू आ खमॊ?नेऔ ु फाल्टी केंभर् दे।" मनोज ने फाल्टी कींर् दी। आदत औ े अनुसाय फूढ़ी भफहला ने अऩना यटा यटामा आिीवाचद दे फदमा-"लल्रा तू पस्ट ते ऩास हॊमखॊ।” मनोज ने आिीवाचद सुना तॊ कनयाि पीऔी हाँसी उसऔ े हॊठों ऩय आ खई। तफ तऔ उसऔ े र्ार्ा श्याभवीय औ ुाँ ए औ े ऩास आ र्ुऔ े थे। उन्होंने बी फुफढ़मा औा फदमा आिीवाचद सुन यलमा। उनसे नहीं यहा खमा। उन्होंने अऩनी आवाज औॊ तेज औयते रृए सुनाना प्रायम्भ कऔमा भजससे आसऩास कड़े ज्यादा से ज्यादा लॊख सुन सऔ ें - "अयी ताई अफ औा पस्ट आवेखॊ। मनोज तॊ ऩास ना हॊ ऩामॊ,पस्ट औी तॊ फात दूय।” वहााँ कड़े सबी लॊखों ने श्याभवीय द्वाया दी खई जानऔायी औॊ सुन यलमा था।मनोज अऩने इस सावचजकनऔ अऩभान से आहत हॊ खमा। याऔ े ि औ े फदभाख भें फरृत देय से एऔ फात रुऔी रृई थी,उसने औहा –“भैं तॊ औह यहों ऩढ़ाई यलकाई भें अफ औछु ना धयॊ। फीए ,एभए, र्प्पल र्टऔा यहे हैं। मनोज तू तॊ औॊऊ औाभ धंधों िुरू औय दे।” मनोज औॊ याऔ े ि औा बवर्ाय अच्छा तॊ लखा ऩय िह अऩने गय औी आभथिऔ ऴस्थबत जानता था – “याऔ े ि धंधे औ े यलए लाकों रूऩमे र्ाफहए,औहााँ से आमेंखे?”
  • 12. 12 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) कनयाि ओय अकनमश्चत मनोज अऩने गय ऩरृाँर् खमा। छॊटा बाई दीऩऔ सुफह से खामफ था। भााँ अऩने छॊटे फेटे औ े इस तयह खामफ हॊने से ऩयेिान थी। भााँ ने फऩता से दीऩऔ औ े अफ तऔ गय न आने औी भर्िंता व्यि औी। "सवेये आ जामखॊ ऩयेिान ना हॊ,तू यॊटी फना।” –इतना औहऔय फऩता कनमश्चन्त बाव से छत ऩय टहलने र्ले खमे । अखले फदन सुफह सात फजे दीऩऔ गय आ खमा। दीऩऔ अऩने कऔसी दॊस्त औ े महां जोया र्ला खमा था। 5. दीऩऔ जोया से काली हाथ लोटऔय नहीं आमा था। वह बवर्ायों औी नई योिनी लेऔय आमा था। वह ऩरयवाय औॊ ऩटयी ऩय लाने औी एऔ अबूतऩूवच मॊजना फऩता औॊ फता यहा था। उसने फऩता से औहा- "फल्रे न्यू रांांड टेम्पॊ कयीद यहॊ है,इसयलए अऩनों ऩुयानों टेम्पॊ फेर् यहॊ है। र्ालीस हजाय भें। भहीना औ े आठ दस हजाय औरॄाँ ना खए। भैं र्ला लेंखॊ।” मनोज ने दीऩऔ औी इस मॊजना भें औॊई औभी नहीं देकी। वह जानता था कऔ उसऔ े आसऩास औ े सबी लड़औ े मही सफ औाभ तॊ औय यहे हैं। औॊई टेम्पॊ र्ला है ,औॊई इलेक्स्टरीभिमन औा औाभ औय यहा है,भजस औ े ऩास औ ु छ ऩैसा अभधऔ था उसने जोया भें कऔयाने औी दुऔान कॊल ली । एसटीडी औा र्लन फढ़ यहा था तॊ कऔसी ने एसटीडी फूथ डाल यलमा । सबी जानने वाले लॊख मही सफ औाभ औय यहे हैं। भजनऔ े ऩास जभीन थी, वे केती औय यहे हैं । मनोज औ े फऩता ओय र्ार्ा श्याभवीय दॊनों औ े ऩास केती औ े नाभ ऩय औ े वल तीन फीगा जभीन ही थी, भजसभें साल बय औ े यलए काने लामऔ खेंरॄ औ े अलावा औ ु छ नहीं हॊता। इसयलए नोऔयी मा धंधे औ े अलावा उनऔ े ऩास औॊई दूसया बवऔल्प नहीं था। ट्ढेल्थ भें प े ल हॊने औ े फाद नोऔयी औी औॊई उम्मीद उसऔ े यलए नहीं फर्ी थी ,इसयलए दीऩऔ औा प्लान उसे ठीऔ लख यहा था । लेकऔन फऩता औ े ऩास टेम्पॊ कयीदने औ े ऩैसे नही थे। फऩता ने फहाना फनामा- "टेम्पॊ र्ला औ े गय औी इज्जत बफखाड़ॊखे ? ऩढ़ॊ यलकॊ ऩरयवाय है हभायॊ।” फऩता औा इनऔाय सुनऔय दीऩऔ ओय मनोज र्ुऩ हॊ खए। ऩय भााँ ने फऩता से लॊहा लेने औा भन फना यलमा- "वाह फरृत इज्जत है तुम्हायी। गय गय जाऔ े उधाय भांखती हों,तफ इज्जत ना जावते तुम्हायी। भॊड़ा भेहनत औयऔ े औछु औयफॊ र्ाह यहे हैं तॊ जे भदद औयफे औी जखह टांख अड़ा यहे हैं।" भााँ औा उलाहना सुनऔय फऩता ने भोन साध यलमा। अखले फदन सुफह जफ भााँ ऊऩय औभये भें आई तॊ उसने देका कऔ फऩता अऩने फैख भें औऩड़े जभा यहे हैं । भााँ ने उन्हें औऩड़े जभाते रृए देका तॊ वह ठखी यह खई। भााँ औॊ लख यहा था कऔ वह फऩता औॊ टेम्पॊ कयीदने औ े यलए भनाने औी औॊभिि औयेखी।ऩय फऩता जॊ फऩछले सवा भहीने से नोऔयी ऩय ध्यान फदए बफना गय ऩय कटऔ े रृए थे उन्होंने आज अर्ानऔ वाऩसी औी तैमायी औय ली ।
  • 13. 13 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) फऩता ने औहा -"फरृत औाभ ऩेंकडिंख है ऑफपस भें। भैं अफ कनऔलतों। जल्दी यॊटी फना। काऔ े जाऒंखॊ।” भााँ औॊ फऩता ऩय फरृत िॊध आ यहा था। लेकऔन जाते सभम फऩता औॊ औ ु छ सुनाना भााँ औॊ उभर्त नहीं लखा।फऩता नोऔयी ऩय र्ले खए। ऐसा लख यहा था कऔ इसऔ े साथ ही टेम्पॊ कयीदने औी मॊजना ऩय बवयाभ लख खमा है। लेकऔन दीऩऔ औ े अखली सुफह फपय से भजद औयने ऩय भााँ ने दीऩऔ से औहा-"फाऩ तॊ तेमॊ एन भोक़ा ऩे बभज खमॊ। अफ भों से औा र्ाहत है। भैं औहााँ से र्ालीस हजाय रुऩमा ले आऊाँ ।" फरृत देय र्र्ाच हॊने औ े फाद भााँ कनष्कर्च ऩय ऩरृंर्ी। भााँ फॊली-"दस हजाय तॊ भॊ ऩे यके है। तीस हजाय उधाय बभल जावेंखे। जेवय यके हैं भॊ ऩे। बखयवी यक देउंखी।” र्ालीस हजाय भें फल्रे औा सेऔ े ि हैंड टेम्पॊ आ खमा। उम्मीद ओय आत्मबवश्ऱास से बय खमा ऩूया ऩरयवाय। दीऩऔ ड्राइबविंख सीट ऩय फैठ खमा ।कऔयामा इऔट्ठा औयने औी भजम्मेदायी औ ं डक्टय औा ऩद सम्हालने वाले मनोज औॊ बभली। अऩने खााँव से कनऔलते ही ऩांर् सवारयमां भुयैना औी बभल खई। टेम्पॊ भुयैना औी ऒय फढ़ र्ला। मनोज ने नई भजम्मेदायी औॊ जॊि औ े साथ कनबाना िुरू कऔमा। उसने सवारयमों औॊ आऔबर्ित औयने औ े यलए आवाज लखाना िुरू कऔमा- “छैया,फाग़र्ीनी,भुयैना।“ व्यवसाम औी िुरुआत अच्छी यही थी। यात औॊ गय आऔय मनोज ने आज औी औभाई औ े दॊ सो रूऩमे भााँ औॊ दे फदए। भााँ दॊनों फच्चों औॊ इस तयह ऩैसे औभाऔय लाने औ े औायण बावुऔ हॊ खई।फदन बय औी भेहनत औ े फाद मनोज औा र्ेहया रूका हॊ खमा,फाल धूल से सन खए,िटच भटभैली हॊ खई,होंठ ऩऩड़ा खए। फच्चों औी हालत देकऔय भााँ औी आाँकों भें आंसू आ खए। मनोज ने भााँ औॊ यॊते रृए देका तॊ उसने भााँ औॊ खले लखा यलमा। उसने भााँ से औहा-"भर्िंता औाम औय यही है। अफ तेये भॊड़ा औभान लखे है।” लखबख एऔ भहीने तऔ टेम्पॊ र्लता यहा। यॊज िाभ औॊ दॊ सो ढाई सो रूऩमे दॊनों फेटे औभा औय लाते यहे। भााँ औॊ लखा मफद इसी तयह टेम्पॊ र्लता यहा तॊ जल्दी ही उधाय ऩटा फदमा जामखा। फपय एऔ दॊ साल भें नमा टेम्पॊ ले लेंखे। फऩता औी अनदेकी औ े औायण भााँ औॊ अऩने फच्चों से उम्मीद थी कऔ उनऔी भेहनत से मह गय फपय से ऩटयी ऩय आ जामेखा । आज टेम्पॊ जैसे ही फाखर्ीनी र्ोयाहे ऩय ऩरृर्ा, वहां ऩुयलस औी र्ेकऔ िं ख र्ल यही थी । भसऩाही ने मनोज औॊ टेम्पॊ साइड भें लखाने औा आदेि फदमा। मनोज ने लाइसेंस ओय यभज्रेिन फदकाते रृए भसऩाही से ऩूछा-"क्या फात है दीवान जी ?हभें क्यों यॊऔा है? औाखज तॊ ऩूये है टेम्पॊ औ े । ” भसऩाही ने औहा -"थानेदाय साहफ औा आदेि है उनसे जाऔय ऩूछॊ।” भसऩाही टेम्पॊ औॊ स्टाटच औय दॊ सो भीटय दूय सड़औ औ े कऔनाये फने फाखर्ीनी थाने भें ले जाने लखा।मनोज ओय दीऩऔ टेम्पॊ औ े ऩीछे दोड़ लखा यहे थे। तबी ऩास से फालीजी फस सबविस औी फस कनऔली उसऔा औ ं डक्टय
  • 14. 14 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) दयवाजे से अऩना सय कनऔालऔय जॊय से भर्ल्रामा-"औाम ये औही थी ना औ े जा यॊड ऩे टेम्पॊ र्लावॊ बुला देंखॊ। अफ र्ला टेम्पॊ।” मह वही औ ं डक्टय था भजसऔा झखड़ा फल्रे से रृआ था। वह टेम्पॊ औॊ ऩहर्ान खमा था। मनोज ने जफ उस औ ं डक्टय औी फात सुनी तॊ सभझ खमा कऔ वे लॊख फस ऑऩयेटयों औ े र्ड्यंत्र औा भिऔाय हॊ खए है। थानेदाय ऩर्ऩन साल औा ऩऔा रृआ थानेदाय था। वह अऩने औभये भें औ ु सी ऩय फैठा रृआ था। डयते रृए मनोज ने थानेदाय से औहा-"सय भेये टेम्पॊ औ े साये औाखज सही है,फपय बी टेम्पॊ औॊ थाने भें फन्द औय फदमा है।" थानेदाय ने दीवान औॊ आदेि फदमा-"दीवान जी फाहय परयमादी फैठा है,उसे ले आऒ।” दीवान एऔ फीस साल औ े मुवऔ औ े साथ वाऩस आ खमा। यात औ े अाँधेये भें सेंधभायी औयने वाले इस मुवऔ औा नाभ फदनेि था जॊ कऔ ऩुयलस औा भुकबफय बी था। थानेदाय मादव ने फदनेि औॊ औई औाभों औ े यलए यक यका था। फदले भें उसे सेंधभायी औयने औा बविेर्ाभधऔाय फदमा खमा था।थानेदाय ने फदनेि से ऩूछा -"फता फदनेि क्या परयमाद लेऔय आमा है।” फदनेि ने जैसे यटा रृआ वाक्य फॊलना िुरू कऔमा-"सय भैं ओय भेया दॊस्त भॊटय साइकऔल से जा यहे थे। ऩीछे से इसऔ े टेम्पॊ ने टक्कय भाय दी। भेया दॊस्त जभीन ऩय बखयऔय फेहॊि हॊ खमा, उसऔॊ फाखर्ीनी औ े ही प्राथबभऔ स्वास्थ औ ें द्र भें बती औयऔ े आऩऔ े ऩास आमा रॄाँ।" थानेदाय ने मनोज औॊ देकऔय औहना िुरू कऔमा-"सुन यलमा तूने। एऔ तॊ सड़औ ऩय एक्सीडेंट औयता है। ऊऩय से जवान र्लाता है।" मनोज रुआंसा हॊते रृए फॊला-"सय मे आदभी झूठ फॊल यहा है। हभसे औॊई एक्सीडेंट नहीं रृआ।” थानेदाय अफ अऩने असली रूऩ भें आ र्ुऔा था-"र्ुऩ साले, जवान र्लाता है। फन्द औयॊ दॊनों औॊ अंदय। जेल भें सड़ॊखे तफ ऩता र्लेखा कऔ एक्सीडेंट कऔमा है कऔ नहीं?" फालाजी फस सबविस औ े भायलऔ से प्राप्त पीस औ े फदले थानेदाय ने अऩना औाभ फकूफी औय फदमा था। मनोज ओय दीऩऔ औ े ऩैयों तले जभीन रकसऔ खई। दॊनों औ े आंसू फहने लखे। ऩय थानेदाय नहीं ऩसीजा। दॊनों औॊ दीवान ने लॉऔ अऩ भें फंद औय फदमा।मनोज ओय दीऩऔ औा यॊ यॊ औय फुया हाल हॊ यहा था । दॊनों डय औ े भाये औााँऩ यहे थे उन्हें सभझ नहीं आ यहा था कऔ अफ औहााँ जाएाँ? कऔससे भदद भांखें? दॊ गण्टे फाद दीवान ने मनोज से औहा -"तुभ दॊनों औॊ यात बय थाने भें फन्द नहीं औय यहे हैं,मही खनीभत है। थानेदाय साहफ फरृत यहभ फदल हैं, अफ जाऒ। लेकऔन अफ मह टेम्पॊ तॊ औॊटच से ही बभलेखा।” दॊनों अऩनी जान फर्ाऔय बाखे। दॊनों औा ऩुयलस से मह ऩहला साभना था।दॊनों बाई यॊते रृए सड़औ ऩय ऩैदल जा यहे थे। ऩीछे थाना छू ट खमा था। उनऔ े यलए थाना यक्षऔ नहीं बक्षऔ फना था। यात हॊ खई थीं इसयलए अफ औॊई फस मा टेम्पॊ सड़औ ऩय नहीं था। दस कऔलॊभीटय ऩैदल र्लऔय दॊनों अऩने खााँव ऩरृर् खए। कनयाि,थऔ े ,दुकी,टूटे रृए,ऩयाभजत। आाँकें आंसुऒ से अफ बी बयी रृई थी। भााँ औॊ देकऔय मनोज प ू ट प ू ट औय यॊ ऩड़ा। दीऩऔ ने सायी औहानी औह सुनाई। भााँ औी आाँकों भें बी आंसू आ खए। ऩय उसने फहम्मत नहीं हायी-"सफ ठीऔ हॊ जामखॊ,भर्िंता न औये।”
  • 15. 15 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) यात बय मनोज छत ऩय काट ऩय ऩड़ा यहा। उसे नींद नहीं आई। वह जाखता यहा। सायी यात। 6. यात फीर् र्ुऔी थी। सुफह हॊ र्ुऔी थी। औल औी फेफसी ने जॊ आंसू फहामे थे वह सूक र्ुऔ े थे। भजन सऩनों औॊ लेऔय नमा व्यवसाम िुरू कऔमा खमा था, वह सऩना टूट खमा था। फऩछले एऔ भहीने भें आभथिऔ रूऩ से बफकये रृए ऩरयवाय औॊ एऔ फदिा देने औी औॊभिि औी खई थी,उम्मीद फन यही थी। ऩय अर्ानऔ सफ धयािाई हॊ खमा। मनोज र्ाहता था कऔ औॊई उसऔ े भन भें उभड़ गुभड़ यहे तूफ़ान औॊ थाभ ले।िह अऩने दॊस्त याऔ े ि औ े गय र्ला खमा। उसने बफना बूबभऔा औ े अऩने भन औी दुबवधा औॊ याऔ े ि से औहना िुरू कऔमा- "जॊ लॊख भेहनत औयऔ े ईभानदायी से दॊ वि औी यॊटी औभाना र्ाहते है,उनऔॊ ही ऩऔड़ औ े थाने भें फन्द औय फदमा जाता है। ऩुयलस ऐसा सुलूऔ औयती है जैसे हभ र्ॊय लुटेयों हों। भजसऔ े ऩास ऩांर् ऩांर् फसें हैं,ऩैसा है, क्या सड़औ उनऔ े फाऩ औी है? खयीफ अऩना टेम्पॊ न र्लामे?" इतना औहऔय मनोज ने याऔ े ि औॊ औल औी ऩूयी औहानी औह सुनाई। याऔ े ि ने मनोज औॊ अभधऔ खम्भीय हॊते रृए देका तॊ वह भाहोल औॊ हल्का औयने औी औॊभिि औयने लखा- "औॊउ नई फात फता। जे तॊ सफ जानतें। आज तेये साथ गटना गट खई तॊ तू ऩयेिान है खमॊ। यॊज जेई लड़ाई झखड़ा है यए हैं। खयीफ एसेई फऩस यहॊ है।“ मनोज औ े भन औा बवद्रॊह ओय बड़औ खमा-"ऩय मे तॊ खलत है ना। जॊ सही है, ईभानदायी से, भेहनत से अऩना औाभ औय यहा है, उसे क्यों सतामा जाता है?" याऔ े ि ने जीवन औा व्यवहारयऔ ज्ञान सऩाट तयीऔ े से मनोज औॊ देने औी औॊभिि जायी यकी-" मनोज इसीयलमे आदभी भेहनत औयतॊ,ऩैसा औभावतॊ,अऩने भॊड़ा भॊकड़मनें ऩढ़ावतॊ,नेता ऩुयलस से दॊस्ती औयतॊ। तुभामे ऩास ऩैसा हॊते तॊ थानेदाय औ े भुंह ऩे भायते। तुम्हें नेता,बवधामऔ,औलक्टय,एसऩी जानते तॊ वे थानेदाय से तुभायी भसपारयस औय देते। ऩय तुभ हॊ ठन ठन खॊऩाल। औॊई न जानतॊ तुम्हें,न तुभ जानते औारॄ औॊ।” मनोज औॊ मह औड़वी फात ऩसन्द नहीं आई-"भतलफ ऩुयलस औी औॊई भजम्मेदायी नहीं है कऔ झूठे औ े स न फनामे,खयीफों ऩय अत्यार्ाय न औये। उस थानेदाय औॊ तॊ नोऔयी से कनऔाल देना र्ाफहए।” िह कनमभ ओय भसद्धांत औी फात ही ऩऔड़े रृए था। याऔ े ि ने अफ औठॊय सच्चाई उसके साभने यक दी -" तेये जैसे लॊख खाड़ीफाजी ना औय सऔत। भजफूत भजखय वाले र्ला सऔत हैं फस,टेम्पॊ। सवायी बफठाने औ े र्क्कय भें खॊली बी र्ल सऔती है । फऩछले भहीना जोया
  • 16. 16 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) ऩुयलमा ऩे र्ली ना हती खॊली? एऔ टेम्पॊ वाले औी जांग भें गली हती। तू यहन दे। लड़ाई, झखड़ा,ऩुयलस और्हयी,सड़औ ऩे भायऩीट, जे तेम फस औ े ना है।” मनोज औल से भजस गटना औ े औायण इतना ऩयेिान था उस गटना औॊ याऔ े ि ने फरृत ही र्लताऊ ओय यॊजभयाच औी गटना भान यलमा । ऩय थानेदाय औी िक्ल माद औय औयऔ े मनोज औॊ यह यह औय िॊध आ यहा था -"ऩय भैं उस थानेदाय औॊ बूल नहीं सऔता।” याऔ े ि बी अऩने भसद्धान्त ऩय डटा यहा -"तॊ ना बूल,सफ थानेदाय ऐसे ही हॊत है। याजा हरयश्चंद्र ना हॊत।“ "औ ु छ अच्छे बी होंखे,जॊ सही औाभ औयते होंखे,झूठे औ े स नहीं फनाते होंखे। क़ानून औ े यक्षऔ होंखे।"- मनोज औ े भन ने औल्पना औी। मनोज औी व्यथा अन्धऔाय भें प्रऔाि औी कॊज औय यही थी। औहीं से वह आश्ऱासन र्ाहता था कऔ न्याम औी ऩक्षधयता अबी भज़िंदा है। ऩय याऔ े ि उसे मह तसल्री कऔसी तयह देने औॊ तैमाय न था। याऔ े ि ने औहा -"अच्छे थानेदाय भैंने ना सुने ।ऩय भैंने सुनॊ है कऔ एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह खयीफन औी सुनतॊ है। ईभानदायी से औाभ औयतॊ है । फड़ी तायीफ़ सुनी है।तू तॊ एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह से बभल ले। हॊ सऔत है टेम्पॊ छू ट जाए।" मनोज औॊ याऔ े ि औी मह सलाह ऩसन्द आई। उसऔी कनयािा यागवेंद्र भसिंह औ े नाभ से ही औ ु छ औभ हॊती भालूभ ऩड़ी। उसे उम्मीद फदकने लखी। 7. जोया तहसील औामाचलम भें बीड़ फढ़ने लखी थी । मनोज ओय दीऩऔ अऩने टेम्पॊ औॊ छु ड़वाने औ े यलए एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह से बभलने तहसील ऩरृाँर् खमे। लेकऔन मनोज औॊ सभझ नहीं आ यहा था कऔ वह यागवेंद्र भसिंह से टेम्पॊ छु ड़वाने औ े यलए औ ै से भसपारयि औयेखा ? संऔॊर् औ े औायण उसऔी फहम्मत नहीं हॊ यही थी।खेट ऩय दयफान ने उसे एऔ ऩर्ी ऩऔड़ा दी भजस ऩय अऩना नाभ ओय एसडीभ से बभलने औा औायण यलकना था । उसने ऩर्ी ऩय अऩना अऩना नाभ यलक फदमा,लेकऔन ‘बभलने औा औायण’ औॉलभ भें ‘टेम्पॊ छु ड़वाना है’, ऐसा िह नहीं यलक सऔा । उसे लखा कऔ ऐसा यलकने से हॊ सऔता है कऔ यागवेन्द्र भसिंह उसे बभलने औ े यलए अंदय फुलाएं ही नहीं । इसयलए उसने ऩर्ी ऩय बभलने औा एऔ अलख ही औायण यलक फदमा-"औ ै रयमय ओय ऩढ़ाई ऩय र्र्ाच औयना है।" मनोज औॊ लखा कऔ ऐसा यलकने से यागवेन्द्र भसिंह उसे ऩढ़ने वाला स्टूडेंट सभझेंखे ओय उससे अच्छे से फात औयेंखे । उसने सॊर्ा कऔ वह भोक़ा बभलते ही एसडीभ सय से टेम्पॊ छु ड़वाने औी फात बी औय लेखा ।
  • 17. 17 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) मनोज इसी उधेड़फुन भें खेट ऩय कड़ा था कऔ उसे अंदय फुला यलमा खमा। अंदय उसने देका कऔ यागवेंद्र भसिंह एऔ ऊाँ र्े डाइस औ े ऩीछे फैठे हैं। उनऔा यीडय आज औ े औ े स औी पाइलें उनऔी टेफल ऩय यक यहा था। यागवेन्द्र भसिंह ने जफ मनोज ओय दीऩऔ औॊ अंदय आते रृए देका तॊ भुस्क ु याऔय उनऔा स्वाखत कऔमा। यागवेंद्र भसिंह ने मनोज औॊ देकऔय अऩने स्टाप से औहा- "मे मनोज है। जोया औा फेस्ट औभेंटेटय। प्रिासन ओय वऔीलों औ े फीर् हॊने वाले अखले सन्डे औ े भैर् भें मनोज ही औभेंरी औयेखा।" मनोज औॊ उम्मीद नहीं थी कऔ यागवेंद्र सय उसे इतनी इज्जत देंखे। उसक भन खवच,कुिी ओय यागवेंद्र सय औ े प्रबत सम्मान से बय खमा। दीऩऔ बी अऩने भन औी ख़ुिी छु ऩा न सऔा ओय प ु सप ु साते रृए मनोज औ े औान भें फॊला -"भुझे लखतॊ है औ े अऩनों टेम्पॊ छू ट जामखॊ। एसडीएभ तॊ तुझे जानतॊ है।” उसने दीऩऔ औॊ र्ुऩर्ाऩ फैठे यहने औा इिाया कऔमा । यागवेंद्र भसिंह ने मनोज से औहा-"आज ऩहली फाय औॊई भेये ऩास बफना सयऔायी औाभ औ े आमा है।नहीं तॊ महां तॊ फन्दूऔ औ े लाइसेंस मा जुआ सट्टा भें ऩऔड़े लॊखों औॊ छु ड़ाने औी भसपारयि औ े यलए ही लॊख आते है।" इतना औहऔय यागवेंद्र भसिंह हाँसते रृए फ़ाइल देकने लखे। यीडय फ़ाइल औी ऒय इिाया औयता रृआ फॊला - "सय मह फाखर्ीनी थाने औा औ े स है,िाऱन्त बंख औयने औा।" फाखर्ीनी थाने औ े थानेदाय मादव ने िाऱन्त बंख औयने औ े अऩयाध भें एऔ र्ालीस साल औ े आदभी औॊ ऩऔड़ यलमा था। एसडीएभ औॊ मह कनणचम लेना था कऔ ऩऔड़ा खमा व्यभि वास्तव भें अऩयाधी है मा नही? मनोज ओय दीऩऔ ने देका कऔ फाखर्ीनी थाने औा थानेदाय एसडीएभ औॊ सेल्यूट औयऔ े कड़ा यहा फैठा तऔ नहीं। इसी थानेदाय ने टेम्पॊ ऩऔड़ यका था। इसी थानेदाय औी भिऔामत लेऔय दॊनों आमे थे। अऩने थाने औा कूंकाय िेय एसडीएभ औ े साभने ऩूाँछ दफामे कड़ा था। एसडीएभ ने थानेदाय से ऩूछा-"फताइमे थानेदाय साहफ क्या भैटय है?" थानेदाय ने औहना िुरू कऔमा-"सय भुशिभ भुऔ े ि ने औल अऩने भॊहल्रे भें अऩने ऩड़ॊसी नयेि औ े गय औ े साभने देसी औट्टे से दॊ पामय कऔमे। ऩुयलस र्ाहती है औी लॊऔ िाऱन्त बंख औयने वाले भुऔ े ि औॊ जेल बेज फदमा जाए।” “औॊई खवाह है तुम्हाये ऩास"-यागवेंद्र भसिंह ने थानेदाय से ऩूछा। "जी सय ।"-इतना औहऔय थानेदाय ने खवाह औॊ फुलामा खवाह औॊ देकऔय मनोज ओय दीऩऔ र्ौंऔ खए। दीऩऔ ने मनोज से औहा - "जे तॊ वॊई फदनेि है। टेम्पॊ से एक्सीडेंट औी झूठी भिऔामत इसी ने औी थी। अफ भैं सभझॊ जे आदभी तॊ थानेदाय औॊ ऩालतू औ ु त्ता है। झूठी खवाही देऔ े औ े स फनावतॊ। आज औॊ औ े स बी झूठॊ है। भुऔ े ि फुयॊ प ं सॊ। थानेदाय तॊ अफ भुऔ े ि औॊ जेल ऩरृाँर्ा औ े भानेखॊ।” -आयॊऩी भुऔ े ि ऩय दीऩऔ ओय मनोज औॊ दमा आने लखी। फदनेि ने एसडीएभ औ े साभने अऩनी यटी यटाई खवाही दे दी - "सय भैं िाभ औॊ भजदूयी औयऔ े साइकऔल ऩय जा यहा था।तबी भैनें देका कऔ इस आदभी ने एऔ गय औ े साभने देसी औट्टे से पामय औय फदमा।”
  • 18. 18 ट्ढेल्थ प े ल / अनुयाख ऩाठऔ (DRAFT-18) मनोज औी इच्छा रृई कऔ वह एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह से औह दे कऔ मह खवाह झूठा ओय भक्काय है, इसऔा औाभ ही है झूठी खवाही देना। थानेदाय बी फरृत फेईभान ओय लालर्ी है झूठे औ े स भें लॊखों औॊ प ं साता है। ऩय िह औ ु छ औह नहीं ऩामा। एसडीएभ ने आखे औी औामचवाही जायी यकते रृए आयॊऩी भुऔ े ि से ऩूछा - "तुम्हें अऩनी सपाई भें औ ु छ औहना है भुऔ े ि मा तुम्हें जेल बेज दें?” एसडीएभ औी फात सुनऔय थानेदाय औ े र्ेहये ऩय र्भऔ आ खई। लेकऔन भुऔ े ि डय औ े भाये थयथय औांऩने लखा। गफयामे रृए भुऔ े ि ने हाथ जॊड़औय कनवेदन कऔमा-" सय भैंने औॊई अऩयाध नहीं कऔमा। भेयी ऩत्नी ओय फेटी से ऩूछ लीभजमे।" एऔ ओयत ओय सत्रह अठायह साल औी लड़औी बी औभये भें आ खई थी। ओयत ने यॊते रृए औहा-"रृजूय मे बफलऔ ु ल कनदोर् हैं। वॊ तॊ नयेि ने धभऔी दी थी औी इन्हें जेल फबजवा औ े दभ लेखा। साल बय ऩहले नयेि औॊ दस हजाय रूऩमे उधाय फदए थे। औई फाय भांखने ऩय बी उसने वाऩस नहीं फदए अफ ऩुयलस भें प ं सामे दमे हभें।” मनोज औॊ इस औ े स भें अऩना औ े स नजय आने लखा। भजससे फाहय कनऔलने औा औॊई यास्ता थानेदाय ने नहीं छॊड़ा था । एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह ने खोय से देकते रृए खवाह से ऩूछताछ िुरू औी -"खवाह फदनेि थॊड़ा आखे आ जाऒ, तुम्हायी िक्ल ठीऔ से नहीं फदक यही।“ फदनेि ने अऩनी ऩतली िुतुयभुखच जैसी झुऔी रृई खदचन ऊाँ र्ी औी ऩय उसऔी आाँके एसडीएभ से नहीं बभल ऩा यही थी। यागवेन्द्र भसिंह ने औठॊयता से ऩूछा - " खदचन उऩय औयऔ े जवाफ दॊ ।भहीने भें कऔतने गयों भें र्ॊयी औयते हॊ?" फदनेि ने अऩनी आाँकें झुऔाते रृए एसडीएभ से औहा- "सय भैं र्ॊय नहीं रॄाँ।” यागवेन्द्र भसिंह ने तीकी हंसी हाँसते रृए खवाह फदनेि से औहा -"ऩय िक्ल से तॊ तुभ र्ॊय ही फदक यहे हॊ।" फदनेि औ े र्ेहये ऩय ऩसीना छलऔ आमा। औ ु छ देय ऩहले तऔ कनमश्चन्त कड़ा थानेदाय बी असहज भहसूस औयने लखा। मनोज औॊ सभझ नहीं आमा कऔ यागवेन्द्र भसिंह औ े वल िक्ल देकऔय फदनेि औी वास्तबवऔता औ ै से जान खमे ? यागवेन्द्र भसिंह औी तीक्ष्ण फुयद्ध ओय आदभी औी ऩहर्ान ऩय उसे आश्चमच रृआ। एसडीएभ यागवेंद्र भसिंह फदनेि से प्रश्न औयना जायी यका - "औहााँ खॊली र्लाई थी इसने?" यागवेंद्र भसिंह ने भुऔ े ि औी तयप इिाया औयते रृए फदनेि से ऩूछा। फदनेि- "सय नयेि औ े गय ऩय ?" “क्या तुभ नयेि औॊ ऩहले से जानते थे ?”-यागवेन्द्र भसिंह ने फदनेि से ऩूछा “नहीं सय।” –खवाह फदनेि ने उत्तय फदमा यागवेंद्र भसिंह- "फपय तुम्हें कऔसने फतामा कऔ वह नयेि औा गय है ?" इस प्रश्न से सऔऩऔाए फदनेि ने थानेदाय औी तयप देका। थानेदाय औ े ऩास बी इस सभम औ ु छ औहने औॊ नहीं था।यागवेन्द्र भसिंह औ े सवालों औ े र्िव्यूह भें झूठा खवाह फदनेि प ं स खमा था ।उसऔी औलई कुल खई । मनोज औॊ अफ सच्चाई जीतती रृए फदक यही थी। थानेदाय औी फेईभानी ओय र्ड्यंत्र ऩयाभजत हॊता रृआ फदक यहा था।