2. पयमािरण की सर्स्यम
2004 में ले ललया एक उपग्रह लित्र, उत्तर भारत में गंगा बेलिन के िाथ मोटी धंध और धएं िे पता िलता है। इि क्षेत्र में
एयरोिौल्ज़ के प्रमख स्रोत उत्तरी भारत में बडे शहरों िे भारत के उत्तर पलिमी भाग में बायोमाि जलने िे धआं, और वाय
प्रदूषण माना जाता है। पालकस्तान और मध्य पूवव में रेलगस्तान िे धूल भी एयरोिौल्ज़ के लमश्रण करने के ललए योगदान कर
िकते हैं।
भारत में पयाववरण की कई िमस्या है। वाय प्रदूषण, जल प्रदूषण, किरा, और प्राकृलतक पयाववरण के प्रदूषणभारत
के ललए िनौलतयााँ हैं। पयाववरण की िमस्या की पररलस्थलत 1947 िे 1995 तक बहुत ही खराब थी। 1995 िे 2010 के
बीि लवश्व बैंक के लवशेषज्ञों के अध्ययन के अनिार, अपने पयाववरण के मद्दों को िंबोलधत करने और अपने पयाववरण की
गणवत्ता में िधार लाने में भारत दलनया में िबिे तेजी िे प्रगलत कर रहा है। लिर भी, भारत लवकलित अथवव्यवस्थाओं वाले
देशों के स्तर तक आने में इिी तरह के पयाववरण की गणवत्ता तक पहुाँिने के ललए एक लंबा रास्ता तय करना है। भारत के
ललए एक बडी िनौती और अविर है। पयाववरण की िमस्या का, बीमारी, स्वास््य के मद्दों और भारत के ललए लंबे िमय
तक आजीलवका पर प्रभाव का मख्य कारण हैं।
कमरण
कछ पयाववरण के मद्दों के बारे में कारण के रूप में आलथवक लवकाि को उद्धृत लकया है। दूिरे, आलथवक लवकाि में भारत के
पयाववरण प्रबंधन में िधार लाने और देश के प्रदूषण को रोकने के ललए महत्वपूणव है लवश्वाि करते हैं।बढ़ती जनिंख्या भारत
के पयाववरण क्षरण का प्राथलमक कारण भी है ऐिा िझाव लदया गया है।व्यवलस्थत अध्ययन में इि लिद्धांत को िनौती दी
गई है तेजी िे बढ़ती हुई जनिंख्या व आलथवक लवकाि और शहरीकरण व औद्योगीकरण में अलनयंलत्रत वृलद्ध, बडे पैमाने पर
औद्योगीकलवस्तार तथा तीव्रीकरण,तथा जंगलों का नष्ट होना इत्यालद भारत में पयाववरण िंबंधी िमस्याओंके प्रमख कारण
हैं। प्रमख पयाववरणीय मद्दों में वनऔर कृलष-भूलमक्षरण, िंिाधन ररक्तीकरण (पानी, खलनज,वन, रेत, पत्थर आलद),पयाववरण
क्षरण, िाववजलनक स्वास््य, जैव लवलवधता में कमी, पाररलस्थलतकी प्रणाललयों में लिीलेपन की कमी, गरीबों के ललए
आजीलवका िरक्षा शालमल हैं।
यह अनमान है लक देश की जनिंख्या वषव 2018 तक 1.26 अरब तक बढ़ जाएगी. अनमालनत
जनिंख्या का िंके त है लक 2050 तक भारत दलनया में िबिे अलधक आबादी वाला देश होगा और िीन का स्थान दूिरा
होगा। दलनया के कल क्षेत्रिल का 2.4% परन्त लवश्व की जनिंख्या का 17.5% धारण कर भारत का अपने प्राकृलतक
िंिाधनों पर दबाव कािी बढ़ गया है। कई क्षेत्रों पर पानी की कमी, लमट्टी का कटाव और कमी, वनों की कटाई, वाय और
जल प्रदूषण के कारण बरा अिर पडता है।
2
3. प्रर्ुख सर्स्यमयें
भारत की पयाववरणीय िमस्याओंमें लवलभन्न प्राकृलतक खतरे, लवशेष रूप िे िक्रवातऔर वालषवक मानिून बाढ़, जनिंख्या
वृलद्ध, बढ़ती हुई व्यलक्तगत खपत, औद्योगीकरण, ढांिागत लवकाि, घलटया कृलष पद्धलतयां और िंिाधनों का अिमान
लवतरण हैं और इनके कारण भारत के प्राकृलतक वातावरण में अत्यलधक मानवीय पररवतवन हो रहा है। एक अनमान के
अनिार खेती योग्य भूलम का 60% भूलम कटाव, जलभराव और लवणता िे ग्रस्त है। यह भी अनमान है लक लमट्टी की ऊपरी
परत में िे प्रलतवषव 4.7 िे 12 अरब टन लमट्टी कटाव के कारण खो रही है। 1947 िे 2002 के बीि, पानी की औित वालषवक
उपलब्धता प्रलत व्यलक्त 70% कम होकर 1822 घन मीटर रह गयी है तथा भूगभव जल का अत्यलधक दोहन हररयाणा, पंजाब
व उत्तर प्रदेश में एक िमस्या का रूप ले िका है। भारत में वन क्षेत्र इिके भौगोललक क्षेत्र का 18.34% (637,000 वगव
लकमी) है। देश भर के वनों के लगभग आधे मध्य प्रदेश (20.7%) और पूवोत्तर के िात प्रदेशों(25.7%) में पाए जाते हैं;
इनमें िे पूवोत्तर राज्यों के वन तेजी िे नष्ट हो रहे हैं। वनों की कटाई ई ंधन के ललए लकडी और कृलष भूलम के लवस्तार के ललए
हो रही है। यह प्रिलन औद्योलगक और मोटर वाहन प्रदूषण के िाथ लमल कर वातावरण का तापमान बढ़ा देता है लजिकी
वजह िे वषवण का स्वरुप बदल जाता है और अकाल की आवृलत्त बढ़ जाती है।
पाववती लस्थत भारतीय कृलष अनिंधान िंस्थान का अनमान है लक तापमान में 3 लिग्री िेलल्जियि
की वृलद्ध िालाना गेहं की पैदावार में 15-20% की कमी कर देगी. एक ऐिे राष्ट्र के ललए, लजिकी आबादी का बहुत बडा
भाग मूलभूत स्रोतों की उत्पादकता पर लनभवर रहता हो और लजिका आलथवक लवकाि बडे पैमाने पर औद्योलगक लवकाि पर
लनभवर हो, ये बहुत बडी िमस्याएं हैं। पूवी और पूवोत्तर राज्यों में हो रहे नागररक िंघषव में प्राकृलतक िंिाधनों के मद्दे शालमल
हैं - िबिे लवशेष रूप िे वन और कृलष योग्य भूलम.
जंगल और जमीन की कृलष लगरावट, िंिाधनों की कमी (पानी, खलनज, वन, रेत, पत्थर
आलद),पयाववरण क्षरण, िाववजलनक स्वास््य, जैव लवलवधता के नकिान, पाररलस्थलतकी प्रणाललयों में लिीलेपन की कमी
है, गरीबों के ललए आजीलवका िरक्षा है। भारत में प्रदूषण का प्रमख स्रोत ऐिी ऊजाव का प्राथलमक स्रोत के रूप में पशओंिे
िूखे किरे के रूप में फ्यलवि और बायोमाि का बडे पैमाने पर जलना, िंगलित किरा और किरे को हटाने िेवाओं की
एिीके , मलजल उपिार के िंिालन की कमी, बाढ़ लनयंत्रण और मानिून पानी की लनकािी प्रणाली, नलदयों में उपभोक्ता
किरे के मोड,प्रमख नलदयों के पाि दाह िंस्कार प्रथाओंकी कमी है, िरकार अत्यलधक पराना िाववजलनक पररवहन प्रदूषण
की िरक्षा अलनवायव है, और जारी रखा 1950-1980 के बीि बनाया िरकार के स्वालमत्व वाले, उच्ि उत्िजवन पौधों की
भारत िरकार द्वारा आपरेशन है।
वाय प्रदूषण, गरीबकिरे का प्रबंधन, बढ़ रही पानी की कमी, लगरते भूजल टेबल, जल प्रदूषण,िंरक्षण
और वनों की गणवत्ता, जैव लवलवधता के नकिान, और भूलम / लमट्टी का क्षरण प्रमख पयाववरणीय मद्दों में िे कछ भारत की
प्रमख िमस्या है। भारत की जनिंख्या वृलद्ध पयाववरण के मद्दों और अपने िंिाधनों के ललए दबाव िमस्या बढ़ाते है।
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4. जल प्रदूषण
भारत के 3,119 शहरों व कस्बों में िे 209 में आंलशकरूप िे तथा के वल 8 में मलजल को पूणव रूप िे उपिाररत करने की
िलवधा (िब्ल्जयू.एि.ओ. 1992) है।114 शहरों में अनपिाररत नाली का पानी तथा दाह िंस्कार के बाद अधजले शरीर
िीधे ही गंगा नदी में बहा लदए जाते हैं। अनप्रवाह में नीिे की ओर, अनपिाररत पानी को पीने, नहाने और कपडे धोने के
ललए प्रयोग लकया जाता है। यह लस्थलत भारत और िाथ ही भारत में खले में शौि कािी आम है, यहां तक लक शहरी क्षेत्रों
में भी, जल िंिाधनों को इिीललए घरेलू या अंतरावष्ट्रीय लहंिक िंघषव िे नहीं जोडा गया है जैिा लक पहले कछ पयववेक्षकों
द्वारा अनमालनत था। इिके कछ िंभालवत अपवादों में कावेरी नदी के जल लवतरण िे िम्बंलधत जालतगत लहंिा तथा इििे
जडा राजनैलतक तनाव लजिमें वास्तलवक और िंभालवत जनिमूह जो लक बांध पररयोजनाओंके कारण लवस्थालपत होते हैं,
लवशेषकर नमवदा नदी पर बनने वाली ऐिी पररयोजनाएं शालमल हैं। आज पंजाब प्रदूषण के पनपने का एक िंभालवत स्थान
है, उदाहरण के ललए बि्ढा नल्जला नाम की एक छोटी नदी जो पंजाब, भारत के मालवा क्षेत्र िे है, यह ललधयाना लजले जैिी
घनी आबादी वाले क्षेत्र िे होकर आतीहै और लिर ितलज नदी, जो लक लिन्ध नदी की िहायक नदी है, में लमल जाती है,
हाल की शोधों के अनिार यह इंलगत लकया गया है लक एक बार और भोपाल जैिी पररलस्थलतयां बनने वाली हैं। 2008 में
पीजीआईएमईआर और पंजाब प्रदूषण लनयंत्रण बोिव द्वारा लकये गए िंयक्त अध्ययन िे पता िला लक नल्जला के आि पाि
के लजलों में भूलमगत जल तथा नल के पानी में स्वीकृत िीमा (एमपीएल) िे कहीं अलधक मात्रा में कै लल्जशयम, मैग्नीलशयम,
फ्लोराइि, मरकरी तथा बीटा-एंिोिल्जिान व हेप्टाक्लोर जैिे कीटनाशक पाए गए। इिके अलावा पानी में िीओिी तथा
बीओिी (रािायलनक व जैवरािायलनक ऑक्िीजन की मांग), अमोलनया, िॉस्िे ट, क्लोराइि, क्रोलमयम व आिेलनक तथा
क्लोरपायरीिौि जैिे कीटनाशक भी अलधक िांद्रता में थे। भूलमगत जल में भी लनकल व िेलेलनयम पाए गए और नल के
पानी में िीिा, लनकल और कै िलमयम की उच्ि िांद्रता लमली।
जल प्रदूषण क
े कमरण
1. मानव मल का नलदयों, नहरों आलद में लविजवन।
2. ििाई तथा िीवर का उलित प्रबंध्न न होना।
3. लवलभन्न औद्योलगक इकाइयों द्वारा अपने किरे तथा गंदे पानी का नलदयों, नहरों में लविजवन।
4. कृलष कायों में उपयोग होने वाले जहरीले रिायनों तथा खादों का पानी में घलना।
5. नलदयोंमें कूडे-किरे, मानव-शवों औरपारम्पररक प्रथाओंका पालन करते हुए उपयोग में आने वाले प्रत्येक घरेलूिामग्री
का िमीप के जल स्रोत में लविजवन।
6. गंदे नालों,िीवरों के पानी का नलदयों मे छोङा जाना।
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5. िमयु प्रदूषण
भारतीय शहरों में वाय प्रदूषण उच्ि है। भारतीय शहर वाहनों और उद्योगों के उत्िजवन िे प्रदूलषत हैं। िडक पर वाहनों के
कारण उडने वाली धूल भी वाय प्रदूषण में 33% तक का योगदान करती है। बंगलरु जैिे शहर में लगभग 50% बच्िे
अस्थमा िे पीलडत हैं। भारत में 2005 के बाद िे वाहनों के ललए भारत स्टेज दो (यूरो II) के उत्िजवन मानक लागू हैं। भारत
में वाय प्रदूषण का िबिे बडा कारण पररवहन की व्यवस्था है। लाखों पराने िी़ल इंजन वह िी़ल जला रहे हैं लजिमें
यूरोपीय िी़ल िे 150 िे 190 गणा अलधक गंधक उपलस्थत है। बेशक िबिे बडी िमस्या बडे शहरों में है जहां इन वाहनों
का घनत्व बहुत अलधक है। िकारात्मक पक्ष पर, िरकार इि बडी िमस्या और लोगों िे िंबद्ध स्वास््य जोलखमों पर
प्रलतलक्रयाकरते हुए धीरे-धीरे लेलकन लनलित रूप िे कदम उिा रही है। पहली बार2001 में यह लनणवय ललया गयालक िम्पूणव
िाववजलनक यातायात प्रणाली, रेनों को छोड कर, कं प्रेस्ि गैि (िीपीजी) पर िलने लायक बनायी जाएगी. लवद्यत् िाललत
ररक्शा लि़ाइन लकया जा रहा है और िरकार द्वारा इिपर ररयायत भी दी जाएगी परन्त लदल्जली में िाइलकल ररक्शा पर
प्रलतबन्ध है और इिके कारण वहां यातायात के अन्य माध्यमों पर लनभवरता होगी, मख्य रूप िे इंजन वाले वाहनों पर यह
भी प्रकट हुआ है लक अत्यलधक प्रदूषण िे ताजमहल पर प्रलतकूल प्रभाव पड रहा था। अदालत द्वारा इि क्षेत्र में िभी प्रकार
के वाहनों पर रोक लगाये जाने के पिात इि इलाके की िभी औद्योलगक इकाइयों को भी बंद कर लदया गया। बडे शहरों में
वाय प्रदूषण इि कदर बढ़ रहा है लक अब यह लवश्व स्वास््य िंगिन (िब्ल्जयूएिओ) द्वारा लदए गए मानक िे लगभग 2.3
गना तक हो िका है।
िमयु प्रदूषण कम प्रभमि
1. हवा में अवांलछत गैिों की उपलस्थलत िे मनष्ट्य, पशओं तथा पलक्षयों को गंभीर िमस्याओं का िामना करना पडता है।
इििे दमा, िदी-खााँिी, अाँधापन, श्रव का कमजोर होना, त्विा रोग जैिी बीमाररयााँ पैदा होती हैं। लंबे (लम्बे) िमय के
बाद इििे जनलनक लवकृलतयााँ उत्पन्न हो जाती हैं और अपनी िरमिीमा पर यह घातक भी हो िकती है।
2. वाय प्रदूषण िे िलदवयों में कोहरा छाया रहता है, इििे प्राकृलतक दृश्यता में कमी आती है तथा आाँखों में जलन होती है।
3. ओजोन परत, हमारी पृ्वी के िारों ओर एक िरक्षात्मक गैि की परत है। जो हमें िूयव िे आनेवाली हालनकारक
अल्जरावायलेट लकरणों िे बिाती है। वाय प्रदूषण के कारण जीन अपररवतवन, अनवाशंकीय तथा त्विा कैं िर के खतरे
बढ़ जाते हैं।
4. वाय प्रदूषण के कारण पृ्वी का तापमान बढ़ता है, क्योंलक िूयव िे आने वाली गमी के कारण पयाववरण में काबवन िाइ
आक्िाइि, मीथेन तथा नाइरि आक्िाइि का प्रभाव कम नहीं होता है, जो लक हालनकारक है।
5. वाय प्रदूलषत क्षेत्रों में जब बरिात होती है तो वषाव में लवलभन्न प्रकार की गैिें एवं लवषैले पदाथव घलकर धरती पर आजाते
हैं,लजिे ‘अम्ल वषाव’ कहा जाता हैI
5
6. ध्िनि प्रदूषण
भारत के िवोच्ि न्यायलय द्वारा ध्वलन प्रदूषण पर एक महत्वपूणव िै िला िनाया गया। वाहनों के हॉनव की आवाज शहरों में
शोर के िेलिलबल स्तर को अनावश्यक रूप िे बढ़ा देती है। राजनैलतक कारणों िे तथा मंलदरों व मलस्जदों में लाउिस्पीकर
का प्रयोग ररहायशी इलाकों में ध्वलन प्रदूषण के स्तर को बढाता है। हाल ही में भारत िरकार ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में
ध्वलन स्तर के मानदंिों को स्वीकृत लकया है। इनकी लनगरानी व लक्रयान्वन कै िे होगा यह अभी भी िलनलित नहीं है।
ध्िनि प्रदूषण कम कमरण
1. शहरों एवं गााँवों में लकिी भी त्योहार व उत्िव में,राजनैलतक दलों के िनाव प्रिार व रैली में लाउिस्पीकरों का अलनयंलत्रत
इस्तेमाल/प्रयोग।
2. अलनयंलत्रत वाहनों के लवस्तार के कारण उनके इंजन एवं हानव के कारण।
3. औद्योलगक क्षेत्रों में उच्ि ध्वलन क्षमता के पावर िायरन, हॉनव तथा मशीनों के द्वारा होने वाले शोर।
4. जनरेटरों एवं िीजल पम्पों आलद िे ध्वलन प्रदूषण।
भूशर् प्रदूषण
भारत में भूलम प्रदूषण कीटनाशकोंऔर उववरकों के िाथ-िाथ क्षरण की वजह िे हो रहा है। मािव 2009 में पंजाबमें यरेलनयम
लवषाक्तता का मामला प्रकाश में आया, इिका कारण ताप लवद्यत् गृहों द्वारा बनाये गए राख के तालाब थे, इनिे पंजाब के
िरीदकोट तथा भलटंिा लजलों में बच्िों में गंभीर जन्मजात लवकार पाए गए।
भूशर् प्रदूषण क
े कमरण
1. कृलष में उववरकों, रिायनों तथा कीटनाशकों का अलधक प्रयोग।
2. औद्योलगक इकाईयों, खानों तथा खादानों द्वारा लनकले िोि किरे का लविजवन।
3. भवनों, िडकों आलद के लनमावण में िोि किरे का लविजवन।
4. कागज तथा िीनी लमलों िे लनकलने वाले पदाथों का लनपटान, जो लमट्टी द्वारा अवशोलषत नहीं हो पाते।
5. प्लालस्टक की थैललयों का अलधक उपयोग, जो जमीन में दबकर नहीं गलती।
6. घरों, होटलों और औद्योलगक इकाईयों द्वारा लनकलने वाले अवलशष्ट पदाथों का लनपटान, लजिमें प्लालस्टक, कपडे,
लकडी, धात, कााँि, िेरालमक, िीमेंट आलद िलम्मललत हैं।
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