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UNIVERSITY OF ALLAHABAD
(A CENTRAL UNIVERSITY)
CENTER OF MEDIA STUDIES
INSTITUTE OF PROFESSIONAL STUDIES
1.
INTRODUCTION
Assignment :- Write A film Review
Under the guidance of
Mr. Vidyasagar Mishra
Name :- Achutanand Jaiswal
Course :- B.A.M.S. :- 6th Semester
Sub :- Film studies
Roll no. :- 03
Faculty :- Mr. Vidyasagar Mishra
Date :- 22 July 2022 Examinor Sign :-
2.
CONTENTS
Sr. No. Title Page No.
1. एक्नॉलेजमेंट 4.
2. सर्टिफिक
े ट 5.
3. प्रस्तावना 6.
4. फिल्म समीक्षा : तलवार 7.
5. रेिरेंसेस 11.
Place :- Prayagraj
22 July 2022
Achutanand Jaiswal
B.A.M.S. IVth (Semester)
University Of Allahabad
3.
ACKNOWLEDGEMENTS
This Assignment work has been made possible through the direct and indirect co-operation
of various people for whom I wish to express my gratitude. In the beginning, I would like to
express my sincere gratitude to Dr. Dhananjay Chopra, Dean Center Of Media Studies,
Institute Of Professional Studies, University Of Allahabad, Prayagraj, Uttar Pradesh, India and
Subject Faculty of ‘Film Stuies’ Mr. Vidya Sagar Mishra for his immense support and vital
encouragement.
I express heartfelt thanks to the most respected Mr. Vidya Sagar Mishra for his excellent
guidance, valuable advices, critical comments and inspiration throughout the Assignment. Of
great importance, I would also like to give my special thanks to my classmates, friends and
my family for cooperating and helping me in the completion of this Assignment.
Place :- Prayagraj
22 July 2022
Achutanand Jaiswal
B.A.M.S. IVth (Semester)
University Of Allahabad
4.
5.
CERTIFICATE
This is certified that Mr................................................................ student of B.A. in
media studies semester VI at centre of media studies, Institute of
Professional Studies, University of Allahabad, completed his assignment
on the topic 'Write a film review' under the guidance of 'Mr. Vidyasagar
Mishra' Faculty of 'Film studies' at centre of media studies, Institute of
Professional Studies, University of Allahabad, During this year 2022. This
report is a result of her efforts and endeavors. The report is found
worthy of acceptance as the final project report for Film studies
Assignment.
Place :- Prayagraj
July 2022
Examinor Sign. ....
6.
प्रस्तावना
 फिल्म समीक्षा एक प्रकार का फिएर्टव लेखन है, जजसमें समीक्षक क
े संस्कार, पररवेश, ज्ञान
और जानकारी का पता चलता है। र्हंदी में ब्लॉग की लोकप्रप्रयता क
े बाद फिल्मों पर बहुत
अच्छा ललखा जा रहा है।
 एक फिल्म फिर चाहे उसमे फकतना भी ख़राब काम फकया गया हो या फिर वह कला का एक
शानदार नमूना हो ; यर्द लोग इसे देख रहे हैं, तो यह ररव्यु क
े लायक है। एक अच्छी फिल्म
ररव्यु वो है जो मनोरंजन करे, समझाए और जानकारी दे, साजजश से दूर असली और ननष्पक्ष
प्रवचार दे। एक महान फिल्म ररव्यु अपने आप में कला का काम हो सकता है।
 आप जब फकसी फिल्म क
े बारे में अपने कोई भी प्रवचार रखते हैं तो आप उस फिल्म की
समीक्षा ही कर रहे होते हैं। मगर अच्छे और प्रोि
े शनल समीक्षक बनने क
े ललए फिल्मी कला
क
े सभी आयामों की समझ होना आवश्यक है। इसक
े ललए अच्छे ननमािताओं और ननदेशकों की
फिल्म देखखए और अलभनय, क
ै मरा, ननदेशन, कहानी, जस्िप्ट और संपादन आर्द सभी
प्रवधाओं पर ध्यान दीजजए। फिल्म की हर प्रवधा में आपको क
ु छ कला लमलेगी । बस उस सब
क
े बारे में ललखना ही फिल्म की समीक्षा करना कहा जा सकता है।
7.
फिल्म समीक्षा ‘तलवार’
कानून अव्यवस्था पर आघात करती है 'तलवार'
 फिल्म का नाम :- तलवार
 डायरेक्टर :- मेघना गुलजार
 स्टार कास्ट :- इरिान खान, कोंकाा
सेन शमाि, नीरज कबी, तब्बू, सोहम
शाह, गजराज राव और अतुल क
ु मार
इत्यार्द।
 अवधध :- 132 लमनट।
 सर्टिफिक
े ट :- U/A
 मूवी टाइप :- सस्पेंस
 रेर्टंग :- 4.5/5 स्टार
8.
ननदेशन
 मेघना गुलजार फिल्म इंडस्री की जानी - मानी फिल्म ननदेशकों में से एक हैं। इन्होंने ड्रामा,
सस्पेंस जैसे कई प्रवधाओं की यूननक फिल्मों को ननदेलशत फकया है। ये मशहूर गीतकार
गुलजार और अलभनेत्री राखी की बेटी हैं। मेघना ने 'फिलहाल', 'जस्टमैररड' और 'दस
कहाननयां' जैसी मशहूर फिल्में ननदेलशत की हैं। मेघना की फिल्म 'तलवार' मशहूर आरुप्रि
मडिर क
े स जांच क
े मद्देनजर बनाई गई है और यह एक वास्तप्रवक घटना पर आधाररत फिल्म
है। आइए जानते है फिल्म 'तलवार' की समीक्षा।
स्क्रिप्ट
 फिल्म की कहानी प्रवशाल भारद्वाज ने ललखी है। जस्िप्ट लेवल पर जस्िप्ट राइटर ने कोई
कमी नहीं छोड़ी है। उन्होंने अपनी पुरजोर कोलशश करते हुए जस्िप्ट में आरुप्रि हत्या कांड से
जुड़े हुए प्रमुख बबंदुओं पर गहनता से प्रकाश डाला है। प्रपता-बेटी, मां-बेटी, माता-प्रपता, माता-
प्रपता-बेटी और नौकर, इन सभी क
े फिल्मांकन को देखकर लगता है की इस फिल्म की
ललखावट क
े पीछे कािी ररसचि हुई है। कहानी में 3 अलग-अलग ि
ै सलों पर भी प्रवशेि र्टप्पाी
की गई है। आखखरी क
े 12 लमनट और र्दलचस्प हो जाते है क्योंफक संवाद क
ु छ इस तरह से रचे
गए है जो ऐसे सस्पेंस फिल्म में कभी-कभी आपको हंसने पर भी प्रववश करते हैं।
9.
 फिल्म की कहानी 2008 में र्दल्ली से सटे नोएडा में हुए आरुप्रि मडिर क
े स की जांच पर
आधाररत है। जजसमें रमेश टंडन (नीरज कबी ), नूतन टंडन (कोंकाा सेन) अपनी बेटी श्रुनत
टंडन क
े साथ रहते हैं। श्रुनत का मडिर घर क
े नौकर खेमपाल क
े साथ एक ही रात होता है
जजसकी जांच पहले पुललस और बाद में सीबीआई ऑफिसर अजश्वन क
ु मार (इरिान खान)
करते है और तीन तरह की जांच ररपोटि पेश की जाती है। कहानी शुरु होती है उस सुबह से जब
डॉ. रमेश टंडन (नीरज कबी) क
े घर साि - सिाई करने वाली एक मेड उनक
े घर पहुंचती है।
घंटी की आवाज सुन कर रमेश की पत्नी नूतन टंडन (कोंकाा सेन शमाि ) दरवाजा खोलने क
े
अपने कमरे से बाहर आती है। दरवाजे पर अंदर से ताला (डोर लॉक) लगा है। नूतन अपने
नौकर खेमपाल को पहले आवाज देती है। वो नहीं आता तो उसका िोन लगाती है। इतने में
मेड कहती है फक मैडम आप डुप्लीक
े ट चाबी बॉलकनी से बाहर ि
ें क
े ताला मैं बाहर से खोल
दूंगी । मेड द्वारा चाबी लगाने से पहले ही दरवाजा धक्क
े से अपने आप खुल जाता है, तभी
नूतन एक कमरे से धचल्लाती हुई बाहर ननकलती है और मेड हाथ खींच कर अपनी बेटी श्रुनत
(आयशा परवीन) क
े कमरे तक ले जाती है। बेड पर श्रुनत की लाश पड़ी है। नूतन रोते -
धचल्लाते मेड से कहती है, 'देख खेमपाल क्या करक
े भाग गया '। इसक
े बाद इस क
े स में पुललस
की एंरी होती है जो की इस क
े स को अपने लापरवाही क
े चलते सॉल्व नहीं कर पाती और फिर
यह क
े स सीबीआई को सौंप र्दया जाता है और सीबीआई भी अपना ररपोटि पेश करती है लेफकन
मामला तब भी नहीं सुलझता जजसक
े कारा इस फिल्म में सस्पेंस बढ़ जाता है।
फिल्म की कहानी
10.
 तलवार में अलभनय क
े मामले में कही चूक नहीं रही। इरफ़ान खान, कोंकाा सेन शमाि, तब्बू
हर फकसी ने बेहतरीन अलभनय फकया है। और अलभनय ही फफ़ल्म की यूएसपी है। एक प्रपता क
े
फकरदार में नीरज कबी और मां का रोल कर रही कोंकाा ने कािी मालमिक अलभनय फकया है।
वही एक स्पेशल रोल में तब्बू ने साबबत कर र्दया फक उन्हें एक बेहतरीन एक्रेस क्यों कहा
जाता है। जांच कायि में जुटे इरिान खान की एजक्टंग लाजवाब है। फिल्म में एक्टसि की
खालसयत ही इसे कम गंभीर और ज्यादा र्दलचस्प बनाती है। इस फिल्म में वैसे तो कोई भी
ललप लसंक वाला गीत नहीं है। लेफकन जब भी बैक ग्राउंड में आलाप आते हैं, तो आप कहानी से
बंध जाते हैं।रेखा भारद्वाज का गाया गीत भी हृदय भावुक कर जाता है। गुलजार साहब की
ललखावट ने फिल्म क
े संगीत में कािी अहम रोल ननभाया है।
अलभनय और संगीत
क्यों देखें यह फिल्म
 तलवार फफ़ल्म हमारे समाज क
े ललए एक बेहतरीन फफ़ल्म है। ये हमारी ढीली कानून अवस्था
पर एक थप्पड़ है। यह फफ़ल्म हर फकसी को देखनी चार्हए। पुललस फकस तरह संवेदनहीन और
लापरवाह होकर जांच करती है। अधधकारी अपनी क
ु सी बचाने क
े ललए क
ै से अपने मन से
मनगढ़ंत झूठे क
े स बना लेते हैं, यह इस फिल्म में बखूबी दशािया गया है। ये फिल्म पुललस
और जांच एजेंलसयों क
े काम करने क
े ढंग पर से पदाि उठाती है। यह फिल्म उन संजीदा दशिकों
क
े ललए है, जजनकी र्दलचस्पी यह जानने में है फक आखखर हमारी पुललस तथा जांच एजेंलसयां
क
ै से काम करती हैं।
11.
 फिल्म की मात्र एक कमजोर कड़ी तब देखने को लमलती है, जब एक जांच से दूसरे जांच क
े
बीच का जस्वच होता है। तीसरे लेवल की जांच कमजोर सी लगती है। इरिान खान की जांच
प्रफिया क
े बाद अतुल क
ु मार का रैक हल्का प्रतीत पड़ता है।
कमजोर कड़ी
बॉक्स ऑफिस
 यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर एक मध्यम सिलता वाली फिल्म रही । इस फफ़ल्म ने ₹ 302
लमललयन (US$4.0 लमललयन) की कमाई की। इस फिल्म क
े ललए भारद्वाज को 63वें
राष्रीय फिल्म पुरस्कारों में 'तलवार' क
े ललए सविश्रेष्ठ रूपांतररत पटकथा का पुरस्कार लमला
और प्रसाद को 61वें फिल्मि
े यर पुरस्कारों में सविश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार लमला ।
रेफरेन्सेस
1. नोट्स.
2. अध्यापक.
3. अखबार.
4. इंटरनेट.
SAVE EARTH SAFE LIFE
The End......
''SAVE GREEN TREES''...
12.

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Assignment :- Write A film Review

  • 1. UNIVERSITY OF ALLAHABAD (A CENTRAL UNIVERSITY) CENTER OF MEDIA STUDIES INSTITUTE OF PROFESSIONAL STUDIES 1.
  • 2. INTRODUCTION Assignment :- Write A film Review Under the guidance of Mr. Vidyasagar Mishra Name :- Achutanand Jaiswal Course :- B.A.M.S. :- 6th Semester Sub :- Film studies Roll no. :- 03 Faculty :- Mr. Vidyasagar Mishra Date :- 22 July 2022 Examinor Sign :- 2.
  • 3. CONTENTS Sr. No. Title Page No. 1. एक्नॉलेजमेंट 4. 2. सर्टिफिक े ट 5. 3. प्रस्तावना 6. 4. फिल्म समीक्षा : तलवार 7. 5. रेिरेंसेस 11. Place :- Prayagraj 22 July 2022 Achutanand Jaiswal B.A.M.S. IVth (Semester) University Of Allahabad 3.
  • 4. ACKNOWLEDGEMENTS This Assignment work has been made possible through the direct and indirect co-operation of various people for whom I wish to express my gratitude. In the beginning, I would like to express my sincere gratitude to Dr. Dhananjay Chopra, Dean Center Of Media Studies, Institute Of Professional Studies, University Of Allahabad, Prayagraj, Uttar Pradesh, India and Subject Faculty of ‘Film Stuies’ Mr. Vidya Sagar Mishra for his immense support and vital encouragement. I express heartfelt thanks to the most respected Mr. Vidya Sagar Mishra for his excellent guidance, valuable advices, critical comments and inspiration throughout the Assignment. Of great importance, I would also like to give my special thanks to my classmates, friends and my family for cooperating and helping me in the completion of this Assignment. Place :- Prayagraj 22 July 2022 Achutanand Jaiswal B.A.M.S. IVth (Semester) University Of Allahabad 4.
  • 5. 5. CERTIFICATE This is certified that Mr................................................................ student of B.A. in media studies semester VI at centre of media studies, Institute of Professional Studies, University of Allahabad, completed his assignment on the topic 'Write a film review' under the guidance of 'Mr. Vidyasagar Mishra' Faculty of 'Film studies' at centre of media studies, Institute of Professional Studies, University of Allahabad, During this year 2022. This report is a result of her efforts and endeavors. The report is found worthy of acceptance as the final project report for Film studies Assignment. Place :- Prayagraj July 2022 Examinor Sign. ....
  • 6. 6. प्रस्तावना  फिल्म समीक्षा एक प्रकार का फिएर्टव लेखन है, जजसमें समीक्षक क े संस्कार, पररवेश, ज्ञान और जानकारी का पता चलता है। र्हंदी में ब्लॉग की लोकप्रप्रयता क े बाद फिल्मों पर बहुत अच्छा ललखा जा रहा है।  एक फिल्म फिर चाहे उसमे फकतना भी ख़राब काम फकया गया हो या फिर वह कला का एक शानदार नमूना हो ; यर्द लोग इसे देख रहे हैं, तो यह ररव्यु क े लायक है। एक अच्छी फिल्म ररव्यु वो है जो मनोरंजन करे, समझाए और जानकारी दे, साजजश से दूर असली और ननष्पक्ष प्रवचार दे। एक महान फिल्म ररव्यु अपने आप में कला का काम हो सकता है।  आप जब फकसी फिल्म क े बारे में अपने कोई भी प्रवचार रखते हैं तो आप उस फिल्म की समीक्षा ही कर रहे होते हैं। मगर अच्छे और प्रोि े शनल समीक्षक बनने क े ललए फिल्मी कला क े सभी आयामों की समझ होना आवश्यक है। इसक े ललए अच्छे ननमािताओं और ननदेशकों की फिल्म देखखए और अलभनय, क ै मरा, ननदेशन, कहानी, जस्िप्ट और संपादन आर्द सभी प्रवधाओं पर ध्यान दीजजए। फिल्म की हर प्रवधा में आपको क ु छ कला लमलेगी । बस उस सब क े बारे में ललखना ही फिल्म की समीक्षा करना कहा जा सकता है।
  • 7. 7. फिल्म समीक्षा ‘तलवार’ कानून अव्यवस्था पर आघात करती है 'तलवार'  फिल्म का नाम :- तलवार  डायरेक्टर :- मेघना गुलजार  स्टार कास्ट :- इरिान खान, कोंकाा सेन शमाि, नीरज कबी, तब्बू, सोहम शाह, गजराज राव और अतुल क ु मार इत्यार्द।  अवधध :- 132 लमनट।  सर्टिफिक े ट :- U/A  मूवी टाइप :- सस्पेंस  रेर्टंग :- 4.5/5 स्टार
  • 8. 8. ननदेशन  मेघना गुलजार फिल्म इंडस्री की जानी - मानी फिल्म ननदेशकों में से एक हैं। इन्होंने ड्रामा, सस्पेंस जैसे कई प्रवधाओं की यूननक फिल्मों को ननदेलशत फकया है। ये मशहूर गीतकार गुलजार और अलभनेत्री राखी की बेटी हैं। मेघना ने 'फिलहाल', 'जस्टमैररड' और 'दस कहाननयां' जैसी मशहूर फिल्में ननदेलशत की हैं। मेघना की फिल्म 'तलवार' मशहूर आरुप्रि मडिर क े स जांच क े मद्देनजर बनाई गई है और यह एक वास्तप्रवक घटना पर आधाररत फिल्म है। आइए जानते है फिल्म 'तलवार' की समीक्षा। स्क्रिप्ट  फिल्म की कहानी प्रवशाल भारद्वाज ने ललखी है। जस्िप्ट लेवल पर जस्िप्ट राइटर ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। उन्होंने अपनी पुरजोर कोलशश करते हुए जस्िप्ट में आरुप्रि हत्या कांड से जुड़े हुए प्रमुख बबंदुओं पर गहनता से प्रकाश डाला है। प्रपता-बेटी, मां-बेटी, माता-प्रपता, माता- प्रपता-बेटी और नौकर, इन सभी क े फिल्मांकन को देखकर लगता है की इस फिल्म की ललखावट क े पीछे कािी ररसचि हुई है। कहानी में 3 अलग-अलग ि ै सलों पर भी प्रवशेि र्टप्पाी की गई है। आखखरी क े 12 लमनट और र्दलचस्प हो जाते है क्योंफक संवाद क ु छ इस तरह से रचे गए है जो ऐसे सस्पेंस फिल्म में कभी-कभी आपको हंसने पर भी प्रववश करते हैं।
  • 9. 9.  फिल्म की कहानी 2008 में र्दल्ली से सटे नोएडा में हुए आरुप्रि मडिर क े स की जांच पर आधाररत है। जजसमें रमेश टंडन (नीरज कबी ), नूतन टंडन (कोंकाा सेन) अपनी बेटी श्रुनत टंडन क े साथ रहते हैं। श्रुनत का मडिर घर क े नौकर खेमपाल क े साथ एक ही रात होता है जजसकी जांच पहले पुललस और बाद में सीबीआई ऑफिसर अजश्वन क ु मार (इरिान खान) करते है और तीन तरह की जांच ररपोटि पेश की जाती है। कहानी शुरु होती है उस सुबह से जब डॉ. रमेश टंडन (नीरज कबी) क े घर साि - सिाई करने वाली एक मेड उनक े घर पहुंचती है। घंटी की आवाज सुन कर रमेश की पत्नी नूतन टंडन (कोंकाा सेन शमाि ) दरवाजा खोलने क े अपने कमरे से बाहर आती है। दरवाजे पर अंदर से ताला (डोर लॉक) लगा है। नूतन अपने नौकर खेमपाल को पहले आवाज देती है। वो नहीं आता तो उसका िोन लगाती है। इतने में मेड कहती है फक मैडम आप डुप्लीक े ट चाबी बॉलकनी से बाहर ि ें क े ताला मैं बाहर से खोल दूंगी । मेड द्वारा चाबी लगाने से पहले ही दरवाजा धक्क े से अपने आप खुल जाता है, तभी नूतन एक कमरे से धचल्लाती हुई बाहर ननकलती है और मेड हाथ खींच कर अपनी बेटी श्रुनत (आयशा परवीन) क े कमरे तक ले जाती है। बेड पर श्रुनत की लाश पड़ी है। नूतन रोते - धचल्लाते मेड से कहती है, 'देख खेमपाल क्या करक े भाग गया '। इसक े बाद इस क े स में पुललस की एंरी होती है जो की इस क े स को अपने लापरवाही क े चलते सॉल्व नहीं कर पाती और फिर यह क े स सीबीआई को सौंप र्दया जाता है और सीबीआई भी अपना ररपोटि पेश करती है लेफकन मामला तब भी नहीं सुलझता जजसक े कारा इस फिल्म में सस्पेंस बढ़ जाता है। फिल्म की कहानी
  • 10. 10.  तलवार में अलभनय क े मामले में कही चूक नहीं रही। इरफ़ान खान, कोंकाा सेन शमाि, तब्बू हर फकसी ने बेहतरीन अलभनय फकया है। और अलभनय ही फफ़ल्म की यूएसपी है। एक प्रपता क े फकरदार में नीरज कबी और मां का रोल कर रही कोंकाा ने कािी मालमिक अलभनय फकया है। वही एक स्पेशल रोल में तब्बू ने साबबत कर र्दया फक उन्हें एक बेहतरीन एक्रेस क्यों कहा जाता है। जांच कायि में जुटे इरिान खान की एजक्टंग लाजवाब है। फिल्म में एक्टसि की खालसयत ही इसे कम गंभीर और ज्यादा र्दलचस्प बनाती है। इस फिल्म में वैसे तो कोई भी ललप लसंक वाला गीत नहीं है। लेफकन जब भी बैक ग्राउंड में आलाप आते हैं, तो आप कहानी से बंध जाते हैं।रेखा भारद्वाज का गाया गीत भी हृदय भावुक कर जाता है। गुलजार साहब की ललखावट ने फिल्म क े संगीत में कािी अहम रोल ननभाया है। अलभनय और संगीत क्यों देखें यह फिल्म  तलवार फफ़ल्म हमारे समाज क े ललए एक बेहतरीन फफ़ल्म है। ये हमारी ढीली कानून अवस्था पर एक थप्पड़ है। यह फफ़ल्म हर फकसी को देखनी चार्हए। पुललस फकस तरह संवेदनहीन और लापरवाह होकर जांच करती है। अधधकारी अपनी क ु सी बचाने क े ललए क ै से अपने मन से मनगढ़ंत झूठे क े स बना लेते हैं, यह इस फिल्म में बखूबी दशािया गया है। ये फिल्म पुललस और जांच एजेंलसयों क े काम करने क े ढंग पर से पदाि उठाती है। यह फिल्म उन संजीदा दशिकों क े ललए है, जजनकी र्दलचस्पी यह जानने में है फक आखखर हमारी पुललस तथा जांच एजेंलसयां क ै से काम करती हैं।
  • 11. 11.  फिल्म की मात्र एक कमजोर कड़ी तब देखने को लमलती है, जब एक जांच से दूसरे जांच क े बीच का जस्वच होता है। तीसरे लेवल की जांच कमजोर सी लगती है। इरिान खान की जांच प्रफिया क े बाद अतुल क ु मार का रैक हल्का प्रतीत पड़ता है। कमजोर कड़ी बॉक्स ऑफिस  यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर एक मध्यम सिलता वाली फिल्म रही । इस फफ़ल्म ने ₹ 302 लमललयन (US$4.0 लमललयन) की कमाई की। इस फिल्म क े ललए भारद्वाज को 63वें राष्रीय फिल्म पुरस्कारों में 'तलवार' क े ललए सविश्रेष्ठ रूपांतररत पटकथा का पुरस्कार लमला और प्रसाद को 61वें फिल्मि े यर पुरस्कारों में सविश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार लमला । रेफरेन्सेस 1. नोट्स. 2. अध्यापक. 3. अखबार. 4. इंटरनेट.
  • 12. SAVE EARTH SAFE LIFE The End...... ''SAVE GREEN TREES''... 12.