1. Chapter 5 - सूर्यक ांत त्रिप ठी 'निर ल ' (उत्स ह)
Question 1:
कवि ब दल से फु ह र, ररमझिम र् बरसिे के स्थ ि पर 'गरजिे' के
ललए कहत है, क्र्ों?
कवि ने बादल से फु हार, ररमझिम या बरसने के ललए नह ीं कहता
बल्कक 'गरजने' के ललए कहा है; क्योंकक'गरजना' विद्रोह का प्रतीक
है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से कविता में नूतन विद्रोह
का आह्िान ककया है।
Question 2:
कवित क शीर्यक उत्स ह क्र्ों रख गर् है?
यह एक आह्िान गीत है। कवि क्ाींतत लाने के ललए लोगों को
उत्साहहत करना चाहते हैं। बादल का गरजना लोगों के मन में
उत्साह भर देता है। इसललए कविता का शीर्षक उत्स ह रखा गया है।
Question 3:
कवित में ब दल ककि-ककि अथों की ओर सांके त करत है?
'उत्साह' कविता में बादल तनम्नललझखत अर्थों की ओर सींके त करता
है -
(1) बादल पीड़ित-प्यासे जन की आकााँक्षा को पूरा करने िाला है।
(2) बादल नई ककपना और नए अींकु र के ललए विध्िींस, विप्लि
औऱ क्ाींतत चेतना को सींभि करने िाला है।
2. (3) बादल कविता में नया जीिन लाने में सकक्य है।
Question 4:
शब्दों क ऐस प्रर्ोग जजससे कवित के ककसी ख स भ ि र् दृश्र् में
ध्िन्र् त्मक प्रभ ि पैद हो,ि द-सौंदर्य
कहल त है। उत्स ह कवित में ऐसे कौि-से शब्द हैं जजिमें ि द-
सौंदर्य मौजूद है, छ ाँटकरललखें।
(1) "घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
(2) "विद्युत-छवि उर में"
कविता की इन दोनों पींल्क्तयों में ह नाद-सौंदयष मौजूद है।
Chapter 5 - सूर्यक ांत त्रिप ठी 'निर ल ' (रचि और अलभव्र्जक्त)
Question 5:
जैसे ब दल उमड़-
घुमड़कर ब ररश करते हैं िैसे ही कवि के अांतमयि में भी भ िों के ब द
ल उमड़-घुमड़कर
कवित के रूप में अलभव्र्क्त होते हैं। ऐसे ही ककसी प्र कृ नतक सौंदर्य
को देखकर अपिे उमड़ते भ िों को कवित में उत ररए।
इस प्रश्न का उत्तर छात्र स्ियीं दें।
Question 6:
होली के आसप स प्रकृ नत में जो पररितयि ददख ई देते हैं, उन्हें
ललझखए।
3. होल के समय चारों तरफ़ का िातािरण रींगों से भर जाता है। चारों
तरफ़ रींग ह रींग बबखरे होते हैं। प्रकृ तत भी उस समय रींगों से िींचचत
नह ीं रह पाती है। प्रकृ तत के हरे भरे िृक्ष तर्था रींग-बबरींगे फू ल होल के
महत्ि को और अचधक बढा देते हैं।