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NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE
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i
शोध , साहित्य और संस्कृ ति की माससक वैब पत्रिका
नयी गंज-------.
वर्ष 2023
अंक 2
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ii
संपादक मंडल
प्रमुख संरक्षक
प्रो. देव माथुर
vishvavishvaaynamah.webs1008@gmail.com
मुख्य संपादक
रीमा मािेश्वरी
shuddhi108.webs@gmail.com
संपादक
सशवा ‘स्वयं’
sarvavidhyamagazines@gmail.com
शाखा प्रमुख
ब्रजेश कु मार
aryabrijeshsahu24@gmail.com
वरिष्ठ पिामर्श दाता तथा पब्लिक ऑफिसि
सीमा धमेजा
डायिेक्टि
प्रज्ञा इंस्टीट्यूट जयपुि
Praggyainstitutejpr@gmail.com
9351177710
परामशषदािा
कमल जयंथ
jayanth1kamalnaath@gmail.com
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iii
सम्पादकीय
जीवन की प्रैक्टिकल टलास
सशवा स्वयं
जीवन की प्रैक्टिकल टलास में जों िम सीखिे िैं वो वास्िववक ज्ञान दे देिा िै |
ककिाबों में िम देश प्रेम पढ़िे िैं, कई बड़ी बड़ी बािें तनबंध में सलखिे िैं और
घरों में एका निीं िोिी |
एक घर क़ो एक करने में सफल निीं िों पािे िैं िो देश प्रेम क
ै से यथाथष िोगा
?
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iv
ये िै जीवन की प्रैक्टिकल टलास और िमारा आईना...
कि देने से सलख देने से भारिीय िम देश क
े प्रति ऋण निीं चुका सकिे |
िर एक क़ो.. एक एक क़ो जोड़ क
े देश बनिा िै| एक एक क़ो जोड़ना िी पड़ेगा,
जुड़ना िी पड़ेगा |’
स्कल, कॉलेज, यतनवससषिी कफर नौकरी जिााँ भी अब िक जीवन क्जए आपने
देखा कक बिुि दुभाषवनाएं िैं, दसरे क़ो पछाड़ कर आगे आ जाने की दौड़ िै |
ईर्षयाष िै, बैर िै, और बािर से िम कििे िैं िम भाई भाई िैं |
क
ै से िोगा ? क
े वल कि देने से क
ै से िोगा ?
स्िेिस पर बड़ी बािें सलख देने से अगर ववचार बड़े िों जािे िो आज शायद िम
भारि का एक नया िी रूप देख रिें िोिे क्जसमें ववशाल ह्रदय िोिे | वसुधैव
क
ु िुंबकम बन जािा | लेककन सत्य ये िै कक ककिने िी 15 अगस्ि मना सलए
िमने और ककिनी िी बार 26 जनवरी |
ह्रदय वसुधा क़ो घर निीं मन सका | घर क़ो घर बनाना िी जीवन भर लगा
कर भी मुक्श्कल िों गया |
जों िमसे अलग सोचिा िै उसे अस्वीकार करना िो बिुि आसान िै स्वीकार
करना िी िो कहिन िै |
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v
िम आसानी क़ो चुन लेिे िैं और िम में से िर एक क
े एक एक करक
े ििने से
भाई भाई निीं िििे बक्कक देश िििा िै |
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vi
शुभेच्छा
नयी गूंज------. पररवार
परामशषदािा-
प्रश्न िै कक संस्कृ ति टया िै। यं संस्कृ ति शब्द सम्+कृ ति से बना िै, क्जसका अथष िै अच्छी कृ ति। अथाषि्
संस्कृ ति वस्िुिः रार्षरीय अक्स्मिा क
े पररचायक उदात्त ित्वों का नाम िै।
भारिीय सन्दभष में संस्कृ ति व्यक्टितनर्षि न िोकर समक्र्षितनर्षि िोिी िै। संस्कृ ति की संरचना एक हदन
में न िोकर शिाक्ब्दयों की साधना का सुपररणाम िोिा िै। अिः संस्कृ ति सामाससक-सामाक्जक तनधध
िोिी िै। संस्कृ ति वैचाररक, मानससक व भावनात्मक उपलक्ब्धयों का समुच्चय िोिी िै। इसमें धमष,
दशषन, कला, संगीि आहद का समावेश िोिा िै। इसी की अपररिायषिा की ओर संक
े ि करिे िुए भिृषिरर ने
सलखा िै कक इसक
े त्रबना मनुर्षय घास न खाने वाला पशु िी िोिा िै-
‘‘साहित्यसंगीिकला-वविीनः
साक्षाि्पशुः पुच्छववर्ाणिीनः।।
मुख्य संपादक
उपतनर्द् क
े शब्दों में किें िो संस्कृ ति में जीवन क
े दो आयाम श्रेय व प्रेय का सामंजस्य िोिा िै। इन्िीं
आधार पर आध्याक्त्मक, वैचाररक व मानससक ववकास िोिा िै और इन्िीं क
े आधार पर जीवन-मकयों व
संस्कारों का तनधाषरण िोिा िै और यिी जीवन क
े समग्र उत्थान क
े सचक िोिे िैं। सशक्षा-िंि में इन्िीं
सांस्कृ तिक मकयों का सशक्षण-प्रसशक्षण िोिा िै। विषमान में सशक्षा-व्यवस्था संस्कृ ति की अपेक्षा सम्यिा-
तनर्षि अधधक िै। िात्पयष िै कक विषमान सशक्षा ववचार-प्रधान, धचन्िन-प्रधान व मकयप्रधान की अपेक्षा
ज्ञानाजषन-प्रधान िै। वस्िुिः इसी का पररणाम िै कक सम्प्रति सशक्षा क
े द्वारा बौद्धधक स्िर में िो
असभवृद्धध िुई िै ककन्िु संवेदनात्मक या भावनात्मक स्िर घिा िै।
संपादक –
िमारी सशक्षा में सांस्कृ तिक मकयों क
े स्थान पर पक्श्चमी सभ्यिा-मलक ित्वों को उपादान क
े रूप में
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vii
ग्रिण कर सलया गया िै। िभी िो सशक्षा व समृद्धध क
े पाश्चात्य मानदण्डों को आधार मान सलया िै जो
संस्कृ ति-ववरोधी िैं, क्जनमें नैतिक व मानवीय मकयों का ववशेर् स्थान निीं िै। इसी का पररणाम िै कक
बुद्धधमान व गरीब नैतिक व्यक्टि सामाक्जक दृक्र्षि से भी िांससये पर िी रििा िै और नैतिकिा-वविीन,
संवेदनिीन, भ्रर्षिाचारी व अपराधी भी सम्पन्न, सभ्य, सम्मान्य व प्रतिक्र्षिि िोिा िै। इसी संस्कृ ति-
वविीन व्यवस्था क
े कारण शोर्ण-प्रधान पंजीवादी व्यवस्था िी ग्राह्य िो गई िै, क्जसने रिन-सिन क
े
स्िर को िो उिाया िै, पर इस भोगवादी बाजारवादी व्यवस्था क
े कारण अथषशास्ि व िकनीककववज्ञान क
े
सामने नैतिकिा व मानवीयिा गौण िो गई िै। जबकक राधाकृ र्षणन व कोिारी आयोग की मान्यिा थी कक
सशक्षा ऐसी िोनी चाहिये जो सामाक्जक, आधथषक व सांस्कृ तिक पररविषन का प्रभावी माध्यम बन सक
े ।
इस दृक्र्षि से भारिीय प्रकृ ति और संस्कृ ति क
े अनुरूप सशक्षा से िी मकयपरक उदात्त-गुणों का संप्रेर्ण और
समग्र व्यक्टित्व का तनमाषण सम्भव िै। इसमें पुराने व नये का त्रबना ववचार ककये जो देश की अक्स्मिा व
समाज क
े हििकर िै, उसी को प्रमुखिा देनी चाहिए।
शाखा प्रमुख की कलम से--
वप्रय पािकों
संस्थान की पत्रिका नयी गंज क
े पिले अंक का लोकापषण एक आंिररक सुख की अनुभति करा रिा िै।
मुझे प्रसन्निा िै कक शाखा प्रमुख क
े रूप में कायषभार संभालने क
े बाद मुझे आप सभी से नयी गंज क
े
इस अंक क
े माध्यम से रूबरू िोने का मौका समल रिा िै।
िम ककिना भी ववकास कर लें ककन्िु यहद समाज में संवेदना िी मर गई िो सब व्यथष िै। इस
संवेदनिीनिा क
े चलिे समाज में नकारात्मक ऊजाष हदन प्रति-हदन बढ़िी जा रिी िै जो तनन्दनीय भी िै
और ववचारणीय भी। आवश्यकिा िै कक िम अववलम्ब इस हदशा में अपने प्रयास आरम्भ कर दें।
वस्िुिः अपने कमों से िम अपने भाग्य को बनािे और त्रबगाड़िे िैं। यहद गंभीरिा से धचंिन-मनन ककया
जाय िो िमारा कायष-व्यापार िमारे व्यक्टित्व क
े अनुसार िी आकार ग्रिण करिा िै और िमें अपने कमष
क
े आधार पर िी उसका फल प्राप्ि िोिा िै। कमष ससफष शरीर की कियाओं से िी संपन्न निीं िोिा अवपिु
मनुर्षय क
े ववचारों से एवं भावनाओं से भी कमष संपन्न िोिा िै। वस्िुिः जीवन-भरण क
े सलए िी ककया
गया कमष िी कमष निीं िै िम जो आचार-व्यविार अपने मािा-वपिा बंधु समि और ररश्िेदार क
े साथ करिे
िैं वि भी कमष की श्रेणी में आिा िै। मसलन िम अपने वािावरण सामाक्जक व्यवस्था, पाररवाररक
समीकरणों आहद क
े प्रति क्जिना िी संवेदनशील िोंगे िमारा व्यक्टित्व उिनी िी उच्चकोहि की श्रेणी में
आयेगा।
आज क
े जहिल और अति संचारी जीवन-वृवत्त क
े सफल संचालन िेिु सभी का व्यक्टित्त्व उच्च आदशों
पर आधाररि िो ऐसी मेरी असभलार्ा िै।
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viii
यि ज़रूरी निीं िै कक िर कोई िर ककसी कायष मे पररपणष िो, परन्िु अपना दातयत्व अपनी परी कोसशश से
तनभाना भी देश की सेवा करने क
े समान िी िै। संपणष किषव्यतनर्षिा से ककया िुआ कायष आपको अवश्य िी
कायष-समाक्प्ि की संिुक्र्षि देगा। कोई भी ककया गया कायष िमारी छाप उस पर अवश्य छोड़ देिा िै अिएव
सदैव अपनी श्रेर्षििम प्रतिभा से कायष संपन्न करें। िर छोिी चयाष को और छोिे-से-छोिे से कायष क
े िर अंग
का आनंद लेकर बढ़िे रिना िी एक अच्छे व्यक्टित्व का उदािरण िै।
यि सवषववहदि िथ्य िै कक नयी गंज एक उच्च स्िरीय पत्रिका िै क्जसमें ववसभन्न ववधाओं में
उच्चस्िरीय लेखों का अनिा संग्रि िै
आप सभी पत्रिका का आनन्द लें एवं अपनी प्रतिकियायें ऑनलाइन या ऑफलाइन भेजें।
नयी गंज क
े माध्यम से िमारा आपका संवाद गतिशील रिेगा। आप सभी अपनी सुन्दर व श्रेर्षि रचनाओं
से नयी गंज को तनरन्िर समृद्ध करिे रिेंगे इसी ववश्वास क
े साथ।
अंि में मैं सभी सम्पादक मण्डल क
े सदस्यों एवं रचनाकारों को नयी गंज पत्रिका क
े सफल सम्पादन
एवं प्रकाशन क
े सलए साधुवाद ज्ञावपि करिा िं करिा िाँ।
आप सभी को िाहदषक बधाई क
े साथ बिुि-बिुि धन्यवाद!!
कासलदास ने काव्य क
े माध्यम से किा िै-
पुराणसमत्येव न साधु सवं
न चावप काव्यं नवसमत्यवद्यम्।
सन्िः परीक्ष्यान्यिरद् भजन्िे
मढः परप्रत्ययनेय बुद्धधः।।
अथाषि्पुरानी िी सभी चीजें श्रेर्षि निीं िोिी और न नया सब तनन्दनीय िोिा िै। इससलए बुद्धधमान
व्यक्टि परीक्षा करक
े जो हििकर िोिा िै उसी को ग्रिण करिे िैं जबकक मखष दसरों का िी अन्धानुकरण
करिे िैं।
अस्िु, तनववषवाद रूप से यि सभी स्वीकार करिे िैं कक रार्षर की रक्षा, का सकारात्मक पक्ष िोिा िै।
प्रकाशन सामग्री भेजने का पिा
ई-मेलःgoonjnayi@gmail.com
नयी गंज इंिरनेि पर उपलब्ध िै। www.nayigoonj.com पर क्टलक करें।
नयी गंज में प्रकासशि लेखाहद पर प्रकाशक का कॉपीराइि िै
शुकक दर 40/-
वावर्षक: 400/-
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ix
िैवावर्षक: उपयुषटि शुकक-दर का अधग्रम भुगिान 1200/-
को -----------------------------------------द्वारा ककया जाना श्रेयस्कर िै।
तनयम तनदेश
1 रचनाएं यथासंभव िाइप की िुई िों, रचनाकार का परा नाम, पद एवं संपकष वववरण का उकलेख
अपेक्षक्षि िै।
2 लेखों में शासमल छाया-धचि िथा आाँकड़ों से संबंधधि आरेख स्पर्षि िोने चाहिए। प्रयुटि भार्ा
सरल, स्पर्षि एवं सुवाच्य हिंदी भार्ा िो।
3 अनुहदि लेखों की प्रामाणणकिा अवश्य सुतनक्श्चि करें। अनुवाद में सिायिा िेिु संस्थान संपादक
मंडल प्रकोर्षि से संपकष कर सकिे िैं।
4 प्रकासशि रचनाओं में तनहिि ववचारों क
े सलए संपादक मंडल प्रकोर्षि उत्तरदायी निीं िोगा और
इसक
े सलए परी की परी क्जम्मेदारी स्वयं लेखक की िी िोगी।
नई गाँज तनयमावली
रचनाएूं goonjnayi@gmail. Com ई-मेल पते पर भेजी जा सकती हैं। रचनाएूं भेजने क
े ललए
नई गूँज क
े साथ लॉग-इन करें, यह वाूंछित है।आप हमारे whatsapp no. 9785837924
पर भी अपनी रचनाएूँ भेज सकते हैँ
वप्रय साधथयों,
नई गाँज िेिु आपक
े सियोग क
े सलए आपका िाहदषक धन्यवाद। आशा िै कक ये
संबंध आगे भी प्रगति क
े पथ पर अग्रसर रिेंगे। आगामी अंक िेिु आप सबक
े
सकिय सियोग की पुनः आकांक्षा िै। आप सभी से एक मित्वपणष अनुरोध िै कक
आप अपने शोध प्रपि तनम्न प्रारूप क
े ििि िी प्रस्िुि करें क्जससे कक िमें
िकनीकी जहिलिाओं का सामना न करना पड़े -
1.प्रकाशन िेिु आपकी रचना क
े मौसलक िोने का स्वतः सत्यापन रचना प्रेवर्ि करिे
समय "मौसलकिा प्रमाण पि" पर िस्िाक्षर करना अतनवायष िै। इसक
े त्रबना
रचना पर ववचार करना संभव निीं िोगा
2. रचना किीं पर भी पवष में प्रकासशि निीं िोनी चाहिए !
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x
3. आपकी रचनाएूँ एम.एस. ऑकफस में टाइप होना चाहहए
4. फोंि - कृ छतदेव 10, मूंगल यछनकोड
5. रचनाओूं क
े साथ अपना पर्ण पता, मोबाइल नूंबर, ईमेल तथा पासपोटण साइज की
फोटो लगाना अपेक्षित है !
6. आप लेख, कववता, कहानी, ककसी भी ववधा में रचनाएूँ भेज सकते हैँ !
नई गाँज रचनाओं क
े प्रेर्ण सम्बंधधि तनयम व शिे :
एक से अधधक रचनायें एक ही वडण-डॉक्यमेंट में भेजें।
रचनायें अपने पूंजीकृ त पेज पर हदए गए ललूंक इस्तेमाल कर प्रेवित करें।
यहद आप हहूंदी में टाइप करना नहीूं जानते हैं, आप गगल द्वारा उपलब्ध
करवायी गयी ललप्यान्तरर् सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसक
े ललए Google
इनपुट उपकरर् ललूंक पर जाएूँ।
स-आभार
संपादक मंडल
Note:- प्रत्येक रचना लेखक की स्वयं मौसलक िथा सलणखि िै! इसमें लेखक क
े स्वयं
क
े ववचार िैं िथा कोई िुहि िोने पर लेखक स्वयं क्जम्मेदार िोगा!
फ़रवरी 2023 -अनुक्रमाणिका
क्रम
संख्या
णववरणिका लेखक पृष्ठ संख्या
लेख –
1 युग बोध वाले हो नये णववेकानंद डॉ घनश्याम
बादल
1-3
2 कोई समस्या-समस्या न होकर अवसर
होता है
डॉ णिवा
धमेजा
4-7
3 राम की िणि पूजा और णनराला डॉ नीलम ससंह 8-11
कणवता
4 समझो द्वार पर है बसंत णगरेंद्र
भदौररया प्राि
12-13
5 जाग उठो नारी णप्रया देवांगन 14
6 अब्दुल गफ्फार खान
िाही सवारी
समीर
उपाध्याय
15-17
कहानी
7 गुजरता वक़्त बृजेि कुमार 18-19
नारी तुम अबला नहीं सबला हो
8 णिवदेवी तोमर 20-21
9 साक्षात्कार- दीणक्षत सर ( सहायक 22-25
प्रोफेसर )
णनबंध
10 ककिोर अपचाररता 26-29
11 आर. ए. एस . जी.के के प्रश्न पत्र 30-50
12 क़ानूनों का णनववचन
( सहंदी एवं अंग्रेजी के सोल्वड पेपर )
51-63
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FEB 2023
युगबोध वाले हों नए वववेकानंद
डा.घनश्याम बादल
युवा आइकॉनिक व्यक्तित्वों कक जब जब बाि की जािी है िब उसमें एक िाम में शाममल
होिा है स्वामी वववेकािंद का। युवा अवस्था में ही अद्भुि उपलक्धियां हामसल करिे वाले
स्वामी वववेकािंद िे अपिे समय में अध्यात्म व ववज्ञाि का समन्वयि अद्भुि ककया था ,
देश क
े बाहर जाकर अपिे िमम व संस्कारों का प्रचार ककया, मशकागो क
े सवम िमम सम्मेलि में
अपिे ओजस्वी भाषण से दुनिया भर को चमत्कृ ि ककया । ऐसे व्यक्तित्व ही युवाओं का
प्रेरणास्रोि होिे हैं जो रटी रटाई लीक पर िहीं चलिे अवपिु अपिा एक अलग रास्िा बिािे
हैं। 12 जिवरी वववेकािंद क
े जन्मददवस को पूरा देश राष्ट्रीय युवा ददवस क
े रूप में मिािा है
िब आज क
े युवाओं से भी कु छ आशा एवं अपेक्षाएं करिा है युवा चाहिा है देश।
युगबोध वाले हों नए वववेकानंद:
दुनिया का सबसे युवा देश, ववज्ञाि व िकिीकी में कमाल करिे वैज्ञाानिक, खेल की दुनिया में
बढ़िे कदम यही है आज क
े भारि की पहचाि, और इस पहचाि का पूरा - पूरा श्रेय जािा है
देश की युवा पीढ़ी को ।
जब सूयम ककम से मकर रामश में संक्रमण करेगा , िब एक साथ ववज्ञाि व ममथ िथा
संस्कृ नि का अद्भुि समन्वयि होगा , और ववश्व देखेगा कक क
ै से सूयम क
े उत्तरायण होिे से
निल निल बढ़कर ददि इििा फकम पैदा कर लेिा है कक शरद व ग्रीष्ट्मकाल में भारी अंिर
ददखिे लगिा है उसी िरह से युवा पीढ़ी को जाििा होगा कक एक -एक कदम बढ़ािे से ही
जीवि क
े सफर में मंक्जल हामसल की जा सकिी है ।
नए रास्ते की समझ जरूरी
एक िरफ बुजुगोंंं की पसंद का परंपरागि रास्िा, उिकी अपिी सोच व संस्कार हैं िो दूसरी
और बहुि ही िेजी से बढ़िा ववज्ञाि और िकिीकी व डिक्जटल युग । एक से प्रगनि में
ज्यादा गनि संभव िहीं है िो दूसरे क
े आफ्टर इफ
े त्स अभी ज्यादा पिा िहीं हैं अिः क
े वल
एक ही रास्िे पर चलिे का वति अभी िहीं आया । हर हाल में िए रास्िे की समझ पैदा
करिी पड़ेगी ।
चाहहएं गतत भी और मतत भी
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FEB 2023
आज का युग गनि का युग है और ‘स्पीड़ ववद एतयुरेसी ’ आज का ध्येय वातय है । अगर
आपको आगे बढ़िा है िो हर हाल में समय क
े साथ चलिा होगा । कायम क
े प्रनि समपमण
इसक
े मलए पहली शिम है । िई पीढ़ी इस ददशा में सजग लग रही है िभी िो निजी क्षेर में
िैिाि युवा ब्रिगेड़ दस बारह घंटे िक ब्रबिा थक
े व रुक
े काम कर रही है । पर , अगर यही
बाि सावमजनिक क्षेर में भी आ जाए िो भारि सोिे की चचडड़या में िधदील करिे में ज्याादा
देर िहीं लगाएगा ।
नैततकता सबसे जरूरी
समपमण क
े साथ लक्ष्य क
े क्न्िि होिा अनिवायम शिम है । जो भी करें वह लक्ष्य क
ें दिि हो।
तया, तयों ,क
ै से व कब करिा है यह िय करक
े ही पहला कदम उठािा समझदारी है । कफर
उस लक्ष्य क
े मलये समय सीमा िय कर छोटे छोटे कदम उठाकर उस ददशा में बढ़िे वाले
निक्श्चि सफल होंगे। । और हां ,क
े वल सफलिा ही जीवि की साथमकिा का मूलमंर िहीं है
अवपिु सफलिा पािे क
े मलए संसाििों व प्रकक्रया की पववरिा क
े साथ ,िैनिक मूल्यों को भी
ि छोड़िे वाले की सफलिा चचर स्थाई होिी है । क
े वल भौनिक समृद्चि का लक्ष्य ही हामसल
िहीं करिा अवपिु अपिे संस्कार व संस्कृ नि को भी बचािा बढािा व समृद्ि करिा होगा
िभी हम ‘तवामलटी ववद डिफरेंस’ को भी पा सकिे हैं ।
तकनीकी पर हो पकड़
िकिीकी पर पकड़ और अिुिािि यानि अल्रामांििम और एिवांस टेतिालोजी को प्रयोग
करिा ज़रुरी है । कम्पयूटर अब छोटी बाि हो गई है िैिो िकिीकी और डिक्जटलाइजेशि को
अपिाए ब्रबिा कामयाबी की बाि सोचिा महज कल्पिा मार ही होगा । अिः ब्रबिा दहचक
िई से िई िकिीकी का उपयोग करिा होगा आज की युवा पीढ़ी को, िभी ग्लोबल गांव हो
चले ववश्व में आप दटक पाएंगें ।
बुजुगों का दातयत्व
बुजुगों का भी दानयत्व है कक युवा को उसक
े मि की भी करिे दें, उसकी ऊजाम को सम्माि व
सही ददशा दें और अपिे अिुभव को उसक
े सामिे इस िरह रखें कक वह हस्िक्षेप िहीं वरि ्
एक सलाह लगे।
वववेकानंद का मतलब
आज वववेकािंद का मिलब है उिकी ही िरह की रचिात्मकिा, योग ववज्ञाि, संस्कृ नि व
संस्कारों िथा देश भक्ति को आज की युवा पीढ़ी में संचाररि करिा होिा चादहए । अब कु छ
भी कहें आिे वाले समय में पुरािी सोच काम िहीं आएगी । देश को िई ददशा देिे काम
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अगर कोई करेगा िो वें युवा ही होंगें । इसक
े मलए उन्हें िशे को 'िा' एवं जीवि को 'हां' कहिे
का एक युग बोिक संदेश संदेश ददया जािा बहुि जरूरी है ।
सरकार एवं समाज दोिों को ममलकर ऐसी पररक्स्थनियां पैदा करिी पड़ेगी क्जससे कक हमारी
युवा पीढ़ी िशे क
े संजाल में ि फ
ं से एवं जीवि को एक आदशम क
े रूप में जीिे की ओर
बढ़े।
शांि चचर होकर सोचिे की कला दीक्षक्षि करें संबंिों में पववरिा खुश स्थाि दे दहंसा एवं
चाररब्ररक पिि से दूर रहकर राष्ट्र निमामण में योगदाि दें िो आज क
े युवा में एक िहीं
लाखों वववेकािंद ममल जाएंगे।
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कोई भी समस्या , समस्या नहीं होती ,
एक अवसर होता है ।
डॉ शिवा धमेजा
अपने आप को परखने का अवसर , अपने आप को दूसरों क
े मुकाबले ज्यादा अच्छा साबबत
करने का अवसर ।
रवींद्रनाथ टैगोर का कथन है- हर बच्चा इस संदेि क
े साथ पैदा होता है कक भगवान अभी भी
मनुष्य से तनराि नहीं हुआ है ।
भगवान नहीं थकते तो तुम क
ै से थक सकते हों ?
वह इनसानों को बनाकर अभी थका नहीं है , सही है । इनसानों ने भगवान की बनाई हुई
इस सुंदर दुतनया का रूप ही बबगाड़कर रख हदया । उसे जो करना था वे चीजें तो उसने बहुत
कम कीं , लेककन उन चीजों को बहुत ककया जो उसे नहीं करनी चाहहए थी ।
जैसे हम सब व्यस्त हैँ, खुद क़ो कु छ न कु छ बनाने में कक कोई कहे तो सही कक क्या रुतबा
है, क्या सैलरी है, बहुत नाम कमाया, बड़ा घर बना शलया वगैरह – वगैरह |
ईश्वर ने क
े वल इसशलये ही भेजा हमें या कु छ और भी करना चाहहए ?
अगर आपकी बनाई हुई कृ तत अपना रूप बदल लेती है तो आप बहुत नाराज होंगे । आप
कागज पर कु छ शलखना चाह रहे हैं और वैसा नहीं बन पा रहा जैसा आप चाहते हैं , तो आप
गुस्से में कागज को ही फाड़कर फ
ें क देते हैं । चचत्रकार गुस्से में अपनी पेंहटंग पर ढेर सारा
रंग ढोल देता है , पर भगवान वैसा नहीं करता ।
हमने तो भगवान क
े हदए मनुष्य िरीर और हदमाग़ का कोई इस्तेमाल ही नहीं ककया... मानव
तक ना बन पाये लेककन भगवान
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वह इनसानों क
े तमाम गुनाहों , असफलताओं क
े बाद भी तनराि नहीं होता । उसमें उम्मीद
की सबसे लंबी ककरण है , जजसका कोई अंत नहीं । आम आदमी पचास साल की सकिय
जजंदगी जीता है और उसी में शमलने वाली असफलताओं से परेिान हो जाता है । खुद को
तनराि मान लेता है , जबकक ऐसा होना नहीं चाहहए ।
दरअसल , आप.जजसे असफलता मानते हैं
वह क
े वल पररणाम होता है । सफर तो हमेिा चलने वाला है । कोई भी पररणाम अंततम
पररणाम नहीं होता । एक पररणाम खराब हो सकता है , लेककन इसका मतलब यह तो नहीं
कक हम सफर पर ही चलना बंद कर दें । ट्रेन कैं शसल हो गई तो क्या हम गंतव्य तक पहुंचने
की इच्छा ही त्याग देते हैं ? हो सकता है एक हदन क
े शलए अपना सफर टाल दें , लेककन
कफर नई ट्रेन अपना ररजवेिन कराते हैं । एक और सीख शमलती है कक जजंदगी में कोई भी
पररणाम तनरी ट्रेजेडी नहीं होता , वह शसफफ एक सबक होता है । उससे सीखने की जरूरत
होती है ।
कोई भी समस्या , समस्या नहीं होती , एक अवसर होता है । अपने आप को परखने का
अवसर ,
अपने आप क़ो साबबत करने का अवसर । याद रखखए , जजस इनसान ने दुतनया में सबसे
ज्यादा समस्याएं झेलीं , वह इनसान सबसे ज्यादा सफल साबबत हुआ । अगर आपक
े सामने
कोई रास्ता नहीं तो आप ईश्वर क
े बारे में सोचें । आप जरूर ववजयी होंगे ।
ओिो कहते हैँ -
उसे बहुत मूल्य कभी मत दो जो आज है और कल नही होगा। जजसमें पल-पल पररवतफन है
उसका मूल्य ही क्या? पररजस्थततयों का प्रवाह तो नदी की भांतत है। उसे देखो, उस पर ध्यान
दो, जो नदी की धार में भी अडडग चट्टान की भांतत जस्थर है। वह कौन है? वह तुम्हारी
चेतना है, वह तुम्हारी आत्मा है, वह तुम वास्तववक स्वरूप में स्वयं हो! सब बदल जाता है,
बस वही अपररवततफत है। उस ध्रुव बबंदु को पकड़ो और उस पर ठहरो ।
ईश्वर ने गहराइयों तक जीवन क़ो समझ पाने क
े शलए बुद्चध प्रदान की और सागर जैसे
जीवन क़ो हमने नाले क
े पानी की तरह बहा हदया |
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जलालुदीन रूमी एक सूफी फकीर हुए। जब वो जवान थे तो खुदा से कहा मुझे इतनी ताकत
दे कक दुतनया को बदल दूूँ। खुदा ने कोई जवाब नहीं हदया। कफर समय बीता। रूमी ने कहा
खुदा इतनी ताकत दे कक मैं अपने बच्चों को बदल सकुं । कफर कोई जवाब नहीं शमला। रूमी
जब बूढा हो गया उसने कहा कक खुदा इतनी ताकत दे कक मैं खुद को बदल सकुं । तब खुदा
ने कहा कक रूमी ये बात तो जवानी में पूछता तो कभी की िांतत घट जाती । दुतनया में
सबसे ज्यादा कलेि यही है, पत्नी अपने पतत को बदलना चाहती है, पतत अपनी पत्नी को,
माूँ बाप अपने बच्चों को,, बस इसी जद्दोजहद में जीवन बीत जाता है। पर कोई अपने आप
बदलना नहीं चाहता ।
आप अगर ककसी भी बात क़ो बहुत सामान्य न लेकर गहराई से समझें तो आप समझ
जायेंगे कक आपको क्या करना है |
ईश्वर ने बताया कक हम और आप जीवन में जो कु छ भी कर पाये िायद सौ में से दस
प्रततित ही तब भी ईश्वर हमसे तनराि नहीं हुए
हम हर हार पर ऐसे थक
े कक कई बार तो कफर से संभलने में समय की लम्बी अवचध नष्ट
कर दी हमने |
श्री श्री परमहसं योगानन्द जी कहते हैँ कक
जब आप अपनी बुरी आदतों का त्याग कर देते हैं, क
े वल तभी आप सही अथों में स्वतन्त्र
व्यजक्त हैं। जब तक आप एक शसद्ध पुरुष न बन जायें, और स्वयं को उन कायों को करने
का आदेि देने क
े योग्य न हो जायें जजन्हें आपको करना चाहहये, भले ही आप उन्हें करना न
चाहते हों तब तक आप एक मुक्त आत्मा नहीं हैं। आत्म-संयम की उस िजक्त में ही िाश्वत
मुजक्त का बीज तनहहत है।
आप ईश्वर से समवपफत भाव से हमेिा ये कहहये कक "प्रभु! मेरे हाथ और पैर आपक
े शलये
कायफ कर रहे हैं। आपने मुझे इस संसार में एक ववशिष्ट भूशमका तनभाने क
े शलये दी है, और
मैं इस जगत् में जो कु छ भी कर रहा हूूँ वह क
े वल आपक
े शलये है। " स्वयं को ईश्वर क
े
प्रतत समवपफत कर दीजजये और आप देखेंगे कक आपका जीवन की हर समस्या क़ो अवसर क
े
रूप में देखने लगेंगे |
याद रखखयेगा कक हम में से हर कोई आज समस्या पर ही बात करता नज़र आता है अवसर
या समाधान की नहीं,
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ब्रह्माण्ड में एक तनयम कायफ करता रहता है आपक
े ववचार ही प्रसाररत होकर पररणाम लेकर
आते हैँ अतः जजतनी ज्यादा बात हम समस्या की करते हैँ उतनी अगर समाधान की करें तो
नजररया तो बदलेगा ही पररणाम भी बदलेगा |
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राम की शक्ति पूजा और निराला
िॉ. िीलम मसंह
युगों बाद मां भारिी की आरिी उिारिे वाले ऐसे व्यक्तित्व कला और सादहत्य क
े क्षेर में
अविररि हुआ करिे हैं कक क्जिका जीवि ही एक चचरन्िर आरिी का गीि बि जाया करिा
है। क्राक्न्िदृष्ट्टा और युग कवव निराला का एक ऐसा ही व्यक्तित्व था, क्जसक
े मलए मां
भारिी भूमम युगों िक आंसू बहािी रहेंगी।
आिुनिक दहंदी कवविा में सूयमकांि ब्ररपाठी ‘निराला’ अपिा एक ववमशष्ट्ट स्थाि रखिे हैं। वे
आिुनिक युग क
े सवामचिक मौमलक क्षमिा से संपन्ि कवव हैं। इसका प्रमाण कवव का
रचिात्मक वैववध्य स्वयं प्रस्िुि करिा है। कोई भी कवव या लेखक अपिे समय में व्यापि
मान्यिाओं, ववचारिाराओं और पररक्स्थनियों से प्रभाववि हुए ब्रबिा रचिा कमम में प्रवृत्त िहीं
हो सकिा। वह अपिे युग में व्यापि ववषमिाओं और समाििाओं को अपिी रचिा में चचब्ररि
करिा है। निरालाजी अपिे काव्य क
े माध्यम से अपिे युग की पररक्स्थनियों से समाज को
अवगि करािे में पूणम सफल रहे हैं। ‘ दहंदी सादहत्य क
े क्षेर में निराला का आगमि वविोह
स्वर की सूचिा देिा है। आरम्भ से अंि िक उिक
े काव्य में गिािुगनिकिा क
े प्रनि वविोह
है। इसका उदारहण उिका पूंजीवाद क
े प्रनि वविोह ‘कु कु रमुत्ता’ कवविा में उग्र स्वर प्रत्यक्ष
प्रकट हुआ है।
‘राम की शक्तिपूजा’ निरालाजी की कालजयी रचिा है और उिक
े समूचे कृ ित्व एवं
व्यक्तित्व का गौरव भी है। इस कवविा की रचिा सि ् 1936 ई. में हुई थी। इस कवविा का
कथािक िो प्राचीि काल उसे सवम ववख्याि रामकथा क
े एक अंश से है, ककंिु निराला जी िे
इस अंश को िये मशल्प में ढाला है और िात्कामलक िवीि सन्दभमओं से उसका मूल्यांकि
ककया है। युग की प्रवृवत्त क
े अिुसार कवव कथािक की प्रकृ नि में भी पररविमि लािा है। यदद
निराला जी ‘राम की शक्तिपूजा’ कवविा क
े कथािक की प्रकृ नि को आिुनिक पररवेश और
अपिे िवीि दृक्ष्ट्टकोण क
े अिुसार िहीं बदलिे िो यह कवविा क
े वल अिुकरण मार और
महत्वहीि होिी। प्रकृ नि में पररविमि कवव ववशेष भाव व-भूमम पर पहुंचिे क
े मलए करिा है
और इसक
े मलए कवव िये मशल्प का गठि करिा है। कथािक की प्रकृ नि क
े संबंि में बच्चि
मसंह क
े ववचार कु छ इस प्रकार हैं—‘ कथािक की अपिी स्विंर सत्ता िो होिी है ककन्िु उसकी
सुनिददमष्ट्ट प्रकृ नि िहीं मािी जा सकिी। रामचररि मािस की स्विंर सत्ता है, लेककि
वाल्मीकक रामायण में उसकी एक प्रकृ नि है। रामचररि मािस में दूसरी और साक
े ि में
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िीसरी।’ (1) इस प्रकार निराला िे कथािक िो रामचररि पर ही मलया है ककंिु उसको अपिे
पररवेश की प्रकृ नि में ढाला है। यह कथािक अपरोक्ष रूप से अपिे समय क
े ववश्व युद्ि पर
दृक्ष्ट्टपाि करािा है, जहां घिघोर निराशा में कवव सािारणजि क
े हृदय मेंआशा की लौ
ददखािे की कोमशश की है, जो राम-रावण क
े युद्ि क
े वृत्तांि से संभव थी। निराला िे राम
िाम को ही इस कवविा में प्रनिपाददि तयों ककया? जबकक यह शधद िो अपिे संबोिि से ही
अविार का संबंि स्पष्ट्ट करिा है, तयोंकक मध्यकालीि सादहत्यकारों िे इस िाम को अविार
क
े रूप में मुख्यिरू दशामया है और वह उसी रूप में बंिा हुआ है। राम िाम क
े सम्बंि में
रामदुलारे वाजपेयी का कथि है---‘उिक
े सम्मुख कोई बिे बिाए आदशम या िपे-िुले प्रनिमाि
ि थे इसमलए िो कु छ भी उन्हें उदाहरणों में अच्छा और उपयोग ददखाई ददया उसी को वे
िये सांचे में ढालिे लगे। राम और कृ ष्ट्ण अिक
े सवामचिक समीपी और पररचचि िाम थे,
अिएव इन्हीं चरररों को उन्होंिे अपिे िये सामाक्जक आदशों की अिुरूपिा देिे की ठािी।
’(2)
निराला क
े सम्मुख प्राचीि आदशम प्रनिमाि िहीं आया था, इसमलए उन्होंिे यहां राम-िाम को
ही उद्िृि ककया है, ककंिु िवीि रूप में, तयोंकक ये राम अवरिारी राम िहीं बक्ल्क संशय
युति मािव अपिे समय का सािारण मािव है जो अपिे समय की पररक्स्थनियों से
अवसादग्रस्ि भी है।–
‘ जब सभा रही निस्िधिरू राम क
े क्स्िममि ियि छोड़िे हुए शीिल प्रकाश रविे ववमि
जैसे ओजस्वी शधदों का जो था प्रभाव
उसमें ि इन्हें कु छ चाव, ि कोई दुराव’
ज्यों हो वे शधद मार, मैरी की समिुरुक्ति, पर जहां गहि ऽंांाव क
े ग्रहण की िहीं शक्ति।’
(3)
निराला क
े राम अपिी उदात्तिा क
े कारण क्जििे प्रभावी और स्वर लगिे हैं उििे ही अपिी
मािव सुलभ दुबमलिाओं क
े कारण मिोद्वंदों से नघरे हुए मामममक सहि एवं हृदयस्पशी भी
प्रिीि होिे हैं। अिेक स्थािों पर िो निराला जी िे राम क
े रूप में अपिे को ही प्रनिक्ष्ट्ठि
करिे का सफल प्रयास ककया है। यथा---
‘ नघक जीवि जो सहिी ही आया ववरोि’ यह कथि क्जििा राम क
े जीवि पर सटीक बैठिा
है, उििा ही स्वयं निराला जी क
े जीवि पर भी । निराला की जीवट, जीवि और मूल्यों क
े
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प्रनि निष्ट्ठा, ववरोि वविोह और कभी ि हारिे वाला व्यक्तित्व निराला में भी राम क
े ही
समाि है।
इस कवविा में युद्ि क
े मध्य उत्पन्ि मािमसक प्रकक्रया है क्जसमें राम क
े चररर क
े रूप में
क
े वल मािवीय रूप उभारकर पग-पग पर सामिे आया है, जो प्राचीि रामकथा की रुदढ़यों को
िोड़ िवीि दृक्ष्ट्टकोण को पररऽंांावषि कर रहा है-----
‘ क्स्थर राघवेंि को दहला रहा कफर-कफर संशय, रह-रह उठिा जग जीवि मं रावण-जय-भय’
(4)
‘कल लड़िे को हो रहा ववकल वह बार-बार, असमथम माििा मि उद्यि हो हार-हार’(5)
‘भाववि ियिों से सजल चगरे दो मुतिादल’ (6)
‘बोले रघुमणण ममरवर ववजय होगी ि समर’(7)
‘अन्याय क्जिर, हे उिर शक्ति! कहिे द्वल-छल्ल हो गए ियि, कु छ बूंद पुिरू दृगजल रुक
गया कण्ठ’(8)
स्पष्ट्ट है कक निराला िे अपिी कवविा में मिोवैज्ञानिक भूमम का समावेश कर उसे एक िवीि
दृक्ष्ट्टकोण ददया है। बंगला कृ नि ‘कृ निवास’ की कथा शुद्ि पौराणणकिा से युति अथम की भूमम
पर सपाटिा रखिी है, लेककि निराला िे यहां अथम की कई भूममयों का स्पशम ककया और
उसमें युगीि चेििा आत्मसंघषम का भी बड़ा प्रभावशाली चचर प्रस्िुि ककया है।
िाटकीयिा क
े संदमम में यदद देखा जाय िो निराला िे उसका भी प्रभाव उति कवविा में
ववखेरा है, जो पूवम में ककसी अन्य कवव िे अपिे काव्य में वणणमि िहीं ककया। सम्पूणम हिुमाि
का पररदृश्य आिुनिक िाटकीय दृक्ष्ट्टकोण का िमूिा है जो ववकरालिा और प्रचंििा का रूप
िारण कर सामिे आया है। निराला िे प्रकृ नि को रीनिकालीि कववयों की भांनि कामिीय रूप
में ि चचब्ररि कर उसे शक्तिरूपा दुगाम क
े रूप में ढाला है। िवीि प्रयोग क
े रूप निराला िे
भूिर को पुरुष का प्रिीक ि ददखाकर पावमिी क
े रूप में चचब्ररि कर िवीि दृक्ष्ट्टकोण ददया
है।---‘सामिे क्स्थर जो यह भूिर शोमभि-शर-शि हररि-गुल्म-िृण से श्यामल सुंदर पावमिी
कल्पिा है इसकी मकदंद-ब्रबंदु, गरजिा चरण-प्रान्ि पर मसंह वह िहीं मसंिु दशददक-समस्ि है
हस्ि’(9)
इस प्रकार हम देखिे हैं कक ‘राम की शक्ति पूजा’ में निराला िे अपिी मौमलक क्षमिा का
समावेश ककया है। इसमें कवव िे पौराणणि प्रसंग क
े द्वारा िमम और अिमम क
े शाश्वि संघषम
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का चचरण आिुनिक पररवेश की पररक्स्थनियों से संबद्ि होकर ककया है। कवव िे मौमलक
कल्पिा क
े बल पर प्राचीि सांस्कृ निक आदशों का युगािुरूप संशोिि अनिवायम मािा है। यही
कारण है कक निराला की यह कवविा कालजयी बि गयी है।
सन्दभम सूची------
1. क्रांनिकारी कवव निराला-बच्चि मसंह, ववश्वववद्यालय प्रकाशि चौक, वाराणसी,
संस्करण-1992 पृ.सं.77
2ं् आिनिक सादहत्य सृजि और समीक्षा- िॉ. मशवकु मार ममश्र, िंददुलारे वाजपेयी, प्रकाशि
एस.सी वसािी, संस्करण 1978 पृ.सं. 48
3. रामववलास शमाम, रामववराग, लोक भारिी प्रकाशि 15ए, महात्मा गांिी मागम, इलाहाबाद-
1, ग्यारहवां संस्करण 1986 पृ.सं. 98
4. वही पृ. सं. 94
5. वही पृ. सं. 94
6. वही पृ. सं. 95
7. वही पृ. सं. 98
8. वही पृ. सं. 98
9. वही पृ. सं. 101
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गुन ना हहरानो गुन गाहक हहरानो है। इस भावना क
े साथ शमत्रो! मेरी इस
रचना क
े तुकान्त न देखते हुए इसक
े लय ववधान को देखें यह आठ सोलह व
बत्तीस मात्राओं क
े अनुिासन में मत्त सवैया क
े प्रवाह में एक छन्दबद्ध रचना
है। क
े वल एक बार पढ जाएूँ। कववता ऐसे भी होती है। आनन्द लें व आिीष दें।
समझो द्वारे पर है बसन्ि
चगरेंि भदौररया ‘प्राण’
मद्चिम कु हरे की छटा चीर पूरब से आिे रक्श्मरथी उिक
े स्वागि में भर उड़ाि आकाश भेदिे
कलरव से खग वंश बेमल क
े उच्चारण जब अथम बदलिे लगें और बहुरंग नििमलयााँ चटक
मटक आ फ
ू ल फ
ू ल पर माँिराएाँ जब मौि िोड़ कोयलें गीि अमराई में गा उठें और मिुकर क
े
गुंक्जि राग उठें पड़कु मलया गमकाए ढोलक जब झााँझ बजाएाँ मैिाएंंाँ बज उठें माँजीरों सी
फसलें लग उठे िबलची सा बैठा कर उठे गुटुर गूाँ हर कपोि मोरिी मोर का िाच देख इिरािे
लगे बगीचे में महुआ मदमािा हुआ कहे टेसू का लाल सुखम चेहरा पी रहा िरा की हररयाली
सवमथा िवीिा कली कली सुषमा ब्रबखेरिी हो कदली वपयराई सरसों फ
ू ल ब्रबछा खेिों में
अाँगिाई लेिी ववटपों से मलपटीं लनिकाएाँ आमलंगि करिीं लगिीं हों, चुम्बि पर चुम्बि जड़िीं
हों। समझो द्वारे पर है बसन्ि।।
जब सघि विों क
े बीच बीच गायों क
े गोबर से लीपे आश्रम क
े आाँगि आाँगि में घी सिी
बिी हवव सममिा से हो उठे हवि में सन्िों की आहुनियों से उठ रहा िुआाँ जब मन्द मन्द ले
उड़े पवि ब्रबखरािा जाए ददक्ग्दगन्ि उल्लासभरी िरुणाई पर छा उठे जोश िव यौवि का
खुशबू ब्रबखेरिी ममलकाएाँ मुस्कािीं आिीं लगिीं हों, जब रंग ब्रबरंगे फ
ू लों की मदमािी झूमा
झटकी में मचलीं हों कमलयााँ णखलिे को णखलणखला उठे सौन्दयम स्वयं हो उठें मिोहारी पी पल
हर दृक्ष्ट्ट सुहािी सृक्ष्ट्ट देख जागे वववेक हर लेख लेख कर उठे समीक्षा सौरभ की िरिी मािा
क
े गौरव की पिझड़ से उजड़े वि वि में सममिाएाँ आिे लगिीं हों शुचचिाएाँ छािे लगिीं हों,
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अमराई की शाखाओं सी बदहयााँ बौराईं लगिीं हों, िददयााँ कृ शकायी लगिीं हों, समझो द्वारे
पर है बसन्ि।।
कह उठे गगि हा रसा रसा हर वसि लगे जब कसा कसा हो ददशा ददशा की एक दशा िि
पर मादकिा भरा िशा वाणी अवाक् रह जािी हो ब्रबि कहे अदा कह जािी हो संक
े ि मुखर
हो जािे हों अरमाि मशखर हो जािे हों हर ओर छोर िक पोर पोर बासन्िी राँग में बोर बोर
सौन्दयमलोक की वही दृक्ष्ट्ट रचिे को आिुर िई सृक्ष्ट्ट गािे हों ककन्िर ककन्िररयााँ हर िरह
अिूठी अलसािीं आिन्द लुटािीं इठलािीं सम्मोदहि करिीं बल्लररयााँ, कल्पिािीि िरुणाई में
लटका ललिाएाँ झल्लररयााँ जब दबा दबा कर ओठों से सकु चाईं सीं बौराईं सीं मददराईं सीं
भरमाईं सीं घर में आईं सीं लगिी हों, गमलयााँ गदराईं लगिीं हों रक्तिमाहररि कोपलें उमग
ववटपों पर कौिूहल करिीं कु छ मस्िािीं कु छ सुस्िािीं उल्लास जगािीं बलखािीं सकु चािीं
आईँ लगिीं हों, समझो द्वारे पर है बसन्ि।।
गुिगुिी िूप शीिल समीर मि मुददि ककन्िु आिा अिीर सुखदाई कु छ कु छ दुखदाई पीिाभ
पल्लवों की लडड़यााँ िरिी पर चगरिीं झूम झूम लावण्यमयी ममष्ट्ठास प्रबल होिी हो कड़वी पर
हलचल आकषमण और ववकषमण की बेलाएाँ सजिीं लगिीं हों, खारीं लहराईं लगिी हों आलाप
दटटहरी का सुिकर गा उठे पपीही वपया वपया ब्रबरदहनि क
े मि में उठे हूक हो उठे कलेजा
टूक टूक गािी हो कोयल कू क कू क चािक जािा हो चूक चूक वविवा सिवा की नछड़े जंग
उड़ चले कहीं चढ़ उठे रंग चचकिी चचकिी हर देह एक बदलाव मलए जब मटक मटक
चटकीले मटक
े सी फ
ू ली फ
ू लों की िाली से बोले रंगीि ममजाजी मंजररयााँ मरुथल में जैसे जल
पररयााँ ओढ़े बासन्िी चूिररयााँ मदमािी आिी किमररयांंाँ ब्रबि धयाहीं युविी सुन्दररयााँ
सामाक्जक भय से िरीं िरीं प्रेमी से जाकर दूर खड़ीं उन्मि अलसाईं लगिीं हों हारीं हरजाई
लगिीं हों ििमुख शरमाईं लगिीं हों, समझो द्वारे पर है बसन्ि।।
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FEB 2023
“जाग उठो िारी”
वप्रया देवांगि
िरा िवल निमामण करो िुम, साहस सब से है भारी।
कदम बढ़ा कर आगे आओ, जाग उठो िुम हे िारी।।
बीि गयी वो काली रािें, अश्रु िीर जब पीिे थे।
घूंंाँघट की चाहरदीवारी,जहाँ बेबस हो जीिे थे।।
त्याग दया ममिा की मूरि, देवी की वो अविारी।
कदम बढ़ा कर आगे आओ, जाग उठो िुम हे िारी।।
छोड़ चलो क
ं टक राहों को,आशा ककरण जगािा है।
स्वणणमम युग की आभा बिकर, आसमाि छ
ू जािा है।।
स्पशम िहीं कर पाये पापी, बिो आग क
े अंगारे।
टूट पड़ो बि मेघ दाममिी, देख सभी दुश्मि हारे।।
िुम से चलिी सारी दुनिया, सरस्विी लक्ष्मी सीिा।
सत्य राह ददखलािे वाली, िुम रामायण अरु गीिा।।
वति पड़े गर झााँसी रािी, कलयुग की वो झलकारी।
कदम बढ़ा कर आगे आओ, जाग उठो िुम हे िारी।।
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वणम वपराममि वविा ६, फरवरी खाि अधदुल गफ्फार
खाि जन्म जयंिी
खाि अधदुल गफ्फार खाि
समीर उपाध्याय
हााँ
िेिा
महाि
पाककस्िाि
बलूचचस्िाि
भारि ममलाि
स्विंरिा आह्वाि।
हााँ
शक्ति
प्रपाि
सीमा प्रांि
वतिा निष्ट्णाि
अंग्रेज आघाि
प्रखर झंझावाि।
हााँ
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स्राव
प्रभाव
भािृ भाव
दहंद झुकाव
लिाकू स्वभाव
अद्भुि स्थायीभाव।
हााँ
आि
सम्माि
दहन्दुस्िाि
गांिी ममलाि
दांिी यारा शाि
सेिािी कीनिममाि।
हााँ
भव्य
हुंकार
ललकार
लीग प्रहार
वास कारागार
दहंद रत्ि गफ्फार।
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कवविा -शाही सवारी
हााँ
शाही
सवारी
चमत्कारी
रथ ववहारी
आभा दरबारी
सारथी निववमकारी
प्रेमी युग्म ककलकारी
हररि वस्र मिोहारी
मोहक सुगंि वपचकारी
शीिल समीर भाव संचारी
स्वणम सरसों भूषण आबकारी
प्राकृ निक सौंदयम अद्भुि वपटारी
मािव जीवि िवल ऊजाम प्रभारी
वसंि राज भव्यानिभव्य शोभा भंिारी।
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गुजरिा वति
बृजेश क
ु मार
सररिा अपिी वपिा की दूसरी बेटी थी | उिक
े वपिा का िाम जगजीवि था जो कक स्टे
का कायम करिा था | सररिा की वपिा क
े पास खूब िि होिे क
े कारण उन्होंिे अपिी बेदटयों
की परवररश बहुि अच्छी प्रकार की िथा उन्हें माध्यममक मशक्षा िक पढ़ाया | जैसे सररिा
16 वषम की हुई उिकी मािा सुगिाबाई िे जगजीवि से कहा कक कोई सुयोग्य लड़का ढूंढ कर
सररिा का वववाह कर देिा चादहए | जगजीवि जो स्टे क
े कायम में अत्यचिक व्यस्ि होिे क
े
कारण सुयोग्य वर ढूंढिे क
े मलए समय िहीं दे पािा था | घर में रोज सुगिा िथा जगजीवि
क
े बीच इसी बाि पर लड़ाइयां होिी रहिी | आणखर कार जगजीवि िे आगरे क
े स्टे
व्यापारी क
े लड़क
े सुजाि क
े साथ सररिा का ररश्िा िय कर ददया और सुजाि भी अपिे
वपिा क
े साथ स्टे का कायम ही ददखिा था |
एक ददि ऐसा आया कक सुजाि और सररिा का वववाह देवउठिी ग्यारस पर कर ददया गया
| जगजीवि िे अपिे सामर्थयम से बाहर अपिी बेटी क
े वववाह में पैसा लगाया | इिर सररिा
की सास उसे बहुि लाि पयार से रखिी | सारे ददि िई िवेली बहू को स्वणम आभूषणों को
पहिाई रखिी | कहिी कक समाज में लोग तया कहेंगे कक इििे बड़े व्यापारी की बहू समाज
में क
ै से रहिी है |
सररिा भी अपिी सास की हर बाि माििी | लेककि कु छ ही ददिों बाद सुजाि राि को दारू
पीकर घर आिा है और घर में सभी को गाली गलौज करिा है | सररिा कहिी है कक आप
दारू पीिे हैं?
सुजाि – हां पीिा हूं अपिी कमाई की िेरे बाप की िहीं |
सररिा- सुजाि को समझािी है |
लेककि सुजाि, सररिा की एक िहीं सुििा है और वह सररिा क
े साथ मारपीट भी कर देिा
है |
सररिा राि भर रोिी है और अपिे भाग्य को कोसिी है | िीरे-िीरे समय गुजरिा गया |
लेककि सुजाि की आदिें और भी बढ़िी गई |
सररिा, सुजाि की इि आदिों से बहुि दुखी रहिी | तयोंकक वह रोज घर में सभी को गाली
गलौज करिा िथा सररिा क
े साथ मारपीट करिा |
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सररिा जब अपिी सांस से कहिी िो उसकी सास भी सुजाि की िरफ बोलिी | कहिी थी
कक कोई अपिे मदम से जवाि लड़ािा है, िेरे पनि िे हीं िो मारा है, हमिे िो िहीं |
सररिा िे भी अब सोच मलया था कक मैं इस घर में िहीं रहूंगी, उसिे एक पर अपिे वपिा
को मलखा और सारी बािों से अवगि करा ददया |
सररिा क
े वपिा जगजीवि को अभी-अभी स्टे में बहुि बड़ा िुकसाि हुआ था िो उसकी
क्स्थनि भी इस समय खराब थी | उसिे अपिी बेटी को पर में मलखा कक बेटा वही िुम्हारा
घर है, जैसा भी है िुम्हारा पनि है | इसमें हम कु छ िहीं कर सकिे |
सररिा अपिे वपिा क
े पर को पढ़कर अब और भी टूट चुकी थी | तयोंकक अब उसे कु छ भी
ददखाई िहीं दे रहा था | सररिा क
े मि में िािा प्रकार क
े ववचार चल रहे थे| लेककि उसिे
निणमय मलया कक जब िक सुजाि अपिी गलि आदिों को िहीं छोड़ देिा, िब िक मैं उसक
े
साथ िहीं रहूंगी | सररिा की जेठािी िे उसकी इस काम में मदद की | सररिा अब आगरे में
ही ककराए क
े घर में रहिी है और अपिी आगे की पढ़ाई चालू की | ददि भर वह कायम करिी
क्जससे अपिी आजीववका चलािी | सररिा प्रथम बार में ही अध्यावपका की परीक्षा में उत्तीणम
हो गई और उसकी नियुक्ति भी आगरा क
े सरकारी माध्यममक ववद्यालय में हो गई |
जैसे-जैसे समय गुजरिा गया | सुजाि की गलि आदिों से पररवार क
े लोगों िे भी उसे
निकाल ददया | क्जससे अब उसकी क्स्थनि ददि-प्रनिददि खराब होिे लगी |
एक ददि जब सररिा ववद्यालय जा रही थी िो उसिे देखा कक रास्िे में भीड़ लगी पड़ी है
| जैसे ही उसिे देखा कक सुजाि बेहोश अवस्था में पड़ा है | वह उसे एंबुलेंस बुलाकर
अस्पिाल ले जािी है और उसका इलाज करािी है | जैसे ही सुजाि िे सररिा को देखा िो
उसकी आंखों में आंसू थे, लेककि कहिे को कु छ िहीं|
सुजाि िे सररिा से वादा ककया कक वह अब अपिी गलि संगनि को छोड़ देगा और भववष्ट्य
में कभी भी ककसी से गाली गलौज िहीं करेगा | अब सुजाि का हृदय पररविमि देखकर
सररिा िे भी साथ रहिे का निणमय मलया | अब दोिों हंसी खुशी रहिे लगे | जो बुरा वति
था वह गुजर गया |
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मशवदेवी िोमर
भारिीय इनिहास को उठाकर देखें िो यह वीर और वीरागणाओ क
े अिचगिि त्याग और
बमलदाि से भरा पड़ा है| इसमें कोई दो राय िहीं है | यहां की पावि भूमम की रक्षा में मिुष्ट्य
जानि क
े साथ-साथ पशु- पक्षक्षयों िे भी अपिे प्राणों को न्योछावर ककया है | इस पावि भूमम
क
े प्रनि यहां क
े लोगों का समपमण अिुलिीय है | इसमलए भारि क
े लोग अपिी मािृभूमम की
मम्टी को उठाकर अपिे मसर पर लगािे हैं |
कु छ समय ऐसा भी आया कक यह देश ववदेशी आक्रन्िाओं क
े अिीि हो गया | लेककि यहां
क
े लोगों िे अपिी मािृभूमम की स्वािीििा क
े मलए निरंिर प्रयास जारी रखा िथा इसक
े
मलए उन्हें जो भी कु बामिी देिी पड़ी, उसक
े मलए हर समय िैयार रहें | उिमें से एक िाम है
– अंग्रेज फौज क
े दमि का बदला लेिे वाली बिोि की बेटी मशवदेवी िोमर िथा उसकी
छोटी बहि जय देवी िोमर |
इि क्षराणी वीरांगिाओं िे अंग्रेजी सेिा क
े छतक
े छ
ु ड़ा ददये और क्रांनि की प्रचंि ज्वाला को
प्रज्वमलि कर अपिे प्राणों को न्यौछावर कर ददया|
10 मई 18 57 को भारिीय सैनिकों िे मेरठ कैं ट में अंग्रेजो क
े णखलाफ वविोह कर ददया |
वविोह इििा भयािक हुआ कक उसकी आग िीरे-िीरे आसपास क
े गााँवो िथा कस्बों में फ
ै ल
गई | क्जस कारण बड़ौि क
े शाहमल मसंह िोमर िे इलाक
े पर घेरा िाल ददया और आजादी
घोवषि कर दी | लेककि 18 जुलाई 18 57 को अंग्रेज फौज िे बिौि पर आक्रमण कर ददया
| इस भीषण संग्राम में शाहमल मसंह िोमर वीरगनि को प्रापि हो गए और अंग्रेजी फौज िे
बिौि क
े आसपास क
े गांवों में बुरी िरह लूटपाट की | क्जसमें 30 स्विंरिा सेिानियों को
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पकड़कर, पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी | इसक
े साथ-साथ उन्होंिे गांव का रशद पािी बंद
कर ददया| िथा उिकी संपवत्त और पशुओं पर भी कधजा कर मलया |
इस भयािक दृश्य को 16 वषीय क्षराणी मशव देवी िोमर िे अपिी आंखों से देखा |
उसक
े मि में अंग्रेजी सेिा क
े दमि का प्रनिशोि लेिे की भाविा जागृि हुई | मशव देवी
िोमर िे अपिे साचथयों क
े साथ मंरणा कर, अंग्रेजी सेिा क
े णखलाफ वविोह की रणिीनि
िैयार की और िौजवािों को इक्ठा ककया |
मशव देवी िोमर िे अपिे साचथयों क
े साथ बड़ौि में िैिाि अंग्रेजी टुकड़ी पर अचािक बहुि
भीषण आक्रमण ककया | क्जससे अंग्रेज सैनिक भयभीि हो गए, बहुिों को मौि क
े घाट उिार
ददया गया | क्जसे अंग्रेजी टुकड़ी बड़ौि से भाग गई | जबकक अंग्रेजी सेिा क
े पास आिुनिक
हचथयारों से पररपूणम थी लेककि इस भीषण संग्राम में मशवदेवी िोमर घायल हो गई थी |
जब घायल अवस्था में मशवदेवी िोमर का उपचार ककया जा रहा था िब अचािक अंग्रेजी
फौज िे आकर क
े गोमलयां दागिा प्रारंभ कर ददया, क्जससे मशवदेवी िोमर वीरगनि को प्रापि
हो गई | यह दृश्य उिकी छोटी बहि जय देवी िोमर देख रही थी | उसिे अपिी बहि
मशवदेवी िोमर की मृत्यु का बदला लेिे का प्रण ककया | उसे 14 वषीय बामलका िे गांव -गांव
जाकर लोगों को ललकारा और उिका दल बिाकर अंग्रेजी सेिा का पीछा प्रारंभ कर ददया |
आणखरकार यह दल उत्तर प्रदेश क
े ववमभन्ि क्षेरों से होकर लखिऊ पहुंच गया |
अंििः उन्हें अंग्रेजी सेिा की टुकड़ी का पिा चल गया और जय देवी िोमर िे अपिी
िलवार निकाल कर क
े अंग्रेज अचिकारी का सर िड़ से अलग कर ददया | िथा जहां पर
अंग्रेज सैनिक ठहरे हुए थे उि जगहों पर आग लगा दी गई | इस भीषण संग्राम में जय देवी
िोमर भी वीरगनि को प्रापि हो गई | इस प्रकार बड़ोि की दोिों बेदटयां िे मािृभूमम की रक्षा
में अपिे प्राणों को बमलवेदी पर चढ़ा ददया | िथा इनिहास में अपिा िाम स्वणम अक्षरों में
अंककि कर ददया |
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नमस्कार सर,
नई गूूँज क
े साक्षात्कार मंच पर हम आपका नई गूूँज ( िोध, साहहत्य एवं संस्कृ तत की उत्कृ ष्ट
ऑनलाइन माशसक पबत्रका ) क
े समस्त सम्पादक मण्डल की ओर से हाहदफक अशभनन्दन
करते हैँ |
• सर, आप अपनी प्रारंशभक शिक्षा, एवं जीवन क
े िुरुवाती चरण क
े बारे में हमें अवगत
करवाएं
• मैंने अपनी स्कू ली शिक्षा गांव क
े सरकारी स्कू ल से प्राप्त की है | बी. ए. व एल. एल.
बी. आगरा कॉलेज, आगरा से तथा एल. एल. एम. राजस्थान ववश्वववद्यालय, जयपुर
से प्राप्त की है | यू. जी. सी. नेट, आर. पी. एस. सी. स्लेट पास की है |
• सर, आपक
े पररवार क
े बारे में कु छ बताएं |
• मेरे पररवार में वपता, भाई, बहन, भाभी व पजत्न श्वेता हैँ | वपता वैद्य हैँ, भाई
मेडडकल ऑकफसर तथा पजत्न ज्योतत ववद्यापीठ से ववचध में िोध ( पी. एच. डी.) कर
रहीं हैँ |
• सर, आपका वतफमान पद क्या है एवं आप कहाूँ पर कायफरत हैँ ?
• मैं वतफमान में राजकीय ववचध महाववद्यालय धौलपुर में सहायक आचायफ ( अशसस्टेंट
प्रोफ
े सर ) क
े पद पर कायफरत हूूँ |
नई गूंज
ववचध वविेष
साक्षात्कार
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• आपकी यात्रा से मंजज़ल तक पहुंचने क
े इस रास्ते में आपक
े सबसे अहम प्रेरणा स्त्रोत
कौन हैँ, जजन्हें आज आप अपनी सफलता का श्रेय देना चाहेंगे ?
• मैम, मेरे अहम् प्रेरणा स्त्रोत माता - वपता, भाई व गुरुजन हैँ | वपता हमेिा कहते थे
- " मेहनत कभी बेकार नहीं जाती वह ककसी न ककसी रूप में फल देगी और मेरे गुरु
( डॉ ववमोहन सर ) ने कहा कक " मेहनत करने पर भी सफलता ना शमले तो मेरे
पास आ जाना " |
• सर प्रत्येक व्यजक्त जों भी, जजस पद पर पहुूँचे हुए दुतनया क़ो हदखाई देते हैँ, उन्होंने
वहाूँ तक पहुंचने क
े शलए ककतने ही संघषों का सामना ककया होता है | आप अपनी
इस यात्रा में संघषों क
े बारे में कु छ बताएं |
• यह बात पूणफतया सही है कक जजस पद पर व्यजक्त पहुूँचता है उसक
े पीछे माता -
वपता का आिीवाफद, उनका स्वयं का संघषफ होता है | मैंने दो बार आर. जे. एस.का
साक्षात्कार , जे. एल.ओ., ए. पी. पी. तथा ई. ओ. का साक्षात्कार भी हदया लेककन
सफल नहीं रहा जजससे मैं ववचशलत था लेककन वपताजी ने हौसला बढाया कक “ लगे
रहो “ | उसी समय आर. पी. एस. सी. से ववचध में सहायक आचायफ की जगह
तनकली और मैं पूणफ तनष्ठा से लग गया और सफलता प्राप्त हुई |
• सर, आर. जे. एस. और अन्य प्रततयोगी परीक्षाओं में भाग लें रहें ववद्याचथफयों क़ो तैयारी
क
े ववषय में क्या महत्वपूणफ सुझाव देना चाहेंगे आप ?
• जो मेरे साथी आर. जे. एस. या अन्य ववचध सम्बन्धी परीक्षा की तैयारी कर रहें हैँ,
उनसे इतना ही कहूंगा कक लक्ष्य बड़ा है, मेहनत भी उतनी ही करनी होगी | यहद
प्रथम प्रयास में सफलता ना शमले तो घबरायें नहीं सतत प्रयास करते रहें | आपका
दूसरा या तीसरा प्रयास तनणाफयक साबबत होगा |
• सर, आज की शिक्षा व्यजक्त क़ो मिीनी मानव बनाती जा रही है क्योंकक उद्देश्य
नौकरी प्राप्त करने तक सीशमत हो गया है यातन इंसान संवेदना िून्य होता जा रहा है
आपक
े क्या ववचार हैँ इस बारे में ?
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  • 2. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 i शोध , साहित्य और संस्कृ ति की माससक वैब पत्रिका नयी गंज-------. वर्ष 2023 अंक 2
  • 3. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 ii संपादक मंडल प्रमुख संरक्षक प्रो. देव माथुर vishvavishvaaynamah.webs1008@gmail.com मुख्य संपादक रीमा मािेश्वरी shuddhi108.webs@gmail.com संपादक सशवा ‘स्वयं’ sarvavidhyamagazines@gmail.com शाखा प्रमुख ब्रजेश कु मार aryabrijeshsahu24@gmail.com वरिष्ठ पिामर्श दाता तथा पब्लिक ऑफिसि सीमा धमेजा डायिेक्टि प्रज्ञा इंस्टीट्यूट जयपुि Praggyainstitutejpr@gmail.com 9351177710 परामशषदािा कमल जयंथ jayanth1kamalnaath@gmail.com
  • 4. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 iii सम्पादकीय जीवन की प्रैक्टिकल टलास सशवा स्वयं जीवन की प्रैक्टिकल टलास में जों िम सीखिे िैं वो वास्िववक ज्ञान दे देिा िै | ककिाबों में िम देश प्रेम पढ़िे िैं, कई बड़ी बड़ी बािें तनबंध में सलखिे िैं और घरों में एका निीं िोिी | एक घर क़ो एक करने में सफल निीं िों पािे िैं िो देश प्रेम क ै से यथाथष िोगा ?
  • 5. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 iv ये िै जीवन की प्रैक्टिकल टलास और िमारा आईना... कि देने से सलख देने से भारिीय िम देश क े प्रति ऋण निीं चुका सकिे | िर एक क़ो.. एक एक क़ो जोड़ क े देश बनिा िै| एक एक क़ो जोड़ना िी पड़ेगा, जुड़ना िी पड़ेगा |’ स्कल, कॉलेज, यतनवससषिी कफर नौकरी जिााँ भी अब िक जीवन क्जए आपने देखा कक बिुि दुभाषवनाएं िैं, दसरे क़ो पछाड़ कर आगे आ जाने की दौड़ िै | ईर्षयाष िै, बैर िै, और बािर से िम कििे िैं िम भाई भाई िैं | क ै से िोगा ? क े वल कि देने से क ै से िोगा ? स्िेिस पर बड़ी बािें सलख देने से अगर ववचार बड़े िों जािे िो आज शायद िम भारि का एक नया िी रूप देख रिें िोिे क्जसमें ववशाल ह्रदय िोिे | वसुधैव क ु िुंबकम बन जािा | लेककन सत्य ये िै कक ककिने िी 15 अगस्ि मना सलए िमने और ककिनी िी बार 26 जनवरी | ह्रदय वसुधा क़ो घर निीं मन सका | घर क़ो घर बनाना िी जीवन भर लगा कर भी मुक्श्कल िों गया | जों िमसे अलग सोचिा िै उसे अस्वीकार करना िो बिुि आसान िै स्वीकार करना िी िो कहिन िै |
  • 6. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 v िम आसानी क़ो चुन लेिे िैं और िम में से िर एक क े एक एक करक े ििने से भाई भाई निीं िििे बक्कक देश िििा िै |
  • 7. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 vi शुभेच्छा नयी गूंज------. पररवार परामशषदािा- प्रश्न िै कक संस्कृ ति टया िै। यं संस्कृ ति शब्द सम्+कृ ति से बना िै, क्जसका अथष िै अच्छी कृ ति। अथाषि् संस्कृ ति वस्िुिः रार्षरीय अक्स्मिा क े पररचायक उदात्त ित्वों का नाम िै। भारिीय सन्दभष में संस्कृ ति व्यक्टितनर्षि न िोकर समक्र्षितनर्षि िोिी िै। संस्कृ ति की संरचना एक हदन में न िोकर शिाक्ब्दयों की साधना का सुपररणाम िोिा िै। अिः संस्कृ ति सामाससक-सामाक्जक तनधध िोिी िै। संस्कृ ति वैचाररक, मानससक व भावनात्मक उपलक्ब्धयों का समुच्चय िोिी िै। इसमें धमष, दशषन, कला, संगीि आहद का समावेश िोिा िै। इसी की अपररिायषिा की ओर संक े ि करिे िुए भिृषिरर ने सलखा िै कक इसक े त्रबना मनुर्षय घास न खाने वाला पशु िी िोिा िै- ‘‘साहित्यसंगीिकला-वविीनः साक्षाि्पशुः पुच्छववर्ाणिीनः।। मुख्य संपादक उपतनर्द् क े शब्दों में किें िो संस्कृ ति में जीवन क े दो आयाम श्रेय व प्रेय का सामंजस्य िोिा िै। इन्िीं आधार पर आध्याक्त्मक, वैचाररक व मानससक ववकास िोिा िै और इन्िीं क े आधार पर जीवन-मकयों व संस्कारों का तनधाषरण िोिा िै और यिी जीवन क े समग्र उत्थान क े सचक िोिे िैं। सशक्षा-िंि में इन्िीं सांस्कृ तिक मकयों का सशक्षण-प्रसशक्षण िोिा िै। विषमान में सशक्षा-व्यवस्था संस्कृ ति की अपेक्षा सम्यिा- तनर्षि अधधक िै। िात्पयष िै कक विषमान सशक्षा ववचार-प्रधान, धचन्िन-प्रधान व मकयप्रधान की अपेक्षा ज्ञानाजषन-प्रधान िै। वस्िुिः इसी का पररणाम िै कक सम्प्रति सशक्षा क े द्वारा बौद्धधक स्िर में िो असभवृद्धध िुई िै ककन्िु संवेदनात्मक या भावनात्मक स्िर घिा िै। संपादक – िमारी सशक्षा में सांस्कृ तिक मकयों क े स्थान पर पक्श्चमी सभ्यिा-मलक ित्वों को उपादान क े रूप में
  • 8. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 vii ग्रिण कर सलया गया िै। िभी िो सशक्षा व समृद्धध क े पाश्चात्य मानदण्डों को आधार मान सलया िै जो संस्कृ ति-ववरोधी िैं, क्जनमें नैतिक व मानवीय मकयों का ववशेर् स्थान निीं िै। इसी का पररणाम िै कक बुद्धधमान व गरीब नैतिक व्यक्टि सामाक्जक दृक्र्षि से भी िांससये पर िी रििा िै और नैतिकिा-वविीन, संवेदनिीन, भ्रर्षिाचारी व अपराधी भी सम्पन्न, सभ्य, सम्मान्य व प्रतिक्र्षिि िोिा िै। इसी संस्कृ ति- वविीन व्यवस्था क े कारण शोर्ण-प्रधान पंजीवादी व्यवस्था िी ग्राह्य िो गई िै, क्जसने रिन-सिन क े स्िर को िो उिाया िै, पर इस भोगवादी बाजारवादी व्यवस्था क े कारण अथषशास्ि व िकनीककववज्ञान क े सामने नैतिकिा व मानवीयिा गौण िो गई िै। जबकक राधाकृ र्षणन व कोिारी आयोग की मान्यिा थी कक सशक्षा ऐसी िोनी चाहिये जो सामाक्जक, आधथषक व सांस्कृ तिक पररविषन का प्रभावी माध्यम बन सक े । इस दृक्र्षि से भारिीय प्रकृ ति और संस्कृ ति क े अनुरूप सशक्षा से िी मकयपरक उदात्त-गुणों का संप्रेर्ण और समग्र व्यक्टित्व का तनमाषण सम्भव िै। इसमें पुराने व नये का त्रबना ववचार ककये जो देश की अक्स्मिा व समाज क े हििकर िै, उसी को प्रमुखिा देनी चाहिए। शाखा प्रमुख की कलम से-- वप्रय पािकों संस्थान की पत्रिका नयी गंज क े पिले अंक का लोकापषण एक आंिररक सुख की अनुभति करा रिा िै। मुझे प्रसन्निा िै कक शाखा प्रमुख क े रूप में कायषभार संभालने क े बाद मुझे आप सभी से नयी गंज क े इस अंक क े माध्यम से रूबरू िोने का मौका समल रिा िै। िम ककिना भी ववकास कर लें ककन्िु यहद समाज में संवेदना िी मर गई िो सब व्यथष िै। इस संवेदनिीनिा क े चलिे समाज में नकारात्मक ऊजाष हदन प्रति-हदन बढ़िी जा रिी िै जो तनन्दनीय भी िै और ववचारणीय भी। आवश्यकिा िै कक िम अववलम्ब इस हदशा में अपने प्रयास आरम्भ कर दें। वस्िुिः अपने कमों से िम अपने भाग्य को बनािे और त्रबगाड़िे िैं। यहद गंभीरिा से धचंिन-मनन ककया जाय िो िमारा कायष-व्यापार िमारे व्यक्टित्व क े अनुसार िी आकार ग्रिण करिा िै और िमें अपने कमष क े आधार पर िी उसका फल प्राप्ि िोिा िै। कमष ससफष शरीर की कियाओं से िी संपन्न निीं िोिा अवपिु मनुर्षय क े ववचारों से एवं भावनाओं से भी कमष संपन्न िोिा िै। वस्िुिः जीवन-भरण क े सलए िी ककया गया कमष िी कमष निीं िै िम जो आचार-व्यविार अपने मािा-वपिा बंधु समि और ररश्िेदार क े साथ करिे िैं वि भी कमष की श्रेणी में आिा िै। मसलन िम अपने वािावरण सामाक्जक व्यवस्था, पाररवाररक समीकरणों आहद क े प्रति क्जिना िी संवेदनशील िोंगे िमारा व्यक्टित्व उिनी िी उच्चकोहि की श्रेणी में आयेगा। आज क े जहिल और अति संचारी जीवन-वृवत्त क े सफल संचालन िेिु सभी का व्यक्टित्त्व उच्च आदशों पर आधाररि िो ऐसी मेरी असभलार्ा िै।
  • 9. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 viii यि ज़रूरी निीं िै कक िर कोई िर ककसी कायष मे पररपणष िो, परन्िु अपना दातयत्व अपनी परी कोसशश से तनभाना भी देश की सेवा करने क े समान िी िै। संपणष किषव्यतनर्षिा से ककया िुआ कायष आपको अवश्य िी कायष-समाक्प्ि की संिुक्र्षि देगा। कोई भी ककया गया कायष िमारी छाप उस पर अवश्य छोड़ देिा िै अिएव सदैव अपनी श्रेर्षििम प्रतिभा से कायष संपन्न करें। िर छोिी चयाष को और छोिे-से-छोिे से कायष क े िर अंग का आनंद लेकर बढ़िे रिना िी एक अच्छे व्यक्टित्व का उदािरण िै। यि सवषववहदि िथ्य िै कक नयी गंज एक उच्च स्िरीय पत्रिका िै क्जसमें ववसभन्न ववधाओं में उच्चस्िरीय लेखों का अनिा संग्रि िै आप सभी पत्रिका का आनन्द लें एवं अपनी प्रतिकियायें ऑनलाइन या ऑफलाइन भेजें। नयी गंज क े माध्यम से िमारा आपका संवाद गतिशील रिेगा। आप सभी अपनी सुन्दर व श्रेर्षि रचनाओं से नयी गंज को तनरन्िर समृद्ध करिे रिेंगे इसी ववश्वास क े साथ। अंि में मैं सभी सम्पादक मण्डल क े सदस्यों एवं रचनाकारों को नयी गंज पत्रिका क े सफल सम्पादन एवं प्रकाशन क े सलए साधुवाद ज्ञावपि करिा िं करिा िाँ। आप सभी को िाहदषक बधाई क े साथ बिुि-बिुि धन्यवाद!! कासलदास ने काव्य क े माध्यम से किा िै- पुराणसमत्येव न साधु सवं न चावप काव्यं नवसमत्यवद्यम्। सन्िः परीक्ष्यान्यिरद् भजन्िे मढः परप्रत्ययनेय बुद्धधः।। अथाषि्पुरानी िी सभी चीजें श्रेर्षि निीं िोिी और न नया सब तनन्दनीय िोिा िै। इससलए बुद्धधमान व्यक्टि परीक्षा करक े जो हििकर िोिा िै उसी को ग्रिण करिे िैं जबकक मखष दसरों का िी अन्धानुकरण करिे िैं। अस्िु, तनववषवाद रूप से यि सभी स्वीकार करिे िैं कक रार्षर की रक्षा, का सकारात्मक पक्ष िोिा िै। प्रकाशन सामग्री भेजने का पिा ई-मेलःgoonjnayi@gmail.com नयी गंज इंिरनेि पर उपलब्ध िै। www.nayigoonj.com पर क्टलक करें। नयी गंज में प्रकासशि लेखाहद पर प्रकाशक का कॉपीराइि िै शुकक दर 40/- वावर्षक: 400/-
  • 10. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 ix िैवावर्षक: उपयुषटि शुकक-दर का अधग्रम भुगिान 1200/- को -----------------------------------------द्वारा ककया जाना श्रेयस्कर िै। तनयम तनदेश 1 रचनाएं यथासंभव िाइप की िुई िों, रचनाकार का परा नाम, पद एवं संपकष वववरण का उकलेख अपेक्षक्षि िै। 2 लेखों में शासमल छाया-धचि िथा आाँकड़ों से संबंधधि आरेख स्पर्षि िोने चाहिए। प्रयुटि भार्ा सरल, स्पर्षि एवं सुवाच्य हिंदी भार्ा िो। 3 अनुहदि लेखों की प्रामाणणकिा अवश्य सुतनक्श्चि करें। अनुवाद में सिायिा िेिु संस्थान संपादक मंडल प्रकोर्षि से संपकष कर सकिे िैं। 4 प्रकासशि रचनाओं में तनहिि ववचारों क े सलए संपादक मंडल प्रकोर्षि उत्तरदायी निीं िोगा और इसक े सलए परी की परी क्जम्मेदारी स्वयं लेखक की िी िोगी। नई गाँज तनयमावली रचनाएूं goonjnayi@gmail. Com ई-मेल पते पर भेजी जा सकती हैं। रचनाएूं भेजने क े ललए नई गूँज क े साथ लॉग-इन करें, यह वाूंछित है।आप हमारे whatsapp no. 9785837924 पर भी अपनी रचनाएूँ भेज सकते हैँ वप्रय साधथयों, नई गाँज िेिु आपक े सियोग क े सलए आपका िाहदषक धन्यवाद। आशा िै कक ये संबंध आगे भी प्रगति क े पथ पर अग्रसर रिेंगे। आगामी अंक िेिु आप सबक े सकिय सियोग की पुनः आकांक्षा िै। आप सभी से एक मित्वपणष अनुरोध िै कक आप अपने शोध प्रपि तनम्न प्रारूप क े ििि िी प्रस्िुि करें क्जससे कक िमें िकनीकी जहिलिाओं का सामना न करना पड़े - 1.प्रकाशन िेिु आपकी रचना क े मौसलक िोने का स्वतः सत्यापन रचना प्रेवर्ि करिे समय "मौसलकिा प्रमाण पि" पर िस्िाक्षर करना अतनवायष िै। इसक े त्रबना रचना पर ववचार करना संभव निीं िोगा 2. रचना किीं पर भी पवष में प्रकासशि निीं िोनी चाहिए !
  • 11. NAYI GOONJ – SHODH , SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY) MAGAZINE WEBSITE- nayigoonj.com Email address goonjnayi@gmail.com - WHATSAPP NO. 91-9785837924 x 3. आपकी रचनाएूँ एम.एस. ऑकफस में टाइप होना चाहहए 4. फोंि - कृ छतदेव 10, मूंगल यछनकोड 5. रचनाओूं क े साथ अपना पर्ण पता, मोबाइल नूंबर, ईमेल तथा पासपोटण साइज की फोटो लगाना अपेक्षित है ! 6. आप लेख, कववता, कहानी, ककसी भी ववधा में रचनाएूँ भेज सकते हैँ ! नई गाँज रचनाओं क े प्रेर्ण सम्बंधधि तनयम व शिे : एक से अधधक रचनायें एक ही वडण-डॉक्यमेंट में भेजें। रचनायें अपने पूंजीकृ त पेज पर हदए गए ललूंक इस्तेमाल कर प्रेवित करें। यहद आप हहूंदी में टाइप करना नहीूं जानते हैं, आप गगल द्वारा उपलब्ध करवायी गयी ललप्यान्तरर् सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसक े ललए Google इनपुट उपकरर् ललूंक पर जाएूँ। स-आभार संपादक मंडल Note:- प्रत्येक रचना लेखक की स्वयं मौसलक िथा सलणखि िै! इसमें लेखक क े स्वयं क े ववचार िैं िथा कोई िुहि िोने पर लेखक स्वयं क्जम्मेदार िोगा!
  • 12. फ़रवरी 2023 -अनुक्रमाणिका क्रम संख्या णववरणिका लेखक पृष्ठ संख्या लेख – 1 युग बोध वाले हो नये णववेकानंद डॉ घनश्याम बादल 1-3 2 कोई समस्या-समस्या न होकर अवसर होता है डॉ णिवा धमेजा 4-7 3 राम की िणि पूजा और णनराला डॉ नीलम ससंह 8-11 कणवता 4 समझो द्वार पर है बसंत णगरेंद्र भदौररया प्राि 12-13 5 जाग उठो नारी णप्रया देवांगन 14 6 अब्दुल गफ्फार खान िाही सवारी समीर उपाध्याय 15-17 कहानी 7 गुजरता वक़्त बृजेि कुमार 18-19 नारी तुम अबला नहीं सबला हो 8 णिवदेवी तोमर 20-21 9 साक्षात्कार- दीणक्षत सर ( सहायक 22-25
  • 13. प्रोफेसर ) णनबंध 10 ककिोर अपचाररता 26-29 11 आर. ए. एस . जी.के के प्रश्न पत्र 30-50 12 क़ानूनों का णनववचन ( सहंदी एवं अंग्रेजी के सोल्वड पेपर ) 51-63
  • 14. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 1 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 युगबोध वाले हों नए वववेकानंद डा.घनश्याम बादल युवा आइकॉनिक व्यक्तित्वों कक जब जब बाि की जािी है िब उसमें एक िाम में शाममल होिा है स्वामी वववेकािंद का। युवा अवस्था में ही अद्भुि उपलक्धियां हामसल करिे वाले स्वामी वववेकािंद िे अपिे समय में अध्यात्म व ववज्ञाि का समन्वयि अद्भुि ककया था , देश क े बाहर जाकर अपिे िमम व संस्कारों का प्रचार ककया, मशकागो क े सवम िमम सम्मेलि में अपिे ओजस्वी भाषण से दुनिया भर को चमत्कृ ि ककया । ऐसे व्यक्तित्व ही युवाओं का प्रेरणास्रोि होिे हैं जो रटी रटाई लीक पर िहीं चलिे अवपिु अपिा एक अलग रास्िा बिािे हैं। 12 जिवरी वववेकािंद क े जन्मददवस को पूरा देश राष्ट्रीय युवा ददवस क े रूप में मिािा है िब आज क े युवाओं से भी कु छ आशा एवं अपेक्षाएं करिा है युवा चाहिा है देश। युगबोध वाले हों नए वववेकानंद: दुनिया का सबसे युवा देश, ववज्ञाि व िकिीकी में कमाल करिे वैज्ञाानिक, खेल की दुनिया में बढ़िे कदम यही है आज क े भारि की पहचाि, और इस पहचाि का पूरा - पूरा श्रेय जािा है देश की युवा पीढ़ी को । जब सूयम ककम से मकर रामश में संक्रमण करेगा , िब एक साथ ववज्ञाि व ममथ िथा संस्कृ नि का अद्भुि समन्वयि होगा , और ववश्व देखेगा कक क ै से सूयम क े उत्तरायण होिे से निल निल बढ़कर ददि इििा फकम पैदा कर लेिा है कक शरद व ग्रीष्ट्मकाल में भारी अंिर ददखिे लगिा है उसी िरह से युवा पीढ़ी को जाििा होगा कक एक -एक कदम बढ़ािे से ही जीवि क े सफर में मंक्जल हामसल की जा सकिी है । नए रास्ते की समझ जरूरी एक िरफ बुजुगोंंं की पसंद का परंपरागि रास्िा, उिकी अपिी सोच व संस्कार हैं िो दूसरी और बहुि ही िेजी से बढ़िा ववज्ञाि और िकिीकी व डिक्जटल युग । एक से प्रगनि में ज्यादा गनि संभव िहीं है िो दूसरे क े आफ्टर इफ े त्स अभी ज्यादा पिा िहीं हैं अिः क े वल एक ही रास्िे पर चलिे का वति अभी िहीं आया । हर हाल में िए रास्िे की समझ पैदा करिी पड़ेगी । चाहहएं गतत भी और मतत भी
  • 15. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 2 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 आज का युग गनि का युग है और ‘स्पीड़ ववद एतयुरेसी ’ आज का ध्येय वातय है । अगर आपको आगे बढ़िा है िो हर हाल में समय क े साथ चलिा होगा । कायम क े प्रनि समपमण इसक े मलए पहली शिम है । िई पीढ़ी इस ददशा में सजग लग रही है िभी िो निजी क्षेर में िैिाि युवा ब्रिगेड़ दस बारह घंटे िक ब्रबिा थक े व रुक े काम कर रही है । पर , अगर यही बाि सावमजनिक क्षेर में भी आ जाए िो भारि सोिे की चचडड़या में िधदील करिे में ज्याादा देर िहीं लगाएगा । नैततकता सबसे जरूरी समपमण क े साथ लक्ष्य क े क्न्िि होिा अनिवायम शिम है । जो भी करें वह लक्ष्य क ें दिि हो। तया, तयों ,क ै से व कब करिा है यह िय करक े ही पहला कदम उठािा समझदारी है । कफर उस लक्ष्य क े मलये समय सीमा िय कर छोटे छोटे कदम उठाकर उस ददशा में बढ़िे वाले निक्श्चि सफल होंगे। । और हां ,क े वल सफलिा ही जीवि की साथमकिा का मूलमंर िहीं है अवपिु सफलिा पािे क े मलए संसाििों व प्रकक्रया की पववरिा क े साथ ,िैनिक मूल्यों को भी ि छोड़िे वाले की सफलिा चचर स्थाई होिी है । क े वल भौनिक समृद्चि का लक्ष्य ही हामसल िहीं करिा अवपिु अपिे संस्कार व संस्कृ नि को भी बचािा बढािा व समृद्ि करिा होगा िभी हम ‘तवामलटी ववद डिफरेंस’ को भी पा सकिे हैं । तकनीकी पर हो पकड़ िकिीकी पर पकड़ और अिुिािि यानि अल्रामांििम और एिवांस टेतिालोजी को प्रयोग करिा ज़रुरी है । कम्पयूटर अब छोटी बाि हो गई है िैिो िकिीकी और डिक्जटलाइजेशि को अपिाए ब्रबिा कामयाबी की बाि सोचिा महज कल्पिा मार ही होगा । अिः ब्रबिा दहचक िई से िई िकिीकी का उपयोग करिा होगा आज की युवा पीढ़ी को, िभी ग्लोबल गांव हो चले ववश्व में आप दटक पाएंगें । बुजुगों का दातयत्व बुजुगों का भी दानयत्व है कक युवा को उसक े मि की भी करिे दें, उसकी ऊजाम को सम्माि व सही ददशा दें और अपिे अिुभव को उसक े सामिे इस िरह रखें कक वह हस्िक्षेप िहीं वरि ् एक सलाह लगे। वववेकानंद का मतलब आज वववेकािंद का मिलब है उिकी ही िरह की रचिात्मकिा, योग ववज्ञाि, संस्कृ नि व संस्कारों िथा देश भक्ति को आज की युवा पीढ़ी में संचाररि करिा होिा चादहए । अब कु छ भी कहें आिे वाले समय में पुरािी सोच काम िहीं आएगी । देश को िई ददशा देिे काम
  • 16. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 3 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 अगर कोई करेगा िो वें युवा ही होंगें । इसक े मलए उन्हें िशे को 'िा' एवं जीवि को 'हां' कहिे का एक युग बोिक संदेश संदेश ददया जािा बहुि जरूरी है । सरकार एवं समाज दोिों को ममलकर ऐसी पररक्स्थनियां पैदा करिी पड़ेगी क्जससे कक हमारी युवा पीढ़ी िशे क े संजाल में ि फ ं से एवं जीवि को एक आदशम क े रूप में जीिे की ओर बढ़े। शांि चचर होकर सोचिे की कला दीक्षक्षि करें संबंिों में पववरिा खुश स्थाि दे दहंसा एवं चाररब्ररक पिि से दूर रहकर राष्ट्र निमामण में योगदाि दें िो आज क े युवा में एक िहीं लाखों वववेकािंद ममल जाएंगे।
  • 17. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 4 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 कोई भी समस्या , समस्या नहीं होती , एक अवसर होता है । डॉ शिवा धमेजा अपने आप को परखने का अवसर , अपने आप को दूसरों क े मुकाबले ज्यादा अच्छा साबबत करने का अवसर । रवींद्रनाथ टैगोर का कथन है- हर बच्चा इस संदेि क े साथ पैदा होता है कक भगवान अभी भी मनुष्य से तनराि नहीं हुआ है । भगवान नहीं थकते तो तुम क ै से थक सकते हों ? वह इनसानों को बनाकर अभी थका नहीं है , सही है । इनसानों ने भगवान की बनाई हुई इस सुंदर दुतनया का रूप ही बबगाड़कर रख हदया । उसे जो करना था वे चीजें तो उसने बहुत कम कीं , लेककन उन चीजों को बहुत ककया जो उसे नहीं करनी चाहहए थी । जैसे हम सब व्यस्त हैँ, खुद क़ो कु छ न कु छ बनाने में कक कोई कहे तो सही कक क्या रुतबा है, क्या सैलरी है, बहुत नाम कमाया, बड़ा घर बना शलया वगैरह – वगैरह | ईश्वर ने क े वल इसशलये ही भेजा हमें या कु छ और भी करना चाहहए ? अगर आपकी बनाई हुई कृ तत अपना रूप बदल लेती है तो आप बहुत नाराज होंगे । आप कागज पर कु छ शलखना चाह रहे हैं और वैसा नहीं बन पा रहा जैसा आप चाहते हैं , तो आप गुस्से में कागज को ही फाड़कर फ ें क देते हैं । चचत्रकार गुस्से में अपनी पेंहटंग पर ढेर सारा रंग ढोल देता है , पर भगवान वैसा नहीं करता । हमने तो भगवान क े हदए मनुष्य िरीर और हदमाग़ का कोई इस्तेमाल ही नहीं ककया... मानव तक ना बन पाये लेककन भगवान
  • 18. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 5 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 वह इनसानों क े तमाम गुनाहों , असफलताओं क े बाद भी तनराि नहीं होता । उसमें उम्मीद की सबसे लंबी ककरण है , जजसका कोई अंत नहीं । आम आदमी पचास साल की सकिय जजंदगी जीता है और उसी में शमलने वाली असफलताओं से परेिान हो जाता है । खुद को तनराि मान लेता है , जबकक ऐसा होना नहीं चाहहए । दरअसल , आप.जजसे असफलता मानते हैं वह क े वल पररणाम होता है । सफर तो हमेिा चलने वाला है । कोई भी पररणाम अंततम पररणाम नहीं होता । एक पररणाम खराब हो सकता है , लेककन इसका मतलब यह तो नहीं कक हम सफर पर ही चलना बंद कर दें । ट्रेन कैं शसल हो गई तो क्या हम गंतव्य तक पहुंचने की इच्छा ही त्याग देते हैं ? हो सकता है एक हदन क े शलए अपना सफर टाल दें , लेककन कफर नई ट्रेन अपना ररजवेिन कराते हैं । एक और सीख शमलती है कक जजंदगी में कोई भी पररणाम तनरी ट्रेजेडी नहीं होता , वह शसफफ एक सबक होता है । उससे सीखने की जरूरत होती है । कोई भी समस्या , समस्या नहीं होती , एक अवसर होता है । अपने आप को परखने का अवसर , अपने आप क़ो साबबत करने का अवसर । याद रखखए , जजस इनसान ने दुतनया में सबसे ज्यादा समस्याएं झेलीं , वह इनसान सबसे ज्यादा सफल साबबत हुआ । अगर आपक े सामने कोई रास्ता नहीं तो आप ईश्वर क े बारे में सोचें । आप जरूर ववजयी होंगे । ओिो कहते हैँ - उसे बहुत मूल्य कभी मत दो जो आज है और कल नही होगा। जजसमें पल-पल पररवतफन है उसका मूल्य ही क्या? पररजस्थततयों का प्रवाह तो नदी की भांतत है। उसे देखो, उस पर ध्यान दो, जो नदी की धार में भी अडडग चट्टान की भांतत जस्थर है। वह कौन है? वह तुम्हारी चेतना है, वह तुम्हारी आत्मा है, वह तुम वास्तववक स्वरूप में स्वयं हो! सब बदल जाता है, बस वही अपररवततफत है। उस ध्रुव बबंदु को पकड़ो और उस पर ठहरो । ईश्वर ने गहराइयों तक जीवन क़ो समझ पाने क े शलए बुद्चध प्रदान की और सागर जैसे जीवन क़ो हमने नाले क े पानी की तरह बहा हदया |
  • 19. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 6 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 जलालुदीन रूमी एक सूफी फकीर हुए। जब वो जवान थे तो खुदा से कहा मुझे इतनी ताकत दे कक दुतनया को बदल दूूँ। खुदा ने कोई जवाब नहीं हदया। कफर समय बीता। रूमी ने कहा खुदा इतनी ताकत दे कक मैं अपने बच्चों को बदल सकुं । कफर कोई जवाब नहीं शमला। रूमी जब बूढा हो गया उसने कहा कक खुदा इतनी ताकत दे कक मैं खुद को बदल सकुं । तब खुदा ने कहा कक रूमी ये बात तो जवानी में पूछता तो कभी की िांतत घट जाती । दुतनया में सबसे ज्यादा कलेि यही है, पत्नी अपने पतत को बदलना चाहती है, पतत अपनी पत्नी को, माूँ बाप अपने बच्चों को,, बस इसी जद्दोजहद में जीवन बीत जाता है। पर कोई अपने आप बदलना नहीं चाहता । आप अगर ककसी भी बात क़ो बहुत सामान्य न लेकर गहराई से समझें तो आप समझ जायेंगे कक आपको क्या करना है | ईश्वर ने बताया कक हम और आप जीवन में जो कु छ भी कर पाये िायद सौ में से दस प्रततित ही तब भी ईश्वर हमसे तनराि नहीं हुए हम हर हार पर ऐसे थक े कक कई बार तो कफर से संभलने में समय की लम्बी अवचध नष्ट कर दी हमने | श्री श्री परमहसं योगानन्द जी कहते हैँ कक जब आप अपनी बुरी आदतों का त्याग कर देते हैं, क े वल तभी आप सही अथों में स्वतन्त्र व्यजक्त हैं। जब तक आप एक शसद्ध पुरुष न बन जायें, और स्वयं को उन कायों को करने का आदेि देने क े योग्य न हो जायें जजन्हें आपको करना चाहहये, भले ही आप उन्हें करना न चाहते हों तब तक आप एक मुक्त आत्मा नहीं हैं। आत्म-संयम की उस िजक्त में ही िाश्वत मुजक्त का बीज तनहहत है। आप ईश्वर से समवपफत भाव से हमेिा ये कहहये कक "प्रभु! मेरे हाथ और पैर आपक े शलये कायफ कर रहे हैं। आपने मुझे इस संसार में एक ववशिष्ट भूशमका तनभाने क े शलये दी है, और मैं इस जगत् में जो कु छ भी कर रहा हूूँ वह क े वल आपक े शलये है। " स्वयं को ईश्वर क े प्रतत समवपफत कर दीजजये और आप देखेंगे कक आपका जीवन की हर समस्या क़ो अवसर क े रूप में देखने लगेंगे | याद रखखयेगा कक हम में से हर कोई आज समस्या पर ही बात करता नज़र आता है अवसर या समाधान की नहीं,
  • 20. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 7 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 ब्रह्माण्ड में एक तनयम कायफ करता रहता है आपक े ववचार ही प्रसाररत होकर पररणाम लेकर आते हैँ अतः जजतनी ज्यादा बात हम समस्या की करते हैँ उतनी अगर समाधान की करें तो नजररया तो बदलेगा ही पररणाम भी बदलेगा |
  • 21. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 8 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 राम की शक्ति पूजा और निराला िॉ. िीलम मसंह युगों बाद मां भारिी की आरिी उिारिे वाले ऐसे व्यक्तित्व कला और सादहत्य क े क्षेर में अविररि हुआ करिे हैं कक क्जिका जीवि ही एक चचरन्िर आरिी का गीि बि जाया करिा है। क्राक्न्िदृष्ट्टा और युग कवव निराला का एक ऐसा ही व्यक्तित्व था, क्जसक े मलए मां भारिी भूमम युगों िक आंसू बहािी रहेंगी। आिुनिक दहंदी कवविा में सूयमकांि ब्ररपाठी ‘निराला’ अपिा एक ववमशष्ट्ट स्थाि रखिे हैं। वे आिुनिक युग क े सवामचिक मौमलक क्षमिा से संपन्ि कवव हैं। इसका प्रमाण कवव का रचिात्मक वैववध्य स्वयं प्रस्िुि करिा है। कोई भी कवव या लेखक अपिे समय में व्यापि मान्यिाओं, ववचारिाराओं और पररक्स्थनियों से प्रभाववि हुए ब्रबिा रचिा कमम में प्रवृत्त िहीं हो सकिा। वह अपिे युग में व्यापि ववषमिाओं और समाििाओं को अपिी रचिा में चचब्ररि करिा है। निरालाजी अपिे काव्य क े माध्यम से अपिे युग की पररक्स्थनियों से समाज को अवगि करािे में पूणम सफल रहे हैं। ‘ दहंदी सादहत्य क े क्षेर में निराला का आगमि वविोह स्वर की सूचिा देिा है। आरम्भ से अंि िक उिक े काव्य में गिािुगनिकिा क े प्रनि वविोह है। इसका उदारहण उिका पूंजीवाद क े प्रनि वविोह ‘कु कु रमुत्ता’ कवविा में उग्र स्वर प्रत्यक्ष प्रकट हुआ है। ‘राम की शक्तिपूजा’ निरालाजी की कालजयी रचिा है और उिक े समूचे कृ ित्व एवं व्यक्तित्व का गौरव भी है। इस कवविा की रचिा सि ् 1936 ई. में हुई थी। इस कवविा का कथािक िो प्राचीि काल उसे सवम ववख्याि रामकथा क े एक अंश से है, ककंिु निराला जी िे इस अंश को िये मशल्प में ढाला है और िात्कामलक िवीि सन्दभमओं से उसका मूल्यांकि ककया है। युग की प्रवृवत्त क े अिुसार कवव कथािक की प्रकृ नि में भी पररविमि लािा है। यदद निराला जी ‘राम की शक्तिपूजा’ कवविा क े कथािक की प्रकृ नि को आिुनिक पररवेश और अपिे िवीि दृक्ष्ट्टकोण क े अिुसार िहीं बदलिे िो यह कवविा क े वल अिुकरण मार और महत्वहीि होिी। प्रकृ नि में पररविमि कवव ववशेष भाव व-भूमम पर पहुंचिे क े मलए करिा है और इसक े मलए कवव िये मशल्प का गठि करिा है। कथािक की प्रकृ नि क े संबंि में बच्चि मसंह क े ववचार कु छ इस प्रकार हैं—‘ कथािक की अपिी स्विंर सत्ता िो होिी है ककन्िु उसकी सुनिददमष्ट्ट प्रकृ नि िहीं मािी जा सकिी। रामचररि मािस की स्विंर सत्ता है, लेककि वाल्मीकक रामायण में उसकी एक प्रकृ नि है। रामचररि मािस में दूसरी और साक े ि में
  • 22. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 9 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 िीसरी।’ (1) इस प्रकार निराला िे कथािक िो रामचररि पर ही मलया है ककंिु उसको अपिे पररवेश की प्रकृ नि में ढाला है। यह कथािक अपरोक्ष रूप से अपिे समय क े ववश्व युद्ि पर दृक्ष्ट्टपाि करािा है, जहां घिघोर निराशा में कवव सािारणजि क े हृदय मेंआशा की लौ ददखािे की कोमशश की है, जो राम-रावण क े युद्ि क े वृत्तांि से संभव थी। निराला िे राम िाम को ही इस कवविा में प्रनिपाददि तयों ककया? जबकक यह शधद िो अपिे संबोिि से ही अविार का संबंि स्पष्ट्ट करिा है, तयोंकक मध्यकालीि सादहत्यकारों िे इस िाम को अविार क े रूप में मुख्यिरू दशामया है और वह उसी रूप में बंिा हुआ है। राम िाम क े सम्बंि में रामदुलारे वाजपेयी का कथि है---‘उिक े सम्मुख कोई बिे बिाए आदशम या िपे-िुले प्रनिमाि ि थे इसमलए िो कु छ भी उन्हें उदाहरणों में अच्छा और उपयोग ददखाई ददया उसी को वे िये सांचे में ढालिे लगे। राम और कृ ष्ट्ण अिक े सवामचिक समीपी और पररचचि िाम थे, अिएव इन्हीं चरररों को उन्होंिे अपिे िये सामाक्जक आदशों की अिुरूपिा देिे की ठािी। ’(2) निराला क े सम्मुख प्राचीि आदशम प्रनिमाि िहीं आया था, इसमलए उन्होंिे यहां राम-िाम को ही उद्िृि ककया है, ककंिु िवीि रूप में, तयोंकक ये राम अवरिारी राम िहीं बक्ल्क संशय युति मािव अपिे समय का सािारण मािव है जो अपिे समय की पररक्स्थनियों से अवसादग्रस्ि भी है।– ‘ जब सभा रही निस्िधिरू राम क े क्स्िममि ियि छोड़िे हुए शीिल प्रकाश रविे ववमि जैसे ओजस्वी शधदों का जो था प्रभाव उसमें ि इन्हें कु छ चाव, ि कोई दुराव’ ज्यों हो वे शधद मार, मैरी की समिुरुक्ति, पर जहां गहि ऽंांाव क े ग्रहण की िहीं शक्ति।’ (3) निराला क े राम अपिी उदात्तिा क े कारण क्जििे प्रभावी और स्वर लगिे हैं उििे ही अपिी मािव सुलभ दुबमलिाओं क े कारण मिोद्वंदों से नघरे हुए मामममक सहि एवं हृदयस्पशी भी प्रिीि होिे हैं। अिेक स्थािों पर िो निराला जी िे राम क े रूप में अपिे को ही प्रनिक्ष्ट्ठि करिे का सफल प्रयास ककया है। यथा--- ‘ नघक जीवि जो सहिी ही आया ववरोि’ यह कथि क्जििा राम क े जीवि पर सटीक बैठिा है, उििा ही स्वयं निराला जी क े जीवि पर भी । निराला की जीवट, जीवि और मूल्यों क े
  • 23. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 10 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 प्रनि निष्ट्ठा, ववरोि वविोह और कभी ि हारिे वाला व्यक्तित्व निराला में भी राम क े ही समाि है। इस कवविा में युद्ि क े मध्य उत्पन्ि मािमसक प्रकक्रया है क्जसमें राम क े चररर क े रूप में क े वल मािवीय रूप उभारकर पग-पग पर सामिे आया है, जो प्राचीि रामकथा की रुदढ़यों को िोड़ िवीि दृक्ष्ट्टकोण को पररऽंांावषि कर रहा है----- ‘ क्स्थर राघवेंि को दहला रहा कफर-कफर संशय, रह-रह उठिा जग जीवि मं रावण-जय-भय’ (4) ‘कल लड़िे को हो रहा ववकल वह बार-बार, असमथम माििा मि उद्यि हो हार-हार’(5) ‘भाववि ियिों से सजल चगरे दो मुतिादल’ (6) ‘बोले रघुमणण ममरवर ववजय होगी ि समर’(7) ‘अन्याय क्जिर, हे उिर शक्ति! कहिे द्वल-छल्ल हो गए ियि, कु छ बूंद पुिरू दृगजल रुक गया कण्ठ’(8) स्पष्ट्ट है कक निराला िे अपिी कवविा में मिोवैज्ञानिक भूमम का समावेश कर उसे एक िवीि दृक्ष्ट्टकोण ददया है। बंगला कृ नि ‘कृ निवास’ की कथा शुद्ि पौराणणकिा से युति अथम की भूमम पर सपाटिा रखिी है, लेककि निराला िे यहां अथम की कई भूममयों का स्पशम ककया और उसमें युगीि चेििा आत्मसंघषम का भी बड़ा प्रभावशाली चचर प्रस्िुि ककया है। िाटकीयिा क े संदमम में यदद देखा जाय िो निराला िे उसका भी प्रभाव उति कवविा में ववखेरा है, जो पूवम में ककसी अन्य कवव िे अपिे काव्य में वणणमि िहीं ककया। सम्पूणम हिुमाि का पररदृश्य आिुनिक िाटकीय दृक्ष्ट्टकोण का िमूिा है जो ववकरालिा और प्रचंििा का रूप िारण कर सामिे आया है। निराला िे प्रकृ नि को रीनिकालीि कववयों की भांनि कामिीय रूप में ि चचब्ररि कर उसे शक्तिरूपा दुगाम क े रूप में ढाला है। िवीि प्रयोग क े रूप निराला िे भूिर को पुरुष का प्रिीक ि ददखाकर पावमिी क े रूप में चचब्ररि कर िवीि दृक्ष्ट्टकोण ददया है।---‘सामिे क्स्थर जो यह भूिर शोमभि-शर-शि हररि-गुल्म-िृण से श्यामल सुंदर पावमिी कल्पिा है इसकी मकदंद-ब्रबंदु, गरजिा चरण-प्रान्ि पर मसंह वह िहीं मसंिु दशददक-समस्ि है हस्ि’(9) इस प्रकार हम देखिे हैं कक ‘राम की शक्ति पूजा’ में निराला िे अपिी मौमलक क्षमिा का समावेश ककया है। इसमें कवव िे पौराणणि प्रसंग क े द्वारा िमम और अिमम क े शाश्वि संघषम
  • 24. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 11 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 का चचरण आिुनिक पररवेश की पररक्स्थनियों से संबद्ि होकर ककया है। कवव िे मौमलक कल्पिा क े बल पर प्राचीि सांस्कृ निक आदशों का युगािुरूप संशोिि अनिवायम मािा है। यही कारण है कक निराला की यह कवविा कालजयी बि गयी है। सन्दभम सूची------ 1. क्रांनिकारी कवव निराला-बच्चि मसंह, ववश्वववद्यालय प्रकाशि चौक, वाराणसी, संस्करण-1992 पृ.सं.77 2ं् आिनिक सादहत्य सृजि और समीक्षा- िॉ. मशवकु मार ममश्र, िंददुलारे वाजपेयी, प्रकाशि एस.सी वसािी, संस्करण 1978 पृ.सं. 48 3. रामववलास शमाम, रामववराग, लोक भारिी प्रकाशि 15ए, महात्मा गांिी मागम, इलाहाबाद- 1, ग्यारहवां संस्करण 1986 पृ.सं. 98 4. वही पृ. सं. 94 5. वही पृ. सं. 94 6. वही पृ. सं. 95 7. वही पृ. सं. 98 8. वही पृ. सं. 98 9. वही पृ. सं. 101
  • 25. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 12 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 गुन ना हहरानो गुन गाहक हहरानो है। इस भावना क े साथ शमत्रो! मेरी इस रचना क े तुकान्त न देखते हुए इसक े लय ववधान को देखें यह आठ सोलह व बत्तीस मात्राओं क े अनुिासन में मत्त सवैया क े प्रवाह में एक छन्दबद्ध रचना है। क े वल एक बार पढ जाएूँ। कववता ऐसे भी होती है। आनन्द लें व आिीष दें। समझो द्वारे पर है बसन्ि चगरेंि भदौररया ‘प्राण’ मद्चिम कु हरे की छटा चीर पूरब से आिे रक्श्मरथी उिक े स्वागि में भर उड़ाि आकाश भेदिे कलरव से खग वंश बेमल क े उच्चारण जब अथम बदलिे लगें और बहुरंग नििमलयााँ चटक मटक आ फ ू ल फ ू ल पर माँिराएाँ जब मौि िोड़ कोयलें गीि अमराई में गा उठें और मिुकर क े गुंक्जि राग उठें पड़कु मलया गमकाए ढोलक जब झााँझ बजाएाँ मैिाएंंाँ बज उठें माँजीरों सी फसलें लग उठे िबलची सा बैठा कर उठे गुटुर गूाँ हर कपोि मोरिी मोर का िाच देख इिरािे लगे बगीचे में महुआ मदमािा हुआ कहे टेसू का लाल सुखम चेहरा पी रहा िरा की हररयाली सवमथा िवीिा कली कली सुषमा ब्रबखेरिी हो कदली वपयराई सरसों फ ू ल ब्रबछा खेिों में अाँगिाई लेिी ववटपों से मलपटीं लनिकाएाँ आमलंगि करिीं लगिीं हों, चुम्बि पर चुम्बि जड़िीं हों। समझो द्वारे पर है बसन्ि।। जब सघि विों क े बीच बीच गायों क े गोबर से लीपे आश्रम क े आाँगि आाँगि में घी सिी बिी हवव सममिा से हो उठे हवि में सन्िों की आहुनियों से उठ रहा िुआाँ जब मन्द मन्द ले उड़े पवि ब्रबखरािा जाए ददक्ग्दगन्ि उल्लासभरी िरुणाई पर छा उठे जोश िव यौवि का खुशबू ब्रबखेरिी ममलकाएाँ मुस्कािीं आिीं लगिीं हों, जब रंग ब्रबरंगे फ ू लों की मदमािी झूमा झटकी में मचलीं हों कमलयााँ णखलिे को णखलणखला उठे सौन्दयम स्वयं हो उठें मिोहारी पी पल हर दृक्ष्ट्ट सुहािी सृक्ष्ट्ट देख जागे वववेक हर लेख लेख कर उठे समीक्षा सौरभ की िरिी मािा क े गौरव की पिझड़ से उजड़े वि वि में सममिाएाँ आिे लगिीं हों शुचचिाएाँ छािे लगिीं हों,
  • 26. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 13 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 अमराई की शाखाओं सी बदहयााँ बौराईं लगिीं हों, िददयााँ कृ शकायी लगिीं हों, समझो द्वारे पर है बसन्ि।। कह उठे गगि हा रसा रसा हर वसि लगे जब कसा कसा हो ददशा ददशा की एक दशा िि पर मादकिा भरा िशा वाणी अवाक् रह जािी हो ब्रबि कहे अदा कह जािी हो संक े ि मुखर हो जािे हों अरमाि मशखर हो जािे हों हर ओर छोर िक पोर पोर बासन्िी राँग में बोर बोर सौन्दयमलोक की वही दृक्ष्ट्ट रचिे को आिुर िई सृक्ष्ट्ट गािे हों ककन्िर ककन्िररयााँ हर िरह अिूठी अलसािीं आिन्द लुटािीं इठलािीं सम्मोदहि करिीं बल्लररयााँ, कल्पिािीि िरुणाई में लटका ललिाएाँ झल्लररयााँ जब दबा दबा कर ओठों से सकु चाईं सीं बौराईं सीं मददराईं सीं भरमाईं सीं घर में आईं सीं लगिी हों, गमलयााँ गदराईं लगिीं हों रक्तिमाहररि कोपलें उमग ववटपों पर कौिूहल करिीं कु छ मस्िािीं कु छ सुस्िािीं उल्लास जगािीं बलखािीं सकु चािीं आईँ लगिीं हों, समझो द्वारे पर है बसन्ि।। गुिगुिी िूप शीिल समीर मि मुददि ककन्िु आिा अिीर सुखदाई कु छ कु छ दुखदाई पीिाभ पल्लवों की लडड़यााँ िरिी पर चगरिीं झूम झूम लावण्यमयी ममष्ट्ठास प्रबल होिी हो कड़वी पर हलचल आकषमण और ववकषमण की बेलाएाँ सजिीं लगिीं हों, खारीं लहराईं लगिी हों आलाप दटटहरी का सुिकर गा उठे पपीही वपया वपया ब्रबरदहनि क े मि में उठे हूक हो उठे कलेजा टूक टूक गािी हो कोयल कू क कू क चािक जािा हो चूक चूक वविवा सिवा की नछड़े जंग उड़ चले कहीं चढ़ उठे रंग चचकिी चचकिी हर देह एक बदलाव मलए जब मटक मटक चटकीले मटक े सी फ ू ली फ ू लों की िाली से बोले रंगीि ममजाजी मंजररयााँ मरुथल में जैसे जल पररयााँ ओढ़े बासन्िी चूिररयााँ मदमािी आिी किमररयांंाँ ब्रबि धयाहीं युविी सुन्दररयााँ सामाक्जक भय से िरीं िरीं प्रेमी से जाकर दूर खड़ीं उन्मि अलसाईं लगिीं हों हारीं हरजाई लगिीं हों ििमुख शरमाईं लगिीं हों, समझो द्वारे पर है बसन्ि।।
  • 27. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 14 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 “जाग उठो िारी” वप्रया देवांगि िरा िवल निमामण करो िुम, साहस सब से है भारी। कदम बढ़ा कर आगे आओ, जाग उठो िुम हे िारी।। बीि गयी वो काली रािें, अश्रु िीर जब पीिे थे। घूंंाँघट की चाहरदीवारी,जहाँ बेबस हो जीिे थे।। त्याग दया ममिा की मूरि, देवी की वो अविारी। कदम बढ़ा कर आगे आओ, जाग उठो िुम हे िारी।। छोड़ चलो क ं टक राहों को,आशा ककरण जगािा है। स्वणणमम युग की आभा बिकर, आसमाि छ ू जािा है।। स्पशम िहीं कर पाये पापी, बिो आग क े अंगारे। टूट पड़ो बि मेघ दाममिी, देख सभी दुश्मि हारे।। िुम से चलिी सारी दुनिया, सरस्विी लक्ष्मी सीिा। सत्य राह ददखलािे वाली, िुम रामायण अरु गीिा।। वति पड़े गर झााँसी रािी, कलयुग की वो झलकारी। कदम बढ़ा कर आगे आओ, जाग उठो िुम हे िारी।।
  • 28. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 15 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 वणम वपराममि वविा ६, फरवरी खाि अधदुल गफ्फार खाि जन्म जयंिी खाि अधदुल गफ्फार खाि समीर उपाध्याय हााँ िेिा महाि पाककस्िाि बलूचचस्िाि भारि ममलाि स्विंरिा आह्वाि। हााँ शक्ति प्रपाि सीमा प्रांि वतिा निष्ट्णाि अंग्रेज आघाि प्रखर झंझावाि। हााँ
  • 29. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 16 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 स्राव प्रभाव भािृ भाव दहंद झुकाव लिाकू स्वभाव अद्भुि स्थायीभाव। हााँ आि सम्माि दहन्दुस्िाि गांिी ममलाि दांिी यारा शाि सेिािी कीनिममाि। हााँ भव्य हुंकार ललकार लीग प्रहार वास कारागार दहंद रत्ि गफ्फार।
  • 30. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 17 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 कवविा -शाही सवारी हााँ शाही सवारी चमत्कारी रथ ववहारी आभा दरबारी सारथी निववमकारी प्रेमी युग्म ककलकारी हररि वस्र मिोहारी मोहक सुगंि वपचकारी शीिल समीर भाव संचारी स्वणम सरसों भूषण आबकारी प्राकृ निक सौंदयम अद्भुि वपटारी मािव जीवि िवल ऊजाम प्रभारी वसंि राज भव्यानिभव्य शोभा भंिारी।
  • 31. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 18 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 गुजरिा वति बृजेश क ु मार सररिा अपिी वपिा की दूसरी बेटी थी | उिक े वपिा का िाम जगजीवि था जो कक स्टे का कायम करिा था | सररिा की वपिा क े पास खूब िि होिे क े कारण उन्होंिे अपिी बेदटयों की परवररश बहुि अच्छी प्रकार की िथा उन्हें माध्यममक मशक्षा िक पढ़ाया | जैसे सररिा 16 वषम की हुई उिकी मािा सुगिाबाई िे जगजीवि से कहा कक कोई सुयोग्य लड़का ढूंढ कर सररिा का वववाह कर देिा चादहए | जगजीवि जो स्टे क े कायम में अत्यचिक व्यस्ि होिे क े कारण सुयोग्य वर ढूंढिे क े मलए समय िहीं दे पािा था | घर में रोज सुगिा िथा जगजीवि क े बीच इसी बाि पर लड़ाइयां होिी रहिी | आणखर कार जगजीवि िे आगरे क े स्टे व्यापारी क े लड़क े सुजाि क े साथ सररिा का ररश्िा िय कर ददया और सुजाि भी अपिे वपिा क े साथ स्टे का कायम ही ददखिा था | एक ददि ऐसा आया कक सुजाि और सररिा का वववाह देवउठिी ग्यारस पर कर ददया गया | जगजीवि िे अपिे सामर्थयम से बाहर अपिी बेटी क े वववाह में पैसा लगाया | इिर सररिा की सास उसे बहुि लाि पयार से रखिी | सारे ददि िई िवेली बहू को स्वणम आभूषणों को पहिाई रखिी | कहिी कक समाज में लोग तया कहेंगे कक इििे बड़े व्यापारी की बहू समाज में क ै से रहिी है | सररिा भी अपिी सास की हर बाि माििी | लेककि कु छ ही ददिों बाद सुजाि राि को दारू पीकर घर आिा है और घर में सभी को गाली गलौज करिा है | सररिा कहिी है कक आप दारू पीिे हैं? सुजाि – हां पीिा हूं अपिी कमाई की िेरे बाप की िहीं | सररिा- सुजाि को समझािी है | लेककि सुजाि, सररिा की एक िहीं सुििा है और वह सररिा क े साथ मारपीट भी कर देिा है | सररिा राि भर रोिी है और अपिे भाग्य को कोसिी है | िीरे-िीरे समय गुजरिा गया | लेककि सुजाि की आदिें और भी बढ़िी गई | सररिा, सुजाि की इि आदिों से बहुि दुखी रहिी | तयोंकक वह रोज घर में सभी को गाली गलौज करिा िथा सररिा क े साथ मारपीट करिा |
  • 32. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 19 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 सररिा जब अपिी सांस से कहिी िो उसकी सास भी सुजाि की िरफ बोलिी | कहिी थी कक कोई अपिे मदम से जवाि लड़ािा है, िेरे पनि िे हीं िो मारा है, हमिे िो िहीं | सररिा िे भी अब सोच मलया था कक मैं इस घर में िहीं रहूंगी, उसिे एक पर अपिे वपिा को मलखा और सारी बािों से अवगि करा ददया | सररिा क े वपिा जगजीवि को अभी-अभी स्टे में बहुि बड़ा िुकसाि हुआ था िो उसकी क्स्थनि भी इस समय खराब थी | उसिे अपिी बेटी को पर में मलखा कक बेटा वही िुम्हारा घर है, जैसा भी है िुम्हारा पनि है | इसमें हम कु छ िहीं कर सकिे | सररिा अपिे वपिा क े पर को पढ़कर अब और भी टूट चुकी थी | तयोंकक अब उसे कु छ भी ददखाई िहीं दे रहा था | सररिा क े मि में िािा प्रकार क े ववचार चल रहे थे| लेककि उसिे निणमय मलया कक जब िक सुजाि अपिी गलि आदिों को िहीं छोड़ देिा, िब िक मैं उसक े साथ िहीं रहूंगी | सररिा की जेठािी िे उसकी इस काम में मदद की | सररिा अब आगरे में ही ककराए क े घर में रहिी है और अपिी आगे की पढ़ाई चालू की | ददि भर वह कायम करिी क्जससे अपिी आजीववका चलािी | सररिा प्रथम बार में ही अध्यावपका की परीक्षा में उत्तीणम हो गई और उसकी नियुक्ति भी आगरा क े सरकारी माध्यममक ववद्यालय में हो गई | जैसे-जैसे समय गुजरिा गया | सुजाि की गलि आदिों से पररवार क े लोगों िे भी उसे निकाल ददया | क्जससे अब उसकी क्स्थनि ददि-प्रनिददि खराब होिे लगी | एक ददि जब सररिा ववद्यालय जा रही थी िो उसिे देखा कक रास्िे में भीड़ लगी पड़ी है | जैसे ही उसिे देखा कक सुजाि बेहोश अवस्था में पड़ा है | वह उसे एंबुलेंस बुलाकर अस्पिाल ले जािी है और उसका इलाज करािी है | जैसे ही सुजाि िे सररिा को देखा िो उसकी आंखों में आंसू थे, लेककि कहिे को कु छ िहीं| सुजाि िे सररिा से वादा ककया कक वह अब अपिी गलि संगनि को छोड़ देगा और भववष्ट्य में कभी भी ककसी से गाली गलौज िहीं करेगा | अब सुजाि का हृदय पररविमि देखकर सररिा िे भी साथ रहिे का निणमय मलया | अब दोिों हंसी खुशी रहिे लगे | जो बुरा वति था वह गुजर गया |
  • 33. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 20 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 मशवदेवी िोमर भारिीय इनिहास को उठाकर देखें िो यह वीर और वीरागणाओ क े अिचगिि त्याग और बमलदाि से भरा पड़ा है| इसमें कोई दो राय िहीं है | यहां की पावि भूमम की रक्षा में मिुष्ट्य जानि क े साथ-साथ पशु- पक्षक्षयों िे भी अपिे प्राणों को न्योछावर ककया है | इस पावि भूमम क े प्रनि यहां क े लोगों का समपमण अिुलिीय है | इसमलए भारि क े लोग अपिी मािृभूमम की मम्टी को उठाकर अपिे मसर पर लगािे हैं | कु छ समय ऐसा भी आया कक यह देश ववदेशी आक्रन्िाओं क े अिीि हो गया | लेककि यहां क े लोगों िे अपिी मािृभूमम की स्वािीििा क े मलए निरंिर प्रयास जारी रखा िथा इसक े मलए उन्हें जो भी कु बामिी देिी पड़ी, उसक े मलए हर समय िैयार रहें | उिमें से एक िाम है – अंग्रेज फौज क े दमि का बदला लेिे वाली बिोि की बेटी मशवदेवी िोमर िथा उसकी छोटी बहि जय देवी िोमर | इि क्षराणी वीरांगिाओं िे अंग्रेजी सेिा क े छतक े छ ु ड़ा ददये और क्रांनि की प्रचंि ज्वाला को प्रज्वमलि कर अपिे प्राणों को न्यौछावर कर ददया| 10 मई 18 57 को भारिीय सैनिकों िे मेरठ कैं ट में अंग्रेजो क े णखलाफ वविोह कर ददया | वविोह इििा भयािक हुआ कक उसकी आग िीरे-िीरे आसपास क े गााँवो िथा कस्बों में फ ै ल गई | क्जस कारण बड़ौि क े शाहमल मसंह िोमर िे इलाक े पर घेरा िाल ददया और आजादी घोवषि कर दी | लेककि 18 जुलाई 18 57 को अंग्रेज फौज िे बिौि पर आक्रमण कर ददया | इस भीषण संग्राम में शाहमल मसंह िोमर वीरगनि को प्रापि हो गए और अंग्रेजी फौज िे बिौि क े आसपास क े गांवों में बुरी िरह लूटपाट की | क्जसमें 30 स्विंरिा सेिानियों को
  • 34. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 21 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 पकड़कर, पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी | इसक े साथ-साथ उन्होंिे गांव का रशद पािी बंद कर ददया| िथा उिकी संपवत्त और पशुओं पर भी कधजा कर मलया | इस भयािक दृश्य को 16 वषीय क्षराणी मशव देवी िोमर िे अपिी आंखों से देखा | उसक े मि में अंग्रेजी सेिा क े दमि का प्रनिशोि लेिे की भाविा जागृि हुई | मशव देवी िोमर िे अपिे साचथयों क े साथ मंरणा कर, अंग्रेजी सेिा क े णखलाफ वविोह की रणिीनि िैयार की और िौजवािों को इक्ठा ककया | मशव देवी िोमर िे अपिे साचथयों क े साथ बड़ौि में िैिाि अंग्रेजी टुकड़ी पर अचािक बहुि भीषण आक्रमण ककया | क्जससे अंग्रेज सैनिक भयभीि हो गए, बहुिों को मौि क े घाट उिार ददया गया | क्जसे अंग्रेजी टुकड़ी बड़ौि से भाग गई | जबकक अंग्रेजी सेिा क े पास आिुनिक हचथयारों से पररपूणम थी लेककि इस भीषण संग्राम में मशवदेवी िोमर घायल हो गई थी | जब घायल अवस्था में मशवदेवी िोमर का उपचार ककया जा रहा था िब अचािक अंग्रेजी फौज िे आकर क े गोमलयां दागिा प्रारंभ कर ददया, क्जससे मशवदेवी िोमर वीरगनि को प्रापि हो गई | यह दृश्य उिकी छोटी बहि जय देवी िोमर देख रही थी | उसिे अपिी बहि मशवदेवी िोमर की मृत्यु का बदला लेिे का प्रण ककया | उसे 14 वषीय बामलका िे गांव -गांव जाकर लोगों को ललकारा और उिका दल बिाकर अंग्रेजी सेिा का पीछा प्रारंभ कर ददया | आणखरकार यह दल उत्तर प्रदेश क े ववमभन्ि क्षेरों से होकर लखिऊ पहुंच गया | अंििः उन्हें अंग्रेजी सेिा की टुकड़ी का पिा चल गया और जय देवी िोमर िे अपिी िलवार निकाल कर क े अंग्रेज अचिकारी का सर िड़ से अलग कर ददया | िथा जहां पर अंग्रेज सैनिक ठहरे हुए थे उि जगहों पर आग लगा दी गई | इस भीषण संग्राम में जय देवी िोमर भी वीरगनि को प्रापि हो गई | इस प्रकार बड़ोि की दोिों बेदटयां िे मािृभूमम की रक्षा में अपिे प्राणों को बमलवेदी पर चढ़ा ददया | िथा इनिहास में अपिा िाम स्वणम अक्षरों में अंककि कर ददया |
  • 35. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 22 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 नमस्कार सर, नई गूूँज क े साक्षात्कार मंच पर हम आपका नई गूूँज ( िोध, साहहत्य एवं संस्कृ तत की उत्कृ ष्ट ऑनलाइन माशसक पबत्रका ) क े समस्त सम्पादक मण्डल की ओर से हाहदफक अशभनन्दन करते हैँ | • सर, आप अपनी प्रारंशभक शिक्षा, एवं जीवन क े िुरुवाती चरण क े बारे में हमें अवगत करवाएं • मैंने अपनी स्कू ली शिक्षा गांव क े सरकारी स्कू ल से प्राप्त की है | बी. ए. व एल. एल. बी. आगरा कॉलेज, आगरा से तथा एल. एल. एम. राजस्थान ववश्वववद्यालय, जयपुर से प्राप्त की है | यू. जी. सी. नेट, आर. पी. एस. सी. स्लेट पास की है | • सर, आपक े पररवार क े बारे में कु छ बताएं | • मेरे पररवार में वपता, भाई, बहन, भाभी व पजत्न श्वेता हैँ | वपता वैद्य हैँ, भाई मेडडकल ऑकफसर तथा पजत्न ज्योतत ववद्यापीठ से ववचध में िोध ( पी. एच. डी.) कर रहीं हैँ | • सर, आपका वतफमान पद क्या है एवं आप कहाूँ पर कायफरत हैँ ? • मैं वतफमान में राजकीय ववचध महाववद्यालय धौलपुर में सहायक आचायफ ( अशसस्टेंट प्रोफ े सर ) क े पद पर कायफरत हूूँ | नई गूंज ववचध वविेष साक्षात्कार
  • 36. NAYI GOONJ – SHODH, SAHITYA EVAM SANSKRITI (MONTHLY ) MAGAZINE 23 Www.nayigoonj.com goonjnayi@gmail.com 91-9785837924 FEB 2023 • आपकी यात्रा से मंजज़ल तक पहुंचने क े इस रास्ते में आपक े सबसे अहम प्रेरणा स्त्रोत कौन हैँ, जजन्हें आज आप अपनी सफलता का श्रेय देना चाहेंगे ? • मैम, मेरे अहम् प्रेरणा स्त्रोत माता - वपता, भाई व गुरुजन हैँ | वपता हमेिा कहते थे - " मेहनत कभी बेकार नहीं जाती वह ककसी न ककसी रूप में फल देगी और मेरे गुरु ( डॉ ववमोहन सर ) ने कहा कक " मेहनत करने पर भी सफलता ना शमले तो मेरे पास आ जाना " | • सर प्रत्येक व्यजक्त जों भी, जजस पद पर पहुूँचे हुए दुतनया क़ो हदखाई देते हैँ, उन्होंने वहाूँ तक पहुंचने क े शलए ककतने ही संघषों का सामना ककया होता है | आप अपनी इस यात्रा में संघषों क े बारे में कु छ बताएं | • यह बात पूणफतया सही है कक जजस पद पर व्यजक्त पहुूँचता है उसक े पीछे माता - वपता का आिीवाफद, उनका स्वयं का संघषफ होता है | मैंने दो बार आर. जे. एस.का साक्षात्कार , जे. एल.ओ., ए. पी. पी. तथा ई. ओ. का साक्षात्कार भी हदया लेककन सफल नहीं रहा जजससे मैं ववचशलत था लेककन वपताजी ने हौसला बढाया कक “ लगे रहो “ | उसी समय आर. पी. एस. सी. से ववचध में सहायक आचायफ की जगह तनकली और मैं पूणफ तनष्ठा से लग गया और सफलता प्राप्त हुई | • सर, आर. जे. एस. और अन्य प्रततयोगी परीक्षाओं में भाग लें रहें ववद्याचथफयों क़ो तैयारी क े ववषय में क्या महत्वपूणफ सुझाव देना चाहेंगे आप ? • जो मेरे साथी आर. जे. एस. या अन्य ववचध सम्बन्धी परीक्षा की तैयारी कर रहें हैँ, उनसे इतना ही कहूंगा कक लक्ष्य बड़ा है, मेहनत भी उतनी ही करनी होगी | यहद प्रथम प्रयास में सफलता ना शमले तो घबरायें नहीं सतत प्रयास करते रहें | आपका दूसरा या तीसरा प्रयास तनणाफयक साबबत होगा | • सर, आज की शिक्षा व्यजक्त क़ो मिीनी मानव बनाती जा रही है क्योंकक उद्देश्य नौकरी प्राप्त करने तक सीशमत हो गया है यातन इंसान संवेदना िून्य होता जा रहा है आपक े क्या ववचार हैँ इस बारे में ?