http://spiritualworld.co.in हमीद कारूँ जी नसीहत देनी:
श्री गुरु नानक देव जी रोम देश के सुलतान हमीद कारूँ को मिले| उसने बड़ी कंजूसी से ४० गंज दौलत इकट्ठी की हुई थी| कारूँ ने कबरों से मुर्दे निकाले व उनके मुंह से भी पैसे निकाल लिए| कारूँ के राज में कोई घर में अपने पास पैसा नहीं रख सकता था|
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2. श्री गुर नानक देव जी रोम देश के सुलतान हमीद कारूँ
को िमले| उसने बड़ी कंजूसी से ४० गंज दौलत इकट्ठी की
हुई थी| कारूँ ने कबरो से मुदे िनकाले व उनके मुंह से
भी पैसे िनकाल िलए| कारूँ के राज मे कोई घर मे अपने
पास पैसा नही रख सकता था| एक िदन श्री गुर नानक
देव जी कारूँ के महल के आगे बैठकर ठीकरीयां इकट्ठी
करने लगे| कारूँ ने पूछा, पीर जी! इन ठीकरीयो का क्या
करोगे? गुर जी ने स्वाभािवक ही वचन कह िदया िक
हम इसे इकट्ठी करके परलोक मे साथ लेकर जाएंगे| कारूँ
ने कहा, हे दरवेश! हमारा शरीर भी हमारे साथ नही
जाता वहां आपकी ठीकिरयां क्या साथ जाएगी? अन्त
समय एक ितनका भी साथ नही जाता| गुर जी हंसने
लगे व कारूँ से बोले - हे बादशाह!
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3. तुम लोगो पर जुल्म करके 40 गंज धन इकट्ठा िकए हो,
यह तुम्हारे साथ कैसे जाएगा? लोगो पर िकए जुल्म से
तुम नको मे दुःख पाओगे| अगर तुम अपनी भलाई चाहते
हो तो यह पाप की कमाई गरीबो मे बांट दो| गुर जी का
यह वचन सुनकर कारूँ का मन िपघल गया| वह अपने
ही पापो को याद करके कांप उठा| गुर जी को कहने लगा
िक मै धन के लालच मे तृष्णा की नदी मे बहता जा रहा
था| आप की कृपा से मे इससे िनकला हूं| मुझे खुदा का
रास्ता बताओ िजस पथ को ग्रहण करके मेरा पार उतारा
हो जाए| पश्चाताप भरे शब्दो को सुनकर गुर जी ने कहा
यह 40 गंज खजाना जो तुमने पाप से इकट्ठा िकया है
प्रभु के नाम पर गरीबो को बांट दो| अहंकार से रिहत
होकर प्रभु की बंदगी करो| गुर जी के वचनो को मानकर
कारूँ ने सभी खजाने गरीबो मे अनाज-कपड़े के रूप मे
बांट िदए| इससे लोग शािन्त से रहने लगे|
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4. कारूँ ने गुर जी के चरणो पर नमस्कार करके कहा िक
आप ने मुझ जैसे भूलण-हार को सदमागर पर डाला है|
आपकी बड़ी कृपा है| कुछ िदन यहां िविश्राम करके कारूँ
को आनिन्दत करके गुर जी आगे की ओर चल पड़े|
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