http://spiritualworld.co.in गुरु जी को गोपाल पांधे के पास पढ़ना:
बाबा कालू जी ने शुभ दिन वार पूछ कर आपको नए वस्त्र पहना कर पांधे के पास भेज दिया| आप उनके लिए कुछ नकदी व मिष्ठान भी साथ लेकर गए| महिता कालू जी गोपाल पांधे के साथ हिन्दी पढ़ाने की बात पक्की करके घर आ गए| पांधा भी गुरु जी को बुलार के पटवारी कालू चन्द का पुत्र समझ कर बड़े प्यार से पढ़ाने लगा| आपकी स्मरण शक्ति को देखकर पांधा प्रशंसा करते व कालू जी को बताते कि आपका पुत्र कितना होनहार है|
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2. बाबा कालू जी ने शुभ िदिन वार पूछ कर आपको नए
वस पहना कर पांधे के पास भेज िदिया| आप उनके िलए
कुछ नकदिी व िमिष्ठान भी साथ लेकर गए| मििहता कालू
जी गोपाल पांधे के साथ िहन्दिी पढ़ाने की बात पक्की
करके घर आ गए| पांधा भी गुर जी को बुलार के
पटवारी कालू चन्दि का पुत समिझ कर बड़े प्यार से पढ़ाने
लगा| आपकी स्मिरण शिक को दिेखकर पांधा प्रशंसा
करते व कालू जी को बताते िक आपका पुत िकतना
होनहार है|
एक िदिन श्री गुर नानक दिेव जी पांधे से कहने लगे पांधा
जी| यह बन्धन रूपी लेखा अब मिुझसे वही पढ़ा जाता|
आप मिुझे यमिो के बन्धन से मिुक होने को लेखा बताएं|
आपने वहां शब्दि का उच्चारण भी िकया|
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3. आपके िविचार सुनकर पांधे ने कहा िक आपके िविचार
उत्तम है| नाम जपने विालो को गरीबी की दशा मे देखा
जाता है| मरना भी सबका समान होता है| पांधा जी!
ज्ञानी वि अज्ञानी के मरने मे अन्तर है| अज्ञानी पुरुष
िचन्ता वि शोक के साथ कई िविषय िविकारो को साथ
लेकर मरते है, मगर ज्ञानी व्यक्तिक परमात्मा को अंग संग
देखते हुए वि यमो से िनभर्भय होकर शरीर त्यागते है| आप
जी के विचन सुनकर पांधे ने हाथ जोड़कर आपसे क्षमा
मांगी|
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