3. हड़प्पत सभ्यतत में नृत्य करती लड़की की मूर्ता पतई गई है।
जिससे सतबित होतत है की इस कतल में ही नृत्यकलत कत
विकतस हो चुकत थत। भरतमुर्न कत नतट्यशतस्र नृत्यकलत
कत सिसे प्रथम प्रमतणिक ग्रंथ मतनत िततत है। इसके
पंचिेद भी कहत िततत है।
नतट्यशतस्र के ससद्तंत के अनुसतर नृत्य दो तरह कत
होतत है-
मतगी
लतस्य
4. मार्गी(ताांडव)
यह नृत्य भगितन शंकर ने
ककयत थत। यह पौरुष और
शजतत के सतथ ककयत िततत
है।
लतस्य
एक कोमल नृत्य है जिसे
भगितन कृ ष्ि गोवपयो के
सतथ ककयत करते थे।
5. भरतनतट्यम
भरत मुर्न के नतट्यशतस्र पर आ्तररत है इस नृत्य शैली
कत विकतस दक्षिि भतरत के तसमलनतडू मे हुआ।यह
शुरुआत मे देिी देिततओ दितरत ककयत िततत थत।
यह नृत्य में पैरों को लयिद् तरीके से िमीन में फटकत
िततत हैं,
रुजतमिी देिी अरुिडेल भतरत की सिसे पहली प्रख्यतत नृत्य
कतरी हुए है।
6.
7. आंध्रप्रदेश के कु चेलपुरम नतमक ग्रतम में इस नृत्य शैली
कत उदभि हुआ है। यह मूल्यतत पौरुषो कत नृत्य है। इस
शैली कत विकतस तीथा नतरतयि और ससद्ेन्दर योगी ने
ककयत है। इस नृत्य मे कनताटक संगीत कत प्रयोग होतत है।
यह नृत्य रतत मे होतत है।
8.
9. भरतमुर्न की नृत्य शैली पर आ्तररत इस शतस्रीय नृत्य
शैली कत उदभि ि विकतस दूसरी शततब्दी ई.पू. में ओडडसत
के रतित खरिेल के शतसनकतल में हुआ।
इसमे विसभन्न शतरीररक जभ्ंगमतओ में शरीर की
सतम्यतिस्थत कत अध्क महत्ि होतत हैं।
सोलन मतन ससंह, समनतती दतस नृत्यकतरी थे।
10.
11. उत्तर भतरत कत यह शतस्रीय नृत्य मूलत: भरतमुर्न के
नतट्यशतस्र पर आ्तररत है। इसकत उदभि िैददक युग से
मतनत िततत है। ितद में यह मुजस्लम शतसकोंके दौरतन यह
नृत्य शैली मंददरों से र्नकलकर रतिदरितरों में गई थे ।
यह अत्यंत र्नयमिध्द ि शुद् शतस्रीय नृत्य शैली है। इस
नृत्य पर पैरों के धथरकने पर विशेष ज़ोर ददयत िततत हैं।
इसके कलतकतर सलच्छु महतरति, शम्भू महतरति, बिरिू
महतरति, शीतरत देिी।
12.
13. के रल रतज्य में होतत हैं। यह नृत्य भी मंददरों में होतत है।
इसे मतर पुरुष ही करते है। यह नृत्य अत्यंत उत्सतहपूिा
और भड़कीली होतत है। इसके सतथ इसमें शतरीररक भति-
भंधगमतओ कत विशेष महत्ि हैं। नताक अत्यंत आकषाि
सशरगतर कत प्रयोग करते हैं। कथतओ के पतर देितत ि
दतनि के होते हैं।
इसके प्रख्यतत कलतकतर गोपीनतथ, रतधगनी देिी ,
उदयशंकर, सशिचरि।