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Dance and kinds
1. नृत्य ( Dance)
1- नृत्य भी मानवीय अभभव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सावशभौम कला है, क्िसका िन्म
मानव िीवन के साथ हुआ है। बालक िन्म लेिे ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभभव्यक्ति
करिा है कक वह भूखा है- इन्हीीं आींगिक -कियाओीं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है।
2- हाव-भाव आदद के साथ की ियी िति को नृत्य कहा िािा है। नृत्य में करण, अींिहार, त्तवभाव, भाव,
अनुभाव और रसों की अभभव्यक्ति की िािी है
3- नृत्य एक सर्ति आवेि (मनोवेि) है। लेककन नृत्य कला एक ऐसा आवेि है, क्िसे कु र्ल कलाकारों
के द्वारा ककसी माध्यम से ऐसी किया में बदल ददया िािा है, िो िहन रूप से अभभव्यक्तिपूणश होिी
है और दर्शकों को, िो स्वयीं नृत्य करने की इच्छा नहीीं रखिे, आनक्न्दि करिी है।
भारिीय नृत्य
4- भारिीय सींस्कृ ति एवीं धमश की आरींभ से ही मुख्यि- नृत्यकला से िुडे रहे हैं। देवेन्र इन्र का अच्छा
निशक होना, भिवान र्ींकर िो नटराि कहलाए- उनका पींचकृ त्य से सींबींगधि नृत्य सृक्टट की उत्पत्ति-
क्स्थति एवीं सींहार का प्रिीक भी है।
5- भिवान त्तवटणु के अविारों में सवशश्रेटठ एवीं पररपूणश कृ टण नृत्याविार ही हैं। इसी कारण वे 'नटवर'
कृ टण कहलाये।
6- भारिीय सींस्कृ ति एवीं धमश के इतिहास में कई ऐसे प्रमाण भमलिे हैं कक क्िससे सफल कलाओीं में
नृत्यकला की श्रेटठिा सवशमान्य प्रिीि होिी है।
7- भारि में र्ास्रीय और लोक परम्पराओीं के ज़ररये एक प्रकार की नृत्य-नादटका का उदय हुआ है। िो
पूणशिः एक नाट्य स्वरूप है। इसमे अभभनेिा िदटल भींगिमापूणश भाषा के ज़ररये एक कथा को नृत्य के
माध्यम से प्रस्िुि करिा है
नृत्य के प्रकार(Type of Dance):
8- भारि में नृत्य को िीन श्रेणणयों में बाींटा िा सकिा है—
र्ास्रीय
लोक
आधुतनक या समसामतयक नृत्य।
2. 9- शास्त्रीय नृत्य
र्ास्रीय नृत्य र्ैभलयााँ सवाशगधक सींरक्षिि व 20वीीं र्िाब्दी में प्रचभलि प्राचीनिम र्ैभलयों में से हैं। मक्न्दर,
रािसी दरबार और िुरु-भर्टय परम्परा ने इस कला को िीत्तवि व अपररवतिशि रखा है।
10-लोक नृत्य
लोकनृत्य ग्रामीण िेरों में मौिूद है और ग्रामीण समुदायों के दैतनक काम काि व रीति-ररवािों की अभभव्यक्ति
है।
11-आधुननक या समसामनयक नृत्य
आधुतनक भारिीय नृत्य 20 र्िाब्दी की देन है और पहली भारि की नई त्तवषय-वस्िुओीं व आवेिों को व्यति
करिी है।
Notes- (भारिीय नृत्य उिने ही त्तवत्तवध हैं क्ििनी हमारी सींस्कृ ति, लेककन इन्हें दो भािों में बााँटा िा सकिा
है- शास्त्रीय नृत्य िथा लोकनृत्य। हाल ही में बॉलीवुड नृत्य की एक नई र्ैली लोकत्तप्रय होिी िा रही हैं िो
भारिीय भसनेमा पर आधाररि है। इसमें भारिीय र्ास्रीय, भारिीय लोक और पाश्चात्य र्ास्रीय िथा पाश्चात्य
लोक का समन्वय देखने को भमलिा है।)
Notes- भारिीय र्ास्रीय नृत्य (Classical Dance)
a- र्ास्रीय नृत्य प्राचीन दहन्दू ग्रींथों के भसींद्धािों एवीं िकनीकों और नृत्य के िकनीकी ग्रींथों
िथा कला सींबद्विा पर पूणश या आींभर्क रूप से आधाररि है।
b- पारींपररक ढींि से भारिीय र्ास्रीय नृत्य अभभनय के माध्यम से ककया िािा रहा है। इसके त्तवषय
मुख्यिः ‘वैटणव”, “र्ैव, “प्रकृ ति (र्क्ति)” आदद होिे हैं।
c- धाभमशक रींि भलए होने की विह से ये कला अतसर मींददरों में और मींददरों के आस-पास होिी रही हैं।
12- प्रमुख भारिीय र्ास्रीय नृत्य हैं:
- कथक, ओडडसी, भारिनाट्यम, कु गचपुडड, मणणपुरी एवीं, कथकभल
13- लोक नृत्यों में प्रत्येक प्राींि के अनेक स्थानीय नृत्य हैं। िैसे पींिाब में भाींिडा, उिर-प्रदेर् का पखाउि आदद
14- Few kinds of western dance
बैले नृत्य - बैले कहातनयाीं बिाने के भलए सींिीि और नृत्य का उपयोि करिा है। बैले निशककयों एक और
दुतनया के भलए एक दर्शकों को पररवहन करने की िमिा है।
3. जाज- िैि मौभलकिा और कामचलाऊ व्यवस्था पर काफी तनभशर करिा है कक एक मिेदार नृत्य र्ैली है। कई
िैि निशककयों को अपने स्वयीं की अभभव्यक्ति को र्ाभमल, उनके नृत्य में त्तवभभन्न र्ैभलयों का भमश्रण। िैि
नृत्य अतसर् सींकु चन सदहि बोल्ड, नाटकीय र्रीर आींदोलनों का उपयोि करिा है।
हिप – िॉप- यदद आप कभी भी एक देर् और पक्श्चमी तलब या सराय भलए ककया िया है, िो आप र्ायद
उनके चेहरे पर बडी मुस्कान के साथ डाींस फ्लोर के आसपास ट्वभलशग्ि ् कु छ चरवाहे बूट पहने निशकों देखा है।
बेली नृत्यहै। दहप हॉप ऐसे िोडने पॉत्तपींि, लॉककीं ि और िक्म्पींग्ि ् और यहाीं िक कक घर के नृत्य के रूप में
त्तवभभन्न चाल भी र्ाभमल है।
बेली नृत्य- बेली नृत्य कू ल्हों और पेट की िेि, रोभलींि आींदोलनों द्वारा त्तवर्ेषिा नृत्य का एक अनोखा रूप
है। बेली डाींभसींि का असली मूल उत्साही लोिों के बीच बहस कर रहे हैं।
सालसा- साल्सा तयूबा से एक समधमी नृत्य र्ैली है। एकल रूपों में पहचाने िािे हैं, हालाींकक साल्सा, सामान्य
रूप से एक साथी नृत्य है। इस नृत्य र्ैली लैदटन अमेररका भर में बहुि लोकत्तप्रय है और समय के साथ यह
उिरी अमेररका, यूरोप, ऑस्रेभलया, एभर्या और मध्य पूवश के माध्यम से फै ल िया।
15- नृत्य में नौ रस हैं—
श्रृींिार रस
हास्य रस
करुण रस
िोध रस
भय रस
वीर रस
िुिुत्सा रस
त्तवस्मय रस
र्ान्ि रस
16- इन रसों के सींिि भाव भी हैं—प्रेम, हास्य, दुख, िोध, ऊिाश, भय, तनरार्ा, आश्चयश एवीं र्ाक्न्ि।
Note- अब िक मौिूद र्ास्रीय नृत्य की चार प्रमुख र्ैभलयााँ
हैं। भरिनाट्यम, कथकली, कथक और मणणपुरी। इनमें दो प्रकार के भाव हैं। एक िाींडव, िो भर्व के रौर
पौरुष, दूसरा लास्य, िो भर्व की पत्नी पावशिी के लयात्मक लावण्य का प्रतितनगधत्व करिा है,
लोकनृत्य
4. - भारिीय लोकनृत्यों के अींििशि अनींि प्रकार के स्वरूप और िाल हैं। इनमें धमश, व्यवसाय और िाति
के आधार पर अन्िर पाया िािा है।
- मध्य और पूवी भारि की िनिातियााँ (मुररया, भील, िोंड, िुआींि और सींथाल) सभी अवसरों पर
नृत्य करिी हैं।
- िीवन चि और ऋिुओीं के वात्तषशक चि के भलए अलि-अलि नृत्य हैं। नृत्य, दैतनक िीवन और
धाभमशक अनुटठानों का अींि है।
भारिीय लोकनृत्यों का विीकरण करना कदठन है, लेककन सामान्य िौर पर इन्हें चार विों में
रखा िा सकिा है।
वृत्तिमूलक (िैसे िुिाई, बुआई, मछली पकडना और भर्कार)
धाभमशक
आनुटठातनक (िाींत्ररक अनुटठान द्वारा प्रसन्न कर देवी या दानव-प्रेिात्मा के कोप से मुक्ति के भलए)
सामाक्िक (ऐसा प्रकार िो उपरोति सभी विों में र्ाभमल है)
लोक नृत्य की र्ैभलयााँ
भारि की प्राचीन सींस्कृ ति ने, लोक नृत्यों के त्तवभभन्न स्वरूपों को िन्म ददया है। सींस्कृ ति व परींपराओीं की
त्तवत्तवधिा लोक नृत्यों में साफ़ झलकिी है।
भाींिडा, भोरिाल, भवई, त्रबहू, िरबा, कु म्मी, पोइतकल कु दीराई अट्टम, देवरिनम, थाबल छोंिबा, छाऊ,
िारा, चेरा, नाटी, लुड्डी, घुरई, झमाकडा, भसींघी
References / links – for more interest
https://onlinetyari.com/blog-hindi/classical-dance-in-hindi/
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF
Note- भरि नाट्यर्ास्र में नृत्य के दो प्रकार वणणशि हैं-
A - मािी (िाींडव)- अत्यींि पौरुष और र्क्ति के साथ ककया िािा है (उदा.- भिवान र्ींकर का नृत्य)
B - लास्य- लास्य कोमल नृत्य है (उदा. भिवान कृ टण िोत्तपयों सींि नृत्य)