आज के दौर में जब हमारे पास समयाभाव है और इसी के चलते हम मंदिर नही जा पाते, विधि-विधान से पूजा अर्चना नही कर पाते है. ऐसे में भगवान की कृपा कैसे प्राप्त हो? क्या किया जाये जिससे कम समय में ही हमारे सारे दुख-क्लेश, परेशानियाँ दूर हो जायें.
1. हनुमान चालीसा है चमत्कारिक
आज के दौि में जब हमािे पास समयाभाव है औि इसी के चलते हम मंददि नही जा पाते, ववधि-
वविान से पूजा अचचना नही कि पाते है. ऐसे में भगवान की कृ पा कै से प्राप्त हो? क्या ककया जाये
जजससे कम समय में ही हमािे सािे दुख-क्लेश, पिेशाननयााँ दूि हो जायें. अष्ट ससवि औि नवननधि के
दाता श्रीहनुमान जी जजनके हृदय में साक्षात ्श्रीिाम औि सीताजी वविाजमान हैं जजनकी भजक्त से
भूत-वपचाश ननकट नही आते हमािे सािे कष्टों औि दुखों को वे क्षणांश में ही हि लेते हैं. ऐसे
भक्तवत्सल श्री हनुमान ही स्मिण हम सभी को किना चादहये.
तो आपको सभी समस्याओं का सबसे सिल औि कािगि उपाय है, श्री हनुमान चालीसा का जाप. कु छ
समनट की यह सािना आपकी सािी मनोवांनछत इच्छाओं को पूिा किने वाली है. श्रीहनुमान चालीसा
का जाप कभी भी औि कही भी ककया जा सकता है. गोस्वामी तुलसीदास द्वािा िधचत हनुमान
चासलसा अत्यंत ही सिल औि सहज ही समझ आने वाला स्तुनत गान है. श्रीहनुमान चालीसा में
हनुमान जी के चरित्र की बहुत ववधचत्र औि अद्भुत व्याख्या की गई है. साथ ही इसके जाप से श्रीिाम
का भी गुणगान हो जाता है. श्रीहनुमान जी बहुत ही कम समय की भजक्त में प्रसन्न होने वाले देवता
है. श्रीहनुमान चालीसा की एक-एक पंजक्त भजक्तिस से सिाबोि है. जो आपको श्रीहनुमान जी के उतने
ही किीब पहुाँचा देगी जजतना आप उसका जाप किेंगे. कु छ समय में इसके चमत्कारिक परिणाम आप
सहज महसूस कि सकें गे.
यदद आक़िस से सम्बंधित कोई पिेशानी है तो सोमवाि दोपहि को लगभग दो बजे से चाि बजे के
मध्य श्रीहनुमान चालीसा पाठ उत्ति ददशा की औि मुख किके किें, ध्यान िखें की बैठने का आसन
औि ससि पि लाल िंग का शुि वस्त्र िखकि पाठ किें तथा अपने पास ककसी भी सा़ि बतचन में गुड़ या
गुड़ से बनी समठाई जरुि िखें, पाठ के बाद उसे स्वयं प्रसाद के रुप में लें. इसे सोमवाि (शुक्ल-पक्ष) से
आिम्भ कि प्रत्येक सोमवाि किने से आक़िस से सम्बंधित संकट समाप्त हो जाता है.
यदद घि में पनत-पत्नी की नही बनती औि प्रनतददन घि में क्लेश की जस्थनत बनी िहती है तो इसका
समािान श्री हनुमान जी के पास है. ननत्य प्रातः काल सूयोदय के समय पनत या पत्नी एक ताम्बे के
लोटे में थोड़ा सा गुड़ औि एक छोटी इलायची डालकि सूयच देव के सामने बैठकि श्रीहनुमान के दो पाठ
कि सूयच देव को अर्घयच प्रदान कि दें कु छ ही ददनों में पनत-पत्नी तथा परिवाि के अन्य सदस्यों के
मध्य सद्भाव व्याप्त हो जायेगा. प्रत्येक मंगवाि तथा शननवाि सायंकाल श्रीहनुमान चालीसा के पााँच
2. पाठ सामने गुग्गल का िूप जलाकि किें तो घि की संतान ननयंत्रत्रत होती है. घि में कोई संकट नही
आता है. ववद्या बुवि बल बढ़ता है समस्त दोष स्वतः ही समाप्त होने लगते हैं.
जो प्रनतददन श्री हनुमान चालीसा का पाठ आसन पि बैठ कि किता है उसकी समस्त कामनायें
भगवान िाम के द्वािा शीघ्र पूिी होती हैं.
पिदेश या ववदेश में स़िलता नहीं समल िही तो श्रीहनुमान चालीसा एक सौ आठ पाठ नौ ददन में किें
या िात को पााँच-पााँच पाठ िोज किने से ववदेश में प्रनतष्ठा व स़िलता की प्राजप्त होती है.
प्रनतददन ककसी भी समय हनुमान चालीसा का पाठ किने से नवग्रह की शाजन्त होती है औि जदटल
समस्याओं से छु टकािा समल जाता है. िैयच ववश्वास के साथ ककया गया पाठ आपके जीवन में
स़िलता की कुं जी बन सकता है.